उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगीकरण ने उपनिवेशवाद को कैसे जन्म दिया ? अथवा, ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच की भिन्नताओं को स्पष्ट करें।

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प्रश्न – उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगीकरण ने उपनिवेशवाद को कैसे जन्म दिया ? अथवा, ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच की भिन्नताओं को स्पष्ट करें।

उत्तर – मशीनों के आविष्कार तथा फैक्ट्री की स्थापना से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए नए बाजार की आवश्यकता थी। इससे उपनिवेशवाद को बढ़ावा मिला। उपनिवेशवाद में तकनीक रूप से कमजोर देश पर आर्थिक नियंत्रण स्थापित किया जाता है। इसी क्रम में भारत ब्रिटेन के एक विशाल उपनिवेश के रूप में उभरा। संसाधन की प्रचुरता ने उन्हें भारत की तरफ व्यापार करने के लिए आकर्षित किया। भारत ब्रिटेन के लिए एक वृहत बाजार के रूप में उभरा। अठारहवीं शताब्दी तक भारतीय उद्योग विश्व में सबसे अधिक विकसित थे। भारत विश्व का सबसे बड़ा कार्यशाला था जो बहुत ही सुंदर और उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन करता था। 1850 ई. के बाद ब्रिटिश सरकार ने अपने उद्योगों को विकसित करने के लिए अनेक ऐसे सामान जिनकी वजह से कम अवधि में एक के बाद एक देशी उद्योग खत्म होने लगे। ब्रिटिश सरकार द्वारा बनायी गयी मुक्त व्यापार की नीति की वजह से भारत में निर्मित वस्तुओं पर ब्रिटेन में बिक्री के लिए भारी कर लगा दिया गया। भारत में कच्चा माल नियत किया जाने लगा। भारतीय वस्तुओं के निर्यात पर सीमा शुल्क और परिवहन कर लगाया जाने लगा। धीरे-धीरे ब्रिटिश पूँजी से भारत में कारखानों की स्थापना की जाने लगी। सूती वस्त्रों का आयात भी किया जाने लगा। भारत के कुटीर उद्योग मृतप्राय हो गए। एक तरफ जहाँ मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धि औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी वहीं भारत में उद्योगों के लिए निरुद्योगीकरण के प्रक्रिया आरंभ हुई। औद्योगीकरण की इस प्रक्रिया ने उपनिवेशवाद का बढ़ावा दिया।
अथवा,
ग्रामीण एवं नगरीय जीवन में मूलभूत अंतर होता है। इसे मुख्यतः दो संदर्भों में स्पष्ट किया जा सकता है– (i) जनसंख्या का घनत्व और (ii) कृषि-आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात। शहरों एवं नगरों में जनसंख्या का घनत्व गाँवों से अधिक होता है। गाँव खुले एवं शांत होते हैं, परंतु शहर संकुचित और भीड़-भाड़ वाले होते हैं। शहरों में गाँवों की तुलना में मकान बड़े भव्य होते हैं, सड़कें लंबी-चौड़ी और साफ-सुथरी । आर्थिक दृष्टिकोण से जहाँ ग्रामीण आबादी की बड़ी संख्या कृषि एवं इससे संबद्ध उत्पादों पर आश्रित रहती है वहीं शहरी जनसंख्या गैर-कृषि व्यवसायों में लगी रहती है। इनकी आजीविका का साधन नौकरी, व्यवसाय, उद्योग और व्यापार होता है। शहरी अर्थव्यवस्था मुद्राप्रधान और गाँवों की तुलना में अधिक गतिशील होती है। यह प्रतियोगी और उद्यम की भावना से प्रेरित रहती है। इसीलिए, गाँवों से शहरों की ओर पलायन हुआ, परंतु शहरों से गाँवों की ओर पलायन नहीं हुआ।

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