NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 1 आपदा प्रबंधन (आपदा प्रबंधन)

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NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 1 आपदा प्रबंधन (आपदा प्रबंधन)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

आपदा प्रबंधन

1. आपदा (विपत्ति) क्या है ? 
उत्तर – प्राकृतिक अथवा मानवकृत घटनाएँ जिसके परिणाम स्वरूप जान-माल की हानि होती है, तो उसे आपदा कहा जाता है।
2. आपदा प्रबंधन के अंतर्गत क्या-क्या आता है ?
उत्तर – आपदा प्रबंधन के अंतर्गत निम्नांकित से संबंधित सभी पहलू आते हैं
(क) आपदा संभावित क्षेत्र के मानव जीवन तथा सामाजिक-आर्थिक मूल्यों पर आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए बचाव कार्यों को व्यवस्थित करना ।
(ख) रोकथाम तथा बचाव संबंधी उपाय ।
(ग) तैयारी ।
3. जोखिम से क्या अभिप्राय हैं। 
उत्तर – जोखिम से अभिप्राय यह है कि किसी व्यक्ति या समुदाय को किस सीमा तक एक खतरे का सामना करना पड़ सकता है। जोखिम का संयोग जब किसी आकस्मिक घटना से होता है तब उससे उत्पन्न स्थिति ही आपदा होती है। जो कारक जोखिम की सीमा का निर्धारण करते हैं उन्हें दो वर्गों में बाँटा जा सकता हैप्राकृतिक और मानव-निर्मित ।
4. तैयारी से क्या समझते है ? 
उत्तर – इसका सीधा-सा अर्थ किसी विपत्ति का सामना करने और उससे बच निकलने के लिए तैयार रहना है। समुदाय पर आधारित पहल में क्षमता वृद्धि के द्वारा सदस्यों को आपदा का सामना करने के योग्य बनाया जाता है। इसलिए आपदा के आने से पहले ही विशेष उपाय किए जाते हैं ।
5. संकट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ऐसी घटना जिनसे जान-माल का नुकसान हो, सामाजिक-आर्थिक विघटन अथवा पर्यावरण अवक्रमित होने का खतरा हो उसे संकट कहते हैं ।
6. प्राकृतिक संकट क्या है ?
उत्तर – वैसी चरम घटनाएँ जो प्रकृति द्वारा घटित होती है उन्हें प्राकृतिक संकट कहते हैं, जैसे- सुनामी, भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट आदि ।
7. किन्हीं पाँच संकटों के नाम लिखें जो आपदा या विपत्ति को शुरू करते हैं । 
उत्तर – (क) भूकंप, (ख) बाढ़, (ग) भूस्खलन, (घ) सुनामी, (ङ) सूखा आदि ।
8. आपदा के खतरे के स्थानांतरण के लिए कुछ तरीकों का वर्णन करें। 
उत्तर – आपदा – खतरे के स्थानांतरण के लिए कुछ तरीके निम्नांकित हैं
(क) विकसित देशों में निजी बीमा कंपनियाँ ।
(ख) मकानों, इमारतों, उपकरणों तथा फसलों आदि का बीमा ।
(ग) विकसित देशों में लोग तथा सरकार ।
(घ) सामुदायिक आकस्मिक घटना कोष की स्थापना ।
9. आपदा संकट का स्थानांतरण से क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर – संकट स्थानांतरण से तात्पर्य व्यक्ति और समुदाय को आपदा के खतरों और उससे होने वाली हानियों तथा नुकसान से बचाना होता है
उदाहरण- घरों तथा मकानों का बीमा आदि करके ।
10. ऐसे चार उपाय बताएँ जिनसे आपदा-रोधी निर्माण करने में सहायता मिलती है। 
उत्तर – (क) इन बलों का प्रतिरोध करने वाले ढाँचेगत उपायों की योजना बनाना तथा उनका विश्लेषण करना।
(ख) इमारतों को सुरक्षित स्थानों पर बनाना ।
(ग) ढाँचेगत अवयवों का प्रारूप तैयार करना तथा उनकी विस्तृत जानकारी देना।
(घ) प्राकृतिक संकटों द्वारा उत्पन्न बलों का आँकलन करना।
11. असुरक्षा की स्थिति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – समुदाय के भीतर मौजूद विभिन्न कारणों जैसे गरीबी, जानकारी की कमी, जीवनयापन की दयनीय स्थिति, उपकरणों का अपर्याप्त रखरखाव, सुरक्षा के अपर्याप्त पूर्वोपाय आदि के कारण कोई समुदाय संकट की जिस सीमा तक प्रभावित हो सकता है, उसे असुरक्षा कहते हैं ।
12. हम आपदा के खतरे को किस प्रकार कम करते है ? 
उत्तर – हम आपदा के खतरे को निम्न प्रकार से कम करते हैं
(क) तैयारी- इसके अंतर्गत हम योजना बनाते है, लोगों को उसमें लगाते है तथा उन्हें खतरे की जानकारी प्रदान करते हैं ।
(ख) शमन – इसके अंतर्गत संभावित आपदाओं के खतरे को कम करने के लिए ऐसी तकनीक अपनाई जाती है, जो पर्यावरण की दृष्टि से उचित हों ।
(ग) रोकथाम – यह तकनीकी तथा मानव निर्मित आपदाओं से निपटने में अधिक कारगार है। आपदाओं को कठोर सुरक्षा सावधानियों को अपनाकर रोका जा सकता है ।
13. स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन को कौन संभालता है ?
उत्तर – स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन को स्थानीय तंत्र और लोग मिलकर आपदाप्रबंधन समितियों के माध्यम से संभालते हैं ।
14. खतरा क्या है ?
उत्तर – क्षति पहुँचाने की क्षमता को खतरा कहते हैं। अधिक असुरक्षा तथा अधिक संकट का संबंध उच्च आपदा जोखिम से रहता है। कम असुरक्षा तथा कम संकट से कम आपदा जोखिम रहता है ।
खतरा = संकट × असुरक्षा / क्षमता
क्षमता को हम सामुदायिक हस्तक्षेप करना कहते हैं तथा यह किसी क्षेत्र में संकट के कम करने पर प्रभाव डालती है ।
15. पूर्णतः वातावरणीय विनाश के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले एक संकट का नाम बताएँ ।
उत्तर – सूखा ।
16. किसी प्राकृतिक संकट को कम करने के लिए की जाने वाली पूर्व तैयारी से संबंधी कोई चार बातें लिखें ।
उत्तर – (क) मानवीय कौशल तथा भौतिक संसाधनों की विस्तृत सूची बनाना।
(ख) सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा
(ग) पारस्परिक सहायता व्यवस्था ।
(घ) चेतावनी की उचित प्रभावी प्रणाली ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

आपदा प्रबंधन

1. आपदा प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – भारत विश्व की सर्वाधिक आपदा की आशंका वाले देशों में से एक है। यहाँ की आबादी विभिन्न प्रकार की विपदाओं के कारण असुरक्षित है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विज्ञान प्रौद्योगिकी की प्रगति तथा कड़ी मेहनत की बदौलत हम दिन-प्रतिदिन विकास के मार्ग पर बढ़ रहे हैं । विश्व के विकसित देशों की श्रेणी में आने के लिए हम निरन्तर प्रयत्नशील हैं। इन स्थितियों में आपदाओं में होने वाले क्षति, हमारे विकास के मार्ग को अवरूद्ध कर देती है। आपदाओं के कारण होने वाली क्षति को कम करने हेतु की जाने वाली तैयारियाँ को आपदा प्रबंधन कहा जाता है।
2. आपदा प्रबंधन के चार तत्त्व कौन-कौन से हैं ? इन चार तत्त्वों से जुड़े मुख्य उपायों का वर्णन करें ।
उत्तर – आपदा प्रबंधन के चार संघटक तत्त्व हैं- तैयारी, अनुक्रिया, पुनरुत्थान और रोकथाम ।
तैयारी- तैयारी द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपदा के प्रभाव से निबटने में समुदाय और सेवाएँ पूर्णतः तैयार हैं अथवा नहीं ।
अनुक्रिया– अनुक्रिया का संबंध किसी आपदा की प्रत्याशा में, आपदा के दौरान और आपदा समाप्त हो जाने के बाद किए जाने वाले उपायों से है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपदा के प्रभाव न्यूनतम हों।
पुनरुत्थान– पुनरुत्थान का संबंध उन उपायों से है जो आपदा प्रभावित समुदायों के लिए भौतिक अवसंरचना (घर, वास, स्थान आदि) के पुनर्निर्माण तथा आर्थिक और भावनात्मक स्थिति को पुनस्थापित करने की दृष्टि से किए जाते हैं ।
रोकथाम – रोकथाम का संबंध उन उपायों से है जो आपदा / आपातकाल के प्रभावों या उसकी घटनाओं को दूर या कम करने के लिए किए जाते हैं।
3. विभिन्न प्रकार के संकटों का वर्णन करें ।
उत्तर – (क) प्राकृतिक संकट – प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले संकट जैसे- भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट तथा सुनामी आदि प्राकृतिक संकट कहलाते हैं ।
(ख) सामाजिक-प्राकृतिक संकट- भूस्खलन, बाढ़, सूखा तथा आग आदि सामाजिक-प्राकृतिक संकट हैं क्योंकि ये प्राकृतिक तथा मानव निर्मित कारकों, द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। उदाहरण-
(i) भूस्खलन पानी के निकास तथा भूमिगत जल का निष्कासन आदि कारक बाढ़ों को बढ़ा देते हैं।
(ii) तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले वनों का कटाव समुद्री लहरों द्वारा उत्पन्न होने वाले संकट को और अधिक बढ़ा देते हैं।
(ग) मानव निर्मित संकट- मानव निर्मित संकट सामान्यतः उद्योगों तथा कारखानों से संबंधित होते हैं। उदाहरण- विस्फोट, विषैले पदार्थों का रिसाव, प्रदूषण तथा बाँधों की असफलता । युद्ध तथा जन आंदोलन आदि को भी इसी श्रेणी में सम्मिलित किया गया है ।
4. हम आपदा जोखिम को किस प्रकार कम कर सकते हैं ? 
उत्तर – आपदा जोखिम को निम्नांकित रूप से कम किया जा सकता है –
(क) समय पर उचित उपाय द्वारा
इसके तीन तत्त्व हैं –
(i) पहले से तैयारी, (ii) रोकथाम, (iii) दुष्प्रभाव को कम करना।
(ख) ढाँचागत तथा गैर-ढाँचागत ।
ढाँचागत दुष्प्रभाव को कम करना- प्रभावित क्षेत्र में बने हुए ढाँचे को आर्कीटेक्ट, इंजीनियर तथा मिस्त्री बनाते हैं । योजना बनाते समय निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहिए –
(i) भवन की स्थिति ।
(ii) प्राकृतिक संकट से उत्पन्न बल का निर्धारण ।
(iii) ढाँचागत तत्त्वों की व्याख्या और योजना।
(iv) उपयुक्त निर्माण सामग्री ।
(v) पर्याप्त देख-रेख में निर्माण |
गैर ढाँचागत दुष्प्रभाव को कम करना –
(i) कानूनी प्रक्रिया,
(ii) भूमि उपयोग योजना,
(iii) आर्थिक प्रोत्साहन,
(iv) प्रशिक्षण और शिक्षा,
(v) सार्वजनिक जानकारी,
(vi) रोकथाम |
5. आपदा के प्रभाव को कम करने वाले कुछ उपायों का उल्लेख करें । 
उत्तर – आपदा के प्रभाव को कम करने के निम्नांकित उपाय इस प्रकार हैं
(क) इमारतों के मालिकों का उचित सामाजिक तथा आर्थिक विकास ।
(ख) जंगल की आग को रोकना ।
(ग) आपदा प्रबंधन कार्यक्रमों में लोगों की हिस्सेदारी ।
(घ) उचित सूचना प्रणाली का विकास ।
(ङ) बाढ़ रोकने के लिए बाँधों का निर्माण करना ।
(च) इमारत निर्माण के कठोर नियम तथा उनको लागू करना।
6. प्राकृतिक संकट आपदा का रूप कैसे धारण कर लेता है ?
उत्तर – प्राकृतिक संकट आपदा का रूप ले सकता है। यदि किसी क्षेत्र में बाढ़ ऐसे समय आए जब उस क्षेत्र के लोग बाढ़ से निबटने के लिए तैयार न हों तो बाढ़ के पानी में सैकड़ों-हजारों की संख्या में घर, मनुष्य और मवेशी बह सकते हैं और बाढ़ संकट आपदा का रूप धारण कर लेता है ।
7. शमन के अंतर्गत क्या आता है ? गैर ढाँचागत दुष्प्रभाव के तीन उदाहरण दें। 
उत्तर – शमन के अंतर्गत ढाँचेगत तथा गैर ढाँचेगत ऐसे उपायों को सम्मिलित किया जाता है जिन्हें वातावरणीय पतन तथा तकनीकी संकटों के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
गैर-ढाँचागत दुष्प्रभाव के तीन उदाहरण निम्नांकित हैं
(क) कानूनी स्थिति- इसके अंतर्गत भवन निर्माण कानून पर ध्यान दिया जाता है और उनको पूर्णतः लागू करने का प्रयत्न किया जाता है। भवन निर्माण कानूनों को अपनाकर बनाए गए भवन। मकान भूकंप, चक्रवात, भूस्खलन तथा बाढ़ के खतरों का सामना करने में समर्थ होते हैं और इन आपदाओं से इनका कुछ नहीं बिगड़ता।
(ख) प्रोत्साहन और आर्थिक नीति- सरकारी सहायता और अनुदान भवन निर्माण संगठनों की सहायता करती है और वे संगठन अपने भवनों के निर्माण में आपदा भोजन के उपायों को सम्मिलित करते हैं । बीमा कंपनियों को दबाव देकर कहा जाता है कि वे आपदा मोचन उपायों को अपनाने वाले संगठनों को बीमे की किस्त कम कीमत पर देनी होगी।
(ग) भूमि उपयोग योजना- इसके अंतर्गत वे उपाय किए जाते हैं कि मकान ऐसे क्षेत्रों में न बनाए जाएँ पर आपदाओं का खतरा बना रहता है। ऐसा करने से लाखों लोगों की जान तथा संपत्ति बचायी जातीह है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों से हमें लोगों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित करना चाहिए ।
8. आपदा – शमन के बारे में छात्रों तथा अध्यापकों के लिए जानकारी प्राप्त करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – आपदा-शमन के बारे में छात्रों तथा अध्यापकों के लिए निम्नांकित कारणों की जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है –
(क) वे लोगों को आपदा के कारणों, उसके होने तथा आपदा के बाद के प्रभावों के बारे में समझा सकते हैं ।
(ख) प्रत्येक दुर्घटना तथा आपदा का संकट इन्हें भी समान रूप से प्रभावित करता है।
(ग) वे आपदा पश्चात् काल में भाग ले सकते हैं तथा लोगों की सहायता कर सकते हैं।
(घ) छात्र तथा अध्यापक सभी समाज तथा समुदाय का एक हिस्सा हैं।
9. पी० आर० आर० पी० (PRRP) क्या है ? वर्णन करें। 
उत्तर – समुदाय की पहल के चार तत्वों को एक आपदा की स्थिति में सामाजिक-आर्थिक विकास के परस्पर अनुरूप मार्ग भी माना जाता है।
ये चार तत्व है- पी० आर० आर० पी० (PRRP)- तैयारी (Preparedness), प्रत्युत्तर (Response), पुनर्लाभ (Recovery), रोकथाम या निवारण (Prevention)। तैयारी – आपदाओं का सामना करने के लिए समुदाय की पहलकदमी संबंधी ढांचागत परिवर्तन उपलब्ध सेवाओं की सफलता की दर में वृद्धि सुनिश्चित करता है। समुदाय की पहल चुनने के लिए अनेक विकल्प भी देती है।
प्रत्युत्तर– कोई रणकौशल तभी उपयुक्त हो सकता है, जब उसका प्रभाव, प्रमाणित हो तथा जोखिम यथासंभव कम हो। ऐसे प्रत्युत्तर की स्वीकृति भी अधिक होगी। पुनर्लाभ– भावनात्मक स्थिरता और आर्थिक संपत्तियों के पुनर्लाभ को सुनिश्चित करना किसी उपयुक्त रणकौशल का प्रमुख कार्य होता है। आर्थिक, वित्तीय, भावनात्मक और सामाजिक पुनर्लाभ भी भविष्य में किसी बड़े संकट का सामना करने में सहायक हो सकते हैं ।
रोकथाम या निवारण – इसका संबंध आपदाओं की रोकथाम / समाप्ति या उनकी तीव्रता में कमी लाने से है।

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