NCERT Solutions Class 10Th Science Biology – प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

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NCERT Solutions Class 10Th Science Biology – प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन 

1. कोलीफार्म जीवाणु मुख्यतः कहाँ पाये जाते हैं ? 
उत्तर – जानवरों और मनुष्य की आँतों में ।
2. जल में कोलीफॉर्म जीवाणुओं की उपस्थिति क्या दर्शाती है ? 
उत्तर – जल में इसकी उपस्थिति, इस रोग जन्य सूक्ष्म जीवाणु द्वारा जल का संदूषित होना दर्शाता है।
3. टिहरी बाँध का निर्माण किस नदी पर किया गया है ? 
उत्तर – गंगा नदी पर |
4. गंगा नदी की कुल लंबाई कितनी है ? 
उत्तर – 2500 km.
5. गंगा नदी के जल के प्रदूषण को दूर करने के लिए गंगा कार्य परियोजना कब प्रारंभ की गयी थी ?
उत्तर – सन् 1985 ई० में |
6. पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लोकप्रिय तीन ‘R’ कौन से हैं ?
उत्तर – पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लोकप्रिय तीन ‘R’ हैं
Reduce (कम उपयोग),
Recycle (पुन: चक्रण),
Reuse (पुन: उपयोग) ।
7. पुनः चक्रण का एक उपयुक्त उदाहरण दें ।
उत्तर – धातुओं के टुकड़ों को फैक्ट्री में गलाकर नए सामानों को बनाना, बेकार प्लास्टिक से कुशन, चटाई तथा अन्य उपयोगी वस्तुएँ बनाना।
8. अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार किसलिए दिया जाता है ? 
उत्तर – जीव-संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए ।
9. विश्नोई लोग किस वृक्ष के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं ? 
उत्तर – खेजरी ।
10. विश्नोई लोग मुख्यतः किस राज्य के निवासी हैं ? 
उत्तर – राजस्थान |
11. खेजराली गाँव भारत में कहाँ है ?
उत्तर – राजस्थान में जोधपुर के निकट ।
12. चिपको आंदोलन क्या है ?
अथवा, चिपको आंदोलन कब, किस स्थान पर और किस लिए प्रारंभ किया गया था ?
उत्तर – वृक्षों की रक्षा के लिए उनसे चिपक जाना, 1970 के प्रारम्भिक दशक में गढ़वाल के ‘रेनी’ ग्राम में महिलाओं द्वारा चलाया गया आंदोलन है।
13. ‘चिपको आंदोलन’ कब प्रारम्भ किया गया था ? 
उत्तर – 1970 के प्रारंभिक दशक में ।
14. ‘चिपको आंदोलन’ का संबंध गढ़वाल के किस गाँव से है ? 
उत्तर – रेनी ।
15. झारखंड तथा राजस्थान राज्यों में प्रचलित जल संरक्षण की एक-एक पारंपरिक विधि का नाम लिखें।
उत्तर – झारखंड में तालाब,
राजस्थान में- खदिन ।
16. हिमाचल प्रदेश की प्रचलित पारम्परिक जल संरक्षण संरचना क्या है ? 
उत्तर – कुल्ह ।
17. किसी स्थान की जैव विविधता का एक आधार क्या है ? 
उत्तर – स्पीशीज की संख्या ।
18. “जैव-विविधता के विशिष्ट स्थल कौन-से हैं ? 
उत्तर – वन ।
19. वह दूरदर्शी वन अधिकारी कौन था जिसमें 1972 में पश्चिम बंगाल में जन-भागीदारी द्वारा वन प्रबंधन को प्रारम्भ किया था ? 
उत्तर – ए० के० बनर्जी ।
20. जन भागीदारी द्वारा वन प्रबंधन का कार्य पश्चिम बंगाल में किस वर्ष प्रारंभ हुआ था ?
उत्तर – सन् 1972 ई० में |
21. वन प्रबंधन में जन-भागीदारी का एक उदाहरण दें।
उत्तर – पश्चिम बंगाल में 1983 में लागू वन प्रबंधन।
22. ऊर्जा के किन्हीं दो गैर-पारम्परिक स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर – सूर्य का प्रकाश और पवन।
23. भारत में बड़े बाँधों एवं दूर तक जाने वाली लंबी नहरों के निर्माण की अवधारणा को सर्वप्रथम किन लोगों ने विकसित किया था ? 
उत्तर – अँग्रेजों ने ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से क्या समझते हैं ?
उत्तर – यह एक कार्यविधि है जिसके अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों जल, वायु, मृदा तथा वनस्पति का उचित प्रयोग व संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है।
2. प्राकृतिक संसाधन क्या है ? उदाहरण दें।
उत्तर – वे प्राकृतिक साधन जिनका उपयोग मनुष्य अपने भोजन और विकास के लिए करता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। वायु, जल, मिट्टी, खनिज, ऊर्जा, ईंधन के स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि हमारे प्राकृतिक संसाधन हैं।
3. पर्यावरण-मित्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – इसके अंतर्गत पर्यावरण से सहयोग करते हुए उन कार्यकलापों को शामिल किया जाता है जिससे पर्यावरण का क्षरण न हो, संतुलित बना रहे।
4. गंगा का प्रदूषण के क्या कारण हैं ?
या, गंगा जल के प्रदूषण के किन्हीं तीन कारणों का उल्लेख करें। 
उत्तर – (i) औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषक रसायनों का गंगा के जल में मिलना ।
(ii) नगरीय कचरों का गंगा के जल में मिलना ।
(iii) गंगा के जल में शवों तथा अस्थियों का विसर्जन ।
5. गंगा सफाई परियोजना क्या है ?
उत्तर – यह योजना गंगा नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए 1985 में लाई गई थी। 2500 km लंबी प्रवाह के दौरान, हिमालय में गंगोत्री से लेकर बंगाल की खाड़ी में गंगा सागर तक, इसमें प्रतिदिन विभिन्न औद्योगिक कचरों की एक विशाल मात्रा इसमें छोड़ी जाती है। यह मात्रा इतनी अधिक है कि नदी के एक बड़े क्षेत्र में पानी के जहरीले होने के कारण बड़ी संख्या में मछलियाँ मर जाती हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को नदी को और अधिक प्रदूषित होने से बचाने के लिए लाया गया है।
6. खनन का हमारे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है ? 
उत्तर – खनन से प्रदूषण होता है क्योंकि धातु के निष्कर्षण के साथ-साथ बड़ी मात्रा में धातुमल भी निकलता है। जिससे पर्यावरण को क्षति पहुँचता है।
7. मिट्टी की उर्वराशक्ति के घटने के तीन कारण लिखें ।
उत्तर – (i) जल, वायु अथवा अन्य कारणों से होने वाला मिट्टी का अपरदन या कटाव ।
(ii) एकल कृषि एवं जल की कमी ।
(iii) संश्लेषित उर्वरकों का प्रयोग ।
8. समन्वित वन प्रबंधन पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – सरकार के वन विभाग एवं स्थानीय जनता के सहयोग से किया जाने वाला वन प्रबंधन जिसमें जनता के वनोत्पादों का हिस्सा मिलता है, समन्वित वन प्रबंधन कहलाता है। समन्वित वन प्रबंधन की विशेषताएँ –
(i) वन-विभाग एवं स्थानीय जनता के सहयोग से 1272 हेक्टेयर क्षेत्र में साल वृक्षों का संरक्षण किया गया ।
(ii) इसमें स्थानीय जनता को वनों की देखभाल हेतु रोजगार दिया गया ।
(iii) ईंधन के लिए लकड़ी एवं पशुओं के लिए चारे का उपयोग करने की अनुमति दी गई ।
(iv) वनोत्पादन का 2.5% के उपयोग का अधिकार स्थानीय किसानों को दिया गया ।
9. प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए तीन उपाय लिखें ।
उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के तीन उपाय-
(i) प्राकृतिक संसाधनों का कम और मितव्ययितापूर्ण उपयोग ।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों का पुनः चक्रण |
(iii) प्राकृतिक संसाधनों का पुनः उपयोग ।
10. संसाधनों के प्रबंधन की किन्हीं दो आवश्यकताओं का उल्लेख करें। 
उत्तर – (i) प्राकृतिक संसाधन आने वाली पीढ़ियों की अमानतों की तरह है। उनकी समाप्त या बर्बादी होने से बचाना महत्वपूर्ण है।
(ii) संसाधनों के उपयोग के दौरान बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों का समुचित निपटान आवश्यक है ।
11. प्राकृतिक संसाधन के संदर्भ में तीन ‘R’ क्या हैं ? 
उत्तर – प्राकृतिक संसाधन के संदर्भ में तीन ‘R’ हैं-
Reduce (कम उपयोग), Recycle (पुन: चक्रण) Reuse (पुन: उपयोग)। कम उपयोग– इसका अर्थ है कि आपको कम से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। आप बिजली के पंखे एवं बल्ब का स्विच बंद करके बिजली बचा सकते हैं। आपको आहार व्यर्थ नहीं करना चाहिए ।
पुनः चक्रण– इसका अर्थ है कि आपको प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थों का पुनःचक्रण करके उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिए। जब तक अति आवश्यक न हो इनका नया उत्पादन / संश्लेषण विवेकपूर्ण नहीं है। इनके पुनः चक्रण के लिए पहले हमें अपद्रव्यों को अलग करना होगा जिससे कि पुनःचक्रण योग्य वस्तुएँ दूसरे कचरे के साथ भराव क्षेत्र में न फेंक दी जाएँ । पुनः उपयोग- यह पुनःचक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनःचक्रण में कुछ ऊर्जा व्यय होती है। पुनः उपयोग के तरीके में आप किसी वस्तु का बार-बार उपयोग में ला सकते हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ आई प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बे इत्यादि का उपयोग रसोइघर में वस्तुओं को रखने के लिए किया जा सकता है।
12. हमें अपने संसाधनों की सावधानीपूर्वक उपयोग की क्यों आवश्यकता है ? 
उत्तर – हमें अपने संसाधनों की सावधानीपूर्वक उपयोग की आवश्यकता है क्योंकि, ये संसाधन असीमित नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण हमारी जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इस वृद्धि के कारण इन संसाधनों की माँग में भी गुणोत्तर वृद्धि हुई है। अतः प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय लंबी अवधि को ध्यान में रखा जाए ताकि ये अगली कई पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सकें ।
13. प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग और संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – प्राकृतिक संसाधन सीमित है। उनके अतिदोहन, अतिउपयोग और दुरुपयोग से प्रकृति में उनकी कमी हो जाएगी। प्रकृति के सभी भाग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तथा सभी का उपयुक्त मात्रा में होना आवश्यक है। यदि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण नहीं किया गया तो पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा। इससे कई स्थानीय और वैश्विक समस्याएँ उत्पन्न हो जाएगी और पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व ही मिट जाएगा ।
14. संसाधनों के प्रबंधन में जनभागीदारी का क्या महत्व है ? 
उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और रखरखाव में स्थानीय जनता द्वारा किए गए प्रयासों को जनभागीदारी कहते हैं। भारत में पारम्परिक रूप विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा एक परम्परा के रूप में जीवित है।
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन पूर्णतः सरकारी स्तर पर संभव नहीं है। यदि स्थानीय जनता स्वयं सरकार का सहयोग करती है तो यह कार्य आसान हो जाता है। समन्वित वन प्रबंधन, विश्नोई समाज द्वारा वृक्षों की सुरक्षा एवं चिपको आंदोलन इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं।
15. प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन की किन्हीं तीन आवश्यकताओं का उल्लेख करें । 
उत्तर – (i) प्राकृतिक संसाधन सीमित है परन्तु आबादी में वृद्धि एवं मानव स्वभाव के कारण या तो उनका अधिक प्रयोग हो रहा है, दुरुपयोग हो रहा है या उनकी बर्बादी हो रही है। इससे ये संसाधन या तो कम हो जाएँगे, समाप्त हो जाएँगे या बेकार हो जाएँगे।
(ii) प्राकृतिक संसाधन आने वाली पीढ़ियों की अमानतों की तरह है। उनकी समाप्त या बर्बादी होने से बचाना महत्त्वपूर्ण है।
(iii) प्राकृतिक संसाधनों का हिस्सा समाज के प्रत्येक वर्ग को मिलना चाहिए ताकि संतुलित और सम्पोषणीय विकास हो सके।
16. पर्यावरण – मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं ? 
