NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 8 उपन्यास, समाज और इतिहास (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
NCERT Solutions Class 10Th Social Science Chapter – 8 उपन्यास, समाज और इतिहास (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -2)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उपन्यास, समाज और इतिहास
1. उपन्यास किसे कहते हैं ?
उत्तर – उपन्यास साहित्य का वह भाग है जिसमें कहानी
के साथ कुछ बातों के विषय में प्राणी सोचने पर मजबूर हो जाता है। इसका आधुनिक सोचे के ढर्रे से काफी निकट का सम्बन्ध है।
2. उपन्यास की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर – यह भारतीय यूरोपीय सम्बन्धों का महत्त्वपूर्ण नतीजा है
3. किस आविष्कार ने उपन्यास को लोकप्रिय बनाया ?
उत्तर – छापेखाने या मुद्रण संस्कृति ने ।
4. पामेला उपन्यास का लेखक कौन था ?
उत्तर – रिचर्डसन ।
5. चार्ल्स डिकन्स के दो उपन्यासों के नाम लिखें।
उत्तर – हार्ड टाइम्स और ओलिवर ट्विस्ट |
6. बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा किस तरह के उपन्यास लिखे जाते थे ?
उत्तर – बंकिमचन्द्र चटर्जी एक बंगला उपन्यासकार थे, उन्होंने अधिकतर ऐतिहासिक उपन्यास लिखे।
7. आनंद मठ किस बात के लिए जाना जाता है ?
उत्तर – आनंद मठ अपने राष्ट्रवादी ओजपूर्ण गीत ‘बंदेमातरम’ के लिए प्रसिद्ध है।
8. मुंशी प्रेमचंद किस बात के लिए जाने जाते थे ?
उत्तर – मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कहानीकार थे। उनके उपन्यासों में भारतीय ग्रामीण जीवन की झलक मिलती है।
9. डैनियल डेफो का कौन-सा उपन्यास बहुत प्रसिद्ध है।
उत्तर – राबिंसन क्रूसो ।
10. एक ऐसे उपन्यासकार का नाम लिखें जिसने उपनिवेशवाद के विरोध में लिखा है ?
उत्तर – जोसफ कानरैड ।
11. भारत के सबसे प्राचीन उपन्यास किस भाषा में है ?
उत्तर – बंगाली और मराठी भाषाओं में ।
12. मराठी भाषा का सबसे पहला उपन्यास कौन-सा है ?
उत्तर – बाबा पद्मणजी द्वारा लिखित ‘यमुना’ ।
13. कौन-सा उपन्यास मलयालम का पहला आधुनिक उपन्यास माना जाता है ?
उत्तर – इंदुलेखा ।
14. तेलुगू उपन्यास ‘राजशेखर चरितमू’, जो 1878 को लिखा गया उसके लेखक कौन थे ?
उत्तर – काण्डुकुरी विरेशलिंगम ।
15. हिन्दी के पहले उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ के लिखने का श्रेय किसे जाता है ?
उत्तर – दिल्ली के श्रीनिवास दास को जिन्होंने यह उपन्यास 1882 ई० को लिखा ।
16. हिन्दी साहित्य का सबसे प्रसिद्ध उपन्यासकार किसको माना जाता है ?
उत्तर – मुंशी प्रेमचन्द को ।
17. मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखे गए प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम लिखें।
उत्तर – सेवासदन, गोदान, शतरंज के खिलाड़ी, निर्मला आदि ।
18. बंगाली भाषा का सबसे प्रसिद्ध उपन्यासकार कौन माना जाता है ?
उत्तर – शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ।
19. सरस्वतीविजयम के लेखक कौन थे ?
उत्तर – पौथेरी कुंजाम्बु ।
20. बैकोम मुहम्मद बशीर कौन था ?
उत्तर – वह मलयालम भाषा का एक प्रसिद्ध उपन्यासकार था ।
21. आनंद मठ के लेखक कौन थे ?
उत्तर – बंकिमचन्द्र, जिनके इस उपन्यास ने अनेक देशभक्तों को देश की स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया।
22. महाश्वेता देवी किसलिए प्रसिद्ध थी ?
उत्तर – महाश्वेता देवी अपने उपन्यासों और लघु कहानियों में भारतीय आदिवासी जीवन और संस्कृति को प्रदर्शित करती है।
23. मुल्कराज आनंद और आर० के० नारायण की प्रसिद्ध रचनाओं के नाम लिखें।
उत्तर – मुल्कराज आनंद की रचना है ‘अनटचेबल’ तथा आर० के नारायण की रचना है ‘स्वामी एण्ड फ्रेंडस’ ।
24. उपन्यास शीघ्र ही क्यों लोकप्रिय हो गया ?
उत्तर – उपन्यास में विभिन्न पाठक-वर्ग को अपनी-अपनी रूचि के अनुसार मसाला मिल गया। ज्यों-ज्यों पाठक कहानी में घुसते चले गए उनका काल्पनिक किरदारों से रिश्ता बनता चला गया। उन्हें उपन्यास में अपने जीवन की ही झलक नजर आने लगी ।
25. जर्मिनल नावल का लेखक कौन है ? इसकी कहानी का मुख्य विषय क्या है ?
उत्तर – जर्मिनल नामक उपन्यास का लेखक ऐमिली जोला है जिसने 19 वीं शताब्दी के अन्त में फ्रांस के खदान मजदूरों की शोचनीय व्यवस्था का बड़ा मार्मिक चित्रण उपस्थित किया है ।
26. महिला उपन्यासकार शारलॉट ब्राण्ट के उपन्यास आयर का मुख्य विषय क्या है ?
उत्तर – इसमें महिला उपन्यासकार ने जेन नामक युवती को आजाद विचारों वाली और दृढ़ व्यक्तित्व वाली दिखाया है जो समाज की स्थापित मान्यताओं को नहीं मानती। 10 वर्ष की होने पर भी वह बड़ों के पाखण्ड का मुँहतोड़ जवाब देकर सबको चौंका देती है ।
27. देवकीनन्दन खत्री के उपन्यास चन्द्रकांता का क्या महत्व है ?
उत्तर – (क) इस उपन्यास ने उस समय के शिक्षित वर्ग में हिन्दी भाषा और नागरी लिपि को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(ख) इस उपन्यास को लोगों ने बड़ा पसन्द किया क्योंकि इसमें रोमांस और स्वप्नों का बड़ा सुन्दर ताना-बाना बुना हुआ है।
28. 20 वीं सदी में थॉमस हार्डी ने किस विषय में लिखा ?
उत्तर – थॉमस हार्डी ने साम्राज्य निर्माण की सच्चाईयों तथा युद्ध का जनसाधारण पर प्रभाव ।
29. भारत में आधुनिक उपन्यास का विकास कब हुआ ? इसके विकास में किन कारकों का हाथ रहा ?
उत्तर – भारत में आधुनिक उपन्यास का विकास 19 वीं शताब्दी में हुआ। इसके विकास ने अनेक कारकों का योगदान रहा, जैसे भारतीय भाषाओं, छपाई, पाठक वर्ग का विशाल होना तथा पश्चिमी उपन्यासों से भारतीयों का परिचय |
30. 19 वीं और 20 वीं सदी के कुछ महिला उपन्यासकारों के नाम उनकी कृतियों सहित लिखें।
उत्तर – (क) सुल्ताना का स्वप्न नामक उपन्यास की रचयिता रोकैया हुसैन ।
(ख) करुणा और फलमनीर विवरण की लेखिका हाना मूलेन्स ।
(ग) शैलबाल घोष ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उपन्यास, समाज और इतिहास
1. ब्रिटेन में आए सामाजिक बदलावों से पाठिकाओं की संख्या में इजाफा हुआ। व्याख्या करें ।
उत्तर – महिलाओं को और अधिक आराम मिल गया कि वे उपन्यास पढ़ और लिख सके। उपन्यासों में महिलाओं के संवेगों, पहचान, उनके अनुभवों और समस्याओं का वर्णन किया गया।
बहुत से उपन्यासों में घरेलू जीवन से सम्बन्धित क्रियाकलापों का वर्णन था, जिनके बारे में महिलाएँ बोल सकती थीं। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर पारिवारिक जीवन के विषय में लिखा ।
2. राबिंसन क्रूसो के कौन-से कृत हैं जिसके कारण वह हमें ठेठ उपनिवेशकार दिखाई देने लगता है। व्याख्या करें ।
उत्तर – (क) इस उपन्यास का नायक एक साहसी यात्री है।
(ख) इस उपन्यास में उपनिवेशवाद के अच्छे पहलु को दिखाया गया है।
(ग) राबिंसन क्रूसो एक दास व्यापारी है । वह गैर-गोरे लोगों को बराबर का इंसान नहीं बल्कि हीनतर जीव मानता है । वह उपनिवेशवाद को एक सहज और कुदरती परिघटना मानता है।
3. 1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे। व्याख्या करें ।
उत्तर – साहित्य के जितने भी किस्से हैं उन सबमें उपन्यास आम लोगों एवं जनसाधारण के साथ अधिक जुड़ा हुआ है । वह जनसाधारण की भाषा का प्रयोग करता है। वह बड़े-बड़े राजवंशों के उतार-चढ़ाव के साथ इतना नहीं जुड़ा होता जितना वह जनसाधारण के साथ जुड़ा होता है। विशेष 1740 के बाद मजदूरों और कामगारों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बेकार लोग काम और नौकरी के छिन जाने के पश्चात् शहरों की गलियों में घूमने लगे। चार्ल्स डिकन्स ने जब अपने नावलों में विशेषकर हाई टाइम्स में जनसाधारण के मजदूर वर्ग की कठिनाइयों के विषय में लिखा तो 1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।
4. औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनैतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे। व्याख्या करें ।
उत्तर – औपनिवेशिक काल के शासकों ने पाया कि वर्नाकुलर भाषाओं के उपन्यास सूचना प्राप्त करने के प्रमुख स्रोत हैं। इससे जहाँ स्थानीय जीवन, रीति-रिवाज, जातीय व्यवस्था, धर्म आदि की जानकारी मिलती है, वहीं प्रशासकों का मार्ग सुगम हो जाता है। क्योंकि भारतीय समाज पर शासन करने का अर्थ है, इसके विभिन्न समुदायों और जातियों की लगाम हाथ में लेना । बाहर से आने के कारण वे भारतीय जीवन के बारे में जरा भी ज्ञान नहीं रखते थे। भारतीय भाषाओं के नए उपन्यासों में घरेलू जीवन का वर्णन होता था। उनमें दिखाया गया था कि उनका पहनावा कैसा था ? वे कैसे पूजा-अर्चना करते थे ? वे किन-किन मत-मतांतरों में विश्वास रखते थे ? इनमें से कई पुस्तकों का अनुवाद अंग्रेजी में किया गया । यह कार्य ब्रिटिश प्रशासक या इकाई मिशनरियाँ करवाती थीं ।
5. तकनीक और समाज में आए उन बदलावों के बारे में बताएँ जिनके चलते अठारहवीं सदी के यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई ।
उत्तर – विश्व के अन्य देशों की तरह भारत के भी मध्यमवर्ग का प्रसिद्ध मनोरंजन का साधन उपन्यास थे। छपी हुई पुस्तकों के प्रसारण के कारण लोगों ने नए तरीकों से मन बदलाव आरंभ कर दिया। चित्रमय पुस्तकें, अन्य भाषाओं में अनुवाद, प्रसिद्ध गाने जो कभी-कभी तत्कालीन घटनाओं पर लिखे जाते थे, समाचार पत्रों में प्रकाशित कहानियाँ तथा पत्र-पत्रिकाएँ, ये सब मनोरंजन के नवीन साधन थे। प्रिंट संस्कृति के प्रभाव से उपन्यास शीघ्र ही पूर्णतः प्रसिद्ध हो गए ।
6. जेन ऑस्टिन द्वारा औरतों का चित्रण पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – ब्रिटेन में 19 वीं सदी के प्रारंभ में जेन एस्टीन के उपन्यासों में ग्रामीण महिलाओं की झलक दिखाई देती है। वे हमें सोचने के लिए विवश करती है कि समाज औरत को बढ़ावा देता है कि वह अच्छी शादी की कामना करे तथा अमीर पति की तलाश करे, जिसके पास धन या सम्पत्ति हो । जेन एस्टीन के प्राईड और प्रैजुडिस का पहला वाक्य है, “यह एक अटल सत्य है कि अकेला आदमी जिसका भाग्य अच्छा है, उसे एक पत्नी की जरूरत होती है ।” इस सर्वेक्षण से स्पष्ट होता है कि सक्षम व्यक्ति विवाह और पैसा एक साथ देखता है ।
7. उड़िया उपन्यास पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – उड़िया उपन्यास- 1877-78 में रामशंकर राय ने ‘सौदामिनी’ नाम से पहले उड़िया उपन्यास का धारावाहिक प्रकाशन शुरू किया परन्तु अनेक कारणों से वह अपने प्रयास को पूरा न कर सके। कोई 30 वर्ष पश्चात् उड़िया में भाषा का एक महानतम उपन्यासकार फकीर मोहन सेनापति के नाम से उभरा । उनका ‘छ: माणों आंठोगुंटी’ नामक उपन्यास बहुत प्रसिद्ध है। इस उपन्यास की कथा जमीन और उस पर हक के प्रश्न पर जुड़ी हुई थी । इस उपन्यास की कहानी एक लालची जमींदार रामचन्द्र मगराज से सम्बन्धित है जो एक ओर अपने शराबी मालिक को ठगता है वरन् वह एक निःसंतान पति-पत्नी की जमीन को हथियाने की कुचेष्टा करता है। जमीन के मसले का इतनी गहराई से विवरण दिया गया है कि पाठक अपने-आप को भी भूल जाता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि यह उपन्यास उड़िया भाषा में मील का पत्थर साबित हुआ ।
8. उपन्यास परीक्षा-गुरु में दर्शायी गई एक मध्यवर्ग की तस्वीर पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – इस उपन्यास में सम्पन्न परिवारों के युवकों को बुरी संगति के खतरों से आगाह किया गया है। इस उपन्यास में नव-निर्मित मध्य वर्ग के आन्तरिक तथा बाह्य दुनिया का पता चलता है। यह उपन्यास युवकों को जीने के ठीक तरीके बताता है। विवेकवान वह पुरुष है जो अपनी संस्कृति से जुड़ा रहकर आदर और गरिमा का जीवन व्यतीत करता है ।
9. 19 वीं शताब्दी में भारतीय उपन्यासकारों का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर – 19 वीं शताब्दी के अग्रणी उपन्यासकारों ने किसी न किसी उद्देश्य को सामने रखकर उपन्यास लिखें –
(क) उन्होंने अपने उपन्यासों में इस बात का खण्डन किया कि भारतीय संस्कृति किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादी शासकों की संस्कृति से कमतर है ।
(ख) उन्होंने लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयत्न किया ।
(ग) उन्होंने इस विचार से भी लिखा कि भारतीय साहित्य का विकास हो सके।
10. शुरूआती हिन्दी उपन्यास की अहम् विशेषताओं के बारे में लिखें।
उत्तर – शुरूआती हिन्दी उपन्यास की अहम् विशेषता
(क) दूसरी भाषाओं के उपन्यासों का या तो हिन्दी में पुनर्रचना की गयी या उनका अनुवाद किया गया ।
(ख) शुरूआती हिन्दी उपन्यास असफल साबित हुए क्योंकि उनमें बहुत अधिक नैतिकता की बातें कही गयी थी।
(ग) उस समय के शिक्षित तबकों में हिन्दी भाषा और गरी लिपि को लोकप्रिय बनाने में अहम् भूमिका निभायी।
(घ) प्रेमचन्द के लेखन के साथ ही हिन्दी उपन्यास में उत्कृष्टता आयी ।
11. मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यास सेवासदन की पटकथा क्या है ? इस उपन्यास का क्या महत्व है ?
उत्तर – इस उपन्यास में महिलाओं की दुरावस्था का बड़ा मार्मिक चित्रण किया गया है और इसके साथ बाल-विवाह और दहेज प्रथा के सामाजिक मसले उठाए गए हैं।
बहुत से आलोचकों का ऐसा मानना है कि इस उपन्यास ने हिन्दी उपन्यास को मनोरंजन और उपदेश के दायरे से उठाकर आम लोगों की जिन्दगी और सामाजिक सरोकारों से जोड़ दिया है ।
12. उपन्यास की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ लिखें।
उत्तर – (क) उपन्यास जनसाधारण या आम लोगों की भाषा का प्रयोग करता है।
(ख) उपन्यास में ऐसे चरित्रों और ऐसी परिस्थितियों का विवरण होता है जिनसे पाठकगण एकदम जुड़ से जाते हैं और वे उपन्यास में अपनी ही कहानी की अभिव्यक्ति को देखते हैं ।
(ग) उपन्यास देश की विविध भाषाओं और समुदायों में निकटता बनाकर एक राष्ट्र की सांझी दुनिया को रचता है।
13. महिलाओं को उपन्यासों से जुड़ने से रोकने का प्रयास क्यों किया गया ?
