NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 4 जलवायु (भूगोल – समकालीन भारत -1)

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NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 4 जलवायु (भूगोल – समकालीन भारत -1)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

जलवायु

1. सही विकल्प का चयन करें-
(i) नीचे दिए गए स्थानों में किस स्थान पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है ?
(क) सिलचर,
(ख) चेरापूंजी,
(ग) मासिनराम,
(घ) गुवाहाटी।
(ii) ग्रीष्मऋतु में उत्तरी मैदानों में बहने वाली पवन को निम्नांकित में से क्या कहा जाता है ?
(क) काल वैशाखी,
(ख) व्यापारिक पवनें,
(ग) लू,
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
(iii) निम्नांकित में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में शीतऋतु में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी है
(क) चक्रवातीय अवदाब,
(ख) पश्चिमी विक्षोभ,
(ग) मानसून की वापसी,
(घ) दक्षिण-पश्चिम मानसून।
(iv) भारत में मानसून का आगमन निम्नांकित में से कब होता है –
(क) मई के प्रारंभ में,
(ख) जून के प्रारंभ में,
(ग) जुलाई के प्रारंभ में,
(घ) अगस्त के प्रारंभ में ।
(v) निम्नांकित में से कौन-सी भारत में शीतऋतु की विशेषता है ?
(क) गर्म दिन एवं गर्म रातें,
(ख) गर्म दिन एवं ठंडी रातें,
(ग) ठंडा दिन एवं ठंडी रातें,
(घ) ठंडा दिन एवं गर्म रातें ।
उत्तर – (i) (ग), (ii) (ग), (iii) (ख), (iv) (ख), (v) (ग)।
2. भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है ?
उत्तर – मानसून प्रकार की जलवायु का अर्थ है, वर्ष में पवन की दिशा में मौसमीय व्युत्क्रम। इस प्रकार की जलवायु मुख्यतः दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती है।
3. किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है ?
उत्तर – दक्षिण-पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा मालाबार तट और कोरोमंडल तट पर भारी वर्षा के लिए जिम्मेदार होती है ।
4. भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों के नाम लिखें।
उत्तर – भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम निम्नांकित हैं
(क) अक्षांश,
(ख) तुंगता (ऊँचाई),
(ग) वायुदाब,
(घ) समुद्र से दूरी,
(ङ) महासागरीय धाराएँ,
(च) उच्चावच लक्षण
5. भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों ?
उत्तर – कुछ खास स्थानों पर दिन और रात के तापमानों में बहुत अंतर पाया जाता है। थार रेगिस्तान में दिन का तापमान 500 से० हो सकता है और उसी रात घटकर यह हिमांक तक पहुँच सकता है। यहाँ दिन और रात के तापमान में बहुत अंतर होता है क्योंकि रेत दिन के समय तेजी से गर्म होती है और रात के समय तेजी से ठंडी होती है ।
6. ‘जेट स्ट्रीम’ क्या हैं ?
उत्तर – ऊपरी वायुमंडल में एक पतली पेटी में बहुत तेज गति से चलने वाली पवनों को ‘जेट स्ट्रीम’ कहते हैं ।
7. भारत के अधिक वर्षा वाले चार महीनों के नाम बताएँ ।
उत्तर – भारत में अधिक वर्षा वाले चार महीना जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर है।
8. ‘लू’ शब्द से क्या अर्थ है ?
उत्तर – ‘लू’ शब्द का अर्थ है- गर्म हवा । ये उत्तरी तथा उत्तरी-पश्चिमी भारत में चलने वाली शुष्क तथा गर्म हवा हैं । ये अधिकतर अर्धरात्रि तक भी चलती रहती हैं। इन गर्म हवाओं का संपर्क कभी-कभी प्राणघातक भी हो सकता है ।
9. ‘मानसून फटने’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – दक्षिण-पश्चिम दिशा से आती हुई आर्द्र हवाएँ एक ही महीने में पूरे देश में फैल जाती हैं । आर्द्रता से युक्त इन पवनों के साथ ही बादलों की तेज गड़गड़ाहट, बिजली चमक और मूसलाधार वर्षा होती है। इसे ही ‘मानसून का फटना’ कहते हैं ।
10. भारत में कितने प्रकार की ऋतुएँ होती हैं ? नाम लिखें ।
उत्तर – भारत में चार ऋतुएँ होती हैं
(क) शीत ऋतु – दिसम्बर से फरवरी,
(ख) ग्रीष्म ऋतु – मार्च से जून,
(ग) वर्षा ऋतु – जून से सितम्बर,
(घ) पीछे हटता मानसून- अक्टूबर से नवम्बर |
11. पीछे हटती मानसून का क्या अर्थ है ?
उत्तर – ‘पीछे हटता हुआ मानसून’ अक्तूबर मास तक वर्षा का जोर काफी कम हो जाता है और दाब में वृद्धि हो जाती है इसलिए दक्षिण-पश्चिमी मानसून धीरे-धीरे पीछे हटने लगती है। अक्तूबर के शुरू होते ही मानसून पंजाब से पूरा हट जाती हैं। गंगा के डेल्टा तथा दक्षिणी भारत से भी क्रमशः अक्तूबर के अन्त और नवम्बर के आरंभ तक मानसून विदा हो जाती है। इन्हें ही हटता हुआ मानसून कहते हैं।
12. तिरुवनंतपुरम तथा शिलांग में जुलाई की अपेक्षा जून में अधिक वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर – हिंद महासागर के एकदम निकट का क्षेत्र होने से तिरुवनंतपुरम मानसून की पहली वर्षा को प्राप्त करता है। यहाँ पर जून की पहली तारीख के दौरान मानसूनी पवनें प्रवेश करती हैं। शिलांग में बंगाल की खाड़ी वाली मानसून शाखा से वर्षा होती है। जुलाई में मानसूनी पवनों का मार्ग ये क्षेत्र नहीं बनते हैं, इसीलिए कम वर्षा होती है।
13. जुलाई में तिरुवनंतपुरम की अपेक्षा मुंबई में अधिक वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर – मुंबई अरब सागर के निकट है और यहाँ से मानसूनी पवनें जून के दूसरे सप्ताह में चलती हैं तथा निकटवर्ती पर्वतों से टकराने के बाद इस क्षेत्र में वर्षा करती है। तिरुवनंतपुरम से इस समय तक मानसून आंध्रप्रदेश से होकर आगे बढ़ जाता है।
14. चेन्नई में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के द्वारा कम वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर – चेन्नई पूर्वी घाट (कोरोमंडल तट) के वृष्टि छाया क्षेत्र में पड़ता है। इसीलिए इस क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिम मानसून से बहुत कम वर्षा होती है।
15. शिलांग में कोलकाता की अपेक्षा अधिक वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर – शिलांग में हिंद महासगर तथा अरब सागर दोनों ओर से मानसूनी पवनें पहुँचती हैं तथा बंगाल की खाड़ी शाखा भी यहाँ की ऊँची पर्वत चोटियों के साथ टकराकर एक साथ वर्षा करती हैं जबकि कोलकाता में मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा नहीं पहुँचती हैं तथा केवल अरब सागर वाली शाखा से वर्षा होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

जलवायु

1. जेट धाराएँ क्या हैं तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती हैं ? 
उत्तर – ये एक स्थिर गति से तेज चलने वाली पवनें होती हैं, जो ऊपरी वायुमंडल के एक संकरे क्षेत्र में चलती हैं। इन्हें जेट धाराएँ (लहरें) कहते हैं ।
पछुआ जेट लहरों की दक्षिणी शाखा हिमालय के दक्षिण में पूर्वी की दिशा की ओर बहती हैं। ये भारत में सर्दी के मौसम पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। गर्मी के मौसम में पूर्वी जेट लहरें उत्तरी भारत पर 25° उत्तर के साथ बहती हैं। ये पूरे भारत पर मानसूनी वर्षा का वितरण करने में सहायता करती हैं ।
2. मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर – मानसून वस्तुत: जलपूरित और जलवर्षक पवनें हैं। समुद्री मार्गों से भारत में व्यापार करने आए अरब देश के व्यापारियों ने अपनी अरबी भाषा में इसको ‘मौसिम’ कहा अतः यह अरबी भाषा से व्युत्पन्न शब्द है । इसका अर्थ है— ऋतु । इस कारण हम यह कह सकते हैं कि ऋतु अनुसार पवनों का दिशा विपर्यय ही मानसून है।
मानसून विराम- एक बार में केवल कुछ दिन वर्षा का होना मानसून विराम कहलाता है। संक्षेप में, वर्षा का मध्यावकाश ही मानसून विराम है। इसका संबंध मानसून द्रोणी से रहता है ।
3. मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला क्यों समझा जाता है ?
