दिनकर ने जनता के स्वप्न का चित्र किस तरह खींचा है?
प्रश्न – दिनकर ने जनता के स्वप्न का चित्र किस तरह खींचा है?
उत्तर – सौ-सौ साल, हजार हजार साल बीत जाते हैं। जनता राजा की अधीनता में चुपचाप पड़ी रह जाती है। अब अंधकार चीरने-फाड़ने के लिए जनता उमड़ रही है। जनता के स्वप्न को कोई जीत नहीं सका है। जनता का स्वप्न विजयी होता है। जनता जब उठ खड़ी होती है तो आसमान दहकने लगता है। कवि जनता का अत्यन्त सही पर उग्र चित्र खींचता है।
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