NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 4 भूमंडलीकृत विश्व का बनना (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)

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NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 4 भूमंडलीकृत विश्व का बनना (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

भूमंडलीकृत विश्व का बनना

1. वैश्वीकरण क्या है ?
उत्तर – साधारण भाषा में वैश्वीकरण का अर्थ है अपनी अर्थ-व्यवस्था और विश्व अर्थ-व्यवस्था में सामंजस्य स्थापित करना । इसके अन्तर्गत अनेक विदेशी उत्पादक अपना माल और सेवाएँ बेच सकते हैं और इसी प्रकार हम अपने देश में निर्मित माल और सेवाओं को दूसरे देशों में बेच सकते हैं। इस प्रकार वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पारस्परिक रूप में एक-दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं ।
2. वैश्वीकरण के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी थे ?
उत्तर – (क) व्यापार,
(ख) काम की तलाश में एक देश से दूसरे देशों में लोगों का पलायन,
(ग) पूँजी या बहुत सारी चीजों की वैश्विक आवाजाही हो।
3. जैविक युद्ध का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – न्यू इंग्लैंड स्थित मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी के पहले गवर्नर जॉन विनर्थाप ने मई 1634 में लिखा था कि छोटी चेचक उपनिवेशकारों के लिए भगवान का वरदान है- “… देशी जनता छोटी चेचक के कारण लगभग पूरी खत्म हो चुकी थी। इस तरह परमेश्वर ने हमारी मिल्कीयत पर हमें मालिकाना दे दिया।”
4. औपनिवेशीकरण के कारण कौन-से परिवर्तन आए ?
उत्तर – (क) औपनिवेशीकरण के कारण यातायात और परिवहन के साधनों में बहुत सुधार हुए, जिससे सामान के दूर-दूर तक ले जाने में काफी आसानी हो गई।
(ख) उपनिवेशी देशों ने अपने अधीन बस्तियों में खुले दिल से पूँजी निवेश करना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हें अब अपनी पूँजी के तेजी से बढ़ने के अवसर साफ दिखने लगे थे।
5. 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में यूरोपियन लोग अफ्रीका की ओर क्यों आकर्षित हुए ? 
उत्तर – 19 वीं सदी के अंतिम दशक में यूरोपियन लोग अफ्रीका की ओर आकर्षित हुए। क्योंकि यहाँ पर बड़े पैमाने पर प्राकृतिक स्रोत थे, जिनमें भूमि तथा खनिज प्रमुख थे। यूरोपियन लोग इस आशा से वहाँ पहुँचे थे कि वे सुचारू रूप से बागवानी करेंगे तथा खानों से खनिज निकाल कर यूरोप भेजेंगे, परंतु वहाँ पर एक ऐसी समस्या थी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी, वह थी मजदूरों की कमी। कोई भी पैसा लेकर काम करने को तैयार नहीं होता था ।
6. रिंडरपेस्ट से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – पशुओं में प्लेग की बीमारी को रिंडरपेस्ट कहते हैं। जिससे 1890 के दशक में हजारों में अफ्रीका के पशु मर गए जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका और अर्थव्यवस्था पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा।
7. होसे किसे कहते हैं ?
उत्तर – दक्षिणी अमेरिका के एक देश ट्रिनिडाड में मनाए जानेवाले मुहर्रम के मेले को (इमाम हुसैन के नाम पर) होसे कहते हैं l
8. ‘गिरमिटिया मजदूर’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – गिरमिटिया मजदूर एक तरह के कछुआ मजदूर होते हैं, जो एक समझौते द्वारा मालिक रखता है। जिसका एक निश्चित समय के लिए होता है के लिए होता है तथा एक नए देश में काम के लिए लागू होता है।
9. भारतीय गिरमिटिया मजदूरों का अंतिम पड़ाव कहाँ था ? 
उत्तर – भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के पहुँचने का मुख्य स्थान था – कैरिबियन द्वीप समूह (मुख्यतः ट्रिनीडाड, गुयाना तथा सूरीनाम) मारीशस और फिजी समीपवर्ती स्थल थे। तमिल मजदूर सिलोन, मलाया जाते थे गिरमिटिया मजदूर असम के चाय बगानों के लिए भी भर्ती किए जाते थे।
10. वीटो का क्या अर्थ है ?
उत्तर – वीटो – निषेधाधिकार; इस अधिकार के सहारे एक ही सदस्य की असहमति किसी भी प्रस्ताव को खारिज करने का आधार बन जाती है ।
11. आयात शुल्क क्या है ?
उत्तर – आयात शुल्क- किसी दूसरे देश से आने वाली चीजों पर वसूल किया जाने वाला शुल्क । यह कर या शुल्क उस जगह लिया जाता है जहाँ से वह चीज देश में आती है, यानी सीमा पर बंदरगाह पर या हवाई अड्डे पर ।
12. भारत में अनुबन्धित श्रमिक दूसरे देशों में जाने के लिए क्यों तैयार हो गए ?
उत्तर – (क) भारत में कुटीर उद्योग ठप्प पड़ गए और इनमें लगे लोग बेरोजगार हो गए और कर्ज में दब गए।
(ख) भूमि कर की दर इतनी बढ़ गई कि किसान उन्हें दे पाने में असमर्थ हो गए।
(ग) उनकी भूमियों को खनिजों की खुदाई करने या बागानों का निर्माण करने के लिए किसी-न-किसी बहाने उनसे छीन लिया गया।
13. हैनरी फोर्ड कौन था ? 
उत्तर – बड़े पैमाने पर कारों का एक जगत- प्रसिद्ध निर्माता ।
14. समूह 77 (G-77) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – पचास और साठ के दशक में विकासशील देशों को पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ इसलिए उन्होंने अपना एक नया समूह बना लिया जो समूह 77 (G-77) के नाम से प्रसिद्ध है।
15. एन० आई० ई० ओ० (N.I.E.O.) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – इसका अर्थ है न्यू इंटरनेशनल इकानामिक आर्डर जिसका आशय यह है कि विकासशील देशों को इस नई व्यवस्था में अपने साधनों पर सही अर्थों में नियन्त्रण मिल सके ।
16. टैरिफ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – टैरिफ एक ऐसा कर जो आयात पर कोई देश लगाता है । यह कर आगमन स्थल (प्रवेश) के समय लिया जाता है। जैसे- सीमा पर या हवाई अड्डे पर ।
17. विनिमय दर से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर – विनिमय दर किसी देश की मुद्रा को जोड़ना जिससे कि इसका प्रयोग दूसरे देश के साथ व्यापार में किया जा सके । मुख्यतः दो विनिमय दर हैं- स्थिर विनिमय दर और तैरती (अस्थिर) विनिमय दर |
18. नहर बस्तियाँ किन्हें कहा जाता है ? इन्हें क्यों और कहाँ स्थापित किया गया ? 
उत्तर – पंजाब की अर्ध- रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए वहाँ नहरों का जाल-सा बिछा दिया गया। देखते ही देखते बंजर भूमियाँ नहरी बस्तियों में बदल गईं जहाँ गेहूँ और कपास आदि फसलों की खूब खेती होने लगी ।
19. 1929 की महामन्दी का बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – 1929 की महामन्दी के कारण बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोग बिल्कुल तबाह हो गए। पटसन की कीमतों में कोई 60% की गिरावट आ गई जिसके परिणामस्वरूप वे कर्ज में दबते चले गए।
20. असेम्बली लाइन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – जब एक मशीन के अलग-अलग कलपुर्जे अलग-अलग स्थानों पर बनाए जाते हैं और बाद में उन्हें एक स्थान पर इकट्ठा करके उन्हें एक पूरी मशीन का रूप दिया जाता है तो ऐसे ढंग को असेम्बली लाइन कहा जाता है।
21. युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या था ? 
उत्तर – (क) औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखा जाए।
(ख) पूर्ण रोजगार के साधनों का विकास किया जाए ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

भूमंडलीकृत विश्व का बनना

1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दें। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर – 17 वीं शताब्दी से पहले के वैश्विक आदान-प्रदान का एक लाभकारी उदाहरण17 वीं शताब्दी से पहले के काल में जो यात्री, व्यापारी, पुजारी और तीर्थयात्री आपसी मेल-मिलाप के अग्रदूत बनकर एक देश से दूसरे देश गए, विशेषकर एशिया से दूसरे देशों की ओर गए वे अपने साथ अनेक चीजों, पैसे, मूल्य-मान्यताओं, विचारों अनेक प्रकार की कलाओं को भी ले गए और उन्होंने दूसरे लोगों के जीवन को सुखमय बना दिया । ऐसे प्रायः एशिया के भारत और चीन जैसे देशों द्वारा ही हुआ ।
17 वीं शताब्दी से पहले वैश्विक आदान-प्रदान का एक विनाशकारी उदाहरण17 वीं शताब्दी से पूर्व के वैश्विक आदान-प्रदान कई बार नए लोगों के लिए विनाश का कारण भी बन गए। जैसे- पूर्तगाल और स्पेन से जब लोग अमेरिका पहुँचे तो वे अपने साथ अनेक बीमारियाँ विशेषकर चेचक के कीटाणु भी ले गए जिन्होंने अमेरिका के मूल निवासियों के अनेक कबीलों का सफाया ही कर दिया ।
2. बताएँ कि पूर्व – आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरीकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी ?
उत्तर – स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परम्परागत किस्म का सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं । यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुँचे थे। लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी । फलस्वरूप, इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई । एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे थे वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने पूरे के पूरे समुदायों को खत्म कर डाला।
3. कार्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार के फैसले के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 19 वीं शताब्दी में जो कानून अपने भूस्वामियों के हितों की रक्षा के लिए पास किए उन्हें कार्न लॉ कहा जाता है। इन कानूनों के द्वारा विदेशों से खाद्य-पदार्थों के आयात पर पाबन्दी लगा दी गई। इस पाबन्दी के परिणामस्वरूप जब ब्रिटेन में खाद्य पदार्थों के मूल्य बढ़ने लगे तो लोगों में हाहाकार मच गई और विवश होकर सरकार को ये कानून हटाने पड़े। इन कानून के हटाने के बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े –
(क) खाद्य-सामग्री सस्ती हो गई जिससे साधारण और गरीब जनता को खूब लाभ रहा।
(ख) जब बाहर से खाद्य पदार्थ सस्ते दामों में इंग्लैंड आने लगे तो वहाँ के भू-स्वामी बर्बाद हो गए।
(ग) बहुत-सी भूमि ऊसर हो गई और खेती करने वाले बहुत से किसान बेरोजगार हो गए।
(घ) ऐसे बहुत से ग्रामीण लोग नौकरी की तलाश में शहरों की ओर भागने लगे। जिससे शहरों की हालत भी खराब हो गई।
4. “अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना” के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें – 
उत्तर – अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना- रिंडरपेस्ट पशुओं में फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी है जो 1890 के दशक में अफ्रीका में प्लेग की तरह फैली। अफ्रीका में यह बीमारी उन पशुओं के कारण फैली जो अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ रहे भारतीय सिपाहियों के भोजन के लिए अनेक पूर्वी देशों से मंगवाए गए। जैसे ही ये पशु पूर्वी अफ्रीका पहुँचे इन्होंने वहाँ के पशुओं की भी रिंडरपेस्ट की बीमारी में लपेट लिया। 1892 से शुरू होकर अगले पाँच वर्षों में पशुओं को यह घातक बीमारी दक्षिणी और पश्चिमी अफ्रीका की सीमाओं तक फैल गई। इस बीमारी के बड़े दूरगामी प्रभाव पड़े –
(क) इस बीमारी के कारण अफ्रीका के कोई 90% पशु मौत के शिकार हुए।
(ख) इस बीमारी से अफ्रीका के लोगों की आजीविका और अर्थव्यवस्था पर बड़ा गहरा असर पड़ा।
(ग) बिल्कुल बर्बाद और बेसहारा होने के कारण अफ्रीका के लोगों को विदेशी साम्राज्यवादियों के पास मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा । यदि उनके पास अपने पशु होते तो वे कभी भी यह काम करने को तैयार न होते ।
(घ) अफ्रीका के लोगों के इस विनाश और उनके साधनों के बर्बाद हो जाने के कारण यूरोपीय उपनिवेशवादियों को अफ्रीका को जीतना और अपने अधीन करना काफी आसान हो गया ।
5. “विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौतें।” के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – इस युद्ध ने मौत और विनाश की जैसी विभिषिका रची उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए।
मृतकों और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे । इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई।
6. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें – 
उत्तर – भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव
(क) इस महामंदी (1929–1934 ) के काल में भारत के आयात और निर्यात व्यापार में कोई 50% की कमी आ गई ।
(ख) इस महामंदी का बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोगों पर विशेष रूप से बड़ा विनाशकारी प्रभाव पड़ा। पटसन के मूल्यों में कोई 60% गिरावट आ गई जिससे बंगाल के पटसन उत्पादक बर्बाद हो गए और कर्ज के बोझ तले दब गए ।
(ग) छोटे-छोटे किसान भी इस बर्बादी से न बच सके। उनकी आर्थिक दशा खराब होती जा रही थी। सरकार ने उनके भूमि कर तथा अन्य करों में कोई कमी न की ।
(घ) 1930 में शुरू होने वाले सिविल अवज्ञा आंदोलन इस आर्थिक मंदी का सीधा परिणाम था क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अशान्ति का क्षेत्र बन चुके थे।
7. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने के फैसले के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियों को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर अपनी पूँजी निवेश करती है, वहाँ अपना उत्पादन करती है और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती है। 1970 के दशक में इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना रुख एशिया के देशों की ओर किया, जिसके अनेक महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले –
(क) एशियाई देशों में नौकरी के अवसरों में काफी वृद्धि हुई और इस प्रकार बेरोजगारी के मसलों को हल करने में काफी आसानी रही।
(ख) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशी देशों के चंगुल से निकलने में काफी सहयोग दिया।
(ग) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार और पूँजी प्रवाहों को भी काफी प्रभावित किया ।
(घ) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान की ।
8. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें ।
उत्तर – तकनीक या विभिन्न प्रकार के आविष्कारों, जैसे- रेलवे, भाप के जहाजों, टेलिग्राफ और रेफ्रिजरेटर युक्त जहाजों का खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ा।
(क) यातायात के विभिन्न साधनों जैसे- तेज चलने वाली रेलगाड़ियों, हल्की बग्घियों, बड़े आकार के जलपोतों द्वारा अब खाद्य पदार्थों को दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और आसानी से पहुँचाना आसान हो गया।
(ख) रेफ्रिजरेटर की तकनीक युक्त जहाजों के कारण अब जल्दी खराब होने वाली चीजों मांस, फल आदि को भी लम्बी यात्राओं में लाया ले जाया जा सकता था।
9. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
उत्तर – ब्रेटन वुड्स समझौता- ब्रेटन वुड्स का समझौता विश्व के विभिन्न देशों में जुलाई 1944 ई० को संयुक्त राष्ट्र संघ के मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में हुआ जो अमेरिका स्थित न्यु हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर हुआ। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ की दो संस्थाओं- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना हुई।
उन दोनों संस्थाओं ने 1947 ई० में अपना काम करना शुरू कर दिया जो ये आज तक बड़ी बेखूबी से कर रही है। अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था ने राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इस सारी प्रक्रिया से पश्चिमी औद्योगिक देशों और जापान को विशेष रूप से लाभ रहा है और उनके व्यापार और आय में काफी वृद्धि हुई है। इससे तकनीक और उद्यम का विश्व-व्यापी विस्तार हुआ ।
10. संक्षेप में बताएँ कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियाँ पैदा हुई उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखा ?
