Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 6 मेरी बीमारी श्यामा ने ली (गद्य)

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 6 मेरी बीमारी श्यामा ने ली (गद्य)

विषय-प्रवेश

श्यामा हरिवंशराय बच्चन की पहली पत्नी थीं। बच्चनजी की बीमारी में उन्होंने तन-मन से उनकी सेवा की। सेवा करते-करते वे स्वयं बीमार हो गईं और उसी बीमारी में उनकी मृत्यु हुई। प्रस्तुत संस्मरण में बच्चनजी ने अपने उन्हीं कठिन दिनों की यादें प्रस्तुत की हैं।

पाठ का सार

बीमारी को महत्त्व न देना : गांधीजी कहते थे कि बीमार होना एक अपराध है। बच्चनजी गांधीजी के इस कथन से सहमत थे । वे इसे एक दंडनीय अपराध मानते थे। इसलिए वे अपनी छोटी-मोटी बीमारियों की परवाह नहीं करते थे। इन बीमारियों में वे और अधिक काम करते थे। बीमार होने के बावज़ूद वे स्कूल में पढ़ाने जाते, ट्यूशन और लेखन- कार्य करते थे। बुखार में उनका लेखन कार्य और अच्छा होता था ।
किपलिंग का उदाहरण : अँग्रेज़ी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार ने अपनी अनेक अच्छी कहानियाँ बुखार की हालत में ही लिखी थीं। बच्चनजी ने भी ‘दो चट्टानें’ आदि रचनाएँ प्लुरिसी की बीमारी में लिखी थीं और सिद्ध कर दिया था कि मार से भूत भागे या न भागे, किन्तु काम से बुखार अवश्य भाग जाता है।
जिह्वा पर सरस्वती बैठी थी : श्यामा बीमार थीं और बच्चनजी भी स्वस्थ नहीं थे । ज्वर महीनों से श्यामा का पीछा नहीं छोड़ रहा था। शायद बच्चनजी की जिह्वा पर सरस्वती बैठी थी, जब उन्होंने कहा था कि श्यामा का बुखार मैं लेने जा रहा हूँ। यह बात सच सिद्ध हुई, क्योंकि श्यामा स्वस्थ रहने लगीं । किन्तु उन्हें बीमार पति की चिन्ता खाए जा रही थी। पैसे के अभाव में बच्चनजी इलाज़ कराने में टालमटोल करते थे।
श्यामा ने ब्रह्मास्त्र चलाया : बच्चनजी को अपना इलाज न कराते देखकर श्यामा ने ब्रह्मास्त्र चलाया ‘जब तक आप डॉक्टर को नहीं दिखलाएँगे, मैं खाना नहीं खाऊँगी।” बच्चनजी को डॉक्टर के पास जाना पड़ा। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें तपेदिक (T. B. – क्षय) है।
कठिन लगा मरने से पहले जीना : बच्चनजी के पास इलाज के साधन नहीं थे। छोटे भाई शालिग्राम का वेतन परिवार के लिए पर्याप्त नहीं था। इस हालत में न ठीक से रहा जा सकता था, न सिर से कर्ज़ उतारा जा सकता था। यह देखकर बच्चनजी को मरने से पहले जीना कठिन लगा ।
साख जाने से तो मरना अच्छा : पति को तपेदिक होने की बात से श्यामाजी काँप उठीं, पर तुरंत सँभल गईं, ताकि उनकी व्यथा से पति को व्यथा न हो। बच्चनजी को रोग मुक्त होने से अधिक ट्रैक्ट सोसायटी की किस्तें अदा करने की चिंता थी । ऋण की नियमित अदायगी से उनकी साख जुड़ी थी। बच्चनजी मानते थे कि साख जाने से तो मर जाना अच्छा है।
श्यामा की सेवा साकार होना : श्यामा पति की बीमारी में सेवा- साकार हो गईं। पति को चिंता मुक्त करने के लिए अपने कलेजे पर पत्थर रखकर वे बोलीं, “कर्ज़ तो मैं तुम्हारे मरने के बाद भी उतार दूँगी । तुम इसकी चिंता छोड़ो। “
पैसे नहीं हैं तो जाओ मरो : जब बच्चनजी ने अपने डॉक्टर मुखर्जी से कहा, ‘आपका इलाज बहुत महँगा है। मेरे पास आपके इलाज के लिए पैसे नहीं है।” तो डॉक्टर ने अपने मुँहफट स्वभाव के अनुसार कह दिया, “पैसे नहीं है तो जाओ मरो। “
जीवन में चुनौती से ही बल मिलना : डॉ. मुखर्जी का यह कथन बच्चनजी के लिए चुनौती बन गया। परेशानियों के बावज़ूद वे निराश नहीं हुए। उन्होंने ‘लुई कोने’ की चिकित्सा पद्धति अपनाई, जिससे खर्च नहीं के बराबर था। उन्हें सर्वाधिक बल मिला श्यामाजी की सेवा से, जिन्होंने अपने रोगों की शिकायत न कर पति को निश्चिंत बनाए रखा।
श्यामा ने महँगी कीमत चुकाई : जिस दिन बच्चनजी क्षय के ज्वार से मुक्त हुए, उसी दिन श्यामा ने खाट पकड़ी और फिर वे कभी न उठीं। उन्होंने अंतिम साँसों तक बच्चनजी का ख्याल रखा। बच्चनजी का ख्याल था श्यामा ने मेरी बीमारी लेकर और मुझे निश्चिंत रखने के प्रयत्न में भारी कीमत चुकाई । श्यामाजी सच्चे अर्थों में बच्चनजी की अर्धांगिनी थीं।

टिप्पणियाँ

  1. किपलिंग : रुडयार्ड किपलिंग एक ब्रिटिश लेखक थे । 30 दिसम्बर, 1865 में उनका जन्म मुंबई में हुआ था। इनके पिता जॉन लॉकवुड किपलिंग एक श्रेष्ठ कलाकार थे। वे लाहौर म्युजियम के क्यूरेटर थे । रुडयार्ड किपलिंग प्रतिभाशाली कथाकार और कवि थे । केवल सत्रह वर्ष की उम्र में वे ‘लाहौर सिविल एण्ड मिलिट्री गजट’ के संपादक नियुक्त हुए थे। उन्होंने अपनी अनेक कृतियों से अँग्रेज़ी का भण्डार भरा। सन् 1936 में उनकी मृत्यु हुई।
  2. सार्त्र : ज्याँ पाल सार्त्र 21 जून, 1905 को पेरिस में जन्मे थे। दुनिया उनको फ्रेंच तथा जर्मन के सुप्रसिद्ध साहित्यकार के रूप में जानती है। वे अस्तित्ववादी धारा के दार्शनिक, सशक्त कथाकार तथा मौलिक समाजशास्त्री थे। उनके तेजस्वी व्यक्तित्व से विश्व चकित था । उन्होंने नोबल पुरस्कार को ठुकरा दिया था।
  3. सिसिफस : ग्रीक पुराणों में सिसिफस एक विलक्षण और चमत्कारिक व्यक्तित्व है। वह कोरिन्थ का राजा था। उसका शरीर वज्र की तरह मजबूत था । विशाल चट्टान उठाकर पर्वत शिखर तक फेंकता था, जो शिखर तक पहुँचकर वापस आ जाती थी। सिसिफस को इस खेल में आनंद आता था । उसने मृत्यु को बंदी बना लिया था । ग्रीक पुराणों में उससे संबंधित अनेक कथाएँ हैं ।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) बीमारी के प्रति बच्चनजी का क्या ख्याल था ?
उत्तर : बच्चनजी को बीमारी को दुलराना पसंद नहीं था। गांधीजी की तरह वे भी बीमार होने को अपराध मानते थे। अपराधी को दंड मिलना चाहिए । इसलिए बच्चनजी छोटी-मोटी बीमारियों से डरते नहीं थे। इन बीमारियों में भी वे अपना काम करते थे, काम करके वे अपने बीमार होने के अपराध का स्वयं दंड देते थे ।
( 2 ) लेखक बीमारी में भी क्यों काम करते थे ?
उत्तर : लेखक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। घर का खर्च निकालने के लिए वे स्कूल में पढ़ाते थे और ट्यूशन करते थे। आराम करने से वे ये दोनों काम नहीं कर सकते थे। बिना आमदनी के घर कैसे चलता ? छोटे भाई शालिग्राम की आमदनी भी अधिक नहीं थी । महँगी दवाएँ भी उनके लिए सिरदर्द थीं। इसलिए मज़बूरी में बच्चनजी बीमारी में भी काम करते थे ।
( 3 ) बच्चनजी को मरने जीना क्यों कठिन लगा ?
उत्तर : क्षय (तपेदिक) की बीमारी ने बच्चनजी को गहरी चिंता में डाल दिया था। डॉक्टर ने उन्हें दवाओं के सेवन के साथ चिंता – मुक्त होकर आराम करने की सलाह दी थी। परंतु आराम करने से घर का खर्च कैसे चलता ? महँगी दवाएँ कहाँ से आतीं ? सिर पर चढ़े कर्ज़ की अदायगी कैसे होती ? छोटे भाई की अपर्याप्त आमदनी से निर्वाह होनेवाला नहीं था । इन सारी चिंताओं के कारण बच्चनजी को मरने की अपेक्षा जीना कठिन लगा ।
( 4 ) बच्चनजी बीमारी में भी कर्ज की चिंता क्यों करते थे ?
उत्तर : बीमारी में बिस्तर पर पड़े बच्चनजी तरह – तरह की चिंताओं में डूबे रहते थे। सबसे अधिक चिंता सिर पर चढ़े कर्ज़ की थी। कर्ज़ की अदायगी के साथ उनकी साख जुड़ी हुई थी। वे कर्ज अदायगी को रोग मुक्ति से अधिक महत्त्व देते थे। कर्ज़ न चुका पाना उनके लिए मौत के बराबर था। इसलिए वे बीमारी में भी कर्ज़ की चिंता करते थे ।
( 5 ) लेखक की बीमारी सुनकर श्यामा काँपकर तुरंत क्यों सँभल गई ?
उत्तर : डॉ. मुखर्जी ने बच्चनजी को तपेदिक (क्षय) की बीमारी बताई थी। पत्नी श्यामा ने सुना तो वे काँप उठीं। उन्होंने पलभर में अनुभव कर लिया कि उनका काँपना बच्चनजी सहन नहीं कर पाएँगे। पति की संवेदनशीलता से वे भलीभाँति परिचित थीं। वे उन्हें अपनी चिंता से अवगत नहीं कराना चाहती थीं। इसलिए वे तुरंत सँभल गई ।
( 6 ) पिता का घर बेचकर बच्चनजी अपना इलाज़ क्यों नहीं कराना चाहते थे ?
उत्तर : बच्चनजी के पिता ने वृद्धावस्था में शांति से रहने के लिए घर बनवाया था। किसी भी अवस्था में वह उनका एकमात्र आश्रय था । बच्चनजी के इलाज के लिए वे अपना घर बेचने को तैयार थे। बच्चनजी को डॉक्टर का इलाज महँगा पड़ रहा था। इलाज के लिए अब उनके पास पैसे भी नहीं बचे थे। परंतु वृद्ध माता-पिता को घर से वंचित करना उन्हें बहुत अनुचित लगता था । इसलिए पिता के घर को बेचकर बच्चनजी अपना इलाज़ नहीं कराना चाहते थे ।
( 7 ) लेखक को ऐसा क्यों लगा कि उन्हें श्यामा के लिए जीने का संघर्ष करना चाहिए ?
उत्तर : बीमारी में लेखक को कर्ज चुकाने की चिंता खाए जा रही थी। उन्होंने अपने आपको मरने के लिए छोड़ दिया था। लेकिन तभी उन्हें श्यामा का ख्याल आया । उन्होंने सोचा कि उन्होंने श्यामा के लिए तो कुछ किया ही नहीं । उसके लिए कुछ करने लायक उनकी स्थिति ही नहीं थी । अब यदि अपने कर्ज़ का भार भी उस पर छोड़ जाएँ तो उनके जैसा जघन्य अपराधी कौन होगा? यह सोचकर उन्हें लगा कि उन्हें श्यामा के लिए जीने का संघर्ष करना चाहिए ।
( 8 ) बच्चनजी की पारिवारिक आर्थिक विपन्नता के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर : पत्नी श्यामा के साथ हरिवंशराय बच्चनजी का जीवन अत्यंत संघर्षमय रहा। आय के ठोस साधनों से वे वंचित थे। वे स्कूल में पढ़ाते थे, ट्यूशन करते थे, अपनी किताबों से भी कुछ पैसे मिल जाते थे। फिर भी खर्च पूरा नहीं हो पाता था। छोटे भाई शालिग्राम का वेतन बहुत कम था। बच्चनजी की बीमारी के बाद तो स्थिति और भी चिंताजनक हो गई । महँगी दवाएँ खरीदना मुश्किल हो गया। पिता ने घर बेचकर पुत्र का इलाज़ कराने की बात की। सही समय पर इलाज न मिलने पर श्यामा की मृत्यु हुई। इस प्रकार बच्चनजी की पारिवारिक आर्थिक विपन्नता का दारुण रूप इस संस्मरण में व्यक्त हुआ है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) बीमारी के बारे में बच्चनजी क्या मानते थे ?
उत्तर : बच्चनजी मानते थे कि बीमारी अमीरों की हरमज़दगी है । गरीबों को उसे अपने पीछे नहीं लगाना चाहिए ।
( 2 ) अपने बुखार के बारे में बच्चनजी ने क्या कहा है?
उत्तर : अपने बुखार के बारे में बच्चनजी ने कहा है कि ऊँचे बुखार में उन्हें काम करने की अधिक प्रेरणा मिलती थी । बुखार की भट्टी में उनके विचारों, भावों और कल्पनाओं को अधिक बल मिलता था ।
( 3 ) किपलिंग ने अपनी आत्मकथा में क्या लिखा है?
उत्तर : किपलिंग ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि कभी-कभी वह बुखार में भी काम करता था। बुखार होने पर उसकी कहानियाँ और भी अच्छी होती थीं।
( 4 ) बच्चनजी ने प्लुरिसी में कौन-सी रचनाएँ लिखी थीं?
उत्तर : बच्चनजी ने प्लुरिसी में ‘दो चट्टानें’ और ‘सार्त्र के नोबुल पुरस्कार ठुकरा देने पर ये दो लंबी कविताएँ लिखी थीं ।
(5) बच्चनजी की जिह्वा पर सरस्वती कैसे बैठी थी ?
उत्तर : श्यामा को छ: महीने से बुखार आने पर एक दिन बच्चनजी ने कहा कि श्यामा का बुखार वे लेने जा रहे हैं। सचमुच, उन्हें बुखार आने लगा। इस तरह बच्चनजी की जिह्वा पर मानो सरस्वती ही बैठी थी ।
( 6 ) श्यामा ने कौन-सा ब्रह्मास्त्र छोड़ा ? उसका क्या परिणाम हुआ ?
अथवा
बच्चनजी को डॉ. मुखर्जी के पास क्यों जाना पड़ा ?
उत्तर : बीमार बच्चनजी डॉक्टर के पास जाने की बात टाल रहे थे। यह देखकर पत्नी ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा कि जब तक वे डॉ. मुखर्जी को नहीं दिखाएँगे, तब तक वह खाना नहीं खाएगी। इससे बाध्य होकर बच्चनजी को डॉ. मुखर्जी के पास जाना पड़ा ।
( 7 ) डॉ. मुखर्जी का नुस्खा बच्चनजी को मौत का परवाना क्यों लगा ?
उत्तर : डॉ. मुखर्जी ने अपने नुस्खे में महँगी अँग्रेज़ी दवाएँ लिखी थीं और कुछ दिन आराम करने को कहा था। इसलिए यह नुस्खा उन्हें मौत का परवाना लगा ।
( 8 ) श्यामा ने छाती पर वज्र रखकर पति से क्या कहा ?
उत्तर : श्यामा ने छाती पर वज्र रखकर पति से कहा, ‘कर्ज़ तो मैं तुम्हारे मरने के बाद भी चुका दूँगी । तुम इसकी चिंता छोड़ो।”
( 9 ) ‘ना जाने राम कहाँ लागे माटी’ यह उक्ति बच्चनजी ने किस संदर्भ में लिखी है?
उत्तर : बच्चनजी के पिता ने अपने अंतिम दिनों में शांति से रहने के लिए घर बनवाया था, लेकिन पति-पत्नी दोनों की मृत्यु उस घर में न होकर कहीं और जगह हुई । इसी संदर्भ में बच्चनजी ने उपर्युक्त उक्त लिखी है।
(10) अपनी बीमारी से लड़ने में बच्चनजी को सबसे अधिक बल किससे मिला ?
उत्तर : जब तक बच्चनजी बीमार रहे, पत्नी श्यामा ने उनसे अपने किसी दुःख की शिकायत नहीं की । बच्चनजी कहते हैं कि उनकी बीमारी में सबसे अधिक बल श्यामा के इस आत्मनिग्रह से ही मिला।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
( 1 ) सामान्यतः लेखक को कौन-कौन सी बीमारियाँ रहती थीं?
उत्तर : सामान्यतः लेखक को जुकाम, बुखार, खाँसी, सिरदर्द आदि बीमारियाँ रहती थीं ।
( 2 ) विश्राम तिवारी क्या कहा करते थे ?
उत्तर : विश्राम तिवारी कहा करते थे, “मार के पीछे भूत भागे ।”
( 3 ) लेखक ऐलोपैथी का उपचार क्यों नहीं कराते थे ?
उत्तर : लेखक ऐलोपैथी का उपचार नहीं कराते थे, क्योंकि वह महँगा होने के कारण उनकी शक्ति से बाहर था ।
( 4 ) श्यामा ने कौन-सा ब्रह्मास्त्र छोड़ा ?
उत्तर : श्यामा ने यह ब्रह्मास्त्र छोड़ा कि जब तक बच्चनजी अपनी तबियत डॉक्टर को नहीं दिखाएँगे तब तक वह खाना नहीं खाएगी ।
( 5 ) डॉक्टर का नुस्खा बच्चनजी को कैसा लगा ?
उत्तर : डॉक्टर का नुस्खा बच्चनजी को मौत का परवाना लगा ।
( 6 ) बच्चनजी को मरने की अपेक्षा जीना कठिन क्यों लगा ?
उत्तर : बच्चनजी को मरने की अपेक्षा जीना कठिन लगा, क्योंकि बीमारी के कारण उनकी आर्थिक तकलीफें बहुत बढ़ गई थीं ।
( 7 ) रोग-शय्या पर पड़े पड़े बच्चनजी को कौन-सी चिंता सता रही थी ?
उत्तर : रोग- शय्या पर पड़े-पड़े बच्चनजी को सिर पर चढ़ा कर्ज़ चुकाने की चिंता सता रही थी ।
( 8 ) ” पैसे नहीं है तो जाओ मरो ।” डॉ. मुखर्जी के इन शब्दों का बच्चनजी पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर : ” पैसे नहीं है तो जाओ मरो। ” डॉ. मुखर्जी के इन शब्दों को बच्चनजी ने अपने लिए चुनौती समझा। उनमें रोग मुक्ति के लिए नया उत्साह पैदा हुआ।
( 9 ) बच्चनजी को मुक्ता प्रसादजी ने कौन-सा उपचार बताया था ?
उत्तर : मुक्ता प्रसादजी ने बच्चनजी को लुई कोने के पानी के प्रयोग से रोग दूर करने का उपचार बताया।
(10) बच्चनजी तपेदिक की बीमारी से कैसे मुक्त हुए?
उत्तर : बच्चनजी लुई कोने के पानी के प्रयोग से तपेदिक की बीमारी से मुक्त हुए ।
(11) किसके मतानुसार बीमार होना अपराध है ?
उत्तर : गांधीजी के मतानुसार बीमार होना अपराध है।
(12) पति की किस बीमारी का नाम सुनते ही श्यामाजी काँप उठीं ?
उत्तर : पति की तपेदिक की बीमारी का नाम सुनते ही श्यामाजी काँप उठीं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) ” बीमारी अमीरों की हरमज़दगी है, गरीबों को उसे अपने पीछे न लगाना चाहिए।”
उत्तर : बीमारी अमीरों का हरामीपन है। वे बीमारी में काम न करने का बहाना बना लेते हैं। पैसा होने के कारण उनकी यह कामचोरी चल जाती है। गरीबों को तो रोज मेहनत करके रोजी कमानी पड़ती है। वे बीमारी के नाम पर काम नहीं करेंगे तो उनका गुज़ारा कैसे होगा । इसलिए गरीबों को बीमार होने से बचना चाहिए ।
( 2 ) “काम के पीछे बुखार भागे ।”
उत्तर : काम न करनेवाले को मामूली बुखार भी बहुत तेज़ लगता है। वह उसे दूर करने के लिए दवा लेता है। लेकिन दृढ़ मनोबलवाले व्यक्ति साधारण बुखार को कुछ नहीं गिनते । बुखार में वे अपने काम में लगे रहते हैं। उनका बुखार अपने आप ठीक हो जाता है।

हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर

गद्यलक्षी

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) डॉक्टर ने बच्चनजी को …… की बीमारी बताई । (कैन्सर, तपेदिक)
( 2 ) बच्चनजी को ……… से बल मिलता था । (चुनौतियों, अपनों)
( 3 ) बीमारी में लेखक को ……..  चुकाने की चिंता खाए जा रही थी । ( कर्ज़, लोन)
( 4 ) ‘पैसे नहीं है तो जाओ …….. । ( मरो, भागो)
( 5 ) घबराओ नहीं, हम …… बेचकर तुम्हारा इलाज करूँगा । (खेत, घर)
उत्तर :
( 1 ) तपेदिक
( 2 ) चुनौतियों
( 3 ) कर्ज़
( 4 ) मरो
( 5 ) घर
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) बच्चनजी गांधीजी के बीमारी विषयक विधान से असहमत थे ।
( 2 ) पैसे के अभाव में बच्चनजी इलाज़ कराने में टालमटोल करते थे।
( 3 ) डॉक्टर ने बच्चनजी को तपेदिक की बीमारी बताई ।
( 4 ) बच्चनजी को मरने से पहले जीना अच्छा लगा।
उत्तर :
( 1 ) गलत
( 2 ) सही
( 3 ) सही
( 4 ) गलत
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
( 1 ) मार के पीछे कौन भागता है ?
( 2 ) बच्चनजी किस डॉक्टर का इलाज़ चालू न रख सके ?
( 3 ) बच्चनजी ने प्लुरिसी की बीमारी में कौन- सी रचना लिखी थी ?
( 4 ) बीमारी को बच्चनजी क्या मानते थे ?
उत्तर :
( 1 ) भूत
( 2 ) डॉ. बी. के. मुखर्जी का
( 3 ) दो चट्टानें
( 4 ) अमीरों की हरमज़दगी
4. सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
( 1 ) बच्चनजी तेज़ बुखार में लेखन का अधिक काम करते थे, क्योंकि ….
(अ) बुखार को महत्त्व देना वे सीखे ही न थे।
(ब) बुखार के कारण उन्हें बाहरी कामों से फुरसत मिल जाती थी।
(क) बुखार के ताप से उनकी अनुभूतियाँ और कल्पनाएँ अधिक क्रियाशील बन जाती थीं।
उत्तर : बच्चनजी तेज़ बुखार में लेखन का अधिक काम करते थे, क्योंकि बुखार के ताप से उनकी अनुभूतियाँ और कल्पनाएँ अधिक क्रियाशील बन जाती थीं।
( 2 ) बच्चनजी को डॉक्टर का नुस्खा मौत का परवाना लगा, क्योंकि….
(अ) उसमें लिखी दवाओं की सूची बहुत लंबी थी ।
(ब) उससे उन्हें अपनी बीमारी की भयंकरता का अनुभव हुआ।
(क) उसमें लिखी सभी दवाएँ बहुत कड़वी थीं।
उत्तर : बच्चनजी को डॉक्टर का नुस्खा मौत का परवाना लगा, क्योंकि उससे उन्हें अपनी बीमारी की भयंकरता का अनुभव हुआ।
( 3 ) श्यामा ने अनशन – व्रत शुरू करने का निश्चय किया, क्योंकि…..
(अ) पति उसकी कोई बात नहीं मानते थे।
(ब) पति के कल्याण के लिए वे इसे ज़रूरी समझती थीं।
(क) पति को डॉक्टर के पास भेजने का यही अचूक उपाय था।
उत्तर : श्यामा ने अनशन व्रत शुरू करने का निश्चय किया, क्योंकि पति को डॉक्टर के पास भेजने का यही अचूक उपाय था ।
( 4 ) बच्चनजी को डॉक्टर मुखर्जी से अपनी स्वास्थ्य परीक्षा इसलिए करवानी पड़ी क्योंकि ….
(अ) बच्चनजी स्वास्थ्य के बारे में चिन्तित थे ।
(ब) श्यामा ने तब तक खाना खाने से इन्कार कर दिया था।
(क) कमजोरी के कारण बच्चनजी कविता नहीं लिख पाते थे।
उत्तर : बच्चनजी को डॉक्टर मुखर्जी से अपनी स्वास्थ्य परीक्षा इसलिए करवानी पड़ी क्योंकि श्यामा ने तब तक खाना खाने से इन्कार कर दिया था ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए: 
( 1 ) बच्चनजी को क्या कठिन लगता था ?
A. बिस्तर पर पड़े रहना
B. महँगा इलाज़ करना
C. मरने से पहले जीना
D. जीते हुए मरना
उत्तर : C. मरने से पहले जीना
( 2 ) बच्चनजी श्यामा के लिए क्या थे?
A. मूक समर्पण
B. आत्मा का दर्पण
C. श्रद्धा का तर्पण
D. पारदर्शी दर्पण
उत्तर : D. पारदर्शी दर्पण
( 3 ) बच्चनजी को किससे बल मिलता था ?
A. अपनों से
B. चुनौतियों से
C. धर्मग्रंथों से
D. पत्नी से
उत्तर : B. चुनौतियों से
(4) मुक्ताप्रसाद कौन थे ?
A. लेखक के पड़ोसी
B. लेखक के मित्र
C. लेखक के रिश्तेदार
D. लेखक के सहकर्मी
उत्तर : A. लेखक के पड़ोसी

व्याकरणलक्षी

1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
( 1 ) बदन
(2) नुस्खा
( 3 ) वैधव्य
( 4 ) तनख्वाह
( 5 ) साख
( 6 ) चुनौती
( 7 ) संचय
( 8 ) मोआवजा
उत्तर :
( 1 ) शरीर
( 2 ) उपाय
( 3 ) विधवापन
( 4 ) वेतन
( 5 ) प्रतिष्ठा
( 6 ) ललकार
( 7 ) संग्रह
( 8 ) बदला
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
( 1 ) चिकना
( 2 ) मधु
( 3 ) क्लेश
( 4 ) विमुक्त
( 5 ) शुभ
( 6 ) बीमारी
( 7 ) विधवा
( 8 ) साकार
( 9 ) मंगल
उत्तर :
( 1 ) खुरदरा
( 2 ) कटु
( 3 ) शांति
( 4 ) बद्ध
( 5 ) अशुभ
( 6 ) तंदुरुस्ती
( 7 ) सधवा
( 8 ) निराकार
( 9 ) अमंगल
3. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
( 1 ) मैं अपनी बीमारी को दुलारनेवालों में न था।
( 2 ) किताबों की बिक्री अभी नियमित नहीं थी।
( 3 ) उसकी नियमित अदायगी मेरे साथ जुड़ी हुई थी ।
( 4 ) मुझे जीवन में चुनौती से ही बल मिला है।
उत्तर :
( 1 ) बीमारी
( 2 ) विक्री
( 3 ) अदायगी
( 4 ) चुनौती
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
( 1 ) धर्म-कार्य करके हम आपसे आशीर्वादित हुए ।
( 2 ) तपेदिक की बीमारी के कारण अनेक पारिवारिक कष्ट उठाने पड़े।
( 3 ) पति को डॉक्टर के पास भेजने का अनशन ही एक अचूक उपाय था।
( 4 ) तुम्हारी विधवा बहन कल अहमदाबाद गई।
( 5 ) मुँहफट दाक्तर ने शीघ्र जवाब दे दिया।
उत्तर :
( 1 ) आशीर्वादित
( 2 ) पारिवारिक
( 3 ) अचूक
( 4 ) विधवा
( 5 ) मुँहफट
5. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए: 
( 1 ) जहाँ शरण लिया जा सके
( 2 ) सौ वरस जीने का आशीर्वाद
( 3 ) शुभ मार्ग पर चलने का आशीर्वाद
( 4 ) जिसे चिन्ता न हो
( 5 ) अंग्रेज़ी पद्धति की उपचार प्रणाली
( 6 ) आत्मा पर अंकुश
उत्तर :
( 1 ) शरणस्थल
( 2 ) शतायु भव
( 3 ) स्वस्तिपंथा
( 4 ) चिन्तामुक्त
( 5 ) ऐलोपैथी
( 6 ) आत्मनिग्रह
6. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
( 1 ) पीछे लगाना – अपने को परेशानी में डालना
वाक्य : उसने अजीब-सी बीमारी अपने पीछे लगा ली है।
( 2 ) पट से जवाब देना – तुरन्त और निर्भय होकर उत्तर देना
वाक्य : यह लड़का किसी को भी पट से जवाब दे देता है।
( 3 ) झकझोर देना- विचलित कर देना
वाक्य : परिस्थितियों ने उन्हें झकझोर दिया है।
( 4 ) झटका देना- परास्त करके कमज़ोर कर देना
वाक्य : इस बीमारी ने उन्हें ऐसा झटका दिया कि फिर उन्हें संभलने में काफी समय लगा।
( 5 ) सिर पर चढ़ना – अधिक होना 
वाक्य : सिर पर इतना कर्ज चढ़ गया है कि रात में नींद नहीं आती।
( 6 ) बूते से बाहर होना – शक्ति के परे होना
वाक्य : बेटी की शादी में इतना खर्च उसके बूते से बाहर था ।
( 7 ) जिहवा पर सरस्वती बैठना – कही हुई बात का सच होना
वाक्य : साधु की कही हुई हर बात सच निकलते देखकर ऐसा लगता है जैसे उसकी जिह्वा पर सरस्वती बैठी हो ।
( 8 ) टालमटोल करना – आनाकानी करना 
वाक्य : आजकल तुम हर बात में टालमटोल करते हो ।
( 9 ) ब्रह्मास्त्र छोड़ना – अचूक अस्त्र का प्रयोग करना
वाक्य : उसने आमरण अनशन की घोषणा कर एक प्रकार से ब्रह्मास्त्र ही छोड़ दिया है।
(10) मौत का परवाना – मृत्यु का कारण बनना
वाक्य : यह बीमारी उसके लिए मौत का परवाना बनकर आई है।
(11) बिदा का समय आना – मृत्यु निकट आना
वाक्य : राम धुन शुरू कर दो, अब इनकी बिदा का समय आ गया है।
(12) लकवा-सा मार जाना- स्तब्ध रह जाना
वाक्य : पुत्र की बीमारी की भयंकरता जानकर माता-पिता को लकवा-सा मार गया।
(13) साख जाना – प्रतिष्ठा की हानि होना
वाक्य : बाजार में व्यापारी की साख गई, तो मानो उसका सबकुछ गया।
(14) छाती पर वज्र रखना- साहस और शक्ति का परिचय देना
वाक्य : श्यामा ने छाती पर वज्र रखकर पति से कहा- तुम्हारे मरने पर तुम्हारा कर्ज़ मैं चुका दूँगी ।
(15) बटुआ खाली होना – सब पैसा खर्च हो जाना
वाक्य : तुम्हारी पढ़ाई के पीछे सारा बटुआ खाली हो गया।
(16) रास्ता दिखाई देना – तरकीब सूझना
वाक्य : मुझे तुम्हारी समस्या का रास्ता दिखाई देता है।
(17) कील देना – स्थान से न हटने देना
वाक्य : वे तो उठ ही नहीं पाते, जैसे बिस्तर पर कील दिए गए हों।
(18) महँगी कीमत चुकाना – भारी हानि उठाना 
वाक्य : तुम्हें अपनी इस हठ की महँगी कीमत चुकानी होगी।
(19) शरीर छोड़ देना – मृत्यु होना
वाक्य : उन्होंने पिछले मंगलवार को शरीर छोड़ दिया।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *