NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 2 जीवन रक्षक कौशल (आपदा प्रबंधन)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 2 जीवन रक्षक कौशल (आपदा प्रबंधन)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
जीवन रक्षक कौशल
1. खोज और बचाव कार्यों के दौरान क्या करना चाहिए ?
उत्तर – खोज और बचाव कार्यों के दौरान निम्नांकित कार्य करने चाहिए –
(क) अपने साथ सभी जरूरी प्राथमिक उपचार के सामान ले लेने चाहिए ।
(ख) बहुमंजिली इमारत में सभी सुरक्षा सावधानियों पर ध्यान देना चाहिए।
(ग) मलवे को हटाते समय दरवाजे या दीवार से दूर रहना चाहिए ।
2. खोज और बचाव कार्यों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – खोज तथा बचाव कार्यों के आधार पर समुदाय को पहला प्रत्युत्तरदाता कहा जाता है। खोज तथा बचाव के कार्य आपदा के तुरंत बाद किए जाते हैं। समुदायों के द्वारा तैयारी करने के साथ खोज तथा बचाव की कार्रवाई नई प्रबंधन नीति के एक महत्त्वपूर्ण भाग का निर्माण करेंगी। इन कार्यों में राहत सामग्री का वितरण, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के कार्य, यातायात, दूरसंचार, नौकरी, घर जैसी आपदा से प्रभावित सेवाएँ भी सम्मिलित हैं।
3. खोज और बचाव दल में किन व्यक्तियों को शामिल किया जाता है ?
उत्तर – खोज और बचाव दल में शामिल व्यक्तियों को एक न्यूनतम शैक्षणिक स्तर का होना चाहिए। उनका ईमानदार और स्वस्थ होना तथा बचाव कार्य करने में सक्षम और इच्छा शक्ति से परिपूर्ण होना आवश्यक है।
4. बेहोशी या अचेत होने के उत्तरदायी कारणों को लिखें ।
उत्तर – बेहोशी के लिए कई कारक उत्तरदायी होते हैं। आपदा के दौरान इसका कारण सदमा हो सकता है। कुछ लोग सदमों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। बेहोशी के कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं – वायु मार्ग अवरुद्ध होना, साँस लेने में कठिनाई होना, नाड़ी की गति का बढ़ना, हृदय गति का रूकना । चोट, सदमा, जहर, मिर्गी, मधुमेह तथा ऑक्सीजन की कमी से संबंधित अन्य स्थितियों के कारण भी मूर्च्छा हो सकती है।
5. हिमाघात (Frostbite) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – हिमाघात ठंडे मौसम में होता है। यह विशेष रूप से उत्तरी भारत के पहाड़ी इलाकों में होता है। इससे शरीर के ऊतक जम जाते हैं, जिसके कारण गैंग्रीन हो जाता है। त्वचा संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाती है ।
6. अस्थिभंग तथा मोच से क्या तात्पर्य है ? इसके सामान्य लक्षण क्या हैं ?
उत्तर – अस्थिभंग से तात्पर्य है, हड्डियों का टूटना तथा मोच का अर्थ है ऊतकों में चोट अथवा घाव । इसके कई लक्षण हो सकते हैं ।
इसके सामान्य लक्षण –
(क) हिलने-डुलने में कठिनाई होना
(ख) माँसपेशियों में खिंचाव अथवा चोट,
(ग) अंगविकृति,
(घ) सूजन,
(ङ) सदमा,
(च) हड्डी टूटने की स्थिति में अचेतनता।
7. ‘हड्डी टूटने’ या ‘मोच आने पर प्राथमिक चिकित्सा कैसे करेंगे ?
उत्तर – ‘हड्डी टूटने’ या ‘मोच आने पर प्राथमिक चिकित्सा इस प्रकार करेंगे –
(क) प्रभावित हिस्से को हिलाएँ नहीं बल्कि स्थिर रखें
(ख) दर्द तथा सूजन को कम करने के लिए बर्फ का प्रयोग करें ।
(ग) पीड़ित व्यक्ति के सांस और रक्त परिसंचरण को जारी रखने का प्रयास करें।
(घ) प्रभावित हिस्से पर समुचित पैड बांध दें।
8. मोच और अस्थिभंग में क्या अन्तर है।
उत्तर – मोच की स्थिति में शरीर के किसी भाग की अस्थि अपनी निर्धारित स्थान से हट जाती है जबकि अस्थिभंग में अस्थियों में टूट-फूट होती है।
9. रक्तस्राव को रोकने के लिए तुरंत क्या करना चाहिए ?
उत्तर – (क) कटे हुए स्थान पर डिटॉल या फिटकरी लगाना चाहिए ।
(ख) कटे हुए स्थान पर मजबूती से पट्टी बाँधनी चाहिए ।
10. हड्डी टूटने की दो पहचान बताएँ ।
उत्तर – (क) टूटे हुए भाग में सूजन आ जाती है।
(ख) टूटे हुए भाग में अत्यधिक दर्द होता है।
(ग) रोगी अस्थाई रूप से बेहोश भी हो सकता है।
11. बचाव दल के किसी एक उद्देश्य को लिखें।
उत्तर – घायलों को प्राथमिक उपचार देकर उनकी जान की रक्षा करना।
12. क्षतिग्रस्त इमारत में प्रवेश करते समय किन-किन सावधानियों का ध्यान रखा जाना चाहिए ?
उत्तर – क्षतिग्रस्त इमारत में प्रवेश करते समय निम्नांकित सावधानियों का ध्यान रखा जाना चाहिए
(क) यह निश्चित कर लेना चाहिए कि गिरे हुए हिस्से को हिलाने में किसी प्रकार का खतरा तो नहीं है ।
(ख) उन दीवारों की जाँच कर लेनी चाहिए, जिन्हें गिरने से बचाने के लिए सहारे की जरूरत है।
(ग) बिजली के खुले तारों तथा गीली सतह को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
(घ) हेलमेट का प्रयोग अवश्य करना चाहिए ।
13. ‘बाढ़’ के संकट को किस प्रकार कम किया जा सकता है ?
उत्तर – बाढ़ के संकट को कम करने के उपाय –
(क) बिजली के स्वीच से जुड़े सभी उपकरणों को बन्द कर दें ।
(ख) रसोई घर में गैस और स्टोव की नॉब को बन्द कर दें ।
(ग) मूल्यवान वस्तुओं को ऊँचे स्थान पर रख दें ।
(घ) स्वच्छ जल का भंडारण कर लें ।
(ङ) जलप्लावित क्षेत्र में वाहन नहीं चलाएँ ।
(च) बिजली के तारों से दूर रहें ।
(छ) दियासलाई की जगह टार्च का प्रयोग करें ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
जीवन रक्षक कौशल
1. प्राथमिक चिकित्सा से क्या तात्पर्य है ? प्राथमिक चिकित्सा के प्रमुख उद्देश्य और कार्य क्या हैं ?
उत्तर – इनसाइक्लोपिडिया ब्रिटेनिका के अनुसार प्राथमिक चिकित्सा से तात्पर्य उन उपायों से है जिनको दुर्घटना के घटित होने के तुरंत बाद किए जाते हैं, जिससे जीवन को और अधिक नुकसान से बचाया जा सके ।
प्राथमिक चिकित्सा के लिए मानवीय संसाधन तथा सामान की आवश्यकता होती है जिससे पीड़ित की आरंभिक देखभाल की जा सके तथा जब तक उसे अस्पताल नहीं ले जाया जाता या उसे अधिक अच्छी स्वास्थ्य एवं मेडीकल सहायता नहीं दी जाती ।
प्राथमिक चिकित्सा के प्रमुख उद्देश्य निम्नांकित हैं –
(क) जीवन की रक्षा तथा संरक्षण |
(ख) पीड़ितों और घायलों की स्थिति और अधिक बिगड़ने से बचाना ।
(ग) इलाज के बाद पीड़ितों का ठीक होना ।
2. तापाघात (Heatstroke) से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत राहत पहुँचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए ?
उत्तर – तापाघात से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत राहत देने के लिए निम्नांकित कदम उठाए जाने चाहिए
(क) श्वास – मार्ग की जाँच कराना चाहिए ।
(ख) शरीर के तापमान को कम करने के लिए पीड़ित को ठंडे स्थान पर ले जाना चाहिए।
(ग) बर्फ की थैली अथवा गीला पैड पीड़ित व्यक्ति के बगल तथा जाँघ के जोड़ों के पास रखना चाहिए ।
(घ) पीड़ित व्यक्ति को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ देना चाहिए।
(ङ) तापाघात के कारण निर्जलीकरण भी हो सकता है। जीवन रक्षक घोल (ORS) पिलाना चाहिए ।
(च) यदि पीड़ित व्यक्ति को लाभ नहीं पहुँच रहा है तो तुरंत एम्बुलेंस बुलाना चाहिए।
3. यदि कोई व्यक्ति अचेत हो गया है, तो क्या-क्या उपाय करना चाहिए ?
उत्तर – यदि कोई व्यक्ति अचेत हो गया है, तो निम्नांकित उपाय करना चाहिए –
(क) व्यक्ति को गिरने से पहले पकड़ लेना चाहिए ।
(ख) एम्बुलेंस बुलाना चाहिए ।
(ग) व्यक्ति को चिकोटी काटकर देखना चाहिए कि वह होश में है अथवा नहीं ।
(घ) यह पता लगाना चाहिए कि पीड़ित व्यक्ति को किसी चीज़ से एलर्जी है या नहीं ।
(ङ) पीड़ित व्यक्ति को ठीक होने की मुद्रा में लिटाना चाहिए।
(च) कसे हुए कपड़ों को ढीला करना चाहिए ।
(छ) टाँगों को 8-12 इंच ऊपर उठाना चाहिए ताकि रक्त का संचरण मस्तिष्क की ओर हो ।
(ज) हृदय संबंधी कोई समस्या है तो उसका पता लगाना चाहिए।
(झ) यदि मौसम ठंडा है तो पीड़ित व्यक्ति का गर्म रखना चाहिए।
(ञ) किए गए सभी प्रथमोपचार का और रोगी की दशाओं का रिकार्ड बना कर रखना चाहिए।
4. रेडियो-सक्रिय विस्फोट क्या है ? इससे बचाव के उपाय बताएँ ।
उत्तर – रेडियो-सक्रिय पदार्थ अस्थाई परमाणुओं से बने होते हैं और हानिकारक विकिरण उत्सर्जित करते हैं। कोई व्यक्ति जितना अधिक समय तक इस विकिरण से प्रभावित होता है उसे उतना ही अधिक खतरा रहता है। चूँकि विकिरण को न तो सूँघकर और न ही देखकर भाँपा जा सकता है।
ऐसी विपदा की स्थिति में यथाशीघ्र अपना घर छोड़ने के लिए तैयार रहें। इस संबंध में यदि सरकारी सूचना तंत्र से कोई सूचना प्रसारित की जा रही हो तो उसे अवश्य सुनें। यदि आपसे घर के भीतर रहने के लिए कहा जाए तो अपने पालतू पशुओं को भी घर के भीतर करके घर के सभी दरवाजे, खिड़कियाँ आदि बंद कर दें। एयरकंडीशनर, एक्जॉस्ट पंखे और स्टोव आदि बंद कर दें। ऐसे समय घर में बने भूमिगत तहखानों में चला जाना श्रेयस्कर होता है। घर से बाहर पहने गए सभी कपड़ों को प्लास्टिक की थैलियों में रखकर अच्छी तरह बंद कर दें। यदि आपसे जगह खाली करने के लिए कहा जाए तो किसी अस्थाई आश्रय स्थल की शरण लें और उसके सभी दरवाजों, खिड़कियों को बंद कर दें तथा एयरकंडीशनरों, एक्जॉस्ट पंखों आदि के भी स्विच बंद करे दें। खतरा टल जाने के बाद खुले में रखे खाद्य पदार्थों, दूध आदि का तब तक सेवन न करें जब कि उनकी उपयुक्त जाँच न कर ली जाए।
5. बचावकर्ता (बचावदल) के क्या कर्त्तव्य हैं ?
