NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)

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NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

1. निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता। ऐसी राजशाही सरकारों को निरंकुश सरकार कहा जाता है जो अत्यंत केन्द्रीकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती थीं।
2. कल्पनादर्श (यूटोपिया) क्या है ?
उत्तर – एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदर्श है कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता है।
3. राष्ट्र क्या है ?
उत्तर – अर्न्स्ट रेनन के अनुसार, राष्ट्र समान भाषा, नस्ल, धर्म या क्षेत्र से बनता है। एक राष्ट्र लंबे प्रयासों, त्याग और निष्ठा का चरम बिंदु होता है।
4. जनमत संग्रह से क्या समझते हैं ?
उत्तर – एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके जरिए एक क्षेत्र के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है।
5. राष्ट्र राज्य क्या है ?
उत्तर – राष्ट्र-राज्य में एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र उन लोगों का गृह क्षेत्र बन जाता है, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भाषायी तथा धार्मिक आधार पर एक समुदाय के रूप में एकजुट होते हैं, तथा राजनैतिक आधार पर प्रशासित होते हैं ।
6. राष्ट्रवाद से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर – राष्ट्रवाद उन्हीं लोगों को भाता है, जो अपने लिए एक स्थायी महत्त्वपूर्ण स्थान की बदलते हुए समाज में बनाने की इच्छा रखते हैं।
7. उदारवाद से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – उदारवाद शब्द लातीन भाषा के ‘Liber’ शब्द से निकला है जिसका अर्थ है ‘आजाद’ । इस प्रकार उदारवाद का अर्थ हुआ, व्यक्ति के लिए आजादी, कानून के समक्ष सबकी बराबरी, निरंकुश शासक और पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति तथा संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार की
स्थापना ।
8. रूढ़िवादी कौन थे ?
उत्तर – उदारवादियों के विपरीत रूढ़िवादी वे लोग थे जो यह मानते थे कि राज्य और समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाएँ, जैसे राजतन्त्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, सम्पत्ति और परिवार को बनाए रखना चाहिए ।
9. जॉलवेराइन नामक शुल्क संघ क्या था और इसकी स्थापना क्यों की गई ? 
उत्तर – जॉलवेराइन नामक शुल्क संघ की स्थापना प्रशिया के अनुरोध पर 1834 ई० को हुई जिसमें लगभग सभी जर्मन राज्य शामिल हुए। इस संघ ने बहुत से शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या 30 से घटाकर 2 कर दी। 10
10. मताधिकार किसे कहते हैं ?
उत्तर – वोट देने के अधिकार को मताधिकार कहा जाता है।
11. “जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है। – यह कथन किसका है ?
उत्तर – मैटरनिख ।
12. ‘नारीवाद’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – ‘नारीवाद’ एक ऐसा दर्शन है जो स्त्री-पुरुष की सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है। इस दर्शन का उदय 18 वीं सदी में जर्मनी में हुआ जहाँ महिलाओं को एक लंबे समय से राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था ।
13. विचारधारा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – एक खास प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टि को इंगित करने वाले विचारों का समूह विचारधारा कहलाता है।
14. नृजातीय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – एक साझा नस्ली, जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम अथवा पृष्ठभूमि जिसे कोई समुदाय अपनी पहचान मानता है।
15. जर्मनी के एकीकरण के मुख्य निर्माता कौन-कौन थे ?
उत्तर – (क) प्रशिया का शासक विलियम प्रथम |
(ख) प्रशिया का चांसलर बिस्मार्क ।
16. इटली के एकीकरण के मुख्य कर्णधार कौन-कौन थे ?
उत्तर – (क) इटली के मेजिनी, कावूर और गैरीबाल्डी जैसे महान क्रांतिकारी और विचारक।
(ख) सार्डीनिया का शासक विक्टर इमेनुयल द्वितीय ।
17. ‘रूपक’ से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – जब किसी अमूर्त विचार (जैसे- स्वतन्त्रता, मुक्ति, ईर्ष्या, लालच आदि) को किसी व्यक्ति या किसी चीज द्वारा इंगित किया जाता है तो उसे रूपक कहा जाता है ।
18. जर्मेनिया से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर – जैसे फ्रांस में मेरियन एक नारी- रूपक था जिसे स्वतंत्रता और गणतंत्र का राष्ट्रीय प्रतीक माना जाता था उसी प्रकार जर्मेनिया भी एक नारी- रूपक था जिसे जर्मनी में राष्ट्र का प्रतीक माना जाता था । जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक माना जाता है ।
19. मारीआन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – मारीआन एक नारी- रूपक है जिसे फ्रांस में स्वतन्त्रता और गणतन्त्र का प्रतीक माना गया है। मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों पर लगाई गईं ताकि जनता को राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती
रहे ।
20. काउंट कैमिलो दे कावूर कौन था ?
उत्तर – काउंट कैमिलो दे कावूर इटली के सार्डीनिया-पीडमॉण्ट राज्य का मंत्री प्रमुख था । उसने इटली के प्रदेशों को स्वीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया।
21. फ्रांस की क्रांति की मुख्य देन क्या है ?
उत्तर – फ्रांस की क्रांति (1789-1815) के द्वारा प्रभुसत्ता राजतंत्र से निकल कर फ्रांसीसी नागरिकों के हाथ में आ गई । इस क्रांति ने यह घोषणा की कि अब लोगों द्वारा राष्ट्र का गठन होगा और वे ही उसकी नीतियाँ तय करेंगे ।
22. 1815 की वियना संधि के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर – 1815 की वियना संधि के उद्देश्य –
(i) नेपोलियाई युद्धों के दौरान हुए बदलावों को खत्म करना।
(ii) बूर्बो वंश को सत्ता में पुनः बहाल करना ।
23. 1830 की क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – 1830 की क्रांति के परिणामस्वरूप बूब राजा जिन्हें 1815 के बाद हुई रूढ़िवादी प्रतिक्रिया के दौरान सत्ता पर बहाल किया गया था, उन्हें क्रांतिकारियों ने उखाड़ फेंका। उनके स्थान पर अब संवैधानिक राजतन्त्र स्थापित हुए। फ्रांस में सत्ता लुई फिलिप को सौंपी गई।
24. 1848 की क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – 1848 की क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस के शासक लुई फिलिप को गद्दी छोड़नी पड़ी और वहाँ एक गणतन्त्र की घोषणा की गई जो सभी पुरुषों के सार्विक मताधिकार पर आधारित था ।
25. बिस्मार्क का परिचय दें। उसकी जर्मनी के एकीकरण में क्या भूमिका थी ? 
उत्तर – बिस्मार्क – बिस्मार्क जर्मनी का एक महान नेता था। उसने जर्मनी के एकीकरण के लिए बहुत अधिक प्रयत्न किए । एकीकरण के लिए उसके द्वारा अपनाई गई नीति ‘रक्त और लौह’ की नीति के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध है।
26. रुसो का परिचय दें और बताएँ कि फ्रांस की क्रांति में उसकी क्या भूमिका थी ? 
उत्तर – रुसो- रुसो एक महान विचारक था जिसका प्रभाव फ्रांस की जनता पर अन्य लेखकों तथा विचारकों की तुलना में सबसे अधिक पड़ा । उसकी पुस्तक ‘सामाजिक समझौता’ द्वारा लोगों की क्रांति के लिए प्रेरित करने वाले विचार मिले। उसने लोगों के सामने ऐसे समाज की स्थापना का विचार रखा जिसमें उन्हें स्वतंत्रता, समानता और न्याय की प्राप्ति की आशा थी। उसके इन नवीन विचारों ने क्रांतिकारी विस्फोट को जन्म दिया ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

1. ज्युसेपी मेत्सिनी पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – इटली का क्रांतिकारी ज्युसेपी मेत्सिनी का जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था। वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। चौबीस साल की युवावस्था में लिगुरिया में क्रांति करने के लिए उसे बहिष्कृत कर दिया गया। तत्पश्चात उसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। पहला था मार्सेई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे । मेत्सिनी को विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी । अतः इटली छोटे राज्यों और प्रदेशों के पैबंदों की तरह नहीं रह सकता था । उसे जोड़ कर राष्ट्रों के व्यापक गठबंधन के अंदर एकीकृत गणतंत्र बनाना ही था । यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। उसके इस मॉडल की देखा-देखी जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और पोलैंड में गुप्त संगठन कायम किए गए। मेत्सिनी द्वारा राजतंत्र का घोर विरोध करके और प्रजातांत्रिक गणतंत्रों के अपने स्वप्न से मेत्सिनी ने रूढ़िवादियों को हरा दिया। मैटरनिख ने उसे ‘हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन’ बताया ।
2. काउंट कैमिलो दे कावूर पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – मंत्री प्रमुख कावूर, जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया, न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला। इतालवी अभिजात वर्ग के तमाम अमीर और शिक्षित सदस्यों की तरह वह इतालवी भाषा से कहीं बेहतर फ्रेंच बोलता था । फ्रांस में सार्डिनिया-पीडमॉण्ट की एक चतुर कूटनीतिक संधि, जिसके पीछे कावूर का हाथ था, से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट 1859 में ऑस्ट्रियाई बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ । नियमित सैनिकों के अलावा ज्युसेपे गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्र स्वयंसेवकों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया । 1860 में वे दक्षिण इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश कर गए और स्पेनी शासकों को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन पाने में सफल रहे। 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया । मगर, इटली के अधिकांश निवासी जिनमें निरक्षरता की दर काफी ऊँची थी, अभी भी उदारवादी-राष्ट्रवादी विचारधारा से अनजान थे । दक्षिणी इटली में जिन आम किसानों ने गैरीबॉल्डी को समर्थन दिया था, उन्होंने इटालिया के बारे में कभी सुना ही नहीं था और वे मानते थे कि ला टालिया विक्टर इमेनुएल की पत्नी थी ।
3. यूनानी स्वतंत्रता युद्ध पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – एक घटना जिसने पूरे यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया, वह थी यूनान का स्वतंत्रता संग्राम पंद्रहवीं सदी में यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष 1821 में आरंभ हो गया। यूनान में राष्ट्रवादियों को निर्वासन में रह रहे यूनानियों के साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी समर्थन मिला जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालना बता कर प्रशंसा की और एक मुस्लिम साम्राज्य के विरूद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। अंग्रेज कवि लॉर्ड बायरन ने धन इकट्ठा किया और बाद में युद्ध में लड़ने भी गए जहाँ 1824 में बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। अंततः 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी ।
4. राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – यूरोप के लगभग सभी राज्यों- फ्रांस, जर्मनी, इटली, आस्ट्रिया-हंगरी में महिलाओं ने राष्ट्रीय आन्दोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने देश के एकीकरण, प्रजातन्त्रीय संघर्षों एवं संवैधानिक प्रयत्नों में पूर्ण सहयोग दिया। महिलाओं ने अपने अलग राजनीतिक संगठनों का निर्माण किया और देश में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों और विरोध सभाओं और जुलूसों में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की ।
फिर भी महिलाओं को वोट के अधिकार से काफी समय तक वंचित रखा गया। वास्तव में महिलाओं को अधिकार दिए जाने के पक्ष में उदारवादी लोग भी नहीं थे।
उदारवादी राजनीतिक कार्ल वेल्कर के शब्द, जो स्वयं फ्रैंकफर्ट संसद के एक निर्वाचित सदस्य थे, पुरुषों और महिलाओं में पायी जाने वाली असमानता की प्रकृति को कैसे स्पष्ट करते हैं –
“प्रकृति ने पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग कार्य करने के लिए निर्मित किया है। जो पुरुष ज्यादा ताकतवर है, दोनों में से ज्यादा निर्भीक और मुक्त है उसे परिवार का रखवाला और भरण-पोषण करने वाला बनाया गया है और कानून, उत्पादन और प्रतिरक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यों के लिए है। महिला जो कमजोर, निर्भर और दब्बू है, उसे पुरुष की सुरक्षा की आवश्यकता है। उसका क्षेत्र घर, बच्चों की देखभाल और परिवार का पालन-पोषण है…. ।
5. फ्रैंकफर्ट संसद पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – जर्मन इलाकों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिल कर एक सर्व-जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला लिया । 18 मई 1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जा कर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया । यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई । उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीख विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की तो उसने उसे अस्वीकार कर उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। जहाँ कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ गया, वहीं संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया। संसद में मध्य वर्गों का प्रभाव अधिक था जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया जिससे वे उनका समर्थन खो बैठे। अंत में सैनिकों को बुलाया गया और एसेंबली भंग होने पर मजबूर हुई ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

1. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए ?
उत्तर – फ्रांस की क्रांति 1789 ई० में शुरू हुई । शीघ्र ही लोगों ने राजा और रानी से छुटकारा पाकर सत्ता की सारी बागडोर अपने हाथ में ले ली। फिर उन्होंने लोगों में एकता और संगठन बनाए रखने के लिए अनेक कदम उठाए जिनमें निम्नांकित प्रमुख हैं –
(क) सबसे पहले पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया ।
(ख) एक नया फ्रांसीसी झंडा – तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राज्यध्वज की जगह ले ली ।
(ग) सक्रिय नागरिकों द्वारा चुनी गई एक सभा का गठन किया गया जिसका नाम नेशनल एसेंबली रखा गया ।
(घ) राष्ट्र के नाम पर नई स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गईं और शहीदों का गुणगान हुआ ।
(ङ) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए ।
(च) आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और नाप-तौल की एक समान व्यवस्था लागू की गई ।
(छ) अलग-अलग बोलियों के स्थान पर पेरिस में बोली जाने वाली फ्रेंच भाषा को प्रोत्साहित किया गया ।
2. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था ?
उत्तर – फ्रांस की क्रांति के दिनों में कलाकारों ने नारी- रूपकों का प्रयोग अमूर्त विचारों (स्वतंत्रता, मुक्ति, ईर्ष्या, लालच आदि) को प्रकट करने के लिए किया । कुछ कलाकारों ने इन महिला – रूपकों का प्रयोग एकता के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में किया ।
फ्रांस में राष्ट्र के प्रतीक के रूप में लोकप्रिय ईसाई नाम मेरिएन दिया गया। उसे लाल टोपी, तिरंगा और कलगी के साथ दिखाया गया और उसकी प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों पर लगाई गई ताकि लोगों को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे ।
इसी प्रकार जर्मनी में, जर्मन राष्ट्र के प्रतीक के रूप में जर्मेनिया को रूपक माना गया। उसे बलूत वृक्ष के पत्तों के मुकुट से सजाया गया क्योंकि जर्मनी में बलूत को वीरता का प्रतीक माना जाता है।
3. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
उत्तर – राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यवर्गीय जर्मन लोगों में काफी व्याप्त थीं और उन्होंने 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़ कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया था। मगर राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही पर फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी। उनका प्रशा के बड़े भूस्वामियों ने भी समर्थन किया। उसके पश्चात् प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व संभाल लिया। उसका मंत्री प्रमुख, ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली। सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा को जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। जनवरी 1871 में, वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।
18 जनवरी, 1871 की सुबह बेहद ठंडी थी । जर्मन राज्यों के राजकुमारों, सेना के प्रतिनिधियों और मंत्री प्रमुख ऑटो वॉन बिस्मार्क समेत प्रशा के महत्त्वपूर्ण मंत्रियों का एक सभा की बैठक वर्साय के महल के बेहद ठंडे शीशमहल (हॉल ऑफ मिरर्स) में हुई। सभा ने प्रशा के काइजर विलियम प्रथम के नेतृत्व में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की।
4. इटली एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षिप्त में वर्णन करें।
उत्तर – इटली एकीकरण की प्रक्रिया –
(क) इटली अनेक वंशानुगत राज्यों तथा बहु – राष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था ।
(ख) युद्ध के जरिये इतालवी राज्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर थी।
(ग) मंत्री प्रमुख कावूर, जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया।
(घ) कावूर ने फ्रांस से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट की एक चतुर कूटनीतिक संधि की । फ्रांस की मदद से 1859 में ऑस्ट्रियाई बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ ।
(ङ) ज्युसेपे गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्र स्वयं सेवकों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया।
(च) 1860 में वे दक्षिण इटली और दो सिसिलियों के राज्य पर कब्जा जमाया। अन्त में स्पेनी शासक को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन पाने में सफल रहे ।
(छ) इस प्रकार इटली एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई और 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया ।
5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए ?
उत्तर – फ्रांस की क्रांति के समय (1789-1815) जहाँ कही भी फ्रांसीसी सेनाएँ गईं उन्होंने राष्ट्रवाद की विचारधारा को अवश्य फैलाया अपने साम्राज्य के इस विस्तृत क्षेत्र जिसमें हालैंड, बेल्जियम, स्विटजरलैंड, इटली और जर्मनी आदि सम्मिलित थे, नेपोलियन ने अनेक प्रशासनिक सुधार किए जो वह पहले अपने देश फ्रांस में कर चुका था। ये सब कुछ उसने प्रशासन व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने और उसमें कुशलता लाने के लिए किया । उसका यह सुधार 1804 के सिविल कोड के नाम से प्रसिद्ध है। कई इतिहासकार इस कानून-संहिता को नेपोलियन कोड के नाम से भी पुकारते हैं ।
नेपोलियन द्वारा किए गए प्रमुख प्रशासनिक सुधार निम्नांकित हैं –
(क) जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए और कानून के सामने सबकी बराबरी के नियम को लागू किया गया।
(ख) सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया गया।
(ग) प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया गया, सामंती व्यवस्था को खत्म किया गया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई गई।
(घ) शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी-संघों के विभिन्न नियंत्रणों को समाप्त कर दिया गया।
(ङ) यातायात और संचार व्यवस्था में सुधार किया गया ।
(च) किसानों, मजदूरों, कारीगरों और नए उद्योगपतियों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतन्त्रता प्रदान की गई।
(छ) मानक नापतौल के पैमाने चलाए गए और एक राष्ट्रीय मुद्रा चलाई गई ।
(ज) एक इलाके से दूसरे इलाके में वस्तुओं और पूँजी के आवागमन में सहूलियतें दी गई।
6. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया ? 
उत्तर – 1848 में जब अनेक यूरोपीय देशों में गरीबों, बेरोजगारों और भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे तब उसके समानांतर पढ़े-लिखे मध्यवर्गों की एक क्रांति भी हो रही थी। फरवरी 1848 की घटनाओं से राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी थी और एक गणतंत्र की घोषणा की गई जो सभी पुरुषों के सार्विक मताधिकार पर आधारित था । यूरोप के अन्य भागों में जहाँ अभी तक स्वतंत्र राष्ट्र राज्य अस्तित्व में नहीं आए थे, जैसे- जर्मनी, इटली पोलैंड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य वहाँ के उदारवादी मध्य वर्गों के स्त्री पुरुषों ने संविधानवाद की माँगों को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया। उन्होंने बढ़ते जन असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया । यह राष्ट्र राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आजादी जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित था ।
7. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
उत्तर – राष्ट्रवाद के विकास में जितना योगदान युद्धों और क्षेत्रीय विकास का रहा है उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका संस्कृति की भी रही है। कला, काव्य, किस्से-कहानियों और संगीत आदि ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रोत्साहित करने में अपना बड़ा सहयोग दिया।
राष्ट्रवाद के उत्थान में संस्कृति का क्या हाथ रहा इसका पहला उदाहरण हमें कैरोल कर्पिस्की के सांस्कृतिक प्रयत्नों में मिलता है जिसने अपने आपेरा और संगीत में अपने देश पोलैंड का गुनगान किया और पोलेनेस और माजुरका जैसे लोकनृत्य को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया यह ऐसे महान कलाकारों के सांस्कृतिक प्रयासों का ही फल था कि पोलैंड रूस, प्रशिया और आस्ट्रिया जैसी महान शक्तियों के चंगुल से निकलकर स्वतंत्र हो सका।
राष्ट्रवाद में संस्कृति के प्रभाव का दूसरा उदाहरण फ्रांसीसी चित्रकार देलाक्रोवा द्वारा उपस्थित किया गया। उसने अपने चित्र ‘मसेकर एट किआस’ में यह दर्शाने का प्रयत्न किया कि किस प्रकार किआस के द्वीप पर तुर्कों ने कोई 20,000 यूनानियों का वध कर डाला । इस चित्र द्वारा उस चित्रकार ने लोगों की भावनाओं को उभार कर यूनानियों के संघर्ष के प्रति लोगों में सहानुभूति जगाने का प्रयत्न किया ।
संस्कृति की राष्ट्रवाद के उत्थान में कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है, इसका तीसरा उदाहरण दो जर्मन भाइयों- जैकबग्रिम और विल्हेलम ग्रिम ने प्रस्तुत किया। उन्होंने 1812 ई० में अपनी लोककथाओं का पहला संग्रह प्रकाशित किया । इन कहानियों में उन्होंने फ्रांस के वर्चस्व को जर्मन संस्कृति के लिए बड़ा खतरा बताया और इस प्रकार एक जर्मन राष्ट्रीय पहचान बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भमिका अदा की।
8. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए ।
उत्तर – 19 वीं शताब्दी में यूरोप में अनेक देशों में राष्ट्रीयता की भावनाएँ पनपने लगीं और देखते ही देखते वहाँ अनेक राष्ट्र राज्यों का जन्म हुआ। ऐसे दो देशों का विवरण निम्नांकित है जहाँ राष्ट्रीयता का विकास हुआ –
बेल्जियम – 1814 ई० की बिआना कांग्रेस ने बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया था परन्तु बेल्जियम के निवासी कट्टर कैथोलिक थे तथा हॉलैंड वाले कट्टर प्रोटैस्टेंट थे। हॉलैंड का शासक केवल हॉलैंड वालों को ही उच्च पद देता था तथा उसने सब विद्यालयों में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा की आज्ञा दे दी थी । 1830 ई० में बेल्जियम वालों ने विद्रोह कर दिया। इंगलैंड ने विद्रोहियों का साथ दिया अतएव हॉलैंड को बेल्जियम छोड़ना पड़ा। 1830 ई० में ही बेल्जियम ने इंगलैंड जैसा संविधान अपने यहाँ लागू कर दिया ।
पोलैंड – विआना की कांग्रेस ने पोलैंड का बहुत-सा भाग रूस को दे दिया था । धीरे-धीरे वहाँ के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगने लगी तथा 1848 ई० में पोलैंड में वारसा के स्थान पर क्रांति आरम्भ हुई। रूसी सेनाओं ने इस विद्रोह को बड़ी कठोरता के साथ दबा दिया। विद्रोहियों को यह आशा थी कि उन्हें पश्चिमी यूरोपीय देशों की सहायता प्राप्त होगी, परन्तु ये देश रूस से दुश्मनी मोल लेने को तैयार न थे अतएव विद्रोहियों ने दुबारा विद्रोह करने का साहस न किया।
9. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था ? 
उत्तर – ब्रितानी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगों- अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान जातीय थी। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थीं। लेकिन जैसे-जैसे आंग्ल राष्ट्र की धन-दौलत, अहमियत और सत्ता में वृद्धि हुई वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने में सफल हुआ। एक लंबे टकराव और संघर्ष के बाद आंग्ल संसद ने 1688 में राजतंत्र से ताकत छीन ली थी। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ जिसके केंद्र में इंग्लैंड था। इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच ऐक्ट ऑफ यूनियन (1707) से ‘यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ। इससे इंग्लैंड, व्यवहार में स्कॉटलैंड पर अपना प्रभुत्व जमा पाया। इसके बाद ब्रितानी संसद में आंग्ल सदस्यों का दबदबा रहा । एक ब्रितानी पहचान के विकास का अर्थ यह हुआ कि स्कॉटलैंड की खास संस्कृति और राजनीतिक संस्थानों को योजनाबद्ध तरीके से दबाया गया। स्कॉटिश हाइलैंड्स के निवासी जिन कैथोलिक कुलों ने जब भी अपनी आजादी को व्यक्त करने का प्रयास किया उन्हें जबरदस्त दमन का सामना करना पड़ा। स्कॉटिश हाइलैंड्स के लोगों को अपनी गेलिक भाषा बोलने या अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने की मनाही थी । उनमें से बहुत सारे लोगों को अपना वतन छोड़ने पर मजबूर किया गया ।
10. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?
उत्तर – काला सागर और एट्रियाटिक सागर के मध्य स्थित आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, बोस्निया हर्जेगोविना, सर्बिया आदि के राज्य बाल्कन राज्यों के नाम से जाने जाते थे। बहुत समय तक ये बाल्कन राज्य टर्की और अनेक यूरोपीय शक्तियों के बीच संघर्ष का केन्द्र बने रहे। इन राज्यों में राष्ट्रीय तनाव पैदा होने के अनेक कारण थे
(क) बाल्कन राज्यों के बहुत से नागरिक ईसाई थे परन्तु टर्की के मुसलमान जिनके अधीन ये देश थे, उनपर मनमाने प्रकार के अत्याचार करते थे ।
(ख) 19 वीं शताब्दी में टर्की का साम्राज्य काफी शिथिल हो गया था और उसे यूरोप का बीमार कहा जाने लगा था । इसलिए टर्की की इस कमजोरी ने बाल्कन राज्यों के लोगों को टर्की के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित किया ।
(ग) फ्रांस की क्रांति और नेपोलियन के युद्धों ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया जिसके प्रभाव में बाल्कन राज्यों के लोगों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष छेड़ दिया ।
(घ) बाल्कन क्षेत्र में यूरोप के अनेक देश अपना-अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने वहाँ की समस्या को और भी उलझनपूर्ण बना दिया। रूस,
इंग्लैंड और आस्ट्रिया-हंगरी के आपसी स्वार्थो ने बाल्कन क्षेत्र में त वातावरण तैयार कर दिया ।
ऐसे में उस क्षेत्र में संघर्ष कभी भी शुरू हो सकता
था ।
11. स्त्रियों के लिए स्वतंत्रता और समानता की भावनाओं को कैसे परिभाषित किया गया ? 
उत्तर-“प्रकृति ने पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग कार्य करने के लिए निर्मित किया है….. पुरुष जो ज्यादा ताकतवर है, दोनों में से ज्यादा निर्भीक और मुक्त है उसे परिवार का रखवाला और भरण-पोषण करने वाला बनाया गया है और वह कानून, उत्पादन तथा प्रतिरक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यों के लिए है। महिला जो कमजोर, निर्भर और दब्बू है, उसे पुरुष की सुरक्षा की आवश्यकता है। उसका क्षेत्र घर, बच्चों की देखभाल और परिवार का पालन-पोषण है….।”
क्या हमें कोई और प्रमाण चाहिए कि इन भेदों के बाद, लिंगों में बराबरी केवल परिवार के मेल-मिलाप और गरिमा को खतरे में डाल देगी ?
लुइजे ऑटो-पीटर्स (1819-95) एक राजनैतिक कार्यकर्ता थी जिसने महिलाओं की पत्रिका और तत्पश्चात एक नारीवादी राजनीतिक संगठन की स्थापना की। उसके अखबार (21 अप्रैल 1849) के प्रथम अंक में निम्नांकित संपादकीय छपा- आइए हम यह पूछें कि कितने पुरुष जो स्वतंत्रता के लिए जीने-मरने के विचारों से ओत-प्रोत हैं, सभी लोगों, सभी इन्सानों की आजादी के लिए तैयार होंगे जब उनसे यह प्रश्न पूछा जाएगा, वे बड़ी आसानी से जवाब देंगे। “हाँ!” हालाँकि उनके अथक प्रयास केवल आधी मानवजाति के फायदे के लिए है यानी पुरुष । मगर स्वतंत्रता तो अविभाज्य है । अतः स्वतंत्र पुरुषों को परतंत्रता से घिरे रहना मंजूर नहीं होना चाहिए….. ।

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