Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 14 युग और मैं (पद्य)
Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 14 युग और मैं (पद्य)
विषय-प्रवेश
आज का वातावरण विनाशक प्रवृत्तियों से भरा हुआ है। गाँव उजड़ रहे हैं। शहर बरबाद हो रहे हैं। मानवता घायल होकर कराह रही है। दुनिया की यह दशा देखकर कवि दु:खी हैं, परंतु लाखों लोगों की पीड़ा के सामने उन्हें अपनी पीड़ा साधारण लगती है। प्रस्तुत कविता में कवि ने यही बताया है कि संसार के दुःख-दर्द के सामने मनुष्य को अपने दुःख-दर्द बड़े समझकर निराश नहीं होना चाहिए ।
कविता का सार
चारों ओर विनाश ही विनाश : आज बस्तियाँ उजड़ रही हैं। देश मिट रहे हैं। धरती विनाश की ज्वालाओं से लिपटी हुई है। दुनियाभर के दुःखों के सामने मेरा दुःख तो बहुत मामूली है।
व्यथा से भरी हुई दुनिया : आज मनुष्यता घायल है । मानव-समता के सपने साकार होते दिखाई नहीं देते। हिंसा की आग में सातों समुद्र खौल रहे हैं। उनमें दुनिया डूबती नज़र आती है। ऐसे में अगर मैं दुःख में डूब रहा हूँ तो यह कौन-सी बड़ी बात है ?
पासा उलट गया : स्वर्ग का निर्माण करने के लिए मिले हाथ आज नरक का निर्माण कर रहे हैं। मनुष्य की बुद्धि जड़ हो गई है। ऐसा लगता है कि पूरा पासा ही पलट गया है। इसीलिए जिस मनुष्य को ईश्वर बनना था, वह स्वयं को मिटाने में लग गया है। ऐसे में मैं मिट रहा हूँ तो क्या आश्चर्य ?
तहस-नहस हो रहा विश्व : आज दुनिया के देश एक-दूसरे का विनाश करने में लगे हुए हैं। मनुष्य संसार के वैभव को नष्ट कर रहा है। इस विश्वव्यापी विनाश के सामने अगर मैं न टिक पाऊँ तो मेरे स्वाभिमान का क्या ?
कविता का अर्थ
(1) उजड़ रही …….. हस्ती क्या । [1-2]
कवि कहते हैं कि आज विध्वंस का वातावरण है। जब असंख्य बस्तियाँ उजड़ रही हैं तब मेरी बस्ती किस बिसात में है ? जब धब्बों (दागों) की तरह देश मिट रहे हैं, तो मेरा अस्तित्व तो बहुत तुच्छ है। वह मिट जाए तो क्या आश्चर्य !
(2) बरस रहे …….. करुण कथा | [3-5]
आज बमों के रूप में आकाश से आग गोले बरस रहे हैं। धरती से आग की ज्वालाएँ निकल रही हैं। जब सभी मौत जा रहे हैं, तब मैं अपने बारे में क्या बताऊँ ? जब सारा संसार दुःख से पीड़ित है तो मेरा दुःख-दर्द किस गिनती में है ?
(3) जाने कब तक ……. व्यथा । [6–8]
घायल मानवता के घाव कब भरेंगे, यह कोई नहीं जानता । दुनिया के सभी लोगों की बराबरी का सपना न जाने कब सच होगा। जब सारी दुनिया दर्द से कराह रही है, तो मैं अपनी व्यथा को बड़ी कैसे कहूँ ?
(4) खौल रहे ……… गम तो क्या ! [9-12]
हिंसा की आग में सातों समुद्रों का पानी उबल रहा है – सारा संसार हिंसा से ग्रस्त है। जिससे ज्ञान की गहराई का पता लगाया जाता था, दुनिया उसमें डूब रही है । जब सारी दुनिया डूब रही हो तो मैं अगर गम (दुःख) में डूब रहा हूँ तो इसमें कौन-सी बड़ी बात है ?
