NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (भूगोल – समकालीन भारत -2)

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (भूगोल – समकालीन भारत -2)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

1. खनिज कहाँ पाए जाते है ?
उत्तर – खनिज अयस्कों में पाए जाते है ।
2. कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है ?
उत्तर – कोयला
3. झारखण्ड में स्थित कोडरमा किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है ?
उत्तर – अभ्रक
4. कौन-सी चट्टान खनिजों के निक्षेपण और संचयन से निर्मित होता है ? 
उत्तर – आग्नेय चट्टानें
5. मोनाजाइट रेत में कौन-सा खनिज पाया जाता है ?
उत्तर – थोरियम
6. धात्विक और अधात्विक खनिजों के चार-चार उदाहरण दें। 
उत्तर – धात्विक खनिज- लौह अयस्क, ताँबा, सोना, बॉक्साइट आदि ।
अधात्विक खनिज- कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक, पोटाश आदि ।
7. भारत के चार महत्त्वपूर्ण लौह अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम बताएँ |
उत्तर – भारत के चार महत्त्वपूर्ण लौह-अयस्क उत्पादक राज्य –
(क) झारखंड, (ख) छत्तीसगढ़, (ग) उड़ीसा और (घ) गोवा ।
8. भारत के चार महत्त्वपूर्ण मैंगनीज अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम बताएँ। 
उत्तर – भारत के चार महत्त्वपूर्ण मैंगनीज अयस्क उत्पादक राज्य –
(क) महाराष्ट्र, (ख) मध्य प्रदेश, (ग) उड़ीसा और (घ) आंध्रप्रदेश ।
9. भारत के चार बॉक्साइट उत्पादक राज्यों के नाम बताएँ । 
उत्तर – भारत के चार बॉक्साइट उत्पादक राज्य –
(क) झारखंड, (ख) उड़ीसा, (ग) गुजरात और (घ) महाराष्ट्र।
10. भारत के चार प्रसिद्ध अभ्रक उत्पादक राज्यों के नाम बताएँ । 
उत्तर – भारत के चार महत्त्वपूर्ण प्रसिद्ध अभ्रक उत्पादक राज्य–
(क) झारखंड, (ख) बिहार, (ग) आंध्र प्रदेश और (घ) राजस्थान ।
11. भारत के तीन सबसे महत्त्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्यों के नाम बताएँ। 
उत्तर – भारत के तीन सबसे महत्त्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्य–
(क) झारखंड, (ख) पश्चिम बंगाल और (ग) छत्तीसगढ़ ।
12 भारत में चार राज्यों के नाम लिखें जहाँ चूना पत्थर पाया जाता है ? 
उत्तर – भारत में चार राज्यों के नाम जहाँ चूना पत्थर पाया जाता है—
(क) मध्य प्रदेश,ॠख) छत्तीसगढ़, (ग) राजस्थान और (घ) कर्नाटक ।
13. वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत क्या है ?
उत्तर – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम, जल विद्युत वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत है।
14. परंपरागत ऊर्जा के स्रोत क्या है ?
उत्तर – कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत, प्राकृतिक गैस, परमाणु शक्ति परंपरागत ऊर्जा के स्रोत है।
15. गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत क्या है ?
उत्तर – गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत, ऊर्जा के असमाप्य साधन हैं। जैसे- सौर ऊर्जा, पवन, तरंगें, तथा भू-तापीय ऊर्जा।
16. भू-तापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर – पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उम्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं ।
17. गैर वाणिज्यिक ऊर्जा के छः स्रोतों के नाम बताएँ । 
उत्तर – गैर वाणिज्यक ऊर्जा के छः स्रोत –
(क) पवन ऊर्जा,
(ख) सौर ऊर्जा,
(ग) ज्वारीय ऊर्जा,
(घ) गोबर गैस,
(ङ) कचरे से निर्मित ऊर्जा,
(च) भू-तापीय ऊर्जा ।
18. भारत के तीन पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्रों के नाम बताएँ । 
उत्तर – भारत के तीन पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र –
(क) अरब सागर में स्थित बॉम्बे हाई क्षेत्र,
(ख) गुजरात में अंकलेश्वर,
(ग) असम के नाहर कटिया क्षेत्र |
19. मैंगनीज अयस्क के कोई चार उपयोगों का उल्लेख करें।.
