NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 5 उपभोक्ता अधिकार (अर्थशास्त्र – आर्थिक विकास की समझ)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 5 उपभोक्ता अधिकार (अर्थशास्त्र – आर्थिक विकास की समझ)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उपभोक्ता अधिकार
1. उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब कोई भी व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा के लिए उसका मूल्य चुकाता है तो उसे उपभोक्ता कहा जाता है।
2. उपभोक्ता के किन्हीं दो अधिकारों के नाम लिखें ।
उत्तर – (क) उपभोक्ताओं को सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। वे उन चीजों से अपना बचाव कर सकते हैं जो उनके जीवन और सम्पत्ति के लिए खतरनाक है।
(ख) उपभोक्ता को देख परख कर उत्तम चीजों के चुनाव करने का अधिकार है।
3. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत किन कारणों से हुई है ?
उत्तर – भारत में ‘सामाजिक बल’ के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ। अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ ।
4. उपभोक्ता के मुख्य कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – (क) वे ऐसा सामान ही खरीदें जिन पर आई० एस० आई० (ISI) अथवा एगमार्क (Agmark) का निशान लगा हो।
(ख) उपभोक्ता अपनी वास्तविक समस्या की शिकायत उचित विभाग से अवश्य करें ।
5. उपभोक्ता जागरूकता क्यों आवश्यक है
उत्तर – उपभोक्ता जागरूकता उपभोक्ताओं को शोषण से बचाती है। यह उनके हितों की रक्षा करती है। यह उनकी अज्ञानता तथा वस्तुओं के संबंध में शंका को दूर करती है। यह उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से परिचित कराती है।
6. उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 क्यों बनाया गया ?
उत्तर – उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 को इसलिए बनाया गया था ताकि इस कानून के द्वारा जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने तथा उनके झगड़ों को निपटाने के लिए कुछ समितियाँ बनाई जा सकें ।
7. ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर – विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
8. मिलावट का क्या अर्थ होता है ?
उत्तर – जब किसी शुद्ध वस्तु में दूसरी कोई हानिकारक वस्तु मिलाई जाती है तो इस क्रिया को मिलावट कहते हैं। यह क्रिया किसी भी माप-दण्ड से बड़ी गिरी हुई हरकत है।
9. उपभोक्ताओं के शोषण के दो मुख्य कारण बताएँ।
उत्तर – उपभोक्ताओं के शोषण के दो मुख्य कारण इस प्रकार हैं
(क) उपभोक्ता वर्ग का अशिक्षित होना एवं सूचनाओं का अभाव,
(ख) व्यापारियों द्वारा मिलावट एवं कम माप के बाट का प्रयोग ।
10. उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सबसे पहले कब एवं कहाँ हुई थी ?
उत्तर – उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम अमेरिका में 1962 ई० में की गई थी।
11. उपभोक्ता आंदोलन का जन्मदाता कौन है ?
उत्तर – उपभोक्ता आंदोलन का जन्मदाता रैल्फ नॉडर हैं ।
12. कोपरा (COPRA) से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – कोपरा से हमारा अभिप्राय है उपभोक्ता सुरक्षा कानून (Consumers protection Act)।
13. दो संस्थाओं के नाम बताएँ जो भारत में मानकीकरण का प्रमाण-पत्र देती है ?
उत्तर – (क) भारतीय मानक संस्थान,
(ख) एगमार्क ।
14. जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जो उपभोक्ता न्यायालय हैं, उनके नाम लिखें।
उत्तर – (क) जिला फोरम,
(ख) राज्य उपभोक्ता कमीशन,
(ग) राष्ट्रीय उपभोक्ता कमीशन |
15. भारतीय मानक संस्थान का मुख्य कार्यालय कहाँ है ?
उत्तर – नयी दिल्ली ।
16. अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सामग्री के मानक का निर्धारण करने के लिए कौन-सी संस्था है ?
उत्तर – आई० एस० ओ० (ISO) जिसका कार्यालय जेनेवा में है ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उपभोक्ता अधिकार
1. बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ ।
अथवा, ‘सीमित प्रतिस्पर्धा और सीमित सूचना का परिणाम होता है उपभोक्ता का शोषण । * क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? यदि हाँ तो अपने उत्तर के पक्ष में दो दलीलें दें ।
उत्तर – बाजार में अनेक प्रकार की चीजें होती हैं जैसे दवाइयाँ, खाने की चीजें, रसोई का सामान, अनेक प्रकार का कपड़ा और वस्तु, बिजली का सामान, पंखे, रेडियो, टेलीविजन, रेफ्रीजरेटर, कूलर, एयर कण्डीशनर आदि । जिनके विषय में कोई भी उपभोक्ता कभी भी पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए बाजा में सुरक्षा अति आवश्यक है। विशेषकर सीमित सूचना और सीमित प्रतिस्पर्धा ने बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा को आवश्यक बना दिया है।
(क) सीमित सूचना – आजकल जनसंचार के विभिन्न साधनों जैसे- रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्रों द्वारा उत्पादक अपने द्वारा तैयार की गई विभिन्न वस्तुओं के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा या बताकर उपभोक्ताओं को अपनी उत्पादित वस्तुओं की ओर आकर्षित कर लेते हैं और उनसे मनमाने मूल्य प्राप्त कर लेते हैं। चाहे बाद में उपभोक्ताओं को पछताना ही पड़े क्योंकि साधारण उपभोक्ता को अनेक प्रकार की नित्य प्रति बाजार में आने वाली वस्तुओं के गुणों, संरचना, प्रयोग की शर्तों, क्रय के नियमों आदि के विषय में कोई विशेष जानकारी नहीं होती इसलिए वे आसानी से ठगे जाते हैं। ठगे जाने के बाद ही उन्हें यह समझ आती है, “हर चमकने वाली वस्तु सोना नहीं होती ।”
(ख) सीमित प्रतिस्पर्धा – कई बार ऐसा देखने को आया है कि कुछ चीजों के उत्पादन में या तो कोई प्रतिस्पर्धा होती ही नहीं और यदि होती है तो वह बहुत कम। ऐसे में एक उत्पादक या उत्पादक समूह किसी विशेष वस्तु के उत्पादन एवं वितरण में अपना एकाधिकार स्थापित कर लेते हैं। ऐसी कुछ वस्तुएँ दवाइयाँ, डाक्टरी उपकरण, वाहन और मकान आदि होते हैं जिनके वितरण में उत्पादक एवं विक्रेता अपनी मनमानी करने लगते हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को न केवल ऊँचे दाम देने पड़ते हैं और ऐसी भी सम्भावना रहती है कि उन्हें उत्तम प्रकार की सामग्री या वस्तु न मिले ।
2. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत किन कारणों से हुई ? इसके विकास के बारे में पता लगाएँ ।
उत्तर – उपभोक्ता आंदोलन – उपभोक्ता आंदोलन विक्रेता लोगों द्वारा अपनाए गए अनैतिक और अनुचित कार्यों और हथकण्डों के विरुद्ध शुरू हुआ। लोग कब तक और कैसे यह सहन कर सकते थे कि व्यापारी और विक्रेता लोग उनको हर उचित एवं अनुचित ढंग से ठगते जाए। पहले तो कुछ उपभोक्ता ऐसे दुकानदार से चीजें खरीदना बन्द कर देते थे जो उन्हें घटिया चीजें देता था या कम तौलता था । परन्तु जब यह बीमारी बढ़ती गई तो लोगों का सहने का पैमाना छलक उठा।
1960 के दशक में उपभोक्ताओं ने अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट के विरुद्ध आवाज उठाई। 1970 के दशक में उपभोक्ताओं की अनेक संस्थाओं ने अपने लेखा और प्रदर्शनों द्वारा विक्रेताओं का बढ़-चढ़ कर विरोध किया और सरकार से आग्रह किया कि वे व्यापारियों की इस अनैतिकता पर अंकुश लगाए। फिर क्या था सरकार ने 1986 ई० में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पास किया जिसके द्वारा गलत विक्रेताओं के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता न्यायालयों की व्यवस्था की गई और कई अनैतिक व्यापारियों को भारी जुर्माने किए जाने लगे और उपभोक्ताओं की आर्थिक क्षति की पूर्ति की जाने लगी।
उदाहरण के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अध्यापक को गलत टेलीफोन बिल भेजने के बदले में टेलीफोन विभाग द्वारा 45,000 रुपए देने पड़े। इसी प्रकार एक बीमा कंपनी को अपने एक ग्राहक को 7,000 रुपए देने पड़े। एक बैंक को अनुचित सेवाओं के कारण अपने ग्राहक की क्षतिपूर्ति करनी पड़ी। इस प्रकार ठीक प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध न कराने के कारण एक अस्पताल को अपने एक रोगी को एक बड़ी रकम देनी पड़ी ।
3. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरुकता की जरूरत का वर्णन करें ।
अथवा उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी ?
उत्तर – क्योंकि उपभोक्ता लोग उत्पादकों, व्यापारियों और दुकानदारों से अनेक प्रकार से ठगे जाते थे इसलिए सरकार ने 1986 ई० में उपभोक्ता अधिनियम पास किया। इस अधिनियम की अनेक कारणों से बड़ी आवश्यकता थी –
(क) उपभोक्ता जागरुकता इसलिए आवश्यक है क्योंकि अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर दोनों उत्पादक, व्यापारी और दुकानदार कोई भी गलत काम कर सकते हैं।
(ख) उपभोक्ता जागरुकता की आवश्यकता तब अधिक महसूस हुई जब कुछ बेईमान व्यापारियों ने जन-साधारण के जीवन से ही खेलना शुरू कर दिया और घी, तेल, दूध, मक्खन, खोया और मसालों आदि में मिलावट करनी शुरू कर दी। इससे बुरा और क्या हो सकता है। कोई भी सरकार उत्पादकों, व्यापारियों या दुकानदारों की इस उद्दण्डता को सहन कर सकता । अधिक कीमत ले लेना इतना हानिकारक नहीं जितना कि खाने-पीने की चीजों की मिलावट कर देना। इसलिए उपभोक्ता जागरुकता की बड़ी
आवश्यकता है।
4 .अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्त्तव्यों का वर्णन करें ।
अथवा, उपभोक्ताओं के विभिन्न कर्त्तव्यों का वर्णन करें।
अथवा उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर – उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन शोषण के विरुद्ध अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों को जानकर कर सकते हैं। उन्हें जागरूक रहने की आवश्यकता है यदि उपभोक्ता यह चाहते हैं कि उनके अधिकार सुरक्षित रहें तब उन्हें कुछ कर्त्तव्यों को भी पूरा करना होगा। ऐसे कर्त्तव्य निम्नांकित हैं –
(क) उपभोक्ताओं का यह कर्त्तव्य है कि बाजार से सामान खरीदते समय वह उसकी गुणवत्ता को अवश्य देखें। अच्छा होगा यदि वे गारंटी लेना न भूलें ।
(ख) उपभोक्ता के लिए यह उचित व लाभकारी होगा कि वे जहाँ तक सम्भव हो सके वही माल खरीदें जिन पर आई० एस० आई० (ISI) या एगमार्क (Agmark) का निशान लगा हुआ हो।
(ग) जहाँ तक हो सके उन्हें खरीदे हुए सामान व सेवा की रसीद अवश्य लेनी चाहिए।
(घ) उपभोक्ताओं को अपने उपभोक्ता संगठन अवश्य बनाने चाहिए ताकि वे इकट्ठे मिलकर सरकार के सामने उपभोक्ता संरक्षण सम्बन्धी अपनी माँगें रख सकें ।
(ङ) उपभोक्ता का यह मुख्य कर्त्तव्य है कि जब कोई उत्पादक व्यापारी या दुकानदार किसी भी प्रकार से उसे ठगने की कोशिश करे तो वह चुप बैठ न जाए वरन् उपभोक्ता अदालत में उसकी शिकायत अवश्य करे ।
(च) उपभोक्ताओं का यह कर्त्तव्य है कि वे अपने अधिकारों की जानकारी रखें और अवसर आने पर उनका प्रयोग भी करे ।
5. मान लें, आप शहद की बोतल और एक बिस्किट का पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या चिह्न देखेंगे और क्यों ?
उत्तर – यदि हम शहद की बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं तो हमें खरीदते समय उन पर आई० एस० आई० (ISI), एगमार्क (Agmark) अथवा हालमार्क (Hallmark) में से कोई-सा एक चिह्न या ‘लोगो’ अवश्य देखना चाहिए । अन्यथा हमारे जैसे उपभोक्ताओं को नकली माल मिलने की सदा सम्भावना बनी रहेगी। ये आई० एस० आई०, एगमार्क या हालमार्क के चिह्न या लोगो इस बात का प्रमाण है कि हम जो वस्तुएँ खरीद रहे हैं वे शुद्ध और असली हैं।
6. उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 में दिए गए उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन करें ।
अथवा, उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियों को लिखें।
उत्तर – उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 ई० के अनुसार उपभोक्ताओं को दिए गए अधिकार इस प्रकार हैं –
अधिकार –
(क) सुरक्षा का अधिकार – उपभोक्ता को अधिकार है कि वे उन वस्तुओं की बिक्री से अपना बचाव कर सकें जो उनके जीवन और संपति के लिए खतरनाक है ।
(ख) सूचना का अधिकार- इसके अंतर्गत, गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, स्तर और मूल्य आते हैं ।
(ग) चुनने का अधिकार – विभिन्न वस्तुओं को देख-परख कर चुनाव करने का अधिकार ।
(घ) सुनवाई का अधिकार – उपभोक्ता के हितों से जुड़े उपयुक्त संस्थाएँ / संगठन उपभोक्ताओं की समस्याओं पर पूरा ध्यान दें।
(ङ) शिकायतें निपटाने का अधिकार – उपभोक्ताओं के शोषण व उनकी अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध निदान और शिकायतों को सही प्रकार से निपटाना ।
(च) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार – इसमें उपभोक्ता हित से जुड़े प्रसंगों और वस्तुओं की जानकारी सम्मिलित है ।
7. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा करें ।
उत्तर – उपभोक्ता आंदोलन अनेक प्रकार के ग्राहकों के उत्पादकों, व्यापारियों और दुकानदारों द्वारा अन्धाधुन्ध ठगे जाने के कारण शुरू हुआ। कब तक लोग इस अन्याय को बर्दास्त कर सकते थे। कभी उन्हें तेल, घी, शक्कर आदि में होने वाली मिलावट का सामना करना पड़ता था, कई बार कंकर वाली दालें और मसालें आदि खाने पड़ते थे, कई बार उन्हें कम तौल भी मिलता था परन्तु हर बार उनसे अनुचित दाम लिए जाते थे। हर चीज की कोई हद होती है, हद से बढ़ जाने के बाद आंदोलन उठना प्रायः स्वाभाविक ही बन जाता है। अंत में तंग होकर उपभोक्ताओं ने 1960 के दशक में इस आर्थिक शोषण के विरुद्ध अपना आंदोलन चलाया। अंत में सरकार को 1986 ई० में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पास करना पड़ा ।
8. कुछ ऐसे कारणों की चर्चा करें जिनसे किसी उपभोक्ता का शोषण होता है ?
उत्तर – उपभोक्ता का शोषण के मुख्य तरीके निम्नांकित है
(क) सामान कम माप कर ।
(ख) कम स्तरीय वस्तु का उत्पादन कर
(ग) ऊँची / अधिक कीमत का निर्धारण कर ।
(घ) नकली वस्तुएँ बनाकर ।
(ङ) मिलावटी वस्तुओं का उत्पादन करके ।
(च) सुरक्षा उपकरणों की कमी के द्वारा ।
(छ) बनावटी दुर्लभता (Artificial Scarcity) पैदा करके ।
(ज) गलत तथा अधूरी सूचना प्रदान करके ।
(झ) विक्रय उपरांत सेवा की कमी के द्वारा ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उपभोक्ता अधिकार
1. उपभोक्ता शोषण से क्या अभिप्राय हैं ? इसके लिए उत्तरदायी कारणों का वर्णन करें ।
उत्तर – उपभोक्ता शोषण से अभिप्राय उपभोक्ताओं को कम वस्तु देना, निम्न स्तरीय घटिया वस्तु देना, नकली सामान, मिलावट वाली चीजें, गलत जानकारी आदि का आदान प्रदान करना है ।
उपभोक्ताओं के शोषण के निम्न कारण हैं –
(क) सीमित सूचना – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादक और विक्रेता कोई भी माल या सेवा किसी भी मात्रा में उत्पादन करने के लिए स्वतंत्र हैं और उनके मूल्य निर्धारण एवं गुणवत्ता से संबंधित कोई नियम नहीं हैं। क्रय के नियम आदि की जानकारी न होने पर उपभोक्ता गलत चुनाव करके अपना आर्थिक नुकसान कर लेते हैं ।
(ख) सीमित आपूर्ति – जब वस्तुओं व सेवाओं की आवश्यक संख्या व मात्रा में आपूर्ति नहीं होती तब उपभोक्ता प्रायः शोषित होते हैं। इससे जमाखोरी और मूल्यों में वृद्धि जैसी प्रवृतियों को बढ़ावा मिलता है।
(ग) सीमित प्रतिस्पर्धा – उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादक और विक्रेता कम होने के कारण, वस्तुओं की कीमतें और उनकी आपूर्ति निश्चित करने में विक्रेता का बड़ा हाथ होता है। ऐसी स्थिति में उत्पादक उपभोक्ता में अधिक-से-अधिक कीमत वसूल करता
है ।
(घ) साक्षरता कम होना – उपभोक्ताओं के शोषण का एक प्रमुख कारण उनका निरक्षर होना भी है।
(ङ) आकर्षक विज्ञापन – बहुत सी कंपनियाँ संचार के माध्यमों में अपनी उत्पाद वस्तुओं का बढ़ा चढ़ाकर विज्ञापन देते हैं कभी-कभी विज्ञापन के अनुकूल सामान नहीं होते हैं ।
2. भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदंडों को लागू करना चाहिए ।
अथवा, 1986 के उपभोक्ता सुरक्षा कानून के महत्व की व्याख्या करें यह क्यों पास किया गया ?
उत्तर – सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए तीन प्रकार के उपाय किएकानूनी, प्रशासनिक एवं तकनीकी ।
(क) उपभोक्ता के अधिकारों सम्बन्धी कानून- 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए । सर्वप्रथम राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर तीन स्तरीय उपभोक्ता अदालतों का निर्माण किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर इसे राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग कहा जाता है, राज्य स्तर पर इसे राज्य आयोग कहा जाता है और जिला स्तर पर इसे जिला मंच कहा जाता है।
जब भी कभी इन अदालतों में से किसी एक के पास किसी उपभोक्ता की शिकायत आ जाती है तो वह शीघ्र ही अपनी कार्यवाही शुरू कर देता है और जब उन्हें इस बात की संतुष्टी हो जाती है कि शिकायत ठीक है तो वे चीज बेचने वालों को उपभोक्ता की क्षतिपूर्ति करने का आदेश देता है। इस आदेश में कई बातें हो सकती हैं जैसे –
(i) विक्रेता को कहा जाता है कि वह वस्तु में पाए जाने वाली त्रुटि को ठीक करे ।
(ii) या वह खराब वस्तु के बदले में नई वस्तु ग्राहक को दे
(iii) या वह उपभोक्ता को होने वाली हानि की पूर्ति करे ।
(iv) उसे यह भी चेतावनी दी जाती है कि वह भविष्य में ऐसा खराब माल न बेचे ।
(v) कई बार उस पर जुर्माना भी डाल दिया जाता है ।
(ख) प्रशासनिक उपाय – सरकार ने आवश्यक वस्तुओं का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा करके एक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक कदम उठाया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा जमाखोरी, काला बाजारी और अधिक मूल्य वसूलने के उत्पादकों, व्यापारियों एवं दुकानदारों के प्रयासों पर रोक लगाना सम्भव हुआ ।
(ग) तकनीकी उपाय – सबसे महत्त्वपूर्ण तकनीकी उपाय विभिन्न वस्तुओं का मानकीकरण करना है। भारत में विभिन्न प्रकार की बनने वाली चीजों की गुणवत्ता की जाँच करके एगमार्क एवं आई० एस० आई० की मोहर लगाई जाती है। एगमार्क खेती के उत्पादों के लिए है जबकि आई० एस० आई० जिसे बदलकर अब बी० आई० एस० कहा जाता है औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए है। अब व्यक्ति को चीजें खरीदते समय इन प्रमाणिक चिह्नों को अवश्य देख लेना चाहिए ।
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