NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 5 औद्योगीकरण का युग (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 5 औद्योगीकरण का युग (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

औद्योगीकरण का युग

1. स्पिनिंग जेनी क्या है ?
उत्तर – जेम्स हरग्रीव्ज द्वारा 1764 में बनाई गई इस मशीन ने कताई की प्रक्रिया तेज कर दी और मजदूरों की माँग घटा दी । एक ही पहिया घुमाने वाला एक मजदूर बहुत सारी तकलियों को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे।
2. फ्लाई शटल क्या है ?
उत्तर – यह रस्सियों और पुलियों के जरिए चलने वाला एक यांत्रिक औजार है जिसका बुनाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह क्षैतिज धागे (ताना – the weft) को लम्बवत् धागे (बाना – the warp) में पिरो देती है। फ्लाई शटल के आविष्कार से बुनकरों को बड़े करघे चलाना और चौड़े अरज का कपड़ा बनाने में काफी मदद मिली ।
3. जमशेदजी जीजीभोये कौन थे ?
उत्तर – जमशेदजी जीजीभोये एक पारसी बुनकर के बेटे थे। अपने समय के बहुत सारे लोगों की तरह उन्होंने भी चीन के साथ व्यापार और जहांजरानी का काम किया था। उनके पास जहाजों का एक विशाल बेड़ा था । अंग्रेज और अमेरिकी जहाज कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण 1850 के दशक तक उन्हें सारे जहाज बेचने पड़े।
4. इंगलैंड का कौन-सा नगर फिनिशिंग सेंटर के रूप में विकसित हुआ ? 
उत्तर – लंदन ।
5. इंगलैंड में सबसे पहले कारखाने कब खुले ?
उत्तर – 1730 के दशक में ।
6. नए युग का प्रतीक कौन था ?
उत्तर – कपास नए युग का प्रतीक था ।
7. इंगलैंड के सबसे फलते-फूलते दो उद्योग कौन-कौन से थे ? 
उत्तर – (क) सूती उद्योग और
(ख) कपास उद्योग ।
8. न्युकामेन द्वारा बनाए गए भाप के इंजन का किसने सुधार किया ? 
उत्तर – जेम्स वाट ने।
9. भारत की कौन-सी दो बंदरगाहों का दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ संबंध था ? 
उत्तर – कोरोमण्डल तट पर स्थित मस्लीपटम और बंगाल में हुगली का ।
10. भारत में पहली कपास मिल कब खोली गई । 
उत्तर – 1854 ई० में ।
11. यूरोपीय मैनेजिंग एजेन्सियाँ किस प्रकार के उद्योगों में रुचि रखती थी ? 
उत्तर – चाय और कॉफी के बागान में ।
12. भारत का पहला लौह एवं इस्पात संयंत्र कहाँ स्थापित किया गया ? 
उत्तर – 1912 में जे० एन० टाटा ने जमशेदपुर में ।
13. भारतीय कर्मकारों, कलाकारों, किसानों और मजदूरों की दशा क्यों खराब थी ? 
उत्तर – अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी साख तथा एकाधिकार बनाए रखने के लिए रिश्वत खोरी का सहारा ले रही थी ।
14. कब, कहाँ तथा किस के द्वारा पहली सूती कपड़ा मिल भारत में स्थापित की गई ? 
उत्तर – 1853 में भारत में पहली सूती कपड़ा मिल कवासजी नाना द्वारा मुंबई में स्थापित की गई थी ।
15. ब्रिटिश काल में भारत में कितनी जूट एवं सूती मिलें थीं ? 
उत्तर – ब्रिटिश काल में 1901 में 40 जूट मिल तथा 1905 में 206 सूती कपड़ा मिल भारत में थीं।
16. मशीन युग से पहले कौन-कौन भारतीय उद्योग एवं दस्तकारियों का विश्व बाजार में बोलबाला था ?
उत्तर – मशीन युग से पहले भारत के सूती और रेशमी कपड़े का विश्व-बाजार में बोलबाला था।
17. अंग्रेजी कंपनी द्वारा बुनकरों को ऋण देने की प्रथा को क्यों अपनाया गया ? 
उत्तर – (क) बुनकरों को ऋण इसलिए दिए गए ताकि वे मंडी से रूई आसानी से खरीद सके।
(ख) ऋण लेने वाले बुनकर किसी अन्य को अपना बना हुआ माल बेच नहीं सकते थे, यह अंग्रेजी कंपनी के लिए बड़ी अच्छी बात थी ।
18. 19 वीं शताब्दी के उन व्यवसायियों के नाम लिखें जिनका भारतीय उद्योग और व्यापार जगत में बोलबाला था ।
उत्तर – (क) द्वारकानाथ,
(ख) डिनशॉ पेटिट और जमशेदजी नसरवानजी टाटा जैसे पारसी,
(ग) मारवाड़ी सेठ हुकुमचन्द,
(घ) जी० डी० बिरला के पिता तथा दादा आदि ।
19. 19 वीं सदी में एकाएक किस तरह से शहरी हस्त उद्योग बुरी तरह से समाप्त हो गए ?
उत्तर – अंग्रेज लोग बहुत से मशीनों द्वारा निर्मित माल भारत लाए थे । ब्रिटिश माल गुणवत्ता में अच्छा था, साथ ही आकर्षक तथा सस्ता था । भारतीय हस्तकला उसके आगे नहीं ठहर सकती थी। इसी कारण से भारतीय हस्त उद्योग पतन के मार्ग पर चल पड़ा ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

औद्योगीकरण का युग

1. ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए । व्याख्या करें।
उत्तर – स्पिनिंग जेनी का आविष्कार जेम्स हरग्रीब्ज ने 1764 ई० में किया । इस मशीन ने कताई की प्रक्रिया तेज कर दी जिसके कारण अब मजदूरों की मांग घट गई । एक ही पहिए को घुमाकर एक मजदूर एक सारी स्पिडलस को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे।
बेरोजगारी के डर से महिला – कारीगर, जो हाथ से धागा कातकर गुजारा करती थीं, घबरा गईं। इसलिए उन्होंने इन नई मशीनों को लगाने का विरोध किया और जहाँ-जहाँ ये मशीनें लगाई गई उन्होंने उनपर आक्रमण करके उनको तोड़-फोड़ दिया। महिलाओं का विरोध तोड़-फोड़ काफी समय तक चलती रही।
2. सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। व्याख्या करें ।
उत्तर – सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। उन्होंने ऐसा निम्नांकित कारणों से किया –
(क) उस समय विश्व व्यापार के विस्तार और उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीजों की माँग बढ़ने लगी थी, इसलिए उद्योगपति और व्यापारी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते थे । परन्तु शहरों में रहकर ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि वहाँ मजदूर संघों और व्यापारिक गिल्ड्स काफी शक्तिशाली थे जो उनके लिए अनेक समस्याएँ पैदा कर सकते थे।
(ख) शासकों ने भी विभिन्न गिल्ड्स को खास चीजों के उत्पादन और व्यापार का एकाधिकार दे रखा था।
(ग) ग्रामीण क्षेत्रों में किसान लोग और कारीगर ऐसे सौदागरों के लिए काम करने को तैयार थे क्योंकि खुले खेत खत्म होने और कामन्स भूमियों की बाड़ाबंदी होने के कारण उनके पास जीने के बहुत कम साधन बचे थे।
3. सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया था । व्याख्या करें ।
उत्तर – सूरत व हुगली कमजोर पड़ रहे थे और बंबई और कलकत्ता की स्थिति सुधर रही थी । पुराने बंदरगाहों की जगह नए बंदरगाहों का बढ़ता महत्व औपनिवेशिक सत्ता की बढ़ती ताकत का संकेत था । नए बंदरगाहों के जरिए होने वाला व्यापार यूरोपीय कंपनियों के नियंत्रण में था और यूरोपीय जहाजों के जरिए होता था । बहुत सारे पुराने व्यापारिक घराने ढक चुके थे। जो बचे रहना चाहते थे उनके पास भी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के नियंत्रण वाले नेटवर्क में काम करने के अलावा कोई चारा नहीं था ।
4. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाशतों को नियुक्त किया था । व्याख्या करें ।
उत्तर – ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापारियों और दलालों की भूमिका समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करने के विचार से वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिए जिन्हें गुमाशता कहा जाता था। इन गुमाशतों को अनेक प्रकार के काम सौपे गए।
(क) वे बुनकरों को कर्ज देते थे ताकि वे किसी और व्यापारी को अपना माल तैयार करके न दे सके।
(ख) वे ही बुनकरों से तैयार किए हुए माल को इकट्ठा करते थे।
(ग) वे बने हुए समान विशेषकर बने हुए कपड़ों की गुणवत्ता की जाँच करते थे।
5. पूर्व औद्योगीकरण का मतलब बताएँ ।
उत्तर – पूर्व औद्योगीकरण से हमारा अभिप्राय उन उद्योगों से है जो फैक्ट्रियाँ लगाने से पहले पनप रहे थे। अभी जब इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ शुरू नहीं हुई थीं तब भी वहाँ अंतर्राष्ट्रीय माँग को पूरा करने के लिए बहुत सा माल बनता था। यह उत्पादन फैक्ट्रियों में नहीं होता था परन्तु घर-घर में हाथों से माल तैयार होता था और वह भी काफी मात्रा में ।
बहुत से इतिहासकार फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले की औद्योगिक गतिविधियों को पूर्व-औद्योगीकरण के नाम से पुकारते हैं। शहरों में अनेक व्यापारिक गिल्ड्स थीं जो विभिन्न प्रकार की चीजों का, फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले, उत्पादन करती थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से सौदागर यही काम किसानों और मजदूरों से हाथ द्वारा करवाते थे ।
यह पूर्व-औद्योगीकरण की व्यवस्था इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ लगने से पहले के काल में व्यापारिक गतिविधियों का एक महत्त्वपूर्ण अंग बनी हुई थी।
6. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ?
उत्तर – कंपनी को माल बेचने वाले बुनकरों को अन्य खरीदारों के साथ कारोबार करने पर पाबंदी लगा दी गई। इसके लिए उन्हें पेशगी रकम दी जाती थी। एक बार काम का ऑर्डर मिलने पर बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए कर्जा दे दिया जाता था। जो कर्जा लेते थे उन्हें अपना बनाया हुआ कपड़ा गुमाश्ता को ही देना पड़ता था। उसे वे किसी भी व्यापारी को नहीं बेच सकते थे।
जैसे-जैसे कर्जे मिलते गए और महीन कपड़े की माँग बढ़ने लगी, ज्यादा कमाई की आस में बुनकर पेशगी स्वीकार करने लगे। बहुत सारे बुनकरों के पास जमीन के छोटे-छोटे पट्टे थे जिनपर वे खेती करते थे और अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर लेते थे। अब वे इस जमीन को भाड़े पर देकर पूरा समय बुनकरी में लगाने लगे। अब पूरा परिवार यही काम करने लगा। बच्चे व औरतें, सभी कुछ न कुछ काम करते थे।
7. 1840 के दशक के बाद किन कारणों से रोजगार के साधन बढ़े ?
उत्तर – (क) सड़कों को चौड़ा करने में।
(ख) नए रेलवे स्टेशनों के निर्माण में ।
(ग) रेलवे लाइनों के विकास में।
(घ) गुफाओं की खुदाई में ।
8. मैनचेस्टर में बने कपड़े के आयात से भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ? 
उत्तर – (क) इस आयात से भारतीय कपड़ा उद्योग को बड़ी हानि हुई क्योंकि अब भारतीय कपड़े के उपभोक्ता बहुत कम रह गए क्योंकि मैनचेस्टर का कपड़ा सस्ता और चमकदार था ।
(ख) इससे बहुत से बुनकर बेकार हो गए जिन्हें आस-पास के नगरों में जाकर मजदूरों का-सा काम करना पड़ा।
9. औद्योगिक क्रांति का अर्थ समझाएँ ।
उत्तर – औद्योगिक क्रांति हम उस क्रांति को कहते हैं जिसने अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए । ये परिवर्तन इतनी तेज रफ्तार से आए और इतने प्रभावशाली सिद्ध हुए कि उन्हें ‘क्रांति’ का नाम दे दिया गया । इस क्रांति ने घरेलू उद्योग-धन्धों के स्थान पर फैक्ट्री सिस्टम को जन्म दिया, कार्य हाथों के स्थान पर मशीनों से होने लगा और छोटे कारीगरों का स्थान पूँजीपति श्रेणी ने ले लिया।
10. गाँव के बुनकरों और गुमाश्तों के बीच झगड़े क्यों हो रहे थे ?
उत्तर – जल्दी ही बहुत सारे बुनकर गाँवों में बुनकरों और गुमाश्तों के बीच टकराव की खबरें आने लगीं। इससे पहले आपूर्ति सौदागर अक्सर बुनकर गाँवों में ही रहते थे और बुनकरों से उनके नजदीकी तालुक्कात होते थे। वे बुनकरों की जरूरतों का ख्याल रखते थे और संकट के समय उनकी मदद करते थे। नए गुमाश्ता बाहर के लोग थे। उनका गाँवों से पुराना सामाजिक सम्बन्ध नहीं था। वे दंभपूर्ण व्यवहार करते थे, सिपाहियों व चपरासियों को लेकर आते थे और माल समय पर तैयार न होने की स्थिति में बुनकरों को सजा देते थे। सजा के तौर पर बुनकरों को अक्सर पीटा जाता था और कोड़े बरसाए जाते थे। अब बुनकर न तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी और को माल बेच सकते थे। उन्हें कंपनी से जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम थी पर वे कर्जों की वजह से कंपनी से बंधे हुए थे।
11. औद्योगीकरण के दौरान कर्मकारों का जीवन किस तरह का था ?
उत्तर – गाँवों के लोग शहरों की तरफ चल पड़े। नौकरी मिलने की संभावना यारी-दोस्ती, कुनबे-कुटुंब के जरिए जान-पहचान पर निर्भर करती थी। अगर किसी कारखाने में आपका रिश्तेदार या दोस्त लगा हुआ है तो नौकरी मिलने की संभावना ज्यादा रहती थी। सबके पास ऐसे सामाजिक संपर्क नहीं होते थे। रोजगार चाहने वाले थे। रो बहुत लोगों का हफ्तों इंतजार करना पड़ता था। वे पुलों के नीचे या रैन-बसेरों में रातें काटते थे। कुछ बेरोजगार हर में बने निजी रैन-बसेरों में रहते थे। बहुत सारे निर्धन कानून विभाग द्वारा चलाए जाने वाले अस्थाई बसेरों में रुकते थे।
12. बुनकर उद्योग में स्टीम इंजन की क्या भूमिका थी ?
उत्तर – वॉट ने न्यूकॉमेन द्वारा बनाए गए भाप के इंजन में सुधार किए और 1871 में नए इंजन को पेटेंट करा लिया। इस मॉडल का उत्पादन उनके दोस्त उद्योगपति मैथ्यू बूल्टन ने किया। पर, सालों तक उन्हें कोई खरीदार नहीं मिला । उन्नीसवीं सदी की शुरुआत तक पूरे इंग्लैंड में भाप के सिर्फ 321 इंजन थे। इनमें से 80 इंजन सूती उद्योगों में 9 ऊन उद्योगों में और बाकी खनन, नहर निर्माण और लौह कार्यों में इस्तेमाल हो रहे थे, और किसी उद्योग में भाप के इंजनों का इस्तेमाल काफी समय बाद तक भी नहीं हुआ। यानी मजदूरों की उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाने की संभावना वाली सबसे शक्तिशाली प्रौद्योगिकी को अपनाने में भी उद्योगपति बहुत हिचकिचा रहे थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

औद्योगीकरण का युग

1. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे ?
उत्तर – 19 वीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाए हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे। उनके ऐसा करने के पीछे अनेक कारण उपस्थित किए जाते थे –
(क) विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम की कोई कमी नहीं थी इसलिए कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे।
(ख) कुछ उद्योगपति बड़ी मशीनों पर भारी खर्चा करने से हिचकिचाते थे क्योंकि मशीने लगाने में यह जरूरी नहीं था कि उनको ऐसा करने से लाभ रहेगा। (ग) बहुत से ऐसे उद्योग हैं जहाँ श्रमिकों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है जैसेगैसघरों, शराबखानों, बंदरगाहों में जहाजों की मरम्मत और साफ-सफाई के काम में मजदूरों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। ऐसे उद्योगों में उद्योगपति मशीनों की बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसन्द करते थे।
(घ) यदि थोड़ी मात्रा में चीजें तैयार करनी होती थी तो भी मशीनों की बजाय मजदूरों से काम करवाना बेहतर समझा जाता था ।
(ङ) कुछ वस्तुओं में लोग खास डिजाइनों की मांग करते थे जिन्हें मशीनों पर बनाना बहुत महंगा पड़ता था और कठिन भी होता था । इसलिए ऐसे कामों में भी मशीनों की अपेक्षा मजदूरों को अच्छा समझा जाता था वहाँ यांत्रिक प्रौद्योगिकी की नहीं वरन् इंसानी निपुणता की आवश्यकता पड़ती थी ।
(च) विक्टोरिया काल के कुछ उच्च वर्ग के लोग जैसे- कुलीन और पूँजीपति वर्ग हाथों से बनी चीजों को अधिक पसंद करते थे। हाथ से बनी चीजों को सत्कार और उच्च समाज का प्रतीक माना जाता था। क्योंकि उनको एक-एक करके बनाया जाता था इसलिए हाथ से बने माल के डिजाइन उत्तम होते थे और उनकी फिनिशिंग अच्छी होती थी ।
2. पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा ? 
उत्तर – पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा इसके अनेक कारण दिए जाते हैं जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं –
(क) प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ऐसे उलझ गया कि उसका ध्यान अपने बचाओ में लग गया। वह अब भारत में अपने माल का निर्यात न कर सका जिसके कारण भारत के उद्योगों को पनपने का सुअवसर प्राप्त हो गया।
(ख) इंग्लैंड के सब कारखाने निर्यात की विभिन्न चीजें बनाने की बजाय सैनिक सामग्री बनाने में लग गई इसलिए भारतीय उद्योगों को रातोरात एक विशाल देशी बाजार मिल गया ।
(ग) एक विशाल देशी बाजार मिलने के अतिरिक्त भारतीय उद्योगों को जब सरकार द्वारा भी अनेक चीजें जैसे- फौज के लिए वर्दियों, बूट आदि बनाने, टेंट आदि बनाने, घोड़ों के लिए अनेक प्रकार का सामान बनाने आदि के ऑर्डर मिल गए तो उनमें नई जान आ गई। जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता गया भारतीय उद्योग भी प्रगति करते गया ।
(घ) पुराने कारखानों के साथ-साथ बहुत सारे नए कारखाने खुल गए जिससे उद्योगपतियों को ही नहीं, वरन् मजदूरों और कारीगरों की भी चाँदी हो गई, उनके वेतन बढ़ गए जिससे उनकी काया पलट गई।
(ङ) प्रथम युद्ध में ब्रिटिश सरकार को फंसा देखकर भारतीय नेताओं ने स्वदेशी पर अधिक बल देना शुरू कर दिया तो भारतीय उद्योगों के लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो गई ।
इस प्रकार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में प्रथम विश्वयुद्ध भारतीय उद्योगों के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ।
3 औद्योगिक क्रांति के पश्चात् इंगलैंड में श्रमिकों की दशा का वर्णन करें । अथवा, इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं ? 
उत्तर – औद्योगिक क्रांति की मुख्य विशेषताएँ –
(क) 18 वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में सबसे पहले इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति का श्रीगणेश हुआ। इसके अंतर्गत चीजें घर की अपेक्षा कारखानों में, हाथों
की अपेक्षा मशीनों से तथा थोड़ी मात्रा की बजाए बड़ी मात्रा में बनने लगीं।
(ख) देखते ही देखते कृषि, यातायात संचार और उत्पादन तथा व्यापार क्षेत्र में एक क्रांति सी आ गई ।
(ग) यह क्रांति एक वरदान भी और एक अभिशाप भी सिद्ध हुई । वरदान इसलिए क्योंकि इसके द्वारा संसार की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताएँ मशीनों द्वारा बने हुए माल से पूरी हो गई, मनुष्य को थकाने वाले श्रम से छुटकारा मिला तथा साधारण व्यक्ति का जीवन भी सरल और सुखमय हो गया ।
(घ) परन्तु यह क्रांति एक मिश्रित वरदान थी । इसने मनुष्य के लिए अनेक उलझने और समस्याएँ पैदा कर दीं ।
श्रमिकों की दशा पर प्रभाव – औद्योगिक क्रांति के कारण श्रमिकों का जीवन बड़ा कष्टमय हो गया। उन्हें गन्दी बस्तियों, अंधेरे कमरों तथा धुँएदार कारखानों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्हें मिल-मालिकों की दया पर रहना पड़ा जो उनका अधिक से अधिक शोषण करने लगे। उनसे काम तो अधिक से अधिक लिया जाता था परन्तु उन्हें वेतन म दिया जाता था ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *