NCERT Solutions Class 10Th Science Biology – आनुवंशिकता एवं जैव विकास
NCERT Solutions Class 10Th Science Biology – आनुवंशिकता एवं जैव विकास
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
आनुवंशिकता एवं जैव विकास
1. उस पादप का नाम लिखें जिस पर मेंडल ने प्रयोग किया था ?
उत्तर – मटर का पौधा ।
2. जीवों की आनुवंशिक इकाई क्या है ?
उत्तर – जीन ।
3. जीन का नामकरण किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर – जॉन्सन (1909 ई०)।
4. जीन कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर – गुणसूत्रों पर।
5. वह कौन-सा कारक है जो वंशागत लक्षणों को नियंत्रण करता है ?
उत्तर – जीन ।
6. जीवधारियों में पाये जाने वाले उन लक्षणों के नाम लिखें जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानान्तरित होते हैं ।
उत्तर – आनुवंशिक लक्षण |
7. D. N. A. का पूर्णरूप लिखें ।
उत्तर – डिआक्सीराइबोज न्युक्लिक एसिड (Deoxyribose Nuclic Acid)।
8. गुणसूत्र के कौन-कौन-से घटक हैं ?
उत्तर – क्रोमैटिड और सेन्ट्रोमियर ।
9. मनुष्यों में गुण सूत्रों की कितनी संख्या होती है ?
उत्तर – 23 जोड़ी ।
10. कोशिका विभाजन की किस अवस्था में गुणसूत्रों को देखा जा सकता है ?
उत्तर – प्रोफेज या पूर्वावस्था |
11. D. N. A. में कितने प्रकार के नाइट्रोजन युक्त क्षार पाये जाते हैं ?
उत्तर – दो प्रकार के क्षार –
(i) प्यूरीन,
(ii) पाइरीमिडीन ।
12. “ऐसे दो बच्चों को जो एक ही निषेचित अंडाणु से विकसित होते हैं। – क्या कहते हैं ?
उत्तर – जुड़वाँ ।
13. किसी बालक के हाथ में पाँच के बदले छह अंगुलियों का होना किस प्रकार की विभिन्नता है ?
उत्तर – विच्छिन्न विभिन्नता या उत्परिवर्तन ।
14. आर० एन० ए० का संश्लेषण किस केन्द्रीय प्रोटीन द्वारा होता है ?
उत्तर – डिआक्सी राइबोज ।
15. किस वैज्ञानिक को आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है ?
उत्तर – ग्रेगर जॉन मेंडल को ।
16. रिट्रोवाइरस क्या है ?
उत्तर – ऐसे वाइरस जिसमें आनुवंशिक पदार्थ के रूप में राइवोज न्युक्लिक अम्ल (RNA) पाया जाता है, रिट्रोवाइरस कहलाता है।
17. मेंडल के प्रयोग मूलतः किस जैविक प्रक्रम पर आधारित थे ?
उत्तर – संकरण ।
18. मेंडल द्वारा वर्णित आनुवंशिक इकाइयों या कारकों को क्या कहते हैं ?
उत्तर – जीन ।
19. मेंडल ने अपने प्रयोग किस पौधे पर किये ?
उत्तर – मटर ।
20. प्रयोग- अप्रयोग का सिद्धांत किस वैज्ञानिक की देन है ?
उत्तर – लैमार्क ।
21. जैव आनुवंशिक नियम का प्रतिपादन किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर – हीकल ।
22. किन्हीं दो समजात अंगों के नाम लिखें।
उत्तर – मेंढ़क के अग्रपाद और पक्षी के डैने ।
23. प्रसिद्ध पुस्तक ‘जातियों का अभ्युदय’ के लेखक का नाम लिखें ।
उत्तर – चार्ल्स डार्विन ।
24. एक अवशेषी अंग का नाम लिखें ।
उत्तर – निमेषक झिल्ली ।
25. एक जोड़ी समजात और एक जोड़ी समवृत्त अंगों के नाम लिखें ।
उत्तर – समजात अंग- चमगादड़ के पंख, घोड़े की टांग ।
समवृत्त अंग- तितली के पंख, चमगादड़ के पंख ।
26. ब्रोकोली का विकास किस विधि द्वारा किया जाता है ?
उत्तर – कृत्रिम चयन |
27. किस स्थान को मानव का उद्भव स्थान मानते हैं ?
उत्तर – अफ्रीका ।
28. आर्किआप्टेरिक्स क्या है ?
उत्तर – एक जीवाश्म जिसमें पक्षी और सरीसृप दोनों के लक्षण पाये जाते हैं ।
29. जीवों में समानता को किस जीव वैज्ञानिक नाम से जाना जाता है ?
उत्तर – आनुवंशिकता ।
30. जीवों में विभिन्नताएँ किस जीव वैज्ञानिक नाम से जानी जाती हैं ?
उत्तर – विभिन्नता।
31. जेनेटिक्स के पिता के रूप में किसे जाना जाता है ?
उत्तर – ग्रेगर जॉन मेंडल ।
32. पहले भारतीय चिकित्सक का नाम क्या था जिसे आनुवंशिकता का ज्ञान था ?
उत्तर – चरक ।
33. प्रथम पीढ़ी में अस्तित्व में रहने वाले लक्षणों को क्या कहते हैं ?
उत्तर – प्रभावी लक्षण |
34. ऐसे लक्षणों को क्या कहते हैं जो प्रथम पीढ़ी में अस्तित्व में नहीं आते हैं ?
उत्तर – अप्रभावी लक्षण |
35. किस प्रकार के प्रोटीन में द्विगुणन की क्षमता होती है ?
उत्तर – डिआक्सी राइबोज केन्द्रीय अम्ल में ।
36. प्यूरीन क्षारों के नाम लिखें ।
उत्तर – एडिनीन और ग्वानीन ।
37. पिरीमिडीन क्षारों के नाम लिखें ।
उत्तर – थायमीन और साइटोसीन ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. आनुवंशिकता की परिभाषा दें ।
उत्तर – वह जटील प्रक्रम जिसके अंतर्गत लैंगिक जनन के माध्यम से माता-पिता के विशिष्ट लक्षण उनकी संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँचते रहते हैं, आनुवंशिकता कहलाती है।
2. आनुवंशिक लक्षण किन्हें कहते हैं ?
उत्तर – ऐसे लक्षणों को जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानान्तरित होते रहते हैं उन्हें आनुवंशिक गुण या लक्षण कहते हैं। इस परिघटना को आनुवंशिकता कहते हैं ।
3. आनुवंशिकी की परिभाषा दें । आनुवंशिकता में मेंडल का क्या योगदान है ?
उत्तर – जीव विज्ञान की वह विशेष शाखा जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकता की सूक्ष्म क्रिया विधि, आनुवंशिकता के प्रभाव एवं आनुवंशिकता से सम्बन्धित परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है, आनुवंशिकी कहलाती है।
ग्रेगर जॉन मेंडल (1822-1884) ने जीव विज्ञान की इस शाखा आनुवंशिकी को अति महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसलिए उन्हें आनुवंशिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने मटर के दानों पर संकरण के तरह-तरह के प्रयोग किए थे और तीन नियमों को प्रतिपादित किया था –
(i) प्रभाविता का नियम – संकरण में भाग लेने वाले पौधों का प्रभावी गुण प्रकट होता है और अप्रभावी गुण छिप जाता है।
(ii) पृथक्करण का नियम – युग्मकों की रचना के समय कारकों के जोड़े के कारक अलग-अलग हो जाते हैं। इन दोनों में से केवल एक युग्मक के पास पहुँचता है। दोनों कारक कभी भी एक साथ युग्मक में नहीं जाते।
(iii) अपव्यूहन का नियम – जीव गुण के कारक एक-दूसरे को प्रभावित किए बिना अपने आप उन्मुक्त रूप से युग्मकों में जाते हैं और अपने आप को प्रकट करते हैं। उदाहरण के लिए, द्विसंकर क्रॉस की दूसरी पीढ़ी की संतानों में सभी कारकों के गुण अलग-अलग दिखाई देते हैं पर पहली पीढ़ी में अपने प्रभावी गुण ही प्रकट करते हैं ।
4. लक्षणों की वंशागति के क्या नियम हैं ?
उत्तर – (i) लक्षण दो प्रकार के होते हैं- प्रभावी व अप्रभावी । प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी लक्षण ही परिलक्षित होते हैं। इसे प्रभावी लक्षणों का नियम कहते हैं ।
(ii) लक्षण स्वतंत्र रूप से पृथक होते हैं इसे सैग्रीगेशन का नियम कहते हैं।
5. लिंग गुणसूत्र क्या हैं ? मनुष्य में कितने लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं ?
उत्तर – वह गुणसूत्र जिसकी सहायता से लिंग निर्धारण होता है, लिंग गुणसूत्र कहलाता है। मनुष्य में एक जोड़ा लिंग गुणसूत्र पाया जाता है।
6. जीन क्या है ? यह कहाँ पाया जाता है ? इसकी रासायनिक प्रकृति क्या है ?
उत्तर – जीन आनुवंशिक इकाइयाँ है जो गुणसूत्रों पर पायी जाती हैं। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी पैतृक लक्षणों को आगे बढ़ाने का काम करती है। न्यूक्लियोटाइडस का विशिष्ट क्रम इसकी क्रियात्मक विशिष्टता को निर्धारित करता है। जीन को किसी विशेष एन्जाइम से काटा जा सकता है और उसे किसी अन्य जीव के जीन के साथ जोड़ा जा सकता है ।
7. जीन क्या है ? आनुवंशिकता में इसकी क्या भूमिका है ?
उत्तर – गुण सूत्रों पर पायी जाने वाली भौतिक इकाइयाँ जो पैत्रिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाने का कार्य करती है, जीन कहलाती है। जीन आनुवंशिक गुणों का वहन करती हैं। ये पैत्रिक लक्षणों को अगली पीढ़ी में पहुँचाती है।
जीनों की आनुवंशिकता में निम्नांकित भूमिका है –
(i) इनमें द्विगुणन की क्षमता होती है जिसके कारण ये सभी संततियों में पहुँच जाती हैं ।
(ii) ये पुनर्योजन की इकाइयाँ हैं तथा ये क्रोसिंग ओवर में भाग ले सकती हैं।
(iii) ये उत्परिवर्तित होकर विभिन्नताएँ उत्पन्न कर सकती है।
(iv) ये शारीरिक लक्षणों एवं क्रियाओं से संबद्ध होती हैं ।
8. जीनों की विशेषताओं का उल्लेख करें ।
उत्तर – जीनों की विशेषता –
(i) ये आनुवंशिक पदार्थों की इकाइयाँ हैं जिनमें द्विगुणन की क्षमता होती हैं ।
(ii) ये पुनर्योजन की इकाइयाँ हैं और ये क्रासिंग-ओवर क्रिया में भाग ले सकती हैं।
(iii) जीन उत्परिवर्तित होकर भिन्नताएँ उत्पन्न करती हैं। उत्परिवर्तन से जीन में संग्रहीत सूचनाएँ बदल जाती हैं ।
(iv) ये शारीरिक लक्षणों एवं क्रियाओं से संबद्ध होती है और वैसे लक्षणों अथवा वैसी क्रियाओं को प्रकट करने में सहायक है।
9. जीन- प्रवाह क्या है ?
उत्तर – जीन- प्रवाह – अप्रवासी जीव के जीनों का किसी नई समष्टि में प्रवेश करना जीन- प्रवाह कहलाता है। जीन- प्रवाह उन समष्टियों में होता है जो आंशिक रूप से अलग-अलग होती है ।
10. आनुवंशिक विचलन क्या है ?
उत्तर – आनुवंशिक विचलन – जब प्राकृतिक अवरोध अथवा अन्य कारणों से एक ही जाति के कुछ सदस्य आनुवंशिक रूप से भिन्न हो जाते हैं तब इस घटना को आनुवंशिक विचलन कहते हैं।
11. यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण-B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा ?
उत्तर – संभवतः लक्षण – A पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कुछ नई विभिन्नताएँ परिलक्षित होती हैं। ये नई विभिन्नताएँ यदि वातावरण के अनुकूल होती हैं, तो उनकी प्रतिशत संख्या समष्टि में अधिक हो जाती है।
12. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज की उत्तरजीविता की संभावना क्यों बढ़ जाती है ?
उत्तर – विभिन्नताओं के रहने से भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवों को अपने अस्तित्व को बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार से लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए ऐसे जीवाणु जो तीव्र ऊष्मा का सहन कर सकते हैं वे अति उष्ण दशाओं में भी जीवित रह जाते हैं। इसके विपरीत जिनमें ऐसी क्षमता नहीं होती वे नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार विभिन्नताओं के कारण स्पीशीज का अस्तित्व कायम रहता है।
13. मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न विकल्पी लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगति करते हैं ?
उत्तर – मेंडल ने अपने कुछ प्रयोगों में मटर के पौधे के दो विकल्पी जोड़ों का अध्ययन करने के लिए संकरण कराया। इसके लिए उन्होंने गोल बीजों वाले लम्बे पौधों एवं झुर्रीदार बीजों वाले बौने पौधों के बीच संकरण कराया और पाया कि –
(i) F1 पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे और गोल बीजों वाले थे। इससे पता चला कि लम्बाई तथा बीज का गोल अकार प्रभावी लक्षण है।
(ii) F2 पीढ़ी में कुछ पौधे नए संयोजन प्रदर्शित करते हैं। जैसे- कुछ पौधे लम्बे परन्तु झुर्रीदार बीजों वाले हैं, जबकि कुछ पौधे बौने और गोल बीजों वाले हैं।
उपर्युक्त दोनों दशाओं से यह निष्कर्ष निकलता है कि लम्बाई, बौनापन, बीजों का गोल होना अथवा झुर्रीदार होना परस्पर स्वतंत्र लक्षण हैं। ये स्वतंत्रतापूर्वक वंशानुगत होते हैं
14. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?
उत्तर – मेंडल के प्रयोग से यह पता चलता है कि यदि दो परस्पर विरोधी लक्षणों वाले पौधों के बीच यदि कृत्रिम परागण कराया जाता है तो प्रथम पीढ़ी (F, पीढ़ी) में केवल एक ही लक्षण प्रकट होता है जबकि दूसरा लक्षण भी उन पौधों में सुरक्षित रहता है और अप्रभावी अवस्था में होता है। दूसरी पीढ़ी में इस लक्षण के प्रकट हो जाने से इस बात की पुष्टि होती है।
उदहारण-

15. डी० एन० ए० आनुवंशिकता का आधार है। कैसे ?
उत्तर – डी० एन० ए० आनुवंशिकता का आधार है क्योंकि –
(i) इसमें द्विगुणन की क्षमता होती है।
(ii) यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है।
(iii) डी० एन० ए० की अनुकृति मूल DNA अणु की तरह ही होती है।
(iv) डी० एन० ए० का द्विगुणन कोशिका विभाजन से पहले हो जाता है।
(v) यदि डी० एन० ए० की रचना में परिवर्तन हो जाए तो जीव के शरीर में उत्परिवर्तन के लक्षण दिखाई देंगे।
(vi) डी० एन० ए० स्वयं एक आनुवंशिक पदार्थ है।
16. एक ‘A’ रुधिर वर्ग वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण रुधिर वर्ग ‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दें ।
उत्तर – रुधिर वर्ग ‘O’ प्रभावी है क्योंकि सन्तति में पुरुष में रुधिर वर्ग A तथा स्त्री में रुधिर वर्ग ‘O’ है। F1 पीढ़ी में सभी सन्तति में रुधिर वर्ग ‘O’ प्रदर्शित होता है। इसका मुख्य कारण रुधिर वर्ग ‘O’ का प्रभावीपन है। यह सूचना प्रभावी तथा अप्रभावी बताने के लिए पर्याप्त है।
17. एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या करें ।
उत्तर – आँखों का हल्का रंग जो माता-पिता में है वही उनके बच्चे में है। ऐसा आनुवंशिकता के सामान्य नियमों के अंतर्गत ठीक है। प्रभाविता का प्रश्न उस समय उत्पन्न होता है जब दो परस्पर विरोधी लक्षण संयुक्त होते हैं। वर्तमान संदर्भ में विरोधी लक्षण अनुपस्थित है। अतः प्रभावी या अप्रभावी होने का यहाँ कोई प्रश्न नहीं होना चाहिए।
18. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर – किसी शिशु के जन्म से पूर्व उसके नर अथवा मादा होने की भविष्यवाणी करना लिंग निर्धारण कहलाता है।
(i) महिलाओं में दोनों लिंग गुणसूत्र एक हा प्रकार के होते हैं। X और X (XX) ।
(ii) पुरुषों में दोनों लिंग गुणसूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। X और Y (XY)।
(iii) पुरुष दो प्रकार के शुक्राणु बराबर मात्रा में उत्पन्न करते हैं। एक प्रकार के शुक्राणुओं में X गुणसूत्र होता है जबकि दूसरी प्रकार संतति के शुक्राणु Y गुणसूत्र रखते हैं l
(iv) महिलाएँ एक ही प्रकार के अंडाणु उत्पन्न करती हैं जिसमें X गुणसूत्र होते हैं ।
(v) जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डे से संयोग करता है तो (XX) युग्मनज लड़की में विकसित होता है।
(vi) जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डे को निषेचित करता है तो (XY) युग्मनज लड़के में विकसित होता है।

19. विकास को परिभाषित करें ।
उत्तर – जीवधारियों की रचना और व्यवहार में होने वाले मन्द अनुत्क्रमणीय और लगातार परिवर्तनों का वह जटिल प्रक्रम जो लाखों करोड़ों वर्षों तक चलता रहता है, जैव विकास कहलाता है ।
20. उपार्जित लक्षण किन्हें कहते हैं? क्या उपार्जित लक्षणों की वंशागति होती है ?
उत्तर – ऐसे लक्षणों को जो किसी जीव को उसके माता-पिता से आनुवंशिकता द्वारा नहीं मिलते लेकिन वह जीव उन्हें स्वयं ही प्रकृति द्वारा प्राप्त करता है उपार्जित लक्षण कहते हैं ।
डार्विन के अनुसार ये लक्षण आनुवंशिक हो जाते हैं और अगली पीढ़ी में जाकर विभिन्नताएँ उत्पन्न करते हैं जिससे नयी जाति की उत्पत्ति होती है। परन्तु डार्विन के बाद वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया कि उपार्जित लक्षणों की वंशागति नहीं होती है।
21. वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ?
उत्तर – एक विशिष्ट लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में निम्नांकित तरीकों से बढ़ सकती है –
(i) लैंगिक जनन के समय डी० एन० ए० प्रतिकृतियों में होने वाले परिवर्तन।
(ii) व्यष्टि जीवों में उत्पन्न विभिन्नताएँ एवं अनुकूलन ।
22. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों ?
उत्तर – एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः आनुवंशिक नहीं होते क्योंकि –
(i) ऐसे लक्षण प्रायः अस्थायी तौर पर उत्पन्न होते हैं ।
(ii) उपार्जित लक्षण प्रायः आनुवंशिक नहीं होते हैं क्योंकि आनुवंशिक लक्षण लैंगिक जनन के समय डी० एन० ए० में होनेवाले परिवर्तनों से उत्पन्न होते हैं।
23. बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिन्ता का विषय क्यों है ?
उत्तर – बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिन्ता का विषय है क्योंकि बाघों में अनुवांशिक विभिन्नता लगभग नहीं के बराबर है। यदि अत्यंत तेजी से बदलती पर्यावरणीय स्थितियों में परिवर्तन नहीं आया तो वे सब नाटकीय रूप से समाप्त हो जाएँगे । जैसे- यदि किसी बाघ में भयानक रोग का संक्रमण हो जाए तो सभी बाघ उसी से मर जाएँगे क्योंकि संक्रमण उनकी जीन की आवृत्ति को प्रभावित करेगा। बाघों की निरंतर घटती संख्या भी यही संकेत कर रही है कि पर्यावरण में आया परिवर्तन उनके लिए अनुकूल नहीं रहा है और वे शायद शीघ्र ही समाप्त हो जाएँ ।
24. सूक्ष्म विकास किसे कहते हैं ?
उत्तर – छोटे आनुवंशिक परिवर्तनों के फलस्वरूप हुए विकास को सूक्ष्म विकास कहते हैं इस प्रकार के अध्ययन में छोटे-छोटे परिवर्तन बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। ऐसे परिवर्तन किसी स्पीशीज के सामान्य लक्षणों व गुणों में परिवर्तन कर देते हैं ।
25. स्पीशीज से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ऐसे जीवों का समूह जिनमें आधारभूत विशेषताएँ समान होती हैं तथा जो आपस में लैंगिक जनन कर सकते हैं, स्पीशीज कहलाता है।
26. जाति उद्भव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – किसी दूसरी स्पीशीज से नई स्पीशीज उत्पन्न होने की प्रक्रिया को जाति उद्भव कहते हैं ।
27. वे कौन-से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक है ?
उत्तर – (i) भौगोलिक वितरण तथा एकाकीपन,
(ii) जीनों का विचलन,
(iii) आनुवंशिक भिन्नताएँ ।
28. प्रकृति में नई जातियों की उत्पति कैसे होती है ?
