बिहार के बहुभाषिक परिदृश्य पर प्रकाश डालिए ।
प्रश्न – बिहार के बहुभाषिक परिदृश्य पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- हमारे देश की भाँति बिहार का भाषाई परिदृश्य भी बहुभाषिक है। यद्यपि बिहार – में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है और विद्यालयों की पठन-पाठन की भाषा हिन्दी है। सम्पूर्ण सरकारी कामकाज भी हिन्दी में ही होता है । तथापि यहाँ बहुभाषिकता विद्यमान है। यद्यपि पूरे बिहार में हिन्दी ही बोली, समझी, पढ़ी व लिखी जाती है फिर भी कुछ अन्य भाषाएँ भी हैं जो यहाँ बोली व समझी जाती हैं, इतना ही नहीं उनका क्षेत्र भी बड़ा है और बोलने वालों की संख्या भी विशाल है।
बिहार में मुख्यतः तीन भाषाएँ बोली जाती हैं, जो निम्नलिखित हैं –
(i) भोजपुरी, (ii) मगही/मागधी, (iii) मैथिली ।
(i) भोजपुरी
भोजपुरी बिहार में सर्वाधिक प्रचलित भाषा है । यह अन्य भाषाओं की अपेक्षा विशाल क्षेत्र में बोली जाती हैं। डॉ. धीरेन्द्र वर्मा ने भोजपुरी को हिन्दी बोलियों के अन्तर्गत माना है। बिहार के शाहाबाद जिले में भोजपुर एक छोटा-सा कस्बा और परगना है। इस बोली का नाम इसी के नाम पर भोजपुरी पड़ा है, यद्यपि यह बोली दूर-दूर तक बोली जाती है। यह शाहाबाद, आरा, सीवान, चम्पारन, छोटा नागपुर और उत्तर प्रदेश में बनारस, जौनपुर, बलिया, गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ तक फैली हुई है। इसके बोलने वाले लगभग 3 करोड़ हैं। यही कारण है कि भोजपुरी भाषा में भी फिल्में बनाई जाती हैं।
(ii) मगही या मागधी
बिहार में मगध और इससे लगे आस-पास के जनपदों में मगही भाषा बोली व समझी जाती है। मगही भाषा बोलने वालों की संख्या भी पर्याप्त विशाल है। इसका विस्तार पटना, मुंगेर, शेखपुरा, नवादा, गया, औरंगाबाद, लक्खीसराय आदि जनपदों तक है।
(iii) मैथिली
मैथिली बिहार की ही एक उपभाषा है। बिहार की बोलियों में इसका प्रमुख स्थान है। यह गंगा के उत्तर में दरभंगा के आस-पास बोली जाती है। यह बिहार के मिथिला, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, बेगूसराय आदि क्षेत्रों में बोली व समझी जाती है। इसमें प्रर्याप्त साहित्य की रचना हुई है। प्रसिद्ध कवि मैथिल कोकिल विद्यापति ने अपनी ‘पदावली’ रचना मैथिली भाषा में ही लिखी है। यह भाषा मगही भाषा के निकट है किन्तु भोजपुरी से भिन्न है।
संसार के लगभग सभी बौद्ध पालि भाषा को ही मागधी के नाम से जानते हैं। प्राचीन काल में अवध से लेकर अंग प्रदेश (दक्षिण बिहार) तक के लोगों को ‘प्राच्य’ कहा जाता था। अतः मैथिली भाषा का एक नाम ‘प्राच्य’ भी है। मगही भाषा का विकास दो रूपों में हुआ है— पश्चिमी प्राच्या और पूर्वी प्राच्या । प्राकृत वैयाकरणों ने पश्चिमी प्राच्या को अर्द्ध मागधी और पूर्वी प्राच्या को मागधी नाम दिया है। अर्द्ध मागधी को पूर्वी हिन्दी की संज्ञा दी जाती हैं |
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