राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान किसे कहते हैं? इसे कितने भागों में बाँटा जाता है ? वर्णन करें।

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प्रश्न – राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान किसे कहते हैं? इसे कितने भागों में बाँटा जाता है ? वर्णन करें।

उत्तर – राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ वे हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर वित्त प्रबंधन तथा साख अथवा ऋण के लेन-देन का कार्य करती हैं। इन वित्तीय संस्थाओं को प्राय: दो वर्गों में विभाजित किया जाता है  – मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाएँ तथा पूँजी बाजार की वित्तीय संस्थाएँ । मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाएँ साख या ऋण का अल्पकालीन लेन-देन करती हैं। इसके विपरीत, पूँजी बाजार की संस्थाएँ उद्योग तथा व्यापार की दीर्घकालीन साख की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाओं में बैंकिंग संस्थाएँ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। भारतीय बैंकिंग प्रणाली के शीर्ष पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है। यह देश की संपूर्ण बैंकिंग व्यवस्था का नियमन एवं नियंत्रण करता है। व्यावसायिक बैंकों का मुख्य कार्य जनता की बचत को जमा के रूप में स्वीकार करना तथा उद्योग एवं व्यवसाय को उत्पादक कार्यों के लिए अल्पकालीन ऋण प्रदान करना है।
वित्तीय संस्थाओं में पूँजी बाजार की संस्थाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं। मुद्रा बाजार की संस्थाएँ उद्योग एवं व्यापार की अल्पकालीन साख की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इनकी दीर्घकालीन साख या पूंजी की व्यवस्था पूँजी बाजार से होती है। पूँजी बाजार वह है जिसमें व्यावसायिक संस्थानों के हिस्सों तथा ऋण-पत्रों का क्रय-विक्रय होता है। पूँजी बाजार के दो मुख्य अंग हैं— प्राथमिक बाजार तथा द्वितीयक बाजार।

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