उत्तर – मैंगनीज का उपयोग लोहा और इस्पात तथा मिश्र धातु बनाने में किया जाता है इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशकों, रंग-रोगन और बैटरी बनाने में किया जाता है।
20. वे कौन से दो राज्य हैं जिनमें कोयले के सबसे बड़े भण्डार या निक्षेप हैं ? 
उत्तर – झारखण्ड और पश्चिम बंगाल ।
21. भारत में तेल के उत्पादन के मुख्य क्षेत्र कौन-से हैं ? 
उत्तर – गंगा का उत्तरी मैदान, ब्रह्मपुत्र घाटी, तटीय क्षेत्र, गुजरात, थार मरुस्थल, अंडमान निकोबार आदि। अकेले मुंबई हाई से भारत के उत्पादित तेल का 63% प्राप्त किया जाता है।
22. भारत के छः परमाणु शक्ति केन्द्रों के नाम बताएँ ।
उत्तर – कल्पक्कम (तमिलनाडु), रावतभाटा ( राजस्थान), नरोरा (उत्तर प्रदेश), काकरापारा (गुजरात), तारापुर (महाराष्ट्र) और कैगा (कर्नाटक) आदि।
23. ‘मुंबई हाई’ कहाँ स्थित है ?
उत्तर – यह अपतट वर्धन क्षेत्र अरब सागर में मुंबई के निकट स्थित है।
24. मैंगनीज की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर – मैंगनीज का प्रयोग उत्तम श्रेणी का इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाता है । मिश्रित धातु बनाने, रंगों, कीटनाशक दवाइयाँ बनाने, शीशे और बिजली के उद्योगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
25. पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के दो महत्व बताएँ ।
उत्तर – पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के दो महत्व –
(क) पेट्रोलियम शक्ति के उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसका कारखानों, वाहनों और जहाजों आदि में खूब प्रयोग होता है।
(ख) प्राकृतिक गैस का घरेलू ईंधन के रूप में काफी प्रयोग होता है जबकि कच्चे माल के रूप में भी इसे काम में लाया जा सकता है। इससे इतना प्रदूषण भी नहीं होता है।
26. नैवेली क्यों प्रसिद्ध है ? उस राज्य का नाम भी बताएँ जिसमें यह स्थित है। 
उत्तर – नैवेली वह स्थान है जो अपनी लिग्नाइट कोयले की खानों के कारण भारत में ही नहीं वरन् विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहाँ लिग्नाइट कोयले की सबसे बड़ी खानें हैं । नैवेली तमिलनाडु राज्य में स्थित है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

1. खनिज क्या होते हैं ? इसका आर्थिक महत्व क्या है ? अथवा, खनिज क्या है ?
उत्तर – खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक हैं। इनमें संघटक और संरचना स्वरूप में समानता पाई जाती है। ये शैलों और अयस्कों के अवयव हैं। इनकी उत्पत्ति भू-गर्भ में हो रही विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के द्वारा हुई है।
खनिज का आर्थिक महत्व –
(क) खनिजों का अपना विशेष महत्व होता है क्योंकि मानव की प्रगति में इनका बहुत अधिक योगदान रहा है।
(ख) औद्योगिक युग में विभिन्न प्रकार के खनिजों का भारी प्रयोग किया जाना भी उनके आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालता है ।
2. आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता ? 
उत्तर – जिन चट्टानों का धरती पर सबसे पहले निर्माण हुआ उन्हें आग्नेय चट्टानें कहते हैं। जबकि इन चट्टानों का जब किसी दबाव या गर्मी के कारण रूप बदल जाता है (जैसेचूने के पत्थर का संगमरमर में) तो उन चट्टानों को कायांतरित चट्टानें कहते हैं ।
आग्नेय और कायांतरित चट्टानों की दरारों, जोड़ों, छिद्रों आदि में खनिज मिलते हैं। छोटे जमाव को शिराएँ कहा जाता है जबकि बड़े जमाव परतों के रूप में पाए जाते हैं। इनका निर्माण भी प्रायः उस समय होता है जब वे तरल या गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। ऊपर पहुँचकर वे धरती की सतह पर ठण्डे होकर जम जाते हैं । जस्ता, तांबा, जिंक और सीसा मुख्य धात्विक खनिज इस प्रकार छोटे या बड़े जमाओं एवं परतों में पाए जाते हैं।
3. हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है ?
अथवा, खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? खनिजों के संरक्षण की किन्हीं तीन विधियों की व्याख्या करें ।
उत्तर – खनिजों को एक बार उपयोग करने के उपरांत उसे दुबारा नहीं पाया जा सकता। खनिजों का दुरुपयोग किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए खनिजों का संरक्षण आवश्यक है। खनिजों के संरक्षण की तीन विधियाँ –
(क) खनिजों का उपयोग सुनियोजित ढंग से करना चाहिए।
(ख) खनिजों को बचाने के लिए उनके स्थान पर अन्य वस्तुओं के उपयोग के बारे में सोचना चाहिए ।
(ग) जहाँ जैसे संभव हो धातुओं के चक्रीय उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। जैसेलोहे को गलाकर लोहा बनाना, सोने को गलाकर सोना बनाना आदि।
4. भारत में कोयले के वितरण पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – भारत में कोयले का लगभग 21400 करोड़ टन भंडार है। आजकल भारत में प्रतिवर्ष 33 करोड़ टन कोयला निकाला जाता है। कोयले के अधिकांश क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर पूर्वी भाग में पाये जाते हैं। कुल उत्पादन का दो-तिहाई कोयला झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में निकाला जाता है। शेष एक-तिहाई कोयला आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है। देश में प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं –
(क) झारखंड- प्रमुख खनन क्षेत्र बोकारो, झरिया, गिरिडीह, रामगढ़ हैं।
(ख) मध्यप्रदेश – प्रमुख क्षेत्र उमरिया, सोहागपुर हैं ।
(ग) छत्तीसगढ़ – प्रमुख कोयला क्षेत्र कोरबा और अम्बिकापुर हैं ।
(घ) उड़ीसा – प्रमुख कोयला क्षेत्र सम्भलपुर और सुंदरगढ़ जिलों में हैं l
5. भारत में लौह अयस्क के वितरण का वर्णन करें ।
उत्तर – भारत में संसार का लगभग 20 प्रतिशत लौह अयस्क भंडार हैं। भारत में लौह अयस्क का खनन मुख्यतः छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, गोवा और कर्नाटक राज्यों में होता है। इन राज्यों में कुल उत्पादन का 95% से भी अधिक भाग प्राप्त किया जाता है। इनके अतिरिक्त और भी कई राज्यों में लोहा पाया जाता है। देश के प्रमुख लोहा उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं –
(क) छत्तीसगढ़ – इस राज्य में अधिकांश लोहा हेमेटाइट किस्म का है। यहाँ के दुर्ग, बस्तर और दांतेवाड़ा जिलों में लोहा उत्पादन किया जाता हैं । बस्तर जिले में बैलाडिला, रावघाट प्रमुख लोहा क्षेत्र हैं ।
(ख) झारखंड – यहाँ के पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम जिले में लौह अयस्क निकाला जाता हैं। यहाँ के प्रमुख क्षेत्र गुआ और नोआमुण्डी हैं।
(ग) उड़ीसा- यहाँ के सुंदरगढ़, क्योंझर और मयूरभंज जिले में लोहा उत्पादन किया जाता है।
(घ) कर्नाटक- इस राज्य के चिकमंगलूर जिले के बाबाबूदन पहाड़ी, कुद्रमुख और कालाहांडी क्षेत्र प्रमुख हैं। बेल्लारी, चित्रदुर्ग, शिमोगा और टुमकुर जिलों से भी लोहा प्राप्त किया जाता है।
(ङ) गोवा- गोवा के उत्तरी भाग में लोहा मिलता है ।
6. अवसादी शैल या चट्टानें किन्हें कहते हैं और इनकी क्या विशेषताएँ होती है ? 
उत्तर – इन शैलों का निर्माण नदियों द्वारा हजारों वर्षों से लाए गए मिट्टी, पत्थर के कणों के जमने से होता है। मिट्टी और पत्थर के कणों की एक तह के ऊपर दूसरी तह जमती जाती है और इस प्रकार अवसादी शैलों का निर्माण होता रहता है। इन चट्टानों की एक बड़ी विशेषता यह होती है कि इनमें वृक्षों एवं पशुओं के अवशेष भी दबे रहते हैं। इन अवशेषों की सहायता से वैज्ञानिकों ने इन चट्टानों के निर्माण काल का भी ज्ञान प्राप्त कर लिया है। कोयला और चूना इन शैलों के कुछ मुख्य उदाहरण हैं।
7. आग्नेय शैल या चट्टानें क्या हैं ? उनकी क्या विशेषताएँ हैं ? 
उत्तर – उत्पत्ति के आधार पर शैलों को तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है
(क) आग्नेय शैल या चट्टानें,
(ख) अवसादी शैल या चट्टानें,
(ग) कायांतरित शैल या चट्टानें ।
आग्नेय शैल या चट्टानें वे हैं जो सबसे पहले उत्पन्न हुई । पृथ्वी की धरातल पर सबसे पहले उनका निर्माण हुआ । इसलिए उनको कई बार प्रारम्भिक शैल भी कह दिया जाता है। पृथ्वी के अन्दर से निकलने वाले गर्म लावा के ठण्डा हो जाने से इन शैलों का निर्माण हुआ। ऐसी चट्टानों में विभिन्न प्रकार की धातुओं के कण पाए जाते हैं।
8. कायांतरित शैल या चट्टानें कहा होती हैं? इनकी मुख्य विशेषता क्या है ?
उत्तर – कायांतरित शैलें या चट्टानें आग्नेय या अवसादी शैलों का बदला हुआ रूप होता है। सदियों के दबाव या गर्मी के प्रभावाधीन आग्नेय या अवसादी शैलें कायांतरित शैलों में बदल जाती है, और नई-नई खनिज का निर्माण हो जाता है। जैसे- चूना संगमरमर में बदल जाता है और शैल स्लेट में बदल जाता है। कायांतरित शैलें या चट्टानें दोनों आग्नेय एवं अवसादी शैलों से अधिक मजबूत होती हैं और मजबूत होने के कारण उनका मूल्य भी काफी बढ़ जाता है ।
9. चूना पत्थर क्या है ? यह कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर – चूना पत्थर- चूना पत्थर कैल्शियम या कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैगनीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है । यह अधिकांशतः अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल होता है, और लौह-प्रगलन की भट्टियों के लिए अनिवार्य है।
10 लौह-अयस्क के चार प्रकारों के नाम लिखें। 
उत्तर – लौह-अयस्क चार प्रकार निम्नांकित हैं
(क) मैग्नेटाइड (72 प्रतिशत लौह अंश),
(ख) हैमेटाइड (60 से 70 प्रतिशत लौह अंश),
(ग) लिमोनाइट (40 से 50 प्रतिशत लौह अंश),
(घ) सिडेराइट (40 से 50 प्रतिशत लौह अंश ) ।
11. बायोगैस से आप क्या समझते हैं ? इसके क्या लाभ हैं ? 
उत्तर – बायोगैस अलौकिक प्रकार की ऊर्जा का एक उपयोगी स्रोत है। इसकी उत्पत्ति पशुओं और मुर्गियों के व्यर्थ पदार्थों और मनुष्य के मल-मूत्र आदि से की जाती है। गोबर गैस के प्लांट ग्रामों में ग्रामीण लोगों की ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। इस प्रकार की ऊर्जा को प्रत्येक गाँव में, घरों और गलियों में रोशनी करने, खेती करने और सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। इन प्लांटों का निर्माण व्यक्तिगत रूप से या गाँव के समस्त समुदाय द्वारा किया जाता है। बड़े-बड़े शहरों में बायोगैस का उत्पादन मल से किया जाता है।
12. खेतड़ी क्यों प्रसिद्ध है ? उस राज्य का नाम भी बताओ जिसमें यह स्थित है। 
उत्तर – खेतड़ी अपनी तांबा की खानों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। भारत में तांबा की बहुत कमी है इसलिए इसके आयात पर हमें बहुत-सी मुद्रा व्यय करनी पड़ती है। खेतड़ी की तांबा खाने इस प्रकार से भारत के लिए वरदान सिद्ध हुई है। इन्होंने बहुत-सी अमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत की है।
खेतड़ी राजस्थान राज्य में स्थित है।
13. लौह और अलौह खनिज में अन्तर स्पष्ट करें ।
उत्तर – धात्विक खनिज दो भागों में बाँटा जाता है
(क) लौह खनिज –
वे सभी धातुएँ जिनमें लोहें का अंश होता है लौह खनिज कहलाते हैं। जैसेलौह अयस्क, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट आदि ।
(ख) अलौह खनिज –
वे सभी धातुएँ जिनमें लोहे का कोई अंश नहीं होता अलौह खनिज कहलाती है। जैसे- तांबा, सीसा जस्ता बाक्साइट आदि ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

1. भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों ?
उत्तर – (क) भारत एक उष्णकटिबंधीय या एक गर्म देश है इसलिए यहाँ सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता की अधिक संभावना है। एक अनुमान के अनुसार यह लगभग 20 मेगावॉट प्रति वर्ग किलोमीटर प्रति वर्ष है।
(ख) भारत में फोटोवोल्टाइक तकनीक उपलब्ध है जिसके द्वारा सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत में बदला जा सकता है।
(ग) सूर्य का प्रकाश प्रकृति का एक मुफ्त उपहार है इसलिए निम्न वर्ग के लोग आसानी से सौर ऊर्जा का लाभ उठा सकते हैं।
(घ) जबकि कोयला, पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि ऊर्जा के स्रोत एक बार प्रयोग करके दुबारा प्रयोग में नहीं ला सकते वहाँ सौर ऊर्जा एक नवीकरण स्रोत है। इसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
(ङ) सौर ऊर्जा के प्रयोग से हम बहुत सी विदेशी मुद्रा बचा सकते हैं जो तेल, गैस आदि के आयात के कारण हमें दूसरे देशों को देनी पड़ती है।
(च) सौर ऊर्जा का प्रयोग हम अनेक प्रकार से कर सकते हैं, जैसे खाना बनाने, पम्प द्वारा जल निकालने, पानी को गर्म करने, दूध को कीटाणु रहित बनाने तथा सड़कों पर रोशनी करने आदि के लिए |
2. भारत में ऊर्जा के विभिन्न साधन कौन-कौन से है ? वर्णन करें। 
उत्तर – कोयला, खनिज तेल, परमाणु ऊर्जा तथा विद्युत आदि ऊर्जा के मुख्य साधन हैं। इनका विवरण इस प्रकार हैं –
(क) कोयला- यह शक्ति का प्रारंभिक साधन है। यह औद्योगिक कच्चे माल के रूप में भी इस्तेमाल होता है। कोयले द्वारा पानी को वाष्प में बदला जाता है जो औद्योगिक क्रांति का आधार बना । वाष्प इंजन, जिसमें कोयले का प्रयोग होता हैं, रेलों और उद्योगों में काम लाया जाता है।
(ख) खनिज तेल- यह अति दहनशील पदार्थ है। इसका प्रयोग अन्तर्दहन इंजनों में किया जाता है। खनिज तेल का परिष्कार करके डीजल, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, उड्डयन स्पिरिट आदि प्राप्त किए जाते हैं। इससे सड़क परिवहन, जहाजों, वायुयानों आदि को चालक शक्ति प्राप्त होती है।
(ग) प्राकृतिक गैस– प्राकृतिक गैस का शक्ति के साधन के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है। अब पाइपों के सहारे गैस दूर-दूर के स्थानों पर पहुँचायी जा रही है और इससे अनेक प्रकार की औद्योगिक इकाइयाँ चल रही है। गैसें खनिज तेल के साथ और अलग से भी मिलने लगी है।
(घ) जल विद्युत- इसे पैदा करने के लिए गिरते हुए पानी की शक्ति का प्रयोग करके टरबाईन को गतिमान किया जाता है। अभी तक ज्ञात शक्ति के साधनों में यह सबसे सस्ता साधन है। जल विद्युत का सबसे बड़ा लाभ यह है कि निरंतर प्रयोगों के बावजूद भी इसके स्रोत समाप्त नहीं होते क्योंकि जल-साधन नवीकरण योग्य हैं ।
(ङ) परमाणु ऊर्जा – इसे प्राप्त करने के लिए अणु पदार्थों को नियंत्रित परिस्थितियों में विखंडित करते हैं। इससे असीम ऊर्जा प्राप्त होती है जिसका उपयोग विविध उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
(च) ऊर्जा के अन्य स्रोत- शक्ति के अनेक गैर-परंपरागत स्रोत भी है जिनका प्रयोग निरंतर किया जा सकता है। इनमें सूर्य, वायु, ज्वार-भाटा, ज्योथर्मल, बायोगैस, भूतापी ऊर्जा आदि शक्ति के साधनों का उल्लेखनीय स्थान हैं।
3. ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों का संक्षेप में वर्णन करें । 
उत्तर – ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत –
(क) वायु ऊर्जा- वायु ऊर्जा का प्रयोग पानी बाहर निकालने, खेतों में सिंचाई करने और बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि वायु से कोई 20,000 मेगा वाट बिजली पैदा की जा सकती है। इस समय वायु से प्राप्त कोई 990 मेगा वाट बिजली, शक्ति-ग्रिड में जोड़ी जाती है। वायु-ऊर्जा का उपयोग गुजरात, तमिलनाडु, उड़ीसा और महाराष्ट्र में किया जाता है।
(ख) ज्वारीय ऊर्जा – ज्वारीय ऊर्जा का विकास करने के लिए कच्छ और कैम्बे की खाड़ियाँ अधिक उपयुक्त हैं।
(ग) ज्योथर्मिल ऊर्जा- हिमाचल प्रदेश में गर्म पानी के चश्मों से पैदा की जाती है। इसका प्रयोग ठण्डे भण्डार के केन्द्रों में किया जाता है।
(घ) बायोगैस – बायोगैस या प्राकृतिक व्यर्थ की सामग्री के विभिन्न साधनों जैसेबंजर भूमि आदि से प्राप्त लकड़ी, नगरों के कूड़े-करकट, पशुओं के गोबर, मनुष्य के मल-मूत्र, गन्ने की खोई आदि से भी बिजली पैदा की जाती है। खेती के कूड़े-करकट, जैसे धान के छिलके और गन्ने की खोई से भी बिजली उत्पन्न की जाती है ।
(ङ) सौर ऊर्जा- सूर्य से भी बिजली का बहुत बड़ा और अक्षय भण्डार प्राप्त होता है। सूर्य में ऊर्जा उत्पन्न करने की अपार क्षमता है और यह ऊर्जा का सार्वलौकिक स्रोत है। सौर चूल्हे इसी ऊर्जा से कार्य करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और मध्यम आकार के सौर केन्द्र स्थापित किए गए है। ताकि इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का प्रयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने, फसलें सुखाने आदि के लिए किया जा सके ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *