Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 16 भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य संबंध (गद्य)

Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 16 भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य संबंध (गद्य)

विषय-प्रवेश

प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य संबंध की एक उज्ज्वल परंपरा थी । तब गुरु का आश्रम विद्यामंदिर के समान होता था । वहाँ पैसे का कोई स्थान नहीं था । आज पश्चिम के प्रभाव से गुरु-शिष्य संबंध बदल गए हैं। प्रस्तुत लेख में लेखक ने भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य संबंध के बारे में बताया है।

पाठ का सार

पहले विद्यालय मंदिर के समान : प्राचीन भारत में विद्यालय मंदिर के समान माने जाते थे । शिक्षा देना एक आध्यात्मिक अनुष्ठान था। विद्या पैसे देकर खरीदी और पैसे लेकर बेची नहीं जाती थी, शिक्षा देना परमेश्वर को पाने का एक माध्यम था । शिष्य पुत्र से अधिक प्रिय होते थे ।
आज की स्थिति : आज यूरोप के प्रभाव से शिक्षा क्षेत्र में व्यावसायिक संस्कृति आ गई है। शिक्षक वेतनभोगी हो गए हैं और शिष्यों को शुल्क देकर विद्या प्राप्त करनी पड़ती है। आज शिक्षण कार्य पेट पालने का साधन बन गया है।
भारतीयों का स्वभाव : भारत के लोगों को अपने यहाँ की मूल्यवान चीजों का मूल्य तभी समझ में आता है जब विदेशों में उनकी कदर की जाती है। भारत में विवेकानंद का स्वागत तभी हुआ जब अमेरिका में उन्होंने नाम कमा लिया । नोबल पुरस्कार मिलने पर ही बंगाली लोग रवीन्द्रनाथ ठाकुर का सम्मान करने लगे । भरतनाट्यम् और कथकली जैसे नृत्य विदेशों में लोकप्रिय होने के बाद ही यहाँ लोकप्रिय हुए। आज भारत में अमेरिका, इंग्लैंड या जर्मनी जाना स्वर्ग जाने जैसा लगता है। वे यह नहीं जानते कि जर्मनी का विद्वान मैक्समूलर भारत में आने के लिए जीवनभर प्रार्थना करता रहा ।
पत्रकार को गामा पहलवान का उत्तर : सुप्रसिद्ध पहलवान गामा ने मुंबई आकर दुनिया के सारे पहलवानों को उनसे कुश्ती में जीतने के लिए ललकारा। एक पत्रकार ने गामा से कहा- दुनिया के पहलवानों को ललकार ने से पहले आप अपने अमुक शिष्य से लड़कर तो जीतकर दिखाइए । गामा ने उस पत्रकार को उत्तर दिया आप जिसकी बात कर रहे हैं, वह मेरा शिष्य है, मुझे वह मेरे बेटे से भी प्रिय है। उसमें और मुझमें कोई फर्क नहीं है। मैं लड़ा या वह लड़ा, दोनों बराबर ही होगा। मैं चाहता हूँ कि वह मुझसे ज्यादा नाम कमाए। मुझे लगता है, आप हिंदुस्तानी नहीं हैं।
उत्तम शिष्य मिलना बहुत मुश्किल : हमारे देश में गुरु-शिष्य परंपरा यदि कहीं जीवित है तो वह पहलवानों और संगीतकारों में है। भगवान रामकृष्ण परमहंस को बहुत प्रार्थना के बाद विवेकानंद मिले थे। ईसामसीह ने अपने अनुयायिओं को अपने से अधिक महत्त्व दिया था । संगीतकार की अपेक्षा उसके श्रोता अधिक श्रेष्ठ होते हैं। हमारे यहाँ पूज्य की अपेक्षा पुजारी को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
गुरु-शिष्य में जाति-धर्म का स्थान नहीं : गुरु-शिष्य परंपरा में जाति-धर्म नहीं, गुण को प्रमुखता दी जाती है। इसलिए कई हिंदू मुसलमान गुरुओं के शिष्य रहे और कई मुसलमान हिंदू गुरूओं के शिष्य रहे ।
सेवा लेने नहीं, देने की वस्तु : अधिकतर गुरु सेवा लेने में ही अपनी चतुराई समझते हैं। सच यह है कि सेवा लेने की नहीं, देने की वस्तु है। बच्चे, रोगी, असहाय और वृद्ध लोग सेवा लेने के अधिकारी हैं। इनकी सेवा को ईश्वर की सेवा माननी चाहिए। आज के ज्ञानी और तपस्वी गुरु नहीं रह गए हैं, क्योंकि वे शिष्य को तैयार करने में आवश्यक श्रम नहीं उठाते। पुजारी जितने प्रेम और भाव से मूर्ति की पूजा करता है, मूर्ति में उतनी ही शक्ति आती है। गुरु और शिष्य के बारे में भी यही सिद्धांत काम करता है।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) यूरोप के प्रभाव के कारण आज गुरु-शिष्य संबंधों में क्या अंतर आया है ?
