NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 6 किसान और काश्तकार (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -1)
NCERT Solutions Class 9Th Social Science Chapter – 6 किसान और काश्तकार (इतिहास – भारत और समकालीन विश्व -1)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
किसान और काश्तकार
1. बाड़ाबन्दी से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – बाड़ाबन्दी का अर्थ है भूमि का एक बड़ा टुकड़ा जिसके चारों ओर बाड़ाबन्दी कर ली गई हो। इसके चारों ओर झाड़ियाँ लगा दी जाती थीं ताकि दूसरों की भूमि से उसे अलग रखा जाए ।
2. 16 वीं शताब्दी में भूमि को बाड़ाबन्दी में क्यों लिया गया ?
उत्तर – ऐसा इसलिए किया गया कि भेड़-बकरियों को पालना आसान हो जाए।
3. 18 वीं शताब्दी में भूमि को बाड़ाबन्दी में क्यों लिया गया ?
उत्तर – 18 वीं शताब्दी में भूमि को बाड़ाबन्दी में इसलिए लिया गया ताकि अधिक अनाज की पैदावार हो सके क्योंकि 1750 से 1900 के बीच में आबादी में चार गुणा इजाफा हो चुका था।
4. 1660 के दशक में किसानों ने क्यों शलजम की खेती करनी शुरू कर दी ?
उत्तर – क्योंकि यह फसल पशुओं के लिये एक उत्तम चारा सिद्ध हुई। इसके अतिरिक्त इस फसल से जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है जो फसलों की वृद्धि में काफी सहायक सिद्ध होती है ।
5. अमेरिका का महान मैदानों का क्षेत्र “रेत के कटोरे के समान क्यों बन गया ?
उत्तर – क्योंकि एक तो 1930 के दशक में अमेरिका में एक भयंकर सूखा पड़ा और दूसरे अपने लालच में अमेरिका के जमींदारों ने हर प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति को काट डाला जिससे आन्धियाँ इतनी तेज चलने लगीं कि अमेरिका का महान मैदान रेत का एक कटोरा बनकर रह गया।
6. किस देश में सबसे पहले कृषि क्रांति हुई ?
उत्तर – इंग्लैंड में |
7. इंग्लैंड में किन दो शताब्दियों में कृषि विकास देखे गए ?
उत्तर – अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में ।
8. थ्रेशींग मशीनों के मालिकों के श्रमिकों द्वारा किस प्रकार की धमकी दी गई संक्षेप में बताएँ ?
उत्तर – एक पत्र द्वारा निम्न वाक्य में धमकी दी गई – आपको यह सूचित किया जाता है कि यदि आपकी थ्रेशिंग मशीन आपके द्वारा नष्ट की गई तो हम अपने श्रमिकों द्वारा करेंगे ।
9. सोलहवीं शताब्दी की पुरानी बाड़ाबंदी तथा अठारहवीं शताब्दी की नई बाड़ाबंदी में मुख्य अंतर क्या था ?
उत्तर – नई बाड़ाबंदी पुरानी बाड़ाबंदी से भिन्न थी । सोलहवीं शताब्दी की बाड़ाबंदी जिसमें भेड़पालन को बढ़ावा मिलता था उसे अठारहवीं शताब्दी में अनाज उत्पादन करने के लिए घेर लिया गया। नई बाड़ाबंदी भिन्न संदर्भ में होने लगी जो समय परिवर्तन का एक प्रतीक बन गई ।
10. कैप्टेन स्विंग कौन था ?
उत्तर – कैप्टेन स्विंग एक काल्पनिक था जिसका प्रयोग इंग्लैंड में थ्रेशिंग मशीनों के विरोधियों द्वारा किया गया ।
11. दो कारण बताएँ जिससे कि अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड में बाड़ाबंदी आवश्यक हो गई ।
उत्तर – (क) भूमि पर लंबी अवधि के लिए निवेश के कारण
(ख) बाड़ाबंदी ने धनी किसानों को अपने नियंत्रण की भूमि को विकसित करने दिया क्योंकि बढ़ते बाजार के लिए अधिक उत्पादन जरूरी थी। बाजार तीन कारणों से बढ़ रहा था- (i) बढ़ती जनसंख्या, (ii) नगरीकरण, (iii) फ्राँस से युद्ध ।
12. संयुक्त राज्य अमेरिका में अठारहवीं शताब्दी के अंत में कुल वन भूमि तथा घास भूमि की क्या स्थिति थी ?
उत्तर – 18वीं शताब्दी के अंत में वन आवरण 1800 मिलियन एकड़ भूमि पर था तथा घास भूमि 600 मिलियन एकड़ भूमि पर ।
13. संयुक्त राज्य अमेरिका में किसने तथा कब फसल काटने की मशीन का आविष्कार किया ?
उत्तर – साइरस मैककोर्मिक ने 1831 में |
14. ‘चलते हल’ के बारे में संक्षेप में बताएँ ।
उत्तर – चलते हल का सामने का भाग पहियों पर टिका रहता है। पीछे पकड़ने का हत्था होता है जिससे हल चलाने वाला हल चलाता है।
15. बाड़ाबंदी से पूर्व स्त्री तथा बच्चों का क्या कार्य था ?
उत्तर – सार्वजनिक कानून के अंतर्गत बाड़ाबंदी से पूर्व स्त्री तथा बच्चे गाय पालना ईंधन के लिए लकड़ी इकट्ठा करना फल इकट्ठा करना आदि का काम करते थे।
16. किस प्रकार बाड़ाबंदी ने स्त्री तथा बच्चों के जीवन को प्रभावित किया ?
उत्तर – बाड़ाबंदी ने स्त्री तथा बच्चों के जीवन को प्रभावित किया क्योंकि अब उनका पहले वाली भूमि में प्रवेश बंद हो गया था तथा उन्हें दूसरे क्षेत्रों में जाने के लिए विवश किया जा रहा था ।
17. इंग्लैंड में सांझी जमीन का क्या लाभ था ?
उत्तर – (क) इंग्लैंड की सांझी जमीन पर सभी गाँव वालों का सांझा अधिकार होता था ।
(ख) यहाँ के जन-साधारण अपने भोजन के लिए बेर, फल आदि इकट्ठा कर सकते थे।
(ग) अपने पशुओं को चरा सकते थे और जलाने के लिए लकड़ी चुन सकते थे।
18. जमींदारों को बाड़ाबन्दी से क्या लाभ हुआ ?
उत्तर – (क) बाड़ाबन्दी द्वारा वे भूमि में स्थायी सुधार ला सके ।
(ख) बाड़ाबन्दी द्वारा वे बड़ी मात्रा में भेड़-बकरियाँ पाल सके और अपने अनाज को उत्पादन को बढ़ा सके ।
(ग) बाड़ाबन्दी ने धनी जमींदारों को अपने खेतों को विस्तृत करने में मदद की।
19. 1780 के दशक में अमेरिका के स्थानीय लोगों के जीवन के रूपरेखा बताएँ।
उत्तर – स्थानीय लोगों में से कुछ तो एक ही स्थान पर रहकर स्थिर जीवन व्यतीत करते थे जबकि कुछ अन्य घुमंतू जीवन पसन्द करते थे। वे शिकार करके, भोजन एकत्रित करके तथा मछली आदि पकड़कर अपना गुजारा करते थे। कुछ अन्य खेती करते थे जबकि कुछ शिकार पर भी निर्भर करते थे।
20. यू० एस० ए० में बड़े जमींदारों के लिये बड़ी मशीनें क्या आकर्षण रखती थीं ?
उत्तर – बड़े जमींदारों को बड़ी-बड़ी मशीनों ने अनेक प्रकार के लाभ पहुँचाए। इन मशीनों ने उन्हें ऊबड़-खाबड़ भूमियों को समतल बनाने, जंगलों को काटने तथा खेतीयोग्य भूमियाँ तैयार करने में बड़ी सहायता की ।
21. मशीनों ने निर्धन किसानों के जीवन को कैसे दूभर या कष्टमय बना दिया ?
