NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 3 भारत में राष्ट्रवाद (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 3 भारत में राष्ट्रवाद (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
भारत में राष्ट्रवाद
1. असहयोग आंदोलन किसने प्रारम्भ किया ?
उत्तर – गाँधीजी ने।
2. असहयोग आंदोलन कब से कब तक चलता रहा ?
उत्तर – 1920 से 1922 तक ।
3. सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्या काल था ?
उत्तर – 1930 से 1934 का काल ।
4. डांडी यात्रा का क्या महत्व है ?
उत्तर – डांडी यात्रा (1930 ई०) द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को शुरू किया गया ।
5. साइमन कमीशन भारत कब पहुँचा ?
उत्तर – 1928 ई० में ।
6. बहिष्कार आंदोलन का क्या अर्थ था ?
उत्तर – बहिष्कार का अर्थ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाए तथा उनके स्थान पर अपने देश की वस्तुओं का प्रयोग किया जाए।
7. खिलाफत आंदोलन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – तुर्की के सुल्तान को मुसलमान अपना खलीफा (धार्मिक नेता) मानते थे। प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों ने तुर्की के सुल्तान के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, अतः मुसलमान अंग्रेजों से नाराज हो गए और उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध एक व्यापक आंदोलन प्रारंभ किया, जिसे खिलाफत आंदोलन कहते हैं।
8. नेहरू रिपोर्ट क्या है ?
उत्तर – नेहरू रिपोर्ट 10 अगस्त, 1928 को प्रस्तुत की गई। इसने भारत को एक राष्ट्र का दर्जा देने, संसदीय प्रणाली का गठन करने तथा मूल अधिकारों पर जोर दिया ।
9. पिकेटिंग से क्या समझते हैं ?
उत्तर – प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
10. सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया गया ?
उत्तर – भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तथा भारत भूमि को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा सन् 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया ।
11. ‘स्वराज’ से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – स्वराज का तात्पर्य ऐसी शासन व्यवस्था से है जैसा कि स्वशासी ब्रिटिश उपनिवेशों में स्थापित है। साधारण भाषा में इसका अर्थ है ‘स्वराज’ ।
12. चौरी चौरा कांड क्या है ?
उत्तर – यह एक स्थान है जहाँ 1922 ई० में सरकार के विरूद्ध सभा हो रही थी। छेड़खानी की कोई बात न होने पर भी पुलिस ने गोलियाँ चला दी। गुस्से में लोगों ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी जिससे 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। गाँधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया ।
13. पूर्ण स्वतंत्रता की मांग किसने की ?
उत्तर – भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (1929) का विशेष महत्व है। 31 दिसंबर 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास हुआ । इस अधिवेशन के अध्यक्ष पं० जवाहर लाल नेहरू थे।
14. जलियांवाला बाग हत्याकांड कब घटी ?
उत्तर – 13 अप्रैल, 1919 ई० को बैसाखी के दिन ।
15. खिलाफत आंदोलन कब और किसने शुरू किया ?
उत्तर – खिलाफत आंदोलन 1919 ई० को दो अली भाइयों मुहम्मद अली और शौकत अली ने शुरू किया।
16. गाँधीजी ने डांडी यात्रा कब और कहाँ से शुरू की ?
उत्तर – 12 मार्च, 1930 ई० में गाँधीजी ने अहमदाबाद के अपने साबरमती आश्रम से शुरू की।
17. गाँधी-इरविन समझौता की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर – गाँधी इरविन समझौता के साथ ही गाँधीजी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस समझौते की मुख्य विशेषताएँ थीं –
(क) सरकार सभी कैदियों को छोड़ने के लिए तैयार हो गई, जिनके विरुद्ध हिंसा से जुड़ा कोई मामला नहीं था ।
(ख) गाँधीजी को प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
भारत में राष्ट्रवाद
1. उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?
उत्तर – वियतनाम और दूसरे उपनिवेशों की तरह भारत मे भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी । औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे। उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था। लेकिन हर वर्ग और समूह पर उपनिवेशवाद का असर एक जैसा नहीं था। उनके अनुभव भी अलग थे और स्वतंत्रता के मायने भी भिन्न थे। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में काँग्रेस ने इन समूहों को इकट्ठा करके एक विशाल आंदोलन खड़ा किया। परंतु इस एकता में टकराव के बिंदु भी निहित थे।
2. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर – सबसे पहली बात यह है कि विश्वयुद्ध ने एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी थी। इसके कारण रक्षा व्यय में भारी इजाफा हुआ । इस खर्चे की भरपाई करने के लिए युद्ध के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं। 1913 से 1918 के बीच कीमतें दोगुना हो चुकी थीं जिसके कारण आम लोगों के हालात बहुत खराब हो गए थे। गाँवों में सिपाहियों को जबरन भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में व्यापक गुस्सा था। 1918-21 में देश के बहुत सारे हिस्सों में फसल खराब हो गई जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव पैदा हो गया । उसी समय फ्लू की महामारी फैल गई। 1921 की जनगणना के मुताबिक दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।
3. भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
उत्तर – रॉलेट एक्ट, 1919 ई०- 1919 ई० के गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया ऐक्ट में दी गई रियायतों से काँग्रेस असन्तुष्ट थी और समस्त भारत में निराशा का वातावरण छाया हुआ था। सरकार को डर था कि अवश्य कोई नया आंदोलन प्रारंभ होगा। इस एक्ट के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाए अनिश्चित समय के लिए बंद कर सकती थी और उसे अपील, दलील या वकील करने का कोई अधिकार नहीं था।
इस एक्ट के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया और सरकारी दमन- इस एक्ट के विरुद्ध सभी भारतीय एक साथ खड़े हो गए। उन्होंने इसे ‘काले बिल’ का नाम दिया । यह राष्ट्रीय सम्मान पर ऐसा धब्बा था जिसे भारतीयों के लिए सहना बड़ा कठिन था । ऐसे कठिन समय में महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आंदोलन की बागडोर संभाली और इसे नवीन कार्यक्रम और कार्यविधि प्रदान की। उन्होंने इस एक्ट के विरुद्ध सत्य और अहिंसा के आधार पर सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। दिल्ली में एक भीड़ पर पुलिस ने गोली चला दी जिसमें पाँच व्यक्ति मारे गए और 20 घायल हुए। इसके विरोध में बड़े-बड़े शहरों में हड़तालें हुईं और दुकानें बन्द कर दी गई। अनेक लोगों को सरकार ने पकड़ कर जेल में डाल दिया। महात्मा गाँधी ने भी जब वास्तविक स्थिति का अध्ययन करने के लिए दिल्ली और पंजाब की ओर जाने का प्रयत्न किया तो उन्हें भी पकड़ लिया गया ।
4. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का क्यों फैसला किया ?
उत्तर – असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गाँधी ने 1922 ई० को उसे वापस ले लिया । इस आंदोलन के वापस लिए जाने के निम्नांकित कारण थे –
(क) महात्मा गाँधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे, इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगों को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लेना ही उचित समझा।
(ख) दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएँगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएँगे। महात्मा गाँधी जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई० में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस लिया ।
5. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर – सत्याग्रह सच्चाई और अहिंसा का एक ढंग है जिसे अपनाकर महात्मा गाँधी ने दक्षिणी अफ्रीका की नस्लभेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था बाद में यही पद्धति उन्होंने भारत की ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कार्यों का विरोध करने में अपनाई । यदि आपका उद्देश्य सच्चा और न्यायपूर्ण है तो आपको अंत में सफलता अवश्य मिलेगी, ऐसा महात्मा गाँधी का विचार था । प्रतिरोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे अपने संघर्ष में सफल हो सकता है ।
बाद में सत्याग्रह का यही सिद्धांत का प्रयोग उन्होंने अनेक स्थानों पर किया जैसे1916 में बिहार के चंपारन इलाके में दमनकारी बागान मालिकों के विरुद्ध किसानों को बचाने में, 1917 ई० में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के फसल खराब हो जाने के कारण सरकारी करों से बचने में और 1918 में गुजरात के अहमदाबाद के सूती कपड़ा के कारखानों के मजदूरों को उचित वेतन दिलाने आदि में किया, परंतु उन्हें हर बार सफलता प्राप्त हुई।
6. जलियांवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – जलियांवाला बाग हत्याकांड- रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार हो चुके थे। इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 ई० के वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया था। अमृतसर के सैनिक प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित कर दिया था, परंतु सभा हुई थी। तब उसने वहाँ पर गोली चलवाई थी, इसमें सैकड़ों व्यक्ति मौत का शिकार हो गए थे। इस हत्याकांड के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर आयोग स्थापित किया था और उस आयोग की रिर्पोट के बाद जनरल डायर को अनेक सम्मान दिए थे। इससे महात्मा गाँधी असहयोगी हो गए थे और उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था ।
7. साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – साइमन कमीशन- 1919 ई० के एक्ट के अनुसार यह निर्णय हुआ था कि प्रत्येक दस वर्ष के बाद सुधारों का मूल्यांकन करने के लिए इंग्लैंड से एक कमीशन भारत आएगा। इसलिए 1928 ई० में जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग भारत आया था। इस आयोग में एक भी भारतीय न था, जबकि इसका उद्देश्य भारत के हितों की देखभाल करना था, अतः भारतीयों ने इसका स्थान-स्थान पर बहिष्कार किया । जहाँ भी यह आयोग गया, वहाँ पर भारतीयों ने इसका काले झंडे दिखाकर “साइमन वापस जाओ” के नारों के साथ बहिष्कार किया । अंग्रेजों ने प्रदर्शनकारियों का दमन बड़ी क्रूरता से किया । जब यह आयोग लाहौर पहुँचा, तो लाला लाजपत राय ने प्रदर्शन कर रहे जुलूस का नेतृत्व किया। पुलिस के भीषण लाठी प्रहार से लालाजी को कई गहरी चोटें लगीं जिनके फलस्वरूप बाद में उनकी मृत्यु हो गई । इसी तरह लखनऊ में जुलूस का नेतृत्व पंडित जवाहर लाल नेहरू कर रहे थे। उन पर भी जब लाठी से प्रहार होने लगा, तो गोविंद बल्लभ पंत ने तुरंत अपना सिर उनके सिर पर रख दिया जिसके फलस्वरूप पंतजी को पक्षाघात हो गया और जीवन भर वे अपनी गर्दन सीधी रखकर न बैठ पाए ।
8. भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना करें।
उत्तर – 1948 ई० में जर्मन चित्रकार फिलिप वेट ने अपने राष्ट्र को जर्मेनिया के रूप में प्रस्तुत किया। वे बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाई गई हैं क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।
भारत में भी अबनिंद्रनाथ टैगोर जैसे अनेक कलाकारों ने भारत राष्ट्र को भारत माता के प्रतीक के रूप में दिखाया है। एक चित्र में उन्होंने भारत माता को शिक्षा भोजन और कपड़े देती हुई दिखाया है।
एक अन्य चित्र में भारत माता को अन्य ढंग से दिखाया गया है अबनिन्द्रनाथ टैगोर के चित्र से बिल्कुल भिन्न है। इस चित्र में भारत माता को शेर और हाथी के बीच खड़ी दिखाया गया और उसके हाथ में त्रिशूल है। भारत माता की ऐसी छवि शायद सभी जातियों को रास न आए ।
9. 1920 के असहयोग आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा असहयोग आंदोलन सन् 1920 में प्रारंभ होकर 1922 को समाप्त हुआ।
इसके प्रभाव निम्नांकित थे
(क) इस आंदोलन से जनता में नया उत्साह उत्पन्न हो गया ।
(ख) हिंदू-मुस्लिम मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने लगे।
(ग) लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दीं।
(घ) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया ।
10. स्वराज दल का गठन क्यों किया गया था ? इसका कार्य क्या था ?
उत्तर – (क) स्वराज्य दल का गठन 1923 ई० में कांग्रेस के स्पेशल अधिवेशन (दिल्ली) में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में हुआ था । कांग्रेस ने स्वराज्यवादियों को अनुमति दे दी कि वे चुनाव में भाग ले सकते हैं। उन्होंने केंद्रीय और प्रांतीय धारा सभाओं में बहुत अधिक सीटें पाई।
(ख) इससे अंग्रेजों को परेशानी हुई कि वे अपनी नीतियों और प्रस्तावों को आसानी से पास न करवा पाएँगे।
(ग) स्वराज्यवादियों ने अंग्रेज विरोधी भावना बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
11. साइमन आयोग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – 1927 ई० में साइमन कमीशन का गठन ब्रिटिश सरकार ने इसलिए किया था कि वह पता लगाए कि 1919 के कानून में जो द्वैध शासन लागू किया था उसमें क्या कमियाँ थीं ।
1928 ई० को साइमन कमीशन भारत आया, परन्तु लोगों ने इसका बहिष्कार किया जिसके निम्नांकित कारण थे –
(क) इस कमीशन में सभी अंग्रेज थे, कोई भी भारतीय नहीं था जबकि इसका संबंध भारतीयों की समस्याओं से था।
(ख) इस कमीशन की कार्य सूची में स्वराज्य का कोई जिक्र नहीं हुआ। अतः कमीशन आने पर लोगों ने काले झंडे दिखाकर अपना विरोध प्रदर्शित किया तथा साइमन वापस जाओ के नारे लगाए । लाहौर में प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे लाला लाजपत राय पर भीषण लाठी प्रहार पुलिस ने किया। बाद में उनकी मृत्यु हो गई। इससे भारत का युवा वर्ग भड़क उठा।
12. रोलेट एक्ट पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – रोलेट एक्ट, दूसरा मुख्य कारण था जिसने असहयोग आंदोलन को जन्म दिया। प्रथम विश्वयुद्ध के काल में भारतीयों के मुक्ति संघर्ष के प्रयासों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को बुरी तरह भयभीत कर दिया था तथा वह यह महसूस करने लगा था कि राष्ट्रवाद की चुनौती का सामना करने के लिए उसे दमनकारी कानूनों के हथियारों से लैस होना चाहिए। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक कमेटी जिसकी जिसकी अध्यक्षता रालेट ने की। 10 दिसंबर, 1917 ई० को नियुक्त की गई। अप्रैल, 1918 ई० में समिति ने रिपोर्ट दी जिसे आधार बनाकर सरकार ने दो विधेयक विधान सभा में प्रस्तुत किए तथा मार्च, 1919 ई० में वह कानून बन गया। इन कानूनों के निहितार्थ को शंकरन नायर ने, जो वायंसराय की परिषद् के सदस्य थे। इन शब्दों में व्यक्त किया “इसका निष्कर्षतः यह अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी मुक्तावस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से बंचित किया जा सकता है तथा अखबारों की आजादी शासकीय कार्यपालिका की मर्जी पर निर्भर है” इन विधेयकों का सभी क्षेत्रों में विरोध किया गया ।
13. राष्ट्रीय आंदोलन में गदर पार्टी की भूमिका के बारे में लिखें।
उत्तर – गदर पार्टी– गदर पार्टी की स्थापना अमेरिका और कनाडा में रहने वाले कुछ देशभक्त क्रांतिकारी भारतीयों द्वारा 1913 ई० में की गई। इसकी मुख्य नेता रासबिहारी बोस, राजा महेन्द्र प्रताप, लाला हरदयाल, अब्दुल रहमान, मैडम कामा आदि थे। इस पार्टी का भी स्वतंत्रता लाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसने विदेशों में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध जनमत तैयार करने में महत्त्वपूर्ण कार्य किया ।
14. गाँधी- इर्विन समझौता कब हुआ था ? इसकी किसी एक शर्त का उल्लेख करें ।
उत्तर – मार्च, 1931 ई० को तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन और महात्मा गाँधी में एक समझौता हुआ जो गाँधी इर्विन समझौता के नाम से प्रसिद्ध है।
(क) इस समझौता के अनुसार सरकार ने सविनय अवज्ञा आंदोलन से संबंधित सभी बन्दी रिहा कर दिए गए।
(ख) महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया और दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेना भी स्वीकार कर लिया ।
15. खिलाफत आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – खिलाफत आन्दोलन –
(क) प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफवाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता ( खलीफा ) ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जायेगी।
(ख) खलीफा के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया ।
(ग) मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकारवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की ।
(घ) सितम्बर 1920 में महात्मा गांधी सहित दूसरे नेताओं ने यह बात मान ली कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए।
16. भीमराव अम्बेडकर कौन थे ? उन्होंने दलित वर्गों के लिए क्या किया ?
उत्तर – भीमराव अम्बेडकर दलित वर्ग के एक अन्य महान नेता थे। अपने सारे जीवन काल में (1891–1956 ई०) वे किसी न किसी रूप में अपने लोगों की सेवा करते ही रहे। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए अनेक संस्थाओं की नींव रखी। वे निरन्तर दलित वर्ग के लोगों को निर्विरोध मंदिरों में जाने तथा सार्वजनिक तालाबों एवं कुओं से पानी भरने के अधिकार प्राप्त कराने के लिए संघर्ष करते रहे। उनको स्थान-स्थान पर अपमानित होना पड़ा परन्तु उन्होंने अन्याय और शोषण के विरुद्ध अपनी जंग जारी रखी। उन्होंने अपना उदाहरण कायम करके अपने लोगों को यह बता दिया कि कैसे एक दलित वर्ग का व्यक्ति ऊँची से ऊँची शिक्षा पा सकता है और ऊँचे से ऊँचे पद को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने युगों से पिसते चले आ रहे लोगों में स्वाभिमान और आदर की भावनाएँ पैदा की और उन्हें अपने पांव पर खड़ा होना सिखाया । वास्तव में दलित लोगों के वे मसीहा थे ।
17. असहयोग आंदोलन आरंभ करने के पीछे क्या कारण थे ?
उत्तर – महात्मा गाँधी ने सन् 1920 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एक आंदोलन चलाया, जिसे असहयोग आंदोलन कहते हैं ।
इस आंदोलन के मुख्य कारण निम्नांकित हैं –
(क) जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए अन्यायपूर्ण कार्यों का विरोध करना ।
(ख) ब्रिटिश सरकार से स्वराज्य प्राप्ति के लिए आग्रह करना।
(ग) देश में हिंदू-मुस्लिम एकता को दृढ़ करना ।
18 भारतीय इतिहास में 26 जनवरी, 1930 का क्या महत्व है ?
उत्तर – 1929 ई० में लाहौर में पं० जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में काँग्रेस का एक महत्त्वपूर्ण अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पास किया गया और यह भी निश्चित हुआ कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाए। इस तरह 26 जनवरी, 1930 ई० का दिन सारे भारत में पहले स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया और अनेक स्थानों पर तिरंगा झंडा फहराया गया। हमारे राष्ट्रीय संघर्ष में इस दिन का विशेष महत्व है ।
19. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उत्तर – विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। क्योंकि ‘स्वराज’ के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे –
(क) जयादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होगी और व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल-फूल सकेंगे ।
(ख) धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई |
(ग) महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति ।
(घ) गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था उनके पास स्वयं की जमीन होगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
भारत में राष्ट्रवाद
1. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को एकाएक क्यों रोक दिया, जबकि यह पूरे जोर-शोर पर था ?
उत्तर – दिसंबर सन् 1920 के नागपुर अधिवेशन में काँग्रेस ने अपना लक्ष्य स्वराज्य प्राप्त करना घोषित किया। इसके साथ ही असहयोग आंदोलन चलाना भी स्वीकार कर लिया । ऐनी बेसेंट, जिन्ना और विपिनचंद्र पाल इस आंदोलन के पक्ष में नहीं थे इसलिए उन्होंने काँग्रेस से त्यागपत्र दे दिया। असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम थे- स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, उपाधियों का त्याग, स्थानीय संस्थाओं से मनोनीत पदों का त्याग, सरकारी स्कूलों का त्याग, सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार, विधानमंडलों के चुनाव में भाग न लेना और सैनिक, क्लर्कों आदि की नौकरियों का त्याग । महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं के प्रयासों से यह आंदोलन शीघ्र ही उग्र रूप धारण कर लिया। गाँधीजी और अन्य महत्त्वपूर्ण नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यह आंदोलन दो वर्ष तक सक्रिय रूप से चला, तभी उत्तर प्रदेश में चौरा-चौरी नामक स्थान पर एक भीड़ ने 5 फरवरी को एक पुलिस चौकी को आग लगा दी। महात्मा गाँधी ने चौरा-चौरी की इस हिंसापूर्ण घटना से दुखित होकर इस आंदोलन को समाप्त कर दिया ।
2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था ।
उत्तर – 12 मार्च, 1930 ई० को डांडी यात्रा द्वारा गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का सूत्रपात किया। गाँधीजी के अनुयायियों ने डांडी नामक समुद्र तटीय स्थान पर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा । यह आंदोलन सरकारी आदेशों को न मानने का प्रतीक था। दूसरे शब्दों में, सरकार को चुनौती दी गई कि उसके द्वारा बनाए गए कानून भारत के लोगों के लिए केवल कागजी महल है।
डांडी यात्रा और सब लोगों के सामने सरकारी कानून के खिलाफ नमक तैयार करना राष्ट्रीय एकता का एक प्रतीक बन गया और यह उपनिवेशवाद के विरुद्ध एक महत्त्वपूर्ण कदम था –
(क) ब्रिटिश कानून को तोड़ना निःसन्देह उपनिवेशवाद के विरुद्ध एक जबर्दस्त कदम था। देखने को यह समुद्र के पानी से नमक बनाने की प्रक्रिया एक साधारण-सी घटना लगती है परन्तु इसके उपनिवेशवाद के सारे ढांचे को ही हिला कर रख दिया। नमक की आवश्यकता हर व्यक्ति क्या अमीर और क्या गरीब हर एक को पड़ती है। अब नमक पर कर लगाने की बात लोगों को चुभने लगी और धीरे-धीरे वातावरण ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध बनता चला गया।
(ख) साबरमती आश्रम से डांडी की कोई 240 मील की यात्रा में महात्मा गाँधी और उनके साथियों को अनेक स्थानों पर रुकना पड़ा। हर पड़ाव में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध नारेबाजी होती रही जिससे राष्ट्रीय भावनाएँ और उत्तेजित होती गई और लोगों में उपनिवेशवाद के प्रति घृणा पैदा होने लगी।
(ग) जैसे ही 6 अप्रैल, 1930 ई० को समुद्र के पानी से नमक बनाया गया सबको यह पता चल गया कि ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिगुल बज चुका है।
इस प्रकार नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक बन गई ।
3. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाएँ। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुनकर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाएँ कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए ?
