Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 4 कर्ण का जीवन-दर्शन (पद्य)
Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 4 कर्ण का जीवन-दर्शन (पद्य)
विषय-प्रवेश
कर्ण कुंती का पुत्र था। पांडवों में वह ज्येष्ठ भी था और श्रेष्ठ भी था। उसकी मित्रता दुर्योधन से हुई। अन्याय और अपमान से भरे कर्ण के जीवन में दुर्योधन ने सदा उसका साथ दिया। कर्ण दुर्योधन के इस उपकार को कभी नहीं भूल सका। कर्ण कुशल योद्धा था। महाभारत युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने उसे पांडवों के पक्ष में लाने का प्रयत्न किया। उन्होंने उसे राज्य देने का प्रलोभन दिया, परंतु कर्ण ने दुर्योधन का साथ छोड़ने से इनकार कर दिया। ‘रश्मिरथी’ खंडकाव्य से लिए गए इस अंश में कर्ण की महानता के दर्शन होते हैं।
कविता का सार
कर्ण की इच्छा : कर्ण दानी है। उसे सांसारिक सुखों की परवाह नहीं है। उसकी यही इच्छा है कि वह गरीबों को सदा दान देता रहे। राज्य पाने की लालसा नहीं: कर्ण राज्य को तुच्छ और क्षणभंगुर समझता है। राजा बनकर मिलनेवाले सुखोपभोगों में उसकी रुचि नहीं है। उसके अनुसार धन का उपयोग तो परोपकार में करना चाहिए ।
गरुड़ को अपना आदर्श मानना : कर्ण का आदर्श गरुड़ पक्षी है, जो महल में रहना पसंद नहीं करता। गरुड़ पहाड़ों पर ही रहता है। महलों के शिखर तो कबूतरों के घर होते हैं। कर्ण मानता है कि कष्टों और संघर्षो में रहकर ही मनुष्य महान बनता है। वही लोगों को सुखी बना सकता है।
कविता का अर्थ
( 1 ) ” वैभव – विलास …….सदा ।” [1-4]
कर्ण श्रीकृष्ण से कहता है कि उसे धन-दौलत और सांसारिक सुख भोगने की इच्छा नहीं है। वह अपने जीवन की परवाह नहीं करता । उसकी बस यही इच्छा है कि उसके हाथों से दान की पवित्र नदी सदा बहती रहे और निर्धनों को सुखी बनाती रहे ।
( 2 ) ” तुच्छ है, राज्य ……. ले जाना है।” [5-8]
हे केशव, जिस राज्य का आप मुझे प्रलोभन दे रहे हैं, वह तो बहुत तुच्छ वस्तु है। वैभव पाकर मनुष्य को क्या मिलता है? वैभव पाकर उसे ढेर सारी चिंताएं और नाममात्र की हंसी-खुशी मिलती है। थोडी-बहुत चमक-दमक और थोड़े समय के लिए सुखोपभोग मिल जाता है। पर ये सारी चीजें उसे यहीं छोड़ देनी पड़ती हैं और खाली हाथ ही यहाँ से जाना पड़ता है।
(3) “मुझ से ……….. देते हैं।” [9-12]
कर्ण श्रीकृष्ण से कहता है कि ‘हे कृष्ण’ उसके जैसे मनुष्य सोने का भार नहीं ढोते – सुख-वैभव का जीवन नहीं बिताते। वे लोगों में बाँटने के लिए ही धन की प्राप्ति करते हैं। उनकी बहुमूल्य वस्तुएँ लोगों में बाँट देने के लिए ही होती हैं। वे संसार से कभी कुछ नहीं लेते। अपने हृदय का दान ही करते हैं- दुखियों पर दया करते हैं।
( 4 ) ” प्रासादों के ……. दरारों में । ” [13-16]
सोने जैसी चमक-दमकवाले राजमहलों की चोटियाँ कबूतरों के ही घर बनती हैं। गरुड़ पक्षी कभी महल में नहीं होता । वह स्वर्णिम बिछौने पर नहीं सोता । उसका निवास तो पहाड़ों में ही होता है। पहाड़ों की फटी दरारें ही उसका घर बनती हैं।
( 5 ) ” होकर समृद्धि-सुख …….. खाता है ।” [17 – 20]
धन-दौलत के सुख का गुलाम बनकर मनुष्य अपना तप- तेज खो देता है। राजपद, मुकुट और मणियों से जड़े हुए सिंहासन मनुष्य के तेज को हर लेते हैं- उसे प्रभावहीन बना देते हैं। मनुष्य धन-संपत्ति पाने के लिए ललचाता है, पर यही धन-संपत्ति उसे नष्ट कर देती है।
( 6 ) ” चाँदनी …….. हिला सकता।” [21-24]
चाँदनी और फूलों की छाया ( अत्यंत सुख-सुविधा ) में पलकर मनुष्य सुंदर और कोमल भले बन जाए, परंतु कष्टों का अमृत पिए बिना, धूप और आंधी सहे बिना न वह पुरुष कहला सकता है और न विघ्नों को पार कर सकता है।
(7) ” उड़ते जो …… जुड़ाते हैं । ” [25-28]
जो आंधी-तूफानों में उड़ते हैं, प्रपातों (झरनों) का पानी पीते हैं, सारा आकाश जिनका घर है और विषैले साँप ही जिनका भोजन हैं, ऐसे गरुड़ ही साँप के बंधन से छुटकारा दिलाते हैं और धरती के हृदय को शीतलता देते हैं।
( 8 ) “मैं गरुड़ …….. मुझको।” [29-32]
है कृष्ण ! मैं ऐसा ही गरुड़ पक्षी हूँ। मुझे अपने सिर पर मुकुट नहीं चाहिए । इस समय दुर्योधन भयंकर विपत्ति में फँसा हुआ है। मैं किसी भी तरह उसे छोड़ नहीं सकता। मुझे तो युद्धक्षेत्र में उतरना है और दुर्योधन के नागपाश को काटना है।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए :
( 1 ) कर्ण को राज्य की इच्छा क्यों नहीं है ?
उत्तर : कर्ण त्यागी और दानी पुरुष है। वैभव-विलास में उसकी रुचि नहीं है। राज्य मिलने पर सिर पर अनेक चिंताएँ सवार हो जाती हैं। बस थोड़े समय के लिए हँसी-खुशी, चमक-दमक और भोग-विलास की सामग्री उपलब्ध हो जाती है। कर्ण इन क्षणभंगुर वस्तुओं को तुच्छ समझता है। इसलिए उसे राज्य की इच्छा नहीं है।
( 2 ) दानी पुरुषों का स्वभाव कैसा होता है ?
उत्तर : दानी पुरुष धन-दौलत को संग्रह करने की वस्तु नहीं मानते। वे अपना धन दूसरों को बाँटने में ही रुचि रखते हैं। वे अपनी बहुमूल्य वस्तुएँ दूसरों को देने में संकोच नहीं करते। वे किसी से कुछ लेते नहीं । वे दूसरों को देने में सुख का अनभुव करते हैं। इस प्रकार दानी पुरुषों का स्वभाव दयालु और उदार होता है ।
( 3 ) कर्ण गरुड़ को अपना आदर्श क्यों मानता है? अथवा कर्ण स्वयं को गरुड़ क्यों मानता है ?
उत्तर : गरुड़ कबूतरों की तरह महलों के सुनहले शिखरों में रहना पसंद नहीं करता। वह पहाड़ों या चट्टानों की दरारों में रहता है। नागपाश से छुड़ाने की शक्ति गरुड़ में ही होती है। कर्ण का स्वभाव भी गरुड़ के समान है। राजपाट और वैभव-विलास को वह पसंद नहीं करता । वह मित्र दुर्योधन को युद्ध के नागपाश से छुड़ाना चाहता है। इस प्रकार गरुड़ जैसा स्वभाव होने के कारण कर्ण उसे अपना आदर्श मानता है।
( 4 ) सुख-समृद्धि के अधीन रहनेवाले मनुष्य की क्या दशा होती है?
उत्तर : सुख-समृद्धि के अधीन रहने से मनुष्य धीरे-धीरे अपना प्रभाव खो देता है। राजपाट, राजमुकुट और मणिमय सिंहासन उसका तेज हर लेते हैं। उसकी वैभव पाने की लालसा प्रतिदिन बढ़ती जाती है। परंतु यही लालसा अंत में उसका विनाश करती है। इस प्रकार सुख-समृद्धि के अधीन रहनेवाले मनुष्य की अंत में दुर्दशा होती है।
( 5 ) कैसा व्यक्ति पुरुष नहीं कहला सकता ?
उत्तर : चाँदनी रात का आनंद लेनेवाला और फूलों की छाया में पलनेवाला व्यक्ति सांसारिक दृष्टि से भाग्यवान होता है, ऐश-आराम का जीवन उसे सुंदर-कोमल बना देता है, परंतु ऐसे व्यक्ति में साहस और पौरुष नहीं होता। पौरुष पाने के लिए कष्टों का अमृत पीना पड़ता है, आँधी और धूप सहन करनी पड़ती है। संघर्षों में जी कर विघ्नों पर विजय पानेवाला व्यक्ति ही पुरुष कहलाता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
( 1 ) वैभव से क्या प्राप्त होता है?
उत्तर : वैभव से मनुष्य को ढेर सारी चिन्ताएँ और थोड़ी-सी हँसी-खुशी प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त उसे चमक-दमक दिखाने का अवसर और क्षणिक भोग-विलास प्राप्त होता है।
( 2 ) गरुड कहाँ रहता है ?
उत्तर : गरुड़ पहाड़ों में निवास करता है। चट्टानों की फटी दरारें ही उसका घर होती हैं।
( 3 ) परोपकारी मनुष्य क्या करते हैं?
उत्तर : परोपकारी मनुष्य धन का कभी संग्रह नहीं करते। वे अपने धन को ज़रूरतमंद लोगों में बाँट देते हैं।
( 4 ) कर्ण दुर्योधन का साथ क्यों नहीं छोड़ सकता ?
उत्तर : दुर्योधन के सामने युद्ध का घोर संकट है। इसलिए सच्चा मित्र होने के कारण कर्ण आपत्ति के समय उसका साथ नहीं छोड़ सकता ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
( 1 ) कर्ण की एकमात्र इच्छा क्या है ?
उत्तर : कर्ण की एकमात्र इच्छा है कि उसके हाथों से सदा दान की निर्मल सरिता बहती रहे और निर्धनों के दुःख हरती रहे ।
( 2 ) किस तरह के लोग कंचन का भार नहीं ढोते ?
उत्तर : कर्ण जैसे दानी पुरुष कंचन का भार नहीं ढोते |
( 3 ) धन-संपत्ति किसलिए है?
उत्तर : धन-संपत्ति परोपकार के लिए है।
( 4 ) सुख-समृद्धि के अधीन मानव का क्या होता है ?
उत्तर : सुख-समृद्धि के अधीन मानव का तेज – प्रभाव दिन-प्रतिदिन क्षीण होता जाता है और उसकी दुर्दशा होती है।
( 5 ) फणिबंध से कौन छुड़ाते हैं ?
उत्तर : फणिबंध से गरुड़ जैसे साहसी और वीर पुरुष ही छुड़ाते हैं।
( 6 ) कर्ण स्वयं को किसके समान बताता है ?
उत्तर : कर्ण स्वयं को पक्षिराज गरुड़ के समान बताता है।
( 7 ) कर्ण को कौन-सा अहिपाश काटना है?
उत्तर : कर्ण को दुर्योधन पर आई विपत्तिरूपी अहिपाश काटना है।
( 8 ) वैभव – हेतु ललचाने का क्या परिणाम होता है ?
उत्तर : वैभव-हेतु ललचाने का यह परिणाम होता है कि वह लालच ही मनुष्य को नष्ट कर देता है।
( 9 ) दानी पुरुषों का स्वभाव कैसा होता है ?
उत्तर : दानी पुरुषों का स्वभाव दयालु और उदार होता है।
प्रश्न 4. टिप्पणी लिखिए :
( 1 ) कर्ण की अभिलाषा
उत्तर : कर्ण दानी पुरुष है। वह प्रतिदिन ज़रूरतमंद लोंगों को दान देता है। उसे राज्य पाने की इच्छा नहीं है। वैभव पाकर भोग-विलास में जीना उसके स्वभाव के विरुद्ध है। वह दयालु और उदार वृत्ति का है। गरीबों के प्रति उसके मन में करुणा है। उसकी यही अभिलाषा है कि वह अपनी दानवृत्ति से निर्धनों का दुःख दूर करता रहे।
( 2 ) कर्ण का मित्र – धर्म
उत्तर : कर्ण का जीवन अन्याय और अपमान से भरा हुआ था । एक दुर्योधन ने ही उसे सम्मान दिया और उसे अपना मित्र बनाया। कर्ण दुर्योधन के इस उपकार को कभी नहीं भूल पाया। महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले श्रीकृष्ण उसे पांडवपक्ष में लेने गए। उन्होंने उसे राज्य देने का प्रलोभन भी दिया। परंतु कर्ण ने उनका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। उसने दुर्योधन का साथ छोड़ने से स्पष्ट इनकार कर दिया। इस प्रकार कर्ण ने दुर्योधन के प्रति अपने मित्र-धर्म का पालन किया ।
प्रश्न 5. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) वैभव – विलास की चाह नहीं, अपनी कोई परवाह नहीं,
बस यही चाहता हूँ केवल, दान की देव सरिता निर्मल,
करतल से झरती रहे सदा,
निर्धन को भरती रहे सदा ।
उत्तर : कर्ण श्रीकृष्ण से कहता है कि हे केशव ! आप मुझे राज्य देने का प्रलोभन दे रहे हैं, परंतु मैं वैभव-विलास का जीवन पसंद नहीं करता। मुझे अपनी कोई चिंता नहीं है। मुझे दान देने में रुचि है। इसलिए मैं केवल यही चाहता हूँ कि मैं गरीबों को हमेशा दान देता रहूँ और उनके दुःख दूर करता रहूँ ।
( 2 ) मैं गरुड़, कृष्ण ! मैं पक्षिराज, सिर पर न चाहिए मुझे ताज,
दुर्योधन पर है विपद घोर, सकता न किसी विध उसे छोड़,
रणखेत पाटना है मुझको,
अहिपाश काटना है मुझको ।
उत्तर : कर्ण श्रीकृष्ण से कहता है कि इस समय मेरी स्थिति गरुड़ पक्षी के समान है। मुझे राजमुकुट नहीं पहनना है। इस समय दुर्योधन भारी संकट में है । युद्धरूपी नागपाश ने उसे जकड़ रखा है। मुझे दुर्योधन के इस नागपाश को काटना है – दुर्योधन को युद्ध में विजय दिलाना है। मुझे गरुड़ की तरह अपना दायित्व निभाना है।
प्रश्न 6. अंदाज अपना अपना । अपना मत स्पष्ट कीजिए ।
( 1 ) यदि कोई ज़रूरतमंद इन्सान आपसे मदद माँगे तो आप क्या करेंगे?
उत्तर : यदि कोई ज़रूरतमंद इन्सान मुझसे मदद माँगे तो पहले मैं उसकी ज़रूरत के बारे में पूछूंगा । यदि मुझे उसकी ज़रूरत सच्ची लगी तो मैं अवश्य उसकी मदद करूँगा । मदद करने में यदि दूसरों के सहयोग की आवश्यकता हुई तो उनका सहयोग भी लेने में मैं संकोच नहीं करूँगा।
( 2 ) आपको पता चले कि आपका दोस्त संकट में फँसा हुआ है, तो आप क्या करेंगे?
उत्तर : संकट में पड़े हुए मित्र की मदद करना मेरा कर्तव्य है । इस कर्तव्य का पालन करके ही मैं मित्र-धर्म को निभा सकता हूँ, अपने आपको सच्चा दोस्त साबित कर सकता हूँ। इसलिए संकट में पड़े हुए मित्र को संकट से छुड़ाने में मैं कोई कसर न रखूँगा ।
( 3 ) आपके पास ज़रूरत से ज्यादा धन-संपत्ति है, तो आप क्या करेंगे?
