कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे | JNV Class 6th Hindi solutions
कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे | JNV Class 6th Hindi solutions
अंधे की लाठी (एकमात्र सहारा) : अब तो रमेश ही अपने पिता के लिए अंधे की लाठी है ।
अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) : जब हम सेठ जी से संस्था के लिए चन्दा माँगने गए तो वे अगर-मगर करने लगे ।
अपने मुँह मियाँ मिट्टू बनना (अपनी प्रशंसा आप करना) : अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने की कोशिश मत करो, वरना लोग तुम्हारा मजाक उड़ायेंगे ।
अंग-अंग ढीला होना (बहुत थक जाना) : दिनभर की दौड़-धूप के कारण मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है ।
अक्ल का दुश्मन (मूर्ख व्यक्ति) : सोहन अक्ल का दुश्मन है, उसे सलाह देने की कोई आवश्यकता नहीं ।
अपना उल्लू सीधा करना (अपना स्वार्थ साधना) : आजकल के नेताओं को जनता की मुसीबतों से क्या मतलब, वे तो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं ।
अंगूठा दिखाना (साफ इंकार करना) : जब मैंने रंजीत से दो दिन के लिए पुस्तक माँगी, तो उसने अंगूठा दिखा दिया ।
आँखें बिछाना ( प्रेम से स्वागत करना) : आज के युवक अपने प्रिय अभिनेता के स्वागत में आँखें बिछाए रहते हैं ।
अंधेरे घर का उजाला (एकमात्र पुत्र) : सुमित अपने माता-पिता के लिए तो अंधेरे घर का उजाला है ।
अपना राग अलापना (अपने बारे में ही बातें करना ) : शिल्पा से तो बातें करना ही फिजूल है, तो हमेशा अपना ही राग अलापती रहती है ।
अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वावलम्बी होना) : पिता की अचानक मौत के बाद उसके दोनों पुत्र शीघ्र ही अपने पैरों पर खड़े हो गए ।
अंग-अंग मुस्कुराना (बहुत प्रसन्न होना) : अपना नम्बर मेधावी छात्रों की सूची में पाकर किसलय का अंग-अंग मुस्कुराने लगा ।
आपे से बाहर होना (क्रोध में होश खो बैठना) : बेटी की हरकतों की जानकारी पाते ही पिता अपने आपे से बाहर हो गए ।
आटे दाल का भाव मालूम होना (वास्तविक स्थिति का पता चलना) : विवाह करते ही विपिन को आटे दाल का भाव मालूम हो गया ।
आग में घी डालना (क्रोध को भड़काना): दिनेश की बातों ने सीता और रीता की लड़ाई में आग में घी डालने का काम किया।
आस्तीन का साँप (विश्वासघाती मित्र) : जयराज को क्या पता था कि उसका मित्र पुलकित आस्तीन का साँप निकलेगा।
आबरू उतारना (बेइज्जत करना) : नीना ! क्यों उस बदमाश को मुँह लगाती हो वह तो किसी की भी आबरू उतारने को तैयार रहता है।
आँसू पोंछना (सांत्वना देना) : सड़क दुर्घटना में रमा के माता-पिता की मृत्यु होने पर आँसू पोंछने वालों की कतार लग गई ।
आँख का काँटा होना (अप्रिय लगना) : आजकल की बहुएँ अपने ससुराल वालों की आँख का काँटा होने लगी है ।
आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना) : आज के युग में चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार आकाश-पाताल एक कर देते हैं ।
आँखें दिखाना (क्रोध प्रकट करना) : अध्यापक द्वारा छात्र को जरा-सा डाँटने पर वह आँखें दिखाने लगा ।
आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना) : एक्जीविशन रोड की भव्य इमारतें आसमान से बातें करती प्रतीत होती हैं ।
आँखें खुलना (होश में आना) : जब चुन्नीलाल के सगे भाई ने उसे व्यापार में धोखा दिया, तभी उसकी आँखें खुली ।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) : वह ठग कंचन की आँखों में धूल झोंक कर उसके सोने का हार ले भागा ।
आँखें चुराना (सामने न आना) : बेरोजगार विनय अपने परिचितों से आँखें चुराने लगा है।
इधर-उधर की हाँकना (व्यर्थ बोलना) : पिता द्वारा परीक्षा में फेल होने का कारण पूछने पर सुरेन्द्र इधर-उधर की हाँकने लगा।
ईंट से ईंट बजाना (नष्ट-भ्रष्ट कर देना): युद्ध में सैनिक अपने शत्रु की ईंट से ईंट बजा देने को तत्पर रहते हैं।
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखना) : अरे सलमा ! कहाँ रहती हो ? तुम तो ईद का चाँद हो गई।
उल्टी गंगा चहाना (नियम के विपरीत कार्य करना) : दिल्ली से पंजाब के लिए अनाज की आपूर्ति करना तो उल्टी गंगा बहाना हुआ।
ऊँट के मुँह में जीरा (आवश्यकता से कम भोजन): हाथी को मात्र दो गन्ने देकर तो तुम ऊँट के मुँह में जीरा डालने वाली बात कर रहे हो।
ऊँगली उठाना (दोषारोपण करना) : किसी पर भी बिना सबूत के उंगली उठाना तुम्हें शोभा नहीं देता।
कान पर जूँ न रेंगना (कुछ असर न होना) : मुन्नू को उसके चाचा ने काफी समझाया, मगर उसके कान पर जूँ तक न रेंगी।
कमर टूटना (हिम्मत टूट जाना) : दंगों के कारण असलम के कारोबार को जो क्षति हुई, उससे उसकी कमर ही टूट गई।
काम ओना (वीरगति प्राप्त करना) : देश की सीमाओं पर देश की रक्षा करते रमण सहित कितने ही वीर काम आ गए।
कफन सिर पर बाँधना (मरने को तैयार रहना) : राजपूतों के लिए कहा जाता था कि वे कफन सिर पर बाँधकर युद्ध क्षेत्र में जाते थे।
कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना) : अर्चना तो अपने पति के लिए कंठ का हार है।
कठपुतली होना (पूर्णतः किसी के वश में होना) : हमारे मैनेजर साहब तो डायरेक्टर के हाथ की कठपुतली हैं, हमारी सुनते ही नहीं।
कटे पर नमक छिड़कना (दुःखी व्यक्ति को और दुःखी करना) : उस विधवा के कटे पर नमक छिड़कना क्या तुम्हें शोभा दे रहा है। जाओ अपना काम करो ।
कलई खुलना (भेद खुल जाना): आखिरकार सेठ सागरमल के कालाबाजारी होने की कलई खुल ही गई।
कलेजे का टुकड़ा (बहुत प्रिय) : तेजस्वी अपनी माँ के कलेजे का टुकड़ा है।
कान का कच्चा होना (चुगली पर ध्यान देने वाला) : हमारे अफसर ईमानदार होने बावजूद कान के कच्चे हैं।
कान में तेल डालना (बात न सुनना) : माँ बेटी को समझा-समझा कर हार गई, मगर उसने तो कान में तेल डाल रखा है।
“खरी-खोटी सुना ( बुरा भला कहना) : सास-बहू ने एक-दूसरे को खूब खरी-खोटी सुनाई।
खून-पसीना एक करना ( कठिन परिश्रम करना) : अपना खून-पसीना एक करके अजय ने ये सम्पत्ति अर्जित की है।
ख्याली पुलाव पकाना (कोरी कल्पना में डूबे रहना) : हिम्मत हो तो कुछ करके दिखाओ, ख्याली पुलाव पकाने से क्या लाभ ।
खालाजी का घर (आसान काम) : आज के युग में नौकरी पाना खालाजी का घर नहीं है ।
गुदड़ी का लाल (देखने में सामान्य, भीतर से गुणी व्यक्ति) : लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे ।
गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती बातों को छेड़ना) : पुरानी बातें याद करके क्यों छोटू के गड़े मुर्दे उखाड़ते हो ।
गाल बजाना (बकबक करना) : लतिका को तो गाल बजाने का शौक है, उसकी बात गम्भीरता से मत लेना।
गागर में सागर भरना (थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देना) : कबीरदास ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है ।
गुड़ गोबर होना (बात बिगड़ जाना) : सारा कार्यक्रम बहुत शानो-शौकत से चल रहा था कि अचानक बारिश आ आने जाने से सब गुड़-गोबर हो गया ।
गिरगिट की तरह रंग बदलना (सिद्धान्तहीन होना) : आजकल के नेता गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर होते हैं, उनपर विश्वास करना ठीक नहीं ।
घोड़े बेच कर सोना (गहरी नींद में सोना) : कन्हैया की जब से परीक्षाएँ समाप्त हुई है, वह घोड़े बेच कर सो रहा है ।
घाट-घाट का पानी पीना (जगह-जगह का अनुभव प्राप्त करना) : अशोक बाबू को ठगना आसान नहीं, उन्होंने घाट-घाट का पानी पीया है।
घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और सताना) : प्रियव्रत बाबू को वैसे ही जवान दामाद की मौत का दुःख है, तुम क्यों उनके बारे में ज्यादा पूछ कर उनके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
घर सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) : बच्चों, शांत हो जाओ! घर सिर पर क्यों उठा रखा है?
घड़ों पानी पड़ना (अत्यन्त लज्जित होना) : सहेलियों के बीच जैसे ही सुरेखा की पोल खुली, मानो उस पर पानी पड़ गया हो।
घी के दीए जलाना ( बहुत खुश होना) : सुमित जब परीक्षा में प्रथम आया, तो उसकी माँ ने घी के दीए जलाए ।
चिकना घड़ा (जिस पर कुछ असर न होना) : सुनीता तो चिकना घड़ा हो गई है, किसी की भी बात नहीं मानती ।
चिराग तले अंधेरा (महत्त्वपूर्ण स्थान के समीप अपराध या दोष पनपना) : वैसे तो सुरेश प्रसाद जी का अध्यापन धाक पूरे शहर में जमी है, मगर उनका पुत्र पिछले तीन सालों से दसवीं कक्षा में असफल हो रहा है। इसी को कहते हैं, चिराग तले अंधेरा ।
चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डर जाना): पुलिस द्वारा चारों तरफ से घेर लेने के कारण चोरों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
चादर से बाहर पैर फैलना (सामर्थ्य से अधिक खर्च करना) : सोचसमझकर ही खर्च करने में बुद्धिमानी है, क्योंकि चादर से बाहर पैर फैलाना ठीक नहीं ।
छिपा रुस्तम (देखने में साधारण, वास्तव में गुणी) : हम तो केदार को एक साधारण इंसान समझ रहे थे मगर वह तो छिपा रुस्तम निकला।
छोटा मुँह, बड़ी बात (अपनी सीमा से बढ़कर बोलना) : चंदर तो छोटा मुँह बड़ी बात ही करता है, उसकी बात पर ध्यान मत दीजिएगा ।
छठी का दूध याद आना (कठिनाई का अनुभव होना) : बिना तैयारी के परीक्षा में बैठने से रमाशंकर को छठी का दूध याद आ गया ।
छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या या जलन होना) : पड़ोसिन के पास सोने के जेवरात देखकर सुशीला की छाती पर साँप लोटने लगा ।
छाती पर मूँग दलना (बहुत तंग करना) : जुगेश्वर के मेहमान हमेशा उसकी छाती पर मूंग दलते रहते हैं ।
छप्पर फाड़कर देना (बिना प्रयत्न के काफी धन प्राप्त होना) : ईश्वर जब देने पर आता है तो छप्पर फाड़कर देता है।
जान पर खेलना (जोखिम उठाना) : बच्चे को शेर से बचाने के लिए शमशेर जान पर खेल गया ।
जूती चाटना (खुशामद करना) : आजकल बेरोजगारों को नौकरी के लिए दूसरों की जूती चाटन पड़ती है।
टका-सा जबाब देना ( साफ इंकार करना ) : जब मैंने विजय से उसकी साइकिल माँगी, तो उसने टका-सा जबाब दे दिया ।
टांग अड़ाना (रुकावट पैदा करना) : रोहन को संस्कृत भाषा का समुचित ज्ञान तो है नहीं, मगर विद्वानों की बातों में टाँग अड़ाता फिरता है।
तारे गिनना (व्यग्रता से प्रतीक्षा करना) : कस्तूरी अपने पति की वापसी के लिए तारे गिन कर समय काट रही है ।
तूती बोलना (बहुत प्रभाव होना) : उग्रनारायण बाबू के समाज सेवी होने की तूती सारे इलाके में बोल रही है।
तिल धरने की जगह न होना (बहुत भीड़ होना) : मेला में इतनी भीड़ थी कि तिल धरने की जगह भी न थी ।
दाहिना हाथ होना (बहुत बड़ा सहायक होना) : पुलिस ने एक मुठभेड़ में उस कुख्यात अपराधी के दाहिने हाथ सुक्खा को मार गिराया।
दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करना (अधिकाधिक उन्नति) : भगवान करे कि तुम दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करो ।
दाँत काटी रोटी होना (पक्की दोस्ती होना) : राम और रहीम के बीच तो दाँत काटी रोटी वाली बात है, तुम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
दाँत खट्टे करना ( बुरी तरह हराना) : हमारी सेना ने दुश्मन सेना के दाँत खट्टे कर दिए ।
दाँतों तले ऊँगली दबाना (विस्मय प्रकट करना) : अनीता की सुन्दरता देखकर पड़ोस की महिलाओं ने दाँतों तले ऊँगली दबा ली ।
धरती पर पाँव न पड़ना (अभिमान से भरा होना) : जबसे पप्पू नौकरी करने लगा है, उसके तो धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।
नमक हलाल होना (कृतज्ञ होना) : जिसका हमने नमक खाया है उसके प्रति हमें नमक हलाल होना ही चाहिए।
नाक रख लेना (इज्जत बनाए रखना) : जब पिता ने बिना दहेज बारात ले जाने से इंकार कर दिया तो साहसी उज्ज्वल ने बिना दहेज विवाह के लिए प्रस्तुत होकर सिन्हा जी की नाक रख ली।
नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना) : पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गया।
पहाड़ टूटना (बहुत भारी संकट आ जाना) : पिता की आकस्मिक मृत् यु से राजीव पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़े हैं।
पर निकलना (स्वच्छन्द हो जाना) : कॉलेज में दाखिला लेते ही मोती के पर निकलने लगे।
पगड़ी उछालना (अपमानित करना) : बड़े-बूढ़ों की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं।
पाँव उखड़ जाना (स्थिर न रह पाना) : पुलिस की गोलियों की बौछार के आगे आतंकवादियों के पाँव जल्दी ही उखड़ गए।
पारा उतरना (क्रोध शान्त होना) : जब तुम्हारा पारा उतरेगा, तभी तुम्हें अपनी गलती का एहसास होगा।
पानी-पानी हो जाना (अत्यन्त लज्जित होना) : विवाह के विषय में जब माँ ने बेटी की राय पूछी तो वह पानी-पानी हो गई।
फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) : जब से चंदन का विवाह पक्का हुआ है, वह फूला नहीं समाता ।
फूँक-फूँक कर कदम रखना (बड़ी सावधानी से काम करना) : जब से निर्मल ने इस अजनबी से व्यापार में धोखा खाया है, तभी से वह हर कदम फूँक-फूँक कर रखता है।
बाग-बाग होना (बहुत प्रसन्न होना) : सुनयना और विनीता जब भी मिलती है, तो उनके दिल बाग-बाग हो जाते हैं।
बहती गंगा में हाथ धोना (अवसर का फायदा उठाना) : तुम भी क्यों नहीं बहती गंगा में हाथ धो लेते, तुम्हारा मित्र तो मंत्री बन गया है।
बाल बाँका न होना (कुछ हानि न होना) : मेरे रहते तुम्हारा कोई बाल भी बाँका नहीं कर पाएगा।
बगलें झाँकना (कुछ उत्तर न दे पाना) : जब अध्यापिका ने अनुभा से प्रश्न पूछा, तो वह बगलें झाँकने लगी।
मंझधार में छोड़ना (विषम परिस्थिति के बीच में फँसा छोड़ देना) : उस अनाथ लड़की को मंझधार में छोड़ना तुम्हें शोभा नहीं दे रहा ।
मुँह में पानी भर आना (जी ललचाना) : विवाह में विभिन्न प्रकार के व्यंजन देखकर बारातियों के मुँह में पानी भर आया ।
मुट्ठी गरम करना (रिश्वत देना) : कचहरी में बाबुओं की मुट्ठी गरम किए बिना कोई काम समय पर नहीं होता।
मुँह तोड़ जवाब देना (अपमानपूर्ण जवाब दिए) : सुभद्रा ने अपनी सास को मुँह तोड़ जवाब दिया।
मुँह की खाना (पराजित होना) : औरंगजेब ने शिवाजी पर कई बार चढ़ाई की पर सदा मुँह की खाई।
राई का पर्वत बनाना (बहुत बढ़ा-चढ़ा कर कहना) : सास से हुई अपनी लड़ाई को सोनी ने पति को राई का पर्वत बना कर सुनाया।
लहू का घूँट पीकर रह जाना (अपमान सहन कर लेना) : द्रौपदी का अपमान होते देखकर भीम लहू का घूँट पीकर रह गये।
लकीर का फकीर होना (रूढ़िवादी होना) : रामानन्द तो लकीर का फकीर है, बेटी के विवाह में सारी पुरानी रस्में निभाएगा।
लाल-पीला होना (क्रोध करना) : परीक्षा में बेटे की असफलता से पिता लाल-पीले होने लगे ।
सिर पर चढ़ना (प्यार के कारण बहुत ढीठ हो जाना) : बेटे को हर वक्त लाड़-दुलार मत दो वरना सिर पर चढ़ने लगेगा ।
सोने पे सुहागा होना (अच्छी चीज का और अच्छा होना) : नीता एक तो सुन्दर है ही, साथ में गुणवती भी अर्थात् सोने पे सुहागा है ।
हथेली पर सरसों उगाना (असम्भव काम को सम्भव करना) : हिम्मती लोगों के लिए हथेली पर सरसों उगाना बाएँ हाथ का खेल है ।
हवाई किले बनाना (काल्पनिक इरादे प्रकट करना) : हवाई किले बनाने से जीवन में सफलता नहीं मिलती, कुछ काम करके दिखाओ ।
हवा लगना (शौक लगना) : सीधे-सादे बंदना को भी कॉलेज पहुँचते ही वहाँ की हवा लग गई ।
हाथ मलना (पछताना) : अवसर का फायदा उठाने में ही समझदारी है, वरना बाद में हाथ मलते रह जाओगे।
हुक्का पानी बन्द करना (मेल-जोल या व्यवहार बन्द करना) : गलत आचरण के कारण समाज ने शुभंकर का हुक्का पानी बन्द कर दिया ।
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