उत्तर – (क) अंतर- युद्ध के आर्थिक अनुभव बहुत खराब थे। अधिकतर देश बर्बाद हो गये थे और बहुत से शहर नष्ट हो गये थे।
(ख) अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने सबक सीखा कि उन्हें औद्योगिक देशों की आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करना होगा।
(ग) साथ ही उनमें सारे संसार की परस्पर आर्थिक निर्भरता की समझ भी उत्पन्न हुई l
11. सोलहवीं सदी में दुनिया ‘सिकुड़ने’ लगी थी, इसका क्या मतलब है, व्याख्या करें ।
उत्तर – (क) संसार के विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों में वृद्धि ।
(ख) सोलहवीं सदी से पहले तक विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच अंतर्संबंध, व्यापार और व्यवसाय का अभाव था ।
(ग) लेकिन सोलहवीं सदी में संसार के महाद्वीपों के बीच व्यापार, व्यवसाय, सांस्कृतिक विचारों का आदान-प्रदान और लोगों की आवजाही बढ़ी जो अमेरिका से एशिया होकर यूरोप और अफ्रीका तक पहुँची।
12. लोग किस आधार पर एल डोराडो को सोने का शहर मानने लगे थे ?
उत्तर – आज के पेरू और मैक्सिको में मौजूद खानों से निकलने वाली कीमती धातुओं, खासतौर से चाँदी, ने भी यूरोप की संपदा को बढ़ाया और पश्चिम एशिया के साथ होने वाले उसके व्यापार को गति प्रदान की। सत्रहवीं सदी के आते-आते पूरे यूरोप में दक्षिणी अमेरिका की धन-संपदा के बारे में तरह-तरह के किस्से बनने लगे थे। इन्हीं किंवदंतियों की बदौलत वहाँ के लोग डोराडो को सोने का शहर मानने लगे और उसकी खोज में बहुत सारे खोज अभियान शुरू किए गए।
13. कई बार फसलों के आने से जीवन में जमीन आसमान का फर्क आ जाता था। कैसे ? स्पष्ट करें।
उत्तर – यह सत्य है कि कई बार नई फसलों के आने से जीवन में जमीन-आसमान का फर्क आ जाता था। साधारण से आलू का इस्तेमाल शुरू करके यूरोप के गरीबों की जिंदगी आमूल रूप से बदल गई थी । उनका भोजन बेहतर हो गया और उनकी औसत उम्र बढ़ने लगी । आयरलैंड के गरीब काश्तकार तो आलू पर इस हद तक निर्भर हो चुके थे कि जब 1840 के दशक के मध्य में किसी बीमारी के कारण आलू की फसल खराब हो गई तो लाखों भुखमरी के कारण मौत के मुँह में चले गए।
14. अफ्रीका में स्थानीय निवासियों को काम पर लगाए रखने लिए यूरोपीयों द्वारा कौन-कौन उपाय किए गए ?
उत्तर – अफ्रीका में स्थानीय निवासियों को काम पर लगाए रखने के लिए यूरोपीयों द्वारा निम्नांकित उपाय किए गए –
(i) लोगों पर भारी कर लगाए गए, जिनका भुगतान तभी संभव था, जब वे बागानों अथवा खदानों में नियमित रूप से वेतन पर कार्य कर रहे हों ।
(ii) उत्तराधिकार कानून में परिवर्तन किया गया जिसके अनुसार परिवार के केवल एक ही सदस्य को पैतृक संपत्ति मिलना निश्चित हुआ। इससे परिवार के शेष सदस्यों को श्रम-बाजार में लाने में सहायता मिली ।
(iii) खान कर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया गया तथा उनके स्वतंत्रतापूर्वक घूमने-फिरने पर पाबंदी लगा दी गई ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

भूमंडलीकृत विश्व का बनना

1. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों का भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें ।
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियाँ या प्रवाह – अर्थशास्त्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में 19 वीं शताब्दी में तीन प्रकार की गतियों या प्रवाहों का वर्णन किया है –
(क) इसमें पहला प्रवाह व्यापार का होता है जो 19वीं शताब्दी में वस्तुओं (कपड़ा और गेहूँ आदि) के व्यापार तक ही सीमित था ।
(ख) दूसरा प्रवाह श्रम का होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के लोग काम या रोजगार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं ।
(ग) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे थोड़े या लम्बे समय के लिए दूर स्थित इलाकों में निवेश कर दिया जाता है।
भारत से तीन प्रवाहों के उदाहरण- भारत में प्राचीन काल से ही ये तीनों प्रकार के प्रवाह देखने को मिलते हैं –
(क) प्राचीन काल से ही भारतीयों ने आस-पास और दूर-दराज के देशों से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित कर रखे थे। आज से 5,000 वर्ष पहले सिन्धु घाटी के लोगों के मैसोपोटामिया और क्रीट जैसे देशों के साथ गहरे व्यापारिक सम्बन्ध थे।
(ख) 19 वीं शताब्दी में बहुत से भारतीय कारीगर और मजदूर अनेक देशों में बागान, खानों, सड़क निर्माण और रेल निर्माण का काम करने के लिए गए।
(ग) ब्रिटिश काल में बहुत से यूरोपीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारत में धन का निवेश किया और अनेक प्रकार के यहाँ कारखानों, रेलों आदि का निर्माण किया और यहाँ चाय आदि के अनेक बागान स्थापित किए।
2. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें ।
उत्तर – 1929 ई० में समस्त संसार को एक भयंकर आर्थिक संकट ने आ घेरा। ऐसा आर्थिक संकट पहले कभी देखने में नहीं आया था। यह संकट संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 ई० में पैदा हुआ और देखते ही देखते यह 1931 ई० तक रूस को छोड़कर विश्व के अनेक देशों में फैल गया।
आर्थिक संकट (1929) के लिए उत्तरदायी कारण और कारक –
(क) यह संकट औद्योगिक क्रांति के कारण चीजों की आवश्यकता से अधिक उत्पादन के कारण पैदा हुआ। 1930 ई० में अमेरिका में तैयार माल के इतने भण्डार हो गए कि उनका कोई खरीददार न रहा।
(ख) प्रथम विश्वयुद्ध के कारण यूरोप के देश इतने बर्बाद हो गए थे कि वे अमेरिका से माल आयात करने की अवस्था में न थे।
(ग) जब तैयार माल का कोई खरीददार न रहा तो वहाँ कारखाने बन्द हो गए और हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए।
(घ) जब कारखाने बन्द हो गए तो किसानों की पैदावार का भी कोई खरीददार न रहा। इस तरह किसानों के लाभ में भी कमी आ गई और कृषि मजदूरों की मजदूरी कम हो गई ।
(ङ) अमेरिका की ‘Share Exchange Market’ में शेयरों की कीमत में गिरावट आ गई जिससे वहाँ कोई 1,00,000 व्यापारियों का दीवाला निकल गया।
3. जी-77 क्या है ? जी-77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया किस आधार पर कहा जा सकता है ? व्याख्या करें।
उत्तर – जी-77- जी-77 विकासशील देशों का एक ऐसा समूह था जिन्हें 1944 में होने वाले ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में होने वाले नियमों से कोई लाभ नहीं हुआ था, इसलिए वे एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली की माँग करने लगे थे।
जी-77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया के रूप में विकास –
ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ
था जिन्हें ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान कहा जाता है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक पर केवल कुछ शक्तिशाली विकसित देशों का ही दबदबा था इसलिए उनसे विकासशील देशों को कोई विशेष लाभ न हुआ। इसलिए इन ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान की प्रतिक्रिया के रूप में विकासशील देशों के जी-77 नामक देशों ने नई आर्थिक प्रणाली की माँग कर डाली ताकि उनके अपने आर्थिक उद्देश्य पूरे हो सके। जैसे
(क) इस नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से उन्हें यह आशा थी कि उन्हें अपने संसाधनों पर सही अर्थों में नियन्त्रण हो सके।
(ख) उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिल सके।
(ग) उन्हें कच्चे माल के सही दाम मिल सके।
(घ) उन्हें अपने तैयार मालों के लिए विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।

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