उत्तर : प्राचीन भारत में विद्यालय मंदिर के समान माने जाते थे । शिक्षा देना एक आध्यात्मिक कार्य था । पैसे देकर शिक्षा खरीदी नहीं जाती थी । शिष्य पुत्र से अधिक प्रिय होते थे। परंतु वर्तमान भारत में शिक्षा व्यावसायिक हो गई है । गुरु वेतनभोगी हो गए हैं। विद्यार्थी शुल्क देकर शिक्षा प्राप्त करते हैं। आज का शिष्य गुरु में परमेश्वर का रूप नहीं देखता । इस प्रकार यूरोप के प्रभाव के कारण आज गुरु-शिष्य संबंधों में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है।
( 2 ) विवेकानंद और रवीन्द्रनाथ ठाकुर को इस देश में अधिक महत्त्व कब मिला ?
उत्तर : विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। आरंभ में उन्हें भारत में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं हुआ था । वे जब अमेरिका गए और उन्होंने वहाँ नाम कमाया, तब भारतवासियों ने उन्हें सम्मान देना शुरू किया । इसी प्रकार रवीन्द्रनाथ ठाकुर को यहाँ कोई नहीं जानता था। उन्हें जब नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया तब बंगालवासियों ने उनकी प्रतिभा पहचानी। वे बंगाल के नहीं, सारे देश के लिए गौरव बन गए ।
इस प्रकार विदेशों में सम्मानित होने पर ही विवेकानंद और रवीन्द्रनाथ ठाकुर को इस देश में महत्त्व मिला।
( 3 ) गामा पहलवान ने भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में क्या कहा ?
उत्तर : एक पारसी पत्रकार ने गामा पहलवान से पूछा था कि विश्व के पहलवानों को ललकार ने के पहले आप अपने अमुक शिष्य को कुश्ती में जीतकर क्यों नहीं दिखाते ? उत्तर में गामा ने कहा कि आप जिसकी बात कर रहे हैं, वह मेरा शिष्य मुझे मेरे बेटे से भी अधिक प्यारा है। हम लोगों में वंशपरंपरा से अधिक शिष्यपरंपरा का महत्त्व है। हम चाहते हैं कि हम अपने शिष्यों से कम रहें। वे संसार में मुझसे अधिक नाम कमाएँ ।
इस प्रकार गामा पहलवान ने पत्रकार को भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में बताकर उसका मुँह बंद कर दिया ।
( 4 ) पुजारी की शक्ति मूर्ति में कैसे विकसित होने लगी ?
