NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 3 आपदाओं के दौरान वैकल्पिक संचार प्रणालियाँ (आपदा प्रबंधन)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 3 आपदाओं के दौरान वैकल्पिक संचार प्रणालियाँ (आपदा प्रबंधन)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
आपदाओं के दौरान वैकल्पिक संचार प्रणालियाँ
1. वैश्विक संस्थिति-निर्धारण तंत्र में कितने उपग्रह होते हैं ?
उत्तर – वैश्विक संस्थिति-निर्धारण तंत्र 27 उपग्रहों का एक समूह होता है। ये उपग्रह एक दिन में पृथ्वी की परिक्रमा दो बार कर सकते हैं। इनके परिक्रमा पथ तथा परिक्रमण गति का निर्धारण इस प्रकार किया जाता है कि किसी भी समय आकाश में कम-से-कम चार उपग्रह मौजूद हों। दिल्ली में यातायात तथा अपराध नियंत्रण प्रणाली में इस तंत्र का प्रयोग किया जा रहा है।
2. भू-तूल्य उपग्रह किसे कहते हैं ?
उत्तर – भू-तूल्य उपग्रह – भू-तूल्य उपग्रह मौसम संबंधी खतरों की पूर्व सूचना एवं चेतावनी के लिए विषुवतीय कक्षा में संस्थापित कृत्रिम उपग्रह है, जिसे भू-तूल्य उपग्रह कहा जाता है।
3. पोलनेट क्या है ? इससे कौन लाभान्वित होता है ?
उत्तर – पोलनेट एक वीसैट नेटवर्क है। वी सैट (वेरी स्मॉल एपर्चर टर्मिनल) में किन्हीं भी दो या अधिक स्थानों के बीच संदेश संप्रेषण के लिए छोटे आकार के उपग्रह डिश प्रयोग में लाए जाते है। इस प्रकार के डिश के माध्यम से वॉयस और डेटा सिग्नलों को प्राप्त और प्रेषित किया जा सकता है ।
इस संचार नेटवर्क का प्रयोग पुलिस विभाग द्वारा किया जाता है। यह राज्य और जिला स्तरीय पुलिस मुख्यालयों को परस्पर संयोजित करती है।
4. पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क (PSTN) का क्या कार्य है ?
उत्तर – संचार के सामान्य साधनों में पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क (PSTN ) सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन है जो अग्नि शमन केंद्र, पुलिस स्टेशन, अस्पताल और आम जनता आदि जैसे सभी सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं और संगठनों के बीच संबंध स्थापित करता है ।
5. ‘वैकल्पिक संचार व्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
अथवा, वैकल्पिक संचार व्यवस्था का महत्व बताएँ ।
उत्तर – आपदा के दौरान संचार टावरों एवं संचार नेटवर्क के नष्ट हो जाने के कारण प्रभावित इलाके एवं सहायता केन्द्रों के बीच सीधा संपर्क नहीं बन पाता है। ऐसी स्थिति में विशेष प्रकार के संचार के साधन प्रयोग में लाए जाते हैं ताकि पीड़ितों एवं सहायता केन्द्रों के मध्य सीधा संबंध स्थापित किया जा सके। इस विशेष संचार व्यवस्था को वैकल्पिक संचार व्यवस्था के नाम से जाना जाता है।
6. ‘वैकल्पिक संचार व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर – (क) वर्तमान, दूरसंचार संबंधी आधारिक संरचना का नष्ट हो जाना।
(ख) कार्याभार के कारण संचार प्रणाली का नष्ट होना ।
(ग) कार्मिकों का अभाव ।
(घ) विक्रेताओं का अभाव ।
7. भारत सरकार के दो प्रमुख संचार नेटवर्क के नाम बताएँ ।
उत्तर – भारत सरकार के दो प्रमुख संचार नेटवर्क
(क) एन० आई० सी० (NIC), राष्ट्रीय सूचना केन्द्र |
(ख) बी० एस० एन० एल० (BSNL) भारत संचार निगम लिमिटेड।
8. उपग्रह द्वारा कार्यशील सेवाओं का उल्लेख करें ।
उत्तर – (क) मोबाइल फोन,
(ख) उपग्रह फोन,
(ग) अग्रिम चेतावनी,
(घ) समाचार संकलन |
9. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संचार योजना क्या है ?
उत्तर – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संचार योजना एक चरणबद्ध कार्यक्रम है। इसका पहला चरण अगस्त 2004 में पूरा हुआ। यह राष्ट्रीय आपात का कार्य केंद्र और राज्य आपात कार्य केंद्रों के बीच उपग्रहों की सहायता से सचल वॉयस / डाटा / वीडियो संचार की व्यवस्था है। सचल आपात कार्य केंद्र और जिला स्तर के आपात कार्य केंद्र भी इससे जोड़े जाएँगे। कार्यक्रम का दूसरा चरण आपदा / आपात स्थिति के स्थलों से इन आपात कार्य केंद्रों को जोड़ना । यह मार्च 2006 में पूरा होने की आशा है । इस व्यवस्था में संपर्क के विभिन्न नेटवर्कों, जैसे टेलीफोन लाइनों, पोलनेट, स्पेसनेट, निकनेट और आई० एस० डी० एन० का उपयोग किया जाएगा।
10. अग्रिम सूचना प्रणाली से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – अग्रिम सूचना प्रणाली नई कर्ममुखी नीति का एक अनिवार्य तत्व है। यह किसी घटना से प्रेरित न होकर पूरी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए है। इसमें भविष्यवाणी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग, सटीकता तथा त्वरित प्रत्युत्तर सुनिश्चिता करना शामिल होंगे। चेतावनी के प्रोटोकोलों और अनुबंधों को और सरल बनाया जाएगा, ताकि पंचायतों और अन्य स्थानीय निकाय भी उनका उपयोग कर सकें।
11. संचार के क्षेत्र में प्रसार भारती की भूमिका का वर्णन करें ।
उत्तर – प्रसार भारती, भारत सरकार के बारह डिजिटल आउटडोर ब्रोडकास्ट टर्मिनल हैं जो इनसेट नेटवर्क के जरिए कार्य करती हैं और विभिन्न स्थानों में महत्वपूर्ण घटनाओं को कवर करके सेटेलाइट के जरिए दिल्ली में एक केन्द्रीय स्टेशन को भेजते हैं जहाँ से उन्हें दूरदर्शन के चैनलों पर पुनः प्रसारित किया जाता है।
12. मोबाइल उपग्रह सेवा क्या है ?
उत्तर – यह दो प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराता है
(क) इनसेट मोबाइल टेलीफोन जो बाइस डैटा और फैक्स सेवाएँ उपलब्ध कराता है।
(ख) इनसेट रिपोर्ट सिस्टम जो सुबाह्य और हैंड हेल्ड टर्मिनलों द्वारा एक तरफा रिपोटिंग सेवा प्रदान करता है । इस प्रणाली में प्रयुक्त हैंड टर्मिनल फैक्स द्वारा प्रयोक्ता के मुख्यालय तक उपग्रह के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों से सरलता पूर्वक संचार सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं ।
13. एस० ए० आर० (SAR ) के कार्यों का वर्णन करें ।
उत्तर – एस० ए० आर० (SAR) केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के सदस्यों का एक अंग है जिसे आपदा प्रभावित क्षेत्र में कार्य करने लिए सर्वोत्कृष्ट उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। इसे सुबाह्य वी सैट, वी० एच० एफ० और उपग्रह फोन जी० पी० एस०, सुबाह्य जेनरेटर आदि उपकरण प्रदान किए गए हैं। सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए वी सेट सुविधा से युक्त मोबाइल अस्पताल उपलब्ध कराने की भी योजना बना रही है ताकि संकट से जूझ रहे लोगों को न्यूनतम संभव समय में अपेक्षित सहायता पहुँचाई जा सके ।
