NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 2 संसाधन के रूप में लोग (अर्थशास्त्र)
NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 2 संसाधन के रूप में लोग (अर्थशास्त्र)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसाधन के रूप में लोग
1. मानव पूँजी क्या है ?
उत्तर – मानव में निहित निपुणता, उत्पादक ज्ञान का भंडार मानव पूँजी है।
2. जनसंख्या कब मानव पूँजी बनती है ?
उत्तर – जनसंख्या मानव पूँजी तब बनती है जब उसमें शिक्षा, प्रशिक्षण के रूप में निवेश किया जाता है।
3. एक बड़ी जनसंख्या को किस प्रकार उत्पादक परिसम्पत्ति में परिवर्तित किया जा सकता है ?
उत्तर – मानव पूँजी में निवेश करके एक बड़ी जनसंख्या को उत्पादक परिसंपत्ति में परिवर्तित किया जा सकता है।
4. आर्थिक क्रियाओं के दो भाग लिखें ।
उत्तर – बाजार क्रियाओं के दो भाग हैं
(क) बाजार क्रियाएँ तथा (ख) गैर बाजार क्रियाएँ ।
5. जनसंख्या की गुणवत्ता अंत में क्या निर्णय लेती है ?
उत्तर – जनसंख्या की गुणवत्ता अंत में एक देश की संवृद्धि का निर्णय लेती है।
6. किस प्रकार की जनसंख्यक अर्थव्यवस्था पर एक भार है ?
उत्तर – अशिक्षित तथा अस्वस्थ जनसंख्या अर्थव्यवस्था पर एक भार है ।
7. किस प्रकार की जनसंख्या अर्थव्यवस्था की परिसंपत्ति हैं ?
उत्तर – शिक्षित तथा स्वस्थ जनसंख्या देश की परिसम्पत्ति है।
8. व्यक्ति की आय का निर्धारण किस आधार पर होता है ?
उत्तर – एक व्यक्ति की आय का निर्धारण उसकी शिक्षा तथा निपुणता के आधार पर होता है ।
9. बाजार में एक व्यक्ति की आय के मुख्य निर्धारक कौन हैं ?
उत्तर – शिक्षा तथा निपुणता बाजार में एक व्यक्ति की आय के मुख्य निर्धारक हैं।
10. शिक्षा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – शिक्षा का अभिप्राय है लोगों में पढ़ने, लिखने और समझने की योग्यता ।
11. भारत में शैक्षणिक उपलब्धता के संकेतक लिखें ।
उत्तर – साक्षरता दर, सकल नामांकन दर, सरकार का शिक्षा पर व्यय तथा तकनीकी शिक्षा शैक्षणिक उपलब्धता के संकेतक हैं ।
12. मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – मृत्यु दर से अभिप्राय है एक विशेष वर्ष में प्रति 1000 व्यक्तियों पर मरने वालों की संख्या ।
13. जन्मदर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – जन्मदर से अभिप्राय है एक विशेष वर्ष में प्रति 1000 व्यक्तियों के पीछे बच्चे पैदा होने वाली संख्या ।
14. भारत में जन्म दर 25 है। इस कथन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – इसका अर्थ है एक वर्ष में 1000 व्यक्तियों के पीछे औसत 25 बच्चों का पैदा होना।
15. एक देश में एक विशेष वर्ष में जन्म दर तथा मृत्युदर क्रमशः 26 तथा 8 है। संवृद्धि दर ज्ञात करें।
उत्तर – संवृद्धि दर = जन्म दर – मृत्यु दर
= 26-8 = 18
16. शिशु मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – शिशु मृत्यु दर से अभिप्राय प्रति 1000 नवजात शिशुओं में मरने वाले शिशुओं की संख्या ।
17. 2000 में जीवन प्रत्याशा क्या थी ?
उत्तर – 2000 में जीवन प्रत्याशा 64 वर्ष से ऊपर थी।
18. सन् 2000 में शिशु मृत्यु दर कितनी थी ?
उत्तर – सन् 2000 में शिशु मृत्यु दर 75 थी ।
19. शीला परिवार के लिए कार्य करती है। वह परिवार के बाहर आय कमाने के लिए काम नहीं करना चाहती । क्या वह बेरोजगार है ? कारण बताएँ ।
उत्तर – शीला बेरोजगार नहीं है, क्योंकि वह परिवार के बाद आय कमाने के उद्देश्य से काम नहीं करना चाहती अर्थात् घर के बाद काम करने की इच्छा नहीं है ।
20. एक देश की श्रमशक्ति क्या है ?
उत्तर – एक देश की श्रमशक्ति में 15-59 वर्ष के वे सब लोग शामिल हैं जो काम करने के योग्य हैं और काम करने की इच्छा रखते हैं।
21. बेरोजगारी के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर – (क) बेरोजगारी से आश्रितों की संख्या में वृद्धि हो जाती है । फलस्वरूप जीवनस्तर गिर जाता है।
(ख) बेरोजगारी से मानवशक्ति संसाधन व्यर्थ जाता है।
22. सबसे अधिक श्रम खपाने वाला अर्थव्यवस्था का कौन-सा क्षेत्र है ?
उत्तर – कृषि क्षेत्र सबसे अधिक श्रम खपाने वाला अर्थव्यवस्था का क्षेत्र है।
23. कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता क्यों कम हो गई है ?
उत्तर – प्रच्छन्न बेरोजगारी तथा श्रमिकों का दूसरे, तीसरे क्षेत्र की ओर जाने के कारण कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता कम हो गई है।
24. मनुष्यों के गुणात्मक पक्ष को कैसे विकसित किया जा सकता है ?
उत्तर – मनुष्य में शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से निवेश करके उन्हीं गुणात्मक पक्ष को विकसित किया जा सकता है।
25. भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में हम किस प्रकार की बेरोजगारी पाते हैं ?
उत्तर – हम ग्रामीण क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी तथा मौसमी बेरोजगारी पाते हैं ।
26. ग्रामीण क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी क्यों पाई जाती है ? कोई दो कारण लिखें।
उत्तर – (क) अधिक श्रम शक्ति का होना,
(ख) ग्रामीण क्षेत्र में सहायक, वैकल्पिक व्यवस्था का न होना ।
27. ग्रामीण क्षेत्र में मौसमी बेरोजगारी क्यों पाई जाती है ?
उत्तर – ग्रामीण क्षेत्र में कृषि मुख्य क्रिया है और कृषि एक मौसमी क्रिया है। अतः किसानों तथा कृषि श्रमिकों को पूरे साल काम नहीं मिलता। वे साल के कुछ महीने बेरोजगार रहते हैं । अतः ग्रामीण क्षेत्र में मौसमी बेरोजगारी पाई जाती है ।
28. शहरी क्षेत्र में किस प्रकार बेरोजगारी पाई जाती है ?
उत्तर – शहरी क्षेत्र में दो प्रकार की बेराजगारी पाई जाती है – (क) शिक्षित बेरोजगारी तथा (ख) औद्योगिक बेरोजगारी ।
29. शहरी क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगारी क्यों पाई जाती है ?
उत्तर – शहरी क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगारी निम्नांकित कारणों से पाई जाती है
(क) देश के अंदर सामान्य शिक्षा का तेजी से विस्तार ।
(ख) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली जो नौकरी उन्मुख नहीं है।
30. औद्योगिक बेरोजगारी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – औद्योगिक बेरोजगारी से अभिप्राय अशिक्षितों में बेरोजगारी है जो उद्योगों, खनन, परिवहन, व्यापार, निर्माण आदि क्रियाओं में काम करना चाहते हैं, परंतु कम औद्योगिक विकास के कारण उन्हें काम नहीं मिलता।
31. भारत में औद्योगिक बेरोजगारी की समस्या गंभीर क्यों बन गई है ?
उत्तर – भारत में औद्योगिक बेरोजगारी की समस्या निम्न कारणों से बन गई हैं
(क) नौकरी की तलाश में शहरों में ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि ।
(ख) उद्योगों में पूँजी प्रधान विधियों का प्रयोग |
32. कौन-से कारक जनसंख्या की गुणवत्ता को बढ़ाते है ?
उत्तर – (क) साक्षरता दर,
(ख) लोगों का स्वास्थ्य और
(ग) कौशल निर्माण ।
33. शिक्षा किस प्रकार मानव विकास का महत्त्वपूर्ण कारक है ?
उत्तर – (क) शिक्षा किसी भी व्यक्ति के लिये प्रगति के नए क्षितिज खोल देती है।
(ख) यह लोगों में नई आशाएँ और आकांक्षाएँ पैदा कर देती है।
(ग) यह जीवन के मूल्यों को विकसित करती है ।
34. सर्व शिक्षा अभियान क्या है ?
उत्तर – यह एक शिक्षा अभियान है जिसका उद्देश्य यह है कि 2010 तक 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के सभी स्कूली बच्चों को प्राथमिक शिक्षा अवश्य प्रदान की जाए।
35. स्कूल के बच्चों के लिये दोपहर भोजन की योजना क्यों कार्यान्वित की गई है ?
उत्तर – दोपहर के भोजन की योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि स्कूल में, उनकी उपस्थिति को सुनिश्चित बनाया जा सके, उनकी पोषण स्थिति में सुधार लाया जा सके ।
36. शिशु मृत्यु दर को कैसे घटाया जा सकता है ?
उत्तर – (क) शिशुओं को संक्रमण से रक्षा की जानी चाहिए।
(ख) बच्चों के लिये अच्छे भोजन और पोषण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
(ग) माताओं को शिशु-पालन में प्रशिक्षित करना चाहि ।
37. ‘बेरोजगारी’ शब्द से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – यदि किसी विशेष वर्ग के लोग काम करने के योग्य तो होते हैं और काम भी करना चाहते हैं परन्तु उन्हें काम नहीं मिलता तो ऐसी अवस्था को बेरोजगारी कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसाधन के रूप में लोग
1. ‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ‘संसाधन के रूप में लोग’ वर्तमान उत्पादन कौशल और क्षमताओं के संदर्भ में किसी देश के कार्यरत लोगों का वर्णन करने का एक तरीका है। ये वे लोग हैं जिनमें सकल राष्ट्रीय उत्पाद के सृजन में योगदान देने की क्षमता है। इसलिए लोगों को देश का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। इस संसाधन को मानव संसाधन कहा जाता है। यह विशाल जनसंख्या का एक सकारात्मक पहलू है। किसी देश का संपूर्ण विकास जनसंख्या के आकार पर उतना निर्भर नहीं करता जितना कि लोगों के कौशल, तकनीकी जानकारी, स्वास्थ्य, आदि पर निर्भर करता है। इस प्रकार, जनसंख्या अर्थव्यवस्था के लिए एक दायित्व की अपेक्षा एक परिसंपत्ति है।
2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है ?
उत्तर – निस्संदेह मानव पूँजी सबसे बड़ी पूँजी है। मानव पूँजी भूमि, श्रम और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कई दृष्टि से श्रेष्ठ और भिन्न है –
(क) अन्य संसाधनों से भिन्न, मानव संसाधन का आर्थिक विकास की दृष्टि से दोहरा महत्त्व है। लोग विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं। एक ओर वे उत्पादन के साधन और दूसरे ओर वे अन्तिम उपयोग कर्ता एवं स्वयं साध्य भी होते हैं। इसका कारण है कि विकास का अंतिम उद्देश्य लोगों को बेहतर और अधिकार सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।
(ख) मानव संसाधन भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का प्रयोग कर सकता है किन्तु भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।
(ग) मानव संसाधन की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि अधिक शिक्षित एवं अधिक स्वस्थ लोगों के लाभ स्वयं उन तक ही सीमित नहीं होते हैं, बल्कि उन का लाभ उन तक भी पहुँचता है जो स्वयं उतने शिक्षित एवं स्वस्थ नहीं हैं।
3. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा का क्या भूमिका है ?
उत्तर – मानव पूँजी के निर्माण में शिक्षा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।
(क) शिक्षा व्यक्ति को इस योग्य बनाती है कि वह अपना सर्वांगीय विकास कर सके ।
(ख) शिक्षा एक व्यक्ति को इस योग्य बनाती है कि वह किसी कौशल में निपुण बन सके और अच्छा वेतन प्राप्त कर सके।
(ग) शिक्षा मनुष्य को इस योग्य बनाती है कि वह शराबखोरी और जुआ आदि के व्यसनों से बच सके जो उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
(घ) शिक्षा इसलिए भी आवश्यक है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को इस योग्य बनाती है कि वह अपने परिवार को सीमित रखे ताकि उसे भुखमरी का सामना न करना पड़े।
(ङ) शिक्षा एक व्यक्ति को अच्छे गुण अपनाने के योग्य बनाती है। ऐसा गुणी व्यक्ति ही देश का एक अच्छा नागरिक बन सकता है।
4. मानव पूँजी के निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ? अथवा, किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर – मानव विकास में स्वास्थ्य की भूमिका- मानव विकास में स्वास्थ्य की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। स्वास्थ्य से हमारा तात्पर्य केवल जीवित रहना ही नहीं है वरन् एक व्यक्ति की सर्वांगीय भलाई से जिसमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक तथा सामाजिक आदि सभी पक्ष आ जाते हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यय किया गया धन केवल किसी विशेष व्यक्ति का ही कल्याण नहीं करता वरन् इसके द्वारा मानव संसाधन के क्षेत्र में भी सुधार आता है और परिणामस्वरूप राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लाभकारी प्रभाव देखने को मिलते हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी केवल रोगों के निवारण पर ही जोर नहीं दिया जाता वरन् जनसंख्या नियन्त्रण, परिवार कल्याण खाद्य पदार्थों में मिलावट आदि रोकना तथा नशीले पदार्थों पर नियन्त्रण रखने आदि पक्षों पर ध्यान दिया जाता है।
5. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती है ।
उत्तर – आर्थिक क्रियाओं को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
प्राथमिक क्रियाएँ– वे क्रियाएँ जो प्रत्यक्ष रूप से भूमि और जल से संबंधित हैं प्राथमिक क्रियाएँ कहलाती हैं। खेती, पशुपालन, वनोद्योग, मत्स्यपालन, खनन व उत्खनन प्राथमिक क्रियाओं के उदाहरण हैं।
द्वितीयक क्रियाएँ– जिन क्रियाओं के द्वारा प्राथमिक वस्तुओं को शारीरिक श्रम या मशीनों की सहायता से किन्हीं दूसरी वस्तुओं में बदला जाता है, उन्हें द्वितीयक क्रियाएँ या गौण क्रियाएँ कहा जाता है । कपास से कपड़े का, गेहूँ से आटा व रोटी का, लकड़ी से कागज व फर्नीचर का, लोहे से स्टील की छड़ों व स्टील के बरतनों का, गन्ने से चीन का, कच्चे जूट से जूट वस्तुओं का उत्पादन द्वितीयक वस्तुओं के उदाहरण है।
तृतीयक क्रियाएँ- वे क्रियाएँ जो प्राथमिक एवं द्वितीयक क्रियाओं को आधार सेवाएँ प्रदान करती हैं तृतीयक क्रियाएँ कहलाती हैं। इन्हें सेवा क्रियाएँ भी कहा जाता है। परिवहन, संचार, व्यापार, बैकिंग, बीमा, और अन्य सब प्रकार की व्यावसायिक सेवाएँ तृतीयक सेवाओं के ही उदाहरण हैं।
6. महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं ?
उत्तर – इस बात में कोई भी अतिश्योक्ति नहीं कि महिलाएँ प्रायः निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं। इसके कुछ मुख्य कारण निम्नांकित हैं
(क) शिक्षा किसी की भी आमदनी को निश्चित करने वाला एक मुख्य कारक होता है। क्योंकि महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा कम पढ़ी-लिखी होती हैं। इसलिए उनके मुकाबले में उन्हें कम वेतन मिलता है।
(ख) शिक्षा के पश्चात् उच्च कौशल किसी भी व्यक्ति की आय को सुनिश्चित करने का एक अन्य मुख्य कारक होता है। साधारणतयः यह देखा गया है कि महिलाएँ प्रायः उच्च कौशल प्राप्त नहीं होती इसलिए उन्हें कम वेतन मिलता
(ग) कुछ लोगों का यह भी कहना है कि महिलाएँ बहुत से ऐसे कार्य नहीं सकती जिसमें शारीरिक शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार वे कठिन परिश्रम वाले कार्यों को प्राप्त करने से वंचित रह जाती हैं। बाकी कार्यों में ऊँचे वेतन पाना महिलाओं के लिए कठिन हो जाता है।
(घ) महिलाएँ प्रायः अपने घर के कार्यों से अधिक जुड़ी होती है इसलिए वे किसी भी नौकरी पर इतना नियमित रूप से काम नहीं कर सकतीं इसलिए भी उन्हें कम वेतन दिया जाता है ।
7. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं- भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी ? क्यों ?
उत्तर – निस्संदेह मानव पूँजी सबसे बड़ी पूँजी है। मानव पूँजी भूमि, श्रम और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कई दृष्टि से श्रेष्ठ और भिन्न है
(क) अन्य संसाधनों से भिन्न, मानव संसाधन का आर्थिक विकास की दृष्टि से दोहरा महत्त्व है। लोग विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं। एक और उत्पादन के साधन और दूसरी ओर वे अन्तिम उपयोग कर्ता एवं स्वयं साध्य भी होते हैं। इसका कारण है कि विकास का अंतिम उद्देश्य लोगों को बेहतर ओर अधिक सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।
(ख) मानव संसाधन भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का प्रयोग कर सकता है किन्तु भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।
(ग) मानव संसाधन की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि अधिक शिक्षित एवं अधिक स्वस्थ लोगों के लाभ स्वयं उन तक ही सीमित नहीं होते हैं, बल्कि उन का लाभ उन तक भी पहुँचता है जो स्वयं उतने शिक्षित एवं स्वस्थ नहीं हैं।
8. ‘मानव पूँजी’ और ‘मानव पूँजी निर्माण’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – मानव पूँजी जब शिक्षा, प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया जाता है तो जनसंख्या मानव पूँजी में बदल जाती है। वास्तव में, मानव पूँजी कौशल और उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का स्टॉक है।
मानव पूँजी निर्माण- जब विद्यमान मानव संसाधन या मानव पूँजी को और अधिक शिक्षा और स्वास्थ्य द्वारा विकसित किया जाता है, तब हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं। यह भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक करता है स्वास्थ्य शक्ति में वृद्धि करता है। शिक्षा, प्रशिक्षण और सेवा के माध्यम से मानव पूँजी में निवेश भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है। उदाहरण के लिए अधिक शिक्षित या बेहतर प्रशिक्षित लोग अपनी उच्च उत्पादकता के कारण अधिक आय कमाते हैं ।
9. ‘बेरोजगारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे ?
उत्तर – बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है, जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए इच्छुक लोग रोजगार नहीं पा सकें। दूसरे शब्दों में, बेरोजगारी से आशय इच्छा के बावजूद रोजगार के न मिलने से है। इससे अभिप्राय उस स्थिति से है जब व्यक्ति काम के लिए उपलब्ध होते हैं और इच्छा भी रखते हैं परन्तु उन्हें काम नहीं मिल पाता है। दूसरी ओर, श्रम शक्ति जनसंख्या में वे लोग शामिल किए जाते हैं जिनकी उम्र 15 वर्ष से 59 वर्ष के बीच है। उदाहरण के लिए, सकल की माँ शीला अपने परिवार के लिए काम करती है। वह अपने घर से बाहर पैसे के लिए काम करना नहीं चाहती है । अतः उसे बेरोजगार नहीं कहा जा सकता है। उसी प्रकार, अंकित का भाई अमित और बहन आभा क्रमशः 9 वर्ष और 11 वर्ष की है। इसलिए उन्हें बेरोजगार नहीं कहा जा सकता। अंकित के दादा-दादी की आयु भी 59 वर्ष से अधिक है। इसलिए उन्हें भी बेरोजगार नहीं कहा जा सकता ।
10. बेरोजगारी से क्या हानियाँ होती है ?
उत्तर – बेरोजगारी की हानियाँ
(क) बेरोजगारी से मानव शक्ति संसाधन व्यर्थ हो जाते हैं । वे व्यक्ति जो देश की परिसंपति हैं वे देश पर भार बन जाते हैं।
(ख) बेरोजगारी एक सामाजिक बुराई है। बेरोजगार लोग एक निराश, उत्साहीन तथा विवश वर्ग बन जाता है। नवयुवकों में निराशा की भावना पैदा हो जाती है। बेरोजगारी से समाज में बेचैनी फैलाती है ।
(ग) बेरोजगारी से काम करने वाले लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है ।
11. शिक्षा का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – शिक्षा का महत्त्व
(क) शिक्षा से मानव का दृष्टिकोण विस्तृत होता है।
(ख) यह नया जोश उपलब्ध कराती है।
(ग) यह जीवन के मूल्य को विकसित करती है।
(घ) यह समाज की संवृद्धि में योगदान देती है।
(ङ) यह राष्ट्रीय आय में वृद्धि करती है और मनुष्य की कार्यकुशलता को बढ़ाती है।
(च) यह अच्छी नौकरी और अधिक वेतन प्राप्त करने में सहायता करती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
संसाधन के रूप में लोग
1. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या क्यों है ?
उत्तर – शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या बनी हुई है। बहुत से मैट्रिक पास, स्नातक और उनसे भी अधिक पढ़े-लिखे एम० ए० पास लोग बेकार घुमते नजर आते हैं। ऐसे युवक कोई भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं। ऐसी परिस्थिति के लिये कोई-न-कोई कारण तो उत्तरदायी होगा। इनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं –
(क) शिक्षा पद्धति में दोष- हमारी शिक्षा पद्धति भी निःसन्देह दोषपूर्ण है, नहीं तो इतने वर्ष स्कूल व कालेजों में पढ़कर हमारे युवक बेकार क्यों घूमें। हमें शिक्षा पद्धति में सुधार करके इसे व्यवसायी ओर दस्तकारी युक्त बनाना चाहिए ताकि हर एक विद्यार्थी पढ़ने के उपरान्त स्वयं छोटा-मोटा कार्य कर सके ।
(ख) हमारे औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की प्रगति सन्तोषजनक नहीं- इसमें सन्देह नहीं कि हमारे औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में कुछ प्रगति हुई हैं परन्तु यह प्रगति इतनी उत्साहजनक नहीं इसलिए इन दोनों क्षेत्रों ने रोजगार के इतने साधन पैदा नहीं किए ।
(ग) अव्यवस्थित तकनीकी विकास- अब जो उद्योगों के क्षेत्रों में नई तकनीक का विकास हो रहा है उसके कारण कारीगरों को बहुत थोड़े रोजगार के अवसर मिले हैं। इतना अवश्य हुआ कि नई-नई मशीनों के आने से बहुत से मजदूरों की छटनी अवश्य हो गई। परिणामस्वरूप बेरोजगारी की समस्या और विकट होती गई ।
(घ) विदेशों में नौकरी पाने की कोई विशेष सुविधा न होना- हमारे बहुत से पढ़े-लिखे युवक नौकरी पाने के लिये विदेशों में जाने के लिये भी तैयार हैं परन्तु उन्हें विदेश जाने की इतनी सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं। बहुत से इंग्लैंड,
फ्रांस, जर्मनी, यू०एस०ए० आदि विकसित देशों ने विसा देने में कई रुकावटें डाल रखी हैं। जिनके कारण भी शिक्षित बेकारी की समस्या और गहराती जा रही है।
2. भारत किस क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर सृजित कर सकता है ? वर्णन करें।
उत्तर – आर्थिक क्रियाकलापों को तीन प्रमुख क्षेत्रकों में बाँटा जा सकता है जो क्रमशः प्राथमिक, द्वितीय और तृतीयक क्षेत्रक हैं। प्रथम क्षेत्रक में, जिनमें कृषि, वानिका पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन और खनिज आदि क्रियाएँ शामिल हैं, पहले ही भारत की दो-तिहाई जनसंख्या को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। द्वितीयक क्षेत्रक, जिसमें उत्खनन और विनिर्माण की क्रियाएँ शामिल है देश की कोई 10% कार्यरत जनसंख्या को रोजगार अवसर प्राप्त करा रहा है। तृतीयक क्षेत्रक, जिसमें परिवहन, संचार, व्यापार, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा, पर्यटन की क्रियाएँ शामिल है देश की कोई 20% कार्यरत जनसंख्या को अपने में समाए हुए है।
कृषि के क्षेत्र में पहले ही भारत की एक बड़ी जनसंख्या का भाग है इसलिये इसमें और लोगों के समाने की सम्भावना नहीं । वहाँ पर गुप्त बेरोजगारी के समाचार अकसर पढ़ने को मिलते है। ऐसे में अब द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में रोजगार के अधिक अवसर सृजित किये जा सकते हैं। द्वितीयक क्षेत्रक में आम भारत की जनसंख्या का केवल अभी 10% भाग ही काम कर रहा है। अधिक से अधिक कारखाने खोलकर अनेक लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। ऐसे में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ भारत के व्यापार में भी काफी वृद्धि हो सकती है।
तृतीयक क्षेत्रक में भी कुछ लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। वहाँ व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि सुविधाओं का और विस्तार करके अनेक लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं ।
3. शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए क्या उपाय सुझाएँ जा सकते हैं ?
उत्तर – भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में निम्न उपाय सुझाए जा सकते हैं –
(क) भारतीय शिक्षा प्रणाली को रोजगार उन्मुख बनाया जाना चाहिए ।
(ख) व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। प्रारंभ से ही छात्रों की व्यवसायिक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए ताकि वे स्व-रोजगार कर सकें।
(ग) एक ऐसी शिक्षा योजना तैयार की जानी चाहिए जिससे शिक्षित युवकों को बेरोजगारी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ें ।
(घ) छात्रों को स्व-रोजगार के विषय में जागरूक बनाया जाना चाहिए ।
(ङ) शिक्षित व्यक्तियों में शिक्षकों, डॉक्टरों आदि के रूप में गाँवों में सेवा करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
(च) रोजगार सूचना और मार्गदर्शन प्रदान करनेवाले संस्थानों का विस्तार किया जाना चाहिए ।
(छ) महँगी व्यवसायिक शिक्षा एवं अपनी व्यावसायिक इकाई स्थापित करने के लिए छात्रों को वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए ।
4. क्या आप कुछ ऐसे गाँव की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, परन्तु बाद में बहुतायत में हो गया ।
उत्तर – हमारे बहुत से गाँवों में लोग अपने कपड़े स्वयं धोते हैं, कपड़े स्वयं सीते हैं और घर की लेपा पोती भी स्वयं कर लेते हैं। यदि उन्हें अपने बच्चों को थोड़ा-बहुत पढ़ाना होता है तो वे यह काम स्वयं या गाँव वाले किसी आम पढ़े-लिखे सदस्य की सहायता से पूरा कर लेते हैं। कुछ लोग पढ़ाई के लिए अपने बच्चों को आस-पास कस्बे में भेज देते हैं। यदि कोई सिलाई का बड़ा काम करवाना हो तो वे आस के बड़े गाँवों या नगरों में जाकर पूरा करवा लेते हैं। यदि अपने परिवार की आवश्यकताओं से अधिक अनाज पैदा हो जाए तो वे अपना फालतू अनाज आस-पास की मण्डियों में बेच आते हैं। ऐसे में इन गाँवों में रोजगार के अवसर प्रायः न के बराबर होते हैं ।
परन्तु यदि वे थोड़ा-सा प्रयत्न करें तो उसी गाँव में जहाँ पहले रोजगार के कोई अवसर नहीं थे, वहाँ रोजगार के अनेक अवसर पैदा किए जा सकते हैं ।
(क) यदि वे अपने गाँव में कोई भी स्कूल खोल ले तो गाँव के अनेक पढ़े-लिखे लोगों को अपने ही गाँव में अध्यापक के पद पर काम करने वालों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो गए ।
(ख) इसी प्रकार गाँव की कोई लड़की या लड़का दर्जी के कार्य का शहर से प्रशिक्षण लेकर अपने गाँव में ही दर्जी की दुकान खोल लेता है तो उस गाँव में दर्जी का काम करने वालों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो जाएँगे।
(ग) इसी प्रकार यदि कोई किसान अपने ही गाँव में गन्ने से रस निचोड़ने की मशीन लगाकर वहाँ गुड़ आदि बनाना शुरू कर देता है तो ऐसे में गाँव के अनेक बेकार लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो जाएँगे ।
(घ) इसी प्रकार यदि गाँव का कोई साहसी युवक एक टैक्सी या तीन पहिया स्कूटर खरीदकर गाँव के लोगों और उनके माल को आस-पास के गाँव तक लाना ले जाना शुरू कर देता है तो उस गाँव में एक-दो ड्राइवरों को नए रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो जाएँगे ।
5. भारत में साक्षरता-दर बढ़ाने हेतु सरकार ने कौन-कौन से उपाय किए हैं ?
उत्तर – सरकार द्वारा साक्षरता दर बढ़ाने हेतु किए गए प्रयास निम्नांकित हैं
(क) शिक्षा पर योजना परिव्यय पहली पंचवर्षीय योजना के 151 करोड़ रु० से बढ़कर दसवीं पंचवर्षीय योजना में 43,825 करोड़ रु० हो गया है ।
(ख) प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों की स्थापना की गई है।
(ग) प्राथमिक स्कूल प्रणाली भारत के 5,00,000 से भी अधिक गाँवों में फैली है।
(घ) सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सर्वशिक्षा अभियान एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
(ङ) कक्षा में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने, बच्चों के ध्यान और उनकी पोषण स्थिति में सुधार के लिए दोपहर के भोजन की योजना कार्यान्वित की जा रही है।
(च) दसवीं योजना की रणनीति पहुँच में वृद्धि, गुणवत्ता, राज्यों के लिए विशेष पाठ्यक्रम में परिवर्तन को स्वीकार करना, व्यवसायीकरण तथा सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का जाल बिछाने पर केन्द्रित है। यह योजना दूरस्थ शिक्षा, औपचारिक, अनौपचारिक, दूरस्थ तथा संचार प्रौद्योगिकी की शिक्षा देनेवाले शिक्षण संस्थानों के अभिसरण पर भी केन्द्रित है।
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