भाषाओं के सन्दर्भ में संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

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प्रश्न – भाषाओं के सन्दर्भ में संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर – भाषाओं के सन्दर्भ में भारतीय संविधान में कई प्रावधान किए गए हैं। उनमें से प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं
(i) अनुच्छेद 343-351,
(ii) आठवीं अनुसूची |
(i) अनुच्छेद 343-351
भारतीय संवधान निर्माताओं द्वारा भाषाओं के सन्दर्भ में जो किए गए प्रावधानों में से अनुच्छेद 343 अति महत्त्वपूर्ण है। इसका सम्बन्ध भारत की राजभाषा से है।
अध्याय 1 – संघ की भाषा 343 (1) में भारत देश की राजभाषा और लिपि का वर्णन किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिन्दी होगी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए, अंकों का रूप, भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा।
साथ ही, (2) खण्ड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारम्भ के पन्द्रह वर्षों की कालावधि के लिए संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रयुक्त होती रहेगी, जिनके लिए इसे प्रारम्भ के ठीक पहले वह प्रयोग की जाती थी।
अध्याय 2 – प्रादेशिक भाषाएँ – 345, अनुच्छेद 346 और 347 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य विधान मण्डल, विधि द्वारा उस राज्य के राजकीय प्रयोजनों में से सब अथवा किसी के प्रयोग के लिए उस राज्य में प्रयुक्त होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अनेक को या हिन्दी को अंगीकार कर सकेगा।
(ii) अनुच्छेद-351
भाषाओं के सन्दर्भ में भारतीय संविधान में अनुच्छेद 351 रखा गया है। इसका सम्बन्ध हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार करने, उसमें वृद्धि करने और उसका विकास करने से है। ताकि वह भारतवर्ष की सामासिक संस्कृति के सब तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके तथा उसमें हस्तक्षेप किए बिना हिन्दी और आठवीं अनुसूची में उल्लखित अन्य भारतीय भाषाओं के रूप, शैली और पदावली को आत्मसात् करते हुए तथा जहाँ तक आवश्यक और वांछनीय है, वहाँ उसके शब्द भण्डार के लिए ‘मुख्यत: संस्कृत’ के तथा सौगात: ऊपर लिखित भाषाओं में से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करना संघ का कर्त्तव्य होगा।
आठवीं अनुसूची
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची का सम्बन्ध मुख्यतः निम्नलिखित विषयों से है –
(i) भारतीय संघ की राजभाषा
(ii) भारतीय संघ की लिपि
(iii) सम्पर्क भाषा
(iv) राजभाषा हिन्दी के प्रसार, उसकी वृद्धि और विकास ।
(v) भारतीय भाषाओं की मान्यता
प्रारम्भि चार बिन्दुओं का परिचय आप प्राप्त कर चुके हैं, यहाँ पंचम् बिन्दु का परिचय दिया जा रहा है।
(v) भारतीय संविधान द्वारा स्वीकृत भारतीय भाषाएँ
भारतीय संविधान के अध्याय 3, अनुच्छेद 344 (i), 351 के अनुसार पन्द्रह भारतीय भाषाएँ स्वीकार की गई हैं; जो इस प्रकार हैं
(i) असामिल (iii) उर्दू (ii) उड़िया (v) कश्मीरी (vii) तमिल (ix) पंजाबी (xi) मलयालम (xiii) संस्कृत (xv) हिन्दी | (iv) कन्नड़ (vi) गुजराती (viii) तेलुगू (x) मराठी (xii) बंगाली (xiv) सिन्धी
इन सभी भारतीय भाषाओं के अतिरक्ति 7 और भारतीय भाषाओं को संविधान संशोधन के द्वारा मान्यता प्रदान कर दी गई है। वर्तमान में 22 भारतीय भाषाएँ हैं जिन्हें भारतीय संविधान द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है ।
ये सभी भारतीय भाषाएँ पर्याप्त मात्रा में विकसित हैं। संस्कृत, सिन्धी और उर्दू को छोड़कर इन भाषाओं को बोलने वाले करोड़ों लोग हैं और इनका क्षेत्र तथा राज्य भी क्षेत्रफल की दृष्टि से पर्याप्त विकसित है।
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