उत्तर – डार्विन के मतानुसार विभिन्नताओं के आनुवंशिक होने पर जीव अपने पूर्वजों से भिन्न हो जाते हैं। धीरे-धीरे कई पीढ़ियों में लक्षण इतने बदल जाते हैं कि उत्पन्न होने वाले जीव अपने पूर्वजों से पूर्णतः भिन्न हो जाते हैं। इसे ही नयी जाति की उत्पत्ति कहा गया है ।
29. मानव विकास के अध्ययन के लिए किन विधियों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर – मानव विकास के अध्ययन के लिए निम्नांकित विधियों का प्रयोग किया जाता है –
(i) उत्खनन या खुदाई,
(ii) समय निर्धारण या प्राप्त जीवाश्म की आयु का आकलन करना,
(iii) जीवाश्म अध्ययन,
(iv) DNA के अनुक्रम का निर्धारण।
30. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण है ?
उत्तर – हाँ, स्वयं परागित होने वाले पौधों में जाति उद्भव के लिए भौगोलिक पृथक्करण एक प्रमुख कारण है। पौधों में दो प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं- जननकीय लक्षण तथा भौतिक लक्षण। जननकीय लक्षण गुणसूत्रों पर उपस्थित डी० एन० ए० के द्वारा हस्तान्तरित होते हैं । गुणसूत्रों की संख्या एवं आकृति ज्यों की त्यों बनी रहती है परन्तु भौतिक लक्षण अनुकूलित परिस्थितियों में क्रियाशील रहते हैं। अतः भौतिक लक्षणों में भिन्नता स्वयं परागित पौधों में विभेदन का प्रमुख कारण होती है।
31. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति – उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – हाँ, भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन करने वाले जीवों की जाति के उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है। यदि केवल पर या केवल मादा बहुत लंबे समय के लिए भौगोलिक रूप से पृथक कर दिए जायँ तो जनन के विकल्प में अलैंगिक हो सकते हैं। इस प्रकार अलैंगिक जनन करने वाले जीवों की एक बड़ी आबादी कायम हो जाएगी।
32. अस्तित्व के लिए संघर्ष का क्या अर्थ है ? डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धान्त के सन्दर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर – अस्तित्व के लिए संघर्ष – प्रत्येक जीव जीवित रहना चाहता है। इसके लिए वह पोषक पदार्थों, आवास, जल, वायु आदि को प्राप्त करने तथा शत्रुओं से बचने के लिए विशेष उपाय करता है एवं अनुकूलनों को विकसित करता है । दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह अन्य जीवों से प्रतियोगिता करता है जो एक संघर्ष का स्वरूप ग्रहण कर लेती है। इसे ही अस्तित्व के लिए संघर्ष कहते हैं।
डार्विन का प्राकृतिक चयन का सिद्धान्त और अस्तित्व के लिए संघर्ष – डार्विन के अनुसार जो जीवधारी सर्वोत्तम अनुकूली लक्षणों को धारण कर पाता है, जीवन के संघर्ष में वही जीवित बचता है। डार्विन के अनुसार प्रकृति ऐसे ही जीव का वरण या चयन करती है तथा ऐसे जीव एवं उनके वंशज ही जीवित रहते हैं।
33. डार्विन के विकास के सिद्धांत की व्याख्या करें ।
उत्तर – जैव विकास के संबंध में चार्ल्स डार्विन का मत यह था कि जैव विकास की प्रक्रिया प्राकृतिक वरण के आधार पर होती है जिसमें मुख्य निम्नांकित हैं—
(i) जीवों में संतानोत्पत्ति की प्रचुर क्षमता,
(ii) जीवन संघर्ष,
(iii) प्राकृतिक वरण,
(iv) योग्यतम की उत्तरजीविता,
(v) वातावरण के प्रति अनुकूलन,
(vi) नई जातियों की उत्पत्ति ।
डार्विन ने बताया कि सभी जीवों में जनन की प्रचुर क्षमता होती है परन्तु जीवों की संख्या सीमित रहती है। इसका कारण है उनमें जीवन संघर्ष। यह संघर्ष वातावरणीय अथवा अंतरजातीय होती है। जीवों में लाभदायक विभिन्नताएँ वंशागत होती है। योग्यतम लक्षणों वाले जीव स्वस्थ संतान उत्पन्न करके वंश चलाते हैं । प्रकृति योग्यतम जीवों का चयन करती है |
34. प्राकृतिक चयन के सिद्धान्त के प्रमुख चरणों का उल्लेख करें ।
उत्तर – प्राकृतिक चयन के सिद्धान्त का प्रतिपादन डार्विन ने किया था। इस सिद्धान्त के प्रमुख चरण इस प्रकार हैं –
(i) जनसंख्या में वृद्धि,
(ii) सीमित भोजन और स्थान के कारण प्रतियोगिता,
(iii) अस्तित्व के लिए संघर्ष,
(iv) अनुकूलन और विभिन्नताएँ,
(v) योग्यतम की उत्तरजीविता,
(vi) उपयोगी विभिन्नताओं की वंशागति,
(vii) नयी जाति की उत्पत्ति ।
35. समजात अंग की परिभाषा लिखें। वे विकास के समर्थन में किस प्रकार प्रमाण प्रस्तुत करते हैं ?
उत्तर – वे अंग जिनकी उत्पत्ति और मूल रचना समान हो लेकिन उनके कार्य भिन्न हों, उन्हें समजात अंग कहते हैं। जैसे- मनुष्य के हाथ और पक्षी के डैने ।
समजात अंगों से यह निष्कर्ष निकलता है कि समान अंग भिन्न आवासीय दशाओं में किस प्रकार भिन्न दिखने लगते हैं। अंततः नयी जीव जाति के उद्भव के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं । अतः ऐसे अंग भिन्न दिखाई देने वाली विभिन्न स्पीशीज के बीच विकासीय संबंध को दिखाते हैं ।
36. समजात, समवृत्ति और अवशेषी अंग क्या हैं ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर – समजात अंग- दो या दो से अधिक जीवधारियों के ऐसे अंग जो उत्पत्ति के आधार पर समान होते हैं परन्तु कार्य के आधार पर भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं । उदाहरण- मनुष्य के हाथ और पक्षी के डैने ।
समवृत्ति अंग- दो या दो से अधिक जीवधारियों के ऐसे अंग जो उत्पत्ति के आधार पर अलग-अलग किन्तु कार्य के आधार पर समान होते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं। उदाहरण- पक्षी के पंख और तितली के पंख ।
अवशेषी अंग- जीवधारियों में पाए जाने वाले ऐसे अंग जो आवश्यकता और उपयोग के अभाव में मात्र अवशेष के रूप में बचे हुए पाए जाते है । अवशेषी अंग कहलाते हैं।
उदाहरण- मनुष्य के आँख की निमेशक झिल्ली ।
37. चमगादड़ के पंख और पक्षियों के पंख समरूप अंग है , कैसे ?
उत्तर – चमगादड़ के पंख और पक्षियों के पंख समरूप अंग है क्योंकि दोनों का कार्य समान है परन्तु इनकी उत्पत्ति एक दूसरे से भिन्न है। चमगादड़ के पंख उसकी फैली हुई अँगुली के बीच की त्वचा के फैलने से बना है। जबकि पक्षी के पंख उसके पूरे अग्रबाहु की त्वचा के फैलाव से बना है।
38. पक्षी और चमगादड़ के पंखों में क्या अंतर है ?
उत्तर – चमगादड़ के पंख मुख्यतः उसकी दीघ्रित अँगुली के मध्य की त्वचा के फैलने से बना है। परन्तु पक्षी के पंख उसकी पूरी अग्रबाहु की त्वचा के फैलाव से बनता है जो परों से ढकी रहती है।
39. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते। वे समरूप अंग हैं जो उड़ने का कार्य करते हैं ।
कारण- तितली के पंखों की संरचना चमगादड़ के पंख से बिल्कुल भिन्न होती है। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डियाँ होती है जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं होती है ।
40. जीवाश्म क्या हैं ? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर – भूतकालीन जन्तुओं और पौधों के कठोर अंगों की छाप अथवा उनके अवशेष जो पृथ्वी की चट्टानों पर या उनके बीच में दबे हुए पाये जाते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं । जीवाश्म जैव विकास के विभिन्न चरणों या अवस्थाओं को दर्शाते हैं। उदाहरणआर्किआप्टेरिक्स |
जीवाश्म हमें जैव विकास के बारे में निम्नांकित बातें दर्शाते हैं –
(i) ऐसी कौन-सी स्पीशीज हैं जो कभी जीवित थीं। परन्तु अब लुप्त हो गई हैं ।
(ii) ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जो कि एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बीच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते हैं। उदाहरण के लिए, आर्कीऑप्टैरिक्स जीवाश्म में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं, तो अन्य लक्षण पक्षियों के । यह इंगित करता है कि पक्षी सरीसृप से विकसित हुए हैं।
(iii) फॉसिल पृथ्वी के अन्दर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकाले जाते हैं। इससे पता चलता है कि पृथ्वी की सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं।
41. फॉसिल डेटिंग क्या है ?
उत्तर – फॉसिल डेटिंग जिसमें जीवाश्म में पाए जाने वाले किसी एक तत्व के विभिन्न समस्थानिकों का अनुपात के आधार पर जीवाश्म का समय-निर्धारण किया जाता है।
42. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दें जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?
उत्तर – (i) शरीर रचना,
(ii) अंगों की रचना में समानताएँ या असमानताएँ,
(ii) अंगों के कार्यों में समानताएँ एवं असमानताएँ। उदाहरण के लिए, मेंढक, छिपकली, पक्षी तथा मनुष्य के अग्र पादों की आधारभूत संरचना एक समान है। यद्यपि विभिन्न कशेरुकों में भिन्न-भिन्न कार्य करने के लिए रूपान्तरित हैं। ये समजात अंग समान पूर्वज की ओर इशारा करते हैं।

43. प्लैनेरिया की बाहरी बनावट का चित्र बनाएँ। यह विकास संबंधी किस तथ्य की ओर संकेत करता है ?
उत्तर –

प्लैनेरिया में नेत्रों के स्थान पर दो काले धब्बे पाये जाते हैं जो प्रकाश की पहचान कर सकते हैं ये दो धब्बे नेत्र के विकास की ओर संकेत करते हैं ।
44. निम्नांकित चित्रों को पहचाने और इनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें –

(i) ये किस प्रकार के अंग हैं ?
(ii) इनमें कौन-सी समानताएँ या विषमताएँ है ?
उत्तर – (i) समरूप अंग ।
(ii) ये कार्य के आधार पर आपस में समान दिखाई पड़ते हैं। परन्तु उत्पत्ति के आधार पर एक दूसरे से भिन्न हैं ।
45. निम्नांकित चित्रों को पहचाने और इनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें –

(i) ये किस प्रकार के अंग हैं ?
(ii) इनमें कौन-सी समानताएँ या विषमताएँ है ?
(iii) ये अंग किस प्रकार विकास को सूचित करते हैं ?
