भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार की विवेचना करें ।

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प्रश्न – भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार की विवेचना करें । 
(Discuss the fundamental rights of the citizens of India.)
उत्तर – भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights of the citizens of India) — भारत एक कल्याणकारी देश है। लोगों के चहुँमुखी विकास के लिए भारतीय संविधान में छः प्रकार के मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है । इन अधिकारों के माध्यम से नागरिकों को वे स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं जिनसे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास हो सके तथा वे सुखी जीवन व्यतीत कर सकें । इनके द्वारा नागरिकों को शोषण से बचने का अवसर दिया गया है। कोई भी सरकार ( आपत्तिकाल के अतिरिक्त) इन अधिकारों को सीमित नहीं कर सकती ।
छः मौलिक अधिकार इस प्रकार हैं
(1) समानता का अधिकार – धारा 14-18 (Right of Equality),
(2) स्वतन्त्रता का अधिकार-धारा (19-22 (Right of Freedom),
(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार – धारा 23-24 ( Righ against Exploitation),
(4) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार धारा 25-28 (Righ to Freedom of Religion),
(5) संस्कृति तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार-धारा 29-30 (Cultural and Educational Righ),
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार – धारा 32 (Righ to Constitutional Remedies)।
1. समता अथवा समानता का अधिकार (Right of Equality) — भारतीय समाज में विषमताओं को दूर करने के लिए संविधान निर्माताओं ने समानता के अधिकार को सबसे ऊपर रखा है। इसके अन्तर्गत निम्न बातों पर बल दिया गया है
(1) कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं। जाति, वर्ण, लिंग, जन्म-स्थान आदि के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा ।
(2) जाति या लिंग, धर्म, वंश के आधार पर कोई नागरिक भोजनालयों, तालाबों और कुओं आदि का प्रयोग करने से वंचित नहीं किया जाएगा ।
(3) सरकारी नौकरियों में सभी नागरिकों को समान अवसर मिलेंगे, लेकिन पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में कुछ स्थान आरक्षित रखे जा सकते हैं ।
(4) किसी भी रूप में छुआछूत का व्यवहार करने की मनाही है । 1955 ई. में छुआछूत के विरुद्ध कानून बनाया गया । यदि कोई छुआछूत का व्यवहार करता है तो उसे कैद या जुर्माने की सजा दी जा सकती है ।
2. स्वतन्त्रता का अधिकार — संविधान में छः महत्त्वपूर्ण स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं
(1) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ।
(2) शान्तिपूर्वक सभा सम्मेलन की स्वतन्त्रता ।
(3) संस्था और संघ बनाने की स्वतन्त्रता ।
(4) देश के भीतर घूमने-फिरने की स्वतन्त्रता ।
(5) देश के किसी भी भाग में बसने या निवास करने की स्वतन्त्रता ।
(6) कोई भी व्यवसाय अथवा, काम-धन्धा करने की स्वतन्त्रता ।
सरकारी सार्वजनिक शान्ति, नैतिकता और राज्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन अधिकारों को सीमित करने पर उचित प्रतिबन्ध लगा सकती है। आपातकाल में ये सभी स्वतन्त्रताएँ स्थगित रहती हैं। इन्हें लागू कराने के लिए नागरिक न्यायालय की भी शरण नहीं ले सकते ।
स्वतन्त्रता के अधिकार के साथ अन्य स्वतन्त्रताएँ भी जुड़ी हैं; जैसे – (i) बन्दी बनाए गए व्यक्ति को 24 घण्टे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा । (ii) उसे अपनी सुरक्षा के लिए अपनी पसन्द का वकील करने का अधिकार है, (iii) पुलिस किसी भी व्यक्ति को अपराध स्वीकार करने (अपने विरुद्ध गवाही देने) के लिए मजबूर नहीं करेगी ।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार – संविधान में किसी भी व्यक्ति के किसी भी रूप में शोषण की मनाही की गई है । मानव व्यापार तथा किसी भी व्यक्ति से बेगार लेना (बिना वेतन के श्रम) गैर कानूनी घोषित किया गया है। चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को खानों या कारखानों में काम पर नहीं लगाया जा सकता ।
4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार – भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। भारतीय संविधान में भारत के सभी नागरिकों को धर्म को स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। राज्य का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है । प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने व उसका प्रचार करने का अधिकार है । सभी सम्प्रदायों के लोग अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित कर सकते हैं। सरकारी शिक्षण संस्थाओं में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। गैर-सरकारी संस्थाओं में भी विद्यार्थी को धार्मिक शिक्षा जबरन नहीं दी जाएगी ।
5. संस्कृति व शिक्षा सम्बन्धी अधिकार – भारत विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों, भाषाओं तथा संस्कृतियों का देश है । अतः संविधान में कहा गया है कि प्रत्येक सम्प्रदाय को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार होगा । राज्य से सहायता पाने वाली शिक्षा संस्थाओं में किसी व्यक्ति को केवल मजहब, जाति या भाषा के आधार पर प्रवेश पाने से नहीं रोका जाएगा। अल्पसंख्यकों को अपनी पसन्द की शिक्षण संस्थाएँ कायम करने और उनका प्रबन्ध करने का अधिकार होगा।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार – यह अधिकार वास्तव में मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु संविधान में शामिल किया गया है ।

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