NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 4 चुनावी राजनीति (नागरिकशास्त्र – लोकतांत्रिक राजनीति)
NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 4 चुनावी राजनीति (नागरिकशास्त्र – लोकतांत्रिक राजनीति)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
चुनावी राजनीति
1. निम्नांकित का मिलान करें-
(क) समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि
(i) समाज के हर तबके का समुचित निधित्व हो सके।
(ख) कुछ निर्वाचन-क्षेत्र अनु० जाति और अनु जनजाति के लिए आरक्षित हैं ताकि
(ii) हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले ।
(ग) प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि
(iii) हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।
(घ) सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि
(iv) संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।
उत्तर – (क) (iv), (ख) (i), (ग) (ii), (घ) (iii)
2. चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है
(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं,
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं,
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं,
(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।
उत्तर – (ग)
3. भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता ?
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं,
(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली हैं,
(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है,
(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।
उत्तर – (क)
4. 1982 से 1987 के मध्य हरियाणा में किस पार्टी का शासन था ?
उत्तर – काँग्रेस पार्टी का ।
5. लोकदल नामक राजनीतिक पार्टी की नींव किसने और कब रखी ?
उत्तर – चौधरी देवी लाल ने 1987 ई० को ।
6. 1987 में हरियाणा में किसने अपनी सरकार बनाई ?
उत्तर – चौधरी देवीलाल ने लोकदल और बी० जे० पी० ने मिल कर अपनी सरकार बनाई।
7. 1991 में हरियाणा में किस दल ने अपनी सरकार बनाई ।
उत्तर – काँग्रेस ने।
8. चुनाव से हमारा क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – चुनाव वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग प्रजातंत्र में अपने प्रतिनिधि चुनते हैं।
9. अपनी उचित अवधि के पश्चात् चुनाव होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – चुनावों का अपने उचित समय पर निरन्तर होते रहना बड़ा आवश्यक है क्योंकि इससे कोई भी सरकार तानाशाह बनने की चेष्टा नहीं करती ।
10. निर्वाचन क्षेत्र से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – एक निश्चित क्षेत्र जिसमें से मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनते हैं उसे निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं।
11. मतदाता सूची किसे कहते है ?
उत्तर – मतदान की योग्यता रखनेवाले लोगों की सूची को मतदाता सूची या वोटर लिस्ट कहा जाता है।
12. फोटो पहचान पत्र क्या होता है ?
उत्तर – हर एक मतदाता को एक पहचान पत्र दिया जाता है ताकि चुनाव के समय ठीक मतदाता की पहचान हो सके और किसी एक का वोट दूसरा न डाल सके।
13. मत पत्र क्या होता है ?
उत्तर – मत-पत्र कागज का एक छोटा-सा टुकड़ा होता है जिसपर सभी उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न छपे हुए होते हैं ताकि उस पर मोहर लगाकर वोटर अपनी पसंद जाहिर कर सके।
14. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या होती है ?
उत्तर – इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ऐसा वोट डालने का नया यंत्र है। जिसका प्रयोग करके मतदाता अपनी पसंद जाहिर कर सकता है। मशीन के ऊपर उम्मीदवारों के नाम और उसके चुनाव चिह्न बने होते है। मतदाता को जिस उम्मीदवार को वोट देना होता है तो वह उसके सामने लगे बटन को दबा देता है। इस तरह उसका वोट दर्ज हो जाता है।
15. चुनाव कब निष्पक्ष और स्वतंत्र गिने जाते हैं ?
उत्तर – चुनाव तब निष्पक्ष और स्वतंत्र गिने जाते हैं जब मतदाता को अपनी इच्छा से स्वतंत्र रूप से वोट डालने दिया जाता है ।
16. चुनावी धांधली से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – चुनाव में अपने वोट बढ़ाने के लिए विभिन्न उम्मीदवारों और पार्टियों द्वारा की जानेवाली गड़बड़ी को चुनावी धांधली का नाम दिया जाता है ।
17. सीट का क्या अर्थ है ?
उत्तर – सीट का अर्थ सदस्यों से हैं। एक सीट एक प्रतिनिधि द्वारा भरी जाती है, जो संसद में संसद सदस्य और विधानसभा में M.L.A. होता है ।
18. संसदीय क्षेत्र क्या हैं ?
उत्तर – पूरा देश 543 क्षेत्रों में बाँटा गया है। इसमें से प्रत्येक को संसदीय क्षेत्र कहा जाता है। हर निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
19. अप्रत्यक्ष चुनाव’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – वह चुनाव जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि पुनः चुनाव करते हैं । राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव है। इसमें जनता संसद सदस्य चुनती है तथा संसद सदस्य राष्ट्रपति को चुनते हैं।
20. चुनाव क्यों होते हैं ?
उत्तर – (क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं ।
(ग) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं ।
21. किन-किन राज्यों में लोकसभा के 30 से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र हैं ?
उत्तर – वे राज्य जिनमें लोकसभा सीटों की संख्या 30 से अधिक हैं- आंध्रप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल।
22. कुछ राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या ज्यादा क्यों है ?
उत्तर – इन राज्यों में अधिक आबादी के कारण मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा है। अतः, इनके लिए आबंटित सीटों की संख्या ज्यादा है।
23. चुनाव आयोग के पास इतनी शक्ति क्यों है? क्या यह लोकतंत्र के लिए अच्छा है ?
उत्तर – चुनाव को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष कराने के लिए चुनाव आयोग के पास इतनी शक्ति होती है। निश्चय ही, लोकतंत्र के लिए अच्छा है।
24 . क्या चुनाव जीतने के लिए यह जरूरी है कि किसी व्यक्ति को डाले गए मतों में से आधे से अधिक मत मिलें ?
उत्तर – नहीं, जो उम्मीदवार संबंधित क्षेत्र में सर्वाधिक मत प्राप्त करता है, उसे ही विजयी घोषित किया जाता है।
25. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र पूरे देश में बिखरे हैं या कुछ इलाकों में इनकी संख्या ज्यादा है ?
उत्तर – अनुसूचित जाति जनजाति के लिए निर्वाचन क्षेत्र उनकी आबादी के वितरण के आधार पर आरक्षित किए गए हैं। अतः, इनके लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र पूरे देश में समान रूप से वितरित नहीं हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में इनके निर्वाचन क्षेत्र अधिक हैं तो कुछ में कम ।
26. ‘चुनाव चिह्न’ क्या होते हैं ? इन्हें कौन प्रदान करता हैं ?
उत्तर – प्रत्येक राजनैतिक दल का अपना चुनाव चिह्न होता है। चुनाव चिह्न चुनाव आयोग देता है। जैसे- काँग्रेस (इ) का चुनाव चिह्न ‘हाथ’ तथा भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न ‘कमल का फूल’ है।
27. चुनाव अभियान का क्या अर्थ है ?
उत्तर – नामांकन वापस लेने की तिथि के बाद चुनाव प्रचार आरंभ हो जाता है, जिसे चुनाव अभियान कहा जाता है। चुनाव प्रक्रिया का यह भाग निर्णायक होता है। उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में लेने का प्रयास करता हैं । चुनाव अभियान के दौरान नेताओं के भाषण, जलसे, पोस्टर, संभाएँ तथा घर-घर जाकर प्रचार किया जाता है।
28. ‘चुनाव-घोषणा पत्र’ का क्या अर्थ हैं ?
उत्तर – चुनावों के समय सभी राजनैतिक दल अपना भावी कार्यक्रम जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं। यह कार्यक्रम तथा नीतियाँ इस दल का चुनाव घोषणा-पत्र कहलाती हैं। इससे जनता को विभिन्न दलों की नीतियों तथा कार्यक्रमों का पता चल जाता है।
29. चुनाव याचिका का क्या अर्थ है ?
उत्तर – चुनाव में हारा हुआ कोई भी उम्मीदवार न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है कि उसकी हार का कारण उसके प्रतिद्वन्द्वी द्वारा चुनाव में गलत तरीकों का प्रयोग किया जाना था। चुनाव याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अन्तिम माना जाता है।
30. आचार संहिता क्या है ?
उत्तर – चुनाव के समय पार्टियों और उमीदवारों द्वारा माने जाने वाले चुनाव आयोग के कायदे-व – कानून और दिशा-निर्देश कसे आचार संहिता कहते हैं ।
31. मतपत्र किस स्थिति में रद्द किया जाता है ? दो कारण बताएँ ।
उत्तर – (क) जब कोई मतदाता एक मतपत्र पर दो या उससे अधिक उम्मीदवारों के नामों के आगे चिह्न लगाता है ।
(ख) जब कोई मतदाता मतपत्र पर अपना कोई पहचान-चिह्न लगाता है।
32. एक व्यक्ति एक वोट का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर – ‘एक व्यक्ति- एक वोट’ का अर्थ यह है कि एक व्यक्ति द्वारा एक मत दिया जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति द्वारा किसी उम्मीदवार को एक से अधिक मत नहीं मिलने चाहिए। एक व्यक्ति – एक वोट’ राजनीतिक सजगता का दूसरा नाम है। यह लोकतंत्र की पहचान है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
चुनावी राजनीति
1. गुलबर्गा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की सीमा और गुलबर्गा जिले की सीमा में अंतर क्यों है ?
उत्तर – गुलबर्गा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र तथा जिले की सीमा एक जैसी नहीं है क्योंकि –
(क) संपूर्ण कर्नाटक राज्य आबादी के अनुसार समान लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित है।
(ख) संपूर्ण गुलबर्गा जिले की आबादी राज्य के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लिए निर्धारित आबादी से अधिक है।
2. मतदान केंद्रों और मतगणना केंद्रों पर पार्टी या उम्मीदवार के एजेंट क्यों मौजूद होते हैं ?
उत्तर – मतदान केंद्रों तथा मतगणना केंद्रों पर विभिन्न पार्टियों के एजेंट मौजूद रहते हैं, क्योंकि –
(क) किसी पार्टी अथवा मतदाता द्वारा मतदान के दौरान किए जाने वाले किसी धांधली को रोका जा सकता है।
(ख) मतगणना के दौरान मतकेंद्र पर होने वाली किसी भी तरह की अनियमितता पर नजर रखना तथा उसे संबंधित अधिकारियों के सामने लाया जा सकता है ।
3. ‘गुप्त मतदान’ से आप क्या समझते हैं ? इसके लाभ बताएँ ।
उत्तर – गुप्त मतदान ऐसी व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत कोई अन्य व्यक्ति यह नहीं जान सकता है कि कोई व्यक्ति किसे मत दे रहा है।
लाभ –
(क) गुप्त मतदान की व्यवस्था से मतदाता निर्भय होकर मत का प्रयोग करता है ।
(ख) इस व्यवस्था को अपनाने से आपसी द्वेष से छुटकारा मिलता है ।
(ग) इससे मतदान का प्रतिशत भी बढ़ता है क्योंकि मतदाता प्रत्याशियों के समक्ष अपना निर्णय लेने में हिचकता है।
(घ) गुप्त मतदान निष्पक्ष चुनाव में सहायक होता है ।
4. लोकतंत्र चुनाव कराने की आवश्यकता क्यों रहती है ?
उत्तर – किसी लोकतंत्र के लिए एक ऐसी व्यवस्था अपेक्षित होती है जिसके द्वारा जनता नियमित समयांतराल में अपने प्रतिनिधियों को चुन सकती है तथा यदि चाहे तो उनको बदल भी सकती है। यह व्यवस्था चुनाव कहलाती है। इसलिए प्रतिनिधि लोकतंत्र में चुनावों को आवश्यक समझा जाता है। चुनाव में मतदाता बहुत से विकल्प बना सकते हैं –
(क) वे अपने लिए कानूनों को बनाने वाले का चयन कर सकते हैं।
(ख) वे सरकार बनाने और मुख्य फैसलों को लेने वाले को चुन सकते हैं।
(ग) वे उस दल को चुन सकते हैं जिसकी नीतियाँ सरकार और कानून निर्माण में मार्गदर्शक बनेंगी।
5. क्या हम यह कह सकते हैं कि भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं ?
उत्तर – (क) विधान सभा और लोकसभा के चुनाव पाँच वर्ष के समयांतराल से आयोजित किए जाते हैं। पाँच वर्ष बाद चुने गए सभी प्रतिनिधियों का कार्यकार कार्यकाल समाप्त हो जाता है। लोकसभा या विधानसभा भंग हो जाती है ।
(ख) सभी निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव एक ही समय में कराये जाते हैं – उसी दिन या फिर कुछ दिन के भीतर । इसको आम चुनाव कहा जाता है। कभी-कभी चुनाव एक सदस्य के त्यागपत्र देने या उसकी मृत्यु होने के कारण केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में कराए जाते हैं। इसको मध्यावधि चुनाव कहा जाता है।
6. प्रत्याशियों का नामांकन क्या है ?
उत्तर – लोकतांत्रिक चुनाव में लोगों की वास्तविक या निष्पक्ष पसंद रहनी आवश्यक है। ऐसा उस दशा में ही सम्भव है। जब चुनाव लड़ने के लिए किसी तरह के प्रतिबंध न रहें। यही व्यवस्था हमारे देश में है। प्रत्येक मतदाता जो पच्चीस वर्ष की आयु का है चुनाव लड़ सकता है। मताधिकार के लिए यह आयु अट्ठारह वर्ष निश्चित की गई है। अपराधियों और अस्थिर मतःस्थिति के लोगों पर अन्य प्रतिबंध लगाए गए हैं लेकिन ऐसा विरल मामलों में ही है। राजनैतिक दल अपने प्रत्याशी चुनते हैं और उन्हें अपने दल के प्रतीक चिह्नों को देकर अपना समर्थन प्रदान करते हैं। दल का नामांकन बहुधा “दल को टिकट दिया जाना कहलाता है।
7. ‘वयस्क मताधिकार’ से क्या अभिप्राय है? लोकतंत्र के लिए इसका महत्त्व स्पष्ट करें।
उत्तर – यह व्यक्ति जो 18 वर्ष की आयु से अधिक का हो, वोट देने का अधिकारी होता है। भारत जैसे देश जहाँ सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में विभिन्नताएँ विद्यमान हैं, वयस्क मताधिकार का विशेष महत्व है।
(क) वयस्क मताधिकार राजनीतिक समानता पर आधारित है।
(ख) वयस्क मताधिकार प्रजातंत्रीय शासन व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। यदि हम प्रजातंत्र का अर्थ लोगों की सरकार, लोगों द्वारा सरकार तथा लोगों के लिए सरकार से लेते हैं तो वयस्क मताधिकार का अपना विशेष महत्त्व है।
(ग) वयस्क मताधिकार सभी लोगों पर बराबर जिम्मेदारी डालता है। इसका उद्देश्य लोग अच्छे बने तथा कानूनों का सही ढंग से पालन करें।
8. उप-चुनाव और मध्यावधि चुनाव में क्या अन्तर है ?
उत्तर – उप-चुनाव- जब किसी विशेष चुनाव क्षेत्र में चुने गए व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है या फिर वह सभासद स्वयं त्यागपत्र दे देता है तो वह सीट खाली घोषित कर दी जाती है और तब ऐसे चुनाव क्षेत्र में उप-चुनाव होता है। ऐसा उपचुनाव सारे राज्य या नगर आदि के लिये न होकर एक विशेष क्षेत्र में होता है और इसमें इतने बड़े प्रबन्ध की भी आवश्यकता नहीं पड़ती।
मध्यावधि चुनाव- कई बार लोकसभा या किसी विशेष राज्य विधानमण्डल को राष्ट्रपति के आदेशानुसार निश्चित समय से पहले ही भंग कर दिया जाता है या किसी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है और कोई अन्य दल सरकार बनाने में असफल रहता है तो ऐसे में सारे राज्य या सारे देश में बीच में ही चुनाव कराने पड़ जाते हैं। ऐसे चुनाव को मध्यावधि चुनाव कहते हैं। 1980 में लोकसभा के लिए ऐसा एक मध्यावधि चुनाव हुआ था जब जनता सरकार अपने पाँच वर्ष (1977-82) पूरे करने से पहले ही समाप्त हो गई और चुनाव 1982 की बजाए 1980 में ही करवाने पड़े।
9. ‘साधारण बहुमत’ का क्या अर्थ हैं तथा इसकी क्या कमजोरी है ?
उत्तर – चुनाव के बाद चुनाव का परिणाम घोषित किया जाता है। जो उम्मीदवार अन्य उम्मीदवारों के द्वारा प्राप्त किए गए मतों से अधिक मत प्राप्त करता है, उसे जीता हुआ घोषित कर दिया जाता है। माना कुल मत 100 थे । ‘ए’ को 30 मत, ‘बी’ को 25 मत, ‘सी’ को 25 मत तथा ‘डी’ को 20 मत मिले । ‘ए’ को इनमें सबसे अधिक 30 मत मिलें। वह चुनाव जीत गया । इसे साधारण बहुमत कहा जाता है। भारत में लोकसभा तथा राज्यों की विधानसभा के चुनाव में यही पद्धति अपनाई जाती है। राष्ट्रपति के चुनाव में अनुपातिक प्रतिनिधित्व की पद्धति अपनाई जाती है। कमी- इस ‘साधारण बहुमत प्रणाली की कमी यह है कि जीता हुआ व्यक्ति आधे से अधिक मतदाताओं की पसन्द का न होने पर भी विजयी कहलाता है।
10. भारत में चुनाव के समय उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न क्यों दिये जाते हैं ? दो कारण लिखें ।
उत्तर – (क) चुनाव चिह्न मतदाताओं की सुविधा के लिए दिए जाते हैं। चुनाव या मतदान के समय अनपढ़ व्यक्ति अभिमत पत्र पर छपे चुनाव चिह्नों को देखकर पहचान सके कि कौन-सा निशान कौन से राजनीतिक दल या प्रत्याशी का है।
(ख) भारत जैसे देश में जहाँ पर मतदाताओं की बहुत बड़ी संख्या अनपढ़ है तथा राजनीतिक दल भी बहुत ज्यादा तथा मिलते-जुलते नामों वाले हैं वहाँ चुनाव चिह्न सफल लोकतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव के लिए उपयोगी है।
11. चुनाव को कब लोकतांत्रिक माना जा सकता है ?
उत्तर – चुनाव को लोकतांत्रिक तब माना जा सकता है जबकि वह कुछ निम्नांकित शर्तें पूरी करता हो
(क) चुनाव निष्पक्ष ढंग से कराये जाने चाहिए जिससे लोग बिना किस डर के अपनी इच्छानुसार उस व्यक्ति का चुनाव कर सके जिसे वे चाहते हैं।
(ख) हर वयस्क को बिना किसी जाति, धर्म, लिंग के भेदभाव के वोट देने का अधिकार हो और सभी नागरिकों के वोट का एक मूल्य हो ।
(ग) हर एक उम्मीदवार और पार्टी को चुनाव में उतरने की आजादी हो ताकि मतदाताओं के पास चुनने के अनेक विकल्प हों।
(घ) चुनाव का अवसर मतदाताओं को एक नियमित अंतराल पर मिलता रहे। चुनाव अपने निश्चित अंतराल के पश्चात् अवश्य होते रहने चाहिए।
12. आधुनिक निर्वाचन राजनीति में अधिकांश प्रत्याशी राजनीतिक दलों के ही होते हैं? कोई से तीन कारण लिखें।
उत्तर – आधुनिक निर्वाचन राजनीति में अधिकांश प्रत्याशी निम्नांकित कारणों से राजनीतिक दलों से सम्बन्धित होते हैं –
(क) प्रत्याशी के किसी राजनीतिक दल से सम्बन्धित होने से मतदाताओं को यह जानने में सुविधा हो जाती है कि प्रत्याशी के क्या उद्देश्य व आदर्श हैं।
(ख) मतदाताओं को निश्चित रूप से यह जानकारी होती है कि वे किस प्रकार के व्यक्ति के लिए मतदान दे रहे हैं।
(ग) प्रत्याशी का किसी राजनीतिक दल से खड़े होने का व्यावहारिक कारण भी है। किसी भी प्रत्याशी के पास इतना धन, संगठन या साधन नहीं होता कि वह चुनाव लड़ने की हिम्मत कर सके । राजनीतिक दल के सदस्य होने से उसे यह सब सुविधाएँ जैसे- धन, संगठन आदि आसानी से प्राप्त हो जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
चुनावी राजनीति
1. चुनाव प्रचार, मतदान के दिन तथा मतगणना के दिन चुनाव के इन चरणों में किसी चुनाव अधिकारी को किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ।
उत्तर – चुनाव प्रचार के समय ध्यान देनेवाली बातें
(क) चुनावी सभाएँ अपने निश्चित समय और स्थान पर हों ।
(ख) राजनीतिक पार्टियों द्वारा जुलूस निकालते समय कोई गड़बड़ी न हो।
(ग) पोस्टर द्वारा नागरिकों की दीवारों को खराब न किया जाए।
(घ) भाषण देते समय कोई व्यक्ति गलत न बोले और दूसरों पर कीचड़ नहीं उछाले आदि ।
मतदान के दिन ध्यान देनेवाली बातें – मतदान के दिन चुनाव अधिकारी सुरेखा को निम्नांकित बातों पर अपना विशेष ध्यान देना होगा –
(क) मतदान शान्तिमय ढंग से हो।
(ख) कोई भी गलत वोट न डाल सके ।
(ग) हर मतदान केंद्र पर पुलिस की व्यवस्था होनी चाहिए ।
(घ) कोई भी असामाजिक तत्व किसी केंद्र में घुसने नहीं पाए ।
(ङ) कोई भी व्यक्ति या दल मतदान केंद्र पर कब्जा न कर पाए ।
(च) चुनाव के पश्चात मत पेटियाँ या इलेक्ट्रॉनिक मशीनें गिनती केंद्र पर ठीक-ठाक पहुँच जाए।
मतगणना के दिन ध्यान देने योग्य बातें- मतगणना वाले दिन चुनाव अधिकारी – ध्यान सुरेखा को और सतर्क रहने की आवश्यकता है। उसे निम्नांकित बातों देना होगा –
(क) मतगणना केंद्रों पर विभिन्न उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के बैठने की उचित व्यवस्था हो ।
(ख) मतगणना केंद्रों पर पुलिस का उचित प्रबन्ध हो ताकि कोई भी गड़बड़ी न हो सके ।
(ग) कोई भी असामाजिक तत्व किसी मतगणना केंद्र में घुसने न पाए।
(घ) वोटों की गिनती का काम सभी प्रतिनिधियों के सामने हो और किसी को भी कोई आपत्ति न हो।
(ङ) परिणाम घोषित होने के पश्चात् विभिन्न पार्टियों या उनके प्रतिनिधियों में कोई झगड़ा न होने पाए और न कोई भड़काने वाली कोई भाषणबाजी न हो पाए ।
2. भारतीय चुनाव प्रणाली की कोई तीन विशेषताएँ लिखें।
उत्तर – भारतीय चुनाव प्रणाली की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित हैं
(क) वयस्क मताधिकार – भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं, इसका अर्थ यह है कि यहाँ पर बिना जाति, धर्म, वर्ग अथवा लिंग का भेद किए सभी उन नागरिकों को जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है मतदान का अधिकार दिया गया है । इंग्लैंड, भारत और रुस जैसे कुछ देशों में मताधिकार की आयु 18 वर्ष है।
(ख) भारत में चुनाव पृथक् निर्वाचन के आधार पर नहीं होते बल्कि संयुक्त निर्वाचन के आधार पर होते हैं। इसका अर्थ यह है कि एक चुनाव क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता चाहे वे किसी भी जाति, धर्म व सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हों अपना एक प्रतिनिधि चुनते हैं । यह प्रतिनिधि चाहे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता हो । भारत में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान सुरक्षित किए गए हैं परन्तु उनके प्रतिनिधि केवल उन्हीं की जाति के लोगों द्वारा नहीं बल्कि सभी मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं।
(ग) एक व्यक्ति एक वोट का सिद्धांत – भारत में निर्वाचन प्रक्रिया में एक व्यक्ति एक वोट देने का अधिकार रखता है ।
3. आरक्षित निर्वाचक क्षेत्रों से आप क्या समझते हैं ? वर्णन करें ।
उत्तर – हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने प्रतिनिधि चुनने और प्रतिनिधि चुने जाने का हक होता है । संविधान निर्माताओं को यह चिन्ता थी कि खुली मत प्रतियोगिता के कतिपय कमजोर वर्ग शासक लोकसभा तथा राज्य में विधानसभाओं के लिए चुने जाने का अवसर न पाएँ। उनके पास दूसरों के विरूद्ध प्रतिस्पर्धा करने और चुनाव जीतने के लिए अपेक्षित संसाधन, शिक्षा और संपर्क नहीं भी हो
सकते हैं। प्रभावशाली और धनवान लोग उनको चुनाव जीतने से रोक भी सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो हमारी संसद और विधानसभाएँ इस वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं कर पाएँगी । इससे हमारा लोकतंत्र न्यून प्रतिनिधित्व वाला १और न्यून लोकतांत्रिक बन जाएगा। इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित जनजातियों के लिए आरक्षित है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में केवल अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही उम्मीदवार बनेगा। इसी तरह अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति ही अपने लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ पाएगा। समाज के अन्य वर्गों ने उम्मीदवार इन क्षेत्रों से चुनाव के लिए खड़े नहीं हो पाएँगे।
4. उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यताएँ क्या होनी चाहिए ?
उत्तर – (क) सभी किस्म के कार्यों हेतु शैक्षिक योग्यताएँ सुसंगत नहीं हैं। जैसे- क्रिकेट की टीम में चयन की सुसंगत योग्यता, शैक्षिक उपाधियाँ नहीं बल्कि क्रिकेट खेलने की योग्यता है। इसी तरह संसद सदस्य या विधान सभा सदस्य बनने की योग्यता जनता की समस्याओं को समझने, उसके साथ वास्तविक हमदर्दी और उनके हितों को प्रस्तुत करने की होती है। वे ऐसा कर सकते हैं या नहीं इसकी परीक्षा लाखों मतदाता करते हैं और इसके परिणाम की घोषणा उनके द्वारा पाँच वर्ष के बाद कर दी जाती है ।
(ख) यदि शिक्षा को सुसंगत माना जाए तो इसका निश्चय लेना भी मतदाताओं के ऊपर छोड़ दिया जाता है।
(ग) हमारे देश में एक अन्य कारण से शैक्षिक योग्यता को मानदंड बनाना लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है। इसका मतलब देश के अधिसंख्यक नागरिकों को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित करना है। जैसे- यदि बी० ए० बी० काम० तथा बी० एस० सी० (कला स्नातक, वाणिज्य स्नातक तथा विज्ञान स्नातक) उपाधियों को उम्मीदवारों के लिए आवश्यक बनाया गया तो 90 प्रतिशत से भी अधिक नागरिक चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो जाएँगे।
5. लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का क्या महत्व है ? भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों का उल्लेख करें ।
उत्तर – यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो । चुनाव निष्पक्ष होने के लिए दो कारण हैं । एक, चुनाव लोकतंत्र का दर्पण है। जब तक चुनाव स्वतंत्र नहीं होंगे, तब तक हम यह नहीं जान पाएँगे कि लोग क्या चाहते हैं । दूसरे, लोकतंत्र को “जनता की जनता के लिए और जनता द्वारा सरकार” माना जाता है। मतदाताओं के सच्चे समर्थन के बिना किसी सरकार की सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है ।
स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संविधान में अनेक प्रावधान दिए गए हैं –
(क) चुनावों का प्रबंध चुनाव आयोग का काम है। उसकी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए यही प्रक्रिया अपनानी होगी जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए अपनाई जाती है।
(ख) चुनाव आयोग ने कहा कि- मंत्री अपने सरकारी दौरों को चुनावी कार्य के साथ नहीं जोड़ेंगे और सत्ताधारी दल के लाभ के लिए सरकारी वाहनों तथा कर्मचारियों का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
(ग) आयोग संवेदनशील चुनाव क्षेत्रों में केंद्रीय प्रेक्षक भेजता है। यदि किसी मतदान केन्द्र में बूथों पर कब्जा कर लिया गया हो तो आयोग वहाँ पुनः मतदान के आदेश दे देगा।
(घ) चुनाव याचिकाओं पर सुनवाई उच्च न्यायालयों द्वारा की जाती है। यदि किसी निर्वाचित उम्मीदवार द्वारा या उसके चुनाव एजेंट द्वारा कोई भ्रष्ट व्यवहार किया गया हो तो न्यायालय उस चुनाव को अवैध घोषित कर देगा।
(ङ) राज्य सरकारें मतदाताओं को पहचान पत्र जारी करने के लिए सिद्धांत रूप में सहमत हो गई है।
6. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है ? इसकी कार्य प्रणाली बताएँ ।
उत्तर – आजकल मतदान के लिए इलैक्ट्रॉनिक मशीनों का उपयोग किया जाने लगा है। इस मशीन में उम्मीदवारों के नाम और राजनैतिक दलों को चुनाव चिह्न दिखाई देते हैं। स्वतंत्र प्रत्याशियों को भी चुनाव अधिकारियों द्वारा उनके अपने चुनाव-चिह्न आबंटित किए जाते है । मतदाता को केवल उम्मीदवार के नाम के सामने लगे बटन को दबाना होता है और उसका मत इंगित उम्मीदवार के नाम अभिलेख में चला जाता है।
चुनाव समाप्त होते ही इन सभी मशीनों को सील करके एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता है। कुछ दिन पश्चात् एक नियम तिथि को एक चुनाव क्षेत्र की सभी मशीनों को खोला जाता है और प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त मतों की गिनती कर ली जाती
है ।
सभी उम्मीदवारों के बिचौलिए या एजेन्ट मत गणना के समय एकत्रित होते हैंयह देखने के लिए मतगणना सही ढंग से की जा रही है या नहीं। एक निर्वाचन क्षेत्र से सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। आम चुनाव में मतगणना एक ही समय और एक ही दिन की जाती
है ।
7. चुनाव अभियान या प्रचार क्या है ?
उत्तर – (क) हमारे देश में उम्मीदवारों के नामों की अंतिम सूची घोषित होने और चुनाव की तारीख के बीच पन्द्रह दिन की अवधि में चुनाव प्रचार होता है। इस अवधि में उम्मीदवार अपने मतदाताओं के साथ संपर्क बनाते हैं। राजनैतिक दल के नेता चुनाव की सभाओं में भाषण देते हैं और अपने समर्थकों से अपने दल को मतदान करने की अपील करते हैं ।
(ख) इस अवधि में समाचार पत्र और दूरदर्शन दोनों चुनावों से संबंधित तथ्यों, आँकड़ों और बहसों को जनता के सामने उजागर करते हैं। हालाँकि चुनाव प्रचार केवल इन पन्द्रह दिनों तक सीमित नहीं रहता है। राजनैतिक दल चुनाव तारीख से कई माह पहले से ही चुनाव की तैयारियाँ करना शुरू कर देते हैं।
(ग) चुनाव प्रचार में राजनैतिक दल कुछ बड़े मुद्दों पर जनता का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। स्थान-स्थान पर सभाएँ आयोजित की जाती है। और जनता से अपील की जाती हैं कि उसके उम्मीदवार को ही मत दिए जाएँ। बहुत से चुनावों में हमने देखा है कि राजनैतिक दल कई तरह के नारे भी लगाते हैं।
8. लोकतंत्र में निर्वाचन के महत्व की विवेचना करें। मतदाताओं की सरकार पर प्रभाव डालने में क्या भूमिका होती है ?
उत्तर – लोकतंत्र में प्रतिनिधित्व या चुनाव का बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि :
(क) आधुनिक लोकतंत्र में सभी नागरिक शासन नहीं कर सकते वरन् उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि ही शासन कार्य करते हैं। यह सब कुछ चुनाव से ही सम्भव है।
(ख) आकार की समस्या के कारण भी आज के युग में सभी नागरिक शासन नहीं कर सकते। यह कार्य उनके द्वारा चुने हुए कुछ निर्वाचित सदस्यों द्वारा ही किया जा सकता है। परन्तु ऐसा भी चुनाव के बिना सम्भव नहीं।
(ग) चुनाव द्वारा ही नागरिक अप्रिय और दुष्ट लोगों की सरकार को बदल सकते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार नई सरकार का गठन कर सकते हैं।
(घ) चुनाव द्वारा ही कार्यपालिका की शक्ति पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
(ङ) चुनाव के बिना गणतंत्रीय एवं प्रजातंत्रीय सरकार का गठन करना सम्भव ही नहीं है।
9. मतदाता किस प्रकार सरकार पर प्रभाव डाल सकते हैं ?
उत्तर – मतदाताओं की सरकार पर प्रभाव डालने में भूमिका- इस बात में कोई भी सन्देह नहीं कि सरकार पर प्रभाव डालने में मतदाताओं की एक बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। मतदाता निम्नांकित ढंग से सरकार पर प्रभाव डाल सकते हैं
(क) अच्छे व्यक्तियों को चुनकर- यह मतदाताओं की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार के व्यक्तियों को चुनाव करें जो बाद में सरकार का निर्माण करें। अच्छे लोगों का चुनाव करने से ही अच्छी सरकार बन सकती है।
(ख) सरकार की आलोचना करके- सरकार के निर्माण के पश्चात् भी यदि जनता सरकार की आलोचना करने के अपने अधिकार का उचित प्रयोग करे तो कोई भी सरकार उसकी अवहेलना नहीं कर सकती।
(ग) अपने अधिकारों की रक्षा करके लोगों ने अपने एक-एक अधिकार के लिए शताब्दियों तक शासक वर्ग से संघर्ष किया है और बलिदानों के पश्चात् उन्हें सफलता मिली है। अब जब लोगों को विभिन्न अधिकार प्राप्त हो चुके हैं, उन्हें उनकी रक्षा के लिए निरन्त प्रयत्नशील रहना चाहिए। इस दिशा में उन्हें न्यायालय का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त करना चाहिए। –
(घ) जलसे- – जुलूस निकालकर – लोग प्रदर्शनों एवं जलसे-जुलूसों द्वारा भी सरकार की नीतियों का विरोध कर सकते हैं और उसे बदनाम कर सकते है। बदनामी का डर भी सरकार को ठीक रखने के लिए बड़ा कारगर सिद्ध होता है।
10. निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर – निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरण- निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरण निम्नांकित होते हैं
(क) चुनाव की घोषणा करना – चुनाव की प्रक्रिया चुनाव की घोषणा और उसके लिये तिथियाँ निर्धारित करने से शुरू हो जाती है। चुनाव और उसकी तिथियाँ की घोषणा निर्वाचन आयोग द्वारा होती हैं ।
(ख) प्रत्याशियों का चयन – चुनाव में सफलता का ध्यान रख कर विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशियों का चयन करते है। राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों के चुने जाने के अवसर अधिक होते हैं इसलिए प्रत्याशी स्वतंत्र खड़े होने का प्रयत्न नहीं करते ।
(ग) नामांकन पत्र भरना, उनकी जाँच, प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेना तथा मतदान पत्रों का छापना- एक निर्वाचन तिथि तक विभिन्न प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र भरते है । तब निर्वाचन आयोग द्वारा उनकी जाँच होती है। फिर प्रत्याशियों को अपना नाम वापस लेने का समय दिया जाता है और तब जाकर निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान-पत्र छापे जाते हैं ।
(घ) चुनाव चिह्नों का बाँटना- प्रमुख राजनीतिक दलों के अतिरिक्त चुनाव में खड़े होने वाले छोटे-छोटे मोटे दलों एवं स्वतंत्र खड़े होने वाले प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न बाँटे जाते है ताकि उन्हें पहचानने में वोटरों को सुविधा रहे ।
(ङ) राजनीतिक दलों द्वारा घोषणा-पत्रों का जारी करना – तब विभिन्न प्रमुख राजनीतिक दल अपना-अपना घोषणा पत्र जारी करते हैं ताकि वोटर उनकी नीतियों को समझ सकें और उचित मूल्यांकन के पश्चात् अपना वोट दे सकें ।
(च) चुनाव अभियान – तब विभिन्न पार्टियों एवं प्रत्याशियों द्वारा चुनाव अभियान का काम शुरू होता है जो चुनाव के समय से 48 घण्टे पहले तक जारी रहता है।
(छ) मतदान, मतों की गणना तथा परिणामों की घोषणा – तब निश्चित तिथि, निश्चित स्थान और निश्चित समय पर मतदान होता है और वोटर अपनी इच्छानुसार वोट डालते हैं। मतदान के पश्चात् मतों की पेटियाँ एक निश्चित स्थान पर पहुँच जाती है और वोटों की गिनती के पश्चात् परिणामों की घोषणा कर दी जाती है।
(ज) चुनाव- याचिका का भरना – यदि कोई प्रत्याशी अपने चुनाव के परिणाम से सन्तुष्ट नहीं होता है तो वह न्यायालय में याचिका दर्ज करवा सकता है। ऐसे में वह न्याय प्राप्त कर सकता है ।
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