Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 17 तुलसी के पद (पद्य)

Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 17 तुलसी के पद (पद्य)

विषय-प्रवेश

संत तुलसीदास भगवान राम के परम भक्त थे। राम ही उनके सबकुछ थे। राम के चरणों को छोड़कर वे अन्य किसी देवता की शरण में जाने को तैयार नहीं थे । यहाँ उनके दो पद दिए गए हैं।
पहले पद में वे राम के चरणों में अपना समर्पण भाव और उनके प्रति अपनी अटूट निष्ठा प्रकट करते हैं। दूसरे पद में उन्होंने राम के प्रति अपने अनेक संबंध बताकर उनके चरणों की शरण पाने की याचना की है।

पदों का सार

( 1 ) हे प्रभु, मैं आपके चरण छोड़कर और कहाँ जाऊँ ? संसार में एक आप ही पतितपावन हैं। आप ही दीनबंधु हैं । पापियों का उद्धार करनेवाला आप जैसा और कोई नहीं है । देवता, राक्षस आदि सब माया के वशीभूत हैं। उनसे अपनापन जोड़ने से कोई लाभ नहीं है।
( 2 ) हे प्रभु, आपके और मेरे बीच अनेक संबंध हैं। आप किसी संबंध से मुझसे जुड़े रह सकते हैं। आप मेरे माता, पिता, गुरु, मित्र आदि सबकुछ हैं। मैं तो किसी भी संबंध के द्वारा आपके चरणों की शरण पाना चाहता हूँ।

टिप्पणियाँ

खग – जटायु, रामायण का एक प्रसिद्ध गिद्ध । वह सूर्य के सारथी अरुण का पुत्र था। सीताहरण के समय इसने रावण से युद्ध किया और वह घायल हुआ। राम को सीताहरण का समाचार देने के बाद उसने प्राण छोड़े।
मृग – मारीच, एक राक्षस जो ताड़का राक्षसी का पुत्र तथा रावण का अनुचर था। वह सुवर्णमृग के रूप में राम द्वारा मारा गया था ।
ब्याध – पहले वाल्मीकि हिंसावृत्ति से जीवन यापन करते थे, परंतु बाद में सनकादि ऋषियों के उपदेश से जीवहिंसा छोड़कर तपस्या में लगे और महर्षि वाल्मीकि कहलाए । इन्होंने रामायण की रचना की ।
पषान अहल्या, महर्षि गौतम की पत्नी । शापवश वह पत्थर बन गई थी। राम के चरणों के स्पर्श से इसका उद्धार हुआ।
बिटप – यमलार्जुन, कुबेर के पुत्र नलकुबेर और मणिग्रीवा नारद शापवश गोकुल में दो अर्जुन वृक्षों के रूप में उत्पन्न हुए। किसी अपराध पर जब यशोदा ने कृष्ण को इन पेड़ों से बाँधा तो वे गिर पड़े और उनका उद्धार हो गया ।
जवन – एक यवन। कहा जाता है कि एक मुसलमान सूकर के आघात से मरते समय ‘हराम’ शब्द कहा था। अनजाने में ही ‘राम’ शब्द का उच्चारण करने से उसकी मुक्ति हो गई ।

