कक्षा व्यवस्था सम्बन्धी ‘ए’ से ‘जैड’ तक अध्यापक के गुण एवं प्रभाव की विवेचना करें ।
प्रश्न – कक्षा व्यवस्था सम्बन्धी ‘ए’ से ‘जैड’ तक अध्यापक के गुण एवं प्रभाव की विवेचना करें ।
उत्तर – कक्षा व्यवस्था सम्बन्धी ‘ए’ से ‘जैड’ तक अध्यापक के गुण एवं प्रभाव (Qualities of the Teacher from A to Z Relating to Effective Classroom Management)
1. A—Alertness (जागरूकता) : अध्यापक कक्षा-कक्ष में जागरूक रहे ।
2. B—Businesslike attitude (काम करने की प्रवृत्ति) : अध्यापक कक्षा में छात्रों को व्यस्त रखें ।
3. C—Cooperative teaching-learning ( सहभागी शिक्षण अधिगम) : अध्यापक शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में छात्रों को सहभागी बनाए । –
4. —Clarity of Purpose (उद्देश्य का स्पष्टीकरण) : अध्यापक पाठ के उद्देश्यों को स्पष्ट करे ।
5. —Clarity of the Subject Matters (विषय वस्तु की स्पष्टता) : अध्यापक विषय-वस्तु के प्रत्येक प्रकरण को स्पष्टता से पढ़ाए ।
6. —Character (चरित्र) : अध्यापक कक्षा में छात्र के चरित्र पर भी बल दें । स्वयं अपने चरित्र पर ध्यान दे ।
7. D— Democratice Classroom environment (कक्षा में प्रजातान्त्रिक वातावरण) : प्रजातन्त्र के मूल्यों पर आधारित हो ।
8. — Discovery (खोज) : जहाँ तक सम्भव हो शिक्षण विधियाँ तथा तकनीकें छात्रों में खोज की प्रवृत्ति का विकास करें ।
9. E—Enthusiasm (उत्साह) : अध्यापक शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में स्वयं उत्साह का परिचय दे तथा छात्रों में उत्साह का विकास करे ।
10. – Earnestness (गम्भीरता) : अध्यापक कक्षा कार्य में गम्भीरता का परिचय दें । इसमें छात्रों में भी स्वतः गम्भीरता आएगी ।
11. E—Faith of the Teacher and Faith in the Teacher: अध्यापक का अपने में विश्वास का होना तथा छात्रों का विश्वास प्राप्त करना ।
12. – Feed back (पुष्टि) : छात्रों की प्रगति सम्बन्धी जानकारी रखना ।
13. G – Goal Setting ( उद्देश्य निर्धारण करना) : छात्रों के समक्ष उपयुक्त लक्ष्य / उद्देश्य रखना ।
14. H— Human Touch (मानवीय दृष्टिकोण) : अध्यापक छात्रों के साथ मानवीय व्यवहार स्थापित करे। छात्रों में भी इसी दृष्टिकोण का विकास करे।
15. —Hard Work (परिश्रम) : अध्यापक तथा छात्र उद्देश्यों की पूर्ति हेतु परिश्रम से कार्य करें ।
16. Understanding, Descipline & Subjects – Humour (विनोद): अध्यापक कक्षा में अपने स्वभाव में विनोद को भी स्थान दे ।
17. — Impartiality ( निष्पक्षता) : कक्षा में अध्यापक सभी छात्रों से एक जैसा बर्ताब करे ।
18. – Inspirational (प्रेरणादायक ) : अध्यापक का कक्षा में शिक्षण छात्रों को प्रेरणा देने वाला हो ।
19. —Interest (रुचि) : छात्रों में कार्य के प्रति रुचि उत्पन्न करे ।
20. J— Justice (न्याय) : अध्यापक परीक्षा में तथा दैनिक व्यवहार में छात्रों से न्यायपूर्वक व्यवहार करे ।
21. K—Knowledge (ज्ञान) : छात्रों की योग्यताओं, रुचियों तथा क्षमताओं के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करे तथा उसी के अनुसार कार्य करे ।
22. L—Leadership (नेतृत्व) : अध्यापक में नेतृत्व के गुण होने चाहिए ताकि वह छात्रों तथा समुदाय का नेतृत्व कर सके ।
23. –Linking (सम्बन्ध स्थापित करना) : पूर्व, वर्तमान तथा भविष्य के पाठों से सह- सम्बन्ध स्थापित करे ।
24. M— Motivation (अभिप्रेरणा) : अध्यापक कक्षा में की जा रही गतिविधियों सम्बन्धी छात्रों में वाँछित अभिप्रेरणा का विकास करे ।
25. –Mastery of the Subject Matter ( विषय पर अधिपल्य) : अध्यापक का अपने विषय पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए ताकि वे सभी प्रकरणों का स्पष्टतया विवरण दे सके।
26. N—Needs (आवश्यकताएँ) : छात्रों की अधिगम सम्बन्धी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अध्यापक पूरा पूरा प्रयास करे।
27. O—Open Mindedness (मुक्त मानसिकता) : अध्यापक अपने विचारों में किसी प्रकार की जड़ता का परिचय न दे । सभी प्रकरणों पर खुले मन से विचार करे ।
28. P—Personal Contact ( व्यक्तिगत सम्पर्क) : छात्रों से सन्तुलित व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करे ।
29. –Praise (प्रशंसा) : आवश्यकतानुसार अध्यापक अच्छे कार्य के लिए छात्रों की प्रशंसा करे ।
30. Q – Quiz (कूट प्रश्न) : विषय सम्बन्धी परीक्षण में कूट प्रश्नों की तकनीक भी अपनाई जाए ।
31. – Quality (गुणवत्ता) : अध्यापक इस बात पर ध्यान दे कि कक्षा के प्रत्येक कार्य गुणवत्ता का समावेश हो ।
32. Question (प्रश्न) : शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में प्रश्न करने तथा छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देने का कौशल अध्यापक में प्रचुर मात्रा में होना चाहिए ।
33. R – Review (पुनरावलोकन) : पाठ को प्रभावी बनाने के लिए अध्यापक उस का पुनार्वलाकन आवश्यकतानुसार करता रहे ।
34. —Relationship (सम्बन्ध) : अध्यापक छात्रों के साथ नवीय सम्बन्ध स्थापित करे तो प्रेरित करे कि वे परस्पर अच्छे सम्बन्ध स्थापित करें ।
35. – Readiness (तत्परता) : छात्रों में विषय सम्बन्धी तत्परता का विकास करे जिससे वे मन लगाकर अध्ययन करें ।
36. – Resourcefulness (साधन सम्पन्नता) : अध्यापक में साधन सम्पन्नता हो अर्थात् स्थिति के अनुसार साधन जुटाने की क्षमता होनी चाहिए ।
37. S— Scientific Temper (वैज्ञानिक स्वभाव) : अध्यापक कक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखे ।
38. – Self-Analysis (आत्म-विश्लेषण अथवा निरीक्षण) : अध्यापक अपनी कार्यकुशलता के बारे में समय-समय पर आत्मचिन्तन करता रहे तथा सुधार का सतत् प्रयास करता रहे ।
39. —Self-control (आत्म-नियन्त्रण) : अध्यापक प्रत्येक कार्य में आत्म-नियन्त्रण का परिचय दे । आवेश अथवा क्रोध में आकर कोई कार्य न करे ।
40. Self Respect (आत्म-स्वाभिमान) : अध्यापक आत्म-स्वाभिमान सुरक्षित रखे । वह इस बात का भी ध्यान रखे कि आत्म सम्मान तथा अभिमान में अन्तर है । कक्षा में छात्रों के आत्म-सम्मान पर भी ध्यान दे । उनके आत्म-सम्मान को किसी भी प्रकार से ठेस न पहुँचाए ।
41.T—Technology (प्रौद्योगिकी) : शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में वर्तमान प्रौद्योगिकी का उपयोग करना अत्यन्त आवश्यक है ।
42. – Tolerance (सहन शक्ति) : राजनैतिक विचारों तथा धार्मिक मान्यताओं आदि सम्बन्धी मतभेदों में सहनशक्ति का रवैया अपनाया जाए ।.
43. U—Unbiased (पक्षपात रहित ) : दृष्टिकोण पक्षपात रहित होना चाहिए ।
44. —Undivided Attention (दत्तचित्त ध्यान) : शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अध्यापक का दत्तचित्त ध्यान होना चाहिए ।
45. V—Visual aids (दृश्य सहायक सामग्री) : शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में उचित समय पर, उचित ढंग से तथा उचित दृश्य – सहायक सामग्री का उपयोग किया जाए ।
46. – Variety of Experience (अनुभवों की भिन्नता) : कक्षा में छात्रों को विभिन्न प्रकार के अनुभवों के प्रदान की व्यवस्था की जाए ।
47. – Voice mendulated (उचित स्वर) : कक्षा में अध्यापक का स्वर न अधिक ऊँचा तथा न अधिक नीचा होना चाहिए | स्वर सन्तुलित हो ।
48. W—Warmth (सहृदयता) : अध्यापक के स्वभाव में छात्रों के प्रति सहृदयता होनी चाहिए ।
49. —Welcoming Attitude (स्वागत दृष्टिकोण) : छात्र ये अनुभव करें कि अध्यापक का दृष्टिकोण उनके प्रति स्वागतमय है ।
50. X — X-ray (एक्स-रे सूक्ष्म) : इसका अर्थ है कि अध्यापक छात्रों की क्षमताओं तथा समस्याओं का सूक्ष्म अध्ययन करे तदनुसार शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का नियोजन करे ।
51.Y—Yardstick (मानक / मापदण्ड) : कक्षा में व्यवहार के मापदण्ड स्थापित करे तथा उनके अनुसार छात्रों से व्यवहार करे ।
52. – You ( तुम और आप) : अध्यापक इस प्रकार का प्रयास करे जिससे स्पष्ट संकेत मिले कि ‘तुम’ अर्थात् छात्र शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण तत्व हैं तथा अध्यापक इसी आधार पर कार्य कर रहा है ।
53.Z – Zeal (जोश) : अध्यापक जोश से कक्षा में अध्यापन कार्य करें तथा छात्रों में उचित जोश उत्पन्न करें ।
54. – Zenith (अत्युच्चता) : अध्यापक छात्रों में इस प्रकार के भावों का निर्माण करे कि उनका लक्ष्य उत्कृष्टता प्राप्त करना है । अपना आदर्श भी ऐसा ही रखे ।
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