NCERT Solutions Class 9Th Hindi Chapter – 3 पत्र-लेखन/संवाद-लेखन
NCERT Solutions Class 9Th Hindi Chapter – 3 पत्र-लेखन/संवाद-लेखन
पत्र-लेखन
अनौपचारिक पत्र
1. विद्यालय में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने पर अपने छोटे भाई को एक बधाई-पत्र लिखें।
एच०बी०रोड
राँची
20 अप्रैल, 2013
प्रिय अनुज
आयुष्मान् भव ।
बहुत-बहुत बधाई हो। मुझे अभी-अभी तुम्हारे मित्र श्याम का टेलीफोन संदेश मिला है। पता चला कि तुमने इस वर्ष नवम कक्षा में अपने विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। अगले वर्ष तुम्हारी बोर्ड की परीक्षा होनी है। आशा है, उसमें भी तुम अपने माता-पिता का नाम रौशन करोगे।
अनुज, मुझे इस समाचार से बहुत प्रसन्नता हुई है। मन में इतनी खुशी हुई कि सारे जरूरी काम छोड़कर तुम्हें बधाई पत्र लिख रहा हूँ। मेरी ओर से हार्दिक बधाई । ईश्वर करे तुम दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की करो। मम्मी-पापा तुम्हें आशीर्वाद भेज रहे हैं ।
पुनः बधाई के साथ |
तुम्हारा अग्रज
दीपक
2. मित्र को परीक्षा में असफल रहने पर सांत्वना पत्र लिखें।
राँची
10 जून, 2013
प्रिय रजनीश,
तुम्हारा पत्र मिला, पढ़कर अत्यंत दुख हुआ कि तुम अपनी वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुए। सभी मित्रों, रिश्तेदारों एवं सहपाठियों को तुम्हारे असफल रहने का कारण ज्ञात है परीक्षा से लगभग एक माह पूर्व तुम्हारे पिताजी बीमार हो गए और उनकी सेवा में तुमने अपना पूरा जीवन झोंक दिया। दिन-रात परिश्रम एवं भाग-दौड़ करके जिस प्रकार तुमने अपने पिताजी को मौत के मुँह से बचाया है, वह एक अनूठा उदाहरण है। इसी कारण तुम अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके । मित्र जीवन में सुख-दुःख सफलता-असफलता तो आती ही रहती है। मनुष्य का कर्त्तव्य है कि हर परिस्थिति में डटा रहे तथा आगे बढ़ता रहे। तुम अत्यंत मेधावी एवं परिश्रमी छात्र हो, इसलिए तुम्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस वर्ष तुम अधिक परिश्रम करके विद्यालय में सबसे अधिक अंक लाकर ये प्रमाणित करोगे कि • परिश्रम का फल मीठा होता है।
अतः मैं प्रार्थना करता हूँ कि असफल रहने की बात को मस्तिष्क से निकालकर दिन-रात परिश्रम करो और अच्छे अंक लेकर जीवन में प्रतिष्ठा स्थापित
करो ।
तुम्हारा मित्र,
कखग ।
3. अपने भाई के विवाह में शामिल होने के लिए मित्र को पत्र लिखें।
कोकर, राँची
4 मार्च, 2013
प्रिय मित्र विक्की,
तुम्हें यह सूचना देते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि मेरे भाई का विवाह 7 जून, 2013 को होना निश्चित हुआ है। बारात कोकर से रातु रोड़ (राँची) जाएगी। तुम 6 जून तक अवश्य यहाँ पहुँच जाना। उन दिनों विद्यालय में भी अवकाश रहेगा। अतः तुम्हें माता-पिता से अनुमति लेने में भी असुविधा नहीं होगी। अपने आगमन की तिथि के विषय में पत्र द्वारा सूचना अवश्य देना। चाचाजी एवं चाचीजी को सादर चरण-स्पर्श तथा अंशु को स्नेह |
तुम्हारा अमिन्न मित्र
संजय
4. आपने गर्मी की छुट्टी कैसे बिताई अपने मित्र को पत्र लिखें।
राँची
05.04.2013
प्रिय संतोष,
तुम्हारा पत्र बहुत दिनों से नहीं मिला। प्रतीक्षा करते-करते तुमको पत्र लिखने बैठ गया। गर्मियों में मैं यहाँ घर पर नहीं रहा। गर्मी की छुट्टी बिताने मैं मेघालय की राजधानी शिलांग चला गया था। मेरे मौसाजी वहीं रहते हैं। शिलांग घूमने के लिए मैं अकेले नहीं जा सकता था। पापा और मम्मी भी साथ थे।
हमलोग शिलांग के लिए पाँच जून को रवाना हुए और गुवाहाटी पहुँच गए रेल से ही । वहाँ से बस से शिलांग जाना पड़ता है। ठंढी जगह होने के कारण गर्म कपड़े की भी थोड़ी जरूरत पड़ती है। जून में भी रातें ठंढी होती है। यह एक ‘हिल स्टेशन’ है। इसे “पूर्व का स्वीट्जरलैंड” भी कहा जाता है।
हमलोग बस से पुलिस बाजार पहुँचे। मेरे मौसा हमलोगों को लेने आये थे। हमलोग टैक्सी से मार्टिन नगर, जिसे अब लोग मोतीनगर कहते हैं, पहुँच गये। मकान पर टिन की छत थी। लेकिन नीचे लकड़ी की सतह थी । यहाँ अनेक झरने हैं और घर के पास ही पानी के सोते बहते हैं। यहाँ खासी जाति के पहाड़ी लोग रहते हैं। ये अहिंसक स्वभाव के सीधे-सादे लोग होते हैं। मिठाइयों की दूकानें बिहार के यादवों की ही हैं । दो-तीन बजे के बाद ही यहाँ साँझ आ जाती है, दिन ढलने लगता हैं मैंने दूसरे दिन से घूमना शुरू कर किया। एक दिन चेरापूँजी भी गया । पोलो मैदान में जुआ का खेल, लॉटरी के रूप में होता है। सभी लोग लॉटरी का टिकट खरीदते हैं । यहाँ इसका नशा सब पर छाया रहता है। यह एक मनोरंजक स्थान है। यहाँ मन बहलाने के अनेक साधन हैं। सारी छुट्टी मजे में कट गयी। लौटने पर अबतक शिलांग की याद नहीं भुला पाया हूँ । स्वस्थ होकर लौटा हूँ। आशा है, तुम सभी सकुशल होगे । बस |
पता –
तुम्हारा ही,
मंसा
5. अपने पिता के पास एक पत्र लिखकर पुस्तक खरीदने हेतु दो सौ रुपए की माँग करें ।
राँची
18 मार्च, 2013
पूज्यवर पिताजी,
सादर प्रणाम,
मुझे आपका पत्र अभी-अभी मिला है। आपने मुझे अपना समाचार लिखने को कहा है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि मैं सकुशल हूँ। मैं आपसे कहना चाहूँगा कि मुझे कुछ किताब की कमी के कारण पढ़ाई में कठिनाई का अनुभव हो रहा है। क्या आप कृपा करके मुझे दो सौ रुपए किताब खरीदने हेतु भेज देंगे। आप शीघ्र मनी ऑडर द्वारा दो सौ रुपए भेज दें ताकि मैं पुस्तकें खरीद सकूँ और अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रखूँ ।
बड़े लोगों को मेरा प्रणाम तथा छोटों को आर्शीवाद ।
आपका पुत्र
मनीष
6. पिता को लिखा गया पत्र, जिसमें परीक्षा की तैयारी का वर्णन हो ।
महाजनटोली, राँची
15.4.2013
पूज्यवर पिताजी,
सादर प्रणाम,
कई दिन पहले आपका पत्र मिला था । पत्रोत्तर देने में विलंब हुआ । क्षमा करेंगे।
अगले सप्ताह मेरी वार्षिक परीक्षा प्रारंभ हो रही है। मैंने तैयारी अपनी सीमा में पूरी कर ली है। यदि आपका आशीर्वाद साथ रहा, तो इस वर्ष प्रथम श्रेणी मिल जाएगी। मैंने सभी विषयों के निजी नोट बना लिये हैं और उन्हें याद करने की कोशिश कर रहा हूँ। अँग्रेजी में थोड़ी कठिनाई है। परिश्रम कर रहा हूँ। देखें, परीक्षा हो जाने पर कैसा फल मिलता है ।
पप्पू को प्यार । परीक्षा समाप्त होते ही मैं आपके दर्शनार्थ घर चला आऊँगा ।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
प्रभास कुमार
पता –
7. मित्र को पूजा अवकाश साथ व्यतीत करने के लिए निमंत्रित करें।
राधा गोविंद स्ट्रीट
थड़पखना, राँची
30 मई, 2013
प्रिय राकेश,
स्नेह – स्मृति ।
कैसे हो ? आशा है, पूजा की छुट्टियाँ हो गई होंगी। मेरी छुट्टियाँ 5 अक्टूबर से आरंभ होंगी। राकेश मेरा मन है कि इस बार तुम मेरे यहाँ आ जाओ। हम पंद्रह दिन साथ-साथ बिताएँगे। पाँच दिन के लिए पहाड़ी-यात्रा करेंगे। बाकी दिन इकट्ठे रहेंगे। खेलेंगे-कूदेंगे, खाएँगे-पिएँगे। रोज सुबह स्विमिंग पूल में जाकर तैराकी का आनंद लेंगे। यहाँ एक पुस्तकालय है। उसमें अच्छी-अच्छी पुस्तकें हैं। हम शेष समय रोचक साहित्य पढ़ने में लगाएँगे।
पत्रोत्तर शीघ्र देना। माता-पिता जी को मेरी ओर से चरण-वंदना । रेखा को स्नेह ।
तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में ।
तुम्हारा
राजेश कुमार
8. अपने मित्र के पास पत्र लिखें, जिसमें उनकी सहायता के लिए उन्हें धन्यवाद दिया गया हो।
गाँधीनगर, राँची
8 फरवरी, 2013
प्रिय अनुराग,
आशा है, तुम सपरिवार स्वास्थ एवं सानंद होगे। मित्र, तुमने मेरे लिए जो कुछ किया, वह केवल देवता ही कर सकते है। जिस समय मेरे जीवन में केवल अंधकार – ही – अंधकार था, उस समय तुम आशा की किरण बनकर मेरे जीवन में आए। मेरी सुप्त चेतना में तुमने जीवन का प्राणमय स्पंदन भरकर मुझे पुर्नजीवित किया। तुमने मेरी आर्थिक मदद नहीं की होती, तो मैं बोर्ड की परीक्षा देने में सफल नहीं हुआ होता। आज मैं जो कुछ भी हूँ, तुम्हारी बदौलत हूँ। मैं तुम्हारे प्रेम भरे व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हूँ कि मुझे लगता है कि कोई देवता मुझे आशिष-भरे स्पर्शों से जगा रहा हो । मित्र, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम्हारे उपकारों का ऋण कैसे चुकाऊँ ! मैं तुम्हें अपना रूखा-सूखा धन्यवाद ही दे सकता हूँ। तुम मेरे धन्यवाद में मेरी आत्मीयता ढूँढ़ लो, तो यह मेरा सौभाग्य होगा। आदरणीय चाचाजी और पूज्य चाचीजी को मेरा सादर प्रणाम बोल दोगे ।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।
तुम्हारा
धीरज कुमार
9. अपने मित्र को जन्म दिन की बधाई देते हुए पत्र लिखें ।
परीक्षा भवन,
10 जुलाई, 2013
प्रिय राहुल,
तुम्हारा निमन्त्रण – पत्र मिला, पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुम्हारे जन्म दिन की 16 वीं वर्षगाँठ बहुत धूम-धाम से मनाई जा रही है। इस पावन अवसर
पर मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ और प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि तुम स्वस्थ रहो एवं जीवन में लगातार तरक्की करते हुए सफलता की ओर बढ़ते जाओ, ऐसी मेरी भावना है।
तुम्हें मालूम है कि पिताजी बहुत दिनों से अस्थमा से पीड़ित हैं। उनकी देख-रेख के लिए परिवार में मेरे सिवाय कोई भी नहीं है। अतः मैं उन्हें छोड़कर आने में असमर्थ हूँ। मेरी विवशता की ओर ध्यान देते हुए, मेरे न आने पर नाराज न होना। मैं इस अवसर पर तुम्हारे लिए एक तुच्छ भेंट भेज रहा हूँ। इसे स्वीकार करके कृतार्थ करें। एक बार फिर मैं तुम्हारे सुखी जीवन लिए प्रभु से प्रार्थना करता हूँ तथा तुम्हारे जन्म दिन पर बधाई देता हूँ ।
तुम्हारा मित्र
क, ख, ग ।
10. अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर उसे स्वस्थ रहने के उपाय बताएँ ।
न्यू कैम्पस, टाटा
20 फरवरी, 2013
प्रिय अनुज,
चिरंजीवी रहो ।
माता जी ने अपने पत्र में लिखा है कि तुम्हारा स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा है इससे मुझे बड़ी चिन्ता हुई है। प्रिय अनुज, स्वास्थ्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति है। इसके अभाव में जीवन का कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता । खाने-पीने का आनंद भी स्वस्थ व्यक्ति ही ले सकता है । यह ठीक है कि तुम्हारा अध्ययन पूर्ववत् चल रहा है, पर शीघ्र ही इस गिरते हुए स्वास्थ्य का प्रभाव तुम्हारे अध्ययन पर भी पड़ेगा ।
दुर्बलता एक प्रकार का अभिशाप है। शरीर को स्वस्थ एवं शक्ति-संपन्न बनाने के लिए व्यायाम की अत्यंत आवश्यकता है। शरीर की दुर्बलता को दूर करने के लिए व्यायाम एक औषधि है। व्यायाम से शरीर सुंदर तथा सहनशील बनता है । शरीर में स्वच्छ रक्त का संचार होता है तथा पाचन शक्ति बढ़ती है। अतः तुम नियमित रूप से व्यायाम करो। प्रातः भ्रमण की आदत डालो और किसी खुले स्थान तथा वाटिका में जाकर व्यायाम करो। इससे शरीर में स्फूर्ति भी बढ़ेगी और कार्य करने की शक्ति भी ।
आशा है कि तुम अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं करोगे और व्यायाम के अभ्यास द्वारा अपने शरीर को पुष्ट बनाओगे। माता जी को प्रणाम ।
तुम्हारा हितैषी,
रविन्द्र वर्मा
11. अपने पिताजी को पत्र लिखकर बताएँ कि आपके विद्यालय का वार्षिकोत्सव किस प्रकार मनाया गया।
राँची
10 अप्रैल 2013
पूज्य पिताजी
सादर चरण स्पर्श ।
कल हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न हुआ । उसका एक संक्षिप्त विवरण मैं आपको लिखकर भेज रहा हूँ।
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के लिए विद्यालय को नया रंग-रूप दिया गया था। उसे दुल्हन की भाँति सजाया-सँवारा गया था। उत्सव का आयोजन विद्यालय के खुले प्रांगण में हुआ था । प्राँगण के दक्षिणी भाग की ओर एक मंच निर्मित किया गया। मंच पर उत्सव के प्रधान सेठ मोतीमल, प्रदेश के शिक्षा मंत्री विद्यालय के मुख्याध्यापक तथा प्रबंधकारिणी परिषद् के अध्यक्ष विराजमान थे।
उत्सव का प्रारंभ ‘वन्दे मातरम्’ गीत से हुआ । विद्यालय के छात्रों ने इसके पश्चात् सेठ मोतीमल के स्वागत में एक सामूहिक गान प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ द्वारा लिखित एकांकी ‘अधिकार का रक्षक’ का छात्रों द्वारा बड़ा सफल अभिनय प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् विद्यालय के मुख्याध्यापक महोदय ने विद्यालय संबंधी बातों का विवरण प्रस्तुत किया तथा विद्यालय की आवश्यकताओं की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। इसके पश्चात् सेठ मोतीमल ने विद्यालय के छात्रों को पुरस्कार वितरित किए। पारितोषिक वितरण के पश्चात् मंत्री महोदय का भाषण हुआ जिसमें उन्होंने शिक्षा के महत्त्व पर पर्याप्त प्रकाश डालते हुए छात्रों से अपील की कि वे विद्याध्ययन में मन लगाएँ तथा अपने कर्तव्य के प्रति सदैव सजग रहें।
मंत्री महोदय के भाषण के पश्चात् मुख्याध्यापक महोदय ने सभी आमंत्रित अतिथियों का धन्यवाद किया। उत्सव की समाप्ति राष्ट्रगीत ‘जन-गन-मन’ की धुन के साथ हुई।
पिता जी, आप यहाँ होते, हमारा वार्षिकोत्सव देखते, तो कितना अच्छा होता माता जी को सादर चरण स्पर्श । साक्षी को प्यार ।
आपका प्रिय पुत्र
राकेश
औपचारिक पत्र
1. प्रधानाचार्य को आर्थिक सहायता के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।
सेवा में,
प्रधानाचार्य,
उच्च विद्यालय, राँची (झारखंड)।
विषय- आर्थिक सहायता के लिए प्रार्थना पत्र ।
महाशय,
निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नवम कक्षा का विद्यार्थी हूँ । गत वर्ष मेरे पिताजी का आकस्मिक निधन हो गया था । आर्थिक दृष्टि से सारा परिवार उन्हीं पर निर्भर था। उनके देहांत से हमारी आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय हो गयी है । मेरी माताजी दूसरों के घरों में छोटे-मोटे काम करके जैसे-तैसे अपना तथा भाई-बहनों का पेट पालते हैं। ऐसी स्थिति में मेरे लिए अपनी पढ़ाई का खर्चा चलाना असंभव है ।
मान्यवर, मेरी तीव्र इच्छा है कि मैं अपनी पढ़ाई का क्रम बनाए रखकर, एम० ए० की परीक्षा पास करूँ। मैं आठवीं तक सभी श्रेणियों में सदैव अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता रहा हूँ। मैंने अनेक बार भाषण तथा वाद-विवाद प्रतियोगितायों में पुरस्कार जीते हैं।
मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय की ओर से आर्थिक सहायता दिलवाने की कृपा करें जिससे मेरी पढ़ाई का खर्च चल सके। मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी छात्र
सुरेश
कक्षा- IX
दिनांक- 24.2.2013
2. प्रधानाध्यापक के पास छात्रावास में स्थान के लिए आवेदन पत्र लिखें ।
सेवा में,
प्रधानाचार्य
जिला स्कूल, हजारीबाग ।
विषय- छात्रावास में स्थान के लिए |
महोदय,
निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के नवम वर्ग का छात्र हूँ और मेरा घर यहाँ से काफी दूर है। वहाँ से रोज-रोज आना-जाना मेरे लिए संभव नहीं है और इसमें मेरी पढ़ाई में बाधा पड़ने की संभावना है।
अतः अनुरोध है कि विद्यालय के छात्रावास में मुझे स्थान देने की कृपा करें । आपकी इस कृपा के लिए मैं सदा आभारी रहूँगा ।
धन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अनुज
नवम कक्षा
दिनांक – 02.06.2013
3. अपने क्षेत्र में पेयजल की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए अपने जिला स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखें।
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
राँची ।
विषय- पेयजल समस्या |
महोदय,
मैं आपका ध्यान थड़पखना के पेयजल संकट की ओर खींचना चाहता हूँ। कई महीने से इस नगर में पानी की मात्रा अत्यंत कम है। सुबह और सायंकाल मुश्किल से एक-एक घंटा नलों में पानी आता है। इतने कम समय में सभी के लिए पर्याप्त जल का संरक्षण नहीं हो पाता । पानी के बिना हमारा जीना कठिन हो गया है ।
आपसे निवेदन है कि शीघ्रताशीघ्र पेयजल के इस संकट का समाधान करें।
धन्यवाद ।
भवदीय
संजय
थड़पखना
दिनांक – 1.5.2013
4. प्रधानाध्यापक को आर्थिक दण्ड माफ करने के लिए आवेदन पत्र लिखें।
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
सेंट जोसेफ स्कूल, राँची।
महाशय,
नम्र निवेदन है कि कल दिनांक 5/3/2013 को भूल से वर्ग का शीशे का एक ग्लास मेरे हाथ से गिरकर टूट गया। वर्ग शिक्षक महोदय ने इस गलती के लिए मुझ पर 40 रु० का आर्थिक दण्ड लगाया है। मैं एक गरीब छात्र हूँ। मेरे पिताजी दण्ड की रकम देने में असमर्थ हैं।
अतः श्रीमान से प्रार्थना है कि मेरा दण्ड माफ करने की कृपा की जाय। मैं इस प्रकार की गलती फिर कभी नहीं करने का वचन देता हूँ।
आपका आज्ञाकारी छात्र
सरफराज
वर्ग– नवम्।
दिनांक 06/03/2013
5. प्रधानाचार्य को शुल्क माफी के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
हाई स्कूल, राँची।
महाशय,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नवम् वर्ग का छात्र हूँ। दुर्भाग्यवश मेरे पिताजी के अधिक बीमार हो जाने के बाद घर की आय समाप्त हो चुकी है और उनकी बीमारी के इलाज में बहुत खर्च हो गया है। ऐसी दशा में पिताजी के लिए मेरी शिक्षा का भार उठाना कठिन पड़ रहा है। वे मेरी पढ़ाई छुड़ा देने को विवश हो गए हैं। मेरी लालसा है कि मैं पढ़-लिखकर योग्य बनूँ । यदि आप मेरा विद्यालय शुल्क माफ करने की कृपा करेंगे, तो मेरी पढ़ाई का मार्ग खुल जाएगा । कृपया शुल्क माफ करके कृतार्थ करें।
श्रीमान की इस अनुकम्पा के लिए मैं सदा आभारी रहूँगा।
आपका प्रिय शिष्य
दिनेश सिंह
कक्षा- नवम ‘ग’
दिनांक- 3.4.2013
6. अपने क्षेत्र के पोस्टमास्टर से डाक वितरण में गड़बड़ी की शिकायत करें।
सेवा में,
पोस्टमास्टर महोदय,
राँची जी० पी० ओ०, राँची
विषय- डाक वितरण में गड़बड़ी के संबंध में ।
महाशय,
मुझे खेद के साथ अपने मुहल्ले में डाक वितरण की गड़बड़ी के संबंध में आपका ध्यान आकृष्ट करना पड़ रहा है।
विगत तीन चार माह से मेरे मुहल्ले में डाक-वितरण की स्थिति ठीक नहीं है। यह स्थिति नये डाकिया के आने के बाद हुई है। डाकिया प्रतिदिन नहीं आता है, और आने पर मुहल्ले के किसी खेलने वाले बच्चों को डाक देकर चला जाता है, परिणामतः डाक समयानुसार प्राप्त नहीं हो पाता है, या बहुत दिनों के बाद मिलता है। इससे मुहल्ले के लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
कुछ अत्यावश्यक रजिस्ट्री पत्र समयानुसार उपलब्ध नहीं होने के कारण मुहल्ले को एक-दो लोगों को नौकरी से वंचित रह जाना पड़ा है।
अतः श्रीमान् से विनम्र निवेदन है कि इस क्षेत्र के डाकिये के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही कर, डाक वितरण प्रणाली को ठीक कराया जाय ।
भवदीय
अनुज कुमार
दिनांक- 12-04-2013
7. अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करते हुए किसी अखबार के संपादक को पत्र लिखें ।
दिनांक- 20.03.2013
सेवा में,
प्रधान संपादक
दैनिक जागरण, कोकर, रांची।
विषय- बिजली संकट से परेशानियाँ ।
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से बिजली संकट और उससे उत्पन्न कठिनाइयों की ओर सरकार तथा अन्य अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा। आशा है, आप इस विषय की गंभीरता को समझते हुए अवश्य अपने पत्र में स्थान देंगे ।
आजकल बिजली बोर्ड की ओर से नित्य बिजली की कटौती की जा रही है । प्रायः दिनभर बिजली गायब रहती है। रात को वह आंख-मिचौनी खेलने लगती है। गर्मी के दिन हैं। बिजली के कारण सारा जन-जीवन संकटग्रस्त है। नगर का सारा औद्योगिक क्षेत्र ठप पड़ा है। नित्य की मजदूरी पर आश्रित हजारों मजदूरों की उस दिन रोजी मारी जाती है। उन्हें भूखे रहने को विवश होना पड़ता है।
आज छापाखाना, फोटोग्राफी आदि कई आवश्यक व्यापार – सेवाएँ ऐसी हैं, जो पूर्णतया बिजली पर आधारित है। अस्पताल में तड़पते हुए रोगियों की दशा चिंतनीय है। रात के अंधेरे के कारण अनेकानेक दुर्घटनाएँ तो होती ही है, छात्रों के भविष्य पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः बिजली बोर्ड के अधिकारियों से मेरा आग्रह है कि वे और अधिक बिजली का उत्पादन करें, ताकि जन-जीवन अस्त-व्यस्त न हो ।
धन्यवाद
भवदीय
रजत कुमार, हटिया
8. एक हफ्ते की छुट्टी के लिए प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखें।
सेवा में,
प्रधानाचार्य
जिला स्कूल, राँची।
विषय- एक हफ्ते के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
कल अचानक मेरा स्वास्थ खराब हो गया। स्कूल से लौटते हुए चिलचिलाती धूप लगने से मुझे जोर का सिर दर्द हुआ, जिससे मैं बेचैन हो उठा। मुझे अब काफी शारीरिक कमजोरी अनुभव हो रही है। मैं स्कूल आने की स्थिति में नहीं हूँ। डॉक्टर ने भी मुझे पूर्ण विश्राम का परामर्श दिया है।
कृपया मुझे आज का अवकाश प्रदान कर अनुगृहीत करें।
आपका आज्ञाकारी छात्र
आशुतोष कुमार
दिनांक 10-04-2013
9. मुहल्ले की सफाई के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखें।
सेवा में,
श्रीमान स्वास्थ्य अधिकारी,
राँची नगर निगम, राँची ।
महोदय,
हम थरपखना की गली आर० जी० स्ट्रीट के निवासी, यहाँ फैली गंदगी एवं दुर्गंध की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। यहाँ की नालियों की सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता । नालियों में गंदा पानी रूकने के कारण चारों ओर दुर्गंध पैदा हो गई है। यहाँ मच्छरों ने अपना बना लिया है, जिससे मलेरिया जैसी बीमारी फैलने की आशंका है।
नालियों में गंदा पानी भरने के बाद आने-जाने के मार्ग में फैल जाता है जिससे लोगों के आने-जाने का मुख्य मार्ग बाधित हो जाता है। इसी अवस्था का फायदा उठाकर कुछ व्यक्ति अपने बच्चों को नालियों पर ही शौच के लिए बैठा देते हैं। सफाई कर्मचारियों को कई बार सफाई के लिए कहा जाता है परंतु उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंगती ।
मान्यवर, यदि यही स्थिति रही तो लोग यहाँ से पलायन करने लगेंगे तथा कोई भयंकर बीमारी भी महामारी बन सकती है। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप अपने विभाग के सफाई कर्मचारियों को तुरंत आदेश देकर यहाँ की नालियों की सफाई करवाएँ, जिससे यहाँ के निवासी चैन की साँस ले सकें।
धन्यवाद ।
प्रार्थी
राकेश कुमार
थरपखना
दिनांक 10.06.2013
10. अपने क्षेत्र में पेड़-पौधों के अनियंत्रित कटाई को रोकने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखें ।
सेवा में,
जिलाधिकारी
झारखण्ड वन्य संस्थान, राँची
विषय- पेड़-पौधों की कटाई रोकने के संदर्भ में ।
महोदय,
मैं राँची का निवासी हूँ। मेरे क्षेत्र में इन दिनों वन्य पेड़-पौधों की निर्मम कटाई हो रही है। इस तरफ किसी वन्य पदाधिकारी का भी ध्यान नही जा रहा है। देश का नागरिक होने के नाते मेरा यह कर्तव्य बनता है कि मै आपका ध्यान इस तरफ आकृष्ट करुँ । हालाँकि इस क्षेत्र में वन्य पेड़-पौधों की कटाई पर प्रतिबंध है परंतु यह दुःख का विषय है कि पेड़-पौधों की कटाई किसी भी प्रकार रुक नही पा रही है।
मैं आशा करता हूँ कि आप मेरी उपर्युक्त शिकायत पर ध्यान देंगे और वन a विभाग के भ्रष्ट पदाधिकारियों, कर्मचारियों एवं बाहुबली पहुँचवाले रंगदारों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करेंगे ताकि वन्य पेड़-पौधों की अवैध कटाई रोकी जा सके और इस सुंदर पृथ्वी का स्वास्थ्य सुरक्षित कर सकें। आपसे शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा के साथ,
आपका
अभिषेक कुमार, राँची
संवाद-लेखन
1. आपका मित्र कक्षा नवम् में प्रथम आया है। उसे बधाई देते हुए एक संवाद की रचना करें ।
प्रत्युष – हलो रोहित ।
रोहित – धन्यवाद
प्रत्युष – पूरे कक्षा में प्रथम आकर तूने कमाल कर दिया यार । बहुत बधाई ।
रोहित – धन्यवाद प्रत्युष। मुझे सचमुच खुद विश्वास नहीं हो रहा।
प्रत्युष – परंतु मुझे खुशी है कि मेरा विश्वास आज सच हो गया। मैं कहा करता था न कि एक-न- एक दिन तू कोई कारनामा जरूर करेगा।
रोहित – बस ये तेरे जैसे दोस्तों और भला चाहने वालों की दुआएँ हैं। वरना मैं किस योग्य हूँ !
प्रत्युष – यही ! यही तो बात मुझे तेरा दीवाना बना देती है। तुझमें जो विनम्रता है, मैं इसका कायल हूँ।
रोहित – भाई प्रत्युष मैं जानता हूँ ! मेरे से योग्य कितने ही लड़के – लड़कियाँ और हैं। मेरा भाग्य है कि मैं प्रथम आ गया। कई लड़के-लड़कियाँ दो-दो नंबरों से मेरे पीछे हैं।
प्रत्युष – भगवान करे ! तू यशस्वी बने । माता-पिता को मेरी ओर से बधाई देना ।
रोहित – जरूर – जरूर |
प्रत्युष – अरे यह तो बता । मिठाई कब खिलाएगा ?
रोहित – जब तेरे पास वक्त हो । अभी चल ।
प्रत्युष – चल | खाने के लिए तो मैं तैयार ही रहता हूँ ।
2. दो युवकों के मध्य ग्रीष्मावकाश बिताने के बारे में संवाद लिखें ।
रोशन – मित्र ! गर्मी की छुट्टी होने वाली है और जमशेदपुर की गर्मी झेली नहीं जा रही ।
मजहर – बात तो तुमने ठीक कही है, पर इतने रुपए कहाँ से आए कि पर्वतीय स्थल की सैर करके आएँ ।
रोशन – उसकी चिंता तुम मत करो। मसूरी में हमने एक ‘होली डे होम’ बुक करवा रखा है। वह हमें पंद्रह दिन के लिए मिल जाएगा।
मजहर – वहाँ हम खूब सैर-सपाटा करेंगे । एक हजार रुपयों का प्रबंध तो मैं कर सकता हूँ।
रोशन – देखो, हम वहाँ कम खर्च में अपना गुजारा चला लेंगे। हमारा मुख्य उद्देश्य तो घूमना-फिरना है।
मजहर – तो ठीक है। मुझे तो खाना पकाना भी आता है। दोपहर का खाना हम मिलकर बना लिया करेंगे ।
रोशन – यदि यह बात है तो मसूरी चलना पक्का रहा। मैं पंद्रह तारीख की टिकटें सबके लिए बुक करवा लेता हूँ।
3. दो सहेलियों के बीच कक्षा में आई नई अध्यापिका को लेकर हुए संवाद को लिखें ।
रेशमा – आज श्रीमती आर्या भारती अपनी इतिहास की नई अध्यापिका मुझे अच्छी लगी ।
अनीता – ऐसी क्या खास बात लगी उनमें ?
रेशमा – उनके पढ़ाने का तरीका।
अनीता – इतिहास को भी कोई नए तरीके से पढ़ा सकता है।
रेशमा – अनीता, तुमने देखा नहीं वह जब पढ़ा रही थीं तो ऐसा लग रहा था मानो सारी घटना हमारी आँखों के सामने हो रही हो ।
अनीता – हाँ, यह तो ठीक है लेकिन उनके आचरण शुद्ध नहीं लग रहे थे।
रेशमा – ऐसे कोई खास बुरे भी नहीं थे। तुमने उनका तैयार होने का तरीका देखा।
अनीता – हाँ बड़ी ही सौम्य और सादगी से भरी। उनके चेहरे पर बड़ी-सी बिंदी बहुत ही आकर्षक लग रही थी।
रेशमा – मैं तो चाहती हूँ अगले साल वह हमारी कक्षा अध्यापिका भी बने।
अनीता – काश ! ऐसा ही हो ?
4. बढ़ती हुई महँगाई को लेकर दो मित्रों में हुई बातचीत संवाद के रूप में लिखें।
राजेश – अरे मित्र संजय, इतनी रात को कहाँ से आ रहे हो ?
संजय – अरे भई क्या बताऊँ, प्याज लेने गया था ।
राजेश – पर इतनी रात को ।
संजय – लाइन बहुत लंबी थी, इसलिए देर हो गई।
राजेश – न जाने बढ़ती हुई महँगाई कहाँ पर रुकेगी? लगता है, भविष्य में सभी वस्तुओं के लिए इसी प्रकार लाइन में लगना पड़ेगा।
संजय – ठीक कहते हो मित्र, महँगाई तो द्रोपदी के चीर की तरह बढ़ती ही जा रही है, पर सरकार कुछ करती ही नहीं।
राजेश – इसमें सरकार बहुत अधिक नहीं कर सकती । महँगाई बढ़ाने में तो उन लोगों का हाथ है जो अपने मुनाफे के लिए वस्तुओं को बाजार से गायब करके उनके दाम बढ़ा देते हैं ।
संजय – तो ऐसे लोगों को भी तो सरकार ही पकड़ सकती है, हम नहीं ।
राजेश – हाँ, यह तो है, लेकिन सरकार किस-किस को पकड़ेगी, कहाँ-कहाँ छापे मारेगी ?
संजय – मुझे तो लगता है बड़े-बड़े अधिकारी भी व्यापारियों से मिले हुए हैं, तभी तो आज तक कोई जमाखोर पकड़ा नहीं गया है।
5. देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार पर दो नागरिकों के मध्य संवाद को लिखें।
आदित्य – मित्र विक्की ! कहाँ से चले आ रहे हो ?
विक्की – अरे, क्या बताऊँ ? बिजली बोर्ड के दफ्तर से आ रहा हूँ।
आदित्य – क्यों, क्या बात हो गई ?
विक्की – बात तो कुछ नहीं हुई, ये दो हजार रुपए का बिजली बिल आया था, जबकि हर बार यह पाँच-छह सौ रुपए का होता था ।
आदित्य – क्या उन्होंने बिल ठीक कर दिया ?
विक्की – उनके मुँह तो खून लग गया है। पहले तो सुनते ही नहीं हैं और ज्यादा कहो तो पाँच सौ रुपए रिश्वत माँगते हैं।
आदित्य – क्या रिश्वत देने के लिए हाँ कर आए हो ?
विक्की – क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आता । मन तो नहीं करता, पर कोई और उपाय भी नहीं सूझ रहा ।
आदित्य – उपाय तो है। मैं बताता हूँ। इससे काम भी हो जाएगा और बिल-क्लर्क के होश भी ठिकाने आ जाएँगे ।
विक्की – मुझे बता, वह उपाय।
आदित्य – हम दोनों ‘सतर्कता विभाग में चलकर उसकी लिखित शिकायत कर देते हैं। वे उसे रंगे हाथों पकड़ लेंगे ।
विक्की – यही ठीक रहेगा। कभी-न-कभी तो हमें इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़ा होना ही होगा।
आदित्य – अच्छा, अब वहीं चलें ।
6. भारत की क्रिकेट टीम में होने वाले नए परिवर्तनों पर दो मित्रों का संवाद लिखें ।
विक्की – हलो अविनाश ! कैसे हो !
अविनाश – ठीक हूँ भाई ! आज का मैच देखा ! आज युवराज ने कमाल का शतक ठोक दिया ।
विक्की – और परसों, जो रैना ने 78 रन बनाए थे ! उसने तो हारता हुआ मैच लपक लिया ।
अविनाश – भाई मानना पड़ेगा, अब भारतीय टीम में ऐसे-ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी आ गए हैं कि पता नहीं चलता कौन कब अपना जलवा दिखा दे ।
विक्की – पिछले कई मैचों से महेन्द्र सिंह धौनी छाया हुआ है। उसने पाकिस्तान के बॉलरों को सचमुच धोकर रख दिया था।
अविनाश – नरेश ! पहले तो हम सचिन, द्रविड़, सहवाग की ओर निहारते रहते थे। अब यह स्थिति आ चुकी है कि ये तीनों भी नए खिलाड़ियों के सामने फीके पड़ने लगे हैं ।
विक्की – मैं इसके लिए टीम के कोच ग्रेग चैपल को बधाई देना चाहूँगा। जिसने सौरव गांगुली जैसे महान खिलाड़ी को बाहर करके एक जोखिम लिया था। परंतु वह जोखिम ठीक साबित हुआ ।
अविनाश – और क्या ! कोई खिलाड़ी पुराना होने के कारण टीम में नहीं लिया जाना चाहिए। हमेशा उसके वर्तमान खेल को देखा जाना चाहिए ।
विक्की – अब लगता है, सचिन के बाहर जाने की बारी है ।
अविनाश – यार ! अब उसका शरीर साथ नहीं दे रहा जब से उसका ऑपरेशन हुआ है, उसका आत्मविश्वास डगमगा गया है ।
विक्की – तभी तो कह रहा हूँ, अब उसके बाहर होने की बारी है !
अविनाश – मैं प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि वह उसे शक्ति दे !
विक्की – और मैं चाहता हूँ कि भारत में नए-से-नए क्रिकेट सितारे उभरें ।
7. दूरदर्शन के कार्यक्रमों का छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में दो मित्रों की हुई बातचीत संवाद के रूप में लिखें।
अभिनाश – अरे मित्र हिमांशु ! आजकल कहाँ रहते हो, दिखाई ही नहीं देते।
हिमांशु – क्या बताऊँ मित्र ! बेटा सातवीं में पढ़ता है। पिछले दिनों हुई परीक्षा में चार विषयों में फेल हो गया, इसके लिए किसी ट्यूटर की तलाश कर रहा था ।
अभिनाश – अरे ! तुम्हारा बेटा तो पढ़ने-लिखने में अच्छा था, उसको क्या हुआ ?
हिमांशु – यह टेलीविजन की करामात है। सुबह-शाम कोई-न-कोई प्रोग्राम आता रहता है बस, उसे ही देखता रहता है, पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं देता।
अभिनाश – टेलीविजन ने तो बच्चों को पढ़ाई से दूर किया ही है साथ ही उनके मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव डाल दिया है।
हिमांशु – न जाने सरकार क्या कर रही है। क्या वह नहीं देखती कि टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले कुछ का बालकों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
अभिनाश – ठीक कहते हो भाई। कुछ प्रोग्राम तो ऐसे हैं जिन्हें परिवार में एक साथ बैठकर नहीं देख सकते ।
हिमांशु – अरे, जब से विदेशी चैनल आए हैं, तब से तो और भी बेड़ा गर्क गया है।
अभिनाश – क्या ऐसे विदेशी कार्यक्रमों पर रोक नहीं लगाई जा सकती ?
8. सुरेश और अमित सहपाठी हैं। अंतिम परीक्षा के दिन दोनों वार्ता कर रहे हैं। विषय है- परीक्षाएँ कैसी हुईं –
सुरेश – अमित कैसे हो ? पेपर कैसे हुए ?
अमित – बस हो गए हैं। कैसे हुए हैं, यह रिजल्ट ही बताएगा।
सुरेश – कभी सच – सच बता भी दिया करो ! जब रिजल्ट आएगा तो नंबर होगे- गणित और विज्ञान में पूरे सौ। पर पूछो, तो पता नहीं कैसे हुए।
अमित – नहीं – नहीं, यह बात नहीं है । डर तो लगा ही रहता है कि कहीं कोई गलती न रह गई हो । अब गणित और विज्ञान जैसे विषयों में जरा-सी गलती का पता ही नहीं चलता।
सुरेश – भई, मैं भी तुमसे रिजल्ट नहीं पूछ रहा। मैं तो केवल यह पूछ रहा हूँ कि, कैसे हुए पेपर ?
अमित – हाँ, गणित का पेपर तो अच्छा हो गया है। विज्ञान में फिजिक्स का एक प्रश्न छोड़ आया हूँ। तुम सुनाओ, तुम्हारे कैसे हुए ?
सुरेश – मेरे पेपर अच्छे हुए हैं। गणित और विज्ञान में तो मैं पूरी तरह संतुष्ट हूँ। हिन्दी में मजा नहीं आया ! पेपर बहुत लंबा था । तुम्हारे अँग्रेजी और हिन्दी के पेपर कैसे हुए ?
अमित – हिन्दी का अच्छा हुआ है। अंग्रेजी का ठीक-ठाक हुआ है। बहुत अच्छा नहीं ।
सुरेश – और सामाजिक विज्ञान का ?
अमित – भई, सामाजिक विज्ञान का मुझे कुछ पता नहीं चलता । प्रश्न तो सभी ठीक कर आया हूँ। परंतु इसके रिजल्ट का मुझे भरोसा नहीं रहता।
सुरेश – चलो सोचा मत करो ! सब अच्छा होगा ।
अमित – तभी तो पूरी संतुष्टि नहीं हुई। लगता है, मैं और अच्छा कर सकता था।
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