पदों के अर्थ

( 1 ) जाऊँ कहाँ …….. अपनपौ हारे । [1-6]
भक्त तुलसीदास भगवान राम से कहते हैं कि हे प्रभु, मैं आपके चरणों को छोड़कर और कहाँ जाऊँ ? संसार में पतितपावन नाम और किसका है ? दीन-दुःखी लोग आपके सिवाय और किसे प्रिय हैं ? आपके सिवा अन्य किस देव ने हठ करके दुष्टों का उद्धार किया है और बड़प्पन पाया है? पक्षी, मृग, ब्याध, पाषाण (पत्थर) जड़, वृक्ष, यवन को किस देवता ने तारा है ? देवता, राक्षस, मुनि, नाग (हाथी), मनुष्य ये सब माया के वशीभूत हैं और उसी के बारे में सोचते-विचारते हैं। तुलसीदास कहते हैं कि हे प्रभु, इनसे अपनापन जोड़ने से कोई लाभ नहीं ।
(2) तू दयालु …….. चरण-शरण पावै । [7-14]
हे प्रभु, आप दयालु हैं तो मैं दीन अर्थात् दयापात्र हूँ । आप दानी हैं तो मैं भिखारी हूँ । यदि मैं प्रसिद्ध पापी हूँ, तो आप जैसा पापों के समूह को नष्ट करनेवाला दूसरा कोई नहीं है । आप अनाथों के नाथ हैं, तो मुझ जैसा कोई अनाथ नहीं है। मेरे जैसा कोई दुःखी नहीं है और आप जैसा कोई दुःख दूर करनेवाला नहीं है। हे प्रभु, आप ब्रह्म हैं, तो मैं जीव हूँ। आप स्वामी हैं, तो मैं आपका सेवक (दास) हूँ। आप मेरे माता, पिता, गुरु, मित्र और सब तरह से मेरे हितैषी हैं। आप और मेरे बीच अनेक रिश्ते हैं। इनमें से जो रिश्ता आपको पसंद हो, वह मुझसे आप जोड़ सकते हैं। तुलसीदासजी कहते हैं कि हे कृपालु, मैं तो किसी तरह आपके चरणों की शरण पाना चाहता हूँ ।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए :
( 1 ) तुलसीदासजी प्रभु के चरणों को छोड़कर कहीं और क्यों नहीं जाना चाहते हैं ?
उत्तर : तुलसीदासजी के अनुसार प्रभु श्रीराम पतितपावन हैं। वे दीन-दुःखी जनों के प्रेमी हैं। उन्होंने हठ करके अनेक दुष्टों का उद्धार किया है। पक्षी, मृग, व्याध, पाषाण, वृक्ष और यवन का उद्धार करने में भी उन्होंने देर नहीं की। बाकी देवता, मुनि और मनुष्य आदि माया के वशीभूत हैं। उनसे संबंध जोड़ने का अर्थ नहीं है। श्रीराम जैसी दया और सामर्थ्य और किसी में नहीं है। इसलिए तुलसीदासजी अपने प्रभु के चरणों को छोड़कर और कहीं जाना नहीं चाहते ।
( 2 ) तुलसीदास ने अपने और भगवान के बीच कौन-कौन से संबंध जोड़े हैं ? क्यों ?
उत्तर : तुलसीदास किसी भी रूप में भगवान से जुड़े रहना चाहते हैं। इसीलिए वे कहते हैं कि भगवान दयालु हैं तो वह दीन अर्थात् दया के पात्र हैं। यदि प्रभु दानी हैं, तो तुलसीदासजी भिखारी हैं। प्रभु पापों का नाश करते हैं, तो तुलसीदास जैसा कोई पापी नहीं । प्रभु अनाथों के नाथ हैं, तो तुलसीदासजी जैसा कोई अनाथ नहीं । यदि प्रभु दुःख दूर करते हैं, तो तुलसीदासजी जैसा कोई दुःखी नहीं हैं। प्रभु ब्रह्म हैं, तो तुलसीदास जीव हैं। प्रभु स्वामी हैं, तो तुलसीदासजी सेवक हैं। भगवान ही तुलसीदास के माता, पिता, गुरु, सखा आदि सबकुछ हैं।
इस प्रकार तुलसीदास ने भगवान से अपने अनेक संबंध जोड़े हैं। इसका कारण यह है कि वे किसी भी संबंध से भगवान की शरण पाना चाहते हैं।
( 3 ) ‘तोहि मोहि नाते अनेक, मानिए जो भावे’ का भावार्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : तुलसीदास ने भगवान से अपने अनेक नाते बताए हैं। वे भगवान से कहते हैं कि इनमें से जो नाता आपको स्वीकार हो, उस नाते से मेरे से जुड़े रहें । तुलसी जानते हैं कि जब तक भगवान से एक निश्चित नाता नहीं होता तब तक भक्ति करने में आनंद नहीं आता। एक नाता जुड़ जाने से ही भक्ति में गहराई आती है। उससे भगवान को एक निश्चित संबोधन से पुकारने में सरलता होती है और अपनत्व बढ़ाने में मदद मिलती है। इसलिए तुलसीदास भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे उनसे कोई एक निश्चित नाता बनाकर उन्हें अपना लें।
( 4 ) ‘तू दयालु, दीन हौं ।’ नामक पद के द्वारा भक्त कवि तुलसीदास ने भगवान श्रीराम की महत्ता के बारे क्या कहा है?
उत्तर : ‘तू दयालु, दीन हौं ।’ पद में तुलसीदासजी भगवान श्रीराम को अत्यंत समर्थ और भक्तवत्सल कहते हैं । भगवान श्रीराम बड़े दयालु और महान दाता हैं। वे अपने भक्तों के पापों के समूह का नाश करनेवाले हैं। वे अनाथों के नाथ और भक्तों के दुःख हरनेवाले हैं। भगवान राम परब्रह्म हैं। वे सबके स्वामी हैं। उनसे संबंध जुड़ जाने पर भक्त को माता, पिता, गुरु, मित्र और हितैषी का अभाव नहीं रहता। श्रीराम के रूप में उसे समर्थ रक्षक मिल जाता है।
इस प्रकार इस पद में तुलसीदास अपने आराध्य भगवान राम की अपार महिमा पर प्रकाश डालते हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
( 1 ) तुलसीदास ने भगवान के कौन-कौन से गुण बताए हैं ?
उत्तर : तुलसीदासजी कहते हैं कि भगवान अत्यंत दयालु, दानी और पापहर्ता हैं। वे अनाथों के नाथ, दुखियों के दुःख दूर करनेवाले तथा सब तरह से हितैषी हैं।
( 2 ) भगवान से तुलसीदास के कौन-कौन से नाते हैं ?
उत्तर : तुलसीदास किसी-न-किसी प्रकार से भगवान की शरण में रहना चाहते हैं। इसलिए वे उनसे दयालु और दयापात्र, दाता और भिक्षुक, पतितपावन और पापी, अनाथों के नाथ और अनाथ का संबंध बताते हैं। इसके अतिरिक्त वे उन्हें अपने माता, पिता, गुरु और मित्र के रूप में भी देखते हैं। इस प्रकार तुलसीदास के भगवान से अनेक नाते हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
( 1 ) तुलसीदासजी किसके चरण नहीं छोड़ना चाहते ?
उत्तर : तुलसीदासजी अपने स्वामी श्रीराम के चरण नहीं छोड़ना चाहते।
( 2 ) तुलसीदासजी के मत से कौन पतितपावन हैं ?
उत्तर : तुलसीदासजी के मत से उनके स्वामी श्रीराम पतितपावन हैं
( 3 ) भगवान को अति दीन कैसे लगते हैं?
उत्तर : भगवान को अति दीन प्रिय लगते हैं।
( 4 ) भगवान ने हठ करके किनका उद्धार किया ?
उत्तर : भगवान ने हठ करके पक्षी, मृग, ब्याध, पाषाण, वृक्ष और यवन का उद्धार किया।
( 5 ) माया के प्रति विवश होकर कौन-कौन सोचते हैं ?
उत्तर : देवता, राक्षस, मुनि, नाग (हाथी), मनुष्य – ये सब माया के प्रति विवश होकर सोचते हैं।
( 6 ) प्रभु दानी हैं, तो कवि क्या है?
उत्तर : प्रभु दानी हैं, तो कवि भिखारी हैं।
( 7 ) कवि ‘पापपुंजहारी’ किसे कहते हैं ?
उत्तर : कवि भगवान श्रीराम को ‘पापपुंजहारी’ कहते हैं ।
( 8 ) दयालु और दानी भगवान के सामने तुलसीदास अपने आपको क्या मानते हैं ?
उत्तर : दयालु और दानी भगवान के सामने तुलसीदास अपने आपको दीन और भिखारी मानते हैं।
( 9 ) अगर तुलसीदास प्रसिद्ध पातकी हैं, तो श्रीराम कौन हैं ?
उत्तर : अगर तुलसीदास प्रसिद्ध पातकी हैं, तो श्रीराम पापों के समूह का नाश करनेवाले हैं।
(10) यदि राम ब्रह्म हैं, तो तुलसीदास कौन हैं ?
उत्तर : यदि राम ब्रह्म हैं, तो तुलसीदास संसार के बंधन में पड़े हुए जीव हैं।
(11) तुलसीदास भगवान श्रीराम की शरण क्यों चाहते हैं?
उत्तर : तुलसीदास भगवान श्रीराम की शरण चाहते हैं। क्योंकि, राम के समान दुःखों को दूर करनेवाला दूसरा कोई नहीं हैं।
(12) तुलसीदास भगवान को अपना क्या – क्या मानते हैं?
उत्तर : तुलसीदास भगवान को अपने माता, पिता, गुरु और मित्र मानते हैं।
(13) वास्तव में तुलसीदास क्या चाहते हैं ?
उत्तर : वास्तव में तुलसीदास किसी भी तरह भगवान के चरणों की शरण पाना चाहते हैं ।
(14) तुलसीदास भगवान से कोई भी नाता जोड़ने को क्यों तैयार हैं?
उत्तर : तुलसीदास भगवान से कोई भी नाता जोड़ने को तैयार हैं, क्योंकि वे भगवान की शरण पाना चाहते हैं।
(15) तुलसीदास किसके परम भक्त थे ?
उत्तर : तुलसीदास भगवान श्रीराम के परम भक्त थे ।
प्रश्न 4. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) देव, दनुज, मुनि, नाग, मनुज, सब मायाबिबस बिचारे ।।
तिनके हाथ दासतुलसी प्रभु, कहा अपनपौ हारे ।।
उत्तर : हे भगवान राम ! देवता, राक्षस, मुनि, हाथी, वृक्ष, यवन, देवता आदि सब माया के वशीभूत हैं। इनमें मुझ जैसों के प्रति अपनापन नहीं हो सकता। इसलिए इनसे किसी तरह की सहायता की आशा करना व्यर्थ है। हे प्रभु, मायारहित केवल आप ही हैं। मुझ जैसे भक्तों का ख्याल केवल आप ही रख सकते हैं। इसलिए आपके सिवा मैं और किसी की शरण में जाने की बात नहीं सोच सकता ।
( 2 ) नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोंसो ?
मो समान आरत नहि, आरतिहर तोसो ।।
उत्तर : तुलसी भगवान से कहते हैं कि जिनका संसार में कोई रक्षक नहीं है, उनकी रक्षा आप ही करते हैं । मेरे जैसा और कोई अनाथ नहीं है। इसलिए आपको ही मेरी रक्षा करनी होगी, मेरे समान कोई दुःखी नहीं है। अपने दु:ख दूर करने के लिए मैं आपको ही पुकारूँगा, क्योंकि आपके समान दुखियों के दुःख हरनेवाला दूसरा कोई नहीं है।

हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर

पद्यलक्षी

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) हिंदी के शीर्ष कवि के रूप में …….. का नाम आता है। (सूरदासजी, तुलसीदासजी)
( 2 ) बाबा …….. ने तुलसीदासजी को अपने पास रखा। (हरिदास, भारती)
( 3 ) जटायु सूर्य के सारथी का ……… था। (पुत्र, अनुज)
( 4 ) गोस्वामी तुलसीदासजी का श्रेष्ठ ग्रंथ ……… है। ( रामायण, रामचरितमानस)
( 5 ) संसार राम को ………. नाम से जानता है। (पतितपावन, पालनकर्ता)
उत्तर :
( 1 ) तुलसीदासजी
( 2 ) हरिदास
( 3 ) पुत्र
( 4 ) रामचरितमानस
( 5 ) पतितपावन
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) भगवान को अत्यंत दीन लोग ही प्रिय हैं।
( 2 ) तुलसीदासजी राम को अपना परिचय अत्यंत पापी के रूप में कराते हैं।
( 3 ) श्रीराम परम ब्रह्म हैं।
( 4 ) तुलसीदासजी राम से किसी भी तरह से नाता जोड़ना नहीं चाहते।
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) सही
( 3 ) सही
( 4 ) गलत
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) राम ने सुवर्णमृग के रूप में किसका उद्धार किया ?
( 2 ) पत्थर के स्पर्श से राम ने किस नारी को शापमुक्त किया ?
उत्तर :
( 1 ) मारीच का
( 2 ) अहल्या को
4. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए:
( 1 ) संसार राम को किस नाम से जानता है?
A. मनभावन
B. चित्तचोर
C. गोपीवल्लभ
D. पतितपावन
उत्तर : D. पतितपावन
( 2 ) तुलसीदास अपने आपको क्या मानते हैं ?
A. प्रसिद्ध पातकी
B. प्रसिद्ध भक्त
C. महाकवि
D. श्रेष्ठ कथाकार
उत्तर : A. प्रसिद्ध पातकी
( 3 ) भगवान के साथ तुलसीदास के कितने नाते हैं ?
A. दो
B. तीन
C. चार
D. अनेक
उत्तर : D. अनेक

व्याकरणलक्षी

1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) अधम
( 2 ) दनुज
( 3 ) मनुज
( 4 ) पातकी
( 5 ) आरत
( 6 ) चेरो
( 7 ) विधि
( 8 ) खग
( 9 ) बिटप
(10) व्याध
(11) दीन
(12) तात
(13) सखा
(14) नाता
(15) शरण
उत्तर :
( 1 ) नीच
( 2 ) राक्षस
( 3 ) मनुष्य
( 4 ) पापी
( 5 ) दु:खी
( 6 ) दास
( 7 ) प्रकार
( 8 ) पक्षी
( 9 ) वृक्ष
(10) शिकारी
(11) दरिद्र
(12) पिता
(13) मित्र
(14) रिश्ता
(15) आश्रय
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
( 1 ) विनय
( 2 ) पापी
( 3 ) मानव
( 4 ) दानी
( 5 ) कृपा
( 6 ) उद्धार
( 7 ) समान
उत्तर :
( 1 ) उद्दंडता
( 2 ) पुण्यशाली
( 3 ) दानव
( 4 ) भिखारी
( 5 ) अवकृपा
( 6 ) पतन
( 7 ) असमान
3. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
( 1 ) मनुष्य जीवन में उत्पन्न होनेवाली समस्याओं का कारण घमंड ही होता है।
( 2 ) हमारी प्रगति का मूल विनयपूर्वक व्यवहार करना है।
( 3 ) सांसारिक दुःखों के लिए हमारे कर्म ही जिम्मेदार हैं।
( 4 ) मनुष्य के पाप ही एक दिन उसे खा जाते हैं।
उत्तर :
( 1 ) घमंड
( 2 ) व्यवहार
( 3 ) दुःख
( 4 ) पाप
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
( 1 ) मैं बड़ा पापी हूँ और तू पापों को दूर करनेवाला है।
( 2 ) हे प्रभु! तू ही मेरा हितैषी है, और कोई नहीं ।
( 3 ) तुलसीदास भगवान से कोई निश्चित नाता बनाकर उनके हो जाना चाहते हैं।
( 4 ) प्रभु राम दानी हैं और तुलसीदास भीख माँगनेवाले हैं।
उत्तर :
( 1 ) पापी
( 2 ) हितैषी
( 3 ) निश्चित
( 4 ) दानी
5. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) पापियों का उद्धार करनेवाला
( 2 ) जिसकी रक्षा करनेवाला कोई नहीं हो
( 3 ) किसी दूसरे स्थान पर
( 4 ) दुःखों को दूर करनेवाला
उत्तर :
( 1 ) पापोद्धारक
( 2 ) अनाथ
( 3 ) अन्यत्र
( 4 ) आरतिहर
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