उत्तर – 1921 के असहयोग आंदोलन में समाज के अनेक समूहों ने भाग लिया जिसमें उल्लेखनीय हैं
(क) नगरों के मध्य श्रेणी के लोग,
(ख) ग्रामीण क्षेत्रों के किसान लोग,
(ग) जंगली क्षेत्रों के आदिवासियों ने,
(घ) बागान में काम करने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों ने।
इन लोगों ने असहयोग आंदोलन में क्यों भाग लिया- असहयोग आंदोलन में भाग लेने के निम्नांकित कारण थे –
(क) नगरों में रहने वाले लोगों ने इस आंदोलन में इसलिए भाग लिया कि यदि लोग विदेशी माल का बहिष्कार करेंगे तो उनका अपना बनाया हुआ माल तेजी से बिकेगा और उनकी औद्योगिक इकाइयाँ फिर से काम करने लगेंगी। इससे लोगों के लिए नौकरी के कई नए अवसर खुलेंगे।
(ख) ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों ने असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर इसलिए भाग लिया कि एक तो उन्हें बड़े-बड़े जमींदारों के अत्याचारों से मुक्ति मिलेगी और दूसरे उन्हें कठोरता से लगान इकट्ठा करने वाले अधिकारियों के जुल्मों से निजात मिलेगी।
(ग) बागान में काम करने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों ने इसलिए असहयोग आंदोलन में भाग लिया क्योंकि एक तो उन्होनें बागान की जेल- समान चारदीवारों से बाहर लाने की आज्ञा मिल जाएगी और दूसरे वे बागान मालिकों की दासता और पशु-समान व्यवहार से मुक्ति प्राप्त कर लेंगे और स्वतंत्र वातावरण में जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
4. कल्पना करें कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताएँ कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?
उत्तर – सिविल नाफरमानी आंदोलन में भाग लेने के लिए मुझे एक महिला के नाते कितना फखर होता । मुझे न केवल महात्मा गाँधी जैसे बड़े नेताओं से मिलने का ही सौभाग्य प्राप्त होता वरन् उनके साथ-साथ साबरमती आश्रम से डांडी तक चलते-चलते कितना आनन्द प्राप्त होता । इन 25-26 दिन (12 मार्च, 1930 से 5 अप्रैल, 1930 तक) की यात्रा में स्थान-स्थान पर हमारा स्वागत हुआ, हजारों की संख्या में लोग महात्मा गाँधी को सुनने आये। लोगों ने जम कर अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध नारे लगाए। सारा वातावरण ऐसे बन गया कि मैं सोचने को मजबूर हुई कि वह दिन दूर नहीं जब भारत स्वतंत्र होकर रहेगा। 6 अप्रैल के दिन डांडी स्थान पर समुद्र के किनारे महात्मा गाँधी ने समुद्र के नमकीन पानी से नमक तैयार करना जैसे ही शुरू किया ‘भारत माता जिन्दाबाद’ गाँधीजी जिन्दाबाद ‘हम आजादी लेकर रहेंगे’ आदि नारों से आकाश गूँज उठा।
5. राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर – इसका प्रमुख कारण था कि हिंदू, जिनमें दलित भी थे तथा मुसलमान नेता सभी अपने समुदाय के हितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र चाहते थे, जिससे कि उनकी सीटें सुरक्षित हों तथा उन्हें अपने समुदाय के हितों के लिए सुरक्षा मिल सके। परंतु शीर्ष नेताओं को यह प्रश्न संकीर्णता भरा तथा राष्ट्रीय हितों पर चोट पहुँचाने वाला दिखाई देता था ।
इसके बुरे प्रभाव निम्नांकित हो सकते थे –
(क) भारतीय एकीकरण के मार्ग में यह रोड़ा बनकर अटक सकता था।
(ख) इससे सांप्रदायिकता की भावना को बल मिलता था तथा दंगे भड़क सकते थे
(ग) मुसलमान अपने आर्थिक और शैक्षणिक विकास की चिंता को पीछे छोड़कर राष्ट्रीय हितों को अनदेखा कर रहे थे।
(घ) इससे अलगाववादी प्रवृत्ति को बल मिलता था।
(ङ) भारतीयों के लिए राजनैतिक और आर्थिक प्रश्नों का हल जरूरी था न कि निजी स्वार्थ | राष्ट्रीय हितों के आगे सारे प्रश्न फीके थे।
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