उत्तर : पत्थर की मूर्ति तो जड़ होती है। उसमें चेतना डालने का काम पुजारी करता है। मूर्ति की पूजा करने का अर्थ ही उसे चेतनवंत बनाना है। पूजा करते समय पुजारी की भावना में जितनी उत्कटता होगी, मूर्ति उतनी ही प्रभावशाली होगी। पुजारी की भावपूजा की शक्ति से ही धीरे-धीरे मूर्ति में शक्ति विकसित होने लगती है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) गामा पहलवान अपने शिष्य से लड़ने के लिए क्यों तैयार नहीं थे?
उत्तर : गामा पहलवान भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा को मानते थे। इसके अनुसार गुरु-शिष्य को अपने से अधिक यशस्वी देखना चाहता है । इसलिए वे अपने नामी शिष्य से लड़ने के लिए तैयार नहीं थे ।
( 2 ) किस तरह के लोगों को गुरु-शिष्य परंपरा की महिमा समझाना व्यर्थ है ?
उत्तर : भारतवासियों को अपने यहाँ की चीजों में खूबसूरती दिखाई नहीं देती पर पराए देशों की सुंदरता पर वे मुग्ध हो जाते हैं। जिस देश में ज्ञान पाने के लिए मैक्समूलर ने जीवनभर प्रार्थना की, उस देश के लोग जर्मनी और विलायत जाने में स्वर्ग जैसा सुख अनुभव करते हैं। लेखक कहते हैं कि ऐसे लोगों को भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा की महिमा समझाना व्यर्थ है।
( 3 ) भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा जाति-धर्म से ऊपर किस प्रकार रही है?
उत्तर : भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा में संकुचित दृष्टिकोण कभी नहीं रहा। यही कारण है कि हमारे देश में कितने ही मुसलमान पहलवानों के हिन्दू शिष्य हैं और हिन्दू पहलवानों के मुसलमान शिष्य हैं। यहाँ व्यक्ति के गुण, साधना और प्रतिभा को परखा जाता है, उसके जाति-संप्रदाय, आचार-विचार और धर्म को नहीं। पुराने जमाने में मौलवी लोग बड़े- बड़े रामायणी होते थे। आज भी भरत मियाँ, रंजीत मियाँ आदि हिंदू मुसलमान गुरुओं के शिष्य हैं।
इस प्रकार भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा जाति-धर्म के ऊपर रही है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
( 1 ) प्राचीनकाल में भारतीय शिक्षाकेन्द्र कैसे थे ?
उत्तर : प्राचीनकाल में भारतीय शिक्षाकेन्द्र एक प्रकार के आश्रम अथवा मंदिर जैसे थे ।
( 2 ) प्राचीनकाल में गुरु की शिक्षादान – क्रिया क्या थी ?
उत्तर : प्राचीनकाल में गुरु की शिक्षादान – क्रिया उनका आध्यात्मिक अनुष्ठान और परमेश्वरप्राप्ति का एक माध्यम था ।
( 3 ) प्राचीन समय में गुरु को क्या समझा जाता था ?
उत्तर : प्राचीन समय में गुरु को साक्षात् परमेश्वर समझा जाता था ।
( 4 ) आज हमारे समाज में कैसी संस्कृति का बोलबाला है?
उत्तर : आज हमारे समाज में व्यावसायिक संस्कृति का बोलबाला है।
( 5 ) व्यावसायिक संस्कृति की जड़ कहाँ हैं ?
उत्तर : व्यावसायिक संस्कृति की जड़ यूरोप में हैं।
( 6 ) शिक्षण कार्य आज किसका साधन बन गया है ?
उत्तर : शिक्षण कार्य आज पेट पालने का साधन बन गया है।
( 7 ) जब रवीन्द्रनाथ ठाकुर को नोबल पुरस्कार मिला तब बंगाली लोग कौन-सा राग अलापने लगे ?
उत्तर : जब रवीन्द्रनाथ ठाकुर को नोबल पुरस्कार मिला, तब बंगाली लोग ‘अमादेर ठाकुर, अमादेर कठोर सपूत’ राग अलापने लगे।
( 8 ) भारतवासी मालाएँ लेकर किसका स्वागत करने दौड़े ?
उत्तर : भारतवासी मालाएँ लेकर स्वामी विवेकानंद का स्वागत करने दौड़े क्योंकि उन्होंने अमेरिका में अपना नाम कमाया था।
( 9 ) भारत के लोगों को अपनी मूल्यवान चीज़ों का मूल्य कब समझ में आता है ?
उत्तर : भारत के लोगों को अपनी मूल्यवान चीज़ों का मूल्य तब समझ में आता है, जब विदेशों में उनकी कदर की जाती है।
(10) भगवान रामकृष्ण परमहंस बरसों तक योग्य शिष्य पाने के लिए क्या करते थे ?
उत्तर : भगवान रामकृष्ण परमहंस योग्य शिष्य पाने के लिए बरसों तक रो-रोकर भगवान से प्रार्थना करते थे ।
(11) भगवान ईसा का कौन-सा कथन सदा स्मरणीय है ?
उत्तर : भगवान ईसा का यह कथन सदा स्मरणीय है – मेरे अनुयायी मुझसे कहीं अधिक महान हैं और उनकी जूतियाँ धोने लायक योग्यता भी मुझमें नहीं
(12) गांधीजी किन्हें अच्छे लगते हैं?
उत्तर : गांधीजी उन्हें अच्छे लगते हैं, जिनमें गांधीजी बनने की क्षमता है और जो उनका अनुसरण करना चाहते हैं ।
(13) स्वामी विवेकानंद किन्हें अच्छे लगते हैं ?
उत्तर : स्वामी विवेकानंद उन्हें अच्छे लगते हैं, जिनमें विवेकानंद बनने की अद्भुत शक्ति निहित है।
(14) प्रारंभ में किसे महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं हुआ था ?
उत्तर : प्रारंभ में स्वामी विवेकानंद को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं हुआ था।
(15) भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा का भव्य रूप आज भी कहाँ दिखाई देता है ?
उत्तर : भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा का भव्य रूप आज भी साधुओं, पहलवानों और संगीतकारों में दिखाई देता है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) सम्मान पानेवालों से सम्मान देनेवाले महान होते हैं।
उत्तर : सम्मान पानेवाले अपने किसी विशेष गुण के कारण सम्मानित होते हैं। जैसे हीरे के गुण की पहचान की जाए तो ही वह बहूमूल्य है। यदि पहचाना न जाए तो वह भी एक पत्थर ही है। उसी तरह सम्मान पानेवालों की विशेषता को परख लिया जाए, पहचान लिया जाए तो ही वे सम्माननीय हैं, नहीं तो वे साधारण मनुष्य ही समझे जाएँगे। उनकी विशेषता को समझकर उन्हें प्रकाश लानेवाले लोग ही उनका सम्मान करते हैं। इसलिए सम्मान पानेवाले से भी सम्मान देनेवाले अधिक महान होते हैं।
( 2 ) ” जो गुरु से मार खाते हैं, उनका भविष्य उज्ज्वल होगा ही । “
उत्तर : पढ़ाई के लिए विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई में होना ज़रूरी है। गुरु पढ़ा रहा है और विद्यार्थी का ध्यान कहीं और है तो वह जो पढ़ाया जा रहा है उसे ग्रहण नहीं कर सकता। गुरु के मार से विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई में लग जाता है। इस तरह जब वह एकाग्र होकर पढ़ता है तो उसे सचमुच ज्ञानप्राप्ति होती है, उसकी बुद्धि का विकास होता है और उसमें योग्यता आती है। ऐसा होने पर ही उसका भविष्य उज्ज्वल होने में संदेह नहीं रहता ।

हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर

गद्यलक्षी

