NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
1. प्लाटेन क्या है ?
उत्तर – लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है, जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी। पहले यह बोर्ड काठ का होता था, बाद में इस्पात का बनने लगा।
2. गाथा-गीत से क्या समझते हैं ?
उत्तर – लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान, जिसे गाया या सुनाया जाता है ।
3. गुटेन्वर्ग कौन थे ?
उत्तर – गुटेन्वर्ग जर्मनी का एक बड़ा आविष्कारक था जिसने 1448 ई० में प्रेस का आविष्कार किया |
4. रेफर्मेशन का क्या अर्थ है ?
उत्तर – कैथोलिक धर्म को सुधारने के लिए जो आंदोलन शुरू किया गया उसे रेफर्मेशन या धर्म-सुधार आंदोलन कहते हैं ।
5. प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर – प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कारक एक जर्मन-गुटनवर्ग था ।
6. गुटनवर्ग ने पहली पुस्तक कौन-सी छापी ?
उत्तर – गुटनवर्ग ने पहली पुस्तक बाइबिल प्रकाशित की । इसकी छपाई भेड़ की खाल पर की गई न कि कागज पर ।
7. क्या नए प्रिंटर, पुराने प्रिंटरों से अधिक अच्छे हैं ?
उत्तर – नए प्रिंटर बड़ी संख्या में तथा तेज गति से छपाई करते हैं ।
8. प्रेस की भूमिका बताएँ ।
उत्तर – प्रेस एक सशक्त माध्यम है, जो समाज को एकजुट रख सकता है । यह देश के एक भाग में होने वाली गतिविधियों को दूसरे भाग की गतिविधियों से जोड़ता है।
9. भारत में प्रेस की बढ़ोत्तरी कब से हुई ?
उत्तर – 19 वीं सदी के प्रारंभ में भारत में प्रेस प्रारंभ हुआ। इसने लोगों में जागृति लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
10. कौन-सा और कब पहला समाचार पत्र भारत में छपा था ?
उत्तर – भारत का पहला समाचार पत्र 1780 में प्रारंभ हुआ, जिसका नाम बंगाल गजट था ।
11. राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित दो समाचार पत्र कौन-से थे ?
उत्तर – राजा राममोहन राय ने दो समाचार पत्र समद कौमुदी (बंगला) तथा मिरातुल अकबर (फारसी) प्रकाशित किए। ये पत्र सामाजिक सुधारों का प्रचार करते थे।
12. 19 वीं सदी के दूसरे आदि शतक में प्रारंभ होने वाले कुछ अंग्रेजी अखबारों क नाम लिखें।
उत्तर – भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्र थे- द टाईम्स ऑफ इंडिया (1861), द पॉइनियर (1865), द मद्रास मेल (1865), द स्टेटस मैन (1875) थे समाचार पत्र ब्रिटिश सरकार की नीतियों के समर्थक थे।
13. भारत के कुछ राष्ट्रवादी अखबारों के नाम लिखें।
उत्तर – बंगाल में अमृत बाजार पत्रिकाएँ प्रारंभ हुई 1868 ई० में । द हिंदू मद्रास स प्रकाशित हुआ 1878 में। 19 वीं सदी के अंत तक लगभग 500 समाचार पत्र तथा पत्रिकाएँ भारत में प्रकाशित हुई ।
14. बाल गंगाधर द्वारा प्रकाशित दो पत्रिका कौन-से थे ?
उत्तर – साप्ताहिक पत्रिका “केसरी” मराठी में बाल गंगाधर द्वारा प्रकाशित की गई। दूसरी पत्रिका “मराठा” इंगलिश में प्रकाशित की गई ।
15. मुद्रण की सबसे पहली तकनीक कहाँ विकसित हुई ?
उत्तर – चीन, जापान और कोरिया में ।
16. सुलेखन से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – सुन्दर सुडौल अक्षरों में कलात्मक लिखाई को सुलेखन कहा जाता है।
17. जापान में पहले छपने वाली किताब का क्या नाम था जो 868 ई० के लगभग छापी गई ?
उत्तर – बौद्ध धर्म से सम्बन्धित पुस्तक डायमंड सूत्र ।
18. टोक्यो का पुराना नाम क्या था ?
उत्तर – एदो।
19. मार्टिन लूथर कौन था ?