उत्तर – पर्यावरण मित्र बनने के लिए हम यह ध्यान देंगे कि हम अपने संसाधनों का मितव्ययितापूर्ण उपयोग करें और पर्यावरण के संरक्षण में अपना पूर्ण योगदान दें। इसके साथ-साथ हम तीन प्रकार के R को अपने स्वभाव में सम्मिलित करेंगे अर्थात् –
(i) संसाधनों का कम उपयोग (Reduce) करेंगे और उनकी बर्बादी को रोकेंगे,
(ii) वस्तुओं का पुन: चक्रण (Recycle) करेंगे, और
(iii) वस्तुओं का पुन: उपयोग (Reuse) करेंगे ।
17. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं ?
उत्तर – कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं से निम्नांकित लाभ हो सकते हैं –
(i) कम अवधि तक संसाधनों के उपयोग से संसाधनों पर दबाव कम पड़ता है एवं पर्यावरण की क्षति कम होती है ।
(ii) कम समय तक संसाधनों के दोहन से प्रकृति को खोए हुए संसाधनों के पुनःपुरण के लिए समय मिल जाता है ।
(iii) इस प्रकार की परियोजनाओं के प्रभावों के आकलन करने एवं सुधारात्मक उपाय करने में सुविधा होती है और किसी सम्भावित हानि को रोका जा सकता है।
18. कम अवधि की परियोजनाओं से होने वाले लाभ लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर – (i) कम अवधि के उद्देश्य से लाभ केवल व्यक्तिगत होता है परंतु लम्बी अवधि के उद्देश्य का लाभ सम्पूर्ण समुदाय को होता है। जैसे- अल्पावधि के लाभ में वृक्षों को काट दिया जाता है परंतु दीर्घ अवधि के लाभ हेतु वहाँ वृक्षों की पुनः स्थापना की जाती है l
(ii) अल्पावधि के लाभ में वृक्षों को काट कर समतल भूमि प्राप्त की जा सकती है परंतु दीर्घावधि में वन अपने अस्तित्व में बने रहकर और और पर्यावरण में गैसीय संतुलन एवं वर्षा स्रोत का कारण बनते हैं।
(iii) अल्पावधि के लाभ में वन की भूमि को आवासीय एवं औद्योगिक अथवा कृषि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है परंतु दीर्घावधि में वन भूमि की उर्वरा शक्ति नियमित रहती है तथा मृदा अपरदन नहीं होता।
19. क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं ? 
उत्तर – सम्पोषित विकास के लिए संसाधनों का समान वितरण आवश्यक है। अतः संसाधनों का समाज के बीच समान वितरण होना चाहिए।
संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध निम्नांकित ताकतें कार्य कर रही हैं –
(i) विकास के दोषपूर्ण दृष्टिकोण एवं विकास योजनाओं का सम्पोषक न होना।
(ii) पर्यावरण तथा इसके संसाधनों की अनदेखी ।
(iii) समृद्ध तथा स्वार्थी तत्वों का वर्चस्व ।
20. वन जैव विविधताओं के विशिष्ट स्थल हैं। कैसे ?
उत्तर – वन “जैव विविधता के विशिष्ट स्थल” है क्योंकि वन में एक बड़ी संख्या में विभिन्न वनस्पति और जीव प्रजातियाँ पाई जाती है। परन्तु जीवों के विभिन्न स्वरूप (जीवाणु, कवक, फर्न, पुष्पी पादप, सूत्रकृमि, कीट, पक्षी, सरीसृप आदि) भी वनों में मौजूद है। महाराष्ट्र और केरल के पश्चिमी घाट जैव विविधता के आकर्षक केन्द्र रहें हैं ।
21. दावेदार (स्टेकहोल्डर) किसे कहते हैं ? प्राकृतिक संसाधनों के वास्तविक दावेदार कौन हैं ?
उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय निवासियों का हक होता है। उन्हें उन संसाधनों का दावेदार कहते हैं ।
प्राकृतिक संसाधनों के दावेदार –
(a) वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी जीविका के लिए वन पर निर्भर रहते हैं। अतः उन वनोत्पादों के वास्तविक दावेदार उन्हें ही होना चाहिए।
(b) सरकार का वन विभाग जिनके पास वनों का स्वामित्व है तथा वे वनों से प्राप्त संसाधनों का नियंत्रण करते हैं। कानूनी संशोधनों से स्थानीय निवासियों को वनोत्पादन पर उनका अधिकार मिल गया ।
(c) उद्योगपति जो तेंदु पत्ती का उपयोग बीड़ी बनाने से लेकर कागज मिल तक विभिन्न वन उत्पादों का उपयोग करते हैं। परन्तु वे वनों के किसी क्षेत्र विशेष पर उनका अधिकार नहीं होता है ।
(d) प्रकृति प्रेमी एवं पर्यावरण संरक्षक नागरिक भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकते है ।
22. वन संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाएँ । 
उत्तर – वनों के संरक्षण के लिए निम्नांकित प्रयास किए जा रहे हैं –
(i) वनों की कटाई पर रोक लगाना,
(ii) वन रोपण,
(iii) वनों में क्षतिपूरक वृक्षारोपण,
(iv) सामाजिक वानिकी,
(v) कृषि वानिकी,
(vi) अतिचारण पर रोक लगाना,
(vii) कृषि के विस्तार के लिए वृक्षों की कटाई पर रोक लगाना,
(viii) ईंधन के लिए लकड़ियों के कटाई पर रोक लगाना,
(ix) लकड़ियों के अवैध व्यापार पर रोक लगाना ।
किसी वृक्ष के तैयार होने में प्रायः कई दशक लग जाते हैं परन्तु उसे काट डालने में मात्र कुछ घंटे ही लगते हैं। इसलिए वृक्षों की कटाई करके उनके बदले नए वृक्षों को लगा देना कोई अच्छी सोच नहीं है। अतः वृक्षों को कटने ने बचाना परमावश्यक है।
23. हमें वन तथा वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?
उत्तर – हमें वनों एवं वन्य जीवन का संरक्षण करना चाहिए क्योंकि –
(i) 60 वन मृदा तथा वातावरण की रक्षा करते हैं तथा गैसीय संतुलन को स्थापित करते हैं।
(ii) वन वर्षा में सहायक है तथा जलवायु का अनुरक्षण करते हैं ।
(iii) वन महत्त्वपूर्ण आर्थिक संसाधन है। वे वन्य प्राणियों को शरण भी प्रदान करते हैं ।
हमें वनों में निवास करने वाले प्राणियों की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि –
(i) वन्य प्राणियों का संरक्षण जैविक विविधता एवं महत्त्वपूर्ण जीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक है।
(ii) वन्य प्राणी आहार श्रृंखला की महत्त्वपूर्ण कड़ियाँ हैं। इनके रहने से पर्यावरण का संतुलन कायम रहता है ।
24. किन्हीं दो वन उत्पादों का पता लगाएँ जो किसी उद्योग का आधार हैं ? यह उद्योग लंबे समय तक संपोषित हो सकता है अथवा क्या हमें इन उत्पादों की खपत को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। व्याख्या करें । 
उत्तर – वनों से प्राप्त तेंदु पत्ती एवं बाँस क्रमशः बीड़ी एवं कागज के उद्योग के आधार हैं । जनसंख्या और औद्योगिक विकास में वृद्धि के कारण, प्राकृतिक संसाधनों एवं वन उत्पादों का दोहन एवं शोषण तेजी से हो रहा है। वन संपदा का इस प्रकार उपयोग करने इन संसाधनों का हास हो जाएगा। इसलिए यह आवश्यक है कि हम इन उत्पादों का इस प्रकार खपत करें कि भविष्य में आनेवाली पीढ़ियों को भी उपलब्ध हो सके।
25. राष्ट्रीय उद्यान क्या है ? इसके दो कार्य लिखें ।  
उत्तर – वन्य जीवों के संरक्षण, संवर्धन और विकास के दृष्टिगत उन्हें उन्नत तथा संरक्षित वास स्थान उपलब्ध कराने के समग्र उद्देश्य को राष्ट्रीय उद्यान कहते हैं।
कार्य- (i) सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करना । (ii) वन्य जीव संरक्षण को बढ़ावा देना ।
26. चिपको आंदोलन क्या था ?
उत्तर – चिपको आंदोलन स्थानीय लोगों को वनों से अलग करने की नीति का ही परिणाम था । इस आंदोलन की शुरुआत 1970 के प्रारंभिक दशक में गढ़वाल के ‘रेनी’ नामक गाँव में एक घटना से हुई थी । स्थानीय लोगों एवं ठेकेदार जिन्हें गाँव के समीप के वृक्षों को काटने का अधिकार दे दिया गया था, के बीच एक विवाद चल रहा था। एक निश्चित दिन ठेकेदार के आदमी वृक्ष काटने के लिए आए जबकि वहाँ के निवासी पुरुष वहाँ नहीं थे। इस बात से निडर वहाँ की महिलाएँ फौरन वहाँ पहुँच गईं तथा उन्होंने पेड़ों को अपनी बाहों में भर कर ठेकेदार के आदमियों को वृक्षों को काटने से रोका । जिससे विचलित होकर ठेकेदार को अपना काम बंद करना पड़ा ।
27. बड़े बाँध क्या हैं ? बड़े बाँधों के विरोध में मुख्यतः किन समस्याओं (कारण) की चर्चा विशेष रूप से होती है ?
अथवा, बाँधों पर आधारित बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का स्थानीय स्तरों पर विरोध क्यों हो रहा है ?
उत्तर – नदियों पर बनाए गए विशाल एवं ऊँचे बाँध जो जल को रोककर सिंचाई तंत्र विकसित करने तथा विद्युत उत्पादन के लिए बनाए गए हों, बड़े बाँध कहलाते हैं । बड़े बाँधों के निर्माण का स्थानीय लोगों तथा पर्यावरण प्रेमियों द्वारा विरोध किया जा रहा है क्योंकि इससे तरह-तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं
(i) सामाजिक समस्याएँ- उस स्थान पर बसने वाली विशाल मानव आबादी का विस्थापन और उनके पुनर्वास की समस्या |
(ii) आर्थिक समस्याएँ- जनता के संपत्ति के अधिकार से वंचित होना, संसाधन आधारित रोजी-रोजगार का बन्द हो जाना ।
(iii) पर्यावरणीय समस्याएँ – व्यापक वन-विनाश होता है एवं जैव विविधता की क्षति होती है।
28. जल संग्रहण क्या है ?
उत्तर – वर्षा जल संग्रहण भूमिगत जल की क्षमता को बढ़ाने की तकनीक है। इसमें वर्षा के जल को रोकने और इकट्ठा करने के लिए विशेष ढाँचों जैसे- कुँए, गड्ढे, बाँध आदि का निर्माण किया जाता है। इसके द्वारा न केवल जल का संग्रहण होता है, अपितु जल को भूमिगत होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा हो जाती है।
29. जल संग्रहण की किसी एक पुरानी और पारंपरिक पद्धति का वर्णन करें। 
उत्तर – जल संग्रहण की एक पुरानी और पारंपरिक पद्धति है- ‘खादिन’ । यह भारत के राजस्थान राज्य में कृषि के उपयोग हेतु प्रचलित एक पारंपरिक जल संरक्षण की विधि है। खादिन वास्तव में एक लम्बी बाँध संरचना है जिसका निर्माण ढालू कृषि क्षेत्र के र-पार किया जाता है । वर्षा का जल खादिन में इकट्ठा होता है जिसका उपयोग सिंचाई इत्यादि के लिए किया जाता है।
30. जल संरक्षण की किन्हीं तीन पारंपरिक विधियों का उल्लेख करें। 
उत्तर – जल संरक्षण की तीन पारंपरिक विधियाँ –
(i) चेक डैम बनाना, (ii) वर्षा के जल को एकत्रित करना या जल छाजन, (iii) खादिन ।
31. जल संभर प्रबंधन क्या हैं ?
उत्तर – जल संभर प्रबंधन जल संरक्षण एवं मिट्टी का संरक्षण है ताकि जैव-मात्रा उत्पादन में वृद्धि हो सके। इसका उद्देश्य जल एवं भूमि के प्राथमिक स्रोतों का विकास, द्वितीय संसाधन पौधों एवं जन्तुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिससे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा न हो। जल संभर प्रबंधन न केवल जल संभर समुदाय का उत्पादन एवं आय बढ़ाता है बल्कि सूखे एवं बाढ़ को भी कम करता है। यह निचले बाँध तथा जलाशयों का जीवन काल भी बढ़ाता है।
32. अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संरक्षण की परंपरागत प्रणाली का पता लगाएँ । 
उत्तर – वर्षा के जल का एकत्रण ‘जल संग्रहण’ कहलाता है। इसे जल प्रबन्धन भी कहते हैं । हमारे देश में विभिन्न राज्यों में जल संग्रहण के लिए विभिन्न प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं। इनमें कुछ तो बहुत प्राचीन हैं। भूमि के अंदर गड्ढे खोदकर वर्षा जल एकत्र करना, बाउड़ी ( कुएँ) बनाना, छतों पर गिरे वर्षा जल को तालाबों में एकत्र करना तथा चैक डैम बनाना आदि जल संग्रहण के उपाय हैं ।
33. इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था ( पर्वतीय क्षेत्रों, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र में) से तुलना करें। 
उत्तर – पहाड़ी क्षेत्रों में जल संभर प्रबंधन, मैदानी क्षेत्रों से पूर्ण रूप से भिन्न होता है। जैसे- हिमाचल प्रदेश में इसके कुछ हिस्सों में आज से करीब चार सौ वर्ष पहले, नहर सिंचाई की एक स्थानीय प्रणाली विकसित की गई जिसे कुल्ह कहा जाता था। नदियों में बहने वाले जल को मानव निर्मित छोटी-छोटी नालियों द्वारा पहाड़ी के नीचे के गाँवों तक पहुँचाया जाता था । इन कुल्हों में बहने वाली पानी का प्रबंधन गाँवों के लोग आपसी सहमति से करते थे। यह जानना बड़ा रोचक होगा कि कृषि के मौसम में जल सबसे पहले दूरस्थ गाँव को दिया जाता था फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते थे। कुल्ह की देख-रेख एवं प्रबंध के लिए दो-तीन लोग रखे जाते थे, जिन्हें गाँव वाले वेतन देते थे। सिंचाई के अतिरिक्त इस कुल्ह से जल का भूमि में अंतःस्रवण भी होता रहता था जो विभिन्न स्थानों पर झरने को भी जल प्रदान करता रहता था ।
34. “खादिन” क्या है ? यह पर्यावरण संरक्षण से किस प्रकार संबंधित है ? 
उत्तर – यह एक जल संरक्षण की पारम्परिक विधि है जो भारत के राजस्थान राज्य में कृषि के उपयोग में लायी जाती है। वास्तव में यह एक लम्बी बाँध संरचना है जिसका निर्माण ढालू कृषि क्षेत्र के आर-पार किया जाता है।
वर्षा जल कृषि क्षेत्र से होता हुआ नीचे उतरता है परन्तु खादिन बाँध द्वारा रोक लिया जाता है। यह जल धीरे-धीरे भूमि में समा जाता है।
खादिन पर्यावरण से निम्न प्रकार से संबंधित है –
(i) इसके द्वारा पृथ्वी की सतह पर जल संरक्षण होता है |
(ii) इसके द्वारा भूमिगत जल स्तर में सुधार होता है ।
35. मृदा संरक्षण के तीन उपाय लिखें। 
उत्तर – मृदा संरक्षण के उपाय –
(i) भूमि-कटाव को रोकने के लिए वनों की कटाई पर रोक, अतिचारण पर रोक एवं भूमि को परती न छोड़ना जैसे उपाय किये जाने चाहिए।
(ii) भूमि में प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना चाहिए तथा फसल-चक्र, बहुफसली कृषि, मिश्रित कृषि एवं मिश्रित फार्म व्यावस्था को लागू करना चाहिए ।
(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में कंटूर सिंचाई एवं कंटूर खेती को बढ़ावा देना चाहिए तथा ढलानों पर गुल्ली बनाकर उतरते हुए जल के वेग क जल के वेग को कम करना चाहिए ।
36. जल संसाधनों के संरक्षण के तीन प्रभावी उपाय लिखें । 
उत्तर – जल संसाधनों के संरक्षण के उपाय –
(i) पीने तथा सिंचाई के लिए जल-छाजन विकास परियोजनाओं को लागू करना।
(ii) बाढ़-नियंत्रण के उपाय।
(iii) नदियों को मोड़कर अतिरिक्त जल को शुष्क क्षेत्रों में भेजना।
(iv) भूमिगत जल का सर्वेक्षण और पुनःपूरण ।
(v) कृत्रिम विधियों या छत के ऊपर जल-संग्रह द्वारा भूमिगत जल स्तर को सुधारना।
37. तीन सरल विकल्पों को लिखें जिनसे हमारी ऊर्जा खपत में अंतर पड़ सकता है। 
उत्तर – (i) बस में यात्रा, अपना वाहन प्रयोग में लाना या पैदल / साइकिल से चलना ।
(ii) अपने घरों में बल्ब या फ्लोरोसेंट ट्यूब का प्रयोग करना ।
(iii) लिफ्ट का प्रयोग करना या सीढ़ियों का उपयोग करना ।
(iv) सर्दी में हीटर का प्रयोग करना या एक अतिरिक्त स्वेटर पहनना ।
38. अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं-
(i) वन एवं वन्य जंतु, (ii) जल संसाधन, (iii) कोयला एवं पेट्रोलियम ।
उत्तर – (i) वन एवं वन्य जंतु- स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना वनों का प्रबंधन संभव नहीं है। इसका एक उदाहरण अराबारी वन क्षेत्र है जहाँ एक बड़े क्षेत्र में वनों का पुनर्भरण संभव हो सका । अतः मैं लोगों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहूँगा। मैं संपोषित तरीके से संसाधन के समान वितरण पर जोर देना चाहूँगा ताकि इसका फायदा सिर्फ मुट्ठी भर अमीरं एवं शक्तिशाली लोगों को ही प्राप्त न हो।
(ii) जल संसाधन – अपने दैनिक जीवन में हम जाने अनजाने पानी की बहुत बड़ी मात्रा का अपव्यय करते हैं जिसे निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए। मैं यह सुनिश्चित करना चाहूँगा कि मुझमें ऐसी आदतों का विकास हो जिसके द्वारा पानी बचाना संभव हो सके। इसके अतिरिक्त किसी जल संभर तकनीक की सहायता से भी जल को संरक्षित किया जा सकता है ।
(iii) कोयला एवं पेट्रोलियम- वर्तमान में ये ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। इन्हें हम कई तरीकों से बचा सकते हैं। उदाहरण के लिए –
(a) ट्यूबलाईट का उपयोग करके ।
(b) अनावश्यक बल्ब तथा पंखों का स्विच बंद करके।
(c) सौर उपकरणों का उपयोग करके ।
(d) वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल द्वारा छोटी दूरियाँ तय करके ।
(e) यदि हम वाहन का प्रयोग करते हैं, तो जब हम रेड लाइट पर रुकते हैं तो हमें अपने वाहन के इंजन को बंद कर देना चाहिए।
(f) लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके ।
(g) वाहनों के टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव रखकर ।
39. अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं ?
उत्तर – विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत निम्नांकित तरीकों से कम की जा सकती है –
(i) अनावश्यक बल्ब तथा पंखे बंद करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं ।
(ii) बल्ब की जगह हम ट्यूबलाईट का उपयोग कर सकते हैं।
(iii) लिफ्ट की जगह सीढ़ी का इस्तेमाल करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं ।
(iv) छोटी दूरियाँ तय करने के लिए हम वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत कर सकते हैं ।
(v) जब गाड़ियाँ रेड लाईट पर खड़ी होती हैं तो उनका ईंजन बंद करके हम पेट्रोल की बचत कर सकते हैं ।
(vi) टपकने वाले नलों की मरम्मत कराकर हम पानी की बचत कर सकते हैं ।
(vii) हम खाने को व्यर्थ में न फेंककर, भोजन की बचत कर सकते हैं ।
40. निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखें जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं –
(i) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण,
(ii) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर – (i) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-
(a) अनावश्यक पंखे एवं बल्ब को बंद करके हमने बिजली बचाई।
(b) वाहन की जगह पैदल चलकर हमने पेट्रोल बचाया ।
(c) हमने टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर पानी बचाया ।
(d) हमने लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल कर बिजली बचाई ।
(e) हमने चटनियों के खाली बोतल का उपयोग मसाले रखने के लिए किया ।
(ii) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है-
(a) दाढ़ी बनाते समय हमने पानी का अपव्यय किया है ।
(b) मैं सो गया किंतु टेलीविजन चलता रहा
(c) कमरे को गर्म रखने के लिए बिजली उपकरणों का उपयोग किया ।
(d) ट्यूबलाईट की जगह बल्ब का उपयोग किया।
(e) अपना भोजन फेंका।

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