उत्तर – (i) ये सभी समजात अंग हैं
(क) ह्वेल का फ्लिपर,
(ख) चमगादड़ का पंख,
(ग) घोड़े की टाँग,
(घ) मनुष्य का हाथ
(ii) ये उत्पत्ति के आधार पर समान हैं, लेकिन कार्य के आधार पर परस्पर भिन्न हैं ।
(iii) ये अंग उत्पत्ति संबंधी समानताओं के आधार पर यह प्रमाण प्रस्तुत करते हैं कि विकास के दीर्घकालीन आयाम में से सभी जीव समान पूर्वजों से उत्पन्न हुए परन्तु विभिन्न परिस्थितियों तथा कारणों से ये एक दूसरे से भिन्न हो गये।
46. योजक कड़ी क्या है ? एक उदाहरण लिखें।
उत्तर – जीवाश्म आर्किआप्टेरिकस के अध्ययन से पता चलता है कि उसमें कुछ लक्षण पक्षी के थे जबकि अन्य लक्षण सरीसृप के थे। इस आधार पर जीव वैज्ञानिकों ने उसे पक्षी और सरीसृप के मध्य की योजक कड़ी कहा। योजक कड़ी उस जीव को भी मानते हैं जिसमें किन्हीं दो समूहों के लक्षण पाये जाते हों।
47. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ?
उत्तर – क्योंकि सभी प्रकार के मानवों में अंतर्जनन संबंध स्थापित होते हैं एवं ऐसा कोई जीव वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर अलग-अलग रंग रूप वाले मानवों को अलग स्पीशीज से संबंधित होना सुनिश्चित कहा जा सके।
48. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैन्जी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या करें ।
उत्तर – उद्विकास के आधार पर जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैन्जी के शरीरों में जीवधारियों के वंशों की विविधता के अस्तित्व के लक्षण विद्यमान होते हैं। अतः इनमें शारीरिक आकृति श्रेष्ठ प्रकार की है। ये शरीर की प्रतिकूलता को अनुकूलता में परिवर्तित कर देती है। जैसे- गर्म झरने, गहरे समुद्रों के गर्म स्रोत तथा अन्टार्कटिका में उपस्थित बर्फ आदि में उपस्थित जीवधारियों में उपस्थित लक्षण जो उन्हें उत्तरजीविता के योग्य बनाते हैं ।
49. जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन आपस में किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर – जैव विकास के अध्ययन से पता चलता है कि पहले उत्पन्न जीवों का शरीर बाद में उत्पन्न जीवों के शरीर सरलतम हैं। अर्थात् जीवों के शरीर में सरलता से जटिलता की तरफ विकास हुआ है। यही आधार वर्गीकरण का भी है। जीवों को शरीर की रचना के आधार पर ही उनको विभिन्न वर्गों में रखा गया है । अतः जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर संबंधित हैं।
50. विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – जीवाश्मों का अध्ययन करके उनकी उम्र का पता लगाते हैं। उनकी रचना से वर्तमान समय में पाए जाने वाले जीवों की रचना का मिलान करते हैं। इस प्रकार जीव-विशेष के विकास की शाखा का पता चलता है। इससे जीवों के पूर्वजों को खोजने, पहचानने तथा विकास की परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिलती है ।
51. समजात अंग एवं समरूप अंगों का उदाहरण देकर समझाएँ ।
उत्तर – समजात अंग- विभिन्न जीवों में वे अंग जो आकृति तथा उत्पत्ति में समानता रखते हैं समजात अंग कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, मेढक के अग्रपाद, पक्षी के पंख, चमगादड़ के पंख, ह्वेल के फ्लैपर्स, घोड़े के अग्रपाद तथा मानव के हाथ आदि उत्पत्ति में समान होते हैं परन्तु वे कार्य में परस्पर भिन्नता रखते हैं। समरूप अंग– विभिन्न जीवों के वे अंग जो कार्य में समान होते हैं परन्तु उत्पत्ति में भिन्न होते हैं। ऐसे अंगों को समरूप अंग कहते हैं। उदाहरण – तितली के पंख, पक्षी के पंख आदि कार्य में समान हैं परन्तु उत्पत्ति में वे भिन्न हैं ।
52. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?
उत्तर – स्टैनली मिलर और हेरॉल्ड सी० उरे ने सन् 1953 में अपने प्रयोग द्वारा साबित किया कि जीव की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है। उन्होंने जल के ऊपर एक ऐसे वातावरण की रचना की जिसकी कल्पना पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से पूर्व की गई थी। उस वातावरण में मिथेन, अमोनिया तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे परन्तु ऑक्सीजन के नहीं । वातावरण का ताप 100°C रखा गया और गैसों मिश्रिण से होकर स्पुर्लिंग प्रवाहित किए गए ताकि विद्युत उत्पन्न हो । एक सप्ताह के बाद देखा गया कि मिथेन का 15% कार्बन अमीनो अम्ल में बदल चुका था। जिनसे प्रोटीन बनती है। इस प्रकार प्रोटीन से क्रमशः जीवन की उत्पत्ति हुई होगी।
53. प्राकृतिक चयन (वरण) क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर – जीवन के लिए संघर्ष में उन्हीं जीव-जातियों के वंशज बच जाते हैं, जो योग्यतम होती है। इसे योग्यतम की उत्तरजीविता कहते हैं। डार्विन के अनुसार, प्रकृति ऐसे ही जीवधारियों का जीवित रहने के लिए चयन कर लेती है। इसे प्राकृतिक चयन कहा जाता है।
54. ऐसे तीन पौधों के उदाहरण लिखें जिनका विकास कृत्रिम रूप से जंगली गोभी से किया गया है।
उत्तर – जंगली गोभी से फूलगोभी, गाँठ गोभी, ब्रोकली, बन्द गोभी, लाल गोभी, केल आदि को मनुष्य ने संकरण की विधियों द्वारा उत्पन्न किया है।
55. विकास का संश्लेषणात्मक सिद्धांत क्या है ?
उत्तर – यह विकास का आधुनिक सिद्धांत है, जो डार्विन के ‘प्राकृतिक चयन’ के सिद्धांत एवं ह्यूगो डी ब्रीज के ‘उत्परिवर्तन सिद्धांत’ को मिलाकर प्रस्तुत किया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार जीवों का विकास तीन कारकों पर निर्भर करता है –
(i) जीन विविधता, (ii) प्राकृतिक चयन, (ii) जननात्मक एकाकीपन।
56 विकास को प्रगति नहीं समझा जा सकता है, कैसे? व्याख्या करें ।
उत्तर – परिवर्तन के साथ अवतरण ही जैव विकास है। लैमार्क ने उपार्जित लक्षणों की वंशागति का मत प्रस्तुत किया। लैमार्कवाद आकार में वृद्धि की प्रवृत्ति, वातावरण का सीधा प्रभाव, अंगों का उपयोग तथा अनुप्रयोग तथा उपार्जित लक्षणों की वंशागति पर आधारित है। उपार्जित लक्षण पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर नई जातियों की उत्पति करते है। लैमार्क का अच्छा उदाहरण है- जिर्राफ की गर्दन का लंबा होना ।
57. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। व्याख्या करें। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर – लैंगिक जनन विधि में जीन गुणसूत्र के साथ माता-पिता के शरीर से सन्तानों में हस्तान्तरित हो जाते हैं जिससे जीवन पर धारित विशिष्ट गुण संतानों में हस्तान्तरित हो जाते हैं जो उनकी विविधता के लिए उत्तरदायी होते हैं । अलैंगिक जनन में गुणसूत्रों के खंडित हो जाने पर उसका एक खंड सन्तति में हस्तान्तरित हो जाता है जो विकसित होने पर एक नए एकल को जन्म देता है। इस प्रकार से अलैंगिक जनन में सन्तानों तथा पित्रों में अधिक समानता पाई जाती है।
58. संतति में नर तथा मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है ?
उत्तर – एक स्पीशीज के प्रत्येक सदस्य की कोशिका में गुण सूत्रों की संख्या समान होती है। लैंगिक प्रजनन में प्रत्येक गुणसूत्र दो समान लम्बाई वाले भागों में बँट जाता है। प्रत्येक भाग को क्रोमेटिड कहते हैं। प्रत्येक क्रोमेटिड लैंगिक प्रजनन में सक्रिय भाग लेता है जिन्हें नर तथा मादा युग्मक कहते हैं। केवल एक युग्मक ही लैंगिक जनन में भाग नहीं ले सकता । अतः नर तथा मादा पित्रों के युग्मक लैंगिक जनन में सक्रिय भाग लेते हैं तथा आनुवंशिकता को सुनिश्चित करते हैं ।
59. केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समीष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर – इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि जो विभिन्नताएँ एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी हैं, वे वर्तमान पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्राकृतिक चयन प्रक्रम में वे अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं ।
60. “जनन क्रिया में विभिन्नता अंतर्निहित होती है।” इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर – विभिन्नताएँ जैव-विकास को सुनिश्चित करती हैं। विभिन्नताओं के कारण ही किसी स्पीशीज का अस्तित्व सुरक्षित रहता है। अगर किसी समष्टि के सभी जीव एक समान होंगे तो किसी बाह्य परिस्थिति के प्रति उनकी प्रतिक्रिया भी समान होगी तथा सभी जीव समान रूप से प्रभावित होंगे। जैसे- मानलिया कि एक समष्टि के सभी जीव उष्णता की अधिक मात्रा को नहीं सह पाते हैं, तो उष्णता बढ़ने पर सभी जीवों के समाप्त हो जाने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा लेकिन, यदि जीवों में विभिन्नता होगी तो कुछ जीव अवश्य बच जाएँगे जो उत्तरोत्तर अपनी संख्या को बढ़ाएँगे ।
61. निम्नांकित पर टिप्पणी लिखें –
(i) योग्यतम की उत्तरजीविता,
(ii) योजक कड़ी,
उत्तर – (i) योग्यतम की उत्तरजीविता- डार्विन के विकासवाद के अनुसार प्रकृति में वे जीवधारी ही जीवित बचते हैं जो योग्यतम हों । अर्थात् जिनके अंदर विषम परिस्थितियों को सहने के लिए पर्याप्त अनुकूल हों। ऐसे जीवधारियों के वंशज ही फैलते और बढ़ते हैं। अयोग्य जीवधारी समाप्त हो जाते हैं। इसे ही योग्यतम की उत्तरजीविता कहा जाता है।
(ii) योजक कड़ी – ऐसे जीवधारी जिनमें किन्हीं दो वर्गों के जीवधारियों के लक्षण पाये जाते हैं, योजक कड़ी कहलाते हैं। जैसे- आर्किआप्टेरिक्स । यह एक पक्षी का जीवाश्म था जिसमें सरीसृप के भी लक्षण पाये गये थे। अतः यह पक्षी वर्ग एवं सरीसृप वर्ग के बीच की योजक कड़ी कहलाता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here