उत्तर : अपने पास ज़रूरत से ज्यादा धन-संपत्ति होने पर मैं उसका उपयोग परोपकार में करूंगा। मैं अनाथआश्रम में वहाँ के ज़रूरतमंदों को उनकी ज़रूरी चीजें खरीदकर ला दूँगा । प्यासों के लिए प्याऊ बनवाऊँगा और गरीबों को अन्नदान दूंगा । इस प्रकार अपने पास ज़रूरत से ज्यादा धन-संपत्ति होने पर मैं उसका उपयोग दूसरों के दुःख दूर करने में करूँगा ।
प्रश्न 7. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए:
( 1 ) अत्यल्प – बहुत थोड़ा
वाक्य : सांसारिक भोग-विलास अत्यल्प सुख देते हैं।
( 2 ) चाकचिक्य – चमक, चकाचौंध
वाक्य : देहाती मित्र मुंबई की चाकचिक्य पर मुग्ध हो गया ।
( 3 ) कनकाभ – सुनहले
वाक्य : राजमहल के कनकाभ शिखर हमारा ध्यान आकृष्ट कर रहे थे।
( 4 ) तपः क्षीण – प्रभावहीन
वाक्य : शाप के प्रभाव से मुनि तुरंत तपः क्षीण हो गए।
( 5 ) क्लेश – कष्ट, वेदना
वाक्य : पुत्र के अनुचित व्यवहार से पिता को बड़ा क्लेश हुआ ।
( 6 ) झंझावात – तूफान
वाक्य : बर्फीले झंझावातों में भी हमारे सैनिक देश की रक्षा करने में डटे हुए हैं।
( 7 ) फणिबंध – नागपाश
वाक्य : पता नहीं, संकट के इस फणिबंध से हमें कौन छुड़ाएगा ?
हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर
पद्यलक्षी
1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) सांसारिक सुख भोगने की इच्छा ……. की नहीं थी। (कर्ण, दुर्योधन)
( 2 ) राज्य से प्राप्त …….. मनुष्य साथ नहीं ले जाता । ( पुरस्कार, वैभव )
( 3 ) कर्ण के आदर्शवाले मनुष्य ……… का भार नहीं ढोते । (कंकड़, कंचन)
( 4 ) दान की देव सरिता निर्मल, करतल से …….. रहे सदा । ( झरती, खाली)
(5) गरुड़ ……… में नहीं होता । (जंगलों, महलों)
उत्तर :
( 1 ) कर्ण
( 2 ) वैभव
( 3 ) कंचन
( 4 ) झरती
( 5 ) महलों
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) कर्ण त्यागी और दानी पुरुष था ।
( 2 ) कर्ण सर्प के समान है।
( 3 ) परोपकारी मनुष्य धन का संग्रह करते हैं।
( 4 ) धन-संपत्ति परोपकार के लिए नहीं होती।
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) गलत
( 3 ) गलत
( 4 ) गलत
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) कर्ण किसे तुच्छ प्रलोभन बता रहा ?
( 2 ) राजमहलों की चोटियाँ किसका घर बनती हैं?
( 3 ) मनुष्य के तेज को कौन हर लेता है ?
( 4 ) गरुड़ किसके बन्धन से छुटकारा दिलाते हैं ?
उत्तर :
( 1 ) राज्य को
( 2 ) कबूतरों का
( 3 ) सुख-समृद्धि
( 4 ) साँप के
4. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
( 1 ) मुझ से मनुष्य जो होते हैं, ……. का भार न ढोते हैं।
A. यौवन
B. सपनों
C. कंचन
D. अपनों
उत्तर : C. कंचन
( 2 ) प्रासादों के कनकाभ शिखर, होते ……. के ही घर ।
A. सुंदरियों
B. कबूतरों
C. आँसुओं
D. गरुड़ों
उत्तर : B. कबूतरों
( 3 ) गरुड़ कहाँ नहीं होता है ?
A. महलों में
B. घोंसलों में
C. पहाड़ों में
D. जंगलों में
उत्तर : A. महलों में
( 4 ) नर विभव – हेतु ……… है।
A. पछताता
B. मदमाता
C. निर्माता
D. ललचाता
उत्तर : D. ललचाता
( 5 ) ……. पाटना है मुझको, अहिपाश काटना है मुझको ।
A. मैदान
B. आकाश
C. रणखेत
D. रणभूमि
उत्तर : C. रणखेत
व्याकरणलक्षी
1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) विलास
( 2 ) करतल
( 3 ) तुच्छ
( 4 ) प्रचुर
( 5 ) दरज
( 6 ) प्रासाद
( 7 ) शिखर
( 8 ) आँधी
( 9 ) वारि
(10) विष
(11) शैल
(12) अयन
(13) कोमल
(14) भुजंग
(15) आतप
उत्तर :
( 1 ) सुखोपभोग
( 2 ) हथेली
( 3 ) क्षुद्र
( 4 ) प्रभूत
( 5 ) दरार
( 6 ) राजमहल
( 7 ) चोटी
( 8 ) अंधड़
( 9 ) पानी
(10) गरल
(11) चट्टान
(12) गमन
(13) मृदु
(14) सर्प
(15) धूप
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
( 1 ) निर्मल
( 2 ) निर्धन
( 3 ) प्रभूत
( 4 ) शिखर
( 5 ) कोमल
( 6 ) अमृत
( 7 ) तुच्छ
( 8 ) अल्प
( 9 ) बिखेरना
उत्तर :
( 1 ) मलीन
( 2 ) धनवान
( 3 ) कम
( 4 ) तलहटी
( 5 ) कठोर
( 6 ) विष
( 7 ) महान
( 8 ) अधिक
( 9 ) बटोरना
3. निम्नलिखित शब्दों का संधि-विग्रह करके लिखिए:
( 1 ) अत्यल्प
( 2 ) सुखोपभोग
( 3 ) परोपकार
( 4 ) सिंहासन
( 5 ) निर्मल
( 6 ) कनकाभ
उत्तर :
( 1 ) अत्यल्प = अति + अल्प
( 2 ) सुखोपभोग = सुख + उपभोग
( 3 ) परोपकार = पर + उपकार
( 4 ) सिंहासन = सिंह + आसन
( 5 ) निर्मल = निर् + मल
( 6 ) कनकाभ = कनक + आभ
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
( 1 ) विलासी राजा प्रजा के प्रति ध्यान नहीं देता था ।
( 2 ) हमारे राज्य में स्वर्णिम गुजरात योजना के अंतर्गत कई कार्यक्रम होते हैं।
( 3 ) झंझावाती हवा में गरीबों के झोंपड़े नष्ट हो गए।
( 4 ) समृद्ध देश की यह निशानी होती है कि उसमें सभी लोग सुखी होते हैं।
( 5 ) धन-वैभव को ही अग्रिमता देनेवाले लोग तुच्छ हैं।
उत्तर :
( 1 ) विलासी
( 2 ) स्वर्णिम
( 3 ) झंझावाती
( 4 ) समृद्ध
( 5 ) तुच्छ
5. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से कर्तृवाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
( 1 ) आजकल लोकप्रतिनिधि सेवक की भूमिका कम ही अदा करते हैं।
( 2 ) कभी – कभी संपत्ति का भोगी उसका मालिक नहीं होता ।
( 3 ) भयंकर स्वप्नों को देखकर व्यक्ति की नींद उड़ जाती है।
( 4 ) सुनार ने स्वर्ण से अति प्राचीन कलात्मक मूर्तियाँ बनाईं।
उत्तर :
( 1 ) सेवक
( 2 ) भोगी
( 3 ) भयंकर
( 4 ) सुनार
6. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) मंदिर या पहाड़ का सबसे ऊँचा भाग
( 2 ) कनक जैसी आभावाला
( 3 ) रेखा की तरह अवकाश
( 4 ) जिसका तेज (तप) क्षीण हो गया है
( 5 ) फणिधर नाग का बंधन
( 6 ) पक्षियों में राजा
उत्तर :
( 1 ) शिखर
( 2 ) कनकाभ
( 3 ) दरार
( 4 ) तपःक्षीण
( 5 ) फणिपाश
( 6 ) पक्षिराज
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