Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 24 कबीर के दोहे (पद्य)

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Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 24 कबीर के दोहे (पद्य)

विषय-प्रवेश

निर्गुण संतों में कबीर का स्थान सबसे ऊपर है। अनुभव के आधार पर लिखे गए उनके पद और दोहे आज भी लोकप्रिय हैं। कबीर के दोहे ज्ञान के भंडार हैं। यहां उनके दस दोहे दिए गए हैं। इनमें भक्ति, ज्ञान और कर्म की त्रिवेणी के दर्शन होते हैं।

कविता का सार

पहले दोहे में परमात्मा की सर्वव्यापकता, दूसरे दोहे में जो कुछ है वह ईश्वर का है ऐसी भावना, तीसरे में साधु-संगति की महिमा, चौथे में अप्रामाणिकता का फल, पाँचवें में सज्जनों की संगति की प्रशंसा, छठे मैं संतोष की शिक्षा, सातवें में पंचतत्त्वों का महत्त्व, आठवें में बाहरी आडम्बर का विरोध, नवें में सुख में भगवान की याद का महत्त्व और दसवें में संतोष की महिमा बताई गई है।

कविता का अर्थ

(1) कस्तूरी ……. देखे नाहि । [1-2]
कस्तूरी हिरन की नाभि में रहती है, फिर भी वह उसे जंगल में इधर-उधर ढूंढ़ता फिरता है। उसी तरह राम अर्थात् परमात्मा सबके हृदय में वास करता है, पर लोग इस सत्य को समझ नहीं पाते और वे यहाँ-वहाँ भटकते हैं।
( यहाँ कबीर ने ईश्वर की सर्वव्यापकता की ओर संकेत करते हुए ईश्वर को मंदिर, मस्ज़िद, तीर्थों आदि में न ढूंढकर हृदय में ढूँढने का उपदेश दिया है। )
(2) मेरा मुझमें …….. मेरा । [3-4]
हे परमात्मा, मेरे अंदर जो कुछ है, वह मेरा नहीं है। जो भी कुछ है वह तुम्हारा है। जो तुम्हारा है, उसे मैं तुम्हीं को सौंपता हूं, क्योंकि उसमें से किसी से भी मेरा कोई संबंध नहीं है।
(3) संत मिले …….. कृतार्थ होय । [5-6]
संत के मिलने पर सुख का अनुभव होता है और दुष्ट के मिलने पर मन दु:खी हो जाता है, इसलिए संत की सेवा कीजिए। उससे तुम्हारा जन्म सफल होगा।
(यहाँ कबीर ने संत और दुष्ट का अंतर बताते हुए, संत सेवा की महिमा बताई है।)
(4) एहरन …….. विमान । [7-8]
कबीर कहते हैं कि लोग ऐरण की चोरी करते हैं और सुई का दान देते हैं। फिर वे ऊंची छत पर चढ़कर देखते हैं कि उनके लिए स्वर्ग से आनेवाला विमान अभी कितना दूर है।
(अप्रामाणिक ढंग से ढेर सारा कमाकर जरा-सा दान देनेवालों की मूर्खता की ओर इशारा करते हुए उन पर व्यंग्य किया है।)
(5) सोना सज्जन ……. धका दरार । [9-10] 
सोना, सज्जन और साधु लोग रुठने पर भी बार-बार जुड़ते रहते हैं। सज्जन अच्छे लोगों से संबंध बनाकर उसे कायम रखते हैं। जबकि दुर्जन लोगों का व्यवहार इससे उलटा है। जैसे जरा-सी दरारवाले मटके को थोड़ा धक्का मारने पर फूट जाता है, ठीक उसी तरह दुर्जन व्यक्ति टूटते हुए संबंध को पूरी तरह तोड़ देने में संकोच नहीं करते।
(यहाँ कबीर ने सज्जन और दुर्जन के स्वभाव का अंतर बताया है। सज्जन जोड़ने और दुर्जन तोड़ने की बुद्धि रखता है।)
(6) रूखा सूखा ……. जीव । [11-12]
रूखा-सूखा खाकर और ठंडा पानी पीकर संतोष मान लो लेकिन दूसरे की घी से चुपड़ी हुई रोटी देखकर मन को मत ललचाओ ।
(यहाँ कबीर ने आत्मसंयम और संतोष रखने की सीख दी है।)
(7) कबीर …….. उपकार । [13-14]
कबीर कहते हैं कि इस संसार में रत्न जैसी बहुमूल्य पाँच वस्तुएं हैं। इन्हीं में संसार का तत्त्व (सार) समाया हुआ है। ये वस्तुएं हैं साधु का मिलना (सत्संग), हरिभजन, दया की भावना, नम्रता और परोपकार ।
(कबीर के अनुसार इन पांच बातों को अपनाने से मनुष्य सुखशांति से भवसागर पार कर सकता है।)
(8) काँकर- पाथर …….. खुदाय । [15-16]
कंकड़-पत्थर जोड़कर मस्जिद बनाई और उस पर चढ़कर मुल्ला बांग देने लगा (जोर से खुदा को पुकारने लगा ) । कबीर पूछते हैं कि ख़ुदा क्या बहरा हो गया है जो उसे इस तरह जोर से पुकारने की जरूरत पड़ती है।
(कबीर के अनुसार भगवान हृदय में है। उसका स्मरण मन में करना चाहिए। आडंबर से दूर रहना चाहिए। )

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए :
( 1 ) कस्तूरी और मृग के उदाहरण द्वारा कबीर ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर : कस्तूरी मृग की नाभि में रहती है, पर मृग को इसका पता नहीं होता। वह उसे वन में यहाँ-वहाँ ढूँढ़ता-फिरता है। कबीर कहते हैं कि संसार के लोगों की यही दशा है। परमात्मा उनके हृदय में निवास करता है, पर वे अज्ञान के कारण इस सत्य को जान नहीं पाते। वे उसे पाने के लिए इधर-उधर चक्कर लगाते रहते हैं।
इस प्रकार कबीर कहते हैं कि मनुष्य को अपने हृदय में ही ईश्वर की खोज़ करनी चाहिए ।
( 2 ) कबीर सज्जन और दुर्जन में क्या अंतर बताते हैं ?
उत्तर : कबीर कहते हैं कि सज्जन अच्छे लोगों से संबंध बनाकर उसे कायम रखता है। वे रूठते हैं तो भी उन्हें बार- बार मनाकर संबंध को जोड़े रखता है। दुर्जन का व्यवहार इससे उलटा है। जैसे मटके को जरा-सा धक्का मारने पर वह फूट जाता है, उसी तरह दुर्जन व्यक्ति टूट रहे संबंध को पूरी तरह तोड़ने में संकोच नहीं करता ।
इस तरह सज्जन में जोड़ने और दुर्जन में तोड़ने की बुद्धि होती है।
( 3 ) कबीर ने संतोष की महिमा किस प्रकार बताई है ?
उत्तर : कबीर कहते हैं कि मनुष्य को लालच के जाल में नहीं फँसना चाहिए। जो कुछ भगवान ने उसे दिया है, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। मनुष्य को गायें हाथी, घोड़े तथा खान से मिलनेवाले बहुमूल्य रत्न मिल जाएँ, फिर भी धन-संपत्ति के लोभ से वह मुक्त नहीं हो सकता। जब तक यह लोभ है, तब तक उसे सुख-शांति नहीं मिल सकती । यदि मनुष्य जो कुछ उसके पास है, उसी में संतोष माने तो सभी तरह के धन उसे मिट्टी के समान तुच्छ लगने लगेंगे। उसे अनुभव होगा कि संतोष से बड़ा कोई धन नहीं है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) संत की सेवा करने से क्या लाभ होगा ?
उत्तर : संत का हृदय पवित्र होता है। संत भगवान का ही रूप है। उसकी सेवा करने से जीवन में कृतार्थता अर्थात् सफलता प्राप्त होगी ।
( 2 ) कबीर भगवान के स्मरण का क्या महत्त्व बताते हैं ?
उत्तर : मनुष्य का यह स्वभाव है कि दुःख का समय आने पर वह भगवान को याद करता है और सुख के दिनों वह भगवान को भूल जाता है। कबीर कहते हैं कि यदि सुख में भी हम भगवान को न भूलें तो हमारे जीवन में कभी दुःख नहीं आएगा।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
( 1 ) कस्तूरी कहाँ रहती है ?
उत्तर : कस्तूरी मृग की अपनी नाभि ही में रहती है।
( 2 ) मृग कस्तूरी को कहाँ ढूंढता है ?
उत्तर : मृग कस्तूरी को वन में इधर-उधर ढूंढ़ता है।
( 3 ) हमारा जन्म कृतार्थ करने के लिए किसकी सेवा करनी चाहिए?
उत्तर : हमारा जन्म कृतार्थ करने के लिए हमें संतों की सेवा करनी चाहिए ।
( 4 ) भवसागर तरने के लिए कौन-कौन से पांच तत्त्व है?
उत्तर : भवसागर तैरने के लिए ये पाँच तत्त्व हैं- साधु का मिलना (सत्संग), हरिभजन, दया की भावना, नम्रता और परोपकार ।
( 5 ) सबसे श्रेष्ठ धन कौन-सा है?
उत्तर : संतोष ही सबसे श्रेष्ठ धन है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित भावार्थवाले दोहे ढूंढकर उनका गान कीजिए :
( 1 ) परमात्मा घट-घट में व्याप्त है, फिर भी हम देख नहीं पाते।
उत्तर : कस्तूरी कुंडली बसै, मृग ढूंढे वन माहि ।
ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहिं । ।
( 2 ) हमें जो कुछ मिला है, वह ईश्वर का ही है और वह ईश्वर को सौंपने से अपना कुछ नहीं रहता ।
उत्तर : मेरा मुझमें कछु नहीं, जो कछु हय सो तेरा ।
तेरा तुझको सौंपते, क्या लगेगा मेरा ।।
( 3 ) अप्रामाणिक रूप से संपत्ति इकट्ठी करके उसमें से जरा-सा दान करने पर स्वर्गप्राप्ति नहीं हो सकती।
उत्तर : एहरन की चोरी करे, करे सुई का दान ।
ऊँचे चढ़कर देखते, कैतिक दूर विमान ।।
( 4 ) दूसरों की संपत्ति देखकर दुःखी होने के बजाय ईश्वर ने हमें जो कुछ दिया है, उसमें संतोष रखना चाहिए।
उत्तर : रूखा-सूखा खाई कै, ठंडा पानी पीव । देखि पराई चूपड़ी, मत ललचावै जीव ।।

हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर

पद्यलक्षी

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) कबीर की कविता अनुभव का ……. ज्ञान भण्डार है। (अथाह, थाह)
( 2 ) कबीर की वाणी का संग्रह ……. नाम से प्रसिद्ध है। (बीजक, शब्द)
( 3 ) ……. कुंडली बसै, मृग ढूँढ़े बन माहिं । (कस्तूरी, सुगंधी)
( 4 ) सेवा किजे संत की तो जनम् ……..  सोय । (सार्थक, कृतार्थ)
( 5 ) जो सुख में …….. करे, तो दुःख काहे को होय | (सुमिरन, स्मरण)
उत्तर :
( 1 ) अथाह
( 2 ) बीजक
( 3 ) कस्तूरी
( 4 ) कृतार्थ
( 5 ) सुमिरन
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) दुष्ट के मिलने से सुख मिलता है।
( 2 ) अप्रामाणिक लोग ढेर सारा कमाकर जरा-सा दान करने की मूर्खता करते हैं।
( 3 ) दुष्ट लोग तोड़ने का कार्य करते हैं।
( 4 ) संतोष से ही सबसे बड़ा सुख मिलता है।
( 5 ) खुदा बहरा हो गया है इसलिए मुल्ला जोर-जोर से बाँग देता है।
उत्तर :
( 1 ) गलत
( 2 ) सही
( 3 ) सही
( 4 ) सही
( 5 ) गलत
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) कस्तूरी किसकी नाभि में होती है ?
( 2 ) संत मिलने पर किस बात का अनुभव होता है ?
( 3 ) जोड़ने का कार्य कौन करता है?
( 4 ) हमारा जन्म कृतार्थ करने के लिए किसकी सेवा करनी चाहिए?
उत्तर :
( 1 ) कस्तूरी मृग की
( 2 ) सुख का
( 3 ) सज्जन लोग
( 4 ) संतों की
4. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए:
( 1 ) किसका मिलन सुख देता है?
A. मित्र का
B. सम्बन्धी का
C. संत का
D. भाई का
उत्तर : C. संत का
( 2 ) किसकी सेवा से जन्म कृतार्थ होता है ?
A. संत की
B. भिक्षुक की
C. रोगी की
D. वृद्ध की
उत्तर : A. संत की
( 3 ) लोग कब भगवान का सुमिरन नहीं करते ?
A. दु:ख में
B. सुख में
C. बचपन में
D. यौवन में
उत्तर : B. सुख में
( 4 ) कबीर के अनुसार भगवान कहाँ है ?
A. मंदिर में
B. हमारे मस्तिष्क में
C. हमारे हृदय में
D. सेवाकार्यों में
उत्तर : C. हमारे हृदय में

व्याकरणलक्षी

1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) मृग
( 2 ) सार
( 3 ) दीन
( 4 ) स्मरण
( 5 ) कुम्हार
( 6 ) गज
( 7 ) वाजी
उत्तर :
( 1 ) हिरन
( 2 ) तत्त्व
( 3 ) गरीब
( 4 ) याद
( 5 ) कुंभकार
( 6 ) हाथी
( 7 ) घोड़ा
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
( 1 ) नम्र
( 2 ) स्मरण
( 3 ) सज्जन
( 4 ) प्रामाणिक
( 5 ) दया
उत्तर :
( 1 ) उद्दंड
( 2 ) विस्मरण
( 3 ) दुर्जन
( 4 ) अप्रामाणिक
( 5 ) निर्दयता
3. निम्नलिखित शब्दों का संधि-विग्रह करके लिखिए:
( 1 ) अभ्युदय
( 2 ) बाह्याडंबर
( 3 ) कृतार्थ
( 4 ) भावार्थ
उत्तर :
( 1 ) अभ्युदय = अभि + उदय
( 2 ) बाह्याडंबर = बाह्य + आडंबर
( 3 ) कृतार्थ = कृत + अर्थ
( 4 ) भावार्थ = भाव + अर्थ
4. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) मृगनाभि से निकलनेवाला सुगंधित पदार्थ
( 2 ) जिसका कार्य सिद्ध हो चुका हो
( 3 ) आत्माओं में सर्वश्रेष्ठ
( 4 ) मिट्टी के बर्तन बनानेवाला
( 5 ) मुस्लिमों का इबादत करने का स्थान
( 6 ) गाय रूपी धन
( 7 ) हाथी रूपी धन
उत्तर :
( 1 ) कस्तूरी
( 2 ) कृतार्थ
( 3 ) परमात्मा
( 4 ) कुम्हार
( 5 ) मस्ज़िद
( 6 ) गोधन
( 7 ) गजधन
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