14. समाचार संकलन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – देश के सुदूर भागों से समाचार संकलन करना, उपग्रह आधारित एक अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यशील सेवा है। सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग तेज गति से समाचार तथा सूचना सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए इनसैट व्यवस्था का प्रयोग करता है। महत्वपूर्ण घटनाओं से संबंधित सूचना एकत्र करने के लिए मिशन मोड प्रोजेक्ट को भी जाना जाता है। अधिकतर इस प्रकार की सूचनाएँ उपग्रह के माध्यम से केंद्रीय स्टेशन को प्रसारित की जाती है ।
15. सूचनाओं के प्रचार एवं संचार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – सूचनाओं के प्रचार एवं संचार के क्षेत्र में एक तरह की क्रांति आई है। इसने अवस्थिति में परिवर्तन को भी सुनिश्चित किया है। जिसके कारण अब प्रत्युत्तर, शमन में राहत, रोकथाम तथा तैयारी को केंद्र में रखा गया है। आपदा प्रबंधन के साथ-साथ लोगों (प्रत्युत्तरदाता तथा कर्मचारी) को प्रेरित करने के लिए यह महत्त्वपूर्ण साधन प्रभावशाली ढंग से व्यावहारिक रूप में प्रयोग हो, इसके लिए एक कंप्यूटरीकृत प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा।
फैक्स, मोबाइल फोन, वायरलेस रेडियो तथा उपग्रह फोन का प्रयोग सीखना बहुत मुश्किल नहीं है अतः आम जनता को इसकी जानकारी दी जा सकती है ताकि वे आपदाओं के मय अपने ज्ञान का सदुपयोग कर सकें।
16. राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (NIC) क्या है ?
उत्तर – राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (NIC) सरकारी एवं गैर-सरकारी सूचना नेटवर्कों को आपस में जोड़ता है। आपदा प्रबंधन में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। इसकी सेवाओं का विस्तार करने के लिए इसे एक राष्ट्रीय स्तर के नेटवर्क से जोड़ा गया है जिसे NICNET के नाम से जाना जाता है। NICNET का विस्तार 35 राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों तथा 602 जिला कलेक्टरों में किया गया है। इसके अतिरिक्त 17 बहु आपदा संभावित राज्यों में NICNET की अतिरिक्त सुविधाएँ दी गई हैं। इस संस्थान ने राज्यों में सूचना सेवा के जाल को फैलाया है।
17. आपात बीकन कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य करता है ?
उत्तर – अति-तत्काल स्वरूप के एस० ओ० एस० संदेशों के प्रसारण हेतु आपात बीकन का प्रयोग किया जाता है जो एस० ए० आर० दल के क्रियाकलापों को वास्तविक दिशा में प्रेरित करने के लिए आपात संकेत देता है। वायुयानों में प्रयुक्त इमरजेंसी लोकेशन ट्रांसमीटर और निजी प्रयोग के लिए पर्सनल लोकेटर बीकन इसी श्रेणी के यंत्र हैं ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
आपदाओं के दौरान वैकल्पिक संचार प्रणालियाँ
1. वैकल्पिक संचार प्रणाली की आवश्यकता के कौन-कौन से कारण है ?
उत्तर – वैकल्पिक संचार प्रणाली की आवश्यकता के कारण इस प्रकार हैं –
(क) खोज तथा बचाव- किसी भी आपात स्थिति के दौरान यह सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता होती है। मृत तथा घायल व्यक्ति की खोज कार्रवाई के समय इन आपात के संचालन के लिए विश्वसनीय संचार प्रणाली की आवश्यकता होती है। यदि घायलों को उचित समय पर सहायता पहुँचाई जाए तो उन्हें तब भी बचने के कई अवसर मिल सकते हैं ।
(ख) आपात सहायता- पहले राज्य सरकारें केवल आपदाएँ घटित होने के बाद आपात दलों का गठन करती थीं । वर्तमान कार्यक्रमों के पहलुओं में बहुस्तरीय हितार्थी हैं तथा असहायता में कमी एवं शमन जैसे आपदापूर्व के उपायों को केंद्रबिंदु बनाया गया है। वैकल्पिक संचार प्रणाली अनिवार्य हो गई है।
(ग) समन्वय – निम्नांकित समन्वय कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए संचार आवश्यक है –
(a) समय-समय पर जारी किए गए मानदंडों के अनुसार सरकारी सहायता का प्रणालन करने के लिए ।
(b) आपदा के जोखिम के प्रबंधन तथा प्रथम प्रत्युत्तरदाता के लिए राष्ट्रीय कोर दलों के बीच सूत्र स्थापित करने के लिए ।
2. हैम रेडियो क्या है ? यह कैसे उपयोगी है ?
उत्तर – हैम रेडियो आपदाओं के दौरान प्रयुक्त होने वाली संचार व्यवस्था है। हैम रेडियो निम्नांकित प्रकार से उपयोगी है –
(क) हैम रेडियो आपदाओं के दौरान विशेष प्रकार के नियमों द्वारा संचालित होता है, जिसका नियंत्रण भारत में संचार मंत्रालय के अधीन बेतार आयोजन एवं समन्वय स्कंध द्वारा किया जाता है।
(ख) हैम रेडियो आपरेटर एमेच्योर सैटेलाइट के द्वारा हाथ वाले रेडियो सेट के साथ संवाद करने में सहायक होता है ।
(ग) इसका उपयोग केवल गैर वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
3. रेडियो संचार का वर्णन करें।
उत्तर – रेडियो दूरसंचार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यावसायिक तौर पर व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। टेलीग्राफ तथा टेलीफोन नेटवर्क के अंतर्गत ही रेडियो खंड भी आ जाते हैं, जिसके द्वारा विशेष रूप से लंबी दूरी पर सूचना अथवा संदेश भेजे जाते हैं। वायरलेस का प्रारंभिक प्रयोग, समुद्री रेडियो जहाज से जहाज तथा जहाज से तट तक संचार व्यवस्था उपलब्ध कराता है। यात्री जहाजों तथा विशाल मालवाहक जहाजों में रेडियो तरंग की आवश्यकता होती है। पुलिस तथा अग्निशमन वाहनों में सचल प्रणाली होती है तथा पुलिस अधिकारी व्यक्तिगत रूप से वॉकी-टॉकी रख सकते हैं।
रेडियो तरंगें सीधी रेखा में चलती हैं जबकि पृथ्वी गोल है। इन तरंगों को पूरी दुनिया में पहुँचाने के लिए विभिन्न बैंडों का प्रयोग किया जाता है। उच्च आवृत्ति का प्रयोग लंबी दूरी के लिए किया जाता है, उच्चतर आवृति का क्षेत्र 5-50 कि०मी० होता है तथा अति उच्च आवृति इमारतों को भी पार कर सकती है। हाथ में पकड़े जाने वाले वायरलेस सेट में आजकल इन बैंडों का प्रयोग किया जाता है। वायरलेस संचार प्रणाली स्थानीय संपर्क स्थापित करने के लिए अधिक उपयोगी है, बजाय कि लंबी दूरी के। सन् 1901 में मारकोनी ने वायरलेस टेलीग्राफी की एक पूर्ण प्रणाली विकसित की । मारकोनी तथा फरडीनांद ब्राउन ने कठोर परिश्रम से एक एंटिना सर्किट विकसित किया, जिसने लंबी दूरी तक प्रसारण बढ़ा लिया। वायरलैस टेलीग्राफी के लिए जहाजों में मारकोनी प्रणाली लगाई जाने लगी।
4. प्राकृतिक आपदाओं के समय संचार नेटवर्क बाधित क्यों होते हैं ?
उत्तर – प्राकृतिक आपदाओं के समय संचार नेटवर्क बाधित होने के निम्नांकित कारण है –
(क) क्षति – प्राकृतिक आपदाएँ टेलीफोन एक्सचेंजों, टेलीफोन लाइनों, रेडियो/ टी० वी० केंद्रों, प्रसारण केंद्रों, सेलुलर प्रसारण टॉवरों को क्षति पहुँचा सकती हैं तथा बिजली आपूर्ति को भी बाधित कर सकती हैं। जिनके कारण संचार लाइनें भी अक्रियाशील हो सकती हैं।
(ख) अतिभार – सभी प्रकार के संचार साधनों की एक निश्चित भार अथवा कार्यक्षमता होती है । आपात स्थिति के दौरान अतिभार के कारण प्रसारण में देरी होती है तथा संचार लाइनें भी अस्त-व्यस्त हो जाती हैं। भार का कारक तत्त्व वायरलैस संचार व्यवस्था को भी प्रभावित करता है ।
(ग) कार्मिकों की अनुपलब्धता- किसी क्षेत्र में आपात स्थिति के दौरान अधिकांश कार्मिक काम पर नहीं पहुँच पाते क्योंकि वे भी उस आपात स्थिति से प्रभावित होते हैं ।
(घ) विक्रेताओं का अभाव- उपर्युक्त कारणों से मोबाइल फोन, वायरलेस सिस्टम जैसे निजी समूहों के विक्रेताओं का भी अभाव होता है ।
5. स्थलीय भूकंप और जलीय भूकंप में अतंर बताएँ ।
उत्तर – (क) स्थलीय भूकंप धरातल के स्थल भाग में उत्पन्न होता है जबकि जलीय भूकंप-महासागर में उत्पन्न होता है।
(ख) स्थलीय भूकंप प्रत्यक्ष रूप से विनाशकारी होता है परन्तु जलीय भूकंप अप्रत्यक्ष रूप से।
(ग) स्थानीय भूकंप से इमारतें, भवनों, सड़कों एवं अन्य मानवीय साधन विनाश हो जाते हैं। जलीय भूकंप से समुद्री लहरों में विनाशकारी उछाल उत्पन्न होता है और उससे मानवीय क्रिया-कलापों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ते हैं।
(घ) स्थलीय भूकंप से नदी की धारा बदल जाती है। पर्वतीय चट्टानें धराशायी हो जाते हैं, उच्च भूमि निम्नभूमि में परिणत हो जाती है और धरातल पर दरारें पड़ जाती है। जलीय भूकंप से सुनामी लहरें उत्पन्न होती है, समुद्र के तल में परिवर्तन आ जाते हैं, समुद्र के अन्दर ज्वालामुखी सक्रिय हो जाते हैं तथा जलीय जीव-जन्तुओं का विनाश हो जाता है।
6. वर्तमान कार्यकारी उपग्रह प्रणालियों का वर्णन करें।
उत्तर – वर्तमान कार्यकारी उपग्रह प्रणालियाँ निम्नांकित है
(क) इनसैट- इंडियन नेशनल सैटेलाइट एशिया की सबसे बड़ी उपग्रह संचार व्यवस्थाओं में से एक है। इस प्रणाली के उपग्रह आज सेवारत हैं। वे संचार, टेलीविजन प्रसारण, मौसम विज्ञान तथा आपदा की चेतावनी जैसी कई उपग्रह सेवाएँ प्रदान करते हैं ।
(ख) आई० आर० ए० – इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट संसाधनों को मॉनीटर करने तथा उनके प्रबंधन के प्रति समर्पित है। इस प्रणाली के अंतर्गत प्राकृतिक अवस्थाओं के पूर्वकथन जैसे कई कार्यों के लिए राडार इमेजिंग सैटेलाइट को जोड़ा गया है। उपग्रह की अवधारणा अब आई० एम० एस० डी० पर आधारित होगी ।
7. आपदाओं के दौरान सैटेलाइट आधारित संचार, संचार के सर्वोत्तम साधनों में से एक है। विवेचना करें ।
उत्तर – आपदाओं के दौरान सैटेलाइट आधारित संचार की निम्नांकित विशेषताओं से स्पष्ट किया जा सकता है –
(क) इस अवस्था में अंतरिक्ष में प्रसारण एवं मौसम से संबंधित पूर्व चेतावनी का प्रसारण किया जाता है।
(ख) इसकी सहायता से दूरसंचार, दूरदर्शन, मौसम विज्ञान तथा आपदा संबंधी चेतावनियों का प्रसारण पूरे देश में होता है ।
(ग) आपदाओं के दौरान उपग्रह फोन की भूमिका अहम होती है। जब अन्य संचार संपर्क आपदाओं के कारण टूट जाते हैं तो सैटेलाइट आधारित संचार व्यवस्था सर्वाधिक कारगर होती है ।
8. प्रसारण और चेतावनी में संचार उपग्रह के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर – उपग्रह संचार प्रणाली संदेश और चेतावनी प्रसारित करने के लिए एक अन्य विश्वसनीय और महत्त्वपूर्ण संचार प्रणाली है। ऐसे उपग्रहों को कॉमसैट (संचार उपग्रह) भी कहते हैं। इन संचार उपग्रहों की मुख्य विशेषता इनमें विद्यमान ट्रांसपोंडर्स होते हैं जो किसी एक आवृत्ति पर संदेश को प्राप्त करके पृथ्वी पर किसी अन्य आवृत्ति पर पुनः प्रेषित करते हैं। संचार उपग्रह से सैकड़ों ट्रांसपोंडर लगे होते हैं, अतः ये आँकड़ों, चित्रों, प्रतिबिंबों और टेलीफोन संदेशों का नियमित रूप से प्रापण और पुनः प्रेषण करते रहते हैं।
9. बी० एस० एन० एल० क्या है ? इसके क्या कार्य है ?
उत्तर – भारत सरकार का टेलीफोन संचालन विभाग 1 अक्टूबर 2000 से निगम घोषित किया गया है। इस निगम का नाम भारत संचार निगम लिमिटेड (बी० एस० एन० एल०) रखा गया है। आज भारत संचार निगम लिमिटेड सर्वप्रमुख संचार कंपनी है तथा भारत सरकार का सबसे बड़ा संस्थान है।
बी० एस० एन० एल० के कार्य- टेलीसंचार व्यवस्था में सुधार लाना, टेलीसंचार का विकास करना, नई टेली सेवाओं को टेलीनेटवर्क में सम्मिलित करना जिससे हर गाँव को टेलीफोन सेवाएँ मिल सकें ।
10. भू-तुल्य उपग्रह कौन-कौन से हैं ? सूचना प्रेषण के क्षेत्र में उनकी कार्य प्रणाली का वर्णन करें।
उत्तर – भू-तुल्य उपग्रह –
(क) अतुल्यकालिक उपग्रह,
(ख) रेडियो दूरमिति सिगनल,
(ग) भूमंडलीय स्थिति निर्धारण उपग्रह ।
भू-तुल्य उपग्रह के कार्य
(क) अतुल्यकालिक उपग्रह का उपयोग अधिकतर प्रेक्षण, तलाश और बचाव कार्य के लिए किया जाता है ।
(ख) रेडियो दूरमिति सिगनल का उपयोग अनुसंधान (खोज) विषयक आँकड़े प्रेषित करते है।
(ग) भूमंडलीय स्थिति निर्धारण उपग्रह का उपयोग किसी भी स्थान की वास्तविक अवस्थिति को अक्षांश और देशांतर के द्वारा व्यक्त करते हैं ।
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