(5) हाथ बने ……… उलटा पासा क्या । [13-15]
ईश्वर ने मनुष्य को हाथ इसलिए दिए थे कि वह धरती पर स्वर्ग का निर्माण करे। मनुष्य को बुद्धि इसलिए दी गई थी कि वह संसार को जड़ता (अज्ञान) से दूर करे। लेकिन आज सब बदल गया है। जब सभी की स्थिति दयनीय हो गई है तो मेरी दयनीयता किस बिसात में ?
(6) मानव को …….. मुझसे छूटे तो क्या ? [16-18]
मनुष्य ईश्वर बनने का प्रयत्न कर रहा था । उसे सारी सृष्टि अपने वश में करनी थी। लेकिन वह काम उसने बीच में ही छोड़ दिया और ज्ञानी होकर भी आत्महत्या की प्रवृत्ति में लग गया। जब ऐसे ज्ञानियों के निशाने सही न लगे और मेरे निशाने भी चूक गए, तो इसमें और क्या हो सकता है ?
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) कवि के हृदय में कैसी व्यथा है ?
उत्तर : कवि संसार में हो रहे संहार के दृश्यों को देखकर बहुत दुखी है। उसे लगता है कि ऐसी स्थिति में उसकी चिंता करनेवाला कोई नहीं है। उसकी करुण कथा को सुनने में किसी की दिलचस्पी नहीं है। कवि अपनी पीड़ा के घूँट पी लेने में ही अपनी भलाई समझता है । सारी दुनिया को दुःख में डूबी देखकर वह भी गम के समुद्र में डूब जाना बेहतर मानता है। उसे लगता है कि ऐसी स्थिति में उसका कोई भी निशाना सही बैठनेवाला नहीं है। इस प्रकार कवि के हृदय में घोर दुःख और निराशा है।
( 2 ) ‘युग और मैं’ कविता का संदेश लिखिए ।
उत्तर : ‘युग और मैं’ कविता में कवि ने संसार की स्थिति के संदर्भ में अपनी स्थिति देखी है । कवि कहता है कि प्रायः मनुष्य अपनी मामूली पीड़ा को भी बड़ी मानने लगता है। उसे लगता है कि उसके अस्तित्व का कोई महत्त्व नहीं है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि दुनिया की स्थिति देखकर मनुष्य को कभी हताश और निराश नहीं होना चाहिए। उसे आत्मविश्वासपूर्वक पूर्ण जीने का प्रयत्न करना चाहिए ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) बुद्धि और हाथ किस कार्य के लिए हैं?
उत्तर : बुद्धि का कार्य संसार के अज्ञान को दूर करके यहाँ छाई जड़ता मिटाना है। हाथों का काम बुद्धि के मार्गदर्शन में पृथ्वी को स्वर्ग की तरह सुंदर बनाना है।
( 2 ) ज्ञान और पृथ्वी की कैसी स्थिति हो रही है ?
उत्तर : ज्ञान अपनी गहराई खो रहा है। पृथ्वी दुःख के समुद्र में डूब रही है।
( 3 ) मानव की क्या स्थिति हो गई है ?
उत्तर : मानव ईश्वर बनने का प्रयास कर रहा था। उसे सारी सृष्टि पर अपना नियंत्रण स्थापित करना था । परंतु आज वह सब छोड़कर अपने ही विनाश में लग गया है।
( 4 ) आज मनुष्य किस संघर्ष में रत है ?
उत्तर : आज लोग एक-दूसरे को परास्त करने में लगे हैं। एक नए संसार की रचना के लिए मनुष्य वर्तमान जगत के वैभव का नाश करने में लगा है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
( 1 ) ‘युग और मैं’ कविता के रचनाकार का नाम बताइए ।
उत्तर : ‘युग और मैं’ कविता के रचनाकार नरेन्द्र शर्मा है।
( 2 ) गगन और धरती से क्या हो रहा है?
उत्तर : गगन से आग के गोले बरस रहे हैं और धरती से ज्वालाएँ उठ रही हैं।
( 3 ) सात समंदर में क्या हो रहा है?
उत्तर : सात समंदर में हिंसा की आग से पानी खौल रहा है।
( 4 ) कवि अपनी व्यथा की चिंता क्यों नहीं करता ?
उत्तर : जब सारी दुनिया व्यथा से ग्रस्त है, तब कवि को अपनी व्यथा की चिंता करना व्यर्थ लगता है।
( 5 ) मनुष्य को हाथ किसलिए मिले थे ?
उत्तर : मनुष्य को धरती पर स्वर्ग का निर्माण करने के लिए हाथ मिले थे।
( 6 ) मनुष्य को बुद्धि किसलिए मिली थी ?
उत्तर : मनुष्य को संसार के अज्ञान को हटाकर, जड़ता मिटाने के लिए बुद्धि मिली थी।
( 7 ) मनुष्य ने कौन-सा काम अधूरा छोड़ दिया ?
उत्तर : मनुष्य ने ईश्वर बनकर सारी सृष्टि को अपने वश में करने का काम अधूरा छोड़ दिया ।
( 8 ) कवि को किसकी पीड़ा है ?
उत्तर : कवि को मानवता जख्मी होने की पीड़ा है।
( 9 ) कवि को अपनी पीड़ा कैसी लगती है ?
उत्तर : लाखों लोगों की पीड़ा के सामने कवि को अपनी पीड़ा साधारण लगती है।
(10) आज का वातावरण कैसा है ?
उत्तर : आज का वातावरण विनाशक प्रवृत्तियों से भरा हुआ है।
(11) कवि का क्या उलट गया है ?
उत्तर : कवि का पासा उलट गया है।
(12) कवि को किसका गम नहीं है ?
उत्तर : कवि को अपने डूबने का गम नहीं है।
(13) ‘युग और मैं’ काव्य के शीर्षक का समानार्थी शब्द दीजिए ।
उत्तर : जमाना और कवि ।
प्रश्न 4. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) मानव को ईश्वर बनना था, निखिल सृष्टि वश में लानी,
काम अधूरा छोड़ कर रहा आत्मघात मानव ज्ञानी ।
सब झूठे हो गए, निशाने, तुम मुझसे छूटे तो क्या !
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ नरेन्द्र शर्मा की ‘युग और मैं’ कविता से ली गई हैं। इनमें कवि ने बताया है कि मनुष्य किस तरह अपनी प्रगति की राह से भटककर गुमराह हो गया है।
मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में अनोखी सिद्धियाँ प्राप्त कर ली हैं। इन सिद्धियों के बल पर वह स्वयं को ईश्वर समझने लगा। ऐसी सिद्धियोंवाले देश सारी दुनिया पर अपना अधिकार करने के फेर में पड़ गए। उन्होंने ईश्वर बनने की राह छोड़ दी और अपना ही विनाश करने लगे । कवि कहता है कि जब सबने अपनी राह छोड़ दी तो मैं अगर भटक गया तो इसमें मेरा क्या दोष ?
( 2 ) जाने कब तक घाव भरेंगे इस घायल मानवता के ?
जाने कब तक सच्चे होंगे सपने सबकी समता के ?
सब दुनिया पर व्यथा पड़ी है, मेरी ही क्या बड़ी व्यथा !
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ नरेन्द्र शर्मा, की ‘युग और मैं’ कविता से ली गई हैं। इनमें कवि ने दुनिया के भविष्य के प्रति निराशा प्रकट की है।
कवि कहते हैं कि वर्तमान में संसार संहार की वृत्तियों में उलझा है। चारों ओर विध्वंस की स्थिति है। एक-दूसरे पर प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ है। ऐसी दशा में मनुष्य की बराबरी (समता) की बातें केवल बातें ही रह जाएँगी । जबतक संसार में शांति और भाईचारे की भावना नहीं होगी तब तक मनुष्यता का वातावरण नहीं बनेगा । बिना उसके मानव-मानव की समानता का आदर्श कभी व्यवहार में नहीं आ सकेगा। कवि कहता है कि जब सारी दुनिया गैरबराबरी की पीड़ा से परेशान है तो मैं अपनी पीड़ा की क्यों चिंता करूँ ?
हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर
पद्यलक्षी
1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) ज्ञान अपनी …….. खो रहा है। (गहराई, सुस्ती)
( 2 ) पृथ्वी ……… के समुद्र में डूब रही है। (दुःख, चिनगारी)
( 3 ) सात समंदर में ……… की आग से पानी खौल रहा है। (अहिंसा, हिंसा)
( 4 ) मनुष्य को संसार की …….. दूर करने के लिए बुद्धि दी गई है। (जड़ता, व्यथा)
( 5 ) आज एक-दूसरे पर ……… स्थापित करने की होड़ है। ( प्रभुत्व, विश्वास)
उत्तर :
( 1 ) गहराई
( 2 ) दुःख
( 3 ) हिंसा
( 4 ) जड़ता
( 5 ) प्रभुत्व
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) कवि संसार के संहार से अत्यंत दु:खी हैं।
( 2 ) मनुष्य अपनी मामूली पीड़ा को बड़ी मानता है ।
( 3 ) बुद्धि का काम जड़ता को दूर करना नहीं है।
( 4 ) गगन से आग के गोले बरस रहे हैं।
( 5 ) धरती से ज्वालाएँ उठ रही हैं।
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) सही
( 3 ) गलत
( 4 ) सही
( 5 ) सही
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) दुनियाभर के दुःखों के सामने कवि का दुःख कैसा है ?
( 2 ) मनुष्य की बुद्धि कैसी हो गई है ?
( 3 ) नरक का निर्माण कौन कर रहा है ?
( 4 ) हिंसा से ग्रस्त कौन है ?
उत्तर :
( 1 ) नगण्य
( 2 ) उलटी
( 3 ) मनुष्य
( 4 ) सारा संसार
4. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
( 1 ) धब्बों के समान किसे बताया गया है ?
A. देशों को
B. सागरों को
C. जंगलों को
D. तारों को
उत्तर : A. देशों को
( 2 ) कवि की कथा कैसी है?
A. मधुर
B. अनन्त
C. सुन्दर
D. करुण
उत्तर : D. करुण
( 3 ) घायल कौन है ?
A. दानवता
B. सुन्दरता
C. मानवता
D. पशुता
उत्तर : C. मानवता
( 4 ) कवि को किसके सपनों की चिन्ता है ?
A. करुणा
B. समता
C. विषमता
D. दानवता
उत्तर : B. समता
व्याकरणलक्षी
1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) बस्ती
( 2 ) हस्ती
( 3 ) समता
( 4 ) गम
( 5 ) धब्बा
( 6 ) घाव
( 7 ) भव
( 8 ) व्यथा
उत्तर :
( 1 ) आबादी
( 2 ) अस्तित्व
( 3 ) समानता
( 4 ) दु:ख
( 5 ) दाग
( 6 ) जख़्म
( 7 ) संसार
( 8 ) पीड़ा
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
( 1 ) विनाश
( 2 ) आदर
( 3 ) मनुष्यता
( 4 ) मामूली
( 5 ) परास्त
( 6 ) निर्माण
( 7 ) समुंदर
( 8 ) हस्ती
( 9 ) अंगार
उत्तर :
( 1 ) विकास
( 2 ) अनादर
( 3 ) दानवता
( 4 ) असामान्य
( 5 ) विजयी
( 6 ) ह्रास
( 7 ) पोखर
( 8 ) नास्ति
( 9 ) ओला
3. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
( 1 ) सारी दुनिया पर व्यथा आ पड़ी है।
( 2 ) चारों ओर विनाश की स्थिति दिखाई देती है।
( 3 ) जाने कब तक सच्चे होंगे सपने सबकी समता के ?
( 4 ) सारी दुनिया असमानता से पीड़ित है।
उत्तर :
( 1 ) व्यथा
( 2 ) विनाश
( 3 ) समता
( 4 ) असमानता
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए:
( 1 ) जाने कब तक घाव भरेंगे इस घायल मानवता के ?
( 2 ) खौल रहे हैं सात समंदर डूब जाती है दुनिया ।
( 3 ) आज हुआ सबका उलटा रुख, मेरा उलटा पासा क्या ?
( 4 ) काम अधूरा छोड़ कर रहा आत्मघात मानव ज्ञानी ।
( 5 ) मानव को ईश्वर बनना था, निखिल सृष्टि वश में लानी ।
उत्तर :
( 1 ) घायल
( 2 ) सात
( 3 ) उलटा
( 4 ) अधूरा, ज्ञानी
( 5 ) निखिल
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