वायगोटस्की ने भाषा तथा संज्ञान को किस प्रकार सम्बन्धित किया स्पष्ट कीजिए ?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
प्रश्न – वायगोटस्की ने भाषा तथा संज्ञान को किस प्रकार सम्बन्धित किया स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर – तीन महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं का वर्णन Vygotsky की संज्ञान विकास सिद्धान्त के सम्बन्ध में किया जाता है। यह हैं-
(1) बालक की ज्ञानवादी कुशलतायें केवल उस समय समझी जा सकती हैं जबकि वह विकासात्मक रूप में विश्लेषण की जाती हैं और उनकी व्याख्या की जाती है।
(2) ज्ञानवादी कुशलतायें शब्दों, भाषा एवं संवाद के प्रकार से मध्यस्थ होती हैं, जो कि मनोवैज्ञानिक यन्त्रों की भाँति कार्य करती हैं मानसिक क्रियाओं को सुविधाजनक बनाने में तथा उन्हें परिवर्तित करने में ।
(3) ज्ञानात्मक कुशलताओं की उत्पत्ति होती है सामाजिक सम्बन्धों में और सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में वह अंतर्निहित होती हैं।
Vygotsky के अनुसार बालक के ज्ञानात्मक कृत्य समझे जा सकते हैं उनकी उत्पत्ति का परीक्षण करके तथा उनकी पहले से बाद की परिवर्तनशीलता का निरीक्षण करके । अतएव एक विशेष मानसिक कार्य जैसे चिन्तन को सही रूप में अकेलेपन में नहीं देखा जा सकता वरन् इसका मूल्यांकन एक पद की भाँति एक धीमे-धीमे होने वाली विकास की प्रक्रिया में करना चाहिए।
Vygotsky की दूसरी मान्यता यह है कि ज्ञानात्मक कृत्य को समझने के लिए यह आवश्यक है कि उन यन्त्रों का परीक्षण करें जो इसकी मध्यस्था करते हैं और इसे रूप देते हैं। इसने उसे यह विश्वास करने की ओर पहुँचा दिया कि भाषा इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण यन्त्र है।
उसके अनुसार प्रारम्भिक बाल्यपन में भाषा का प्रयोग एक यन्त्र की भाँति होता है जो बालक को उसकी क्रियाओं की योजना बनाने और समस्यायें हल करने में सहायता देती हैं।
Vygotsky की तीसरी मान्यता यह थी कि ज्ञानात्मक कुशलतायें उत्पन्न होती हैं सामाजिक सम्बन्धों में और संस्कृति में | Vygotsky के दृष्टिकोण में बालक का विकास सामाजिक और सांस्कृतिक क्रियाओं से विलग नहीं किया जा सकता ।
उसने इस बात पर बल दिया कि स्मृति का विकास, अवधान एवं तर्क में सन्निहित है। समाज के अन्वेषणों का प्रयोग करना सीखना, जैसे कि भाषा, गणित व्यवस्थायें एवं स्मृति की युक्तियाँ | हमारी संस्कृति में उँगलियों के द्वारा गिनना आम है जबकि पाश्चात्य देशों में गणक (Calculators) का अधिक उपयोग होता है।
Vygotsky के दृष्टिकोण ने हमें यह विश्वास दिलाया है कि व्यक्तियों में तथा वातावरणों में ज्ञान का वितरण होता है, इसमें शामिल है वस्तुयें, शिल्पकृतियाँ, यन्त्र, पुस्तकें :तथा वह समुदाय जिनमें व्यक्ति रहते हैं। एक व्यक्ति का ज्ञान सबसे अच्छे प्रकार से उस समय प्रगति की ओर अग्रसर होता है जब उसकी अन्य व्यक्तियों के साथ सहयोगी क्रियायें होती हैं।
Vygotsky ने अद्वितीय एवं प्रभावशाली विचार सीखने और विकास के सम्बन्धों के बारे में प्रस्तुत किये हैं। Vytogtsky के विचार स्पष्ट रूप से इस बात पर बल देते हैं कि ज्ञानात्मक कृत्य के सामाजिक स्त्रोत हैं।
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *