Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 2 न्यायमंत्री (गद्य)

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Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 2 न्यायमंत्री (गद्य)

विषय-प्रवेश

श्री सुदर्शनजी हिन्दी के पुराने और मंजे हुए कहानीकार थे। इनकी कहानियाँ रोचक होती हैं, साथ ही उनमें कोई न कोई संदेश भी छिपा रहता है। यह कहानी न्याय में निष्पक्षता का संदेश देती है।

पाठ का सार

शिशुपाल के घर एक युवक का आगमन : एक दिन शाम के अँधेरे में शिशुपाल ब्राह्मण के घर एक युवक आया । शिशुपाल ने अतिथि मानकर उसका स्वागत किया ।
राज्य में फैले अन्याय की चर्चा : आतिथ्य सत्कार के बाद शिशुपाल ने राज्य में चारों तरफ हो रहे अन्याय की चर्चा की। युवक इससे सहमत नहीं हुआ। उसने कहा, “दोष निकालना तो सरल है, कुछ करके दिखाना कठिन है ।” इस पर शिशुपाल ने कहा, “यदि अवसर मिले तो दिखा दूँगा कि न्याय किसे कहते हैं । “
शिशुपाल का न्यायमंत्री बनना : वह युवक और कोई नहीं, स्वयं सम्राट अशोक थे । एक दिन उन्होंने शिशुपाल को अपने दरबार में बुलाया और अपनी राजमुद्रा देकर उसे न्यायमंत्री बना दिया ।
शिशुपाल को अवसर मिला : शिशुपाल को न्यायमंत्री बने अभी एक ही महीना हुआ था कि एक रात किसी ने एक पहरेदार की हत्या कर दी । शिशुपाल ने अपराधी का पता लगाने में दिन-रात एक कर दिया ।
स्वयं सम्राट ही अपराधी : शिशुपाल को पता चला कि सम्राट अशोक ही पहरेदार की हत्या के अपराधी थे ।
सम्राट की गिरफ़्तारी : सम्राट को गिरफ़्तार करना आसान न था, परंतु शिशुपाल न्यायमंत्री था । उसे तो निर्भय होकर न्याय करना था । उसने सम्राट को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया। सिपाही ने सम्राट अशोक के हाथों में हथकड़ियाँ पहना दीं।
सोने की मूर्ति को फाँसी : सम्राट अपराधी तो थे, परंतु उन्हें साधारण अपराधी की तरह दंड नहीं दिया जा सकता था । इसलिए शास्त्र की आज्ञा के अनुसार सम्राट की सोने की मूर्ति को फाँसी दी गई।
न्यायमंत्री की जय-जयकार : शिशुपाल के न्याय से लोग बहुत प्रसन्न हुए । सम्राट ने भी उसके न्याय की प्रशंसा की ।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) सम्राट अशोक ने न्यायमंत्री की खोज कैसे की ?
उत्तर : अपने राज्य को अपराधमुक्त करने के लिए सम्राट अशोक को एक सुयोग्य न्यायमंत्री की आवश्यकता थी। न्यायमंत्री की खोज के लिए उन्होंने एक परदेशी नवयुवक का वेश धारण किया । घूमते-घूमते वे ब्राह्मण शिशुपाल के यहाँ पहुँचे। शिशुपाल न्याय प्रेमी था । न्याय किसे कहते हैं, यह दिखाने के लिए उसे अवसर की तलाश थी। सम्राट अशोक ने उसे अवसर दिया। हत्या का अपराध होने पर शिशुपाल ने निष्पक्ष व्यवहार किया। उसने सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की। उसके इस साहस और निष्पक्ष व्यवहार से सम्राट प्रसन्न हो गए।
इस प्रकार सम्राट अशोक ने सही न्यायमंत्री की खोज की।
( 2 ) सम्राट अशोक ने न्यायमंत्री का पद देते हुए शिशुपाल को क्या दिया ?
उत्तर : सम्राट अशोक ने शिशुपाल को अपने दरबार में बुलाया । उन्होंने शिशुपाल से कहा कि, मैं आपको न्याय करने का अवसर देना चाहता हूँ। शिशुपाल भी इस अवसर के लिए तैयार था। यह जानकर सम्राट ने उन्हें न्यायमंत्री बनाया और पहचानने के लिए उसे राजमुद्रा दी ।
( 3 ) शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य में न्याय के विषय में क्या परिवर्तन हुआ ?
उत्तर : न्यायमंत्री बनते ही शिशुपाल ने अपनी कुशलता का परिचय दिया। उन्होंने राज्य को अपराध रहित बनाना शुरू कर दिया। उनके सुप्रबंध का अच्छा असर हुआ। राज्य में पूरी तरह शांति रहने लगी। किसी को किसी प्रकार का भय नहीं रहा। लोग अपने घर के दरवाजे खुले छोड़कर बाहर जाने लगे। चारों तरफ न्यायमंत्री के सुप्रबंध और न्याय की धूम मच गई।
इस प्रकार शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य की परिस्थितियाँ बदल गईं।
( 4 ) सम्राट अशोक क्यों गद्गद् हो गए ?
उत्तर : सम्राट अशोक ने शिशुपाल को न्याय का असली रूप दिखाने का अवसर दिया था। उन्होंने देखा कि शिशुपाल न्याय की कसौटी पर खरा उतरा था। हत्यारे सम्राट के प्रति उसने जरा भी नरम रुख नहीं अपनाया। उसने अपराधी सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की। दंड देते समय शिशुपाल ने जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। अपने साहसपूर्ण और निष्पक्ष व्यवहार से उसने सम्राट का दिल जीत लिया।
इस प्रकार न्यायमंत्री के रूप में शिशुपाल को सफल होते देखकर सम्राट अशोक गद्गद् हो गए ।
( 5 ) न्यायमंत्री ने अपराधी सम्राट के जीवन की रक्षा किस प्रकार की ?
उत्तर : सम्राट अशोक ने एक राजकर्मचारी की हत्या की थी। इस अपराध के लिए न्यायमंत्री ने उन्हें मृत्युदंड देने की घोषणा की। परंतु अपराधी और कोई नहीं स्वयं सम्राट थे। शास्त्रों में राजा को ईश्वररूप माना गया है। इसलिए उसे केवल ईश्वर ही दंड दे सकता है। न्यायमंत्री ने सम्राट की जगह उनकी सोने की मूर्ति को फाँसी पर लटकवा दिया।
इस प्रकार न्यायमंत्री ने अपराधी सम्राट के जीवन की रक्षा की।
( 6 ) न्यायमंत्री निरुत्तर क्यों हो गए ?
उत्तर : शिशुपाल न्यायमंत्री की कसौटी पर खरे उतरे थे। सम्राट अशोक ऐसे व्यक्ति को पाकर गद्गद् हो गए। लोगों ने भी शिशुपाल का न्याय सुनकर उनकी जय-जयकार की। परंतु शिशुपाल को लगा कि न्यायमंत्री की यह जिम्मेदारी उनसे नहीं सँभाली जाएगी। उन्होंने सम्राट से राजमुद्रा वापस लेने की प्रार्थना की। परंतु अशोक ने कहा कि उन्होंने अपने न्यायपूर्ण व्यवहार से उनकी आँखें खोल दी हैं। यह जिम्मेदारी उनके सिवाय और कोई नहीं उठा सकता ।
सम्राट के इस आग्रह को देखकर न्यायमंत्री निरुत्तर हो गए।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो- तीन वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) परदेशी शिशुपाल की किस बात से सहमत नहीं हुआ ?
उत्तर : शिशुपाल ने परदेशी से कहा कि सम्राट अशोक के शासन में चारों तरफ अन्याय हो रहा है। शिशुपाल की इस बात से परदेशी सहमत नहीं हुआ।
( 2 ) सम्राट अशोक ने शिशुपाल को दरबार में क्यों बुलाया ?
उत्तर : सम्राट अशोक शिशुपाल को न्याय करने का अवसर देना चाहते थे। शिशुपाल को राज्य का न्यायमंत्री बनाने के लिए सम्राट अशोक ने उसे दरबार में बुलाया ।
( 3 ) न्यायमंत्री ने अंत में क्या निर्णय दिया ?
उत्तर : न्यायमंत्री ने सम्राट को फाँसी की सज़ा दी। परंतु उनके स्थान पर सोने की मूर्ति को फाँसी पर लटका देने का आदेश दिया ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए: 
( 1 ) शिशुपाल ने अपने घर का दरवाज़ा क्यों खोल दिया ?
उत्तर : एक अतिथि को शाम के अँधेरे में आश्रय के लिए आया देखकर शिशुपाल ने अपने घर का दरवाज़ा खोल दिया।
( 2 ) शिशुपाल किस अवसर की तलाश में था ?
उत्तर : शिशुपाल सच्चा न्याय कैसा होता है यह दिखाने के अवसर की तलाश में था ।
( 3 ) न्याय के विषय में शिशुपाल के क्या विचार थे ?
उत्तर : शिशुपाल मानता था कि न्याय ऐसा हो कि कोई अन्याय और अपराध करने का साहस न कर सके ।
( 4 ) परदेशी कौन था ? उसने दूसरे दिन क्या किया ?
उत्तर : परदेशी स्वयं सम्राट अशोक था। दूसरे दिन सुबह उठकर परदेशी ने शिशुपाल को धन्यवाद देकर उससे विदा ली।
( 5 ) सम्राट अशोक ने शिशुपाल को राजमुद्रा क्यों दी?
उत्तर : सम्राट अशोक ने शिशुपाल को न्यायमंत्री के पद पर नियुक्ति के रूप में राजमुद्रा दी।
( 6 ) राज्य में न्याय के विषय में परिस्थितियाँ कैसे बदल गईं ?
उत्तर : शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य में पूरी तरह शांति रहने लगी, किसी को किसी प्रकार का भय न रहा ।
( 7 ) पहरेदार की हत्या होने पर शिशुपाल की स्थिति कैसी हो गई ?
उत्तर : पहरेदार की हत्या होने पर शिशुपाल की नींद उड़ गई और अपराधी का पता लगाने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिए।
( 8 ) सम्राट ने पहरेदार को मारने का क्या कारण बताया ?
उत्तर : सम्राट ने पहरेदार को मारने का कारण बताते हुए कहा कि वह बहुत उदंड था।
( 9 ) अपराधी का पता चलने पर शिशुपाल ने क्या किया ?
उत्तर : अपराधी का पता चलने पर शिशुपाल ने सम्राट अशोक को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया।
(10) शास्त्रों ने राजा को क्या बताया है ?
उत्तर : शास्त्रों ने राजा को ईश्वर का रूप बताया है।
प्रश्न 4. न्यायमंत्री के रूप में शिशुपाल को घोषित करते हुए सम्राट अशोक ने उसे राजमुद्रा दी। इसका अर्थ है ….
(अ) मैं आपसे प्रसन्न हूँ ।
(ब) आपके न्यायमंत्री होने की यह तनख़्वाह है।
(क) यह मेरी ओर से पुरस्कार है।
(ड) यह तुम्हारे न्यायमंत्री होने की पहचान है।
उत्तर : यह तुम्हारे न्यायमंत्री होने की पहचान है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित विधान कौन कहता हैं ? क्यों ?
( 1 ) ” यह मेरा सौभाग्य है । “
उत्तर : यह विधान शिशुपाल अपने द्वार आए परदेशी युवक से कहता है, क्योंकि वह अतिथि का सत्कार करना अपना कर्तव्य समझता है।
( 2 ) ” दोष निकालना तो सुगम है, परंतु कुछ कर दिखाना कठिन है।” 
उत्तर : यह वाक्य परदेशी युवक (सम्राट अशोक) शिशुपाल से कहता है, क्योंकि शिशुपाल उससे सम्राट अशोक के राज्य में हो रहे अन्याय की शिकायत करता है।
( 3 ) “ब्राह्मण के लिए कुछ भी कठिन नहीं है। मैं न्याय का डंका बजाकर दिखा दूँगा । “
उत्तर : यह वाक्य शिशुपाल परदेशी नवयुवक से कहता है, क्योंकि परदेशी नवयुवक उससे राज्य को अपराधमुक्त करने का वचन लेना चाहता है।
( 4 ) ” तो तुम अपराध स्वीकार करते हो?”
उत्तर : यह वाक्य न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक से कहता है, क्योंकि उसने पहरेदार की हत्या की थी ।
( 5 ) “महाराज यह राजमुद्रा वापस ले लें, मुझसे यह बोझ नहीं उठाया जाएगा।”
उत्तर : यह वाक्य न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक से कहता है, क्योंकि उसे लगता है कि वह न्यायमंत्री की जिम्मेदारी नहीं सँभाल पाएगा।
प्रश्न 6. सोचकर बताइए :
( 1 ) आप न्यायमंत्री होते तो क्या करते ?
उत्तर : मैं न्यायमंत्री होता तो वही करता जो शिशुपाल ने किया ।
( 2 ) सम्राट अशोक की आँखें किस कारण खुल गईं ?
उत्तर : सम्राट अशोक की आँखें खुल गईं, क्योंकि शिशुपाल ने उसे दिखा दिया कि सच्चा न्याय किसे कहते हैं।
( 3 ) शिशुपाल के साहस की सम्राट अशोक ने क्यों प्रशंसा की ?
उत्तर : शिशुपाल ने सम्राट अशोक को पहरेदार की हत्या का अपराधी बताया। उसने सम्राट को मृत्युदंड देने में जरा भी झिझक नहीं दिखाई। उसकी इस निष्पक्षता और निडरता के कारण सम्राट अशोक ने उसके साहस की प्रशंसा की ।

हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर

गद्यलक्षी

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) सम्राट के हाथों में …….. पड़ गई। (अँगूठी, हथकड़ी)
( 2 ) शास्त्रों ने राजा को …….. के समान बताया है। (ईश्वर, पहरेदार)
( 3 ) महाराज यह …… वापस ले लीजिए, मुझसे यह बोझ नहीं उठाया जाएगा। (राष्ट्रमुद्रा, राजमुद्रा )
( 4 ) …….. देकर सम्राट को छोड़ दिया जाए। ( चेतावनी, दंड)
( 5 ) मैं आपको …… करने का अवसर देना चाहता हूँ । (न्याय, काम)
उत्तर :
( 1 ) हथकड़ी
( 2 ) ईश्वर
( 3 ) राजमुद्रा
( 4 ) चेतावनी
( 5 ) न्याय
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए ;
( 1 ) शिशुपाल न्याय की कसौटी पर खरा उतरा ।
( 2 ) स्वयं सम्राट ही निरपराधी थे ।
( 3 ) शिशुपाल ने सम्राट से राजमुद्रा वापस लेने की प्रार्थना की।
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) गलत
( 3 ) सही
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) परदेशी युवक कौन था ?
( 2 ) सम्राट अशोक ने किसे न्यायमंत्री बनाया?
( 3 ) सम्राट अशोक ने किसकी हत्या की ?
( 4 ) न्यायमंत्री ने सम्राट को क्या सज़ा दी ?
उत्तर :
( 1 ) स्वयं सम्राट अशोक
( 2 ) शिशुपाल
( 3 ) पहरेदार की
( 4 ) फाँसी की को
4. सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए : 
(1) अवसर मिले तो दिखा दूँ कि ….
(अ) मंत्री कैसा होता है।
(ब) अपराधी को कैसे पकड़ा जाए।
(क) न्याय किसे कहते हैं।
उत्तर : अवसर मिले तो दिखा दूँ कि न्याय किसे कहते हैं।
(2) शिशुपाल की नींद उड़ गई, क्योंकि ….
(अ) किसी ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी।
(ब) एक पहरेदार की हत्या हो गई थी ।
(क) महाराज की ओर से उन्हें शीघ्र हाजिर होने का आदेश मिला था।
उत्तर : शिशुपाल की नींद उड़ गई, क्योंकि एक पहरेदार की हत्या हो गई थी।
(3) राजा को ईश्वर ही दंड दे सकता है, क्योंकि..
(अ) लोग उसे ईश्वर मानते हैं।
(ब) शास्त्रों ने उसे ईश्वर का रूप माना है।
(क) न्यायमंत्री तो उसका सेवक है।
उत्तर : राजा को ईश्वर ही दंड दे सकता है, क्योंकि शास्त्रों ने उसे ईश्वर का रूप माना है।
(4) महाराज, यह राजमुद्रा वापस ले लें, क्योंकि…..
(अ) “मैं यह बोझ उठा न सकूँगा ।”
(ब) “मैं इसकी रक्षा न कर सकूँगा।”
(क) “मैं अब बूढ़ा हो चुका हूँ ।”
उत्तर : महाराज, यह राजमुद्रा वापस ले लें, क्योंकि “मैं यह बोझ उठा न सकूँगा।”
5. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए:
( 1 ) शिशुपाल के घर का दरवाज़ा खटखटानेवाला कौन था ?
A. भिखारी
B. व्यापारी
C. परदेशी
D. पहरेदार
उत्तर : C. परदेशी
( 2 ) परदेशी को क्या काटना था ?
A. दिन
B. समय
C. दोपहर
D. रात
उत्तर : D. रात
( 3 ) कुछ करके दिखाना कैसा है ?
A. सरल
B. कठिन
C. असंभव
D. संभव
उत्तर : B. कठिन
( 4 ) कुछ दिनों के बाद शिशुपाल के घर कौन आया ?
A. नवयुवक
B. सिपाही
C. पहरेदार
D. ब्राह्मण
उत्तर : B. सिपाही
( 5 ) शिशुपाल किसका डंका बजा देगा ?
A. ईमान का
B. सत्य का
C. न्याय का
D. बुद्धि का
उत्तर : C. न्याय का
( 6 ) सम्राट ने शिशुपाल को क्या पहना दी ?
A. टोपी
B. अँगूठी
C. कमीज़
D. पगड़ी
उत्तर : B. अँगूठी
( 7 ) सम्राट शिशुपाल को क्या देना चाहते थे ?
A. पुरस्कार
B. सिंहासन
C. न्याय का अवसर
D. पद
उत्तर : C. न्याय का अवसर
( 8 ) पहरेदार का हत्यारा कौन था ?
A. सम्राट अशोक
B. ब्राह्मण
C. नवयुवक
D. न्यायप्रेमी
उत्तर : A. सम्राट अशोक
( 9 ) मरनेवाला पहरेदार कैसा था ?
A. सतर्क
B. डरपोक
C. उद्दंड
D. अपराधी
उत्तर : C. उद्दंड
(10) क्या देकर सम्राट को छोड़ दिया जाय ?
A. चेतावनी
B. शिक्षा
C. दंड
D. उपदेश
उत्तर : A. चेतावनी

व्याकरणलक्षी

1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) अवस्था
( 2 ) अतिथि
( 3 ) सुगम
( 4 ) कठिन
( 5 ) उद्दंड
( 6 ) हैरान
( 7 ) नि:स्तब्धता
( 8 ) निरुत्तर
उत्तर :
( 1 ) दशा
( 2 ) मेहमान
( 3 ) सरल
( 4 ) मुश्किल
( 5 ) अविवेकी
( 6 ) चकित
( 7 ) शांति
( 8 ) खामोश
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
( 1 ) परदेशी
( 2 ) आदर
( 3 ) अपराधी
( 4 ) सुप्रबन्ध
( 5 ) गिरफ़्तार
( 6 ) स्वीकार
( 7 ) आरंभ
( 8 ) उद्दंड
उत्तर :
( 1 ) स्वदेशी
( 2 ) अनादर
( 3 ) निरपराधी
( 4 ) कुप्रबन्ध
( 5 ) रिहा
( 6 ) अस्वीकार
( 7 ) अंत
( 8 ) विनम्र
3. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए:
( 1 ) उसने अपराधी सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की।
( 2 ) न्यायमंत्री राज्य की आंतरिक व्यवस्था ठीक करना चाहता था ।
( 3 ) न्यायमंत्री की न्याय देने की प्रक्रिया प्रशंसनीय थी ।
( 4 ) शिशुपाल ने निर्भय होकर न्याय किया ।
( 5 ) सम्राट के प्रति उसने जरा भी नरम रुख नहीं अपनाया।
उत्तर :
( 1 ) अपराधी
( 2 ) आंतरिक
( 3 ) प्रशंसनीय
( 4 ) निर्भय
( 5 ) नरम
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से कर्तृवाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
( 1 ) सम्राट ने पहरेदार को मारने का कारण बताया।
( 2 ) न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक का सेवक था ।
( 3 ) मंत्री महोदय स्वयं निर्णायक नहीं हो सकते।
( 4 ) वह सम्राट के सामने राजमुद्रा वापस लेने के लिए प्रार्थी बनकर खड़ा था।
( 5 ) उसने मूर्तिकार को बुलाकर सोने की मूर्ति बनवाई।
उत्तर :
( 1 ) पहरेदार
( 2 ) सेवक
( 3 ) निर्णायक
( 4 ) प्रार्थी
( 5 ) मूर्तिकार
5. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) शासन की निशानी
( 2 ) जिसकी आने की तिथि निश्चित नहीं है वह
( 3 ) अच्छी तरह से किया हुआ
( 4 ) अच्छी व्यवस्था
उत्तर :
( 1 ) राजमुद्रा
( 2 ) अतिथि
( 3 ) समुचित
( 4 ) सुप्रबन्ध
6. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
( 1 ) डंका बजाना – सुप्रसिद्ध होना
वाक्य : नए पुलिस कमिश्नर ने कुछ ही दिनों में राज्य में अपनी कर्तव्यनिष्ठा का डंका बजा दिया ।
( 2 ) सहम जाना- भयभीत हो जाना
वाक्य : अपने घर पर पुलिस को आई देखकर मैं सहम गया ।
( 3 ) कलेजा धड़कना – चिंतित होना
वाक्य : पड़ोस में गोलियों की आवाज़ सुनकर चौधरी का कलेजा धड़कने लगा।
( 4 ) धूम मचना – सुप्रसिद्ध हो जाना
वाक्य : संगीत इतना मधुर था कि नौशाद के नाम की धूम मच गई ।
( 5 ) नींद उड़ जाना – बहुत चिंतित होना
वाक्य : पुलिस के आने की खबर सुनकर सेठजी की नींद उड़ गई।
( 6 ) रात-दिन एक करना- कड़ी मेहनत करना
वाक्य : परीक्षा में सफल होने के लिए उसने रात-दिन एक कर दिए ।
( 7 ) आश्चर्य का ठिकाना न रहना – बहुत आश्चर्य होना
वाक्य : छोटे लड़के को संस्कृत के श्लोक बोलते देखकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा ।
( 8 ) होंठ काटना – क्षोभ प्रकट करना
वाक्य : अपने सामने मुनीमजी को गुस्सा प्रकट करते देखकर सेठजी होंठ काटकर रह गए।
( 9 ) सिर झुकाना – लज्जित होना
वाक्य : सबूत पेश करने पर अपराधी ने सिर झुका लिया ।
(10) गद्गद् होना – भावविभोर होना
वाक्य : बेटे को प्रथम पुरस्कार मिलने पर पिता का हृदय गद्गद् हो गया।
(11) आँख खोल देना – सही परिस्थिति समझाना, सच्चाई का ज्ञान करा देना
वाक्य : संत ने अपने प्रवचन से लोगों की आँखें खोल दीं।
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