उत्तर – छोटे किसानों को नई मशीनरी का आरम्भ में कोई लाभ न रहा। उन्होंने मशीने खरीदने के लिये बैंको से कर्ज लिया था परन्तु जब वे यह कर्ज न चुका सके तो उन्हें अपने खेत छोड़कर भागना पड़ा और अन्य स्थानों पर जाकर नौकरी करनी पड़ी।
22. यू० एस० ए० में 1930 के दशक में मिट्टी-भरी आंधियाँ क्यों चलना शुरू हो गई ?
उत्तर – 1930 के दशक में यू०एस०ए० में निरन्तर सूखा पड़ता रहा और वर्षा नदारद हो गई। तापमान चढ़ता गया और शुष्क आँधियों ने काले तूफान का रूप धारण कर लिया। ऐसे में समस्त इलाका ऐसे बन गया जैसे कि वह रेत का एक बड़ा कटोरा हों।
23. चीनी शासक ने ब्रिटिश व्यापारियों को अपने देश में अफीम का व्यापार करने की क्यों आज्ञा नहीं दी ?
उत्तर – चीन का शासक अफीम के हानिकारक प्रभावों से भली-भाँति परिचित था। इसलिए उसने अफीम के तैयार करने (दवाई के अतिरिक्त) और किसी काम के लिए बेचने पर मनाही कर रखी थी। इस कारण उसने ब्रिटिश व्यापारियों को अपने देश में अफीम का व्यापार करने की आज्ञा नहीं दी ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
किसान और काश्तकार
1. इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर – इंग्लैंड में बाड़ाबंदी आंदोलन में सहायक कारक-
(क) बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ अनाज तथा अन्य वस्तुओं की बढ़ती मांग।
(ख) वस्तुओं की ऊँची कीमतें । कृषि उत्पाद की ऊँधी कीमतें ने बाड़ाबंदी को बढ़ावा दिया ।
(ग) उन्नीसवीं शताब्दी में बाड़ाबंदी आवश्यक हो गई जिससे लंबे समय तक भूमि में निवेश किया जा सके ।
(घ) बाड़ाबंदी ने धनी किसानों को अपने अधिकार में आई भूमि को बढ़ाने का अवसर दिया ।
(ङ) इंग्लैंड में आधुनिक कृषि के आगमन से भी बाड़ाबंदी आंदोलन को बढ़ावा मिला। इसमें कृषि विधियों में परिवर्तन आए । मुक्त भूमि समाप्त हो गई । धनी किसानों ने उत्पादन बढ़ाया तथा लाभ कमाया। छोटे किसानों ने अपनी भूमि धनी किसानों को बेच दी । अंततः बाड़ाबंदी के कारण बड़ी संख्या में गरीब गाँव छोड़ गए। कुछ दक्षिणी देशों की मध्य मियों में चले गए तथा कुछ शहरों को पलायन कर गए ।
2. इंग्लैंड के गरीब थ्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे ?
उत्तर – सांझी भूमियाँ गाँवों वालों के लिये वरदान थीं । गरीब लोगों को इससे अनेक लाभ थे। वे यहाँ से बेर, फल आदि के रूप में भोजन प्राप्त करते थे, अपनी भेड़-बकरियों तथा पशुओं को यहाँ से चारा मिलता था तथा अपने जलाने की लकड़ी भी वे यहाँ से प्राप्त कर लेते थे । जब बड़े किसानों और जमींदारों ने इस सांझी भूमि की बाड़ाबन्दी कर ली तो उनका जीवन मुश्किल हो गया। परन्तु जब बड़े किसानों ने और जमींदारों ने थ्रेशिंग मशीनें खरीद लीं तो उन्हें अपनी नौकरी और रोजगार जाते हुए नजर आने लगा । इस कारण गरीब जनता-श्रमिकों, खेतिहर मजदूरों और महिलाओं आदि ने इस थ्रैशिंग मशीनों का डट कर विरोध किया ।
3. कैप्टेन स्विंग कौन था ? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था ?