उत्तर – मार्टिन लूथर जर्मनी का एक महान धर्म सुधारक था जिसने रोमन कैथोलिक धर्म का विरोध करने से रेफर्मेशन आंदोलन को जन्म दिया।
20. कातिब किसे कहते हैं ?
उत्तर – हाथ से लिखकर पांडुलिपियों को तैयार करने वालों को कातिब या सुलेखक कहा जाता था।
21. कब और किसने सबसे पहले छापेखाने का आविष्कार किया ?
उत्तर – गुटेन्बर्ग ने 1448 ई० में किया।
22. शिलिंग सीरीज क्या थीं ?
उत्तर – ये वे पुस्तकें थी जो सस्ती थीं और जो 1920 के दशक में छापी गईं।
23. भारत में पहला प्रिंटिंग प्रेस कब लाया गया ?
उत्तर – भारत में पहला प्रिंटिंग प्रेस गोआ में पुर्तगालियों द्वारा 16 वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में लाया गया ।
24. प्रिंट के माध्यम से पहले भारत में हस्तलिखित पांडुलिपियाँ कैसे रखी जाती थी ?
उत्तर – विभिन्न भाषाओं की पांडुलिपियों को ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर लिया जाता था और फिर उनकी आयु बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें तख्तियों की जिल्द में या सिलकर रख दिया जाता था।
25. बंगाल गजट नामक एक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन कब शुरू हुआ ?
उत्तर – 1780 ई० में |
26. राजा राममोहन राय ने 1821 से कौन-सा साप्ताहिक समाचार पत्र निकालना शुरू किया ?
उत्तर – संवाद कौमुदी ।
27. फारसी में 19 वीं शताब्दी में छपने वाले दो समाचार पत्रों के नाम लिखें ।
उत्तर – (क) जाम-ए-जहाँनामा, (ख) शम्सूल अखबार ।
28. बाल गंगाधर तिलक ने कौन-सा समाचार पत्र छापना शुरू किया ?
उत्तर – केसरी ।
29. क्लम क्या है ?
उत्तर – चर्म-पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह l
30. गैली क्या है ?
उत्तर – धातुई फ्रेम, जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती थी।
31 भारतीय प्रेस पर क्या अंकुश लगाए गए ?
उत्तर – 1878 ई० में पास होने वाले वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट द्वारा भारतीय भाषाओं में छपने वाले प्रेस वालों को चेतावनी दी गई कि अगर उनके अखबार में पब्लिक को भड़काने वाली कोई खबर छापी गई तो पहले उसे चेतावनी दी जाएगी और उसके बाद उस अखबार को बन्द किया जा सकता है।
32. पांडुलिपियाँ में कौन-सी दो मुख्य कमियाँ पाई जाती है ?
उत्तर – (क) पांडुलिपियों को तैयार करना बहुत खर्चीला अधिक समय लेने वाला तथा अधिक परिश्रम से तैयार होने वाला होता है ।
(ख) पांडुलिपियाँ प्रायः बड़ी नाजुक होती है, उनके लाने-ले-जाने, रख-रखाव में बड़ी कठिनाई होती है ।
33. वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई। कारण लिखें ।
उत्तर – 1295 ई० में महान खोजी मार्को पोलो नामक यात्री काफी समय की खोज के बाद इटली वापस लौटा तो उसने वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई का ज्ञान यूरोपवासियों को दिया। इसी कारण छपाई के इस ढंग की छपाई यूरोप में 1295 ई० के बाद पहुँची।
34. प्रिंटिंग प्रेस से क्या लाभ हुए हैं ?
