जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? जलवायु परिवर्तन के क्या कारण है ? भारत सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन पर निर्मित राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत कौन-कौन से लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं? बिहार सरकार द्वारा इस संबंध में क्या-क्या कदम उठाए गए हैं?
जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, मानव जनित गतिविधियाँ जोकि जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं। इन मानवीय कारकों में सबसे अधिक चिंता का विषय उद्योगों में कोयले और पेट्रोलियम पदार्थों जैसे जीवाश्म ईंधनों का अंधाधुंध उपयोग के कारण कार्बन डाईऑक्साइड का अत्यधिक उत्सर्जन होता है और यह वायुमंडल को नुकसान पहुंचा रहे है।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना – केंद्र सरकार ने भारत के विकास मार्ग और जलवायु परिवर्तन की परिस्थिति की सतता को बढ़ाने के उद्देश्य से जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) तैयार की है। इसमें सौर ऊर्जा, बढ़ी हुई । ऊर्जा क्षमता, सतत बस्तियाँ जल, हिमालय की इको- प्रणाली को बनाए रखना, हरित भारत, सतत कृषि और जलवायु परिवर्तन पर रणनीतिक जानकारी जैसे आठ राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं। राष्ट्रीय मिशन क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं और उनके दायरे में सभी राज्य शामिल हैं। एनपीसीसी के उद्देश्यों के अनुरूप कई राज्यों ने जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाएँ बनानी शुरू कर दी हैं।
राष्ट्रीय कार्य योजना में आठ प्राथमिकता वाले राष्ट्रीय मिशनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनका विवरण निम्नवत है :
- राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन : इसके अंतर्गत कुछ ऊर्जा प्रयोग में सूर्य ऊर्जा की भागीदारी बढ़ाना तथा परमाणु ऊर्जा, पवन ऊर्जा, एवं बायोमास ऊर्जा जैसे पुनर्नवीनीकरण व नान फासिल ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता को महत्व प्रदान करना है। ज्ञातव्य है कि भारत एक उष्ण कटिबंधीय राष्ट्र है जो सौर विकिरण के माध्यम से प्रतिवर्ष 5000 ट्रिलियन किलोवाट घंटा ऊर्जा प्राप्त करता है। स्पष्ट है कि सौर ऊर्जा का विकल्प देश के लिए ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की संभावनाओं का द्वार खोल सकता है। 2022 तक 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। सौर ऊर्जा के दोहन में सबसे बड़ी समस्या यह कि इसकी प्रारंभिक लागत काफी ज्यादा होती है ।
- ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का मिशन- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 ऊर्जा क्षमता ब्यूरो को संस्थागत व्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा क्षमता से संवृद्धि के लिए मानदण्डों के क्रियान्वयन हेतु विधिक आदेश प्रदान करता है। चार नए पहल जिसके अंतर्गत एक बाजार आधारित मैकेनिज्म जिससे लागत प्रभावकारिता में वृद्धि हो, का विकास शामिल है। शहरी तथा औद्योगिक कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने की तकनीक तथा वेस्ट मैनेजमेंट का विकास करना । ज्ञातव्य है कि इस क्षेत्र में योजनाओं एवं कार्यक्रमों के पहले से वर्ष 2012 के अंत तक 10,000 मेगावाट ऊर्जा की बचत की जा सकी है।
धारणीय कृषि मिशन- भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से यह मिशन आरंभ किया जाएगा। इसके अंतर्गत नई किस्मों की फसल जो उष्मा व बुरे मौसम के कुप्रभावों से स्वयं को बचा सके तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति अधि क रोधी हो विकसित करना होगा।जल संरक्षण – एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करने, जल संरक्षण में सहायता, जल क्षति को न्यूनतम करने तथा देश के अंदर जल के सम वितरण के उद्देश्य से जल संरक्षण मिशन प्रारंभ किया गया है। नियामक मशीनरी के अंतर्गत अधिकतम जल प्रयोग का एक फ्रेमवर्क का विकास किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि भारत में जलसंकट 2050 तक गहरा जाने की आशंका है।हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को टिकाऊ बनाना – इसमें हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की गति कम करने के लिए तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी को संतुलित करने के लिए सुरक्षा उपायों को विकसित किया जाएगा।हरित भारत मिशन- वनीकरण में वृद्धि हेतु सीधी कार्रवाई के लिए यह मिशन प्रारंभ किया जा रहा है। इसमें पारिस्थितिकी सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। जिससें 2012 तक वनीकरण 22 प्रतिशत बढ़कर 33 प्रतिशत तक हो जाए। देश के 10 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में फैले वनों की गुणवत्ता सुधारने के लिए महत्वाकांक्षी ग्रीन इंडिया मिशन की शुरुआत की गई है। ग्रीन इंडिया मिशन वनों से जुड़े तीस लाख परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने में सहायक होगा।सतत् पर्यावास मिशन- भवन ऊर्जा क्षमता के सुधार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा यातायात के प्रकार में परिवर्तन के उद्देश्य से सतत आवास मिशन आरंभ किया गया। इसके अंतर्गत एक महत्वपूर्ण अनुसंधान व विकास कार्यक्रम का संचालन, बायोकेमिकल कन्वर्जन, वेस्ट वाटर यूजर, सीवेज यूटिलाइजेशन तथा टिसाइक्लिंग विकल्पों पर विचार किया जाएगा।रणनीतिक ज्ञान मिशन- यह मिशन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों की पहचान करेगा तथा समाधान भी खोजेगा। यह मिशन उच्च गुणवत्ता के तथा चुनौतियों पर केंद्रित अनुसंधान के लिए कोष की उपलब्धि सुनिश्चित करेगा।सभी आठ मिशन संबंधित मंत्रालयों द्वारा आरंभ किया जाएगा। संयोजन अंतर क्षेत्रीय दल द्वारा किया जाएगा जिसमें संबंधित मंत्रालय के साथ-साथ वित्त मंत्रालय, नीति आयोग, उद्योगों के विशेषज्ञ, शिक्षाविद व आम लोग शामिल होंगे।बिहार सरकार द्वारा किए गए प्रयास – बिहार जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना के अंतर्गत ही तैयार किया गया है। इसे पूरी तरह से बिहार पर जलवायु परिवर्तन का हो रहा प्रभाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया।इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा किया गया प्रयास निम्नवत है :
- जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान तैयार किया गया है। जिसमें, कृषि, जल संसाधन, पशुपालन, आपदा प्रबंधन, वन, उद्योग, परिवहन और नगर विकास विभाग को शामिल किया गया है।
- सरकार क्लाइमेंट चेंज सेंटर स्थापित करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक पोर्टल भी विकसित कर रही है।
- ईंट-भट्ठे का संचालन नई स्वच्छ तकनीक से होगा। इस तकनीक से एक लाख ईंट तैयार करने में तीन टन कोयले की बचत होगी।
- अगले 5 वर्षों में वन आवरण को बढ़ाकर 17 प्रतिशत करने का लक्ष्य है, इसके लिए 15 करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं।
- केंद्र सरकार के नेशनल एडॉप्टेशन फंड और क्लाइमेंट चेंज से स्वीकृत 23 करोड़ रुपए से कृषि विभाग बिहार में जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की योजना को कार्यान्वित करेगा।
- ग्रीन क्लाइमेट फंड के तहत भारत सरकार ने बिहार के लिए 339 करोड़ की योजना को प्रारंभिक स्वीकृति दी है।
- बिहार ने बचत लैंप योजना आरंभ किया है जिसके अंतर्गत 170 मेगावाट ऊर्जा के संरक्षण का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए 64 लाख सामान्य बल्बों की जगह सीएफएल लगाने का निर्णय लिया गया है।
- गांव में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना और उन्हें आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाना।
- जीविका – नामक कार्यक्रम बिहार ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत आरंभ किया गया है,ताकि ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया जा सके।
- कृषि और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना ।
- बिहार सरकार और विश्व बैंक आपस में मिलकर बिहार ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने का प्रयास करेंगे।
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