उत्तर – कैप्टन स्विंग एक काल्पनिक नाम था जो गरीब कामगरों द्वारा अपने उन पत्रों में लिखा जाता था जो वे बड़े किसानों एवं जमींदारों को उन द्वारा प्रयोग की जाने वाली थ्रैशिंग मशीनों के विरोध में लिखते थे। सामने तो बड़े किसानों एवं जमींदारों को कुछ कहने की उनकी हिम्मत नहीं थी, इसलिए वे कैप्टन स्विंग के नाम का प्रयोग करके उन्हें धमकी भरे पत्र लिखते थे । वास्तव में इन बड़े किसानों और जमींदारों ने उनका सारा चैन छीन लिया था, सांझी जमीन पर उन्होंने अपना अधिकार कर लिया था और नई थ्रैशिंग मशीनें लगाकर उन्होंने उनके रोजगार पर लात मार दी थी। मरता क्या न करता वाली कहावत के अनुसार वे दिन में परन्तु रात पड़ते ही वे के उन आक्रमण कर देते थे, उनके भूसे और अनाज के गोदामों को आग लगा देते थे और मशीनों को भी तोड़-फोड़ डालते थे।
इस प्रकार कैप्टन स्विंग के नाम ने गरीब कामगरों को कानून के शिकंजे से बचाए रखा। 1830 के दश में इन गरीब कामगरों के ये दंगे अपनी चरम सीमा पर थे। वे इतिहास में स्विंग दंगों के नाम से प्रसिद्ध हुए।
4. अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड का एक संपन्न किसान खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टिकोण से देखता है ? वर्णन करें ।
उत्तर – 16वीं शताब्दी से ही इंग्लैंड के कुछ भाग में खुले खेत और सांझी भूमि की अर्थव्यवस्था आरंभ हो गई थी। 16वीं शताब्दी में जब ऊन की कीमतें बढ़ गई तो धनी किसान ऊन के उत्पादन को बढ़ाना चाहते थे जिससे अधिक लाभ कमाया जा सके। वे इस बात के इच्छुक थे कि उनकी भेड़ की नस्ल सुधरे तथा उन्हें अच्छा चारा मिलें। वे भूमि के अधिक भाग पर अधिकार करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सांझी भूमि को बांटना आरंभ किया तथा अपनी खेती को दूसरों से अलग करने के लिए बाड़ लगा ली। उन्होंने छोटे ग्रामीणों को जिनकी झोपड़ी सांझी भूमि पर थी खदेड़ दिया तथा अन्य लोगों के उसमें प्रवेश करने पर रोक लगा दी।
5. अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड का एक मजदूर मुक्त भूमि व्यवस्था को किस दृष्टिकोण से देखता है ? वर्णन करें।
उत्तर – सांझी भूमि की समाप्ति ने श्रमिकों पर बुरा प्रभाव डाला । वे अपनी जीविका के लिए सांझी भूमि पर ही निर्भर करते थे । जब बाड़ लगा दी गई तो घेरे वाली भूमि एक भूस्वामी की निजी संपत्ति हो गई। गरीब लोग वहाँ से अपने ईंधन के लिए लकड़ी इकट्ठी नहीं कर सकते थे और न ही अपने जानवर चरा सकते थे तथा वे लोग उस भूमि से न तो फल इकट्ठे कर सकते थे और न ही जानवरों का शिकार कर सकते थे। फसल काटने के बाद वे चारा भी नहीं इकट्ठा कर सकते थे। इस प्रकार एक मजदूर को सांझी भूमि से अधिकार छिन जाने के बाद कानून से भी कोई राहत नहीं मिली।
6. अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड का एक खेतिहर स्त्री मुक्त भूमि व्यवस्था को किस दृष्टिकोण से देखता है ? वर्णन करें।
उत्तर – मुक्त भूमि व्यवस्था के अंतर्गत एक खेतिहर स्त्री अपने पति तथा परिवार के अन्य सदस्यों की सहायता करती थी। वह अपने बच्चों की देखभाल करना, गाय चराना, ईंधन तथा फल इकट्ठा करने जैसे कार्य करती थी। बाड़ाबंदी आंदोलन ने उसे बुरी तरह प्रभावित किया। उसकी पारिवारिक आय तथा रहन-सहन के स्तर पर प्रभाव पड़ा। वे अधिक गरीब बन
गए ।
7. भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति क्यों उदासीन थे ?
उत्तर – भारतीय किसान अफीम पैदा करने के इच्छुक नहीं थे। उनकी इस अनिच्छुकता के पीछे अनेक कारण थे, जिनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं –
(क) पोस्त को उगाने के लिये, जिससे अफीम तैयार होती थी, अच्छी निगरानी और उत्तम भूमि की आवश्यकता पड़ती थी। परन्तु अपनी अच्छी भूमियों पर किसान दालें उगाते थे जिनसे उन्हें काफी आय हो जाती थी। यदि ऐसी उत्तम भूमियों पर पोस्त के पौधे लगाए जाते तो उन्हें घाटा पड़ता था। इसलिए कोई भी किसान अफीम बनाने के लिये तैयार न हुआ।
(ख) बहुत से किसानों की अपनी भूमि नहीं थी। यदि वे बड़े-बड़े जमींदारों से भूमि को ठेके पर लेते थे, तो पोस्त उगाकर उनकी इतनी कमाई नहीं हो सकती थी। ऐसे में वे ठेके की रकम कैसे अदा कर सकते थे। इसलिए वे अफीम तैयार करने में हिचकिचाते थे।
(ग) पोस्त का पौधा एक कमजोर पौधा होता है जिसकी देखभाल करना काफी कठिन कार्य होता था। यदि किसान अपना सारा समय पोस्त का पौधा में ही लगा दें तो उनके पास अपनी अन्य फसलें उगाने के लिये समय ही नहीं बचता था इसलिए भी वे अफीम तैयार करने में आनाकानी करते थे।
(घ) अफीम तैयार करने के लिये जो किसानों को कीमत दी जाती थी वह भी बहुत कम थी। इसलिए कोई भी अपनी इच्छा से अफीम तैयार करने के लिये रजामन्द नहीं होता था ।
8 थ्रेशिंग मशीन के प्रवेश से इंग्लैंड की कृषि तथा बेरोजगार लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा, नेपोलियन युद्धों का इंग्लैंड की कृषि तथा बेरोजगार लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – थ्रेसिंग मशीनों के प्रवेश अथवा नेपोलियन युद्धों का इंग्लैंड की कृषि तथा बेरोजगार लोगों पर प्रभाव –
(क) नेपोलियन युद्धों के समय इंग्लैंड में गेहूँ का मूल्य बढ़ गया था तथा किसानों ने उत्पादन बड़ी मात्रा में बढ़ा दिया । श्रम की कमी के डर के कारण नई थ्रेशिंग मशीनें खरीदी गई जिससे श्रमिकों की कमी समस्या न बने और उनको श्रम पर निर्भर न होना पड़े तथा उनसे संबंधित समस्यायें न आयें ।
(ख) नेपोलियन युद्धों के बाद (1815 के बाद) हजारों सिपाही लौट कर गाँव आए । उन्हें अपनी जीविका के लिए काम की आवश्यकता थी लेकिन यह समय ऐसा था कि जब यूरोप से अनाज इंग्लैंड में आ रहा था । मूल्य गिर गए और एक कृषि मंदी इंग्लैंड में छा गई। किसान कम उत्पादन करने लगे। उन्होंने आयात पर रोक लगाने को कहा। मजदूरी में कटौती की गई । बेरोजगारी बढ़ती गई। गरीबों के लिए थ्रैसिंग मशीन एक अभिशाप बन गई देश में आतंकवाद बढ़ गया । इस समय कप्तान स्विंग ने देशभर में दंगे फैला दिए ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
किसान और काश्तकार
1. अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी । संक्षेप में व्याख्या करें ।
उत्तर – इंग्लैंड की ग्रामीण जनता के लिये खुले खेत या मुक्त कृषि व्यवस्था का अर्थअठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड के एक बड़े भाग में ग्रामीण क्षेत्र खुला था । यह निजी जमींदारों के साथ नहीं जुड़ा था। खेतिहर अपने गाँव के भूमि के एक टुकड़े पर कृषि करते थे ।
भूमि के मिश्रित गुण- प्रत्येक वर्ष एक आम सभा में प्रत्येक ग्रामीण को भूमि का कुछ भाग दे दिया जाता था। यह भूमि भिन्न-भिन्न होती थी तथा भिन्न-भिन्न स्थानों पर होती थी। यह प्रयत्न रहता था कि प्रत्येक किसान के पास अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की भूमि हो ।
सांझी भूमि मिश्रित भूमि अथवा किसान को निर्धारित पट्टी के अतिरिक्त साधारण भूमि दी जाती थी। सभी ग्रामवासी साधारण भूमि रखते थे।
(क) सांझी अथवा सार्वजनिक भूमि के सभी ग्रामीण अपने जानवर गाय तथा बकरियाँ चरा सकते थे।
(ख) इस भूमि से सभी लोग जलाने के लिए ईंधन लकड़ी एकत्र कर सकते थे।
(ग) सभी ग्रामीण इस भूमि से अपने भोजन के लिए फल आदि एकत्र कर सकते थे।
(घ) सभी ग्रामीण नदी, तालाबों से मछली पकड़ सकते थे तथा सामान्य वन भूमि में खरगोश का शिकार कर सकते थे।
गरीबों के लिए सार्वजनिक भूमि उनकी जीविका के लिए आवश्यक थी । यह उनकी सीमित-आय में सहायक भी तथा उनके बुरे समय में उनकी मदद करने में सहायक थीं। उन्हें तथा उनके जानवरों को पालने में सहायक थी जब किसी प्राकृतिक विपदा से उनकी फसलें खराब हो जाये ।
2. अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का प्रभाव –
(क) अठारहवीं शताब्दी अंत में जब इंग्लैंड में सांझी भूमि घेरी जा रही थी उस समय अमेरिका में स्थायी कृषि विकसित नहीं हुई थी। 1970 के दशक तक श्वेत अमेरिकी बस्तियाँ पूर्व में तटीय क्षेत्रों तक ही सीमित थीं ।
(ख) बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अमेरिका में भूमि में परिवर्तन आए । अमेरिकी लोग पश्चिम की ओर बढ़े और पश्चिमी तट पर बस गए। उन्होंने आदिवासी जातियों को भगा दिया तथा भूमि पर अधिकार कर लिया ।
(ग) अमेरिका कृषि उत्पाद के विश्व बाजार में छा गया । कृषि विस्तार का इतिहास आप्रवासियों के पश्चिमी विस्तार से संबंधित है। 1775 से 1973 की अमेरिका की स्वतंत्रता की लड़ाई के बाद तथा संयुक्त राज्य की स्थापना के बाद श्वेत अमेरिकी पश्चिम की ओर बढ़ने लगे ।
(घ) इस समय तक थोम्स जैफरसन 1800 में संयुक्त राज्य का राष्ट्रपति चुना गया तब तक लगभग 7,00,000 श्वेत विस्थापित अपलेशियन पठार गए थे। वन की लकड़ी निर्यात के लिए काटी जाती थी। जानवरों का शिकार चमड़े के लिए किया जाता था । पर्वत से खनिज तथा सोना निकाले जाते थे ।
(ङ) 1800 के दशकों के बाद अमेरिकी की सरकार ने एक नीति बनाई जिससे अमेरिकन इण्डियन वहाँ से पश्चिमी विस्तार में जा सकें। बहुत सी लड़ाइयाँ लड़ी गई जिनमें अमेरिकन इण्डियन का कत्लेआम हुआ । गाँव जला दिए गए। अंत में एक समझौता हुआ जिसके अंतर्गत अमेरिकन-इंडियन भूमि को छोड़कर पश्चिम की ओर जा सकते थे।
(च) जैसे ही अमेरिकन इंडियन पीछे हटे प्रवासी आगे बढ़े। वे अपलेशियन पठार पर बस गए तथा 1820-50 के मध्य मिसीसिपी नदी की घाटी में जम गए । उन्होंने जंगलों को साफ करके कृषि करना आरंभ कर दिया ।
(छ) प्रारंभ में ये लोग उपजाऊ भूमि पर ही कृषि करते थे। मृदा के अनुपजाऊ होने पर नई उपजाऊ मृदा की तलाश में फिर पश्चिम की ओर जाते थे।
(ज) 1860 के दशक में ये लोग मिसीसिपी नदी के पार ग्रेट प्लेन में बस गए। बाद में दशकों में अमेरिका का यह प्रदेश मुख्य गेहूँ उत्पादक प्रदेश बन गया।
3. अमेरिका में गेहूँ की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं ?
अथवा संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्रामीण क्षेत्र के एक ‘रोटी की टोकरी’ से ‘रेत के कटोरे’ में बदलने से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर – नए खेतों के लालच में, अमेरिका के बड़े-बड़े श्वेत जमींदारों ने पारिस्थितिक संतुलन के नियमों की अन्धाधुन्ध अवहेलना करनी शुरू कर दी। उन्होंने वनों को काटना, घास को जड़ से उखाड़ना और उनको आग की भेंट चढ़ाना शुरू कर दिया। ऐसा करके उन्होंने अमेरिका को अनाज की टोकरी में तो अवश्य बदल लिया परन्तु आन्धी आ जाने पर उसे रोकने वाले रुकावटों (जैसे वनों और घास-फूस) को हटाकर, उन्हें खुला चलने का लाइसेंस दे दिया । इस प्रकार जो पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ा उसने अमेरिका के विशाल मैदानों की ‘रेत के कटोरे’ में बदल कर रख दिया। इस नए तजुरबे से हमें अनेक प्रकार की शिक्षा मिलती है ।
(क) अधिक अनाज पैदा करने की लालसा पर हमें अंकुश लगाना होगा अन्यथा भयंकर परिणामों को भुगतने के लिये तैयार रहना पड़ेगा।
(ख) हमें वनों का आदर करना होगा और उन्हें हर हाल में बनाए रखना होगा अन्यथा वर्षा के गायब हो जाने और सूखा पड़ने की घोर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
(ग) वनों को काटने और घास को जड़ से उखाड़ने का एक भयंकर परिणाम यह हो सकता है कि आन्धी को बेरोक-टोक चलने और अपना ताण्डव-नृत्य रचाने की खुली छूट मिल सकती है।
(घ) अमेरिका के बड़े किसानों और जमींदारों ने वनों को काटकर तथा घास को उखाड़कर जो भयंकर परिणाम भुगते उससे किसी का भी रूह कांप जाती है। प्राकृतिक वनस्पति के अभाव में 1930 के दशक में सूखा पड़ने से संयुक्त राज्य अमेरिका में काली आन्धियाँ हर वर्ष चलने लगीं । इन धूलभरी आन्धियों ने दक्षिणी मैदानों का अपरदन प्रारम्भ कर दिया, दम घुटने से अनेक पशु मर गए तथा लोग अन्धों के समान कठपुतली बनकर रह गए ।
4. अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के फायदे-नुकसान क्या-क्या थे?
उत्तर – लाभ-
(क) संयुक्त राज्य अमेरिका में गेहूँ उत्पादन में वृहद् विस्तार हो गया । जो इन फसल काटने वाली मशीनों से ही संभव था ।
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी प्रेयरी प्रांत में घास को उखाड़ कर उसमें हल चलाये गए जो बहुत लंबे थे और घोड़ों तथा बैलों द्वारा खींचे जाते थे।
(ग) बीसवीं शताब्दी के अंत तक संयुक्त राज्य अमेरिका के किसान ग्रेट प्लेन में ट्रैक्टर चलाने लगे ।
(घ) फसल पकने के बाद कुछ ही समय में काट ली जाती थी। 1830 के दशक से पहले खेतों में सैकड़ों मजदूर हँसिए के साथ वह काम करते थे।
(ङ) 1831 में सायरस मैककोर्मिक ने प्रथम काटने की मशीन का आविष्कार किया जो एक दिन में 16 श्रमिकों के बराबर फसल काट सकती थी।
(च) बीसवीं शताब्दी के आरंभ में बहुत से किसान कम्बाइन्ड हारवेस्टर का प्रयोग करने लगे जिससे 500 एकड़ भूमि पर 15 दिन में गेहूँ काटा जा सकता था।
(छ) अमीर किसानों को इन मशीनों से बहुत लाभ हुआ। श्रम की बचत हो गई।
हानि –
(क) संयुक्त राज्य अमेरिका में गरीब किसानों को इन मशीनों से दुख पहुँचा। जिन्होंने उधार लेकर मशीनें खरीदी थीं वे कर्ज नहीं चुका सके। सैकड़ों किसानों ने भूमि छोड़ दी और नौकरी की तलाश में निकल गए।
(ख) यह तो निश्चित है कि नई मशीनों और तकनीक के कारण बेरोजगारी बढ़ती है। बेरोजगारों के लिए नौकरी प्राप्त करना कठिन हो गया।
(ग) युद्ध (प्रथम विश्व युद्ध) तथा युद्ध के बाद उत्पादन तीव्रता से बढ़ गया जिससे बहुत सा उत्पादन अतिरिक्त हो गया। बचा हुआ लाभ बढ़ता गया, गोदाम भर गए तथा बड़ी मात्रा में गेहूँ तथा मक्का जानवरों को खिलाया गया। गेहूँ की कीमतें गिर गई जिससे गेहूँ उत्पादक किसान बर्बाद हो गए । 1930 की दशक की आर्थिक मंदी की भूमिका भी यहीं से तैयार हो गई।
5. अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिये भारतीय किसानों पर क्यों दबाव डाल रहे थे?
उत्तर – अंग्रेजों ने भारत में अफीम की खेती पर जोर दिया। उनमें कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं –
(क) 18वीं शताब्दी के आरम्भ में ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन से रेशम और चाय का व्यापार करती थी क्योंकि कि इन चीजों की यूरोप के बाजार में बड़ी मांग थी। इन चीजों के आयात के लिये धन कहाँ से लाया जाए इसलिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने चीन में अफीम की तस्करी करनी शुरू कर दी क्योंकि चीन का शासक इसके खुले व्यापार की आज्ञा नहीं देता था।
(ख) जब चीन के शासक ने इस अफीम की तस्करी की नीति का विरोध किया तो उस पर युद्ध लाद दिये गये जो इतिहास में अफीम युद्धों के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन युद्धों में चीन की हार हुई और उसे अपनी कुछ बन्दरगाहें अंग्रेजी व्यापार के लिये खोल देनी पड़ी। फिर क्या था । हर वर्ष अफीम के हजारों क्रेट चीन पहुँचने लगे। 1840 के दशक के शुरू के वर्षों में चीन में अफीम के कोई 35,000 क्रेट जबर्दस्ती उतार दिये गये।
(ग) अब ईस्ट इण्डिया कम्पनी को अफीम की अत्यधिक आवश्यकता थी इसलिए उसने गाँव के मुखियाओं द्वारा बिहार और बंगाल के गरीब किसानों को अफीम पैदा करने के लिये मजबूर किया । भारतीय किसाने अफीम उगाने के पक्ष में नहीं थे, परन्तु मुखिया के मजबूर करने पर और कुछ अपनी गरीबी के कारण उन्हें अफीम पैदा करनी पड़ी। उन्हें लालच के रूप में अग्रिम धन भी दिया जाने लगा ताकि वे अफीम पैदा करने के लिये तैयार हो जायें। इस प्रकार विवशता, दबाव और लालच (अग्रिम धन) के कारण किसान अफीम पैदा करने लगे।
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