उत्तर – (क) इसके द्वारा एक बड़ी मात्रा में पुस्तकें तैयार करना आसान हो गया।
(ख) पुस्तकों के आसानी से मिलने के परिणामस्वरूप जहाँ ज्ञान की वृद्धि हुई वहाँ पाठकों की गिनती भी कई गुणा बढ़ गई l
35. मैक्सिम गोर्की कौन था ? उसकी एक साहित्यिक रचना का नाम लिखें ।
उत्तर – मैक्सिम गोर्की एक क्रांतिकारी रूसी लेखक था । उसकी एक प्रसिद्ध रचना का नाम है— “मेरा बचपन और मेरे विश्वविद्यालय” । इस पुस्तक में गोर्की ने अपने बचपन के संघर्षों का वर्णन किया जो एक गरीब बच्चे को प्रायः भुगतना पड़ता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
1. बुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई। कारण दें।
उत्तर – ‘बुडब्लॉक या काठ की तख्ती’ वाली छपाई चीन में होती थी। मार्कोपोलो नामक एक महान् खोजी यात्री काफी समय तक चीन में रहा । वह 1295 ई० में वापस इटली लौटा और अपने साथ तख्ती की छपाई की तकनीक लाया । इस प्रकार 1295 के बाद यूरोप में भी छपाई की यह तकनीक अपनाई जाने लगी।
2. मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की। कारण दें।
उत्तर – मार्टिन लूथर– लूथर जर्मनी का एक पादरी था । वह धर्म सुधार आंदोलन के प्रमुख सुधारकों में से एक था । वह स्वयं रोम गया परंतु उसे यह देख कर बहुत दुख हुआ कि पोप और पादरी आध्यात्मिक विषयों से बहुत दूर हैं और सांसारिक विषयों में उलझे पड़े हैं। जर्मनी वापस आकर उसने पोप और पादरियों के भ्रष्ट जीवन का भण्डा फोड़ दिया। शीघ्र ही उसने पोप द्वारा बेचे जाने वाले क्षमापत्रों का खुला विरोध करना शुरू कर दिया। उसके प्रयत्नों के फलस्वरूप प्रोटैस्टैंट मत. का जन्म तथा विकास हुआ।
मार्टिन लूथर द्वारा न्यू टेस्टेमेंट की 5,000 प्रतिलिपियाँ कुछ सप्ताहों में ही बिक गई तभी प्रसन्न और उसका दूसरा संस्करण तीन महीने के अंदर ही अंदर छप गया। होकर लूथर ने कहा- “प्रिटिंग ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा है।”
3. रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के • मध्य से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी। कारण दें।
उत्तर – प्रेस तथा प्रसिद्ध धार्मिक साहित्य ने बहुत से विशिष्ट व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया, जो धर्म की व्याख्या करते थे। यह तकनीक थोड़े पढ़े-लिखें लोग भी ऐसा करने लगे थे। 16 वीं सदी में मनोचीओ इटली का एक मिल मजदूर, किताबें पढ़ने लगा था, जो उसकी लाइब्रेरी में उपलब्ध थीं। उसने बाईबल के संदेश की पुनर्व्याख्या की। उसने ईश्वर की विचारधारा तथा उत्पत्ति के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। इससे रोमन कैथोलिक चर्च काफी रूष्ट हो गया। जब रोमन चर्च ने अपने अधिकार को बताया कि वह इसके द्वारा वर्जित विचारों को दबा सकता है। मनोचीओ को दो बार चेतावनी दी गई थी। अंततः उसको फाँसी दे दी गई। रोमन कैथोलिक चर्च को दुख होता था कि प्रसिद्ध पुस्तकों द्वारा लोग धर्म के प्रति तरह-तरह के संदेह व्यक्त करते थे। उसने कई प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए तथा 1558 में प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची जारी की।
4. महात्मा गाँधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है। कारण दें।
उत्तर – महात्मा गाँधी ने ये शब्द 1922 ई० में असहयोग आंदोलन (1920-22) के मध्य कहे। उनके अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस की स्वतंत्रता एवं सामूहिकता की आजादी के बिना कोई भी राष्ट्र जीवित नहीं रह सकता । यदि देश को विदेशी उपनिवेशवाद से स्वतंत्र होना है तब ये सभी स्वतंत्रताएँ बड़ी आवश्यक हैं। राष्ट्रवाद के उत्थान के लिए इन तीन स्वतंत्रताओं का होना अति आवश्यक है। महात्मा गाँधी को इस स्वतंत्रताओं के महत्व का पता था इसलिए उन्होंने उन पर जोर दिया। इन तीन स्वतंत्रताओं के महत्व के विषय में 1922 ई० में उन्होंने जो शब्द कहे वे इस प्रकार हैं “वाणी की स्वतंत्रता….. प्रेस की आजादी…. सामूहिकता की आजादी। भारत सरकार अब जनमत को व्यक्त करने और बनाने के इन तीन ताकतवर औजारों को दबाने की कोशिश कर रही है। स्वराज, खिलाफत…… की लड़ाई, सबसे पहले तो इन संकटग्रस्त आजादियों की लड़ाई हैं । “
5. गुटेन्बर्ग प्रेस पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – गुटेन्बर्ग प्रेस- गुटेन्बर्ग ने मौजूदा तकनीक को अपनाते हुए अपनी खोज का ढाँचा तैयार किया। ओलिव प्रेस ने प्रिंटिंग प्रेस का मॉडल दिया । वर्णमाला की अक्षरों को धातु का बना कर खांचे तैयार किए गए। 1448 में गुटेन्बर्ग ने इस विधि में पूर्णता ला दी। पहली पुस्तक उसने बाईबल छापी थी। लगभग 180 प्रतियाँ छापी गई थी, जिनकी प्रस्तुति में उसे तीन वर्षों का समय लगा था। उस समय के अनुसार यह जल्द प्रस्तुतिकरण था।
6. छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार – 1450 और 1550 के दौरान, यूरोप के अधिकांश देशों में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित हो चुकी थी। जर्मनी के प्रिंटर अन्य देशों का भ्रमण करते थे, वहाँ होने वाले काम को देखते तथा नई प्रेस स्थापित करने में सहायता करते थे। जैसे-जैसे प्रिंटिंग प्रेसों की संख्या बढ़ी, किताबों की छपाई बढ़ने लगी। 15 वीं सदी के दूसरे मध्य में 20 लाख प्रतियाँ छपी पुस्तकों की थी । यूरोप के बाजारों में पुस्तकों की बाढ़ सी आ गई थी। 16 वीं सदी में इनकी संख्या लगभग 2 करोड़ तक पहुँच गई।
7. वर्नाक्युलर या देसी प्रेस एक्ट पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – वर्नाक्यूलर या देसी प्रेस एक्ट- 1857 की क्रांति के बाद, प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर दृष्टिकोण में परिवर्तन हो चुका था। गुस्से से भरे अंग्रेजी सरकार का मत था कि स्थानीय प्रेसों पर ताले लगा दिए जाएँ। जैसा कि वर्नाकुलर समाचार पत्र पूर्णतः राष्ट्रवादी बन चुका था । औपनिवेशिक सरकार इस पर बहस छेड़ दी तथा इस पर नियंत्रण करना प्रारंभ कर दिया । 1878 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास कर दिया गया। आयरिश प्रेस लॉ ढाँचे के अनुसार इसे बनाया गया था। इसमें सरकार को व्यापक अधिकार दिए गए कि वह रिर्पोट्स तथा संपादकीय (वर्नाकुलर प्रेस की ) पर सेंसर लगा सकती है। विभिन्न प्रांतों से प्रकाशित होने वाले स्थानीय भाषाओं के समाचार पत्रों पर सरकार अपनी पूरी नजर रख रही थी। जब कोई रिपोर्ट जाँच में आ जाती है कि इसमें विद्रोहात्मक प्रवृति है, तो समाचार पत्र को चेतावनी दी जाती थी । यदि चेतावनी को अनसुना कर दिया जाता था, तो ऐसी दशा में प्रेस पर ताला लगा दिया जाता था तथा उसकी मशीनें जब्त कर ली जाती थीं ।
8. अठारहवीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अंत और ज्ञानोदय होगा ?
उत्तर – छपाई द्वारा विचारों के प्रसारण की संभावना बढ़ गई थी। इससे रचनात्मक आपसी बहस को बढ़ावा मिला। यहाँ तक कि लोग असहमत थे, उन लोगों से जिन्हें अपने विषय में महारत प्राप्त थी। अब वे अपने विचारों को छाप कर अपना प्रतिरोध प्रकट कर सकते थे। प्रिंटेड संदेश द्वारा वे लोगों को प्रभावित कर सकते थे कि उन्हें अपने विचारों में बदलाव लाना चाहिए तथा उन्हें अपने कार्यों में ढालना चाहिए। इसका जीवन के कई क्षेत्रों में अपना महत्व था ।
9. उन्नीसवीं सदी में भारत में महिलाओं पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ?
उत्तर – महिलाएँ – खुले रूप से महिलाओं के मनोभावों के बारे में दिखा जाने लगा। मध्यमवर्गीय घरों में महिलाओं द्वारा पठन-पाठन में रुचि बढ़ने लगी थी। उदारपतियों तथा पिताओं द्वारा अपने घर की औरतों को पढ़ाने का प्रयास घरों में होने लगा था। 19 वीं सदी के मध्य में जब नगरों में स्कूल खुलने लगे तो लड़कियाँ पढ़ने लगी थीं। बहुत-सी पत्रिकाएँ महिलाओं की रचनाओं के साथ निकलने लगी थीं। वे स्पष्ट करती थीं कि महिलाओं के लिए शिक्षा क्यों जरूरी थी। उनमें एक पाठ्यक्रम तथा समुचित पठन सामग्री होती थी। जिससे कि महिलाओं को घर में भी शिक्षित किया जा सकता था ।
10. उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ?
उत्तर – गरीब जनता- 19 वीं सदी में बहुत-सी सस्ती पुस्तकें बाजार में आ गई थीं। मुद्रास में उन्हें चौराहों पर बेचते हुए देखा जा सकता था। बाजार जाते हुए गरीब भी उन सस्ती किताबों को खरीद सकते थे। पब्लिक लाइब्रेरियाँ बनाई गई। 20 वीं सदी के प्रारंभ में, जिससे कि व्यापक रूप से पुस्तकें लोगों को मिल सकें। एक लाइब्रेरी की स्थापना करना एक इज्जत वाला काम समझा जाता था ।
11. उन्नीसवीं सदी में भारत में सुधारक पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ?
उत्तर – सुधारक- औपनिवेशिक समाज में विभिन्न तरीकों से समूहों में टकराव हो रहा था । विभिन्न धर्मों में तरह-तरह के विश्वासों के स्पष्टीकरण को लेकर मतभेद पैदा हो रहे थे। कुछ लोग प्रचलित कर्मकाण्डों की निंदा कर रहे थे तथा इनमें सुधार के लिए आंदोलन चला रहे थे, जबकि दूसरे सुधारकों के तर्कों पर प्रहार कर रहे थे। इस तरह की बहस लोगों में तथा प्रेस में छिड़ी हुई थी। प्रिंटेड समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में केवल नए विचारों का प्रसार ही नहीं होता था, बल्कि वे उलझे हुए विचारों को सही ढंग से छापते थे। बड़े पैमाने पर अब लोग इन स्थानों पर जाकर बहस में भाग लेकर अपनी मनोभावनाएँ व्यक्त करते थे। इस तरह के मतभेदों से कई बार नए विचार उभर कर सामने आते थे।
12. कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिंतित क्यों थे ? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण लेकर समझाएँ ।
उत्तर – इरस्मस जो एक लैटिन विद्वान और कैथोलिक सुधारक था उसे पुस्तकों के प्रकाशन पर अत्यधिक चिंता हुई। उसने 1508 में एडसेजेज में लिखा, “विश्व के किस कोने तक नहीं उड़ पाएँगी’ नई पुस्तकों के रूप में मुर्गाबियाँ ? यह हो सकता है कि कुछ यहाँ या वहाँ जानने योग्य बातें बताएँ, लेकिन ढेरों ऐसे विचार होंगे जो हानि पहुँचा सकते हैं। पुस्तकों से विश्व भर दो, परन्तु यदि उनमें मूर्खतापूर्ण विचार हैं, अगर उनमें खोखलापन है और वे अधार्मिक अलगाववादी प्रवृतियों से भरी हुई हैं तो अनमोल विचारों वाली पुस्तकों पर वे भारी पड़ेंगी। भारत में 1857 में ब्रिटिश सरकार ने अपने सिपाहियों को कहा था कि वे समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से दूर रहें ।
13. मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की ?
उत्तर – सरकार द्वारा दमनात्मक नीति अपनाए जाने के बावजूद राष्ट्रवादी समाचार पत्रों की संख्या, भारत के विभिन्न भागों में बढ़ने लगी थी। उन्होंने औपनिवेशिक कुशासन का पर्दाफास किया तथा राष्ट्रवादी कार्यों को बढ़ावा दिया। राष्ट्रवादी क्रियाकलापों की सरकार द्वारा निंदा से क्रांतिकारी भड़क उठे। जब 1907 में पंजाब के क्रांतिकारियों को देश छोड़ने के लिए विवश किया, तो उनकी सहानुभूति में गंगाधर तिलक ने अपने समाचार पत्र ‘केसरी’ में लिखा था। इससे भड़क कर अंग्रेजी सरकार ने 1908 में उन्हें बंदी बना लिया। इस पर पूरे भारत में विरोध हुआ था।
14. प्रिंटिंग प्रेस का किसने आविष्कार किया ? कौन-सी पहली पुस्तक प्रकाशित की गई ? प्रारंभ में प्रकाशित करने का कैसा तरीका था ?
उत्तर – एक जर्मन नागरिक जॉन गुटन्वर्ग ने छपाई मशीन का आविष्कार किया। उसने पहली पुस्तक ‘बाइबिल’ प्रकाशित की थी। यह भेड़ की खाल पर छापी गई थी । उसने अक्षर राँगे को ढाल कर बनाए थे। ये अक्षर जोड़कर शब्द तथा शब्द जोड़कर वाक्य बनाए । एक लकड़ी के फ्रेम में इन वाक्यों को जोड़कर रखा गया । इस तरह से एक पृष्ठ तैयार हो जाता था। इन टाइप के अक्षरों पर स्याही लगाकर उस फ्रेम को कागज पर उल्टा हाथ से दबा कर रख दिया जाता था । इस तरह से एक-एक करके पृष्ठ बनाए जाते थे। इस तरह से धीरे-धीरे पृष्ठों को जोड़कर पुस्तक तैयार की जाती थी ।
15. ब्रेल क्या है ? यह लिपि किसने तैयार की थी ?
उत्तर – पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं, परंतु जिनकी आँखें नहीं होती हैं, उनके लिए पढ़ पाना मुश्किल था। अब दृष्टिहीन व्यक्ति भी पढ़ और लिख सकते थे। दृष्टिहीनों के लिए विशेष रूप से बनाई गई पुस्तकें ब्रेल लिपि में लिखी जाती हैं । लुई ब्रेल नामक व्यक्ति ने इस लिपि का विकास किया था। इस लिपि के अक्षर कागज पर डॉटस द्वारा उकेर कर अंकित किए जाते हैं। दृष्टिहीन व्यक्ति अपनी उँगलियों से छूकर इन वाक्यों को पढ़ सकता है। ट्रेनिंग और अनुभव के आधार पर वे तेज गति से पढ़ लेते हैं। इससे दृष्टिहीन बच्चे भी साधारण बच्चों के साथ प्रतियोगिता कर सकते हैं
16. कुछ इतिहासकार ऐसा क्यों मानते हैं कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रांति के लिए जमीन तैयार की ?
उत्तर – (क) छपाई के ज्ञानोदय से बॉल्टेयर और रूसी जैसे चिंतकों विचारों का प्रसार हुआ ।
(ख) उन्होंने परम्परा, अंधविश्वास और निरंकुशवाद की आलोचना की। उन्होंने तार्किकता का प्रचार-प्रसार किया। इसने लोगों को राजशाही के विद्रोह हेतु प्रेरित किया ।
(ग) मुद्रण के सारे पुराने मूल्यों, संस्थाओं और कायदों पर आम जनता के बीच तथा धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श का मार्ग प्रशस्त किया।
(घ) कार्टूनों और कैरिकेचरों (व्यंग्य चित्रों) में यह भाव उभरता था कि जनता तो मुश्किल में फँसी है जबकि राजशाही भोग-विलास में डूबी हुई है। इसने क्रांति की ज्वाला भी भड़कायी ।
17. छपाई से विरोधी विचारों के प्रसार को किस तरह बल मिलता था ? संक्षेप में लिखें ।
उत्तर – (क) छापेखाने से विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार और बहस मुबाहिसे के द्वार खुले । स्थापित सत्ता के विचारों से असहमत होने वाले लोग भी अब अपने विचारों को छापकर फैला सकते थे।
(ख) अगर छपे हुए और पढ़े जा रहे पर कोई नियंत्रण न होगा तो लोगों में बागी और अधार्मिक विचार पनपने लगते हैं ।
(ग) मार्टिन लूथर ने रोमन कैथलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी पन्चानबे स्थापनाएँ लिखीं। चर्च को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी गयी थी। इसके नतीजे में चर्च में विभाजन हो गया ।
(घ) छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। इटली के एक किसान मेनोकियो ने ईश्वर और हो सृष्टि के बारे में ऐसे विचार बनाये कि रोमन कैथोलिक चर्च उससे क्रुद्ध गया।
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