NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 2 भूवैज्ञानिक संकट (आपदा प्रबंधन)

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NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 2 भूवैज्ञानिक संकट (आपदा प्रबंधन)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

भूवैज्ञानिक संकट

1. भूकंप क्या होता है ?
उत्तर – भू-पर्पटी के किसी भी भाग में होने वाली धीमी या भयंकर कंपन को भूकंप कहा जाता है। इसमें कंपन के साथ-साथ धड़धड़ाहट की आवाज भी आती है।
2. भूकंप के फोकस से क्या अभिप्राय है ? एपीसेन्टर क्या होता है ?
उत्तर – जिस बिंदु से भूकंप की लहरें उत्पन्न होती हैं उसे फोकस कहा जाता है। इस बिंदु से ऊपर के भू-पपर्टी के भाग को एपीसेन्टर कहा जाता है।
3. भूकंप के अत्यधिक खतरे वाले क्षेत्रों के नाम बताएँ ।
उत्तर – अंडमान निकोबार द्वीप समूह, असम, अरुणाचल प्रदेश आदि भूकंप के अत्यधिक खतरे वाले क्षेत्र हैं ।
4. भूकंप के प्रभाव को किस प्रकार कम किया जा सकता है ? 
उत्तर – भूकंप के प्रभाव को कम करने के मुख्य उपाय निम्नांकित हैं
(क) भूकंप के अधिक खतरे वाले क्षेत्रों में विशेष प्रकार की भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण किया जाना चाहिए। लोगों को भूकंपरोधी मकान तथा इमारतें बनाने के लिए सलाह दी जानी चाहिए ।
(ख) स्थिति पर लगातार नजर रखना ।
(ग) अनुमान के बारे में लोगों को सूचित करना । इससे लोगों को क्षेत्रों से बाहर निकालने में सहायता मिलती है।
5. भूकम्प से बचाव के दो उपाय बताएँ ।
उत्तर – (क) भूकंप के झटके के समय घर से बाहर निकल जाना चाहिए ।
(ख) भूकंप वाले क्षेत्रों में भवन, कारखाना आदि का निर्माण भूकंप सहन क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए ।
6. भूस्खलन को बढ़ावा देने वाले कारकों को लिखें। 
उत्तर – भूस्खलन को बढ़ावा देने वाले कारक निम्नांकित हैं –
(क) भूकंप.
(ख) तूफान,
(ग) बाढ़,
(घ) पहाड़ी ढलानों से पेड़ों का काटना,
(ङ) पहाड़ी ढलानों का काटना,
(च) पत्थर निकालने के लिए खुदाई ।
7. भूस्खलन क्या है ?
उत्तर – ढालू भूमि से होकर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विशालाकार भूखंडों का अचानक नीचे की ओर तेजी से खिसकाना या धसकना भूस्खलन कहलाता है।
8. हिमस्खलन क्या है ?
उत्तर – कभी-कभी बर्फ, मिट्टी तथा पत्थर आदि से मिलकर बनी बड़ी-बड़ी चट्टानें वेगपूर्वक नीचे खिसकने लगती हैं इसे हिमस्खलन कहते हैं ।
9. भूस्खलन से कौन प्रभावित होते हैं ?
उत्तर – खड़ी ढाल वाली जगहों, खड़ी पहाड़ियों की तलहटी और घाटी में नीचे की ओर बहने वाली नदियों के मुहाने (स्रोत) पर बसी बस्तियों में रहने वाले लोग भूस्खलन से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं ।
10. भूस्खलन से बचाव के दो उपाय बताएँ ।
उत्तर – (क) मानवीय हस्तक्षेप को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
(ख) पर्वतीय ढालों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए ।
11. कौन-से क्षेत्र हैं जो कि आमतौर पर भूस्खलन संभावित हैं ?
उत्तर – भारत के प्रमुख भूस्खलन प्रवण क्षेत्र इस प्रकार हैं
(क) हिमालय और उसका तराई प्रदेश जहाँ भूस्खलन सबसे अधिक होता है ।
(ख) उत्तर-पूर्वी पहाड़ी भाग में भूस्खलन की संभावना काफी रहती है।
(ग) पश्चिमी घाट तथा नीलगिरि के क्षेत्र मध्यम भूस्खलन के क्षेत्र हैं ।
(घ) पूर्वी घाट और विंध्याचल के क्षेत्र निम्न भूस्खलन की श्रेणी में आते हैं ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

भूवैज्ञानिक संकट

1. भूकंप क्या है ? यह कैसे उत्पन्न होता है ?
उत्तर – पृथ्वी की ऊपरी सतह का अकस्मात काँपना भूकंप कहलाता है जिसका कारण भूगर्भ में होने वाली उथल-पुथल है जिससे पृथ्वी की ऊपरी सतह रूक-रूक कर सिलसिलेवार रूप में काँपती है। भूकंप का उद्गम पृथ्वी की गहराई में स्थित किसी एक बिंदु (प्रायः 100 कि० मी० से कम की गहराई पर) से होता है जिसे भूकंप का उद्गम केन्द्र कहते हैं। उद्गम केंद्र से उर्ध्वावर ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु को जहाँ कंपन महसूस किया जाता है, अभिकेंद्र से जितना दूर होगा, उस बिंदु पर भूकंप की तीव्रता उतनी ही कम होगी । भूकंप का परिमाण या उसकी तीव्रता भूकंपमापी यंत्र द्वारा मापी जाती है। यह यंत्र भूमि की सतह पर होने वाले कंपन को निरंतर माप करता रहता है। रिक्टर पैमाने पर 5 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप हल्का भूकंप कहलाता है, क्योंकि इस प्रकार के भूकंप से प्रायः जान-माल की भरी क्षति होती है।
वैज्ञानिक का मानना है कि भूकंप प्रायः टैक्टॉनिक प्लेट नामक चट्टानों के आपस में टकराने के कारण आता है। इस सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी सतह जिसे भू-पर्पटी कहते हैं, 10 बड़ी विशाल चट्टानी प्लेटों और लगभग 20 छोटी प्लेटों से मिलकर बनी है ।
ये चट्टानी प्लेटें एक अर्ध-द्रवित पिघली हुई चट्टानों की परत पर तैरती हैं। ये प्लेटें तैरने या खिसकने से आपस में टकरा जाती हैं जिसके फलस्वरूप पृथ्वी की सतह पर तरंगों के रूप में कंपन उत्पन्न होता है ।
2. भूकंप का जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – भूकंप जनजीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करते हैं। घनी आबादी वाली बस्तियों में, जहाँ भूकंप रोधी भवनों का निर्माण नहीं किया गया है, वहाँ विनाश अधिक होता है और लोगों की मृत्यु होने अथवा घायल होने की अधिक संभावना होती है। भूकंप में 95% लोग इमारतों के गिरने से मारे जाते हैं। रात को आने वाले भूकंप सर्वाधिक विनाशकारी होते हैं। इसका कारण है कि अधिकतर लोग घरों के अन्दर सो रहे होते हैं और ऐसे में गिरती हुई वस्तुओं से चोट लगने की संभावना अधिक होती है। अधिकेन्द्र के आसपास के क्षेत्र में भूकंप का प्रभाव अधिकतम होता है ।
भूकंप से अन्य प्राकृतिक संकट भी उत्पन्न होते हैं, जैसे भूस्खलन, अग्निकाण्ड तथा विशाल महासागरीय तरंगे आदि ।
3. भूकंप आने पर तुरंत क्या करना चाहिए ?
उत्तर – भूकंप आने पर हमें निम्नांकित बातों पर ध्यान देना चाहिए –
(क) यदि आप किसी ऊँची गगनचुम्बी इमारत में हैं तो तुरन्त बाहरी दीवार से दूर हट जाएँ और झुकें, ढकें, पकड़ें का अभ्यास करें। अपने सिर को भुजाओं से भुजाओं से ढककर सुरक्षित रखें। यदि आपके पास स्कूटर हेलमेट हो तो उसे पहन लें। लिफ्ट का प्रयोग न करें। खिड़कियों से दूर रहें, शीशे टूटने से चोट लग सकती है।
(ख) यदि आप स्टेडियम, थियेटर या आडिटोरियम में हो तो भीतर ही रहें । निकास द्वार की ओर न भागें । अपनी कुर्सी पर भुजाओं से सिर ढककर शांत बैठे रहें। कंपन समाप्त होने पर क्रमबद्ध ढंग से बाहर निकलें, छोटे बच्चों, बुजुर्गों व विकलांगों को पहले बाहर निकलने दें ।
(ग) मेज के नीचे सिर झुकाकर बैठिए, खिड़की, पुस्तक रैक, भारी शीशों, लटकते हुए पौधों, पंखों व अन्य भारी वस्तुओं से दूर रहिए । कंपन रूकने तक मेज के नीचे ही रहें ।
(घ) यदि आप उस समय घर से बाहर हों, तो खुले स्थान पर चले जाएँ, आस-पास पेड़, इमारतें, बिजली के खम्बे व तार नहीं होने चाहिए।
(ङ) यदि आप कार या अन्य वाहन चला रहे हों, तो सड़क के किनारे रूक जाएँ । कार से निकल कर उसकी आढ़ में झुककर बैठ जाएँ । पुल, बिजली की तार के खम्बें, विज्ञापन बोर्ड इत्यादि से दूर रहें। कार के अन्दर न बैठें।
4. भूकंप से कौन अत्यधिक प्रभावित होता है और भूकंप के संभावित खतरे से बचाव के दो उपाय लिखें ।
उत्तर – भूकंप संभावित क्षेत्र में घनी बसी बस्तियाँ, एक ही जगह पर काफी अधिक संख्या में बनी कमजोर इमारतें, घनी आबादी वाले क्षेत्र, मिट्टी या ईंट और घटिया किस्म की भवन-सामग्रियों का उपयोग करके परंपरागत रूप में बनाई गई इमारतें, भारी
छतों और शीर्षों वाली इमारतें जिनकी नींव कमजोर हो, भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित होती हैं ।
भूकंप से बचाव के उपाय –
(क) कमजोर मिट्टी पर मकान बनाते समय डिजाइन में सुरक्षा के उपाय अपनाएँ ।
(ख) अनेक महत्वपूर्ण भवन जैसे कि अस्पताल, स्कूल तथा दमकल केन्द्र ऐसे हो सकते हैं जिनमें भूकंप के लिए सुरक्षा के उपाय न अपनाए गए हों। इन भवनों को समयानुकूल नई तकनीकों का उपयोग करके भूकंपरोधी बनाया जाना चाहिए ।
5. ज्वालामुखी कैसे बनता है ?
उत्तर – ज्वालामुखी पृथ्वी की गहराई में पिघली हुई चट्टान तथा मैग्मा के रूप में बनना शुरू होता है। पृथ्वी की गहराई में चट्टानें अत्यधिक तप्त होकर पिघल जाती है जिससे मैग्मा निर्मित होता है। चट्टानों के पिघलने से बहुत अधिक मात्रा में गैसें निकलती हैं जो मैग्मा में मिश्रित हो जाती हैं। मैग्मा प्रायः पृथ्वी की सतह से 80 से 160 किमी० की गहराई पर निर्मित होता है। गैसयुक्त मैग्मा अपने आस-पास स्थित ठोस चट्टानों से हलका होने के कारण धीरे-धीरे ऊपर उठना शुरू कर देता है और इस पर ठोस चट्टानों के भार के कारण भारी दबाव पड़ता है। मैग्मा के पृथ्वी की सतह के निकट आने पर उसमें निहित गैसें निर्मुक्त हो जाती है तथा दोनों के संयुक्त प्रभाव से पृथ्वी की सतह पर विस्फोट के साथ एक छिद्र बन जाता है जिसे नियंत्रक द्वार कहते हैं ।
6. ज्वालामुखी विस्फोट किस कारण से होता है ?
उत्तर – पृथ्वी की गहराई में स्थित पिघली हुई चट्टानें, जिन्हें मैग्मा कहा जाता है, पृथ्वी की ऊपरी सतह की ओर बढ़ती है तथा भू-पपर्टी के कमजोर स्थानों पर एक छिद्र बनाती है। इस छिद्र से पृथ्वी की सतह के नीचे की पिघली चट्टानें विस्फोट के साथ बाहर निकलती है, जिसे ज्वालामुखी विस्फोट कहा जाता है।
7. ज्वालामुखी विस्फोट से होने वाली जान-माल की व्यापक हानि से किस प्रकार बचा जा सकता है ?
उत्तर – ज्वालामुखी फूटने के बाद आस-पास के क्षेत्र में जान-माल की हानि रोकने के लिए कुछ भी कर पाना संभव नहीं होता। किंतु यदि उस क्षेत्र विशेष से लोगों को हटा दिया जाए तो इससे बहुत से लोगों की प्राणरक्षा की जा सकती है। दुर्भाग्यवश अधिकांश मामलों में ज्वालामुखी विस्फोटों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। कुछ प्रकार के ज्वालामुखी विस्फोटों की अप्रत्यक्ष चेतावनी मिलती है। कभी-कभी मैग्मा, गैस और भाप के विशाल दाब के कारण पृथ्वी की सतह पर छोटे से क्षेत्र में एक उभार बनता है। इस प्रकार के उभारों और बाद में हुए विस्फोटों से प्रभावित हो सकने वाले क्षेत्रों को दर्शाते हुए मानचित्र तैयार किए गए है। इस प्रकार के मानचित्र और चेतावनी प्रणालियाँ किसी स्थान विशेष को समय से खाली कर देने के संबंध में पूर्व निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होती है।
8. भूस्खलन के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर – भूस्खलन के कारण निम्नांकित हैं
(क) भूस्खलन की संभावना तेज वर्षा के दौरान अधिक होता है।
(ख) चट्टानें टूट जाती हैं और अपने साथ मलबा तथा मिट्टी को ले जाती हैं। इस क्रिया को सोलिफ्लक्शन कहते हैं। चट्टानों के ऊपर स्थित भार तथा उनके
नीचे पानी जैसे पदार्थों की उपस्थिति भूस्खलन का प्रमुख कारण है।
(ग) समुद्री किनारों के पास समुद्री तरंगों द्वारा ढलवाँ चट्टानों के आधार को काट दिया जाता है जिससे वे टूटकर गिर जाती हैं। घटनाएँ कर्नाटक के कोनारा तट पर सामान्य रूप से देखी जा सकती हैं।
(घ) पौधों का काटा जाना भी मृदा अपरदन तथा ढलानों को कमजोर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ङ) भूकंप तथ ज्वालामुखी भूस्खलन के अन्य कारक हैं। ये सामान्यतः तलछट चट्टानों तथा तीव्र ढलानों पर उत्पन्न होते हैं।
9. भूस्खलन के प्रभावों को कम करने के लिए किए जाने वाले मुख्य उपायों का वर्णन करें।
उत्तर – भूस्खलन को कम करने के लिए किए जाने वाले मुख्य उपाय –
(क) संकट का मानचित्र तैयार करना- जिन क्षेत्रों में भूस्खलन हुआ है, उनका मानचित्र तैयार किया जाना चाहिए। इन मानचित्रों से लोगों को मानव बस्तियाँ बसाने के लिए इन क्षेत्रों से दूर रहने का सुझाव मिलेगा।
(ख) वनस्पतियों से विहीन हो चुके ऊपरी निरावृत ढालू तल पर फिर से वनारोपण किया जाना चाहिए।
(ग) मिट्टी को धसकने और नीचे की सड़क को अवरुद्ध कर देने से रोकने के लिए प्रतिधारक दीवारें निर्मित की जानी चाहिए।
(घ) पृष्ठीय अपवाह को नियंत्रित किया जाना चाहिए ताकि वर्षा का जल भूमि के नीचे जाकर भूस्खलन में सहायक सिद्ध न हो ।
(ङ) भूमिगत बिछाई गई पाइप, केबल आदि लोचदार होने चाहिए ताकि भूस्खलन के कारण उत्पन्न बल को प्रतिरोधित करने में सक्षम हो सके।
(च) मिट्टी के ऊपरी संस्तर को निचले संस्तर से बाँधे रखने के लिए अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए ।

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