NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 3 मौसम के रूष्ट होने पर आने वाले संकट (आपदा प्रबंधन)

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 3 मौसम के रूष्ट होने पर आने वाले संकट (आपदा प्रबंधन)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

मौसम के रूष्ट होने पर आने वाले संकट

1. चक्रवात क्या होते हैं ?
उत्तर – चक्रवात भयंकर तूफान होते हैं जो तेजी से कम दाब की ओर बढ़ते हुए वृत्तकार रूप धारण कर लेते हैं और विभिन्न दिशाओं में तीव्र गति से चलने लगते हैं ।
2. चक्रवात आगमन की भविष्यवाणी कैसे की जाती है ?
उत्तर – उपग्रह द्वारा चक्रवात के उद्गम स्थलों पर निगरानी रखी जाती है तथा चक्रवात के उत्पन्न होने और उसके आगे बढ़ने के मार्ग की भविष्यवाणी की जाती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग इनसेट उपग्रह और चक्रवात का पता लगाने वाले रेंजरों की सहायता से चक्रवात के उद्गम स्थलों का अध्ययन करता है। इस प्रकार चक्रवात के आगमन की चेतावनी 48 घंटे पूर्व दे दी जाती है। समय से चेतावनी मिल जाने पर सरकार और स्थानीय प्रशासन चक्रवात की संभावना वाले क्षेत्र को खाली करा सकता है।
3. चक्रवातरोधी ढाँचे की विशेषताएँ लिखें । 
उत्तर – चक्रवातरोधी ढाँचे की प्रमुख विशेषताएँ
(क) मजबूत तथा अच्छी नींव होनी चाहिए ।
(ख) मकानों के बीच-बीच में खाली जगह छोड़ी जानी चाहिए जिससे तेज हवाओं का प्रभाव कम हो ।
(ग) कंकरीट की छतें होनी चाहिए ।
(घ) घरों की प्लान गोलाकार बनाई जानी चाहिए ।
4. बाढ़ें क्या होती हैं ?
उत्तर – साधारणतयः एक नदी के अपने किनारों से बाहर आकर बहने को बाढ़ कहा जाता है। बाढ़ें प्रायः अधिक वर्षा होने या पहाड़ों पर बर्फ के अधिक पिघलने के कारण आती हैं। कभी-कभी समुद्री तूफानों से भी बाढ़ें आ जाती हैं। बाढ़ें कैसे भी आए प्रायः बड़ी खतरनाक होती हैं ।
5. बाढ़ की पूर्व सूचना तथा चेतावनी कैसे दी जाती है?
उत्तर – देश भर में केंद्रीय जल आयोग के कोई 132 पूर्वानुमान केंद्र हैं जो लगभग सभी अंतर्राज्य बाढ़-संभावी नदियों पर नजर रखते हैं। हर साल लगभग 6000 पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं ।
6. बाढ़ आपदा से बचाव के उपायों का उल्लेख करें ।
उत्तर – बाढ़ आपदा से बचाव के लिए निम्नांकित उपाय है –
(क) कृत्रिम भंडारन जलाशयों का निर्माण किया जाना चाहिए ।
(ख) नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में व्यापक वनरोपण करना चाहिए ।
(ग) कृत्रिम तटबंधों का निर्माण किया जाना चाहिए ।
(घ) नदियों के मोड़ों को सीधा करना चाहिए ।
7. बाढ़ से बचाव के दो उपायों का उल्लेख करें l
उत्तर – (क) नदी तटबंधों का निर्माण किया जाना चाहिए ।
(ख) नदी घाटी परियोजनाओं द्वारा नहरों का निर्माण किया जाना चाहिए।
8. भारत में बाढ़ संभावित क्षेत्रों के नाम बताएँ ।
उत्तर – भारत में बाढ़ संभावित क्षेत्र- बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम ।
9. सूखा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – सूखा एक तुलनात्मक स्थिति है। उस दशा को सूखा कहा जाता है जब सामान्य से 75 प्रतिशत कम वर्षा होती है। सूखा दो प्रकार के होते हैं- प्रचण्ड सूखा एवं सामान्य सूखा ।
10. सूखा नियंत्रण के दो उपायों का उल्लेख करें ।
उत्तर – सूखा नियंत्रण के लिए निम्नांकित उपाय किये जाने चाहिए –
(क) सूखा की स्थिति उत्पन्न होने पर पेय जल, पशु आहार, एवं भोजन आदि की व्यवस्था की जानी चाहिए ।
(ख) सूखा के समय सूखा-पीड़ितों के लिए तात्कालिक रोजगार योजना शुरू करना चाहिए । काम के बदले अनाज इसके लिए काफी सराहनीय होता है ।
11. सूखाग्रस्त क्षेत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर – यदि किसी क्षेत्र में लंबे समय तक अनावृष्टि (शुष्क मौसम) की स्थिति बनी रहे तो उस क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र कहते हैं। भारत में सूखे का मुख्य कारण मानसून का विफल होना या समय से पहले या काफी देर से आना या बिना वर्षा किए हुए लौट जाना सूखाग्रस्त क्षेत्र कहलाता है ।
12. देश का कौन-सा क्षेत्र सर्वाधिक सूखा संभावित क्षेत्र है ?