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) विदेश जाना भारतीय लोगों को ……. जैसा लगता है। (स्वर्ग, नर्क)
( 2 ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर को ……. पुरस्कार मिला था । (ज्ञानपीठ, नोबल)
( 3 ) एक बार सुप्रसिद्ध भारतीय ……… गामा मुंबई गए । (संगीतकार, पहलवान)
( 4 ) रामकृष्ण परमहंस वर्षों तक योग्य …….. खोजते रहे। (गुरु, शिष्य)
( 5 ) अब शिक्षण-कार्य ……… पालने का साधन बन गया है। (पेट, परिवार)
उत्तर :
( 1 ) स्वर्ग
( 2 ) नोबल
( 3 ) पहलवान
( 4 ) शिष्य
( 5 ) पेट
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) आज शिष्यों को शुल्क देकर विद्या प्राप्त करनी पड़ती है।
( 2 ) विदेशों में कदर होने के बाद भारत में लोग व्यक्ति को सम्मान देते हैं।
( 3 ) संगीतकार की अपेक्षा श्रोता अधिक मूल्यवान है।
( 4 ) सेवा लेने और देने की वस्तु है।
( 5 ) हमारे देश में ज्ञान पाने के लिए मैक्समूलर ने जीवनभर प्रार्थना की।
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) सही
( 3 ) सही
( 4 ) गलत
( 5 ) सही
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) प्राचीन समय में भारत में विद्यालय किसके समान थे ?
( 2 ) शिक्षक आज कैसे बन गए हैं?
( 3 ) विदेश जाना भारतीय लोगों को कैसा लगता है ?
( 4 ) रामकृष्ण परमहंस के बहुत प्रार्थना करने के बाद कौन-सा शिष्य मिला ?
उत्तर :
( 1 ) आश्रम अथवा मंदिर के समान
( 2 ) वेतनभोगी
( 3 ) स्वर्ग जैसा
( 4 ) स्वामी विवेकानंद
4. सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए:
( 1 ) गुरु-शिष्य संबंधों में परिवर्तन आ गया है, क्योंकि.
(अ) अब पहले की तरह गुरुकुल नहीं रह गए हैं।
(ब) वर्तमान शिक्षा में अनुशासन का महत्त्व नहीं रहा है।
(क) आज हमारी संस्कृति व्यावसायिक हो गई है।
उत्तर : गुरु-शिष्य संबंधों में परिवर्तन आ गया है, क्योंकि आज हमारी संस्कृति व्यावसायिक हो गई है।
( 2 ) गुरु को संतान न होने पर उतना दुःख नहीं होता था, जितना ….
(अ) सम्मान न पाने पर होता था ।
(ब) उत्तम शिष्य न पाने पर होता था ।
(क) अच्छा शिक्षण संस्थान न पाने पर होता था ।
उत्तर : गुरु को संतान न होने पर उतना दुःख नहीं होता था, जितना उत्तम शिष्य न पाने पर होता था ।
( 3 ) उपनिषदों में आचार्यों ने कहा है कि ……
(अ) सेवा देने की वस्तु है, लेने की नहीं ।
(ब) मूर्ति की पूजा ही सच्ची पूजा है।
(क) बिना दंड के शिक्षा नहीं दी जा सकती।
उत्तर : उपनिषदों में आचार्यों ने कहा है कि सेवा देने की वस्तु है, लेने की नहीं।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
( 1 ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर को कौन-सा पुरस्कार मिला था ?
A. भारतरत्न
B. नोबल
C. भारतीय अकादमी
D. ज्ञानपीठ
उत्तर : B. नोबल
( 2 ) गामा कौन था ?
A. पहलवान
B. उद्योगपति
C. खिलाड़ी
D. संगीतकार
उत्तर : A. पहलवान
( 3 ) भगवान रामकृष्ण वर्षों तक ……. खोजते रहे।
A. सुन्दर आश्रम
B. मनपसंद मंदिर
C. सच्चा मित्र
D. योग्य शिष्य
उत्तर : D. योग्य शिष्य
( 4 ) उत्तम गुरु में कौन-सी …….. भावना नहीं रहती ?
A. स्वार्थ भावना
B. प्रतिशोध भावना
C. जाति भावना
D. बैर भावना
उत्तर : C. जाति भावना

व्याकरणलक्षी

1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) उत्तम
( 2 ) बोलबाला
( 3 ) साक्षात्
( 4 ) शुल्क
( 5 ) निजी
( 6 ) चेला
उत्तर :
( 1 ) श्रेष्ठ
( 2 ) प्रचलन
( 3 ) प्रत्यक्ष
( 4 ) फीस
( 5 ) अपना
( 6 ) शिष्य
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
( 1 ) रोगी
( 2 ) असहाय
( 3 ) वृद्ध
( 4 ) प्रारंभ
( 5 ) गुरु
( 6 ) रसिक
उत्तर :
( 1 ) निरोगी
( 2 ) सहाय
( 3 ) युवा
( 4 ) अंत
( 5 ) शिष्य
( 6 ) निरस
3. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
( 1 ) पराया सौंदर्य देखकर लोग मोहित हो जाते हैं।
( 2 ) आप अपने अमुक शिष्य से ही लड़कर विजय प्राप्त करके दिखाओ।
( 3 ) उनके जैसे व्यक्ति को भी उत्तम शिष्य के लिए रो-रोकर प्रार्थना करनी पड़ी थी।
( 4 ) उत्तम गुरु में जाति भावना भी नहीं रहती ।
( 5 ) सहृदयता रखनेवाले ज्ञानी और तपस्वी पुरोहित आजकल के गुरु नहीं रह गए।
उत्तर :
( 1 ) सौंदर्य
( 2 ) विजय
( 3 ) प्रार्थना
( 4 ) जाति भावना
( 5 ) सहृदयता
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
( 1 ) हमारे समाज में व्यावसायिक संस्कृति का बोलबाला है।
( 2 ) प्राचीन काल में गुरु की शिक्षादान – क्रिया उनका आध्यात्मिक अनुष्ठान थी ।
( 3 ) एक बार सुप्रसिद्ध भारतीय पहलवान गामा मुंबई आए ।
( 4 ) हमारा अपना एक निजी रहन-सहन है, इससे आप परिचित नहीं है।
( 5 ) गुरु के लिए अपना शिष्य कितना महँगा और महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर :
( 1 ) व्यावसायिक
( 2 ) प्राचीन, आध्यात्मिक
( 3 ) सुप्रसिद्ध
( 4 ) निजी परिचित
( 5 ) महँगा, महत्त्वपूर्ण
5. सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके लिखिए:
( 1 ) इसमें और मुझमें फरक ही कुछ नहीं है । (भविष्यकाल में बदलिए ।)
( 2 ) हम अपने शिष्यों से कम प्रमुख रहें । (पूर्ण भूतकाल में बदलिए ।)
( 3 ) उपनिषदों में आचार्यों ने कहा है । (सामान्य भूतकाल में बदलिए ।)
उत्तर :
( 1 ) इसमें और मुझमें फरक ही कुछ नहीं होगा ।
( 2 ) हम अपने शिष्यों से कम प्रमुख रहे थे।
( 3 ) उपनिषदों में आचार्यों ने कहा ।
6. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) गुरु के पदचिह्नों पर चलनेवाला
( 2 ) अच्छी तरह से प्रसिद्ध हुआ हो
( 3 ) संगीत को जाननेवाला
( 4 ) जमीन और आसमान की मिलनेवाली आभासी रेखा
( 5 ) वेतन पर गुजारा करनेवाला
( 6 ) याद रखने लायक
( 7 ) रस का आस्वाद करना
( 8 ) राम की कथा कहनेवाला
उत्तर :
( 1 ) अनुयायी
( 2 ) सुप्रसिद्ध
( 3 ) संगीतज्ञ
( 4 ) क्षितिज
( 5 ) वेतनभोगी
( 6 ) स्मरणीय
( 7 ) रसास्वादन
( 8 ) रामाणी
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