NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन
1. 19 वीं सदी में वियतनाम किस यूरोपीय देश का उपनिवेश बना ?
उत्तर – 19 वीं सदी में वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश बना ।
2. इंडो-चाइना में कौन-कौन से देश सम्मिलित हैं ?
उत्तर – वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया |
3. वियतनाम को स्वतंत्रता कब प्राप्त हुई ?
उत्तर – 1945 ई० में ।
4. फ्रेंच इंडो-चाइना का निर्माण कब हुआ ?
उत्तर – 1887 ई० में ।
5. एकतरफा अनुबन्ध व्यवस्था से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – एकतरफा अनुबन्ध व्यवस्था वह मजदूरी व्यवस्था थी जहाँ बागान मालिकों को सभी अधिकार प्राप्त थे परन्तु मजदूरों को कोई अधिकार नहीं दिए जाते थे।
6. वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर – वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना वियतनाम के राष्ट्रवादी नेता हो ची मिन्ह ने 1930 ई० में की। इसका नाम इंडो-चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी रखा गया।
7. वियतनाम में लोकतांत्रिक गणराज्य का प्रथम अध्यक्ष किसे चुना गया ?
उत्तर – वियतनाम में लोकतांत्रिक गणराज्य का प्रथम अध्यक्ष हो ची मिन्ह को चुना गया।
8. हो ची मिन्ह मार्ग से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम को जोड़ने वाला यह मार्ग, फुटपाथों और सड़कों का एक ऐसा विशाल नेटवर्क था, जिसके जरिए उत्तर से देश के दक्षिणी भागों में सैनिक और रसद को पहुँचाया जाता था । वर्षा के दिनों में भी पीठ पर सामान उठाए स्त्रियाँ और पुरुष अपने सैनिकों की सहायता कर सकते थे। इसी मार्ग के कारण पहले फ्रांस को, बाद में अमेरिका को वियतनाम में मुँह की खानी पड़ी।
9. उपनिवेशकारों के ‘सभ्यता मिशन’ का क्या अर्थ था ?
उत्तर – दूसरे पश्चिमी राष्ट्रों की तरह फ्रांसीसियों को भी लगता था कि यूरोप के देश सभ्य हैं तथा विश्व के पिछड़े समाजों तक सभ्यता का प्रकाश पहुँचाना यूरोपीय राष्ट्रों का कर्तव्य है। अपने इस कार्य को वे ‘सभ्यता मिशन’ कहते थे।
10. कोलोन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – वियतनाम में रहने वाले फ्रांसीसी नागरिकों को कोलोन कहा जाता था ।
11. यातना शिविर किन्हें कहा जाता था ?
उत्तर – एक प्रकार की जेल जिसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही लोगों को कैद में डाल दिया जाता है। इस शब्द को सुनकर गहन यातना और निर्मम अत्याचार की तसवीरें मन में कौंध जाती हैं ।
12. कन्फ्यूशियस कौन थे ?
उत्तर – कन्फ्यूशियस (551-479 ईसा पूर्व) एक चीनी विचारक थे जिन्होंने सदाचार, व्यवहार बुद्धि और उचित सामाजिक संबंधों को आधार बनाते हुए एक दार्शनिक व्यवस्था विकसित की थी। उनके सिद्धांतों के आधार पर लोगों को बड़े-बुजुर्गों व माता-पिता का आदर करने और उनका कहना मानने का पाठ पढ़ाया जाता था। उन्हें सिखाया जाता था कि राजा और प्रजा का संबंध वैसा ही होना चाहिए जैसा माता-पिता का अपने बच्चों के साथ होता है।
13. समन्वयवाद क्या है ?
उत्तर – ऐसा विश्वास जिसमें भिन्नताओं की बजाय समानताओं पर ध्यान देते हुए अलग-अलग मान्यताओं और आचारों को एक-दूसरे के साथ लाने का प्रयास किया जाता है l
14. एजेंट ऑरेंज से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – यह एक ऐसा जहर था जिसके छिड़काव मात्र से पेड़ों की पत्तियाँ झड़ जाती हैं और पौधे मर जाते हैं ।
15. नापाम से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – अग्नि बमों के लिए गैसोलीन को फुलाने में इस्तेमाल होने वाला एक रासायनिक यौगिक है। यह मिश्रण धीरे-धीरे जलता है और मानव त्वचा जैसी किसी भी सतह के संपर्क में आने पर उससे चिपक जाता है और जलता रहता है।
16. फान बोई चाऊ द्वारा लिखी गई पुस्तक का क्या नाम था ?
उत्तर – ‘द हिस्ट्री आफ द लॉस आफ वियतनाम ।
17. सन यात सेन कौन थे ?
उत्तर – सन यात सेन चीन के एक महान नेता थे जिन्होंने चीन में राजतन्त्र के पतन के पश्चात् वहाँ गणतंत्र स्थापित किया ।
18. एन० एल० एफ० से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – इसका तात्पर्य है नेशनल लिब्रेशन फ्रंट जिसने बाओ दाई के दमनकारी शासन का अन्त किया था ।
19. वियेतमिन्ह क्या है ?
उत्तर – साम्राज्यवादियों से लड़ने के लिए यह वियतनाम के राष्ट्रवादियों की एक लीग का संगठन था ।
20. वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे। व्याख्या करें ।
उत्तर – क्योंकि जनसंख्या का एक बहुत छोटा-सा हिस्सा ही स्कूलों में दाखिल होता था। बहुत ही कम ऐसे विद्यार्थी होते थे जो सफलतापूर्वक अपनी शिक्षा पूरी कर पाते थे। बहुत से बच्चों को परीक्षा में जान-बूझकर फेल कर दिया जाता था। जिससे कि अच्छी नौकरियाँ उन्हें न मिल सके।
21. वियतनाम की अर्थव्यवस्था किन कारकों पर निर्भर करती थी ?
उत्तर – (क) मुख्य रूप से चावल की खेती पर ।
(ख) रबड़ के बागानों पर जिसके स्वामी फ्रांस और मुट्ठी भर वियतनाम के नागरिक थे ।
22. दिएन बिएन फू की लड़ाई में फ्रांस के हारने के क्या कारण थे ?
उत्तर – 1954 ई० में होने वाली दिएन बिएन फू की लड़ाई में फ्रांस के हारने के मुख्य कारण निम्नांकित थे
(क) जिन स्थानों पर फ्रांसीसी सेनाओं के ठिकाने थे वे वर्षा ऋतु में पानी से इतने भर गए थे कि वहाँ फ्रांसीसी टैंक और युद्ध की अन्य सामग्री धरी की धरी रह गई और वह किसी काम न आई ।
(ख) लड़ाई का सारा क्षेत्र घनी झाड़ियों और घास-फूस से ऐसा ढका हुआ था कि फ्रांसीसी हवाई जहाज छिपे हुए वियतनामी सैनिकों पर आक्रमण करने में असमर्थ रहे बल्कि उन्हें छिपी हुई भेदी तोपों का अवश्य शिकार बनना पड़ा।
23 वियतनाम में फ्रांसीसियों ने संरचनागत परियोजनाओं का निर्माण क्यों शुरू किया ?
उत्तर – (क) व्यापारिक वस्तुओं के आवागमन को बढ़ाने के लिए ।
(ख) फौजी टुकड़ियों की आवाजाही के लिए ।
(ग) पूरे क्षेत्र पर नियन्त्रण कायम करने के लिए ।
(घ) फ्रांसीसी व्यवसायी भी सरकार पर यह जोर डाल रहे थे कि अवरचनागत परियोजनाओं को और तेजी से आगे बढ़ाया जाए।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन
1. हुइन फू सो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – ‘होआ हाव आंदोलन’ के संस्थापक का नाम था हुइन फू सो । वह जादू-टोना और गरीबों की मदद किया करते थे। व्यर्थ खर्च के खिलाफ उनके उपदेशों का लोगों में काफी असर था । वह बालिका वधुओं की खरीद-फरोख्त शराब व अफीम के प्रखर विरोधी थे।
फ्रांसीसियों ने हुइन फू सो के विचारों पर आधारित आंदोलन को कुचलने का कई तरह से प्रयास किया। उन्होंने फू सो को पागल घोषित कर दिया। फ्रांसीसी उन्हें पागल बोन्जे कहकर बुलाते थे। सरकार ने उन्हें पागलखाने में डाल दिया था। मजे की बात यह थी कि जिस डॉक्टर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वह फू सो को पागल घोषित करे, वही कुछ समय में उनका अनुयायी बन गया। आखिरकार 1941 में फ्रांसीसी डॉक्टरों ने भी मान लिया कि वह पागल नहीं है । इसके बाद फ्रांसीसी सरकार ने उन्हें वियतनाम से निष्कासित करके लाओस भेज दिया। । उनके बहुत सारे समर्थकों और अनुयायिओं को यातना शिविर (कान्संट्रेशन कैंप) में डाल दिया गया ।
2. फ्रांसीसियों ने मेकॉग डेल्टा क्षेत्र में नहरे बनवाना और जमीनों को सुखाना शुरू किया। वर्णन करें ।
उत्तर – फ्रांसीसियों ने मेकॉग डेल्टा में नहरें बनवाईं और दलदली जमीनों को सुखाना शुरू किया। इसके पीछे उनका मुख्य उद्देश्य यह था कि नहरी पानी के इलाके में चावल उगाया जा सके और उसे विश्व के बाजारों में बेचकर जल्दी से जल्दी धनाढ्य बना जा सके । वास्तव में फ्रांसीसी कंपनी एक व्यापारिक कंपनी थी इसलिए उसका मुख्य उद्देश्य वियतनाम के साधनों का प्रयोग करके अपने आर्थिक साधनों का अधिक से अधिक विस्तार करना था ।
3. सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था । व्याख्या करे ।
उत्तर – एक घटना जो साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल में हुई उसने वियतनाम में काफी तनाव का वातावरण बना दिया। विवाद तब शुरू हुआ जब अगली सीट पर बैठी वियतनामी लड़की को उठाकर पिछली सीट पर बैठने के लिए कहा गया और उस सीट पर एक फ्रांसीसी छात्रा को बैठा दिया जाए। जब उस वियतनामी लड़की ने सीट छोड़ने से इन्कार कर दिया तो स्कूल की प्रिंसिपल ने उस छात्रा को स्कूल से निकाल दिया। जब वियतनामी विद्यार्थी ने इसका विरोध किया तो उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया। इस बात ने तूल पकड़ लिया और लोगों ने खुले रूप में जुलूस निकालने शुरू कर दिए । जब हालात बेकाबू होने लगे तो सरकार ने आदेश दिया कि लड़की को दोबारा स्कूल में वापस लिया जाए ।
और इस तरह अनेक घटनाओं ने वियतनाम के लोगों, विशेषकर विद्यार्थियों में, देशभक्ति की भावनाओं को प्रेरित किया ।
4. हनोई के आधुनिक नवनिर्मित इलाकों में चूहे बहुत थे । वर्णन करें।
उत्तर – हनोई के फ्रांसीसी आबादी वाले हिस्से को एक खूबसूरत और साफ-सुथरे शहर के रूप में बनाया गया था। वहाँ चौड़ी सड़कें थीं और निकासी का बढ़िया इंतजाम था। ‘देशी’ बस्ती में ऐसी कोई आधुनिक सुविधाएँ नहीं थीं। पुराने शहर का सारा कचरा और गंदा पानी सीधे नदी में बहा दिया जाता था। भारी बरसात या बाढ़ के समय तो सारी गंदगी सड़कों पर ही तैरने लगती थी । असल में प्लेग की शुरूआत ही उन चीजों से हुई थी जिनको शहर के फ्रांसीसी भाग में स्वच्छ परिवेश बनाए रखने के लिए लगाया गया था। शहर के आधुनिक भाग में लगे विशाल सीवर आधुनिकता का प्रतीक थे । यही सीवर चूहों के पनपने के लिए भी आदर्श साबित हुए। ये सीवर चूहों की निर्बाध आवाजाही के लिए भी उचित थे। इनमें चलते हुए चूहे पूरे शहर में बेखटके घूमते थे। और इन्हीं पाइपों के रास्ते चूहे फ्रांसीसियों के चाक-चौबंद घरों में घुसने लगे।
5. टोंकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे कौन से विचार थे ? वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से यह उदाहरण कितना सटीक है ?
उत्तर – सभी साम्राज्यवादी शक्तियों की भाँति फ्रांसीसी लोग भी यही चाहते थे कि उनके अधीन लोग उनकी सभ्यता और संस्कृति के अनुयायी बन जाए। इसलिए उन्होंने वियतनाम में अनेक स्कूल खोले जहाँ फ्रांसीसी भाषा के माध्यम से शिक्षा दी जाती थी। उसमें से एक ऐसा स्कूल टोंकिन फ्री था जो 1907 ई० में खोला गया । इसमें बच्चों को विज्ञान, स्वास्थ्य शिक्षा और फ्रांसीसी भाषा का ज्ञान ही दिया जाने लगा वरन् उन्हें पश्चिमी तौर-तरीके भी सिखाए जाने लगे।
इनमें से एक तरीका यह था कि बच्चों को छोटे-छोटे बाल रखने चाहिए। परन्तु ऐसा आदेश वियतनामियों को बहुत बुरा लगा क्योंकि वे पारम्परिक रूप से लम्बे बाल ही रखते थे। उनके लिए छोटे बाल रखने की बात अपनी पहचान को पूरी तरह बदल डालने वाली बात थी ।
6. अमेरिका के खिलाफ वियतनामी युद्ध का हो ची मिन्ह भूलभुलैया मार्ग पर माल ढोने वाला कुली के दृष्टिकोण से मूल्यांकन करें ।
उत्तर – कुछ इलाकों में माल ढुलाई के लिए ट्रकों का इस्तेमाल भी किया जाता था लेकिन ज्यादातर यह काम कुली करते थे जिनमें ज्यादातर औरतें होती थीं। इस तरह के कुली औरत-मर्द लगभग 25 किलो सामान पीठ पर या लगभग 70 किलो सामान साइकिलों पर लेकर निकल जाते थे।
7. अमेरिका के खिलाफ वियतनामी युद्ध का एक महिला सिपाही के दृष्टिकोण से मूल्यांकन करें ।
उत्तर – 1960 के दशक के पत्र-पत्रिकाओं में दुश्मन से लोहा लेती योद्धा औरतों की तस्वीरें बड़ी संख्या में छपने लगीं। इन तस्वीरों में स्थानीय प्रहरी दस्ते की औरतों को हवाई जहाजों को मार गिराते हुए दर्शाया जाता था। उनको युवा, बहादुर और समर्पित योद्धाओं के रूप में चित्रित किया जाता था। इस बारे में कहानियाँ छपने लगीं कि सेना में शामिल होने और राइफल उठाने का मौका मिलने से वे कितना खुशी महसूस करती हैं। कुछ कहानियों में बताया जाता था कि किस अप्रतिम वीरता का परिचय देते हुए किसी महिला सैनिक ने अकेले ही शत्रुओं को मार गिराया। न्यूयेन थी शुआन नामक महिला के बारे में बताया जाता था कि उसके पास केवल 20 गोलियाँ थीं लेकिन इन्हीं के सहारे उसने एक जेट विमान को मार गिराया था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन
1. वियतनाम के बारे में फान चू त्रिन्ह का उद्देश्य क्या था ? फान बोई चाऊ और उनके विचारों में क्या भिन्नता थी ?
उत्तर – फान चू त्रिन्ह और फान बोई चाऊ दोनों ही वियतनाम के महान राष्ट्रीय नेता थे परन्तु दोनों के वियतनाम राष्ट्रवाद के बारे में विभिन्न विचार थे ।
फान चू त्रिन्ह (1871-1926) राजशाही / राजतंत्र के कट्टर विरोधी थे। वे इस बात के समर्थक नहीं थे कि फ्रांसीसियों को देश से निकालने के लिए किसी प्रकार से राजतंत्र या शाही दरबार की सहायता ली जाए। वह चाहता था कि वियतनाम में प्रजातंत्रीय नियमों पर आधारित एक गणतंत्र स्थापित होना चाहिए।
इसके विपरीत फान बोई चाऊ (1867-1940) ने राजकुमार कुआंग दे के नेतृत्व में एक क्रांतिकारी संस्था की नींव रखी। इस प्रकार वह राजतंत्र के पक्ष में था जबकि फान चू त्रिन्ह एक गणतंत्र के पक्ष में था ।
पर दोनों ही अपने देश को स्वतंत्र देखना चाहते थे। फान बोई ऊ की पुस्तक ‘द हिस्ट्री आफ द लॉस आफ वियतनाम’ ने वियतनाम में राष्ट्रवाद के उत्थान में काफी सहयोग दिया।
2. वियतनाम की संस्कृति और जीवन पर चीन के प्रभावों की व्याख्या करें।
उत्तर – वियतनाम की संस्कृति और जीवन पर चीन का प्रभाव – चीन के निकट होने और चीन का एक बड़ा पड़ोसी देश होने के कारण वियतनाम पर चीन का गहरा प्रभाव होना स्वभाविक ही है जैसे- श्रीलंका के भारत के निकट होने का उस पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। चीन के आने-जाने वाले हर जहाज को वियतनाम बन्दरगाहों से होकर गुजरना पड़ता था। इस निकटता और आर्थिक हितों ने दोनों देशों को सदियों तक आपस में बांधे रखा। दोनों देशों में लोगों और व्यापारिक वस्तुओं का खूब आदान-प्रदान होता रहा ।
कन्फ्युशियस (551-479 ई०पू०) एक महान विचारक, धार्मिक नेता और उच्च कोटि का दार्शनिक था जिसकी शिक्षाओं ने आस-पास के समस्त देशों, विशेषकर वियतनाम के लोगों पर गहरा प्रभाव डाला ।
साम्राज्यवादी शक्तियों ने इन दोनों पर कड़ा नियन्त्रण रखने के लिए जब रेल, सड़क आदि के माध्यम से इन दोनों देशों को एक प्रशासनिक नियंत्रण तले लाने का प्रयत्न किया तो ये दोनों देश और निकट आते चले गए। बाद में विदेशी साम्राज्यवाद का मुकाबला करने के कारण दोनों देशों को जब एक जैसी परिस्थितियों में से होकर गुजरना पड़ा तो उनकी घनिष्ठता और बढ़ती चली गई। इस प्रकार चीन ने धीरे-धीरे वियतनाम की संस्कृति को अपने रंग में रंग लिया।
3. वियतनाम में उपनिवेशवाद-विरोधी भावनाओं के विकास में धार्मिक संगठनों की भूमिका क्या थी ?
उत्तर – अठारहवीं सदी से ही बहुत सारे धार्मिक आंदोलन पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव और उपस्थिति के खिलाफ जागृति फैलाने का प्रयास कर रहे थे। 1868 कास्कॉलर्स रिवोल्ट (विद्वानों का विद्रोह) फ्रांसीसी कब्जे और ईसाई धर्म के प्रसार के खिलाफ शुरुआती आंदोलनों में से था। इस आंदोलन की बागडोर शाही दरबार के अफसरों के हाथों में थी। ये अफसर कैथोलिक धर्म और फ्रांसीसी सत्ता के प्रसार से गुस्साए हुए थे। उन्होंने न्गूअन और हा तिएन प्रांतों में बगावतों का नेतृत्व किया और एक हजार से ज्यादा ईसाइयों का कत्ल कर डाला । कैथोलिक मिशनरी सत्रहवीं सदी की शुरुआत से ही स्थानीय को ईसाई धर्म से जोड़ने में लगे हुए थे और अठारहवीं सदी के अंत तक आते-आते उन्होंने लगभग 3,00,000 लोगों को ईसाई बना लिया था । फ्रांसीसियों ने 1868 के आंदोलन को तो कुचल डाला लेकिन इस बगावत ने फ्रांसीसियों के खिलाफ अन्य देशभक्तों में उत्साह का संचार जरूर कर दिया ।
4. वियतनाम युद्ध में अमेरिकी हिस्सेदारी के कारणों की व्याख्या करें । अमेरिका के इस कृत्य से अमेरिका में जीवन पर क्या असर पड़े ?
उत्तर – अमरीका को भय था कि वियतनाम में साम्यवाद का बढ़ता हुआ प्रभाव शीघ्र अन्य देशों को अपनी लपेट में ले लेगा, जो चिंताजनक है।
अमेरिका के साथ संघर्ष का यह दौर काफी यातनापूर्ण और निर्मम रहा। इस युद्ध में बड़े-बड़े हथियारों और टैंकों से लैस हजारों अमेरिकी सैनिक वियतनाम में झोंक दिए गए थे। उनके पास बी – 52 बमवर्षक विमान भी मौजूद थे जिन्हें उस समय दुनिया का सबसे खतरनाक युद्धक विमान माना जाता था । चौतरफा हमलों और रासायनिक हथियारों के बेतहाशा इस्तेमाल से असंख्य गाँव नष्ट हो गए और विशाल जंगल तहस-नहस कर दिए गए। अमेरिकी फौजों ने नापाम, एजेंट ऑरेंज और फॉस्फोरस बम जैसे घातक रासायनिक हथियारों का जमकर इस्तेमाल किया । इन हमलों में असंख्य साधारण नागरिक मारे गए।
युद्ध का असर अमेरिका में भी साफ महसूस किया जा सकता था। वहाँ के बहुत सारे लोग इस बात के लिए सरकार का विरोध कर रहे थे कि उस समय उसने देश की फौजों को एक ऐसे युद्ध में झोंक दिया है जिसे किसी भी हालत में जीता नहीं जा सकता। जब युवाओं को भी सेना में भर्ती किया जाने लगा तो लोगों का गुस्सा और बढ़ गया। पर विश्वविद्यालयी स्नातकों को अनिवार्य सैनिक सेवा से मुक्त रखा गया था। इसका अर्थ है कि जिन्हें मोर्चे पर भेजा जा रहा था उनमें से बहुत सारे नौजवान समाज के अभिजात्य वर्ग के नहीं थे इसलिए सरकार को उनसे कोई हमदर्दी नहीं थी ।
5. वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की क्या भूमिका थी? इसकी तुलना भारतीय राष्ट्रवादी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका से करें ।
उत्तर – वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका – वियतनाम में साम्राज्यवाद के विरोधी संघर्ष में महिलाओं ने बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर पुरुषों का साथ दिया। जिस किसी परिस्थिति में उन्हें डाल दिया गया वे पीछे न रहीं। उन्होंने माल ढोने वाले कुलियों के रूप में कार्य किया और यदि उन्हें सिपाही के रूप में कार्य करने को कहा गया तो वे पीछे न रहीं। एक अनुमान के अनुसार कोई 1.5 मिलियन महिलाएँ देश को विदेशी साम्राज्यवादियों से लड़ने के विभिन्न कार्यों में कार्यरत थीं। कुछ ने तो न केवल हवाई अड्डो का निर्माण ही किया वरन् शत्रु के कई हवाई जहाज भी नीचे मार गिराए। उन्होंने महान धैर्य और अथाह देश प्रेम का जो परिचय दिया वह कम ही देखने को मिलता है ।
वियतनामी महिलाओं और भारतीय महिलाओं की तुलना – इस कथन में कोई भी अतिशयोक्ति नहीं कि वियतनाम की महिलाओं ने विदेशी साम्राज्यवाद का मुकाबला करने में महान धैर्य और अथाह देश-प्रेम का परिचय दिया । परन्तु भारतीय महिलाएँ भी विदेशी साम्राज्यवाद का मुकाबला करने में किसी से पीछे न रही। स्थान-स्थान पर ऐसी महान महिलाओं के उदाहरण मिल जाते हैं जो घर-बार त्यागकर देश सेवा में लग गईं। विजय लक्ष्मी पंडित, अरुणा आराफ अली, इंदिरा गाँधी जैसी अनेक महिलाओं ने स्थान-स्थान पर विदेशी सरकार का विरोध किया और उनके अत्याचारपूर्ण कार्यों का डटकर विरोध किया । असहयोग आन्दोलन (1920-22 ई०), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34 ई०) फिर भारत छोड़ो आन्दोलन (1942) में महिलाओं ने इन सब में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने विदेशी माल का बहिष्कार किया और विदेशी माल बेचने वाली दुकानों के सामने धरणा दिया । उनके धैर्य को देखकर अंग्रेजी सरकार भी असमंजस में पड़ जाती थी कि वह क्या करे। महिलाओं के सहयोग के बिना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कल्पना ही नहीं की जा सकती थी ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here