भौतिकी : ऊर्जा के स्रोत | Class 10Th Physics Chapter – 6 Notes | Model Question Paper | ऊर्जा के स्रोत Solutions
भौतिकी : ऊर्जा के स्रोत | Class 10Th Physics Chapter – 6 Notes | Model Question Paper | ऊर्जा के स्रोत Solutions
ऊर्जा के स्रोत (Sources of Energy)
स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण
(MEMORABLE FACTS : AT A GLANCE)
- कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (energy) कहते हैं।
- हम जिन विशिष्ट स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं, उन्हें हम ऊर्जा के स्त्रोत (sources of energy) कहते हैं।
- ऐसे पदार्थों को ईंधन (fuels) कहते हैं जो दहन (combustion) पर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।
- ऊर्जा का स्रोतसुविधाजनक रूप में और लंबी अवधि तक ऊर्जा प्रदान करता है।
- हमारे जीवन स्तर के साथ ऊर्जा की आवश्यकताएँ बढ़ती हैं।
- हम ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तथा ऊ उपयोग की दक्षता सुधारने के लिए प्रयास करते हैं और ऊर्जा के निए स्रोतों का उपयोग करने का भी हम प्रयास करते हैं ।
- ऊर्जा के नए स्रोतों को खोजने की भी हमें आवश्यकता होती है, क्योंकि जीवाश्म ईंधनों जैसे ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों के शीघ्र समाप्त होने का खतरा बना रहता है। जैसे, अनुमानित कोयला भंडार, अगले दो सौ वर्षों में समाप्त हो जाएगा।
- ऊर्जा स्रोत जो हम चुनते हैं, वह स्रोत से ऊर्जा निष्कर्षण की सुगमता और कीमत (लागत), ऊर्जा के उस स्रोत के लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकी की दक्षता, और उस स्रोत के उपयोग का पर्यावरण पर प्रभाव जैसे कारकों (factors) पर निर्भर करेगा।
- करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए पौधे और पशुओं के अवशेषों द्वारा जीवाश्म ईंधन(fossif fuels) बने हैं।
- जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत (nonrenewable sources) हैं ।
- तापीय शक्ति संयंत्र (thermal power plant) में ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए ईंधन को जलाया जाता है और ऊष्मा, विद्युत ऊर्जा में बदली जाती है।
- जल-शक्ति संयंत्र (hydropower plants) गिरते हुए पानी की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं।
- जैवद्रव्यमान, पवन, महासागर तापीय ऊर्जा आदि अनेक ऊर्जा स्रोत अपनी ऊर्जा अंततः सूर्य से ही प्राप्त करते हैं।
- भूऊष्मीय ऊर्जा और नाभिकीय ऊर्जा सूर्य से ऊर्जा प्राप्त नहीं करते हैं।
- नाभिकीय विखंडनमें कोई भारी नाभिक दो अपेक्षाकृत हलके नाभिक में टूट जाता है।
- नाभिकीय संलयनमें दो हलके नाभिक एक भारी नाभिक बनाने के लिए जुड़ते (संयोजन करते ) हैं।
- सूर्य में ऊर्जा चार हाइड्रोजन नाभिकों के संलयन से बने एक हीलियम नाभिकद्वारा उत्पन्न होती है।
प्रश्नावली
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I.सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
1. सौर जल-ऊष्मक का उपयोग गर्म पानी पाने के लिए नहीं किया जा सकता है
(क) धूप वाले दिन में
(ख) बादल वाले दिन में
(ग) गर्म दिन में
(घ) तूफानी दिन में
उत्तर – (ख)
2. जैवद्रव्यमान ऊर्जा स्रोत का उदाहरण निम्नलिखित में कौन नहीं है ?
(क) पेट्रोलियम
(ख) गोबर गैस
(ग) नाभिकीय ऊर्जा
(घ) कोयला
उत्तर – (ग)
3. ऊर्जा के अधिकांश स्त्रोत जिनका हम उपयोग करते हैं, संचित सौर ऊर्जा निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में कौन सौर ऊर्जा से अंत में नहीं प्राप्त किया गया है ?
(क) भूऊष्मीय ऊर्जा
(ख) पवन ऊर्जा
(ग) जीवद्रव्यमान
(घ) नाभिकीय ऊर्जा
उत्तर – (घ)
4. निम्नलिखित में कौन बायोगैस ईंधन का स्त्रोत नहीं है?
(क) कोयला
(ख) गोबर गैस
(ग) लकड़ी
(घ) नाभिकीय ऊर्जा
उत्तर – (घ)
5. जीवाश्म ईंधन की ऊर्जा का वास्तविक स्रोत हैं
(क) सूर्य
(ख) चंद्रमा
(ग) नाभिकीय संलयन
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (क)
6. निम्नलिखित में कौन ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत हैं?
(क) कोयला
(ख) लकड़ी
(ग) पेट्रोलियम
(घ) प्राकृतिक गैस
उत्तर – (ख)
7. सौर पैनेल बनाया जाता है अनेक
(क) सौर कुकरों को संयोजित कर
(ख) अनेक सौर सेलों को संयोजित कर
(ग) सौर जल-ऊष्मकों को संयोजित कर
(घ) सौर केंद्रकों को संयोजित कर
उत्तर – (ख)
8. पवन-विद्युत जनित्र में पवन की चाल कम-से-कम होनी चाहिए
(क) 15 km/h
(ख) 150 km/h
(ग) 1.5 km/h
(घ) 1500 km/h
उत्तर – (क)
9. बॉक्स प्रकार के सौर कुकर के उसके ऊपरी भाग में काँच के ढक्क्न देने का कारण क्या है ?
(क) यह देखने के लिए कि भोजन पक रहा है या नहीं
(ख) बॉक्स के अंदर अधिक सूर्य का प्रकाश जाने के लिए
(ग) बॉक्स के अंदर धूलकणों को जाने से रोकने के लिए
(घ) विकिरण द्वारा ऊष्मा हानि को कम करने के लिए
उत्तर – (घ)
10. नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित में कौन आवश्यक है ?
(क) ऐलुमिनियम
(ख) यूरेनियम
(ग) क्रोमियम
(घ) हीलियम
उत्तर – (ख)
11. ग्लोबल वार्मिंग के लिए निम्नांकित में कौन-सी गैस उत्तरदायी है ?
(क) N2
(ख) CO2
(ग) O2
(घ) NH3
उत्तर – (ख)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. सौर ऊर्जा को सीधं विद्युत में बदलनेवाली युक्ति को ……….. कहते हैं।
उत्तर – सौर सेल
2. जल-ऊर्जा पवन ऊर्जा से …….विश्वसनीय है।
उत्तर – अधिक
3. बायोगैस संयंत्र में पशु और वनस्पति अपशिष्ट पदार्थ का निम्नीकरण ……..सूक्ष्म जीवों द्वारा होता है।
उत्तर – अनॉक्सी
4. यूरेनियम में नाभिकीय अभिक्रिया होती है जब उस पर मंद गतिमान ……… का बमवर्षण होता है।
उत्तर – न्यूट्रॉनों
5. अति उच्च ताप पर दो हलके नाभिकों का आपस में ………… हो सकता है।
उत्तर – संलयन
6. हमारे अधिकांश ऊर्जा स्रोत अंत……… से प्राप्त ऊर्जा से व्युत्पन्न होते हैं।
उत्तर – सूर्य
7. सौर सेल बनाने के लिए …….. का उपयोग किया जाता है।
उत्तर – सिलिकन
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. ऊर्जा के तीन विभिन्न रूपों के नाम लिखें।
उत्तर – ऊर्जा के तीन विभिन्न रूप निम्न हैं
(i) यांत्रिक ऊर्जा
(ii) रासायनिक ऊर्जा
(iii) विद्युत ऊर्जा
2. पवन को किस प्रकार की ऊर्जा होती है ?
उत्तर – पवन को नवीकरणीय ऊर्जा होती है।
3. पवन द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए पवन की चाल लगभग कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर – पवन द्वारा उर्जा उत्पन्न करने के लिए उसकी चाल 15 किलोमीटर प्रति घंटा होना चाहिए।
4. जीवाश्म ईंधन, उर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत हैं या अनवीकरणीय स्रोत ?
उत्तर – अनवीकरणीय स्रोत।
5. जल विद्युत संयंत्र में पानी की किस उर्जा का उपयोग टरबाइन को चलाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता ?
उत्तर – पानी की स्थितिज उर्जा का उपयोग कर विद्युत उत्पन्न किया जाता है।
6. क्या गोबर गैस, उर्जा का नवीकरणीय स्रोत हैं ?
उत्तर – हाँ, क्योंकि गोबर गैस प्लान्ट आधुनिक युग में चलाए गए है, जिसमें गोबर से उर्जा प्राप्त की जाती है।
7. दो विधियों के नाम लिखें जिनके द्वारा पानी का उपयोग जल विद्युत उत्पन्न करने में किया जा सकता है।
उत्तर – (i) जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदी पर ऊँचे बाँध बनाकर ।
(ii) जलप्रपात या वर्षा जल का संग्रहण।
8. जीवाश्म ईंधन की ऊर्जा का अंतिम स्रोत क्या है ?
उत्तर – जीवाश्म ईंधन की ऊर्जा का अंतिम स्रोत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस है।
9. बायोगैस का मुख्य घटक क्या है ?