उत्तर – सूखे से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्र हैं
(क) ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा के जल का वैकल्पिक स्रोत (भू-जल और नहर से जल की आपूर्ति) न्यूनतम हो ।
(ख) ऐसे क्षेत्र जो भीषण पर्यावरणीय अवक्रमण के शिकार हों, जैसे कि अनावृत वन भूमि ।
(ग) ऐसे क्षेत्र जहाँ कृषि के अतिरिक्त जीविका का कोई अन्य विकल्प उपलब्ध न हो ।
सूखे की स्थिति से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले लोग हैं- भूमिहीन मजदूर, गुजारे योग्य अन्न उपजा सकने वाले किसान, पशुपालक, महिलाएँ, बच्चे और कृषि कार्य में उपयोगी पशु ।
13. सूखा नियंत्रण के लिए दो दीर्घकालीन योजना का उल्लेख करें । 
उत्तर – सूखा नियंत्रण के लिए निम्नांकित दो दीर्घकालिक योजनाएँ बनानी चाहिए –
(क) सूखाग्रस्त क्षेत्र में व्यापक वनरोपण किया जाना चाहिए।
(ख) सिंचाई की स्थाई व्यवस्था की जानी चाहिए।
(ग) शुष्क कृषि के प्रसार को प्रोत्साहित करना चाहिए ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

मौसम के रूष्ट होने पर आने वाले संकट

1. चक्रवात क्या है ? हमारे देश का कौन-सा हिस्सा चक्रवात से बार-बार प्रभावित होता है ?
उत्तर – उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के वायुमंडल में कम दबाव व अधिक दबाव की प्रवणता वाले क्षेत्र को चक्रवात कहते हैं। चक्रवात एक प्रबल भंवर होता है जिसमें उत्तरी गोलार्द्ध में क्लाक्वाइज़ दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में एंटी क्लाक्वाइज दिशा में तेज हवाओं (कभी-कभी 300 किमी प्रति घंटे की गति से भी अधिक) के साथ-साथ मूसलाधार वर्षा होती है तथा महासागरीय लहरें उठती हैं। उष्ण सागरीय तापमान, अधिक सापेक्षिक आर्द्रता तथा वायुमंडल में अस्थिरता के कारण चक्रवातों की उत्पत्ति होती है ।
चक्रवात पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
2. चक्रवाती मौसम तथा इसके प्रभावों का वर्णन करें। 
उत्तर – चक्रवाती मौसम तथा इसके प्रभाव निम्नांकित है
(क) बंगाल की खाडी में आने वाले तूफानों की संख्या अरब सागर पर आने वाले तूफान से बहुत अधिक होती है।
(ख) जुलाई के महीने में ये चक्रवात 18° उत्तर में तथा 90° पूर्वी देशांतर के पश्चिम में बनते हैं।
(ग) मानसून के समय अधिकांश चक्रवात 10° उत्तर और 150° उत्तर के बीच के क्षेत्र में बनते हैं।
(घ) चक्रवात बंगाल की खाड़ी और अरब सागर पर उत्पन्न होते हैं।
(ङ) दोनों जलराशियों पर चक्रवातों के आने की अवधि अक्तूबर और नवंबर महीने होते हैं।
(च) मानसून के आरंभ की ऋतु उष्ण कटिबंधीय तूफानों के बनने के लिए आदर्श दशा होती है।
3. उष्णकटिबंधीय चक्रवात की सामान्य विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर – उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कोण समुद्रों पर बनने वाले प्रचण्ड तूफान हैं। ये विषुवत रेखा से 50 से 20° उत्तरी तथा दक्षिण अक्षांशों के बीच आते हैं। ये महासागरों में उत्पन्न होते हैं और सामान्यतः पश्चिम की ओर चलते हैं । चक्रवात के केन्द्र में निम्न दाब और आसपास उच्च दाब होता है पवनें उच्च दाब से निम्न दाब की ओर अर्थात् केन्द्र की ओर चलती हैं और भँवर बनाती हैं । चक्रवातों में पवन की गति प्रायः 100 किमी० प्रति घंटा से भी अधिक होती है। ये तेज भँवर बहुत ही विनाशकारी होते हैं और जन-धन को भारी क्षति पहुँचाते हैं।
4. चक्रवात से निबटने के लिए चक्रवात से पूर्व की तैयारी के विभिन्न चरणों का वर्णन करें।
उत्तर – चक्रवात आने से पूर्व की तैयारी के विभिन्न चरण
(क) संकट का नक्शा तैयार करना- कौन-कौन से क्षेत्र में चक्रवात आते हैं, इसका एक नक्शा तैयार रखना एक प्रभावी उपाय सिद्ध हो सकता है ।
(ख) भू-उपयोग की योजना – चक्रवात आशंकित क्षेत्र में सर्वाधिक कम महत्त्व के क्रियाकलाप किए जाने चाहिए तथा ऐसे क्षेत्रों में आम जनता के क्रियाकलापों को भी सीमित किया जाना चाहिए।
(ग) चक्रवात के मौसम से पूर्व – छतों और दीवारों की जाँच की जानी चाहिए तथा उन्हें मरम्मत आदि करवा देना चाहिए ।
(घ) चक्रवात के मौसम में- रेडियो और टेलीविजन पर मौसम संबंधी जानकारी सुनते रहें। चक्रवात के बारे में चेतावनी दिए जाने पर यथासंभव अधिक-से-अधिक लोगों को सचेत कर दें। आपातकालीन किट तैयार रखें और आपात स्थिति में जिन स्थानों से संपर्क किया जा सकता है उनके नाम और पते ऐसे स्थान पर रखें जहाँ से आसानी से मिल सके।
(ङ) चक्रवात की चेतावनी मिलने पर- रेडियो या टेलीविजन से सूचना प्राप्त करते रहें और चेतावनी मिलने पर अपने परिवार के साथ निकटतम सुरक्षित स्थान पर चले जाएँ या इलाके को खाली कराने में प्रशासन / स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद करें।
5. 1999 के उड़ीसा के भयंकर चक्रवात का वर्णन करें ।
उत्तर – (क) 29 अक्तुबर 1999 को बहुत तीव्र चक्रवाती तूफान उड़ीसा तट पर हमला बोला। यह चक्रवाती तूफान 25 अक्तूबर को बंगाल की खाड़ी पर उत्पन्न हुआ था ।
(ख) इस चक्रवात से बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए, बिजली, टेलीफोन तथा संचार टावर गिर गए तथा तटीय क्षेत्र में बाढ़ आ गई ।
(ग) इस चक्रवाती तूफान को सुपर साइक्लोन कहा गया क्योंकि यह चक्रवात सबसे अधिक विनाशकारी था ।
(घ) समुद्र का पानी 15 मीटर तक की ऊँचाई में ऊपर उठा तथा पराद्वीप पत्तन से 15 किमी० तक के आंतरिक भाग में क्षेत्र को पूरी तरह बाढ़ ग्रस्त कर दिया।
(ङ) समुद्र तरंगों की औसत ऊँचाई तथा पानी की ऊँचाई 4 से लेकर 5 मीटर तक थी।
(च) 10000 लोगों की मौत हो गई तथा लाखों परिवार, स्त्रियाँ और बच्चे इस तूफान का शिकार हो गए।
6. सूखा के विभिन्न विशिष्ट प्रभाव क्या हैं ?
उत्तर – सूखा के विभिन्न प्रभाव निम्नांकित हैं
(क) अकाल की दशाएँ ।
(ख) भूख के कारण मनुष्य और पशु, दोनों की मृत्यु ।
(ग) पेय जल का तीखा संकट |
(घ) फसलों की हानि ।
(ङ) स्वास्थ्य की समस्याएँ और रोग ।
(च) सभी वस्तुओं के ऊँचे दाम और उनमें वृद्धि।
7. हम सूखा के प्रभाव को किस प्रकार कम कर सकते है ? 
उत्तर – निम्नांकित उपाय करके अकाल के प्रभाव को कम किया जा सकता है –
(क) लोगों की भागीदारी के साथ समन्वित जल संचार कार्यक्रमों को पूरी ईमानदारी के साथ लागू किया जाए ।
(ख) युद्ध स्तर पर अकाल मोचन की योजना बनाई जाए।
(ग) जल आधिक्य वाली नदियों का जल दूसरी नदियों में स्थानांतरित किए जाने के कार्यक्रम बनाए जाएँ और उनको शीघ्रतिशीघ्र लागू किया जाए। उससे
सारे देश की अकाल तथा पानी की समस्या हल हो जाएगी।
(घ) जल युक्त चट्टानों की पहचान रिमोट सैंसिग, सैटेलाइट मैपिंग तथा जी० आई० सी० का प्रयोग करके की जाए ।
8. सूखा के प्रभावों पर विजय पाने के लिए प्रमुख रणनीतियों का वर्णन करें। 
उत्तर – सूखा के प्रभावों पर विजय पाने के लिए प्रमुख रणनीतियाँ निम्नांकित हैं
(क) सिंचाई के साधनों को बढ़ाना – इससे सूखा के लिए भेद्यता कम हो जाती है।
(ख) सूखा पर नजर रखना – इसके अंतर्गत वर्षा पर लगातार नजर रखना, पानी के संग्रह स्थलों में पानी की मात्रा पर नजर रखना तथा उपलब्ध जल की मात्रा की उसकी आवश्यक मात्रा से तुलना आदि को सम्मिलित किया जाता है।
(ग) जीविका योजना – इसकी सहायता से जीविका के उन साधनों को तलाशने में सहायता मिलती है जिन पर सूखा का बहुत कम प्रभाव होता है । इस प्रकार के कुछ जीविका-उपार्जन साधन निम्नांकित है-
(i) कृषि से हटकर अन्य रोजगार |
(ii) जंगलों से लकड़ी के अलावा अन्य उपयोगी वस्तुओं का संग्रह।
(iii) बकरी पालन |
(iv) बढ़ईगीरी आदि ।
(घ) जल आपूर्ति वृद्धि तथा संरक्षण- इसे घरों तथा कृषि क्षेत्रों में वर्षा के पानी को संचित करके किया जाता है । यह उपलब्ध पानी की मात्रा को बढ़ा देता है। जल संचय वर्षा के पानी को निचले क्षेत्र या तालाबों आदि में एकत्र करके अथवा इसे पृथ्वी के अंदर अवशोषित कराकर किया जाता है। इससे कृषि के लिए उपलब्ध पानी की मात्रा बढ़ जाती है ।
(ङ) भूमि की क्षमता के अनुसार उसका प्रयोग मृदा तथा पानी के अधिकतम उपयोग में सहायक होता है। इससे पानी के व्यर्थ होने के कारण बढ़ी माँग को कम करने में सहायता मिलती है ।
9. बाढ़ के लाभदायक प्रभाव क्या है ? 
उत्तर – बाढ़ के लाभदायक प्रभाव निम्नांकित हैं
(क) मिट्टी में पानी की मात्रा बनी रहती है और फसलों को पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है ।
(ख) मिट्टी के ऊपर उपजाऊ मृदा की एक परत बन जाती है।
(ग) खेत जोतना तथा पौधे उगाना आसान हो जाता है।
(घ) भूमि में अधिक पानी बैठता है और भूमिगत जल का स्तर ऊपर उठता है l
10. बाढ़ के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए। 
उत्तर – बाढ़ के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए निम्नांकित उपाय किए जाने चाहिए –
(क) बाढ़ को कम करने से वन-रोपण, वनस्पति संरक्षण, नदियों तथा जलधारक क्षेत्रों में से मलबे की सफाई करके तथा तालाबों और झीलों के संरक्षण से जल के बहाव को कम किया जा सकता है।
(ख) कछार तथा तटीय क्षेत्रों के जलमग्न हो जाने पर भू-प्रयोग नियंत्रण से जान और माल का खतरा कम किया जा सकता है।
(ग) बाढ़ के पानी को रोकने और मकानों के दरवाजे तथा खिड़कियों आदि को सील करने के लिए बालू से भरे हुए थैलों का प्रयोग करें।
(घ) बाढ़ के जोखिम को कम करने की दिशा में सबसे पहला काम यह है कि कछार का मानचित्रण करें।
(ङ) बाढ़-संभावित क्षेत्रों में किसी भी बड़े विकास कार्य की अनुमति नहीं देनी चाहिए। शहरी क्षेत्रों में तालाबों, झीलों अथवा नीचलें क्षेत्रों में जलधारक क्षेत्रों का निर्माण किया जाना चाहिए।
(च) भवनों का निर्माण उच्च क्षेत्र पर किया जाना चाहिए। यदि जरूरी हो तो चबूतरों के ऊपर निर्माण करें।
11. बाढ़ से बचने के तीन उपायों पर प्रकाश डालें । 
उत्तर – बाढ़ नियंत्रण के निम्नांकित उपाय हो सकते हैं
(क) बाढ़ को कम करना – इसके माध्यम से बाढ़ के बहाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए वृक्षारोपण, वनस्पतियों का संरक्षण, नदियों की सफाई, भूमि एवं तालाबों के संरक्षण आदि किए जाते हैं
(ख) बाढ़ का मार्ग परिवर्तन- तटबंध, बाँध एवं चैनल सुधार जैसी प्रक्रियाओं से बाढ़ के मार्ग को परिवर्तित किया जा सकता है।
(ग) बाढ़ की अभेद्यता- बाढ़ से होने वाली क्षति को कम करने के लिए बालू से भरे थैले, दरवाजे-खिड़कियों को बंद रखना, मकानों को ऊँचा उठाना आदि तरीके काम में लाये जा सकते हैं ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *