NCERT Solutions Class 9Th Science Physics – ध्वनि

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NCERT Solutions Class 9Th Science Physics – ध्वनि

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

ध्वनि

1. आवृति का SI मात्रक क्या है ?
उत्तर – हर्ट्ज (Hz).
2. तरंग दैर्ध्य का SI मात्रक क्या है ?
उत्तर – मीटर ।
3. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है ? 
उत्तर – ध्वनि वायु (346 ms), जल (1498m/s) से अधिक तेज लोहे (5950m/s) माध्यम में चलती है।
4.  निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है ? 
(i)अवश्रव्य ध्वनि
(ii) पराध्वनि ।
उत्तर – (i) अवश्रव्य ध्वनि- 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं, जिन्हें सामान्य व्यक्ति सुन नहीं सकता।
(ii) पराध्वनि – 20,000 Hz (20kHz) से अधिक की ध्वनियों को पराध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं। इनकों भी हम सुन नहीं सकते। डॉलफिन, चमगादड़, पॉरपाइँज पराध्वनि उत्पन्न करते हैं ।
5. सितार का तार खींचने में तार में कैसी तरंगें उत्पन्न होती है ? 
उत्तर – अनुप्रस्थ तरंगे ।
6. अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न करने के लिए माध्यम के क्या गुण होने चाहिए ? 
उत्तर – माध्यम में जड़त्व तथा आकार की प्रत्यास्थता का गुण होना चाहिए।
7. अनुदैर्ध्य तरंग उत्पन्न करने के लिए माध्यम के क्या गुण होने चाहिए ?
उत्तर – माध्यम में जड़त्व तथा आयतन की प्रत्यास्थता अवश्य होनी चाहिए ।
8. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है ? 
उत्तर – मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का (परिसार लगभग 20 Hz से 20,000 Hz (1 Hz = 1 cycle/s) तक होता है ।
9. निर्वात में ध्वनि का वेग क्या होगा ? 
उत्तर – शून्य ।
10. दोलन करते हुए लोलक के गोलक की चाल अधिकतम कहाँ होती है ? 
उत्तर – माध्य स्थिति पर ।
11. प्रतिध्वनि क्या है ?
उत्तर – परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते है ।
12. श्रव्य तरंगों की आवृति कितनी होती है ? 
उत्तर – 20 हर्ट्ज से लेकर 20,000 हर्ट्ज ।
13. मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर क्या है ? 
उत्तर – 20 हर्ट्ज से लेकर 20,000 हर्ट्ज ।
14. पराश्रव्य तरंगों की आवृति कितनी होती है ?
उत्तर – 20,000 हर्ट्ज से अधिक ।
15. अवश्रव्य तरंगों की आवृति कितनी होती है ?
उत्तर – 20 हर्ट्ज से नीचे ।
16. अनुप्रस्थ तरंगें किस रूप में चलती है ?
उत्तर – ये तरंगें श्रृंग तथा गर्त के रूप में आगे बढ़ती है
17. अनुदैर्ध्य तरंगें किस प्रकार आगे बढ़ती है ? 
उत्तर – ये तरंगें संपीड़न तथा विरलन के रूप में आगे बढ़ती है ।
18. हवा में उत्पन्न ध्वनि तरंगें किस प्रकार की तरंग है ? 
उत्तर – अनुदैर्ध्य तरंग ।
19. प्रकाश तरंग किस प्रकार की तरंग है ?
उत्तर – विद्युत चुम्बकीय तरंग ।
20. समुद्र की गहराई मापने में कौन-सा यंत्र काम आता है ? 
उत्तर – समुद्र की गहराई मापने के लिए थाईमापी का प्रयोग किया जाता है।
21. ध्वनि उत्पन्न कर रही वस्तु किस अवस्था में होती है ?
उत्तर – कम्पित अवस्था में ।
22. प्रतिध्वनि एक सेकेण्ड में कितने मीटर की दूरी पर चलती है ? 
उत्तर – 33.2 मीटर ।
23. अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि का तारत्व अधिक होगा या कम ? 
उत्तर – अधिक ।
24. मनुष्य के बोलने की ध्वनि की आवृत्ति कितनी होती है ?
उत्तर – 60 कम्पन प्रति सेकेण्ड और 1300 कम्पन प्रति सेकेण्ड के बीच में |
25. पराश्रव्य ध्वनि कौन सुन सकते हैं ?
उत्तर – चमगादड़ तथा कुत्ते ।
26. प्रतिध्वनि के लिए वस्तु ध्वनि के स्रोत से कितनी मीटर से अधिक दूरी पर होनी चाहिए ?
उत्तर – 16.6 मीटर ।
27. रडार किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
उत्तर – पराश्रव्य ध्वनि के सिद्धांत पर ।
28. ध्वनि के तीन अच्छे और तीन बुरे परावर्तकों के उदाहरण दें।
उत्तर – अच्छे परावर्तक– धातु की चादरें, प्लाईवुड, लकड़ी की पट्टिकाएँ ।
बुरे परावर्तक – कार्क, कपड़े, छिद्रमय पदार्थ ।
29. ध्वनि की गति गैसों में अधिक होती है अथवा द्रवों में ? 
उत्तर – द्रवों में अधिक होती है।
30. कौन-सा प्राणी पराश्रव्य ध्वनि उत्पन्न कर सकता है ? 
उत्तर – चमगादड़ ।
31. रेलगाड़ी की पटरी पर कान लगा कर सुनने से उसके आने की आवाज क्यों सुनायी देती है ? 
उत्तर – ध्वनि तरंगें धातु में तीव्रगति से गमन करती हैं
32. सोनार (SONAR) का पूरा नाम लिखें ।
उत्तर – SONAR- Sound Navigation and Ranging.
33. सोनार का उपयोग कहाँ किया जाता है ? 
उत्तर – सोनार का उपयोग समुद्र में डूबी वस्तुओं का पता लगाने तथा समुद्र की गहराई मापने में किया जाता है।
34. स्वर किसे कहते हैं ?
उत्तर – अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर कहते हैं।
35. छोटे कमरों में प्रतिध्वनि सुनाई क्यों नहीं देती ? 
उत्तर – छोटे कमरों की लम्बाई 17 मीटर से से कम होती है।
36. ध्वनि की गति किन बातों पर निर्भर करती है ?  
उत्तर – ध्वनि की गति माध्यम तथा वातावरण पर निर्भर करती है ।
37. सुपरसॉनिक हवाई जहाजों के द्वारा तेज गति के कारण उत्पन्न धमाके की आवाज को क्या कहते हैं ?
उत्तर – सॉनिक बूम।
38. किस माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगें उत्पन्न हो सकती हैं ? 
उत्तर – अनुदैर्ध्य तरंगें ठोस, द्रव और गैसों में उत्पन्न हो सकती हैं।
39. टोन किसे कहते हैं ? 
उत्तर – एकल आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहते हैं ।
40. शोर किसे कहते हैं ?
उत्तर – वे ध्वनियाँ जो कानों को बुरी लगती है ऐसी ध्वनियों को शोर कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ध्वनि क्या है ?
उत्तर – ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है।
2. ध्वनि की प्रबलता क्या है ?
उत्तर – ध्वनि तरंग के इकाई क्षेत्रफल में जितनी ऊर्जा होती है, वही ध्वनि की प्रबलता की माप होती है।
3. तरंग क्या हैं ?
उत्तर – तरंग एक विक्षोभ है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं ।
4. अनुप्रस्थ तरंग की परिभाषा दें ।
उत्तर – अनुप्रस्थ तरंग वह तरंग है जिसमें माध्यम के कण मध्यमान स्थिति के गिर्द तरंग की गति की दिशा के लंबवत् कम्पन करते हैं।
जैसे- शांत पोखर में एक पत्थर के टुकड़े को गिराते हैं तो पत्थर गिरने के चारों ओर वृत्तकार उर्मियाँ बाहर की ओर फैलती नजर आती हैं। ये उर्मियाँ अनुप्रस्थ तरंग के उदाहरण है। इसमें जल की सतह क्रमशः ऊपर नीचे की ओर कंपन करती है ।
5. अनुदैर्ध्य तरंग की परिभाषा दें ।
उत्तर – अनुदैर्ध्य तरंग वह तरंग है जिसमें माध्यम के कण मध्यमान स्थिति के गिर्द तरंग की गति की दिशा में कम्पन करते हैं। ये तरंगें संपीड़न और विरलन के रूप में चलती है।
6. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है ? 
उत्तर – ध्वनि के माध्यम से कण विस्थापित होते हैं जो कि अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं। अतः समीप के कण विरामावस्था से विस्थापित होते हैं और प्रारंभिक कण अपनी मूल अवस्था में वापस लौट आते हैं । यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती ।
माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ ( माध्यम के कण नहीं) माध्यम से होता हुआ संचरित होता है।
7. तरंग संचरण के लिए आवश्यक माध्यम के दो गुण बताएँ ।
उत्तर – (i) – प्रत्यास्था का गुण होना आवश्यक है, ताकि स्थितिज ऊर्जा को संचित किया जा सके। –
(ii) एक समान घनत्व होना चाहिए ।
8. आयाम किसे कहते हैं ?
उत्तर – मध्यमान स्थिति से तरंग के महत्तम विस्थापन को आयाम कहते हैं ।
इसका SI मात्रक मीटर है।
9. आवृत्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर – एक सेकेण्ड में उत्पन्न तरंगों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं। इसे n या f या v (न्यु) से लिखते हैं। इसका मात्रक Hz है।
10. आवर्तकाल किसे कहते हैं ?
उत्तर – दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं ।
11. तरंगदैर्ध्य किसे कहते हैं ? 
उत्तर – दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को के बीच की दूरी तरंगदैध्य कहलाती है। इसका SI मात्रक मीटर है।
12. प्रतिध्वनि क्या है ? 
उत्तर – किसी अवरोध से टकराकर परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं।
13. तारत्व किसे कहते हैं ?  
उत्तर – यह वह गुण है जिससे हमारे कान पतले और मोटे, तीक्ष्ण और कर्कश स्वरों की पहचान कर सकते हैं ।
14. पराध्वनि के दो अनुप्रयोग लिखें। 
उत्तर – (a) उद्योगों में
(b) चिकित्सा के क्षेत्र में ।
15. सोनार ( SONAR) क्या है ?
उत्तर – सोनार ( Sound Navigation and Raging)- यह एक तंत्र है जिसकी मदद से हम दूर अवस्थित किसी वस्तु की उपस्थित, स्थिति, दूरी तथा दिशा की जानकारी ध्वनि तरंग की सहायता से प्राप्त करते हैं ।
16. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर – घंटी से निकली तरंगें वायु के माध्यम के द्वारा ध्वनि उत्पन्न करती है।
17. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर – ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती है। अतः यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं ।
18. मान लें आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए । क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे ?
उत्तर – नहीं, क्योंकि ध्वनि के लिए माध्यम का होना आवश्यक है जो कि सामान्यतः वायु होती है। चंद्रमा पर वायु नहीं है ।
19. तरंग का कौन-सा गुण निम्नांकित को निर्धारित करता है ? 
(i) प्रबलता,
(ii) तारत्व ।
उत्तर – (i) प्रबलता- ध्वनि प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है । तरंग की प्रबलता अधिक ऊर्जा से संबद्ध रखती है। अधिक ऊर्जा से उत्पादित ध्वनि तरंग प्रबल होती है और दूर तक जाती है।
(ii) तारत्व – ध्वनि की आवृत्ति जितनी अधिक होती है उसका तारत्व उतना ही अधिक होता है।
20. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर – कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।
21. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताएँ ।
उत्तर – तीव्रता – किसी एकांक क्षेत्रफल से, एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं ।
प्रबलता – प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है । उदाहरण के लिए, दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती हैं परन्तु हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।
22. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर – जब ध्वनि तरंगें संचरण करती हैं, तो हवा के अणु तरंग की गति की दिशा के अनुदिश गति करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।
23. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है ?
उत्तर – ध्वनि का आयाम वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में सहायता करता है।
24. ध्वनि बूम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ध्वनि बूम- जब कोई पिंड ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करता है तब उसे पराध्वनिक चाल से चलता हुआ कहा जाता है। गोलियाँ, जेट-वायुयान आदि प्रायः पराध्वनिक चाल से चलते हैं। जब ध्वनि उत्पादक स्रोत ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करती है तो ये वायु में प्रघाती तरंगें उत्पन्न करते हैं। इस प्रघाती तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है । इस प्रकार की प्रघाती तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है होती है जिसे ध्वनि बूम कहते हैं।
मनुष्य के उपर ‘ध्वनि बूम’ के निम्न प्रभाव देखें जा सकते है  –
(i) ध्वनि गर्जन से असहनीय शोरगुल उत्पन्न होता है जो मनुष्य के कर्ण–पटल कों क्षति पहुँचा सकता है
(ii) ध्वनि बूम के कारण शीशे के बर्तन, खिड़कियाँ और यहाँ तक कि बड़े-बड़े भवनों को नुकसान पहुँच सकता है।
25. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताएँ ।
उत्तर – हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश की तरंगें करती हैं। ये नियम इस प्रकार हैं
(i) अविलम्ब तथा ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं ।
(ii) इन तीनों की दिशाएँ एक ही तल में होती हैं ।
26. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखें ।
उत्तर – ध्वनि तरंगों के परावर्तन के उपयोग –
(i) श्रवण सहायक यंत्र ध्वनि के परावर्तन की प्रक्रिया पर ही आधारित हैं।
(ii) ध्वनि के एक समान वितरण के लिए प्रयोग किया जाने वाला ध्वनि पर परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित है
27. अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर – ध्वनि के बार-बार दीवारों से टकराकर बार-बार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बंध होता है। इसे अनुरणन कहते हैं।
अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थं जैसे संपीड़ित फाइबर बोर्ड खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दे लगा देते हैं।
28. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर – किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है। यह उसके आयाम पर निर्भर करती है। ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है उसकी प्रबलता कहते
हैं ।
यह निम्नांकित कारकों पर निर्भर करती है –
(i) आयाम पर,
(ii) ऊर्जा पर,
(iii) तीव्रता पर,
(iv) तरंग के वेग पर,
इकाई क्षेत्र से 1 सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि को प्रबलता कहते हैं ।
29. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन करें ।
उत्तर – चमगादड़ की आँखें कमजोर होती हैं, इसीलिए वे अपना शिकार देख नहीं पाते। अपनी उड़ान के दौरान वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगें छोड़ते हैं। ये तरंगें अवरोध या शिकार द्वारा परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक वापस पहुँचती हैं। इन परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़, अवरोध या शिकार की स्थिति व आकार जान लेते हैं ।
30. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं ? 
उत्तर – पराध्वनि का उपयोग ऐसे भागों को साफ करने के लिए किया जाता है जो पहुँच से परे होती हैं जैसे – सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे आदि । जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करनेवाले घोल में रखा जाता है और इस घोल में पराश्रव्य तरंगें भेजी जाती हैं। इन तरंगों की उच्च आवृत्ति के कारण घूल, गंदगी के कण तथा चिकने पदार्थ अलग होकर नीचे गिर जाते हैं और वस्तु पूरी तरह साफ हो जाती है।
31. तरंग का वेग, तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति की परिभाषा लिखें तथा उनके बीच सम्बंध स्थापित करें।
उत्तर – तरंग का वेग – एक सेकेण्ड में तरंग जितनी दूरी तय करती है उसे तरंग का वेग कहते हैं। इसे ‘V’ से सूचित करते हैं । इसका S. I मात्रक m/s है। तरंगदैर्ध्य दो लगातार श्रृंगों या गर्तौ अथवा संपीडनों या विरलनों के बीच की दूरी को तरंग लंबाई या तरंगदैर्ध्य कहते हैं। इसका मात्रक m है । इसे ^ (लेम्डा) से सूचित करते हैं।
आवृत्ति- इकाई समय में उत्पन्न पूर्ण कम्पनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं । माना किसी तरंग की आवृत्ति n, तरंगदैर्ध्य λ, आवर्तकाल T तथा तरंग कां वेग V है।
32. तरंग गति की विशेषताएँ लिखें ।
उत्तर – तरंग गति की निम्नांकित विशेषताएँ है –
(i) तरंग गति एक आवर्ती विक्षोभ है जो कंपन करती हुई वस्तु के कारण उत्पन्न होता है।
(ii) तरंग गति में माध्यम के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जाते हैं।
(iii) तरंग गति में दाब का परिवर्तन हो सकता है।
(iv) तरंग गति में माध्यम का घनत्व एवं ताप बदल सकता है।
(v) किसी माध्यम में तरंग गति का वेग नियत होता है।
(vi) तरंग गति में माध्यम के कण माध्य स्थिति के गिर्द कंपन करते हैं।
(vii) प्रत्येक कण पूर्व के कण से ऊर्जा लेकर कम्पन करता है। अतः बाद वाला कण कुछ क्षण बाद गति को दुहराता है। अतः विभिन्न कण कंपन की विभिन्न स्थिति में रहते हैं।
(viii) तरंग गति के साथ ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान को जाता है।
(ix) प्रत्यास्थी तरंग (यांत्रिक तरंग) माध्यम के प्रत्यास्थी गुण का उपयोग करता
33. तरंग गति क्या होती है ? तरंग गति के कोई चार अभिलक्षण लिखें।
उत्तर – तरंग गति- तरंग गति, माध्यम से प्रगमन करता हुआ कंपन विक्षोभ है जिसमें दो बिंदुओं के बीच सीधे संपर्क हुए बिना एक बिंदु से दूसरे बिंदु को ऊर्जा स्थानांतरित की जाती है l
तरंग गति के अभिलक्षण –
(i) तरंग गति एक आवर्ती विक्षोभ है जो कंपायमान वस्तु द्वारा उत्पन्न होता है।
(ii) तरंग गति में, माध्यम के कण एक स्थान से दूसरे स्थान को गति नहीं करते हैं । केवल अपनी निश्चित स्थितियों के चारों ओर गति करते हैं और उनके पास जो ऊर्जा होती है उसे वे कण से कण तक प्रेषित करते हैं ।
(iii) तरंग गति सभी दिशाओं में उसी वेग से चलती है।
(iv) तरंग गति, एक बिंदु से दूसरे को ऊर्जा स्थानांतरित करती है। वह किसी द्रव्य को स्थानांतरित नहीं करती है।
34. अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंग में क्या अन्तर है ?
उत्तर – अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंग में अन्तर –
35. स्पष्ट करें कि ध्वनि तरंगें, यांत्रिक तरंगें होती हैं ।
उत्तर – किसी स्रोत से ध्वनि उत्पन्न करने के लिए उसे कंपित करना आवश्यक है । स्रोत को कंपित करने के लिए जो कार्य (ऊर्जा) स्रोत पर किया जाता है उसका अधिकांश भाग ऊष्मा में (घर्षण के कारण) परिवर्तित हो जाता है तथा कुछ भाग ध्वनि मे बदलता है, स्रोत के कंपित होने से माध्यम के कण कंपन्न करने लगते हैं कंपन करते समय माध्यम के कणों की गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में तथा स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार सिद्ध होता है कि ध्वनि तरंगे यांत्रिक तरंगें हैं ।
36. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ? 
उत्तर – अनुदैर्ध्य तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। माध्यम के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते, परंतु अपनी विरामावस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। ध्वनि तरंगें ठीक इसी प्रकार संचरित होती है। इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं ।

आंकिक प्रश्नोत्तर

1. किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति 2 kHz और उसकी तरंगदैर्ध्य 35 cm है। यह 1.5 km दूरी चलने में कितना समय लेगी ?
उत्तर –
2. एक मनुष्य किसी खड़ी चट्टान के पास ताली बजाता है और उसकी प्रतिध्वनि 5s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 346 ms-1 ली जाए, तो चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दूरी कितनी होगी ?
उत्तर –
3. एक जहाज पराध्वनि उत्सर्जित करता है जो समुद्र तल से परावर्तित होकर 3.42 s के पश्चात् संसूचित की जाती है। यदि समुद्र जल में पराध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो समुद्र तल से जहाज की कितनी दूरी होगी ?
उत्तर –
4. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है । इस तरंग की तरंगदैर्ध्य की गणना करें ।
उत्तर –
5. किसी ध्वनिस्रोत से 450m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा ? 
उत्तर –
6. कोई प्रतिध्वनि 3s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी ?
उत्तर –
7. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात करें । 
उत्तर –

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – (i) तरंगदैर्ध्य – दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है । तरंगदैर्ध्य को सामान्यतः λ (लेम्डा) में निरूपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है ।
(ii) आवृत्ति – एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है। इसे n (न्यू) में प्रदर्शित किया जाता हैं इसका SI मात्रक हर्ट्ज (प्रतीक Hz) है ।
(iii) आवर्त काल – दो क्रमागत संपीडनों या क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं। इसका SI मात्रक सेकंड (s) है । आवृत्ति तथा आवर्त काल के संबंध को निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं- v = 1/T
(iv) आयाम – किसी माध्यम में मूल स्थितिज के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। ध्वनि के लिए इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होगा। ध्वनि प्रबलता या मृदुलता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है।
2. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है ? 
उत्तर – ध्वनि ऊर्जा का एक प्रकार है जो सामान्यतः कानों में सुनने की अनुभूति उत्पन्न करता है।
ध्वनि विभिन्न प्रकार से उत्पन्न की जा सकती है –
(a) प्रहार द्वारा – उदाहरण के लिए, यदि हम एक स्टेनलेस स्टील की चम्मच से एक धातु की प्लेट पर प्रहार करें और फिर धीरे से प्लेट को छुएँ, तो हम उसमें हो रहे कंपन महसूस कर सकते हैं और ध्वनि भी सुन सकते हैं।
(b) खींचने द्वारा जब हम गिटार, सितार या किसी अन्य तन्त्री वाद्य के तार खींचते हैं, तो उन तारों में कंपन उत्पन्न होता है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
(c) फूँकने द्वारा – जब हम मुँह से सीटी बजाते हैं या बाँसुरी बजाते हैं, तो वायु स्तंभ में उत्पन्न कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।
(d) रगड़ द्वारा – जब हम अपनी हथेलियाँ रगड़ते हैं या फर्श पर रखे टेबल को घसीटते हैं, तो ध्वनि उत्पन्न होती है ।
इस प्रकार, हम देखते हैं कि कोई वस्तु ध्वनि तभी उत्पन्न करती है जब उसमें कंपन होता है।
3. एक चित्र की सहायता से वर्णन करें कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं ।
उत्तर – ध्वनि सबसे अधिक हवा के माध्यम में गमन करती है। कोई कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वो अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीड़ित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र संपीड़न (C) कहलाता (चित्र में) है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। तभी कंपित वस्तु पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है । यह क्षेत्र विरलन (R) कहलाता है (चित्र में)। जैसे-जैसे वस्तु कंपित होती है, अर्थात् तीव्रता से आगे-पीछे हिलती है, वैसे-वैसे हवा में संपीड़नों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है ।
4. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है। 
उत्तर – एक विद्युत घंटी और एक वायुरूद्ध बेल जार लें । निर्वात पम्प से जुड़े बेल जार के अंदर विद्युत घंटी लगा दें। (चित्र में दर्शाए तरीके अनुसार) स्विच को दबाने पर हम घंटी की आवाज सुनते हैं। बेल जार से धीरे-धीरे हवा निकालने पर घंटी की आवाज धीमी हो जाती है, हालाँकि अभी भी उसमें उतनी ही विद्युत प्रवाहित हो रही है। बेल जार के अंदर थोड़ी-सी हवा बचने पर घंटी की आवाज बहुत धीमी सुनाई पड़ती है। हवा के पूरी तरह निकल जाने पर घंटी की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती । इस प्रयोग से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ध्वनि को गमन के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है ।
5. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन करें। 
उत्तर – सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित तथा एक संसूचक होता है। प्रेषित पराध्वनि उत्पन्न व प्रेषित करता है, ये तरंगें जल में चलती हैं तथा जल तल से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। जिसकी उचित व्याख्या करके अनेक चीजों की जानकारी हासिल की जाती है।
सोनार के उपयोग – 
(i) सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने में किया जाता है।
(ii) इसका उपयोग जल के अन्दर स्थित चट्टानों या घाटियों को ज्ञात करने में किया जाता है ।
(iii) इसका उपयोग डूबी हुई बर्फ या डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है ।
6. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना करें। 
उत्तर – हमारा बाह्य कर्ण आस-पास की ध्वनियाँ ग्रहण करता है । यह ध्वनि फिर श्रवण तंत्रिका से गुजरती है। श्रवण तंत्रिका के अंत में एक पतली झिल्ली होती है, जिसे कान का पर्दा या कर्णपट्ट कहते हैं। जब वस्तु में उत्पन्न विक्षोभ के द्वारा माध्यम का संपीडन कर्णपट्ट तक पहुँचता है, तो ये कर्णपट्ट को अंदर की ओर धकेलता है। इसी प्रकार, विरलनब कर्णपट्ट को बाहर की ओर खींचता है। इस प्रकार कर्णपट्ट में कंपन उत्पन्न होता है। ये कंपन मध्यवर्ती कान में स्थित तीन हड्डियों (हथौड़ा, निघात और वलयक) की सहायता से कई गुना प्रवर्धित किया जाता है । फिर ये प्रवर्धित दबाव मध्यवर्ती कान द्वारा अंदरूनी कान तक पहुँचाया जाता है । अंदरूनी कान में ये प्रवर्धित दबाव कर्णावर्त के द्वारा विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। फिर श्रवण नाड़ी के द्वारा ये विद्युत संकेत मस्तिष्क तक पहुँचते हैं और मस्तिष्क इन्हें ध्वनि के रूप में परिवर्तित करता है ।

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