उत्तर – बायोगैस का मुख्य घटक मिथेन है।
10. सौर ऊर्जा की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर – सौर ऊर्जा की विशेषता-
(i) सौर सेलों को कोई चल हिस्से ( Moving parts) नहीं होते है।
11. बॉक्स प्रकार के सौर कुकर में ताप की सीमा क्या है जो वह दो से तीन घंटे में प्राप्त कर सकता है ?
उत्तर – बॉक्स प्रकार के सौर कुकर में ताप की सीमा 100 से 140°C है जो वह दो से तीन घंटे में प्राप्त कर सकता है।
12. अवतल, उत्तल और समतल दर्पण में से कौन-सा दर्पण सौर कुकर में सबसे अधिक उपयुक्त होगा और क्यों ?
उत्तर – सौर कुकर में समतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर देता है।
13. सौर सेल ऊर्जा के एक रूप को दूसरे रूप में बदलता है। ऊर्जा के ये दो रूप क्या हैं?
उत्तर – सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
14. एक प्ररूपी सौर सेल कितनी वोल्टता एवं कितनी विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है ?
उत्तर – प्रारूपी सौर सेल 0.5 से लेकर 1 वोल्ट (V) तक की वोल्टता तथा 0.7 वाट (W) की विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है ।
15. ईंधन से उर्जा को किस प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न किया जाता
उत्तर – ईंधन से दहन की प्रक्रिया द्वारा उर्जा को प्राप्त किया जाता है।
16. ग्रीन हाउस गैसें कौन-कौन सी है ?
उत्तर – कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड इत्यादि गैसे।
17. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से किस प्रकार की ऊर्जा की प्राप्ति होती है ?
उत्तर – इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से विद्युत उर्जा की प्राप्ति होती है।
18. उस प्रक्रिया का नाम लिखें जिसके द्वारा सूर्य अपनी ऊर्जा उत्पन्न करता है ?
उत्तर – नाभिकीय संलयन द्वारा सूर्य अपनी ऊर्जा उत्पन्न करता है।
19. यदि वायुमंडल की ऊपरी परत 100 जूल सौर ऊर्जा प्राप्त करता है तो इसमें से कितनी ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर पहुँचती है ?
उत्तर – यदि वायुमंडल की ऊपरी परत 100 जूल सौर ऊर्जा प्राप्त करता है तो इसमें से लगभग 47 जूल ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर पहुँचती है।
20. उच्चतर ताप कौन-सी प्रक्रिया पूरी की जाती हैनाभिकीय विखंडन या नाभिकीय संलयन ?
उत्तर – उच्चतर ताप पर नाभिकीय संलयन प्रक्रिया पूरी की जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ऊर्जा का अच्छा स्रोत क्या है ?
उत्तर – ऊर्जा का अच्छा स्रोत वह है जो –
(i) प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करें।
(ii) सरलता से सुलभ हो सके।
(iii) भंडारण तथा परिवहन आसान हो ।
(iv) यह सस्ता भी है।
2. अच्छा ईंधन क्या है ?
उत्तर – वैसा ईंधन जो जलने पर अधिक ऊष्मा प्रदान करे तथा प्रदूषण कम उत्पन्न करे अच्छा ईंधन है। अच्छे ईंधन के निम्न गुण हैं –
(i) जो जलने पर अधिक ऊष्मा निर्मुक्त करे।
(ii) जो आसानी से उपलब्ध हो ।
(iii) जो अधिक धुआँ उत्पन्न न करे।
(iv) जिसका भंडारण और परिवहन आसान हो ।
(v) जिसके दहन की दर मध्यम हो ।
(vi) जिसके जलने पर विषैले उत्पाद पैदा न हों।
इस तरह उपर्युक्त गुण रखने वाले पदार्थ को अच्छा ईंधन कहते हैं।
3. जीवाश्म ईंधन क्या है ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर – पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए पौधे और पशुओं के अवशेषों द्वारा बनाये गये ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
उदाहरण कोयला (Coal), पेट्रोलियम (Petroleum) तथा प्राकृतिक गैस (Natural Gas) जीवाश्म ईंधन ऊर्जायुक्त कार्बन यौगिक के अणु है।
4. कौन-सा ऊर्जा स्रोत भोजन को गर्म करने के लिए काम में लाया जाएगा और क्यों ?
उत्तर – हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना अधिक नहीं है, कैलोरी-मान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों पसंद करेंगे। क्योंकि इसमें उत्तम ईंधन की अनेक विशेषताएँ विद्यमान हैं। इसका ज्वलना के को उत्पन्न नहीं करती।
5. जीवाश्म ईंधन के खामियाँ क्या हैं?
उत्तर – जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं और अब हमारे पास इनके सीमित भंडार ही बचे हैं। यह शीघ्र रिक्त हो जाएँगे। जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड उत्पन्न होते हैं। सल्फर के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं और वे अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं जिससे हमारे जल और मृदा के संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु में हानिकारक कणिकाएँ और धुआँ प्रदूषण फैलाते हैं जिस कारण कई तरह से श्वसन संबंधी रोग फैलते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाऊस प्रभाव से वातावरणीय तापमान में वृद्धि करती है और कार्बन मोनोऑक्साइड तो बंद कमरों में सोते हुए लोगों में कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर उनका जीवन ही तो ले लेती है।
6. क्यों हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजते हैं ?
उत्तर – पृथ्वी में कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा यूरेनियम जैसे ईंधनों के ज्ञात भंडार बहुत ही सीमित हैं। यदि इसी दर से उनका उपयोग होता रहा तो वे शीघ्र समाप्त हो जायेंगे। इसलिये हम ऊर्जा संकट से निबटने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
7. पवन और जल से प्राप्त ऊर्जा के परंपरागत उपयोग में किस प्रकार का सुधार हमारी सुविधा के लिए किया गया है ?
उत्तर – प्रवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है। वर्तमान में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो ।
I. पवन ऊर्जा — सूर्य के विकिरणों से भूखंडों और जलाशयों के असमान गर्म होने के कारण वायु में गति उत्पन्न होती है और पवनों का प्रवाह होता है। पहले पवन ऊर्जा से पवन चक्कियाँ चलाकर कुओं से जल खींचने का काम होता था, लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को किसी क्षेत्र में लगाया जाता है ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं। जिन स्थानों पर 15 km/h से अधिक गति से पवनें चलती हैं। जनित्रों से भी पवन चक्कियों की पंखुड़ियों को घूर्णी गति दी जा सकती है।
II. जल ऊर्जा— जल वैद्युत संयंत्रों में ऊँचाई से गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है। ऐसे जल प्रपातों की संख्या बहुत कम है जिनका उपयोग स्थितिज ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सकता है। इसलिए अब जल विद्युत संयंत्रों को बाँधों से संबंधित. किया गया है। विश्व भर में बड़ी संख्या में बाँध बनाए गए हैं। हमारे देश में विद्युत ऊर्जा की माँग का एक-चौथाई भाग जल वैद्युत संयंत्रों से पूरा होता है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बाँध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न कराते हैं।
8. नदियों पर बाँध बनाकर जल विद्युत उत्पादन के दो लाभ तथा दो हानियाँ बताएँ।
उत्तर –
लाभ
(i) जल विद्युत ऊर्जा का एक नवीनकरणीय स्रोत है।
(ii) जल से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने पर पर्यावरण में प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है।
हानि –
(i) पर्यावरण असंतुलित हो जाता है।
(ii) बहुत से पौधे, मकान एवं जंतु बाँध बनाने के कारण डूब जाते हैं।
9. ऊर्जा जो महासागरों से प्राप्त की जा सकती है, की सीमाएँ (limitations) क्या हैं ?
उत्तर – महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है लेकिन सदा ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनी-अपनी सीमाएँ हैं।
- ज्वारीय ऊर्जा— ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध बना कर किया जाता है। बाँध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित कर देता है। सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध निर्मित करने योग्य उचित स्थितियाँ सरलता से उपलब्ध नहीं होती।
- तरंग ऊर्जा— तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहाँ तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहाँ सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हैं कि उनकी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।
- सागरीय तापीय ऊर्जी- सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है। तब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि०मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो इस प्रकार विद्युत ऊर्जा प्राप्त हो सकती है पर यह प्रणाली बहुत महँगी है।
10. भूऊष्मीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर – पृथ्वी के अन्दर दबावकारी शक्तियाँ कार्य करती हैं जिस कारण चट्टानें पिघल जाती हैं और गहरे गर्म क्षेत्र का निर्माण हो जाता है। भूमिगत जल इस गर्म क्षेत्र के संपर्क में आता है तो बड़ी मात्रा में गर्म भाप उत्पन्न होता है। कभी-कभी इस क्षेत्र से गर्म पानी एवं भाप बाहर झरने के रूप में निकलते हैं। चट्टानों में कैसी भाप पाइप से होकर टरबाइन तक भेज दी जाती है तथा विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इस प्रकार पृथ्वी के भू-गर्भ से निकले गर्म भाप एवं भूपानी का जो ऊर्जा प्राप्त होता है उसे भू-ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं।
11. नाभिकीय ऊर्जा के क्या लाभ हैं ?
उत्तर – नाभिकीय ऊर्जा के निम्नलिखित लाभ हैं –
(i) नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है।
(ii) बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
(iii) ऊर्जा के साथ त्वरित होने वाले कणों के प्रयोग से बड़ी संख्या में शोध किये जाते हैं।
(iv) कम खर्च में अत्यधिक ऊर्जा उपलब्ध।
(v) अवशिष्ट पदार्थों का पुनः इस्तेमाल संभव।
12. क्या ऊर्जा का कोई स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?
उत्तर – किसी भी प्रकार के ऊर्जा स्रोत के समाप्त होने से वातावरण असंतुलित होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है। उदाहरणार्थ, यदि हम लकड़ी को ऊर्जा स्रोत की तरह उपयोग करते हैं तब पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न होता है। वायु में CO2 और O2 का भी संतुलन प्रभावित होता है। लकड़ी जलने से उत्पन्न CO2, SO2 और NO2 वायु प्रदूषण करते हैं। यहाँ तक कि सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग से भूमण्डलीय ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न होगा।
13. ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप नवीकरणीय होना सोचते हैं। अपने चुनाव के लिए कारण लिखें।
उत्तर – दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं
(a) जल ऊर्जा, (b) पवन ऊर्जा।
(a) जल ऊर्जा— बहते जल में उपस्थित ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं। यहाँ ऊँचाई से नीचे बहते जल की ऊर्जा का उपयोग कर लिया जाता है तथा उपयोग के बाद बहता हुआ पानी समुद्र में चला जाता है। जल चक्र के कारण पानी पुनः ऊँचाई पर पहुँच जाता है। इसलिए जल ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं।
(b) पवन ऊर्जा–पवन ऊर्जा का विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग करते हैं। प्रकृति में पवनें चक्रीय प्रक्रमों के कारण उत्पन्न होती हैं। इसलिए यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
14. जीवाश्म ईंधन क्या है? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर – प्रश्न संख्या 3 का उत्तर देखें।
15. विद्युत की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए सौर पैनलों के उपयोग में कौन सी रूकावटें है?
उत्तर – सिलिकन जो सौर सेलों को बनाने के लिए इस्तेमाल होता है, प्रकृति में भरपूर है, किन्तु सौर सेल को बनाने के लिए विशिष्ट ग्रेड (Grade) वाले सिलिकन की उपलब्धता सीमित है।
निर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया अभी भी बहुत खर्चीली है, पैनल के सेलों से अंतःसंबंध (Interconnection) के लिए प्रयुक्त चाँदी इसकी कीमत को और भी बढ़ा देती है।
16. पवनचक्की के कार्य करने का क्या सिद्धांत है। इससे उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए?
उत्तर – पवनचक्की पवन ऊर्जा का रूपांतर यांत्रिक ऊर्जा में होता है। विशेष आकार-प्रकार के ब्लेडो के कारण, पवन के टकराने पर इसके विभिन्न क्षेत्रों में दावांतर उत्पन्न होता है जिससे एक घूर्णी प्रभाव उत्पन्न होता है। जो लेडो को घुमा देता है। इसका प्रयोग विद्युत जनित्र के आर्मेचर को घुमान के लिए किया जाता है। पवन का न्यूनतम वेग 15 km/hr होना चाहिए ।
17. ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप समाप्त होने वाला समझते हैं। अपने चुनाव के लिए कारण लिखें।
उत्तर – कोयला तथा पेट्रोलियम समाप्त होने वाला ऊर्जा स्रोत है। कोयला उन पौधों का जीवाश्म अवशेष है जो करोड़ों वर्ष पूर्व भूपर्पटी के नीचे गहराइयों में दब गए थे। इसी प्रकार पेट्रोलियम समुद्री जीवों व पौधों के जीवाश्म अवशेष हैं। इस प्रकार इन ईंधनों के बनने की यह प्रक्रिया अत्यन्त धीमी है और इसमें करोड़ों वर्षों का समय लगा है। एक बार यदि यह समाप्त हो गए तो दोबारा नहीं बन सकेंगे। इसलिए इन्हें समाप्त होनेवाला ऊर्जा स्रोत समझते हैं।
18. सौर कुकर के उपयोग के लाभ और अलाभ (हानि) क्या हैं? क्या ऐसे स्थान हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता होगी ?
उत्तर – सौर कुकर के उपयोग के लाभ
- यह बिना प्रदूषण किए भोजन पकाने में सहायक है।
- सौर कुकर का उपयोग सस्ता भी है क्योंकि सौर ऊर्जा के उपयोग का मूल्य नहीं चुकाना है। पड़ता
- सौर कुकर का रख-रखाव आसान होता है। इसमें किसी प्रकार के खतरे की संभावना नहीं होती है।
सौर कुकर के उपयोग के हानि –
- रात में और बादल वाले दिनों में सौर कुकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
- यह भोजन पकाने में अधिक समय लेता है।
- सभी स्थानों पर हर समय सूर्य की रोशनी उपलब्ध नहीं होती।
- इसका उपयोग शीघ्रता से खाना बनाने में नहीं किया जा सकता।
सौर कुकर के सीमित उपयोगिता वाले क्षेत्र – हाँ, कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकर की सीमित उपयोगिता है। ध्रुवों पर जहाँ सूर्य आधे वर्ष तक नहीं दिखाई देता है। वहाँ सौर कुकर का उपयोग सीमित है। पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए और काफी तिरछी पड़ती हैं वहाँ सौर कुकर का उपयोग बहुत कठिन है।
19. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए आपके सुझाव क्या होंगे?
उत्तर – ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएँ आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बाँध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरीमान अधिक हो। उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो। स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
20. शारीरिक कार्यों को करने के लिए विभिन्न वैद्युत साधित्रों को चलाने के लिए तथा भोजन पकाने अथवा वाहनों को चलाने के लिए किस प्रकार के ऊर्जाओं की आवश्यकता होती है ?
उत्तर – शारीरिक कार्यों को करने के लिए विभिन्न वैद्युत साधित्रों को चलाने के लिए तथा वाहनों को चलाने के लिए पेशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा भोजन को पकाने के लिए ऊष्मीय ऊर्जा का आवश्यकता होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. बायोगैस संयंत्र की बनावट और कार्यविधि का वर्णन करें।
उत्तर – तैरती हुई गैस टंकी वाले बायोगैस संयंत्र की रचना – इस बायोगैस संयंत्र में कुएँ के आकार वाला एक भूमिगत टैंक T होता है जिसे संपाचक टैंक कहते हैं। यह ईंटों का बना होता है | इस भूमिगत टैंक में गोबर तथा पानी का घोल भर देते हैं। ड्रम के आकार वाली एक स्टील की बनी गैस टंकी H संपाचक टैंक में भरे गोबर के घोल के ऊपर उलटी तैरती रहती है। यह टंकी बायोगैस इकट्ठा करने के लिए होती है। गैस टंकी की चोटी पर एक गैस निर्गम, S होता है जिसमें गैस वाल्व V लगा होता है। घरों में सप्लाई करने के लिए बायोगैस निर्गम S से ही निकाली जाती है।
कार्यविधि- गोबर तथा पानी की बराबर मात्रा टैंक M में मिलाकर एक घोल बनाया जाता है जिसे स्लरी कहते हैं। गोबर गैस तथा पानी के इस घोल को प्रवेश पाइप के द्वारा संपाचक टैंक T में डाल दिया जाता है। गोबर तथा पानी के घोल को संपाचक टंकी में लगभग 50-60 दिन के लिए ऐसे ही रखा जाता है। इस अवधि के दौरान गोवर व पानी की उपस्थिति में अनॉक्सी सूक्ष्मजीवों द्वारा निम्नीकरण होता है जिससे बायोगैस बनती है जो टंकी H में इकट्ठी होती रहती है। बायोगैस को निर्गम S पाइपों द्वारा घरों तक पहुँचाया जाता है।
अनॉक्सी अपघटन अनॉक्सी बैक्टीरिया नामक सूक्ष्म जीवों द्वारा सम्पन्न की जाती है। यह अपघटन पानी की उपस्थिति में होता है परन्तु ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है।
2. महासागर की विभिन्न गहराइयों पर तापों में अंतर का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिए कैसे किया जा सकता है ? वर्णन करें।
उत्तर – सागर या महासागर की सतह पर स्थित पानी सूर्य द्वारा गर्म होता है जबकि इसकी गहराई में स्थित पानी अपेक्षाकृत ठंडा होता है। ताप के अंतर का उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने के लिए महासागर-तापीय ऊर्जा परिवर्तन संयंत्रों (Ocean thermal energy conversion Plants) में किया जाता है। ये संयंत्र तभी काम कर सकते हैं जब सतह पर पानी और 2 km की गहराई तक पानी के बीच के ताप का अंतर 20°C या उससे अधिक हो । गर्म सतह पानी का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रव को उबालने के लिए किया जाता है तथा द्रव के वाष्प का उपयोग जनित्र के टरबाइन को चलाने के लिए किया जाता है। महासागर की गहराई से ठंडे पानी के ऊपर की ओर पंप किया जाता है और वाष्प को फिर से द्रव में संघनित किया जाता है।
3. समझाएँ कि कैसे जल-ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। जल-ऊर्जा के दो लाभ भी लिखें।
उत्तर – जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़े जलाशयों (कृत्रिम झीलों) में जल एकत्र करने के लिए ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जाते हैं। इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊँचा हो जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बाँध के आकार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है। फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।
जल ऊर्जा के दो लाभ –
(i) ऊर्जा का यह स्रोत नवीकरणीय है और प्रदूषण मुक्त है।
(ii) जल विद्युत संयंत्र के लिए बनाए गए बाँध बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई में भी सहायक है।
4. (a) पवन (b) तरंग (c) ज्वार से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ क्या हैं ?
उत्तर – (a) पवनें—
(i) पवन ऊर्जा निष्कर्षण के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है।
(ii) पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब हवा की गति 15 km/h से अधिक हो ।
(iii) हवा की तेज गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएँ अधिक होती हैं।
(b) तरंगें –
(i) तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हों।
(ii) इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएँ हैं।
(c) ज्वार –
ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढ़ना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण होता है। तरंगों की ऊँचाई और बाँध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएँ हैं।
5. जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा के प्रत्यक्ष रूप में सूर्य की तुलना करें।
उत्तर –
जीवाश्म ईंधन | सूर्य |
1. यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। | 1. यह ऊर्जा का विकीरणीय स्रोत है। |
2. यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है। | 2. यह प्रदूषण नहीं फैलाता है। |
3. रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है। | 3. परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है। |
4. निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है। | 4. निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है। |
5. मानव मन चाहे ढंग से उसपर नियंत्रण कर सकता है। | 5. मनचाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता। |
6. ऊर्जा के स्रोतों के रूप में जीव द्रव्यमान और जल विद्युत की तुलना करें।
उत्तर –
जीव द्रव्यमान | जल विद्युत |
1. जीव द्रव्यमान नवीकरणीय एवं परंपरागत ऊर्जा स्रोत है। | जल विद्युत भी नवीकरणीय एवं परंपरागत ऊर्जा स्रोत है। |
2. जीव द्रव्यमान में रासायनिक ऊर्जा निहित होती है। | बहते जल में उपस्थित गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। |
3. जीव द्रव्यमान के उपयोग से वातावरण प्रदूषित होती है। | जल विद्युत, ऊर्जा का प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है। |
4. जीव द्रव्यमान का प्रयोग पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न नहीं करता है। | जल विद्युत के लिए बाँध बनाने पर पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न होता है। |
5. जल विद्युत की अपेक्षा जीव द्रव्यमान सस्ता ऊर्जा स्रोत है। | जल विद्युत अपेक्षाकृत महँगा ऊर्जा स्रोत है। |
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें-
1. पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे विशाल स्रोत है ?
(क) लकड़ी
(ख) कोयला
(ग) सूर्य
(घ) चन्द्रमा
उत्तर – (ग)
2. दो या तीन घंटों की अवधि में बॉक्सनुमा सौर कुकर के अन्दर का ताप पहुँच जाता है ?
(क) 60°C से 180°C
(ख) 100°C से 140°C
(ग) 140°C से 180°C
(घ) 100°C से 220°C
उत्तर – (ख)
3. सौर सेलों के निर्माण के लिए उपयोग किये गये जाने वाले तत्व हैं ?
(क) कॉपर
(ख) टंगस्टन
(ग) सल्फर
(घ) सिलिकन
उत्तर – (घ)
4. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है ?
(क) सौर ऊर्जा
(ख) कोयला
(ग) पेट्रोलियम
(घ) प्राकृतिक गैस
उत्तर – (क)
5. जीवाश्म ईंधन है ?
(क) कोयला
(ख) पेट्रोलियम
(ग) प्राकृतिक गैस
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ)
6. बायोगैस का मुख्य अवयव है ?
(क) CO2
(ख) CH4
(ग) H2
(घ) H2S
उत्तर – (ख)
7. पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत है –
(क) कोयला
(ख) सूर्य
(ग) पेट्रोल
(घ) प्राकृतिक गैस
उत्तर – (ख)
8. तारों के ऊर्जा के स्रोत क्या हैं ?
(क) रासायनिक अभिक्रिया
(ख) भारी नाभिकों का संलयन
(ग) हल्के नाभिकों का संलयन
(घ) भारी नाभिकों का विखण्डन
उत्तर – (ग)
9.सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली युक्ति है
(क) सौर ऊष्मक
(ख) सौर कुकर सौर सेल
(ग) सौर सेल
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग)
10. चक्की में ऊर्जा का कौन-सा रूप कार्य में स्थानान्तरित होता है—
(क) स्थितिज ऊर्जा
(ख) गतिज ऊर्जा
(ग) जल ऊर्जा
(घ) सौर ऊर्जा
उत्तर – (ख)
II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।
1.जैव गैस में 75 प्रतिशत तक …………… गैस होती है।
उत्तर – मेथेन
2. जब बहुत अधिक संख्या में सौर सेलों को संयोजित करते हैं तो यह व्यवस्था ……….कहलाती है।
उत्तर – सौर पैनेल
3. हमारे अधिकांश ऊर्जा स्रोत अन्ततः ………… से प्राप्त ऊर्जा से व्युत्पन्न होते हैं।
उत्तर – सूर्य
4. सौर सेल एक ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को सीधे ही ……….. ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।
उत्तर – विद्युत
5. भारत में हमारी ऊर्जा की माँग के …………भाग की पूर्ति जल वैद्युत विद्युत संयंत्रों द्वारा होती हैं।
उत्तर – चौथाई
6. गोबर को ………. रूप में परिवर्तित कर अधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
उत्तर – बायोगैस
7. …………सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
उत्तर – सौर सेल
8. पवन चक्की द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन की न्यूनतम गति …………होनी चाहिए।
उत्तर – 15 km/h
9. OTEC विद्युत संयंत्र तभी प्रचलित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 km की गहराई पर जल के ताप में ……..का अन्तर हो ।
उत्तर – 20°C
10. LPG का मुख्य अवयव ……… तथा ……… है।
उत्तर – नॉर्मल ब्यूटेन, आइसोब्यूटेन
III. सही / गलत का चयन करें।
1. जल ऊर्जा विद्युत ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है।
उत्तर – सही
2. जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत हैं।
उत्तर – गलत
3. सौर सेल बनाने के लिए ग्रेफाइट का उपयोग होता है।
उत्तर – गलत
4. हाइड्रोजन बम ताप नाभिकीय अभिक्रिया पर आधारित होता है।
उत्तर – सही
5. पृथ्वी के ऊपर तत्वं स्थलों से प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है।
उत्तर – गलत
6. सौर ऊर्जा पृथ्वी पर ऊर्जा का मूल स्रोत हैं।
उत्तर – सही
7. OTEC प्रणाली पूरे वर्ष चौबीस घण्टे चलाया जा सकता है।
उत्तर – सही
8. OTEC प्रणाली के प्रचालन के लिए महासागरों की सतह व 1000m की जल के ताप में 200°C या अधिक का अन्तर होना चाहिए।
उत्तर – गलत
9. नाभिकीय संलयन में दो हल्के नाभिक एक हल्के नाभिक बनाने के लिए CO उत्तर- सही गहराई पर संयोजन करते हैं।
उत्तर – गलत
10. सूर्य में ऊर्जा चार हाइड्रोजन नाभिकों के संलयन से बने एक हीलियम नाभिक द्वारा उत्पन्न होती हैं।
उत्तर – सही
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले सौर ऊर्जा के दो उदाहरण लिखें।
उत्तर – (i) अनाज और कपड़ों को सुखाने में ।
(ii) हमारे पृथ्वी में विटामिन ‘डी’ उत्पन्न करने में।
2. ऊर्जा स्रोत का मुख्य लक्षण क्या है ?
उत्तर – ऊर्जा स्रोत से पर्याप्त मात्रा में उपयोगी ऊर्जा उत्पन्न होनी चाहिए।
3. पृथ्वी सूर्य से मुख्यतः किस रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है ?
उत्तर – पृथ्वी सूर्य से ऊंष्मा और प्रकाश के रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है।
4. पृथ्वी का मुख्य ऊर्जा स्रोत क्या है ?
उत्तर – पृथ्वी का मुख्य ऊर्जा स्रोत सूर्य है ।
5. उपयोगी ऊर्जा का क्या अर्थ है ?
उत्तर – ऐसी ऊर्जा जिसकी प्राप्ति उसके लागत से अधिक हो, उसे उपयोगी ऊर्जा कहते हैं।
6. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर – जो ईंधन प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे, सरलता से प्राप्त हो, भंडारण और परिवहन सरल हो तथा दाम में सस्ता हो, उस ईंधन को उत्तम ईंधन कहते हैं।
7. किस ईंधन के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया ?
उत्तर – कोयले के उपयोग ने।
8. जीवाश्मी ईंधन के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर – कोयला एवं पेट्रोलियम
9. किस अधातु का ऑक्साइड अम्लीय वर्षा का कारण बनता है ?
उत्तर – सल्फर।
10. कौन-सी वर्षा हमारे जल और मृदा के संसाधनों को प्रभावित करती है ?
उत्तर – अम्लीय वर्षा ।
11. बाँधू बनाकर नदियों के पानी की किस ऊर्जा का किसमें रूपांतरण होता है ?
उत्तर – गतिज ऊर्जा का स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरण।
12. टिहरी बाँध किस नदी पर बनाया गया है ?
उत्तर – गंगा नदी पर।
13. सरदार सरोवर बाँध का निर्माण किस नदी पर किया गया है ?
उत्तर – नर्मदा नदी पर ।
14. बाँधों के जल में पारिस्थितिक तंत्र नष्ट क्यों हो जाते हैं
उत्तर – जल में डूब जाने के कारण।
15. जैव गैस को उत्तम ईंधन क्यों मानते हैं ?
उत्तर – इसमें 75% तक मिथेन होती है जो बिना धुआँ
16. पवनों का प्रवाह, कैसे होता है ?
उत्तर – सूर्य के विकिरणों से भूखंडों तथा जलाश यो के असमान तप्त होने के कारण वायु गति उत्पन्न होती है तथा पवनों का प्रवाह होता है ।
17. पवन ऊर्जा फार्म किसे कहते हैं।
उत्तर – जब किसी विशाल क्षेत्र में अनेक पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तो उस क्षेत्र को पवन उत्तरऊर्जा फार्म कहते हैं ।
18. व्यापारिक स्तर पर विद्युत प्राप्त करने के लिए किसी पवन ऊर्जा फार्म में क्या किया जाता है ?
उत्तर – सभी पवनचक्किय द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं का परस्पर योग कर लिया जाता है।
19. पवन ऊर्जा के क्षेत्र में कौन-सा देश अग्रणी है ?
उत्तर – जर्मनी।
20. पवन ऊर्जा उत्पादित करने में भारत का विश्व भर में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर – पाँचवाँ स्थान।
21. यदि पवनों द्वारा विद्युत उत्पादन की अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करें तो हम कितनी विद्युत शक्ति उत्पन्न कर सकते हैं ?
उत्तर – लँगभग 45,000 MW ।
22. तमिलनाडु में कन्याकुमारी के निकट भारत का विशालतम पवन ऊर्जा फार्म कितनी ऊर्जा उत्पन्न करता है ?
उत्तर – 380MW
23. पवन ऊर्जा के लिए पवनों की चाल कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर – 15 km/h से अधिक।
24. सूर्य लगभग कब से विशाल मात्रा में ऊर्जा विकरित कर रहा है ?
उत्तर – लगभग 5 करोड़ वर्ष सो
25. सौर कुकर में काँच की शीट का ढक्कन क्यों लगाया जाता है ?
उत्तर – ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करने के लिए
26. सौर पैनेलों की व्यवस्था क्यों की जाती है ?
उत्तर – अधिक विद्युत के लिए।
27. महासागरों में जल का स्तर किस कारण बढ़ता और गिरता है ?
उत्तर – चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण।
28. ज्वारीय ऊर्जा के दोहन के लिए बाँध का निर्माण कहाँ किया जाता है ?
उत्तर – संकीर्ण क्षेत्र पर।
29. तरंग ऊर्जा किस प्रकार की तरंगों से उत्पन्न होती है ?
उत्तर – प्रबल तरंगों से ।
30. भूतापीय ऊर्जा किन परिवर्तनों का परिणाम है ?
उत्तर – भौमिकीय परिवर्तनों का।
31. ‘तप्त स्थल’ क्या है ?
उत्तर – भूमिगत तपे हुए क्षेत्रों को ।
32. गर्म जल के निकास मार्गों को गर्म चश्मों के अतिरिक्त और क्या कह कर पुकारते हैं ?
उत्तर – ऊष्ण स्रोत।
33. तप्त स्थलों से भाप को किस प्रकार बाहर निकाला जाता है ?
उत्तर – पाइप डालकर भाप को बाहर निकाला जाता
34. किन दो देशों में भूतापीय ऊर्जा पर आधारित विद्युत शक्ति संयंत्र कार्य कर रहे हैं ?
उत्तर – न्यूजीलैंड तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में।
35. नाभिकीय ऊर्जा किस कारण उत्पन्न होता है ?
उत्तर – नाभिकीय विखंडन से।
36. भारी नाभिक तत्वों के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर – यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम।
37. किनकी बमबारी से भारी नाभिक तत्व को हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है ?
उत्तर – निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन की बमबारी से।
38. यूरेनियम के परमाणु के विखंडन से कितनी ऊर्जा उत्पन्न होती है ?
उत्तर – कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिका
39. अल्बर्ट आइंस्टीन का नाभिकीय विखंडन संबंधी सूत्र लिखिए।
उत्तर – E = Δ mc2
40. हमारे देश में नाभिकीय विद्युत संयंत्र कहाँ-कहाँ प्रतिष्ठित हैं ?
उत्तर – तारापुर (महाराष्ट्र), राणा प्रताप सागर (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरौरा (उत्तर प्रदेश), कटरापर (गुजरात) और कैगा (कर्नाटक ) ।
41. कोल गैस के कौन-कौन से घटक हैं ?
उत्तर – कोल गैस के घटक- कोल गैस, मिथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, एस्टिलीन, इथाइलीन, नाइट्रोजन तथा कार्बनडाइऑक्साइड का मिश्रण है।
42. L.P.G. के अवयव लिखिए।
उत्तर – इथेन, प्रोपेन तथा ब्यूटेन । मुख्य संघटक ब्यूटेन हैं, जिन्हें उच्च दाब पर तरल रूप में बदला जा सकता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ऊर्जा के स्रोत की परिभाषा दें।
उत्तर – वह पदार्थ या प्रक्रम जो लगातार दीर्घकाल तक अधिक मात्रा में प्रयोज्य रूप से ऊर्जा प्रदान कर सकती है।
2. जीवाश्म ईंधन क्या है ? इसके दो उदाहरण दें।
उत्तर – पेड़-पौधों और जानवरों के अवशेषों के पृथ्वी के अन्दर लाखों वर्ष तक ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में दबे रहने पर जो ईंधन बनते हैं, उन्हें जीवाश्म ईंधन कहते हैं। उदाहरण– कोयला एवं पेट्रोलियम |
3. जीवाश्म ईंधन की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर – (a) जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं। इनके भंडारण सीमित तथा समाप्त होनेवाले हैं।
(b) जीवाश्म ईंधन के जलने पर मुक्त होने वाले कार्बन, नाइट्रोजन तथा सल्फर ऑक्साइड अम्लीय होते हैं। इनसे अम्लीय वर्षा होती है जो हमारे जल तथा मृदा के को प्रभावित संसाधनों करती हैं।
4. तापीय विद्युत संयंत्र क्या है ?
उत्तर – यह एक ऊष्मीय विद्युत व्यवस्था है जिसमें जीवाश्मी ईंधन को जलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
5. बायो-गैस (जैव-गैस) क्या है ? जैव गैस के उपयोगों को लिखें।
उत्तर – जैव गैस ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव मात्रा के क्षय से उत्पन्न गैसों (मिथेन CO2, H2, SO2 आदि) का मिश्रण है। मिथेन जैव-गैस का मुख्य अवयव है।
जैव-गैस के उपयोग
(a) ऊष्मा एवं प्रकाश के स्रोत के रूप में,
(b) घरेलू ईंधन के रूप में
(c) विद्युत उत्पादन में,
(d) इसके समाप्त हो जाने संयंत्र में अवशिष्ट पदार्थ का उपयोग उर्वरक के रूप मे।
6. जल विद्युत, संयंत्र की संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर – जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़े जलाशयों में जल एकत्र करने के लिए ऊंचे-ऊँचे बाँध बनाए जाते हैं। इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊँचा हो जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बाँध के आधार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।
7. बायो-मास (जैव-मात्रा) क्या है ?
उत्तर – पेड़-पौधों और जानवरों के शरीर में विद्यमान पदार्थ को जैव-मात्रा कहते हैं।
8. जैव गैस संयंत्र का वर्णन स्वच्छ चित्र के साथ करें।
उत्तर –
जैव गैस संयंत्र में ईंटों से बनी गुबंद जैसी संरचना होती है। जैसे— गैस बनाने के लिए मिश्रण टंकी में ग्रोबर तथा जल का एक गाढ़ा घोल जिसे कर्दम (slurry) कहते हैं, बनाया जाता है जहाँ से इसे संपाचित्र (digester) में डाल देते हैं। संपाचित्र चारों ओर से बंद एक कक्ष होता है जिसके ऑक्सीजन नहीं होती। अवायवीय सूक्ष्मजीव जिन्हें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती, गोबर की स्लरी के जटिल यौगिकों का अपघटन कर देते हैं। अपघटन – प्रक्रम पूरा होने तथा इसके फलस्वरूप मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइट जैसी गैसें उत्पन्न होने में कुछ दिन लगते हैं। जैव गैस की संपाचित्र के ऊपर बनी गैस टंकी में संचित किया जाता है! जैव गैस को गैस टंकी से उपयोग के लिए पाइपों द्वारा बाहर निकाल लिया जाता है।
9. पवन ऊर्जा क्या है ? इसके उपयोग एवं सीमाएँ को लिखें।
उत्तर – वायु की गति के कारण अर्जित उसकी गतिज ऊर्जा है।
उपयोग- (a) पालवाली नाव को चलाने में,
(b) भूसे एवं अनाज के दानों को अलग-अलग करने में,
(c) वायुयानों एवं ग्लाइडरों की उड़ान में,
(d) पवन चक्की में।
सीमाएँ (a) पवन ऊर्जा सालोंभर हर स्थान में उचित मात्रा में संभव नहीं है ,
(b) इसका उपयोग हर जगह हर समय नहीं कर सकते हैं।
10. पवन चक्की के कार्य करने के सिद्धान्त को स्पष्ट करें।
उत्तर – पवन चक्की, पवन ऊर्जा से संचालित होनेवाला एक संयंत्र है जिसमें पवन ऊर्जा का रूपान्तरण यांत्रिकी ऊर्जा में होता है। पवन चक्की के ब्लेडों को इस प्रकार बनाया जाता है कि पवन के टकराने पर इनके विभिन्न क्षेत्रों के बीच दावांतर उत्पन्न हो जाए। यह दाबांतर एक घूर्णी प्रभाव उत्पन्न करता है जो ब्लेडों को घुमा देता है इसी घूर्णी गति का उपयोग विद्युत जनित्र के आर्मेचर को घुमाने के लिए किया जाता है।
11. नदियों पर बाँध बनाकर जल विद्युत उत्पादन के दो लाभ एवं दो हानियाँ लिखें।
उत्तर – लाभ – (a) बाढ पर नियंत्रण, (b) सिंचाई के लिए जल का उपयोग ।
हानि – (a) भूमि का काफी क्षेत्र पानी में डूब जाता है, (b) पौधों, जन्तुओं और मनुष्यों के प्राकृतिक वास स्थान नष्ट हो जाता है।
12. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर – पृथ्वा में कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा यूरेनियम जैसे ईंधनों के ज्ञात भंडार बहुत ही सीमित हैं। यदि इसी दर से उनका उपयोग होता रहा तो वे शीघ्र समाप्त हो जायेंगे। इसलिए हम ऊर्जा संकट से निबटने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
13. हमारी सुविधा के लिए पवन तथा जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोगों में किस प्रकार सुधार किए गए हैं ?
उत्तर – (a) पवन ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग में सुधार किसी एकल पवन चक्की का निर्गत ( अर्थात् उत्पन्न विद्युत) बहुत कम होता है जिसका व्यापारिक उपयोग संभव नहीं होता। अतः किसी विशाल क्षेत्र में बहुत सी पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तथा इस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं। व्यापारिक स्तर पर विद्युत प्राप्त करने के लिए किसी ऊर्जा फार्म की सभी पवन चक्कियों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं का परस्पर योग कर लिया जाता है।
(b) जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग में सुधार नंदियों से तेजी से बहते हुए जल की ऊर्जा परम्परागत रूप से जल चक्कियों को घुमाने में उपयोग की जाती है। अब जल ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में इस प्रकार होता है, नदियों में बहते हुए पानी को एक ऊँचा बाँध बनाकर एकत्र कर लिया जाता है। बाँध के ऊपर भाग से भंडारित जल को लगातार नीचे गिराया जाता है। बाँध की तली के पास जल टर्बाइन लगे होते हैं। जब तेजी से बहता हुआ जल “जल टरबाइन’ की ब्लेडों पर गिरता है तो उसकी ऊर्जा से जल टरबाइन तेजी से घूमने लगता है। जल टरबाइन की शाण्ट विद्युत जनित्र के आर्मेचर से जुड़ी होती है इसलिए जल टरबाइन के घूमने से विद्युत जनित्र का आर्मेचर भी तेजी से घूमता है जिससे विद्युत उत्पादित होती है।
14. किसी ईंधन को अच्छे ईंधन की श्रेणी में रखने का प्रयास करते समय आप किन खण्डों पर विचार करेंगे।
उत्तर – (i) ईंधन का ज्वलन ताप मध्यम होना चाहिए।
(ii) कैलोरी मान अधिक होना चाहिए।
(iii) दहन के पश्चात् हानिकारक गैसें न उत्पन्न करता हो ।
(iv) दहन के पश्चात् ठोस अवशेष न बचे।
15. क्या तब आपकी पसंद भिन्न होती है जब आप
(a) वन में जीवन निर्वाह कर रहे होते ?
(b) किसी सुदूर पर्वतीय ग्राम अथवा छोटे द्वीप पर जीवन निर्वाह रहे होते ?
(c) नई दिल्ली में जीवन निर्वाह कर रहे होते ?
(d) पाँच शताब्दियों पहले जीवन निर्वाह कर रहे होते ? प्रत्येक प्रकरण में कारक किस प्रकार भिन्न थे ?
उत्तर – (a) हम वन की सूखी लकड़ियाँ ईंधन के रूप में प्रयोग करते ।
(b) इन क्षेत्रों में लकड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। अतः हम लकड़ी का ईंधन के रूप में प्रयोग करते ।
(c) हम जल विद्युत ऊर्जा, ताप विद्युत ऊर्जा, सौर ऊर्जा और LPG का ईंधन के रूप में प्रयोग करेंगे।
(d) पाँच शताब्दियों पहले ईंधन के रूप में मुख्यतः लकड़ी का प्रयोग करते ।
16. उपरोक्त प्रत्येक परिस्थिति ईंधन की उपलब्धता की दृष्टि से किस प्रकार भिन्न थी ?
उत्तर – पहले आबादी कम थी तथा ऊर्जा के सीमित स्रोत उपलब्ध थे। परंतु जैसे-जैसे विकास हुआ, औद्योगिक क्रांति आई, आबादी बढ़ी, वैसे-वैसे मानव ने ऊर्जा के नए स्रोतों को तलाशना शुरू किया। आज ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों की उपलब्धता धीरे-धीरे कम हो रही है तथा गैर-परंपरागत स्रोतों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
17. महासागरीय तापीय ऊर्जा, पवनों तथा जैव मात्रा की ऊर्जाओं का अंतिम स्रोत क्या है ?
उत्तर – महासागरीय तापीय ऊर्जा, पवनों तथा जैव मात्रा की ऊर्जाओं का अंतिम स्रोत सूर्य को हरे पौधे सूर्य के प्रकाश में प्रकाशसंलेषण क्रिया के द्वारा भोजन तैयार करते हैं जिस पर काफी सभी प्राणी निर्भर करते हैं। इस तरह संसार के सभी प्राणी अपनी ऊर्जा के लिए सूर्य पर निर्भर रहते हैं।
पुनः सूर्य से आने वाली ऊष्मा से भूमि गर्म होती है जिससे कि वायु दाब में अंतर आता. है और इसके कारण पवन बहती है। अतः पवन ऊर्जा भी सूर्य का अंतिम स्रोत है।
इस तरह से सूर्य की ऊष्मा के कारण महासागर में असमान तापमान उत्पन्न होता है और इस महासागरीय तापीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।
18. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है ?
उत्तर – (a) नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है।
(b) बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
(c) ऊर्जा के साथ त्वरित होने वाले कणों के प्रयोग से बड़ी संख्या में शोध किये जाते हैं।
19. नाभिकीय विखंडन क्या है ?
उत्तर – वह अभिक्रिया जिसमें एक भारी नाभिक एक धीमी गति के न्यूट्रॉन के प्रवेश के उपरान्त दो हल्के नाभिकों में टूट जाता है तब अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विमोचित होती है, नाभिकीय विखंडन कहलाती है।
20. नाभिकीय संलयन क्या है ?
उत्तर – वह प्रक्रिया जिसमें निम्न परमाणु क्रमांकों के नाभिक के संयोजन करने पर एक भारी परमाणु नाभिक निर्मित होता है नाभिकीय संलयन कहलाती है।
21. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – हाइड्रोजन, CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं क्योंक—
(i) हाइड्रोजन कैलोरी मान CNG की अपेक्षा अधिक है।
(ii) CNG एक परंपरागत ऊर्जा स्रोत है जबकि H2 नहीं है।
(iii) CNG एक ग्रीन हाउस गैस है जबकि H2 ऐसा नहीं करती है।
(iv) CNG के दहन से CO, CO2 भी मुक्त होती है जबकि H2 के जलने से हानिकारक गैस उत्पन्न नहीं होती है।
22. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से क्या समझते हैं ?
उत्तर – नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वे हैं जो कभी समाप्त होनेवाले नहीं हैं और जिनसे हम बार-बार ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। जैसे— सूर्य पवन इत्यादि ।
23. अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से क्या समझते ?
उत्तर – अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वे स्रोत हैं जो समाप्त होनेवाले हैं और जिनसे हम बार बार ऊर्जा प्राप्त नहीं कर सकते हैं। जैसे—कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि ।
24. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने उत्तर के लिए तर्क दें।
उत्तर – (a) पवन ऊर्जा, (b) जल विद्युत ऊर्जा।
(a) पवन ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। जब तक सूर्य तथा हवा है तब तक पवन ऊर्जा हमें लगातार मिलती रहेगी।
(b) जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि हर बार जब भी वर्षा होती तो जलाशय पुनः जल से भर जाते हैं।
25. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप समापन योग्य मानते हैं। अपने चयन के लिए उत्तर दें।
उत्तर – कोयला तथा पेट्रोलियम समापन योग्य ऊर्जा स्रोत हैं। कोयला उन पौधों का जीवाश्म अवशेष है जो करोड़ों वर्ष पूर्व भूपर्पटी के नीचे गहराइयों में दब गए थे। इसी प्रकार पेट्रोलियम समुद्री जीवों व पौधों के जीवाश्म अवशेष हैं। इस प्रकार इन ईंधनों के बनने की यह प्रक्रिया अत्यन्त धीमी है और इसमें करोड़ों वर्षों का समय लगा है। एक बार यदि यह समाप्त हो गए तो दोबारा नहीं बन सकेंगे। इसलिए हम इन्हें समापन योग्य मानते हैं।
26. किस आधार पर ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नांकित वर्गों में करेंगे –
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय,
(b) समाप्य तथा असमाप्य, क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं ?
उत्तर – (a) ऊर्जा के उन स्रोतों को जो प्रकृति में लगातार बनते रहते हैं तथा कभी भी समाप्त नहीं होते, नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं ।
ऊर्जा के उन स्रोतों को जो प्रकृति में करोड़ों वर्षों की अवधि में धीरे-धीरे बनकर इकट्ठे हुए हैं तथा समाप्त होने पर शीघ्र ही दोबारा नहीं बनाये जा सकते, उन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं।
(b) ऊर्जा के स्रोत जिनका बहुत दिनों से परम्परागत उपयोग होने के कारण भंडार का ह्रास होता जा रहा है, ऊर्जा के समाप्य स्रोत कहलाता है। जैसे—पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस आदि।
ऊर्जा के ऐसे स्रोत जिनका मानव द्वारा उपयोग से उसके भंडार कभी समाप्त नहीं होंगे, उसे ऊर्जा के असमाप्य स्रोत कहते हैं। जैसे सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि ।
27. ऊर्जा के आदर्श स्रोत के क्या गुण होते हैं ?
उत्तर – आदर्श स्रोत के निम्नांकित गुण होने चाहिए
(a) ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करने में सरलता होनी चाहिए।
(b) ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा सस्ते में प्राप्त होनी चाहिए।
(c) ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करने की उपलब्ध प्रौद्योगिकी की दक्षता अधिक होनी चाहिए।
(d) ऊर्जा स्रोत का उपयोग करने से पर्यावरण की क्षति नहीं होनी चाहिए।
28. ईंधन किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर – जिन पदार्थों को जलाकर ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, उन्हें ईंधन कहते हैं। ईंधन ठोस, तरल तथा गैस तीनों अवस्थाओं में उपलब्ध होते हैं। जैसे कोयला, लकड़ी, कोक तथा चारकोल ठोस ईंधन हैं, पेट्रोल, डीजल तथा केरोसीन तरल ईंधन हैं तथा प्राकृतिक गैस और बायोगैस आदि गैस ईंधन हैं।
29. जीव द्रव्यमान (biomass) ईंधन का क्या अर्थ है ?
उत्तर – पौधों तथा जंतुओं के शरीर में उपस्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान कहते हैं। किसी जीव मृत्यु के पश्चात् जीव द्रव्यमान का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है जिसे जीव द्रव्यमान ईंधन कहते हैं। लकड़ी, कृषि अपशिष्ट तथा गोबर के कंडे इसी ईंधन के उदाहरण हैं जिनसे गाँवों को ऊर्जा की कुल आवश्यकता का 80% भाग प्राप्त होता है। इनका उपयोग उद्योगों में भी किया जाता है जैसे गन्ने की खोई कई उद्योगों के बायलरों में जलाई जाती है।
30. चारकोल ईंधन उत्तम है परंतु इसका उपयोग कम क्यों होता जा रहा है ?
उत्तर – चारकोल बनाने के लिए व्यापक पैमाने पर जंगलों को काटना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप लकड़ी की कमी होती जा रही है। लकड़ी की कमी के कारण चारकोल कम बनता है और महंगा भी होता है। इसलिए ईंधन के रूप में इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन कम होता जा रही है। आजकल इससे भी सस्ते तथा अच्छे ईंधन सरलता से उपलब्ध हैं। किस प्रकार बना ?
31. प्रकृति में कोयला
उत्तर – करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर विशाल जंगल ही जंगल पाए जाते थे। धीरे-धीरे ये जंगल पृथ्वी के उथले दलदलों में धँसते चले गए। पृथ्वी के आवरण के दबाव तथा ताप के कारण वृक्षों के अवशेष ऊर्जा के भंडार घरों के रूप में बदलते गए। आजकल इन्हीं पदार्थों को कोयला कहते हैं। । इन प्राचीन भंडारों (खानों) से कोयला निकाला जाता है जिससे हम अपनी ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करते हैं ।
32. ईंधन तेल, कोयले की में अच्छा ईंधन है । क्यों ?
उत्तर – (i) कोयला बहुत अधिक मात्रा में राख उत्पन्न करता है जिसे समय-समय पर हटाना पड़ता है। इसके विपरीत ईंधन तेल का उपयोग करने से किसी भी तरह का कोई पदार्थ शेष नहीं बचता क्योंकि इसका दहन पूर्ण होता है।
(ii) कोयले की अपेक्षा ईंधन तेल का ज्वलन ताप कम होता है इसलिए इसे आसानी से जलाया जा सकता है।
(iii) कोयले की अपेक्षा ईंधन तेल कम धुआँ उत्पन्न करता है जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर-कुकर की संरचना और कार्य-विधि का वर्णन से कीजिए।
उत्तर – सौर कुकर के मुख्य अवयव – (i) काली सतह, (ii) साधारण काँच की पट्टी, (iii) दर्पणों की उचित व्यवस्था, (iv) ऊष्मारोधी बॉक्स।
सिद्धांत तथा कार्य-विधि— काली सतह, परावर्तक सतह की तुलना से अधिक ऊष्मा का अवशोषण करती है परंतु कुछ समय पश्चात् काली सतह इस अवशोषित ऊष्मा का विकिरण प्रारंभ कर देती है। ऊष्मा की इस कमी को रोकने के लिए काली पट्टी को किसी ऊष्मारोधी बॉक्स में रखकर उसे काँच की पट्टी से ढँक दिया जाता है। बॉक्स के अंदर के दीवारों को काले रंग से पेंट कर दिया जाता है ताकि अधिक-से-अधिक ऊष्मा का अवशोषण हो सके तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा का नुकसान कम-से-कम हो सके। जब इस सौर कुकर को सौर प्रकाश में कुछ समय के लिए रखा जाता है तो इसकी अंदरूनी सतह सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के पश्चात् गर्म हो जाती है। अब ये सतहें स्वयं ऊष्मा को अवरक्त विकिरण के रूप में छोड़ने लगती हैं परंतु ऊपरी सतह पर स्थापित काँच की पट्टी इन विकिरणों को बाहर नहीं जाने देती। अतः बॉक्स के अंदर की ऊष्मा अंदर ही रह जाती है। सौर ऊर्जा संग्रहण के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए पा में परावर्तक का उपयोग किया जाता है। इस कुकर का अंदरूनी ताप 2-3 घंटे की अवधि में 100°C से 140°C हो जाता है। इस सौर कुकर में उन खाद्य पदार्थों को सरलता से पकाया जा सकता है जिन्हें हल्की ऊष्मा की आवश्यकता होती है।
2. ऊर्जा के ऊन रूपों का वर्णन कीजिए जिनमें महासागरों में संचित ऊर्जा स्वयं को प्रकट करती है।
उत्तर – महासागर में ऊर्जा निम्नलिखित रूपों में भंडारित है –
(i) ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy) – घूर्णन गति कारण पृथ्वी पर चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण महासागरों में जल का स्तर चढ़ता और गिरता रहता है । इसे ज्वार-भाटा कहते हैं। ज्वार-भाटे में जल के स्तर के चढ़ने तथा गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वारीय ऊर्जा की प्राप्ति सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके की जाती है । बाँध के द्वारा पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित कर देता है।
(ii) तरंग ऊर्जा (Wave Energy) – यह सागरीय लहरों से संबंधित ऊर्जा है। सागर की सतह पर चलने वाली वायु की तेज धाराओं से उत्पन्न हुई लहरें ऊपर उठती और नीचे गिरती रहती हैं। यह जल को निरंतर गतिशील रखती हैं। प्रतिदिन सागर की लहरें दो बार उठती-गिरती हैं जिससे तरंग ऊर्जा प्राप्त होती है। इनसे टरबाइन घुमा कर विद्युत उत्पन्न की जाती है।
(iii) सागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy ) — समुद्रों के तल का जल सूर्य द्वारा गर्म हो जाता है जबकि उनका गहराई वाला भाग अपेक्षाकृत ठंडा रहता है। ताप में इस अंतर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant या OTEC विद्युत संयंत्र) में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी कार्य करते हैं जब समुद्र के तल पर जल का ताप तथा 2 km तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। तल के तप्त जल का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रवों को उबालने में किया जाता है। इस प्रकार बनी द्रवों की वाष्प जनित्र के टरबाइन को घुमाती है। समुद्रों की गहराइयों से ठंड जल के पंपों से खींचकर वाष्प को ठंडा करके फिर से द्रव में संघनित किया जाता है।
3. प्रत्येक ऊर्जा स्रोत के लाभ तथा हानियों पर वाद-विवाद कीजिए तथा इस आधार पर ऊर्जा का सर्वोत्तम स्रोत चुनिए।
उत्तर – जीवाश्मी ईंधन –
लाभ –
- कर्म खर्च पर अत्यधिक ऊर्जा की प्राप्ति।
- आसान परिवहन।
- ऊर्जा क्षय कम।
- उपलब्धता तथा भंडारण सुगम ।
हानियाँ –
- ये ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं। अगर हम इनका उपयोग इसी चिंताजनक दर से करते रहें तो हमारे ये भंडार शीघ्र ही रिक्त हो जाएँगे।
- ये स्रोत प्रदूषण फैलाते हैं।
- जीवाश्मी ईंधन जेसे कोयला को खादानों से निकालना पड़ता है जिसके कारण भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
तापीय विद्युत संयंत्र –
लाभ –
- कम दो पर बहुत ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन।
- संयंत्र के लिए कच्चे माल का परिवहन सुगम ।
- इन्हें कहीं भी स्थापित किया जा सकता है।
हानियाँ –
- ये संयंत्र प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
- ये ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।
जल विद्युत संयंत्र –
लाभ –
- यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
- प्रदूषण रहित ।
- कृषि के लिए सिंचाई भी उपलब्ध कराती है।
- बाढ़ पर नियंत्रण
हानियाँ –
- इसके लिए काफी बड़े भूभाग की जरूरत होती है।
- बाँध का निर्माण खर्चीला है।
- इनका निर्माण वहीं किया जा सकता है जहाँ पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो ।
- पर्यावरण संतुलन का नुकसान पहुँचाती है।
सौर ऊर्जा –
लाभ
- स्वच्छ, प्रदूषण रहित ऊर्जा |
- इसकी स्थापना सुदूर तथा अगम्य स्थानों पर भी की जा सकती है।
- चूँकि सौर सेलों में कोई गतिमान पुर्जा नहीं होता इसलिए इनका रख-रखाव आसान होता है।
- यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
हानियाँ –
- रात्रि में तथा बादल वाले दिनों में उपयोग नहीं।
- सौर सेलों का निर्माण महँगा।
- ये dc विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं जिसे ac में बदलने के लिए काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।
नाभिकीय ऊर्जा –
लाभ –
- कम खर्च में अत्यधिक ऊर्जा उपलब्ध ।
- अवशिष्ट पदार्थों का पुनः इस्तेमाल संभव।
हानियाँ –
- नाभिकीय कचरा जीव-जंतुओं के लिए घातक
- इनका निपटारा भी म मुश्किल।
- कोई दुर्घटना बड़ा नुकसान कर सकती है।
जैव-मात्रा –
लाभ –
- प्रदूषण रहित ईंधन।
- इनका अवशिष्ट उत्तम खाद होता है।
- उत्पादन लागत कम।
- अवशिष्ट पदार्थों के निपटारन का सुरक्षित तरीका प्रदान करता है।
- भंडारण आसान।
हानियाँ –
- बायोगैस का उत्पादन दर काफी कम होता है।
- एक पूरे स्थान से प्राप्त जैव-मात्रा उस स्थान की ऊर्जा जरूरत पूरा करने में असमर्थ।
पवन-ऊर्जा –
लाभ –
- यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
- प्रदूषण रहित ।
- सिंचाई तथा खाद्यान्न पीसने में काफी उपयोगी।
- एक बार निर्माण हो जाने पर ऊर्जा उत्पादन लागत शून्य ।
- तटवर्तीय क्षेत्रों के लिए ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत ।
हानियाँ
- जनित ऊर्जा मात्रा कम ।
- ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं।
- उस स्थान के मॉनसून को प्रभावित करते हैं।
- निर्माण महँगा ।
भूतापीय ऊर्जा
लाभ
- प्रदूषण रहित ।
- लागत काफी कम ।
- ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत ।
हानियाँ — सीमित क्षेत्रों में ही उपलब्ध।
महासागरीय ऊर्जा –
लाभ –
- ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत।
- प्रदूषण रहित ।
- एक बार निर्माण हो जाने पर उत्पादन लागत नहीं।
हानियाँ —
- बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न नहीं की जा सकती।
- निर्माण खर्चीला ।
- सीमित क्षेत्रों में ही निर्माण संभव।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि ऊर्जा का सर्वोत्तम स्रोत सौर ऊर्जा है।
4. नाभिकीय रिएक्टरों से विद्युत ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है ?
उत्तर – नाभिकीय रिएक्टर में यूरेनियम को ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। पहले U-235 की विखंडन योग्य प्रतिशत मात्रा बढ़ाने के लिए इसे संवर्धित किया जाता है। जब एक मंद गति वाला न्यूट्रॉन U-235 के नाभिक से टकराता है तो तीन नये न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं जो एक श्रृंखला बनाते हैं। इन मुक्त न्यूट्रॉनों को नियंत्रण में रखने के लिए कैडमियम तथा बोरॉन धातु की छड़े प्रयोग में लाते हैं। वे छड़ें न्यूट्रॉनों को अवशोषित करके उन्हें प्रभावित बना देती है। जब ये छड़ें पूर्णतः ईंधन में प्रविष्ट कर दी जाती हैं तो वे समस्त न्यूट्रॉनों का अवशोषण कर लेती हैं तथा श्रृंखला अभिक्रिया रुक जाती है।
इन छड़ों को बाद में ईंधन में से धीरे-धीरे उतना ही बाहर निकाला जाता है जितना कि वह केवल उतनी ऊर्जा का अवशोषण करे जिससे मुक्त न्यूट्रॉनों द्वारा नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया को नियंत्रित रूप में संचालित करके निश्चित परिमाण में ऊर्जा प्राप्त होती रहे। इस प्रकार प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा से पानी को भाप में बदलकर बड़े-बड़े टरबाइन घुमाए जाते हैं। भाप की ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। हर टरबाइनों के घूमने से विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पन्न होती है। जब भाप संघनित हो जाती है तो इसे फिर दूसरे चक्र में काम में लाया जाता है।
5. सौर ऊर्जा का स्रोत क्या है ? समझाएँ।
उत्तर – सूर्य के अंतरंग में अत्यधिक उच्च ताप होने के कारण नाभिकीय संलयन प्रक्रिया होती है जिसमें हाइड्रोजन के चार नाभिक, अर्थात चार प्रोटॉन (11H) एक हीलियम नाभिक (42H) बनने के लिए संयोग करते हैं। 1939 में लेंस बेथे ने इस प्रक्रिया की सही व्याख्या दी । संलयन अभिक्रिया में निर्मुक्त ऊर्जा सूर्य को प्रदीप्त करती है जिससे अंततः विभिन्न तरंगदैर्घ्य की विद्युत-चुंबकीय तरंग (गामा विकिरण, पराबैंगनी विकिरण, दृश्य प्रकाश और अवरक्त विकिरण ) का विकिरण होता है। अवरक्त विकिरण पृथ्वी को गर्म करता है।
सूर्य के अंदर होनेवाली नाभिकीय अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं, जिनमें 12H ड्यूटीरियम का नाभिक (डयूट्रॉन) है और 23He हीलियम के हल्के समस्थानिक का नाभिक है।
तीसरी अभिक्रिया होने के लिए पहली दो अभिक्रिया को दो बार होना चाहिये। इस अभिक्रिया (प्रोटॉन-प्रोटॉन शृंखला) के प्रथम चरण में उत्पन्न पॉजीट्रॉन (10e) इलेक्ट्रॉनों से टकराते हैं और उनका विनाश होता है। जिसके कारण उत्पन्न ऊर्जा का रूपांतरण गामा (γ) वाकरण में होता है। अतः शृंखला का नेटत्र प्रभाव चार हाइड्रोजन नाभिकों का समायोजन एक हीलियम नाभिक और गामा विकिरण में होता है। निर्मुक्त ऊर्जा करीब 25.5 MeV होती है।
इस प्रकार नाभिकीय संलयन अभिक्रिया ही सौर ऊर्जा का स्रोत है।
6. ऊर्जा संकट को समझाएँ ।
उत्तर – ईंधन के आविष्कार से लेकर अब तक हम अधिकतर कोयला पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे संकेन्द्रीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर रहे। बाद में हमने नाभिकीय रिएक्टरों में ईंधनों के रूप में यूरेनियम उपयोग भी आरम्भ कर दिया। आज इन सभी ऊर्जा स्रोतों का अभाव होने लगा है। आज ऊर्जा का संकट संसार के सामने है क्योंकि खनिज तेल के वर्तमान ज्ञात साधन कुछ ही शताब्दी में समाप्त हो जायेंगे। ऊर्जा संकट के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
- जनसंख्या में वृद्धि – आज संसार की जनसंख्या बहुत ही बढ़ गयी है जिसके फलस्वरूप भौतिक पर्यावरण में मानव का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। ऊर्जा स्रोत सीमित है परन्तु जनसंख्या के बढ़ने से ऊर्जा का संकट आ गया है ।
- द्योगिक एक कृषि विकास के स्रोतों में ऊर्जा का अत्यधिक खर्च- औद्योगिक क्रान्ति के मूलस्वरूप नये-नये उद्योग स्थापित किये गये हैं। परन्तु उनको चलाने के लिए प्रचुर मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है। बड़े-बड़े कल-कारखाने को चलाने के लिए ऊर्जा की खपत बढ़ गयी है। फलस्वरूप आज हम ऊर्जा संकट के घेरे में आ गये हैं।
- ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग – आज ऊर्जा स्रोतों का दुरुपयोग बढ़ता ही जा रहा है। अक्सर तेल भण्डारों तथा कोयले के खानों में आग लग जाती है दैनिक जीवन में भी हम ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग करते हैं।
वर्तमान समय में भारत ऊर्जा संकट के कटघरे में फँस गया है। भारत में जितने भी ऊर्जा स्रोतों के भण्डार हैं वे सभी कुछ ही समय के लिए हैं, जैसे- हमारे देश में ज्ञात कोयला भण्डार लगभग 80 अरब टन है। इस भण्डार में से हम लगभग 150 करोड़ टन कोयला प्रतिवर्ष खोदकर निकाल लेते हैं। आशा की जाती है कि शताब्दी के अन्त तक तीन 400 करोड़ टन हो जायेगा। खपत की इस दर से यह भंडार दो या तीन सौ वर्षों तक चलेगा। अतः हमें ऊर्जा के बढ़ते हुए इस खपत को रोकना चाहिये।
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