उत्तर – एक वैयक्तिक बचावकर्ता अथवा एक दल के कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्य निम्नांकित हैं –
(क) संचयन – प्रकृति तथा क्षति-सीमा से संबंधित सूचनाओं का संचय करें।
(ख) संग्रह – संभावित क्षति से संबंधित जानकारी को संकलित करें।
(ग) सहायता प्राप्ति- सहायता प्राप्त करें स्थानीय लोगों व अन्य नेताओं से संपर्क स्थापित करें ।
मृतकों अथवा क्षति के पर्यवलोकन के दौरान मूल-सिद्धांतों का अनुसरण करें
(क) देखिए- मृतकों तथा सभी प्रकार की क्षतियों की छानबीन करें।
(ख) सुनिए- जीवित बचे लोगों के दुखों तथा शिकायतों और सूचनाओं के अन्य स्रोतों को सुनें ।
(ग) महसूस करें- स्थिति का विकटता को समझें तथा क्षति का मूल्यांकन करने की योग्यता रखें। प्रत्युत्तर की क्षमता रखें ।
6. भू-स्खलन से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों का वर्णन करें ।
उत्तर – भू-स्खलन की घटना प्रायः बाढ़ और भारी वर्षा या भारी हिमपात के कारण विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है और इन इलाकों में हिमपात के बाद बर्फ पिघलने से स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
आप जिस इलाके में रह रहे हैं यदि वहाँ भू-स्खलन का खतरा है तो समय रहते ही उस स्थान को छोड़ने की योजना बना लें क्योंकि अंतिम क्षण में योजना बनाने में समस्या हो सकती है। प्रत्येक व्यक्ति को भू-स्खलन और मलबा फैलने से होने वाले खतरों की जानकारी होनी चाहिए, अतः इस बारे में अपने परिवार के सदस्यों से चर्चा करें। यदि आपकी संपत्ति भू-स्खलन प्रवण क्षेत्र में है तो समस्या का समाधान प्राप्त करने के लिए इस संबंध में परामर्श देने वाली कंपनियों से संपर्क करना आवश्यक हैं चूँकि भू-स्खलन के कारण कीचड़ का फैलाव बाढ़ बीमा योजना में शामिल है, अतः संपत्ति को बीमाकृत कराया जाना चाहिए ।
7. खोज और बचाव कार्यों के लिए अनिवार्य शर्तों का वर्णन करें ।
उत्तर – आपातकाल के दौरान ‘हम’, ‘आप’ अथवा कोई भी व्यक्ति खोज तथा बचाव कार्य कर सकता है। इस काईवाई का प्रमुख उद्देश्य कीमती मानव जीवन को बचाना है। वैसे स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए, आपदा प्रभावित क्षेत्र में कार्य करने के लिए, शवों को निपटाने के लिए तथा राहत सामग्री बाँटने के लिए विशेष कौशलों तथा योग्यताओं की आवश्यकता होती है। कुछ प्रमुख आवश्यकताएँ अथवा योग्यताएँ निम्नांकित हैं –
(क) दल का गठन – सबसे पहली तथा अनिवार्य आवश्यकता है- एक समर्पित दल । दल के सदस्यों को मानसिक, भावनात्मक तथा शरीरिक रूप से सशक्त रहना चाहिए। उनमें आपात स्थिति के दौरान कार्य करने की क्षमता तथा इच्छा अवश्य होनी चाहिए। उभय लिगों के स्वयंसेवकों की आयु 18 वर्ष अथवा उससे अधिक होनी चाहिए। आवश्यक है कि वे शिक्षित हों अथवा न्यूनतम शिक्षा अवश्य ग्रहण की हों ताकि वे अन्य लोगों से संप्रेषण कर सकें तथा उन्हें प्रेरित कर सकें। भूतपूर्व सैनिकों, भूतपूर्व पुलिस कर्मियों तथा आस-पास के लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
(ख) प्रशिक्षण का क्रियान्वयन – प्रशिक्षण के अभ्यास को कोई नहीं हरा सकता। यह आपदा प्रबंधन का सबसे अनिवार्य कारक है। प्रशिक्षण के क्रियान्वयन का मुख्य उद्देश्य स्थिति को निपटाने के लिए तैयार रहना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विद्यालयों के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन की शिक्षा को समाहित किया गया है। विद्यालयों में भी प्रशिक्षण का अभ्यास कराया जा सकता है। अब विद्यालयों में भी नियमित अभ्यास करने की आवश्यता है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि छात्र किसी भी प्रकार की आपात स्थिति का सामना करने को तैयार हैं ।
(ग) संपर्क स्थापित करना – खोज तथा बचाव कार्यों के दौरान सभी को यह पता होना चाहिए किससे मिलना और संपर्क स्थापित करना है। उन्हें सभी दूरभाष नंबरों तथा आपात सूत्रों जैसे स्थानीय पुलिस अधिकारियों, आपदा प्रबंधन समितियों तथा दलों, एम्बुलेंस, अस्पतालों आदि का पता होना चाहिए ।
8. “बचाव के कार्यों में सुनियोजित और संगठित टीम भावना के कार्य शामिल हैं।” समझाएँ ।
उत्तर – “बचाव के कार्यों में सुनियोजित और संगठित टीम भावना के कार्य शामिल हैं। – सुनियोजित ढंग से उठाया गया त्वरित कार्य ही जीवन एवं मृत्यु के खतरे के समय कारगर सिद्ध होता है। यदि पीड़ित को जान का खतरा है तो उसे तुरन्त प्राथमिक उपचार के बाद बड़े अस्पताल में पहुँचा दिया जाना चाहिए। इसके लिए संगठित टीम की सक्षमतापूर्वक अपने कार्य की जिम्मेदारी निभा सकती है। डी० आर० ए० बी० सी० का प्रत्येक अक्षर बचाव कार्य में सार्थक होता है। डी०खतरा, आर०– प्रतिक्रिया, ए० – वायुमार्ग या श्वसन तंत्र की जाँच, बी०- श्वास, सी०- रक्त संचरण ।
9. भू-स्खलन के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों का उल्लेख करें ।
उत्तर – प्राकृतिक कारक
(क) वर्षा की तीव्रता- भारी वर्षा वाले क्षेत्र अधिक भू-स्खलन प्रवृत्त होते हैं। जैसेभारत के उत्तर-पूर्वी राज्य |
(ख) खड़ी ढलानें- खड़ी ढलानें भी भू-स्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।
(ग) भूकम्प संबंधी क्रियाएँ – भूकम्प, ज्वालामुखी जैसी भूकम्प संबंधी क्रियाओं वाले क्षेत्र अधिक भू-स्खलन प्रवृत्त होते हैं ।
मानव जनित कारक –
(क) जंगलों की कटाई- पहाड़ों से बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई के कारण मृदा क्षरण होता है, जो कि भू-स्खलन के लिए उत्तरदायी होता है।
(ख) खनन – पहाड़ों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खनन के कारण भी भू-स्खलन होता
(ग) भूमि उपयोग प्रतिरूप- व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भूमि का अत्यधिक उपयोग भी भू-स्खलन का कारण बनता है।
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