NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 2 संघवाद (नागरिकशास्त्र – लोकतांत्रिक राजनीति – 2)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 2 संघवाद (नागरिकशास्त्र – लोकतांत्रिक राजनीति – 2)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संघवाद
1. संघवाद क्या है ?
उत्तर – संघवाद सरकार की एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सरकारी शक्तियों का विभाजन एक केन्द्रीय सत्ता और इसकी विभिन्न इकाईयों में होता है ।
2. एकात्मक सरकार की दो विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर – (क) एकात्मक सरकार में केन्द्र राज्य की अपेक्षा कहीं शक्तिशाली होता है। राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकारें सारी शक्तियाँ केन्द्र से ही प्राप्त करती है।
(ख) कार्यपालिका विधानमण्डल का ही एक अंग होता है क्योंकि कार्यपालिका के सभी सदस्य अर्थात् मंत्री आदि विधानमंडल (या संसद) के भी सदस्य होते हैं । इंग्लैंड में ऐसी ही सरकार विद्यमान है।
3. कुछ देशों के नाम लिखें जहाँ एकात्मक सरकारें हैं।
उत्तर – इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, चीन, जापान, उत्तर कोरिया और श्रीलंका में एकात्मक प्रकार की सरकारें हैं ।
4. कुछ देशों के नाम लिखें जहाँ संघात्मक सरकारें कायम हैं।
उत्तर – संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील, अर्जनटाइना, बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रिया और भारत आदि ।
5. संघात्मक प्रकार की सरकारों की दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर – (क) संघात्मक सरकारों में शक्तियों का बँटवारा केन्द्र और राज्यों में स्पष्ट रूप में होता है। हर एक अपने क्षेत्र में स्वतंत्र होता है।
(ख) संघीय राज्यों में कार्यपालिका, विधानसभा का अंग नहीं होती और न ही कार्यपालिका के सदस्य विधानमण्डल के सदस्य होते हैं।
6. भारतीय संघ में कितने स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान है ?
उत्तर – भारतीय संविधान द्वारा आरम्भ में दो स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया, संघ सरकार एवं राज्य सरकार । बाद में भारतीय संघीय ढाँचे में पंचायतों और नगरपालिकाओं के रूप में तीसरा स्तर भी जोड़ा गया। तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अपने अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।
7. भारत में संघ या केन्द्र और राज्यों में शक्ति का बँटवारा कैसे किया गया है ?
उत्तर – केन्द्र और राज्य सरकारों में विधायी शक्तियों का बँटवारा चार भागों या सूचियों में किया गया है जो इस प्रकार है –
(क) संघ या केन्द्रीय सूची,
(ख) राज्य सूची,
(ग) समवर्ती सूची,
(घ) अवशिष्ट शक्तियाँ ।
8. संघ सूची से क्या तात्पर्य है। इसमें कौन-कौन से विषय सम्मिलित हैं ?
उत्तर – वह सूची जिसमें संघीय या केन्द्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्र के विषय दे रखे हैं उसे संघ सूची कहते हैं। इस सूची में कोई 97 के लगभग विषय दे रखे हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं- प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, मुद्रा, संचार, बैंकिंग आदि हैं जो राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे हैं।
9. राज्य सूची से क्या तात्पर्य है ? इसमें क्या-क्या विषय सम्मिलित हैं ?
उत्तर – राज्यसूची में ऐसे कोई 66 विषय सम्मिलित हैं जो प्रांतीय एवं स्थानीय महत्व के हैं। इनमें से मुख्य विषय कृषि, सिंचाई, व्यापार, वाणिज्य एवं पुलिस आदि हैं । इन विषयों पर राज्य सरकारें ही कानून बना सकती है।
10. समवर्ती सूची से क्या तात्पर्य है ? इसमें कौन-कौन से विषय सम्मिलित हैं ?
उत्तर – समवर्ती सूची ऐसे विषय दे रखे हैं जिनका सम्बन्ध दोनों केन्द्र और राज्य सरकारों से होता है। इन विषयों की गिनती कोई 47 के लगभग है जिनमें से मुख्य दीवानी एवं फौजदारी, कानून, विवाह एवं तलाक, उत्तराधिकार, शिक्षा, वन, बिजली एवं श्रम संगठन आदि। इन विषयों पर दोनों तथा राज्यों की सरकारें कानून बना सकती है परन्तु विवाह के समय केन्द्र द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होगा।
11. अवशिष्ट शक्तियाँ किन्हें कहा जाता है ?
उत्तर – संघ सूची में 97, राज्य सूची में 66 और समवर्ती सूची में कोई 47 शासन सम्बन्धी विषय हैं । परन्तु फिर भी कुछ विषय ऐसे हो सकते हैं जिनका समावेश इन सूचियों में न हो पाया हो, ऐसे अवशिष्ट या बचे हुए विषयों पर संविधान द्वारा कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को दिया गया है ।
12. विकेन्द्रीकरण क्या होता है ?
उत्तर – विकेन्द्रीकरण- विकेन्द्रीकरण ऐसी व्यवस्था है जिसके अनुसार निर्णय लेने का अधिकार आगे छोटी-छोटी इकाइयों में बाँट दिया जाता है। भारत में सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों में बाँट दी गई हैं- केन्द्रीय स्तर, राज्य स्तर और स्थानीय स्तर ।
13. महापौर किसे कहते हैं ?
उत्तर – गाँवों में स्थानीय विषयों की देखभाल पंचायतें करती हैं वह कार्य शहरों में नगरपालिकाएँ और नगर निगमें करती हैं। छोटे नगरों के लिए नगरपालिकाएँ होती हैं जबकि बड़े नगरों के लिए नगर निगमों की व्यवस्था होती है। नगर निगम के राजनीतिक प्रधान को महापौर या मेयर कहा जाता है।
14. गठबंधन सरकार से क्या समझते हैं ?
उत्तर – एक से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों द्वारा साथ मिलकर बनाई गई सरकार को गठबंधन सरकार कहते हैं। आम तौर पर गठबंधन में शामिल दल एक राजनीतिक गठजोड़ करते हैं और एक साझा कार्यक्रम स्वीकार करते हैं।
15. एक ऐसे बड़े देश का नाम लिखें जिसमें संघवाद स्थापित नहीं है ।
उत्तर – चीन जहाँ साम्यवाद का नियमों के आधार पर एकात्मक पद्धति विद्यमान है।
16. विश्व के कौन से देश ‘साथ आकर संघ बनाने की पद्धति पर गठित है ?
उत्तर – संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और आस्ट्रेलिया आदि ।
17. विश्व के कौन से संघ-राज्यों ‘सबको साथ लेकर’ की पद्धति के स्वरूप पर संगठित है।
उत्तर – भारत, बेल्जियम, स्पेन आदि सबको साथ लेकर’ की पद्धति के अनुसार संघवाद से जुड़े हुए हैं। ऐसे संघवाद की व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार अधिक शक्तिशाली होती है।
18. क्या भारत में किसी राज्य को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं ?
उत्तर – हाँ, जम्मू और कश्मीर तथा भारत के उत्तर पूर्वी पहाड़ी राज्यों को ।
19. तीन उन नए राज्यों का नाम लिखें जिनकी स्थापना हाल ही में ( 2000 ई०) हुई।
उत्तर – उत्तरांचल (उत्तराखण्ड), झारखण्ड और छत्तीसगढ़ तीन नए राज्यों की स्थापना हाल ही में 2000 ई० को हुई ।
20. भारत में कितनी भाषाएँ बोली जाती हैं ?
उत्तर – भारत जैसे विशाल देश में कोई 1500 के लगभग भाषाएँ बोली जाती हैं। हिन्दी को राज्य भाषा का दर्जा दिया गया है ।
21. हिन्दी के साथ-साथ कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है ?
उत्तर – भारतीय संविधान द्वारा हिन्दी के अलावा अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। इस प्रकार कुल अनुसूचित भाषाएँ 22 हैं।
22. भारत के कितने प्रतिशत लोगों ने हिन्दी को अपनी मातृभाषा घोषित किया है?
उत्तर – भारत में लगभग 40% लोगों ने हिन्दी को अपनी मातृभाषा घोषित किया है तभी तो इसे सबसे महत्त्वपूर्ण राजभाषा घोषित किया गया है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संघवाद
1. भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ ।
उत्तर – भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता- दोनों भारत और बेल्जियम की संघीय शासन-व्यवस्था में गठन का तरीका एक-सा है अर्थात् यहाँ सबको साथ लेकर चलने की संघात्मक सरकार है जहाँ राज्यों की तुलना में केन्द्रीय सरकार अधिक शक्तिशाली है।
भारत की संघीय सरकार में बेल्जियम से अलग एक विशेषता- भारत में तीसरे स्तर पर बेल्जियम की भाँति कोई समुदाय सरकार नहीं जो अलग-अलग जातियों, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और भाषाई हितों की रक्षा करती हो ।
2. शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अंतर है ? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें ।
उत्तर – संघीय व्यवस्था के दो मार्ग हैं। पहला मार्ग में स्वतंत्र राज्य स्वेच्छा से एकजुट होकर बड़े राज्य का निर्माण करते हैं, जिससे कि उन्हें सुरक्षा मिल सके। संप्रभुता को एकजुट करने के बावजूद वे अपनी अलग पहचान बनाए रखते हैं। इस तरह की एकजुट होने वाली संघीय सरकार में आते हैं – यू०एस०ए०, स्विटजरलैंड तथा आस्ट्रेलिया, पहली कैटेगरी के संघ में सभी सदस्य राज्यों की शक्ति समान होती है तथा मजबूत संघीय सरकार ।
दूसरे मार्ग में, एक विशाल देश निश्चित करता है कि सदस्य राज्यों और राष्ट्रीय सरकार में वह शक्ति विभाजित करता है। इस तरह के उदाहरण हैं- भारत, स्पेन तथा बेल्जियम। इसमें संघ की एकजुटता प्रमुख है। इस दूसरे मार्ग में केन्द्रीय सरकार अधिक शक्तिशाली होती है बजाय राज्यों के अक्सर विभिन्न सदस्य इकाईयों संघ के समान शक्ति रखती है कुछ इकाईयों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं।
3. एकात्मक सरकार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर – एकात्मक सरकार- एकात्मक सरकार (जैसा कि इंग्लैंड में है) की मुख्य विशेषताएँ हैं –
(क) एकात्मक सरकार में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों की अपेक्षा कहीं अधिक शक्तिशाली होती है। केन्द्र को राज्यों की अपेक्षा अधिक शक्तियाँ दी जाती हैं ।
(ख) एकात्मक सरकार में केन्द्रीय सरकार के पास धन राज्य सरकारों की अपेक्षा कही अधिक होता है। इसलिए केन्द्र का महत्व राज्यों के मुकाबले अधिक बढ़ जाता है।
(ग) केन्द्रीय सरकार आपातकाल में और भी शक्तिशाली हो जाती है जब वह राज्य की सारी शक्तियाँ अपने हाथ में ले लेती है ।
(घ) ऐसी सरकार या एकात्मक सरकार को समवर्ती सूची में दिए गए विषयों में भी श्रेष्ठता प्राप्त होती है। यदि इस सूची में वर्णित किसी भी विषय पर केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार दोनों कानून पास कर दे तो केन्द्रीय सरकार द्वारा पास किया गया कानून मान्य होगा ।
(ङ) बाकी बची हुई शक्तियाँ एकात्मक सरकार में केवल केन्द्र के पास ही होती है
4. संघीय सरकार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर – संघीय सरकार – संघीय सरकार (जैसा कि भारत और अमेरिका में है) की मुख्य विशेषता निम्नांकित हैं –
(क) संघीय सरकार में शक्तियों का बँटवारा केन्द्र और राज्यों में स्पष्ट रूप से होता है। हर एक अपने क्षेत्र में स्वतंत्र होता है।
(ख) इस प्रकार की सरकारों में संविधान लिखित और कठोर होता है जिसे बदलना इतना आसान नहीं होता। उसे बदलने में एक निश्चित संख्या में राज्यों का समर्थन भी आवश्यक होता है।
(ग) इस प्रकार की सरकार में न्यायपालिका पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती है ताकि वह केन्द्र और राज्यों के आपसी झगड़ों का निपटारा बिना किसी पक्षपात से कर सके।
(घ) इस प्रकार की सरकार में, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका (यू०एस०ए०) में है बाकी बची हुई शक्तियाँ राज्यों को प्राप्त होती है।
5. 1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के महत्त्वपूर्ण अंतरों को बताएँ ।
उत्तर – 1992 के 73 वें संविधान संशोधन ने स्थानीय शासन के क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिनमें मुख्य निम्नांकित हैं –
(क) 1992 से पहले स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित नहीं होते थे परन्तु 1992 के संविधान संशोधन के पश्चात् चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता बन गई ।
(ख) 1992 के संशोधन से पहले निर्वाचित स्वशासी निकायों के सदस्य तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियाँ तथा पिछड़े वर्गों के लिए सीटें आरक्षित नहीं थीं, परन्तु 1992 के सुधारों के बाद इन जातियों के लिए सीटों को आरक्षित कर दिया गया।
(ग) पहला यहाँ महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं थीं उन्हें अब एक-तिहाई की संख्या से आरक्षित कर दिया गया है ।
(घ) पहले यहाँ राज्य के पंचायतों और नगरपालिकाओं का चुनाव कराने के लिए कोई संस्था नहीं थी वहाँ अब राज्य चुनाव आयोग गठित किया गया है ताकि वह इन स्थानीय संस्थाओं का चुनाव स्वतंत्र रूप से करा सके।
6. 1992 के संविधान में संशोधन के बाद भारतीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का उल्लेख करें ।
उत्तर – 1992 के संविधान में संशोधन के बाद भारतीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था –
(क) अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
(ख) निर्वाचित स्वशासी निकायों के सदस्य तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं ।
(ग) कम से कम एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
(घ) हर राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र संस्था का गठन किया गया है।
(ङ) राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन स्थानीय स्वशासी निकायों को देना पड़ता है। सत्ता भागीदारी की प्रकृति हर राज्य में अलग-अलग है।
7. भारत के संघीय व्यवस्था का वर्णन करें।
अथवा, संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर – भारत की शासन व्यवस्था संघीय है । संविधान में भारत को राज्यों का एक संघ घोषित किया गया है। संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत शासन के दो स्तर हैं – केन्द्र तथा राज्य । हाल ही में इस व्यवस्था के अन्तर्गत तीसरा स्तर – पंचायती राज तथा नगरपालिका को जोड़ा गया है ।
भारत में संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत शासन के विभिन्न स्तरों पर विधायी अधिकारों का विकेन्द्रीकरण किया गया है। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों का विभाजन निम्नांकित तीन सूचियों के अंतर्गत किया गया है –
(क) संघ सूची – इस सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के विषय आते हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार को है। इनमें प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैकिंग आदि शामिल हैं।
(ख) राज्य सूची- इस सूची में वैसे विषयों को शामिल किया गया है जिनके लिए राज्य सरकार उत्तरदायी है। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को प्राप्त है।
(ग) समवर्ती सूची – इसके अन्तर्गत शिक्षा, वन, श्रम, पारिवारिक कानून आदि को शामिल किया गया है। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों को प्राप्त है ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संघवाद
1. विकेंद्रीकरण किसे कहते हैं ? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है? कारण लिखें ।
उत्तर – जब केन्द्र और राज्य सरकारों से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती है तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहा जाता है। विकेन्द्रीकरण की क्यों आवश्यकता होती है इसके अनेक कारण हैं जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं –
(क) भारत में बहुत से राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि आकार में इतने बड़े हैं कि राज्य की सरकार अपनी विभेद इकाइयों की ओर पूरा ध्यान नहीं दे सकती। इसलिए उनका प्रबन्ध पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता । विकेन्द्रीकरण से यह मसला हल हो जाता है ।
(ख) कुछ राज्यों में अनेक भाषाई लोग रहते हैं, अनेक जातियों के लोग रहते हैं अनेक धर्मों के लोग रहते हैं जिन सबकी आकांक्षाओं को पूरा करना राज्य सरकारों के बस की बात नहीं । शक्ति के विकेन्द्रीकरण से अनेक विभिन्नताओं को हल करना आसान हो जाता है ।
(ग) विकेन्द्रीकरण के परिणामस्वरूप बनी स्थानीय संस्थाएँ विकास कार्यों में बड़ी सहायक सिद्ध हो सकती हैं क्योंकि किसी स्थान विशेष के स्थानीय लोग ही अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं तथा समस्याओं को भली प्रकार समझ सकते हैं और उन समस्याओं का समाधान भी वही खोज सकते हैं । अतः स्थानीय लोगों का जब सहयोग मिल जाता है तो विभिन्न स्थानीय कार्य आसानी से सम्पन्न हो जाते हैं । स्थानीय लोगों का यह सहयोग स्थानीय संस्थाओं के द्वारा ही प्राप्त हो सकता है।
2. संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर – संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषता –
(क) यहाँ सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
(ख) अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती है पर कानून बनाने कर वसूलने और प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
(ग) विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं, इसलिए संविधान सरकार के हर स्तर के अस्तित्व और प्राधिकार की गारंटी और सुरक्षा देता है।
(घ) संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों की सहमति से ही हो सकती है।
(ङ) अदालतों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों के विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की भूमिका निभाता है।
(च) वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए विभन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के अलग-अलग स्रोत निर्धारित हैं ।
(छ) इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं- देश की एकता की सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा इसके साथ ही क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करना । इस कारण संघीय व्यवस्था के गठन और कामकाज के लिए दो चीजें सबसे महत्त्वपूर्ण हैं । विभिन्न स्तरों की सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे के नियमों पर सहमति होनी चाहिए और इनका एक-दूसरे पर भरोसा होना चाहिए कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों को मानेंगे। आदर्श संघीय व्यवस्था में ये दोनो पक्ष होते हैं- आपसी भरोसा और साथ रहने पर सहमति ।
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