अंकगणित किसे कहते हैं
अंकगणित किसे कहते हैं
अंकगणित गणित की 3 बड़ी शाखाओं में से एक शाखा है।
अंकों और संख्याओं की गणनाओं से जुड़े गणित की उस शाखा को अंकगणित कहा जाता है। अंकगणित गणित की मौलिक शाखा है तथा इससे ही गणित की शुरुआत शिक्षा का आरम्भ होता है।
हर व्यक्ति अपनी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में प्रायः अंकगणित का ही इस्तेमाल करता है। अंकगणित के अन्तर्गत जोड़, घटाना, गुणा, भाग, भिन्न, दशमलव आदि प्रक्रियाएँ आती हैं।
दुसरें शब्दों में, अंकगणित गणित की वह महत्वपूर्ण शाखा है, जिसके अंतर्गत अंकों तथा संख्याओं की गणनाओं को एक निश्चित अवस्था में व्यवस्थित कर किया जाता है, वह अंकगणित कहलाता है.
अंकगणित के प्रकार
साधारणतः अंकगणित के कई प्रकार है जिसे अलग-अलग भागों में अध्ययन करते है.
जैसे,
- संख्या
- लागुत्तम एवं महत्तम
- भिन्न
- सरलीकरण
- वर्ग और वर्गमूल
- घन और घनमूल
- घातांक
- अनुपात एवं समानुपात
- समय एवं दुरी, आदि.
अंक गणित की मूल प्रक्रियाएँ
अंक गणित की मुख्य चार मूल प्रक्रियाएँ होती हैं।
1. जोड़ना (Addition)
जब किसी संख्या या अंक में एक या एक से अधिक संख्या या अंक को मिलाया जाता है तो उसे जोड़ (Addition) कहते हैं। जोड़ को + चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है।
उदाहरण :
- 5 + 5 = 10
- 10 + 10 = 20
- 25 + 50 =75
- 50 + 50 = 100
- 100 + 100 = 200
2. घटाना (Subtraction)
जोड़ने की प्रक्रिया के विरुद्ध प्रक्रिया को घटाना (Subtraction) कहा जाता है। जब किसी संख्या अथवा अंक से किसी दूसरी संख्या या अंक को कम किया जाता है तो उसे घटाना कहा जाता है। घटाने को – चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है।
उदाहरण :
- 10 – 4 = 6
- 14 – 6 = 8
- 20 – 8 = 12
- 40 – 12 = 28
- 100 – 50 = 50
3. गुणा (Multiplication)
जब किसी संख्या अथवा अंक में उसी संख्या अथवा अंक को एक या एक से अधिक बार जोड़ा जाता है तो उसे गुणा (Multiplication) कहते हैं।
संख्या अथवा अंक को जितनी बार जोड़ा जाता है वह उतनी ही बार गुणा होता है। गुणा को x चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है।
उदाहरण :
- 2 x 4 = 8
- 4 × 5 = 20
- 20 × 5 = 100
- 40 × 2 = 80
4. भाग (Division)
गुणा करने की प्रक्रिया के विरुद्ध प्रक्रिया को भाग (Division) कहा जाता है। जब किसी संख्या अथवा अंक में किसी संख्या अथवा अंक को एक से अधिक बार घटाया जाता है तो उसे भाग कहते हैं।
संख्या अथवा अंक को जितनी बार विभाजित किया जाता है, उतनी ही बार भाग देना होता है। भाग को / चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है।
उदाहरण :
- 4 ÷ 2 = 2
- 20 ÷ 4 = 5
- 50 ÷ 10 = 5
- 100 ÷ 5 = 20
अंकगणित का सभी फार्मूला
आवश्यकता एवं प्रयोग के अनुसार Ankganit को भिन्न-भिन्न भागो में विभक्त कर अध्ययन किया जाता है. उसी के अनुसार यानि प्रत्येक भाग का फार्मूला यहाँ उपलब्ध है, जो अंकगणित के तैयारी में सहायता प्रदान करेगा.
संख्या पद्धति
प्राकृतिक संख्या:- ऐसी संख्याएँ जो वस्तुएं के गिनने के काम आती है उन्हें प्राकृतिक संख्या कहते हैं.
पूर्ण संख्याऐं:- यदि प्राकृतिक संख्या के समूह 0 को शामिल कर लिया जाए, तो प्राप्त संख्याएँ पूर्ण संख्या कहलाती है.
पूर्णांक संख्याएँ:- पूर्ण संख्या तथा ऋणात्मक संख्याओं के समुह को, पूर्णांक संख्याएँ कहते है.
सम संख्याऐं:– दो से विभाजित होने वाली प्राकृतिक संख्या सम संख्याऐं कहलाती है.
विषम संख्याऐं:– वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती है, विषम संख्याएं कहलाती है.
लगुत्तम और महत्तम फार्मूला
दो या दो से अधिक संख्याओं का लघुत्तम, वह छोटी से छोटी संख्या हैं, जो उन संख्याओं से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं.
सामायतः, दो से अधिक संख्याओं का महत्तम, वह बड़ी से बड़ी संख्या हैं, जिसमे सभी संख्याएँ पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं.
- ल.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ HCF
- ल.स × म.स. = पहली संख्या × दूसरी संख्या
- पहली संख्या = (LCM × HCF) ÷ दूसरी संख्या
- म.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ LCM
- दूसरी संख्या = (LCM × HCF) ÷ पहली संख्या
भिन्न फार्मूला
यदि कोई संख्या p/q के रूप का हो, तो उसे भिन्न संख्या कहते है. जहाँ p और q पूर्णांक तथा q ≠ 0 हो. अर्थात, p को अंश एवं q को हर कहा जाता है. इसे तिन प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है.
- साधारण भिन्न
- दशमलव भिन्न
- सतत भिन्न
अवधारणाओं के अनुसार विशेष स्थति में भिन्न का अध्ययन विभिन्न रूपों में भी क्या जाता है.
सरलीकरण फार्मूला
गणितीय संख्याओं को साधारण भिन्न या संख्यात्मक स्वरूप में बदलने की प्रक्रिया को सरलीकरण कहा जाता है. इसे कई प्रकार से परिभाषित किया जाता है जिसमे भिन्न-भिन्न सूत्रों का उपयोग किया जाता है.
जैसे,
- B = कोष्ठक ( Bracket )
- O = का ( Of )
- D = भाग ( Division )
- M = गुणा ( Multiplication )
- A = योग ( Addition )
- S = अन्तर ( Subtraction ) और
- a²- b² = (a + b) (a – b)
- (a+b)²= a²+ 2ab + b²
- (a-b)²= a²- 2ab + b²
- (a+b)² + (a-b)²= 2(a²+b²)
- (a+b)² – (a-b)²= 4ab
- (a+b)³ = a³ + b³ + 3ab(a+b)
- (a-b)³ = a³- b³- 3ab(a-b)
- a³+ b³ = (a + b) (a² – ab + b²)
- a³- b³ = (a-b) (a² + ab + b²)
वर्ग और वर्गमूल
किसी दी हुई संख्या का वर्गमूल वह संख्या होती है, जिस संख्या का वर्ग करने पर दी हुई संख्या प्राप्त होती है. वर्गमूल को ‘√’ चिन्ह से प्रदर्शित किया जाता है.
किसी दी हुई संख्या को उसी संख्या से गुना करने पर प्राप्त संख्या उस संख्या का वर्ग कहलाता है.
जैसे,
- ab = √a × √b
- (ab)1/2 = √a . b1/2 = a1/2 b1/2
- (a-b)2 = a2 – 2ab + b2
- (a+b)2 = a2 + 2ab + b2
- √a/b = √a / √b
- √(a/b) = (a)1/2 / (b)1/2
- (a+b)2 + (a-b)2 = 2(a2 + b2)
अनुपात एवं समानुपात
दो गणितीय समान राशियों के तुलनात्मक अध्ययन को अनुपात कहते हैं, जिसे a तथा b के अनुपात को a : b द्वारा निरूपित करते हैं.
जब चार राशियाँ, पहली राशि और दूसरी राशि का अनुपात तीसरी और चौथी राशि के अनुपात के बराबर हों, तो वह समानुपात कहलाता हैं. जिसे a : b : : c : d से सूचित करते है.
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here