उत्तर – “एकता में आबद्ध करने वाला बंध” वाक्यांश से किसी एक चीज की अन्य चीज के साथ संसक्ति या जुड़ाव का संकेत मिलता है। भारत के साथ मानसून के जुड़ाव मामले में भी ऐसी ही दशाएँ बनती हैं। उत्तर की ओर से प्रवाहित ठंडी पवनें भारत में प्रवेश नहीं कर पातीं क्योंकि इन्हें रोकने वाला प्राकृतिक अवरोधक हिमालय उत्तरी भाग में खड़ा है। भारत से बाहर के अन्य देशों में ठीक इसी अक्षांश की अवस्थिति पर कड़ाके की ठंड पड़ती है। इसी तरह भारत का प्रायद्वीपीय पठार तीन ओर सागरों से घिरा हुआ है। यह व्यवस्था भी भारत में सामान्य तापमान बनाए रखती है। पुनः ऋतु चक्र अनुसार वायु दिशा का विपर्यय भारत को ऋतुओं का एक लयबद्ध चक्र प्रदान करता है। भारत के लोकगीत, ग्राम्य गीत, रहन-सहन, पहनावा तथा भोजन की आदतें आदि सभी कुछ मानसून के साथ जुड़ा है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत में मानसून एक एकता में आबद्ध करने वाले सूत्र या बंधन जैसा है।
4. भारत की अधिकांश वर्षा केवल कुछ महीनों में ही होती है क्यों ?
उत्तर – भारत की अधिकांश वर्षा केवल कुछ महीनों में ही होती हैं इसके निम्नांकित कारण है
(क) उत्तरी पश्चिमी भारत में ग्रीष्म काल का निम्न वायुदाब केन्द्र 15 जून तक अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच जाता है।
(ख) एक जून के लगभग भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रवेश कर जाता है तथा इस निम्न वायुदाब क्षेत्र तक पहुँचने में इसको एक महीने का समय लगता है।
(ग) जून, जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर में सारे देश में वर्षा हो जाती है तथा उत्तरी पश्चिमी भारत का निम्न वायुदाब क्षेत्र धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है और उसका स्थान उच्च वायुदाब क्षेत्र लेने लगता है। अतः वर्षा का होना कम हो जाता है ।
5. भारतीय उपमहाद्वीप में पवनों की दिशा ऋतुवत विपरीत होती है। क्यों ? 
उत्तर – भारतीय उपमहाद्वीप में पवनों की दिशा ऋतुवत विपरीत होती है इसके निम्नांकित कारण है
(क) ग्रीष्मकाल में उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप अत्यधिक गर्मी की चपेट में आ जाता है। इससे यहाँ की वायु गर्म होकर ऊपर उठ जाती है और यहाँ निम्न वायुदाब का केन्द्र बन जाता है ।
अतः जल क्षेत्रों से जहाँ इस समय उच्च वायुदाब होता है, पवनें निम्न वायुदाब की ओर चलती हैं । अतः इस समय पवनों की दिशा जल से थल की ओर होती है ।
(ख) सर्दी के दिनों में पूरा उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में उच्च वायुदाब का केन्द्र बन जाता है। इसके विपरीत जल भाग ( अरब सागर, बंगाल की खाड़ी तथा हिन्द महासागर) पर इस समय निम्न वायुदाब रहता है। अतः पवनें स्थल से जल की ओर चलती है ।
6. तमिलनाडु तट पर जाड़े में वर्षा होती है क्यों ?
उत्तर – तमिलनाडु तट पर जाड़े में वर्षा होने के कारण निम्नांकित हैं
(क) तमिलनाडु तट दक्षिण-पश्चिम मानसून के वृष्टिछाया क्षेत्र में पड़ने के कारण गर्मी में वर्षा नहीं प्राप्त करता ।
(ख) जाड़े में तमिलनाडु तट उत्तरी पूर्वी पवनों के प्रभाव क्षेत्र में पड़ता है। ये पवनें शुष्क होती हैं ।
(ग) जिस समय उत्तरी-पूर्वी पवनें बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गुजरती हैं तो ये नमी ग्रहण कर लेती है ।
(घ) जब ये पवनें तमिलनाडु तट पर पहुँचती हैं तो ऊपर उठकर संघनित हो जाती हैं तथा वर्षा करती हैं ।
7. राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी घाट के वृष्टिछाया क्षेत्र सूखा से प्रभावित हैं। कारण स्पष्ट करें।
उत्तर – राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी घाट के वृष्टिछाया क्षेत्र सूखा से प्रभावित है। उसके कारण निम्नांकित हैं
(क) राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी घाट के वृष्टिछाया क्षेत्रों में बहुत कम वर्षा होती है।
(ख) इससे इन क्षेत्रों में पानी की माँग – पीने के लिए, कृषि की सिंचाई के लिए तथा अन्य कामों के लिए हर समय रहती है।
(ग) इन क्षेत्रों में शुष्कता, रेतीली भूमि तथा पथरीली भूमि होने के कारण नहरें तथा कुएँ खोदना सरल नहीं है। अतः इन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन विकसित नहीं हैं ।
(घ) अगर वर्षा न हो तो तुरन्त सूखे की स्थिति इन भागों में उत्पन्न हो जाती है।
8. दिल्ली में जोधपुर से अधिक वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर – अरब सागर और बंगाल की खाड़ी वाली मानसून की शाखाएँ जब एक साथ भारत के उत्तर-पूर्वी पर्वतों की चोटियों (असम, मेघालय, त्रिपुरा) आदि के साथ टकराकर वर्षा करती हैं तो उनका रास्ता बदल जाता है अर्थात् पश्चिम की ओर मुड़ती हैं और उत्तरी मैदानों आदि में वर्षा करती हैं। दिल्ली भी इन्हीं मैदानों के क्षेत्र में पड़ता है। यहाँ पर अरब सागर की एक मानसून शाखा भी पहुँचती है। यह अरावली पर्वतों के ऊपर से होकर दिल्ली में वर्षा करती हुई चंडीगढ़ और पश्चिमी जम्मू-कश्मीर की ओर बढ़ जाती है। जोधपुर, राजस्थान के उस भाग में पड़ता है जहाँ अरावली पर्वतमाला मानसूनी पवनों को बिना रुकावट आगे बढ़ने देती है। इसी कारण यहाँ बहुत कम वर्षा हो पाती है।
9. भारत में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करें ।
उत्तर – (क) भारत में ग्रीष्मकाल के महीने मार्च, अप्रैल, मई तथा जून हैं ।
(ख) ग्रीष्म ऋतु में सारा उत्तर भारत तापमान तथा निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है।
(ग) इस ऋतु में देश के उत्तर-पश्चिमी भागों में शुष्क और गर्म पवनें चलती हैं। इन शुष्क तथा गर्म पवनों का स्थानीय नाम ‘लू’ है । मई के महीने में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में शाम के समय धूलभरी आँधियाँ प चलती हैं। कभी-कभी आँधियों के बाद हल्की वर्षा हो जाती है, जिससे कष्टदायक गर्मी से छुटकारा मिल जाता है।
(घ) ग्रीष्म ऋतु के अन्त में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में मानसून से पूर्व की वर्षा होती है, जिसका स्थानीय नाम आम्रवृष्टि है।
(ङ) इस समय दक्कन के पठार पर अपेक्षाकृत उच्चदाब होने के कारण, मानसून से पूर्व की वर्षा का क्षेत्र आगे नहीं बढ़ पाता है।
(च) इस ऋतु में बंगाल और असम में भी उत्तर-पश्चिमी तथा उत्तरी पवनों द्वारा वर्षा की तेज बौछारें पड़ती हैं ।
10. मौसम और जलवायु में अंतर बताएँ ।
उत्तर – मौसम – किसी स्थान तथा विशेष समय में वायुदाब, तापमान, आर्द्रता, वर्षण, मेघाच्छादन अथवा वृष्टि से वायुमंडल की दशाओं के स्वरूप को मौसम कहते हैं । मौसम किसी भी समय परिवर्तित हो सकता है।
जलवायु- किसी विशेष क्षेत्र में एक लम्बी अवधि सामान्यतः 30 वर्ष तक पाई जाने वाली मौसम की औसत अवस्था को जलवायु कहते हैं ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

जलवायु

1.भारत की जलवायु दशाओं की क्षेत्रीय विषमताओं को उपयुक्त उदाहरण देते हुए समझाएँ ।
उत्तर – (क) मरूस्थलीय क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में तापमान कभी-कभी 55°C तक चढ़ जाता है। जबकि, कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में द्रास स्थान का शीत ऋतु में तापमान – 45°C तक गिर जाता है ।
(ख) केरल और अंडमान तथा निकोबार जैसे समुद्र के निकटवर्ती क्षेत्रों में दैनिक ताप परिसर लगभग 7°C के आसपास होता है जबकि यह मरूस्थलों में 50°C (दिन का 50°C और रात का हिमांक बिन्दु तक) तक होता है ।
(ग) ग्रीष्म ऋतु में बाड़मेड़ (मरूस्थल) का तापमान जब 50°C होता है तो उसी दिन गुलमार्ग (कश्मीर) का तापमान 20°C होता है।
(घ) इसी प्रकार शीत ऋतु में जिस दिन कारगिल का तापमान – 45°C होता है तो उसी दिन तिरूवंतपुरम (त्रिवेन्द्रम) का तापमान 20°C होता है।
(ङ) सामान्यतः तटीय क्षेत्र तापमान एवं स्थल पवनों और सागरीय पवनों में कम अंतर होने के कारण सम जलवायु का अनुभव करते हैं जबकि दूसरी ओर आंतरिक क्षेत्र अपनी स्थिति के कारण बहुत अधिक मौसमी अंतर अनुभव करते हैं ।
(च) भारत में एक ओर ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ अत्यन्त कम वर्षा होती है और दूसरी ओर ऐसे स्थान भी हैं जहाँ संसार की सर्वाधिक वर्षा होती है। भारत में वर्षा और हिमपात दोनों ही होते हैं ।
(छ) मेघालय में 400 से०मी० से भी अधिक वार्षिक वर्षा होती है जबकि पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख में 10 से०मी० से भी कम वार्षिक वर्षा होती है ।
(ज) पश्चिमी विक्षोभ भारत के उत्तरी भाग में शीत ऋतु में उपयोगी वर्षा लाते हैं जबकि उसी समय पूर्वी तट पर विनाशकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात टकराते हैं।
2. मानसून अभिक्रिया की व्याख्या करें ।
उत्तर – मानसून की अभिक्रिया- भारत की अवस्थिति दक्षिण एशिया क्षेत्र में होने के कारण यह मानसूनी किस्म की जलवायु के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्र को 200 उ० और 20° द० के बीच का उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहा जाता है। भारत का उत्तरी आधा भाग उपोष्ण और दक्षिणी आधा भाग ( अर्थात् प्रायद्वीपीय हिस्सा) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पड़ता है। मानसून वर्ष में ऋतु चक्र के अनुसार पवन दिशा के विपर्यय का संकेत देता है। वायु की दिशा में विपर्यय निम्नांकित कारणों से होता है –
(क) ग्रीष्म में प्रचंड गर्मी पड़ने के कारण अरब सागर में उष्णता कम होने लगती है।
(ख) गंगा का मैदान भूमध्य रेखा के लगभग 5° उ० में स्थित मानसून द्रोणी में पड़ता है। यहाँ उपोष्ण और उष्णकटिबंधीय पेटियाँ मिलती हैं और मानसून की अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी शाखाएँ मिलकर भारी वर्षा करती हैं।
(ग) उत्तर भारत में निम्न दाब की दशाएँ बनने के कारण हिन्द महासागर के ऊपर 20° द० अक्षांश में उच्च दाब क्षेत्र बनता है।
(घ) तिब्बत के पठार पर तीक्ष्ण गर्मी पड़ने से खड़ी वायु धाराएँ प्रवाहित होने लगती हैं। इसके कारण समुद्र तल से एक किमी० ऊँचाई पर पठार के ऊपर उच्च दाब बनता है जो मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा को अपनी ओर खींचता है।
(ङ) पश्चिमी जेट धाराएँ हिमालय के उत्तर की ओर चली जाती हैं तथा उनका स्थान भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट धाराएँ ले लेती हैं।
(च) उच्च दाब क्षेत्र सामान्यता उष्णकटिबंधीय पूर्व-दक्षिण प्रशांत महासागर में और निम्न दाब क्षेत्र पूर्व-दक्षिण हिन्द महासागर में बनता हैं हालाँकि किसी वर्ष में इसकी ठीक उल्टी स्थिति बनती है। यह परिवर्तन दक्षिणी दोलन है । दाब का अन्तर ताहिती और डार्विन के ऊपर की स्थिति से मापा जाता है । यदि यह अंतर नगण्य है तो यह अनुमान लगाया जाता है कि मानसून देर से उठेगा और वर्षा भी औसत से कम होगी। दाब में परिवर्तन की यह दशा महासागर की गर्म धारा एल निनो के कारण बनती है जो पेरु तट की ठंडी धारा का स्थान प्रत्येक दो से लेकर पाँच वर्ष के समयांतराल में लेती है। यह चमत्कार या घटना एल निनो दक्षिणी दोलन या ई० एन० एस० ओ० कहलाती है। यह धारा दिसंबर माह में क्रिसमस के अवसर पर बहती है । यह व्यवस्था भारत में भिन्न-भिन्न वर्षा कराती है। यही कारण है कि हम मासिनराम और चेरापूँजी में भारी वर्षा, पश्चिमी और पूर्वी घाटों की पवनाविमुख ढालों, राजस्थान, गुजरात के कुछ हिस्सों में अल्प वर्षा तथा राजस्थान के थार मरुस्थल में अति अल्प या वर्षा हीनता की स्थिति देखते हैं। मालवाबार तट और तमिलनाडु (कोरोमंडल तट) में शीतकालीन वर्षा होती है।
3. शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर – किसी समय बिन्दु ( एक दिन या एक सप्ताह) तथो स्थान की मौसम दशाओं का अवधारण वहाँ का तापमान, वायुमंडलीय दाब, पवन, आर्द्रता और वृष्टि करती है। मौसम को आमतौर पर ठंडा, गर्म, शांत, तूफानी, मेघाच्छन्न, साफ, गीला या शुष्क कहा जाता है। वस्तुतः वायुमंडल की दशाएँ ही मौसम हैं। ग्रीष्म में गर्म मौसम, शीत ऋतु में ठंडा और तूफानी, वर्षा ऋतु में आर्द्र तथा अक्टूबर-नवंबर एवं मार्च-अप्रैल में सुशीतल मौसम रहता है।
मौसम एक दिन में कई बार बदल सकता है। जुलाई माह में हम एक क्षण में तीव्र उमस और गर्मी महसूस करते हैं और दूसरे ही क्षण अचानक साफ आकाश बादलों से घिर जाता है और तेज पवनों एवं तड़ित की गरज के साथ वर्षा होने लगती है। ऐसी ही आश्चर्यजनक घटना उस समय होती है जब चक्रवाती दाब महानदी, कावेरी, गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टाई क्षेत्रों में विनाशलीला करता है।
शीत ऋतु की विशेषताएँ – 
(क) नवंबर माह के मध्य से आरंभ होकर उत्तरी भारत में यह फरवरी माह तक रहती है। बीच के महीने अर्थात् दिसंबर और जनवरी सर्वाधिक सर्द महीने होते हैं।
(ख) इस अवधि में तापमान दक्षिण में उत्तर की ओर धीरे-धीरे गिरने लगता है। जैसे— चेन्नई में 20° से 25 25°C तथा तथा उत्तर भारत में 100 से 15°C रहता है ।
(ग) दिन में अपेक्षाकृत कम और रात को अधिक ठंड होती है। दिन छोटे और को रातें बढ़ने लगती हैं ।
(घ) इस अवधि (शीत ऋतु) में समूचे देश में भूमि शुष्क रहती है और केवल तमिलनाडु तट (कोरोमंडल तट सहित ) में शीतकालीन भारी वर्षा होती है।
(ङ) तटीय क्षेत्रों में इन दिनों सामान्य तापमान रहता है जबकि उत्तरी भागों में भीषण ठंड पड़ती है। दिसंबर के मध्य में जब दिल्ली के लोग ऊनी कपड़ों से लद जाते हैं तो कोलकाता के लोग कुर्ता पहनकर ही सुबह की सैर का मजा लेते हैं ।
4. भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ । 
उत्तर – मानसून वे पवनें हैं जो समय-समय पर अपनी दिशा पूर्णतया बदल लेती हैं इसी के परिणामस्वरूप ऋतुओं का चक्र चलता है ।
अतः मानसूनी विभिन्नता के आधार पर वर्ष को चार ऋतुओं में बाँटा गया है
(क) शीत ऋतु – दिसंबर से फरवरी ।
(ख) ग्रीष्म ऋतु – मार्च से मई ।
(ग) दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी ऋतु (वर्षा ऋतु) – जून से सितंबर |
(घ) शरद ऋतु या पीछे हटती हुई दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी ऋतु (पीछे हटते मानसून की ऋतु)- अक्टूबर से नवंबर ।
मानसूनी वर्षा की विशेषताएँ-
(क) भारत में पवनविमुख ढालों, वृष्टि छाया क्षेत्रों और थार जैसे मरुस्थली क्षेत्रों को छोड़कर शेष सभी स्थानों में पर्याप्त मानसूनी वर्षा होती है।
(ख) इस ऋतु के आरंभ में पश्चिमी घाटों की पवनाभिमुख ढालें भारी वर्षा प्राप्त करती हैं (अर्थात् 250 सेमी० से अधिक) ।
(ग) वृष्टि छाया क्षेत्र, दक्कनी पठार और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में भी स्वल्प वर्षा होती है।
(घ) देश के उत्तर-पूर्वी भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है। जैसे- मासिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा ।
(ङ) भारत का मानसून विराम लेता है अर्थात् वर्षाहीन अवकाश के साथ रुकता है। वर्षा के स्थानिक वितरण का अवधारण करने वाली मानसूनी द्रोणी के कारण ही ऐसा होता है ।
(च) उष्णकटिबंधीय दाब की बारंबारता और गहनता / तीव्रता के कारण भी मानसूनी वर्षा की मात्रा और दिशा बदलती है।
(छ) उत्तरी मैदानों के ऊपर मानसूनी द्रोणी का बनना वहाँ अक्टूबर-नवम्बर मास में भारी वर्षा का कारण है जबकि इस दौरान सामान्यता शीतकालीन शुष्क मौसम की दशाएँ बनती हैं ।
5. भारत के जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
उत्तर – जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों को मानव द्वारा निर्मित राजनीतिक सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता क्योंकि किसी स्थान की जलवायु अनेक कारकों द्वारा प्रभावित होती है। भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम निम्नांकित हैं
(क) स्थिति- भारत लगभग 8° उत्तर से 37° उत्तर अक्षांशों के बीच स्थित है। कर्क वृत इसे लगभग दो बराबर भागों में विभाजित करता है। इससे दक्षिणी भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आता है, जबकि उत्तरी भाग उपोष्ण कटिबंध में स्थित है।
(ख) ऊँचाई – उत्तर में ऊँची पर्वत श्रृंखला एक प्रभावी जलवायु विभाजक का कार्य करती है। ये मध्य एशिया में उत्पन्न होने वाली ठंडी और बर्फीली पवनों से भारतीय उपमहाद्वीप की रक्षा करती हैं। इन पर्वत श्रृंखलाओं के कारण ही भारत जाड़ों में अपेक्षाकृत गर्म जलवायु का अनुभव करता है ।
(ग) समुद्र से दूरी – प्रायद्वीपीय पठार के त्रिभुजाकार रूप के कारण इसे घेरे हुए महासागर तथा सागरों का समकारी प्रभाव इसके एक बहुत बड़े क्षेत्र पर पड़ता है। उत्तरी मैदान प्रायः महाद्वीपीय स्थिति वाले हैं क्योंकि वे समुद्र से दूर हैं।
(घ) वायुदाब तथा पवनें- भारतीय ऋतु दशाएँ मुख्यतः वायुदाब के वितरण तथा धरातलीय पवनों, ऊपरी वायुमंडल की वायुधाराओं, पश्चिमी विक्षोभों के जाड़े में आगमन तथा दक्षिण-पश्चिम मानसून के समय उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से प्रभावित होती हैं। हिन्द महासागर में केन्द्रित उच्चदाब क्षेत्र से पवनों उत्तर के निम्नदाब के क्षेत्र की ओर चलती हैं। ये हवाएँ समुद्र की ओर से आने के कारण आर्द्र होती हैं और देश के अधिकतर भाग में वर्षण करती हैं।
(ङ) ऊपरी वायुधाराएँ – वायुमंडल ऊपरी भागों में वायुधाराओं का प्रतिरूप बहुत ही भिन्न होता है। ये वायुधाराएँ भारत में वितरित करने में सहायक होते हैं।

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