अथवा, 19 वीं सदी के यूरोप और भारत में उपन्यास पढ़ने वाली औरतों के बारे में जो चिंता पैदा हुई उसे संक्षेप में लिखें । इन चिंताओं से इस बारे में क्या पता चलता है कि उस समय औरतों को किस तरह देखा जाता था ?
उत्तर – 19 वीं सदी में यूरोप तथा भारत में महिलाओं द्वारा उपन्यास पढ़ने को लेकर समाज में व्यापक और गंभीर चिंता का वातावरण उत्पन्न हुआ । मूल रूप से यह चिंता महिलाओं की जागरूकता के प्रति थी । निम्नांकित कारणों से महिलाओं को उपन्यासों से जुड़ने से रोकने का प्रयास किया गया –
(i) लोगों का मानना था कि उपन्यासों से महिलाओं पर नैतिक दुष्प्रभाव पढ़ सकता है।
(ii) कुछ लोग समझते थे कि उपन्यासों के द्वारा महिलाओं को आसानी से बहकाया जा सकता है।
(iii) महिलाओं के उपन्यासों से जुड़ने के परिणामस्वरूप घरेलू जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है।
(iv) महिलाओं में उपन्यासों के माध्यम से आ रही जागरूकता को हतोत्साहित करना भी महिलाओं को उपन्यासों से जुड़ने से रोकने का एक महत्त्वपूर्ण कारण था ।
इन चिंताओं से यह स्पष्ट है कि तत्कालीन समाज में महिलाओं को पुरुषों के अधीन माना जाता था । वे पढ़-लिख नहीं सकती थीं, अपने प्राकृतिक अधिकारों का दावा नहीं कर सकती थी तथा उनके लिए सर्वाधिक सुरक्षित जगह घर की चारदीवारी थी ।
14. पत्रात्मक एवं धारावाहिक उपन्यास का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर – पत्रात्मक उपन्यास- पत्रों की श्रृंखला के रूप में लिखा हुआ। इसके लेखक सैमुएल रिचर्डसन के उपन्यास पामेला में पूरी कहानी प्रेमियों के आपसी खतों के जरिए कही गई है।
धारावाहिक उपन्यास – ऐसी पद्धति जिसमें कहानी को किस्तों में छापा जाता है । हर किस्त पत्रिका या अखबार के अगले अंक में छपती है । इसके लेखक चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास पिकविक पेपर्स का 1836 में एक पत्रिका में धारावाहिक के रूप में छपना एक महत्त्वपूर्ण घटना थी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उपन्यास, समाज और इतिहास
1. उन्नीसवीं सदी के ब्रिटेन में आए ऐसे सामाजिक बदलावों की चर्चा करें जिनके बारे में चार्ल्स डिकेन्स ने लिखा है ।
अथवा, एक उपन्यासकार के रूप में चार्ल्स डिकन्स का मूल्यांकन करें।
उत्तर – चार्ल्स डिकेन्स- चार्ल्स डिकेन्स (1812-1870) अंग्रेजी साहित्य के महान लेखक माने जाते हैं। उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास आज भी बड़ी उत्सुकता और प्रेम से पढ़े जाते हैं। हार्ड टाइम्स और ओलिवर ट्विस्ट उनके कुछ महान उपन्यास थे। हार्ड टाइम्स में चार्ल्स डिकेन्स औद्योगिक क्रांति के लोगों में जीवन और चरित्र पर पड़े विनाशकारी प्रभावों के विषय में जमकर लिखते हैं उनका उन मजदूरों और कामगारों का चित्रण कितना मार्मिक है जो बेकार होकर शहरों में गली-गली मारे-मारे फिरने लगे। उद्योगपतियों के केवल लाभ की लालसा का उन्होंने खूब खण्डन किया। ओलिवर ट्विस्ट में भी डिकेन्स ने औद्योगिक क्रांति के विनाशकारी प्रभावों को ही अपना निशाना बनाया ।
चार्ल्स डिकेन्स एक सर्व प्रतिभाशाली लेखक थे। उन्होंने अनेक अन्य उपन्यास भी लिखें जो एक से एक बढ़िया हैं ऐसे उपन्यासों में ‘पिक्विक पेपर्स’, ‘डेवडि कॉपरफील्ड’, ‘दी टेल आफ टू सीटीज’, ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स आदि उपन्यासों के नाम विशेषकर उल्लेखनीय हैं। इन सभी उपन्यासों ने चार्ल्स डिकेन्स को अंग्रेजी साहित्य का एक महान लेखक बना दिया। आकर्षक कहानी के साथ-साथ विभिन्न व्यक्तियों का चरित्र डिकेन्स की मुख्य विशेषताएँ हैं। वे कुछ ऐसे महान लेखक हैं जो अपने जीवन में ही मशहूर हो गए।
2. उन्नीसवीं सदी के ब्रिटेन में आए ऐसे कुछ सामाजिक बदलावों की चर्चा करें जिनके बारे में टॉमस हार्डी ने लिखा है ।
अथवा, एक उपन्यासकार के रूप में टॉमस हार्डी का मूल्यांकन करें ।
उत्तर – टॉमस हार्डी- इंग्लैंड का एक अन्य महान उपन्यासकार था। उसने अपने उपन्यासों में ग्रामीण समुदायों, उनकी खुशियों तथा उनकी कमियों के साथ जुड़ने का भाव पैदा किया ।
हार्डी एक सर्व प्रतिभाशाली लेखक था जिसने एक के बाद एक बड़े शानदार उपन्यासों का सृजन किया। उनके कुछ महत्त्वपूर्ण उपन्यास इस प्रकार हैं- ‘फार फ्रीम दी मड्डिग क्राउड’, ‘टैस’, ‘रिटर्न आफ दी नेटिव’, ‘मेयर आफ कैस्टरब्रिज’, ‘अण्डर दी ग्रीनवुड ट्रि’, ‘दी वुडलैंडर्स’ इत्यादि ।
हार्डी प्रकृति के महान पुजारी थे और उनके द्वारा वनों, नदियों, घाटियों, पहाड़ों का विवरण इतना मनमोहक है कि पाठक यह सोचने लगता है कि वह स्वयं प्रकृति की गोद में बैठा है।
हार्डी के उपन्यासों की पृष्ठभूमि ग्रामीण है जहाँ औद्योगीकरण और मशीनों का कोई बोलबाला नहीं। अपने एक उपन्यास ‘फार फ्रोम दी मेडिंग क्राउड’ में हार्डी स्पष्ट लिखते हैं- यदि लोग सच्ची शांति, वफादारी, आपसी प्रेम चाहते हैं और जीवन का मजा उठाना चाहते हैं तो उन्हें शहरी क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में पनाह लेनी चाहिए ।
हार्डी एक महान लेखक थे जो एक उपन्यासकार के अतिरिक्त एक उच्च कोटि के कवि भी थे। तभी तो उनके उपन्यासों में कविता का भी आनन्द आता है और आदमी खुशी से झूमने लगता है। 1900 के दशक में हार्डी अंग्रेजी साहित्य का सबसे चमकता हुआ सितारा बन चुके थे।
3. औपनिवेशिक भारत में उपन्यास किस तरह औपनिवेशकारों और राष्ट्रवादियों, दोनों के लिए लाभदायक था ?
उत्तर – इस बात में कोई भी अतिश्योक्ति नहीं कि उपन्यास दोनों औपनिवेशकारों और राष्ट्रवादियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ।
राष्ट्रवादियों के लिए उपन्यास की उपयोगिता – भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए उपन्यास बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ । उपन्यासकारों ने समाज की बुराइयों जैस
– सती प्रथा, बाल-विवाह, ऊँच-नीच, कन्या- वध, बहु-विवाह, तलाक, पर्दा प्रथा आदि को उजागर कर राष्ट्रवादियों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित करने एवं इन बुराइयों को दूर करने पर बल दिया। केवल यही नहीं उपन्यासकारों ने इन बुराइयों के सुझाव भी दिए जिनसे राष्ट्रवादियों को उनसे बहुत लाभ रहा।
उपन्यासकारों ने भारतीय संस्कृति का गुणगान करके यूरोपवासियों को यह बता दिया कि उनकी संस्कृति किसी भी प्रकार से यूरोपीय संस्कृति से पीछे नहीं है। इस प्रकार उन्होंने भारतीयों में सम्मान और आत्मबल की प्रवृतियों को उजागर कर विदेशियों से अपने देश को स्वतंत्र कराने के लिए प्रेरित किया ।
उपनिवेशकारों को उपन्यास से लाभ- ब्रिटिश साम्राज्यवादियों और उपनिवेशकारों को भी उपन्यास के प्रचलन से काफी लाभ रहा । उपन्यासों द्वारा उन्हें भारतीय जीवन और रीति-रिवाजों की जानकारी प्राप्त हुई । जो उन्हें प्रशासन चलाने में काफी उपयोगी सिद्ध हुई दूसरे भारतीय घरों के अन्दर क्या होता है यह उन्हें उपन्यास पढ़कर ही पता चला । लोगों के पहनावें, पूजा-पाठ, उनके विश्वासों और आचार-व्यवहार का ज्ञान उन्हें उपन्यास पढ़कर ही हुआ। जब इन उपन्यासों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा हुआ तो ब्रिटिश प्रशासकों को राज्य करने में और भी सहायता मिल गई ।
4. बताएँ कि भारतीय उपन्यासों में एक अखिल भारतीय जुड़ाव का अहसास पैदा करने के लिए किस तरह की कोशिशें की गईं।
अथवा, औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनैतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे ।
उत्तर – इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय उपन्यासकारों ने चाहें वे बंगाल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, केरल, उत्तर प्रदेश या किसी अन्य भाग में रहने वाले थे, उन्होंने उपन्यास कुछ उद्देश्य की पूर्ति के लिए लिखा, चाहे वे उद्देश्य राजनीतिक थे, धार्मिक थे या फिर सामाजिक थे। उनका एक ध्येय था जिसकी अभिव्यक्ति उन्होंने अपने उपन्यासों द्वारा करनी चाही। उनके मन में आक्रोश था जो उभर कर उपन्यास के रूप में सामने आया।
उन्होंने समाज के उपेक्षित वर्गों, अछूतों, गरीब किसानों, भूमिहीन मजदूरों और पिछड़े हुए वर्गों की उलझनों और समस्याओं को उजागर किया और उनका शोषण करने वाले जमींदारों, साहुकारों, सूदखोरों की अन्यायपूर्ण नीतियों का घोर खण्डन किया ।
उन्होंने अपने देशवासियों को चेतावनी दी कि वे अंग्रेजों की अन्धाधुन्ध नकल न करें और अपने देश की परम्पराओं से जुड़े रहें। नए विचार लेने में कोई आपत्ति नहीं परन्तु वह उनके मौलिक विचारों और मान्यताओं के विरुद्ध नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर दिल्ली के श्रीनिवास दास ने अपने उपन्यास परीक्षा गुरु में स्पष्ट रूप से यह लिखा- “उपन्यास हर विवेकवान इंसान से यह उम्मीद करता है कि वह समाज चतुर और व्यवहारिक बने पर साथ ही अपनी संस्कृति और परम्परा में जमे रहकर आदर और गरिमा का जीवन जिए ।”
बहुत से उपन्यासकारों ने राजपूतों और मराठों के इतिहास का सहारा लेकर लोगों में अखिल भारतीयता का एहसास पैदा किया । उदाहरण के तौर पर भूदेब मुखोपाध्याय ने अपने ऐतिहासिक उपन्यास अंगुरिया बिनिमाय में शिवाजी और औरंगजेब का उदाहरण देकर लोगों से साहस, वीरता, और आजादी के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित किया ।
बहुत से उपन्यासकारों ने विदेशी साम्राज्यवाद का मुकाबला करने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘आनन्द मठ’ में ऐसे देशभक्ति के विचारों का आभास मिलता है ।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बहुत से भारतीय उपन्यासकारों ने अपने उपन्यास में अखिल भारतीय जुड़ाव का एहसास पैदा किया और विदेशी साम्राज्यवाद का विरोध करके उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वे राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे हैं।
5. मुंशी प्रेमचन्द का हिन्दी साहित्य में क्या स्थान है ?
उत्तर – मुंशी प्रेमचन्द (1880-1936 )- मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक थे। उन्होंने कोई 300 के लगभग कहानियाँ, एक दर्जन के लगभग उपन्यास और दो नाटक भी लिखे ।
उपन्यास के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं था। उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों में गोदान, रंगभूमि, निर्मला, सेवासदन और मजदूर आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।
अपने उपन्यासों में उन्होंने जिन व्यक्तियों का चित्रण किया है, वे इतने करीब लगते हैं मानो कि वे हमारे आस-पास घूम रहे हों। उनके नायक और नायिकाएँ समाज के सभी वर्गों से संबंधित हैं। उनके अपने गुण और अवगुण हैं, उनकी अपनी-अपनी आदते हैं, विचार हैं, खुशियाँ और गमियाँ हैं। उनके नायकों से आप प्यार करने लगेंगे और खलनायकों से उतनी ही घृणा । आप कहीं पर नवाबजादों से मिलते हैं, कही जमींदारों से तो कभी किसानों से, कभी पंडितों से तो कहीं मौलवियों से। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि उन्होंने समाज के किसी भी वर्ग य किसी भी व्यवसायी को नहीं छोड़ा। जिसका चित्रण उन्होंने न किया हो। उनके रंगभूमि के उपन्यास का नायक एक गरीब आदमी है जो निचली जाति से संबंध रखता है उसे संघर्ष करते हुए दिखाया गया जब उसके खेत को जबर्दस्ती उससे छीना जा रहा था ताकि वहाँ तम्बाकू की एक फैक्ट्री लगाई जा सके। उसके मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं परन्तु वह रंगभूमि में एक सिपाही की तरह लगता है और अंत में विजय उसी की होती है। वास्तव में हार्डी की भांति मुंशी प्रेमचन्द भी इस उपन्यास में औद्योगिक क्रांति के कुछ तारीक पहलुओं को दिखाने का प्रयत्न करते हैं ।
अपने एक अन्य उपन्यास ‘गोदान’ में मुंशी प्रेमचन्द एक किसान जोड़े होरी और उसकी पत्नी धुनिया को दिखाते हैं जो सभी प्रकार के शोषण का डटकर सामना करते हैं, चाहे वे जमींदार थे, सूदखोर थे, धार्मिक पुजारी थे या फिर साम्राज्यवादी अधिकारी थे। परन्तु अंत में विजय इस किसान जोड़े की ही होती है और वे अंत तक अपना सम्मान बनाए रखने में सफल रहते हैं।
6. बताएँ कि किस तरह से भारत में उपन्यासों में जातिवाद को मिलाया गया है । दो उपन्यासों को संदर्भ देते हुए स्पष्ट करें कि वे पाठकों के लिए किस तरह से कहते हैं कि वर्तमान सामाजिक ढाँचे की समस्याओं का हल निकल सकें ।
उत्तर – पोथेरी कुंजाम्बू जो केरल का एक निम्न वर्गीय लेखक था। उसने एक उपन्यास लिखा- सरस्वती विजयम (1892) यह जातीय दमन पर गहरा कटाक्ष था । इस उपन्यास में एक युवा व्यक्ति को दिखाया गया है। जो निम्न वर्ग का है। अपने गाँव के ब्राह्मण जमींदार की यातनाओं के भय से वह गाँव छोड़ कर भाग गया। उसने धर्म परिवर्तन करके इसाई धर्म अपना लिया । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वह एक जज के रूप में स्थानीय कोर्ट में नियुक्त हुआ । उसी दौरान गाँव के लोग समझने लगे कि जमींदार के आदमियों ने उसकी हत्या कर दी है। अतः उन्होंने जमींदार के विरुद्ध मुकदमा दायर करवा दिया। अंततः ट्रायल के दौरान, जज ने अपनी असली पहचान बतलाई । नाम्बूदरी को अपने किए पर पछतावा हुआ और उसने अपने आप को सुधारने का प्रयास किया। सरस्वती विजयम् शिक्षा के महत्व पर जोर देता है। जिसके द्वारा निम्न वर्ग का उद्धार हो सकता है। 1920 से बंगाल में भी एक नए तरह का उपन्यास उभरकर सामने आया, जिसमें किसानों और निम्न जातियों को दर्शाया गया है। अदैत्य मल्ला बर्मन का उपन्यास (1914-1951) “टिताश ऐकता नादीद नाम” (1856) एक मल्लाहों की पुराण कथा है। यह एक मछुआरों की ऐसी जाति है जो मछली पकड़ने के लिए टिताश नदी के किनारे रहती है। यह उपन्यास मल्लाहों की तीन पीढ़ियों पर है जिनपर एक के बाद एक संकट के बादल मंडराने लगे थे।
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