भौतिकी : विद्युत धारा | Class 10Th Physics Chapter – 4 Notes | Model Question Paper | विद्युत धारा Solutions

भौतिकी : विद्युत धारा | Class 10Th Physics Chapter – 4 Notes | Model Question Paper | विद्युत धारा Solutions

विद्युत धारा (Electric Current)

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण 
(MEMORABLE FACTS: AT A GLANCE)
  • आवेश के व्यवस्थित प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं।
  • एकांक (इकाई) धनावेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विद्युत विभवकहते हैं। विभव का SI मात्रक वोल्ट (V) है। [1V = 1 J/C.]
  • दो बिंदुओं के बीच विभव के बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक (इकाई) धनावेश को ले जाने में किया गया कार्य है। इसका भी SI मात्रक वोल्ट (V) ही होता है।
  • किसी चालक से प्रवाहित धारा की प्रबलताउस चालक के अनुप्रस्थ – काट से होकर एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है। विद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर (A) है।
  • ऐमीटर से परिपथ की विद्युत धारा मापी जाती है। यह परिपथ में श्रेणीक्रम (series) में जोड़ा जाता है।
  • वोल्टमीटर से परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच उत्पन्न विभवांतर को मापते हैं। यह उस भाग के समांतरक्रम (parallel) में जोड़ा जाता है।
  • यदि किसी चालक तार में विभवांतर V के कारण विद्युत धारा I प्रवाहित हो, तो V और – I के अनुपात V/I को उस तार का प्रतिरोधR कहा जाता है। अर्थात, R= V/I प्रतिरोध का SI मात्रक ओम (Ω) [1Ω =1V/A.]
  • यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुमाती होती है, अर्थात I ∝ V इसे ओम का नियम (Ohm’s law) कहते हैं।
  • बहुत कम प्रतिरोधवाले पदार्थों को जिनमें से आवेश आसानी से प्रवाहित होता है, चालक (conductor) कहा जाता है। उच्च प्रतिरोधवाले पदार्थों को प्रतिरोधक (resistor) जाता है। बहुत ही अधिक प्रतिरोधवाले पदार्थों को जिनसे आवेश प्रवाहित नहीं हो पाता, विद्युतरोधी (insulator) कहते हैं।
  • श्रेणीक्रम में जुड़े प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध उन प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है। अर्थात, Rs = R1 + R2 +R3 +………
  • पशवक्रम या समांतरक्रम में जुड़े प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम उन सभी प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है।
  • विद्युत धारा से संबद्ध विभिन्न राशियों के संकेत, परिभाषा और SI मात्रक इस प्रकार है
  • किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण उसके द्वारा चालक के प्रतिरोध के विरूद्ध किए गए कुल कार्य के बराबर होता है।
  • किसी चालक में t समय में उसके प्रतिरोध R को पार करने में विद्युत धारा I द्वारा किया गया कार्य उसमें आंतरिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। संचित आंतरिक ऊर्जा U = I2rt
  • किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विद्युत शक्ति कहते हैं।
  • विद्युत-शक्ति का SI मात्रकवाट (watt) है, जिसे संकेताक्षर W से सूचित किया जाता है। [1W =1VA.]
  • विद्युत ताप युक्तियों में उच्च प्रतिरोध के तार का उपयोग होता है जिससे उनमें विद्युत धारा प्रवाहित होने पर अधिक परिमाण में ऊष्मा उत्पन्न हो सके।
  • मकानों आदि में विद्युत ऊर्जा (बिजली) की खपत की माप के लिए जूल (J) एक छोटा मात्रक है। इसके लिए साधारणतः
  • किलोवाट घंढा (kilowatt hour) का उपयोग किया जाता है। इसे संक्षेप में kWh से सूचित करते हैं। [ 1 kWh = 3.6 × 106J.]
  • बिजली के उपकरणों की सुरक्षा के लिएफ्यूज (fuse) का उपयोग किया जाता है। फ्यूज के तार ऐसे पदार्थ से बने होते हैं जिनकी प्रतिरोधकता अधिक होती है और गलनांक कम |
  • विद्युत ताप युक्तियों तथा उपस्करों मेंनाइक्रोम (मिश्रधातु) के तार की कुंडली (जिसे तापक एलीमेंट कहते हैं) का व्यवहार होता है, क्योंकि नाइक्रोम की प्रतिरोधकता और गलनांक दोनों ढच्च होते हैं।
  • विद्युत बल्ब मेंटंग्स्टन धातु के तंतु या फिलामेंट का व्यवहार होता है, क्योंकि टंग्स्टन की प्रतिरोधकता कम होती है और गलनांक अत्यधिक उच्च होता है।

प्रश्नावली

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1.सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।

1. एकांक धनावेश (unit positive charge) को दो बिंदुओं के बीच स्थानांतरित करने में जो कार्य करना पड़ता है, वह निम्नलिखित में किसका मापक है?
(क) विद्युत धारा
(ख) आयन
(ग) प्रतिरोध
(घ) शक्ति
उत्तर – (ख)
2. जब किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तब गतिशील कण होते हैं
(क) परमाणु
(ख) आयन
(ग) प्रोटॉन
(घ) इलेक्ट्रॉन
उत्तर – (घ)
 3. प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है
(क) 1.6 × 10–18 कूलॉम
(ख) 0.16 × 10–18 कूलॉम
(ग) 1.6 × 10–19 कूलॉम
(घ) 0.16 × 10–19 कूलॉम
उत्तर – (ग)
4. विद्युत धारा की प्रबलता का SI मात्रक है
(क) ऐम्पियर
(ख) वोल्ट
(ग) ओम
(घ) जूल
उत्तर – (क)
5. प्रतिरोध का SI मात्रक है
(क) ऐम्पियर
(ख) ओम
(ग) अर्ग
(घ) वाट
उत्तर – (ख)
6. जूल/कूलॉम (J/C) बराबर होता है
(क) ओम के
(ख) वोल्ट के
(ग) ऐम्पियर के
(घ) वाट
उत्तर – (ख)
7. विद्युत वाहक बल का SI मात्रक है
(क) ओम
(ख) वोल्ट
(ग) कूलॉम
(घ) ऐम्पियर
उत्तर – (ख)
8. विभवांतर का SI मात्रक है
(क) वाट
(ख) ऐम्पियर
(ग) ओम
(घ) वोल्ट
उत्तर – (घ)
9. विभवांतर मापने के लिए निम्नलिखित में किस युक्ति का उपयोग किया जाता है ?
(क) ऐमीटर
(ख) वोल्टामीटर
(ग) वोल्टमीटर
(घ) ओममीटर
उत्तर – (ग)
10. ऐमीटर को विद्युत परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है?
(क) समांतरक्रम में
(ख) श्रेणीक्रम में
(ग) (क) और (ख) दोनों में
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (ख)
11. विद्युत परिपथ में विद्युत-धारा को माप किससे की जाती है ?
(क) ऐमीटर से
(ख) वोल्टामीटर से
(ग) गैल्वेनोमीटर से
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (क)
12. निम्नलिखित में से किसमें धन (+) या ॠण (-) का चिह्न अंकित नहीं होता है ?
(क) बैटरी
(ख) ऐमीटर
(ग) वोल्टमीटर
(घ) प्रतिरोधक
उत्तर – (घ)
13. किसी कुंडली का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए सूत्र है।
(क) R = I/V
(ख) R = V × I
(ग) R = V/I
(घ) R = V + I
उत्तर – (ग)
14. बैटरी से किस प्रकार की धारा प्राप्त होती है?
(क) प्रत्यावर्ती धारा
(ख) दिष्ट धारा
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (ख)
15. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को क्या कहते हैं?
(क) ऐमीटर
(ख) मीटर
(ग) जनित्र
(घ) वोल्टमीटर
उत्तर – (ग)
16. (विद्युत शक्ति का मात्रक होता है
(क) जुल
(ख) कूलॉम
(ग) वोल्ट
(घ) वाट
उत्तर – (ग)
17. R प्रतिरोध के तार के किसी टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। फिर, इन टुकड़ों को पावक्रम में संयोजित कर दिया जाता है। यदि संयोजन का समतुल्य प्रतिरोध R’ हो तो R/R’ अनुपात का मान होगा
(क) 25
(ख) 5
(ग) 1/5
(घ) 1/25
उत्तर – (घ)
18. निम्नलिखित में कौन-सा व्यंजक विद्युत परिपथ में विद्युत-शक्ति को निरूपित नहीं करता ?
(क) VI
(ख) V2/R
(ग) I2R
(घ) IR2
उत्तर – (घ)
19. किसी निश्चित समय में किसी निश्चित प्रतिरोध वाले चालक में उत्पन्न ऊष्मा, धारा के
(क) समानुपाती होती है
(ख) वर्ग के समानुपाती होती है
(ग) व्युत्क्रमानुपाती होती है
(घ) वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
उत्तर – (ख)
20. यदि किसी परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवांतर V हो और उसमें धारा I समय t तक प्रवाहित होती हो, तो कार्य होगा-
(क) VI
(ख) VI/t
(ग) V/I
(घ) VIt
उत्तर – (घ)
21. किसी परिपथ का वह गुण जो विद्युत ऊर्जा को कृष्णा में बदल देता है, कहा जाता है
(क) धारा
(ख) विभवांतर
(ग) प्रतिरोध
(घ) शक्ति
उत्तर – (ग)
22. किलोवाट घंटा (kWh) मात्रक है
(क) धारा का
(ख) समय का
(ग) विद्युत ऊर्जा का
(घ) विद्युत-शक्ति का
उत्तर – (ग)
23. निम्नलिखित में कौन-सा मात्रक वाट (W) के बराबर नहीं है ?
(क) J/s
(ख) VA
(ग) A2 Ω
(घ) V2 Ω
उत्तर – (घ)
24. विद्युत हीटर में तार की कुंडली के लिए जिस तत्त्व का व्यवहार किया जाता है, वह है
(क) ताबा
(ख) टंग्स्टन
(ग) नाइक्रोम
(घ) जस्ता
उत्तर – (ग)
25. विद्युत बल्ब का तंतु बना होता है
(क) टंग्स्टन का
(ख) लोहे का
(ग) ऐल्युमिनियम का
(घ) ताँबे का
उत्तर – (क)
26. टंग्स्टन निम्न में से किस ताप पर पिघलता है?
(क) 4000°C पर
(ख) 3500°C पर
(ग) 3000°C पर
(घ) 2500°C पर
उत्तर – (ख)
27. किसी बल्ब से 1 मिनट में 120 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता हो, तो विद्युत धारा का मान होगा
(क) 4A
(ख) 3A
(ग) 2 A
(घ) 5A
उत्तर – (ग) 2 A
28. किसी बल्ब से 220 V पर 2A की धारा प्रवाहित होती है, तो बल्व के फिलामेंट का प्रतिरोध होगा-
(क) 220 Ω
(ख) 450 Ω
(ग) 110 Ω
(घ) शून्य
उत्तर – (ग)
29. दो चालक तार जिनके संघटक पदार्थ, लंबाई तथा व्यास में समान हैं, किसी विद्युत परिपथ में समान विभवांतर के आड़े पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम और पाश्र्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात होगा
(क) 1:2
(ख) 2:1
(ग) 1:4
(घ) 4:1
उत्तर – (ग)
30. 100 W का एक बल्ब 250 V के विद्युत मेन से जोड़ा जाता है। बल्ब से प्रवाहित धारा का मान होगा-
(क) 0.1A
(ख) 04 A
(ग) 2.5A
(घ) 10A
उत्तर – (ख)
31. किसी विद्युत बल्ब का अनुमतांक 220V-100W है। जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं, तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति होगी
(क) 100W
(ख) 75W
(ग) 50W
(घ) 25W
उत्तर – (घ)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

1. किसी चालक के दो बिंदुओं के बीच आवेश का प्रवाह उनके बीच ………. के कारण होता है।
उत्तर – विभवांतर
2. ………के व्यवस्थित प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं।
उत्तर – आवेश
3. ………से विद्युत परिपथ की धारा मापी जाती है।
उत्तर – ऐमीटर
4. ऐमीटर को विद्युत परिपथ में ……… में जोड़ा जाता है।
उत्तर – श्रेणीक्रम
5. वोल्टमीटर को विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं के बीच ………. में जोड़ा जाता है।
उत्तर – समांतरक्रम
6. किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित धारा I के अनुपात को उस चालक का …………….. कहते हैं।
उत्तर – प्रतिरोध
7. उच्च प्रतिरोध वाले पदार्थों को ………… कहा जाता है।
उत्तर – प्रतिरोधक
8. समांतरक्रम में जुड़े दो प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध उनमें से प्रत्येक के अलग-अलग प्रतिरोध से …………..होता है।
उत्तर – कम
9. चालक के प्रतिरोध के कारण धारा के प्रवाहित होने से उसमें ……. उत्पन्न होती है।
उत्तर – ऊष्मा
10 विद्युत शक्ति का SI मात्रक  ……… होता है
उत्तर – वाट
11. 1 kWh बराबर होता है ………… J के।
उत्तर – 3.6 × 106
12 विद्युत बल्ब में ………… का फिलामेंट होता है।
उत्तर – टंग्स्टन
13. धारा बढ़ने पर वैद्युत युक्तियाँ बर्बाद न हों, इसलिए परिपथ में  लगाए जाते हैं।
उत्तर – फ्यूज
14. यदि किसी प्रतिरोधक में प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा दुगुनी हो जाए, तो उसमें उत्पन्न ऊष्मा ………….होगी।
उत्तर – चौगुनी
15. वाट (watt) = ………….x ऐम्पियर (ampere)
उत्तर – वोल्ट
16. किलोवाट घंटा (kWh) मात्रक है ………. का।
उत्तर – विद्युत ऊर्जा
17. तीन प्रतिरोध, प्रत्येक 3 ओम के, समांतरक्रम में जोड़े गए हैं, उनका समतुल्य प्रतिरोध ………….. होगा।
उत्तर – 1 ओम
18. यदि 40 W का बल्ब 220V के स्त्रोत से जुड़ा हो, तो बल्ब की कुंडली से  ……….. A धारा प्रवाहित होगी।
उत्तर – 2/11
19. यदि किसी बिजली के बल्ब पर 220 V -40W लिखा हो, तो उसका प्रतिरोध ………. Ω  होगा।
उत्तर – 1210

III सही/गलत का चयन करें।

1. किसी चालक के अनुप्रस्थ काट से प्रवाहित आवेश और प्रवाह के समय का गुणनफल ही विद्युत धारा है।
उत्तर – गलत
2. किसी सेल के अंदर हो रही रासायनिक अभिक्रियाएँ ही उस सेल के दोनों ध्रुवों को जोड़नेवाले तार में आवेश के प्रवाह का कारण है।
उत्तर – सही
3. विद्युत धारा के स्रोत, जैसे-सेल, बैटरी आदि, इलेक्ट्रॉन उत्पन्न करते हैं।
उत्तर – गलत
4. विद्युत धारा की परंपरागत दिशा इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत मान जाती है ।
उत्तर – सही
5. ओम का नियम किसी चालक में प्रवाहित होनेवाली धारा तथा उसके सिरों के बीच के विभवांतर का संबंध बताता है ।
उत्तर – सही
6. किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लंबाई के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
उत्तर – गलत
7. प्रतिरोधकता का SI मात्रक ओम (Ω) है।
उत्तर – गलत
8. ताप के बढ़ने से सभी शुद्ध धातुओं की प्रतिरोधकता बढ़ती है ।
उत्तर – सही
9. इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के लिए श्रेणीक्रम परिपथ एक ही मार्ग (path) देता है, जबकि समांतरक्रम परिपथ एक से अधिक मार्ग प्रदान करता है।
उत्तर – सही

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. विभव और विभवांतर के S.I. मात्रक क्या हैं ?
उत्तर – विभव का S.I. मात्रक वोल्ट (V) है तथा विभवांतर का S.I. मात्रक भी वोल्ट (V) है।
2. विद्युत परिपथ किसे कहते हैं ?
उत्तर – जिस पथ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह होता है, उसे विद्युत परिपथ (electric circuit) कहते हैं।
3. विद्युत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उत्तर – किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ-काट (cross section) को पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ-काट से होकर प्रति एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है।
4. विद्युत धारा का S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर – एम्पियर (A)
5. इलेक्ट्रॉन पर कितना आवेश रहता है ?
उत्तर – इलेक्ट्रॉन पर 1.6 × 10-19 कूलॉम आवेश रहता है।
6. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा दें।
उत्तर – किसी चालक के अनुप्रस्थक-काट से यदि एक सेकंड (s) को एक कूलॉम (c) आवेश प्रवाहित होता है, तो उस काट से पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता एक ऐम्पियर कहलाती है।
7. क्या विभव धनात्मक, ऋणात्मक एवं शून्य हो सकता है।
उत्तर – हाँ संभव है।
8. ऐमीटर को किसी विद्युत परिपथ में समांतर क्रम में जोड़ा जाता है या श्रेणीक्रम में ?
उत्तर – श्रेणीक्रम में।
9. ऐमीटर तथा वोल्टमीटर में किसका प्रतिरोध अधिक होता है ?
उत्तर – वोल्टमीटर का प्रतिरोध अधिक होता है।
10. एम्पियर, एवं ओम नामक मात्रकों में कोई एक अन्य गुणज है। इनमें वह एक कौन है?
उत्तर – इनमें से वह वोल्ट है।
V = IR
11. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर – सेल किसी चालक के सिरो के बीच विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
12. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर 1v है ?
उत्तर – यदि 1 कूलॉम (c) धन आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्द तक ले जाने में 1 जूल (J) कार्य करना पड़े तो इन दोनों बिन्दुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट (v) कहलाता है।
13. किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है ?
उत्तर – समांतर क्रम (पार्श्वक्रम में ) ।
14. विद्युत धारा, प्रतिरोध एवं विभवांतर के बीच क्या संबंध है ?
उत्तर – R = V/I
15. प्रतिरोध का मात्रक क्या है ?
उत्तर – ओम (Ω)
16. ओम के नियम में किसका ताप अचर रहता है?
उत्तर – ओम के नियम से
जहाँ ρ (rho) दिए गए ताप पर तार के पदार्थ के लिए नियतांक (स्थिरांक ) है।
17. ओम के नियम का गणित रूप क्या है
उत्तर – ओम के नियम
18. विद्युत विभव से आप क्या समझते है ?
उत्तर – एकांक धन आवेश का अनंत से किसी बिन्दु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिन्दु का विद्युत वैभव कहते हैं।
19. सरल सेल से धन ध्रुव का कार्य कौन करता है।
उत्तर – ताँबे का प्लेट
20. प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर – प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक ओम मीटर (Ωm) है।
21. किसी चालक में धारा के प्रवाह से उष्मा में आंतरिक ऊर्जा का व्यंजक लिखें।
उत्तर –
22. विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विद्युत शक्ति कहते हैं।
23. यदि किसी बल्ब पर 220V, 60W लिखा हो, तो इसका क्या अर्थ होता है ?
उत्तर – बिजली के बल्ब पर 220V, 60W लिखा हो, तो इसका अर्थ होता है कि यदि किसी उत्तरमकान के विद्युत परिपथ में इसे लगा दिया जाए तो यह 220 वोल्ट के विभवांतर पर 60 W शक्ति का उपयोग करेगा, अर्थात् प्रति सेकंड इस बल्ब के कारण 60 जूल विद्युत ऊर्जा का व्यय होगा।
24. किलोवाट घंटा (kWh) क्या है ?
उत्तर – मकानों आदि में विद्युत ऊर्जा (बिजली) की खपत की माप के लिए जूल (J) एक  छोटा मात्रक है। इसके लिए साधारणतः किलोवाट घंटा (kilowatt hour) का उपयोग किया जाता है। 1 किलोवाट घंटा (KWh) को 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा भी कहा जाता है।
1 kWh = 3.6 × 106 J.
25. श्रेणी क्रम में जुड़े प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम होता है या अधिक ?
उत्तर – अधिक होता है।
26. तीन विद्युत उपस्करों (appliances) के नाम लिखें जिनमें विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग होता है।
उत्तर – बिजली का चूल्हा (हीटर), विद्युत इस्तरी (आयरन), रूम हीटर।
 27. मात्रक ऐम्पियर, वोल्ट एवं वाट मैं कोई एक अन्य दोनों का गुणज है। इनमें वह एक कौन है ?
उत्तर – वाट।
28. बिजली के बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का क्यों बना होता है ?
उत्तर – टंगस्टन का फिलामेंट इसलिए बनाया जाता है कि इसका गलनांक अत्यधिक उच्च (लगभग 3400°C) होता है। अतः यह बिना गले 2700°C का श्वेत-तप्त ताप (white-heat temperature) प्राप्त कर सकता है। चूँकि टंगस्टन की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है, इसलिए पतला और लम्बा तंतु लेना पड़ता है ताकि प्रतिरोध अधिक हो और ऊष्मा अधिक उत्पन्न हो ।
29. विद्युत-शक्ति का मात्रक क्या है ?
उत्तर – विद्युत शक्ति का S.I. मात्रक वाट है। वाट = वोल्ट X, ऐम्पियर ।
30. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का  निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर – विद्युत धारा द्वारा प्राप्त ऊर्जा की दर का निर्धारण एकांक समय में उपभुक्त विद्युत ऊर्जा से की जाती है।
31. प्रत्यावर्ती धारा किस उपकरण से प्राप्त होती हैं।
उत्तर – प्रत्यावर्ती धारा जनित्र से।
32. विद्युत हीटर में तार की कुंडली किस धातु की बनी होती है ।
उत्तर – विद्युत हीटर में तार की कुंडली निक्रोम की बनी होती है।
33. विद्युत हीटर में विद्युत धारा के किस प्रभाव का उपयोग होता है?
उत्तर – विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव का ।
34. विद्युत धारा में किस प्रभाव से बिजली की घंटी कार्य करती है ?
उत्तर – विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव से बिजली की घंटी कार्य करती है।
35. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर – सेल  (या बैटरी), डायनेमों (या दिष्ट धारा जनित्र )
36. विद्युत फ्यूज में प्रयुक्त तार की क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर –उच्च प्रतिरोधकता एवं कम गलनांक।
37. 6V की बैटरी से गुजरनेवाले IC आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है ?
उत्तर – V = 1C × 6V = 6J

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. किसी बिंदु पर विद्युत विभव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर –– किसी बिंदु पर विद्युत विभव कार्य का वह परिमाण है जो प्रति एकांक (इकाई) आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है।
नोट- अनंत पर विद्युत विभव शून्य माना गया है।
2. विद्युत धारा, विभवांतर एवं प्रतिरोध की परिभाषा दें। इनके S.I. मात्रक भी लिखें।
उत्तर – विभवांतर (Potential difference) – एकांक धन आवेश को बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में जितना कार्य करना पड़ता है वह उन दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर कहलाता है। इसका S.I. मात्रक वोल्ट (V) है।
विद्युत धारा (Electric current) आवेश के प्रवाहित होने की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका S.I. मात्रक ऐम्पियर (A) है।
प्रतिरोध (Resistance) —प्रतिरोध किसी चालक का वह गुण है जिसके कारण वह चालक से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होने का विरोध करता है। इसका S.I. मात्रक ओम (Ω) होता है।
3. किसी तार का प्रतिरोध 1Ω है। इस कथन का क्या अर्थ है।
उत्तर – किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट (V) का विभवांतर लगाने से चालक में 1 ऐम्पियर (A) की धारा प्रवाहित हो, तो चालक का प्रतिरोध 1 ओम (Ω) कहा जाता है।
4. किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है ?
उत्तर – चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए उसके सिरों के बीच विभवांतर उत्पन्न करना आवश्यक है। किसी चालक का प्रतिरोध R उसके सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित धारा I का अनुपात है।
5. विद्युत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उत्तर – किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट को पार करने वाली विद्युत धारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ काट से गुजरने वाली प्रति एकांक समय में प्रवाहित होने वाले आवेश का परिमाण है। धारा क्या है?
6. विद्युत इसका समीकरण एवं मात्रक लिखें।
उत्तर – किसी चालक पदार्थ में, किसी दिशा में दो बिन्दुओं के बीच आवेश के व्यवस्थित (Ordered) प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं ।
7. ओम के नियम में चालक का ताप क्यों अचर रहता है।
उत्तर – I α v
जहाँ R नियतांक (अचर ताप पर) है । जिसे चालक का प्रतिरोध (Resistance) कहा जाता है।
8. ओम के नियम को लिख कर इसकी व्याख्या करें।
उत्तर – किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है। अर्थात,
I ∝ v
(जहाँ R नियतांक है  जिसे चालक का प्रतिरोध  कहते हैं ।)
9. किसी परिपथ में कई प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जुड़ा कब कहते हैं ?
उत्तर – जब भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है।
जब चालकों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि एक अंतिम सिरा दूसरे के पहले सिरे से तथा दूसरे का अंतिम सिरा तीसरे के पहले सिरे से तथा इसी प्रकार से ऐसे संयोजन को श्रेणीक्रम संयोजन कहते हैं। ऐसे संयोजन में सभी चालकों में से बहने वाली विद्युत धारा का मान समान होता है। उदाहरण — प्रतिरोध R1, R2 तथा R3 श्रेणीक्रम में जोड़े गए हैं तो उनका कुल प्रतिरोध निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –
R = R1 + R2 + R3
10. किसी परिपथ में कई प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में जुड़ा कब कहते हैं ?
उत्तर – वह क्रम जिसमें सभी प्रतिरोधी के एक ओर के सिरे एक बिंदु तथा दूसरी ओर के सभी सिरे दूसरे बिंदु पर जुड़े होते हैं, इस प्रकार के संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं। मान लें यदि तीन चालक जिनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2, R3 हों, को समांतर क्रम में जोड़ा जाए तो उनका कुल प्रतिरोध R निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है—
अर्थात् प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने से उनका परिणामी प्रतिरोध विभिन्न प्रतिरोधों के विपरीत क्रम के जोड़ के बराबर होता है। प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में विद्युत धारा स्वतंत्रतापवूक भेजी अथवा रोकी जा सकती है।
11. प्रतिरोध के उत्पत्ति के कारण क्या हैं ?
उत्तर – कुछ पदार्थ अपने से होकर दूसरे पदार्थों की अपेक्षा कम धारा प्रवाहित होने देते हैं। दूसरे शब्दों में, कुछ पदार्थ धारा के प्रवाह में अन्य पदार्थों की तुलना में अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं। निश्चित विभवांतर पर किसी चालक से कम धारा प्रवाहित होती है तो चालक का प्रतिरोध अधिक होता है। इसके विपरीत, यदि चालक से अधिक धारा प्रवाहित होती है, तो चालक का प्रतिरोध कम होता है।
12. ऐमीटर एवं वोल्टमीटर के उपयोग बताएँ।
उत्तर – जिस यंत्र द्वारा किसी विद्युत परिपथ की धारा मापी जाती है, उसे ऐमीटर (Ammeter) कहा जाता है।
जिस यंत्र द्वारा किसी विद्युत परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच के विभवांतर को मापा जाता है, उसे वोल्टमीटर (Voltmeter) कहा जाता है।
13. प्रतिरोध क्या है। इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर – किसी चालक का प्रतिरोध R उसके सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित धारा I का अनुपात है।
14. प्रतिरोधों का संयोजन क्या है? यह कितने प्रकार से होता है ?
उत्तर – दो या दो अधिक प्रतिरोधकों को एक-दूसरे से कोई विधियों द्वारा जोड़ा जा सकता है। इनमें दो विधियाँ मुख्य हैं : –
(i) श्रेणीक्रम संयोजन (Series groping)
(ii) समांतरक्रम या पार्श्वक्रम संयोजन (Panalled grouping)
15. विद्युत बल्व का नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर –
16. विद्युत बल्व में निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है?
उत्तर – विद्युत बल्व का फिलामेंट टंग्स्टन का बना होता है जिससे उच्च ताप पर प्रकाश 10 ऑक्सीजन से ऑकति में फिलामेंट हवा (वायु) के संपर्क में आ जाए तो वह हवा के यदि इस ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत (Oxidised) होकर (Oxidised) होकर भंगुर (brittle) हो जाएगा और टूट जाएगा। इसलिए बल्व के भीतर की हवा को निकालकर निष्क्रिय गैस (Inert gas) भर दी जाती है।
17. समान पदार्थ और समान लम्बाई के तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो, तो इनमें से किसमें विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत-स्रोत से संयोजित किया जाता है? इसका कारण भी बताएँ ?
उत्तर – मोटे तार में विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रतिरोध R उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात् –
18. यदि किसी विद्युत अवयव (element) के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व विभांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है, तो उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर – यदि प्रतिरोध नियत हो, तो ओम के नियम से अवयव में प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर से समानुपाती होती है। अतः विभवांतर को आधा करने पर विद्युत धारा भी आधी हो जाएगी।
19. किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर उसमें ऊष्मा क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर – जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब वह चालक गर्म हो जाता है, अर्थात विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा में रूपांतरण होता है।
किसी चालक (जैसे— धातु के एक तार) के दोनों सिरों को सेल या बैटरी से जोड़ा जाता है, तो चालक कं सिरों के बीच एक विभवांतर स्थापित हो जाता है। चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों चालक के उच्च विभव के सिरों की ओर त्वरित होते हैं। परंतु, इन इलेक्ट्रॉनों की चाल लगातार बढ़ नहीं पाती, क्योंकि वे अपने मार्ग में पड़नेवाले चालक के धनायनों से बार-बार टकराते रहते हैं। इससे उनकी चाल मंद पड़ जाती है। इस प्रकार विभवांतर के कारण इलेक्ट्रॉन जो गतिज ऊर्जा प्राप्त करते हैं। उसका कुछ भाग वे चालक के आयनों को दे देते हैं। इससे चालक की आंतरिक ऊर्जा बढ़ जाती है और इसके फलस्वरूप चालक का ताप बढ़ जाता है । तप्त चालक इस प्रकार से प्राप्त ऊर्जा को अपने अगल-बगल की वस्तुओं में ऊष्मा अंतरण द्वारा वितरित करता है।
20. विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव किन कारकों पर निर्भर करता है।
उत्तर – विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव निम्न कारकों पर निर्भर करता है-
1. प्रतिरोधकता – प्रतिरोधकता बहुत अधिक हो, ताकि इसके साधारण लम्बाई एवं मोटाई वालं तार का प्रतिरोध अधिक हो और इसमें कम धारा प्रवाहित होने पर भी अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सकें।
2. गलनांक- गलनांक अत्यधिक उच्च हो, ताकि इनमें प्रबल धारा (heavy current) प्रवाहित होने पर उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा से तापन अवयव पिघलं नहीं।
21. किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी जूल के नियम क्या हैं ?
उत्तर – किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी नियम का प्रतिपादन जूल ने किया था जिसे जूल का ऊष्मीय नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार चालक में उत्पन्न ऊष्मा (Q)
(i) उस चालक से प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा (I) के वर्ग के सीधा समानुपाती होती है, अर्थात Q ∝ I (जहाँ R एवं t अचर है।)
(ii) चालक के प्रतिरोध (R) का सीधा समानुपाती होती है अर्थात् Q ∝ R (जहाँ R एवं t अचर है)
(iii) चालक से प्रवाहित होनेवाली धारा में लगे समय (t) का सीधा समानुपाती होता है अर्थात Q ∝ t (जहाँ I और R अचर है । )
22. विद्युत तापन युक्तियों के मूल सिद्धांत क्या हैं ?
उत्तर – विद्युत तापन युक्ति की प्रतिरोधकता बहुत उच्च होती है तथा तापमान परिवर्तन से प्रतिरोधकता में विशेष कमी नहीं आ पाती, इसके साथ-साथ यह अधिक तापमान पर ऑक्सीकृत भी नहीं होती है। इस युक्तियों या उपस्करों के जिस भाग में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है, उसे तापून अवयव कहा जाता है।
23. विद्युत तापन- युक्तियों, जैसे ब्रेड-टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं ?
अथवा,
विद्युत तापन उपकरणों में नाइक्रोम के तार का व्यवहार क्यों किया जाता है
उत्तर – मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता उन्हें बनाने वाली शुद्ध धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। उच्च ताप पर भी ये मिश्रधातु ऑक्सीकृत नहीं होते। इसी कारण टोस्टर, इस्तरी आदि विद्युत तापन युक्तियों के चालक शुद्ध धातु के न बनाकर मिश्रधातु के बनाए जाते हैं।
24. किसी विद्युत हीटर के परिपथ में जुड़ा चालक तार क्यों उत्तप्त नहीं होता, जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है ?
उत्तर – तापन अवयव का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। इसलिए जब विद्युत हीटर को कॉपर तार के साथ जोड़ा जाता है तो तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है, क्योंकि इसका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है, परन्तु संयोजित हीटर का तार उत्तप्त नहीं होता क्योंकि हीटर के तार का प्रतिरोध बहुत ही कम होता है ।
25. विद्युत परिपथ में फ्यूज तार क्यों लगाए जाते हैं ?
उत्तर – फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्ति है। विद्युत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो सकती हैं। ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ-तहाँ फ्यूज शृंणी में संयोजित किये जाते हैं। फ्यूज ऐसे पदार्थ के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है, जिससे उसमें लगी युक्तियों तथा बल्ब, पंखे, हीटर आदि जलने से वच जाते हैं।
26. फ्यूज की क्षमता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – विद्युत धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुँचते ही फ्यूज गल जाता है (जिसे साधारण भाषा में हम फ्यूज का उड़ जाना जाता है) उसे फ्यूज या तार का अनुमतांक (या क्षमता) कहते हैं।
27. यदि एक ऐमीटर को समांतर क्रम में जोड़ा जाए तो उसकी कुंडली (coil) के जल जाने का खतरा रहता है। क्यों ?
उत्तर – दो युक्तियों को किसी विद्युत परिपथ में समांतरक्रम में जोड़ने पर कम प्रतिरोधवाली युक्ति से अधिक धारा प्रवाहित होती है। चूँकि ऐमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है, इसलिए किसी युक्ति के साथ इसे समांतरक्रम में जोड़ने पर परिपथ की लगभग कुल धारा ऐमीटर से होकर प्रवाहित होती है। इसके कारण उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा से उसकी कुंडली के जल जाने का खतरा होता है।
28. 2V के चार सेलों से बनी एक बैटरी, 5Ω, 8Ω और 10Ω के प्रतिरोधकों और एक दाब – कुंजी से श्रेणी क्रम में जुड़ी है। इसका परिपथ आरेख (circuit diagram) खींचें।
उत्तर –
29. जब (a) 1Ω तथा 106 Ω (b) 1 Ω, 103 Ω तथा 106 Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में संयोजित किए जाते हैं, तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे ?
उत्तर – जब प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है तो तुल्य प्रतिरोध व्यक्तिगत निम्नतम प्रतिरोध से कम होता है —
(a) तुल्य प्रतिरोध <1 Ω
(b) तुल्य प्रतिरोध <1 Ω
30. बिजली के एक बल्व पर 220V – 100W लिखा है। बल्व से प्रवाहित विद्युत धारा तथा बल्व का प्रतिरोध ज्ञात करें।
उत्तर –

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. SI मात्रक के साथ विद्युत धारा, विभवांतर और प्रतिरोध को परिभाषित करें और इनमें जिस नियम द्वारा संबंध प्राप्त होता है, उसे व्याख्या के साथ स्थापित करें।
उत्तर – विभवांतर- दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) धावेश को ले जाने में किया गया कार्य है। इसका S.I. मात्रक (v) होता है।
विभव धारा. दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है। विद्युत धारा का S.I. मात्र ऐम्पियर (A) है।
प्रतिरोध- किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध या केवल प्रतिरोध (resistance) कहलाता है। उसका S.I. मात्रक ओम (Ω) होता है।
2. ओम का नियम क्या. हैं इसे कैसे सत्यापित किया जाता है ?
अथवा, ओम के नियम को लिखें, एमीटर तथा वोल्टमीटर द्वारा इस नियम की जाँच करें
उत्तर – ओम का नियम नियंत ताप पर किसी चालक से प्रवाहित धारा चालक के सिरों के विभवान्तर का समानुपाती होता है।
माना कि चालक से प्रवाहित धारा I तथा विभवान्तर V है। अतः नियम से-
सत्यापन – चित्रानुसार आमीटर, वोल्टमीटर प्रतिरोध, सेल, स्विच आदि को संयोजक तार से जोड़ा। एक सेल लगाकर विभवमापी से विभवान्तर तथा धारामापी से धारा का माप प्राप्त किया। उसी ढंग से क्रमश: दो, तीन, चार एवं पाँच सेल लगाकर प्रत्येक स्थिति में विभवान्तर  और धारा का मान प्राप्त किया। प्रत्येक स्थिति में इसके अनुपात का मान समान आता है, जो इस नियम को सत्यापित करता है।
यदि विभवान्तर और धारा के बीच ग्राफ खींचते हैं, तो जो ग्राफ प्राप्त होता है, उससे भी यह नियम सत्यापित होता है ।
3. प्रतिरोध क्या है? एक तार की कुंडली का प्रतिरोध ऐमीटर तथा वोल्टमीटर की सहायता से कैसे ज्ञात किया जाता है? एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर – निम्नांकित चित्र में दिखाई गई विधि के अनुसार परिपथ पूरा करते हैं। बिन्दु P और Q के बीच बारी-बारी से तांबे के तार, एक लोहे का तार, एक ऐलुमिनियम का तार जोड़कर प्रत्येक बार परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा का मान ऐमीटर से नोट कर लेते हैं। हम पाते हैं कि प्रत्येक बार परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा का मान भिन्न-भिन्न होता है।
कुछ पदार्थ अपने से होकर दूसरे पदार्थों की अपेक्षा कम धारा प्रवाहित होने देते हैं। किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध का केवल प्रतिरोध (resistance) कहलाता है।
4. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है ? व्याख्या करें।
उत्तर – किसी चालक पदार्थ से बने तार का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
(क) तार की लम्बाई (l)
(ख) तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A)
(ग) तार के पदार्थ की प्रकृति
प्रयोग द्वारा यह पाया जाता है कि किसी भी चालक तार का प्रतिरोध तार की लंबाई के समानुपाती होता है तथा उस मनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
गणितीय रूप में
R ∝ l
तथा R ∝ l/A
अतः R ∝ l/A
या, R = ρ (l/A)
जहाँ ρ एक नियतांक है जिसे चालक का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं।
5. श्रेणीक्रम में प्रतिरोधों को किसी प्रकार जोड़ा जाता है? प्रतिरोधों के इस संयोजन के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
अथवा,
समांतरक्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार संयोजित किया जाता है। इस संयोजन के लिए प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर – श्रेणीक्रम समूहन (Series grouping) – निम्नांकित चित्र में AB, BC और CD तीन प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े दिखाए गए हैं। उनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2, R3 है। इनके मुक्त सिरे A और D बैटरी के ध्रुवों से जुड़े हैं। मान लिया a कि तीनों प्रतिरोधों से धारा I प्रवाहित हो रही है और प्रतिरोधक AB, BC एवं CD के सिरों के बीच विभवांतर क्रमश: V1, V2 तथा V3 हैं। अतः ओम के नियम से V1 = IR1, V2 = IR2 तथा V3 = IR3.
यदि बैटरी का विभवांतर V हो, अर्थात् यदि सिरों A और D के बीच विभवांतर V-हो, तो V = V + V2 + V3 = IR1 + IR2 + IR3 = I (R1 + R2 + R3)
इस समूहन का समतुल्य प्रतिरोध (Equivalent resistance) उस अकेले प्रतिरोधक के प्रतिरोध के बराबर होता है। जिसे यदि जुड़े हुए तीनों प्रतिरोधकों के स्थान पर लगा दिया जाए तो विद्युत-परिपथ से प्रवाहित धारा पर कोई प्रभाव न पड़े।
अतः ओम के नियम से
V = IRs
समीकरण (i) तथा (ii) की तुलना करने पर,
IRs = I (R1 + R2 + R3)
IRs = R1 + R2 + R3
अथवा,
समांतरक्रम समूहन- निम्नांकित चित्र में बिन्दु A एवं B के बीच तीन प्रतिरोधक हैं, जिनक प्रतिरोध क्रमश: R1, R2 तथा R3 है, पार्श्वक्रम या समांतरक्रम में पड़े हुए दिखाए गए हैं। बैटरी द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा I है। बिन्दु A पर यह धारा तीन भागों में बँट जाता है। मान लिया कि R1, R2 एवं R3 प्रतिरोध वाले प्रतिरोधकों से क्रमश: I1, I2 तथा I3 धारा प्रवाहित होती है। बिन्दु B पर तीनों धाराएँ मिलकर पुनः मख्य धारा I बन जाती है। अतः I = I1 + I2 + I3
मान लिया कि A और B बिन्दुओं के बीच विभवांतर V है। चूँकि प्रत्येक प्रतिरोधक A के बीच जुड़ा है, अतः प्रत्येक के सिरों के बीच विभवांतर V ही होगा। ओम के नियम से

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।

1. जूल में कितनी कैलोरी होती है ?
(क) 0.22
(ख) 0.20
(ग) 0.18
(घ) 0.24
उत्तर – (घ)
2. टंगस्टन पिघलता है ?
(क) 2500°C
(ख) 4500°C
(ग) 3000°C
(घ) 4000°C
उत्तर – (क)
3. इलेक्ट्रॉन पर कितना आवेश होता है ?
(क) 1.6 × 1019 कूलॉम
(ख) 0.16 × 10-19 कूलॉम
(ग) 16 × 10-19 कूलॉम
(घ) 1.6 × 10-19 कूलॉम
उत्तर – (घ)
4. A और B दो प्रतिरोध पार्श्वबद्ध ( समांतरक्रम में जुड़े) हैं तो समतुल्य प्रतिरोध होगा
(क) A से अधिक
(ख) A और B के बीच
(ग) B से अधिक
(घ) प्रत्येक से कम
उत्तर – (घ)
5. यदि 3-3 ओन के 3 प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ा जाए तो उनका समतुल्य प्रतिरोध होगा
(क) 9 ओम
(ख) 6 ओम
(ग) 3 ओम
(घ) 1 ओम
उत्तर – (घ)
6. यदि किसी बलब में 3 मिनट तक 2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो तो उसमें प्रवाहित आवेश होगा
(क) 360 कूलॉम
(ख) 6 कूलॉम
(ग) 1.5 कूलॉम
(घ) 180 कूलॉम
उत्तर – (क)
7. दिए गए प्रतिरोधों के संयोजन का समतुल्य प्रतिरोध है
(क) 2 Ω
(ख) 4 Ω
(ग) 8 Ω
(घ) 16 Ω
उत्तर – (क)
8. वाट बराबर होता है
(क) वोल्ट × ऐम्पियर के
(ख) वोल्ट × ऐम्पियर के
(ग) ऐम्पियर/वोल्ट के
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
9. विद्युत फ्यूज आधारित है
(क) धारा के चुंबकीय प्रभाव पर
(ख) धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर
(ग) धारा के रासायनिक प्रभाव पर
(घ) विद्युत चुंबकीय प्रभाव पर
उत्तर – (ख)
10. विद्युत शक्ति का S.I. मात्रक है –
(क) न्यूटन
(ख) वोल्ट
(ग) वाट
(घ) जूट
उत्तर – (ख)

II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।

1. बिजली के हीटर में …….. ‘तार का उपयोग
उत्तर – नाइक्रोम
2. 10 ओम प्रतिरोध वाले चालक के सिरों के बीच का विभवांतर यदि 2.5 वोल्ट हो ……….तो चालक में बहने वाली धारा की प्रबलता ……….. होगी।
उत्तर – -0.25
3. 100 वाट बल्ब की अपेक्षा 60 वाट बल्ब का प्रतिरोध ……….. होता है।
उत्तर – अधिक
4. विद्युत परिपथ में वोल्टमीटर हमेशा  ………… क्रम में जोड़ा जाता है।
उत्तर – समांतर
5. एक इलेक्ट्रॉन पर ………… ‘कूलॉम ऋण आवेश रहता है।
उत्तर –  1.6 × 10-19
6. प्रतिरोधों के …….. संयोजन में समतुल्य प्रतिरोध किसी भी प्रतिरोध से कम होता है।
उत्तर – समांतर
7. फ्यूज तार का गलनांक ………. होता है।
उत्तर – कम
8. विद्युत धारा मापने के यंत्र को ………कहते हैं।
उत्तर – ऐमीटर
9. विद्युत धारा का S.I. मात्रक ………..है।
उत्तर – ऐम्पियर
10. प्रतिरोध का S.I. मात्रक  ………. है ।
उत्तर – ओम (Ω)
11. चालक के मोटे तार की तुलना में पतले तार का प्रतिरोध ………. होता है।
उत्तर – अधिक
12. विभवांतर मापने के यंत्र को ……… कहते हैं।
उत्तर – वोल्टमीटर
13. 452 प्रतिरोध के चालक से 2V की एक बैटरी जोड़ी गई है चालक से होकर प्रवाहित धारा ……….. होगी।
उत्तर – 0.5 A
14. अर्द्धचालक का प्रतिरोध ताप बढ़ने से ………… होता है।
उत्तर – घटता

III. सही/गलत का चयन करें।

1. परमाणु विद्युततः उदासीन होता है ।
उत्तर – सही
2. विद्युत विभव का मात्रैक कूलॉम होता है। .
उत्तर – गलत
3. सेलों की समूहित व्यवस्था को ही बैटरी कहा जाता है ।
उत्तर – सही
4. प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक ओम-मीटर (Ωm) है।
उत्तर – सही
5. एक किलोवाट = 36 × 106 जूल होता है।
उत्तर – गलत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. विद्युत क्या है— ऊर्जा या पदार्थ ?
उत्तर – विद्युत एक प्रकार की ऊर्जा है।
2. ऊर्जा के रूप में विद्युत का एक लाभ क्या है ?
उत्तर – ऊर्जा के रूप में विद्युत का एक लाभ यह है कि यह अपेक्षाकृत कम हानि के दूर-दूर तक भेजी जा सकती है।
3. जब एक काँच की छड़ को रेशमी कपड़े से या ऐबोनाइट की छड़ को ऊनी पदार्थ से रगड़ते हैं तो क्या होता है ?
उत्तर – काँच और ऐबोनाइट की छड़ें रगड़ने के पश्चात् आवेशित हो जाती हैं और कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने लगती है।
4. आवेश कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर – आवेश दो प्रकार के होते हैं। ऋणावेश (जैसा कि ऐबोनाइट की छड़ पर ) तथा धनावेश (जैसा कि काँच की छड़ पर ) ।
5. आवेशों का विशिष्ट गुण क्या है ?
उत्तर – समान प्रकार के आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं जबकि विजातीय आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
6. प्रतिरोध का मात्रक क्या है ?
उत्तर – ओम।
7. विद्युत धारा की प्रबलता का S.I. मात्रक क्या है
उत्तर – ऐम्पियर।
8. विद्युत परिपथ में वोल्टमीटर को किस क्रम में जोड़ा जाता है ?
उत्तर – समान्तर क्रम में।
9. विद्युत परिपथ में एमीटर को किस क्रम में जोड़ा जाता है ?
उत्तर – श्रेणीक्रम में।
10. विभव सदिश है या अदिश ?
उत्तर – अदिश।
11. विद्युत वाहक बल एवं विभवांतर में कौन अधिक होता है ?
उत्तर – विद्युत वाहक बल
12. किसी चालक तार को पतला करने पर उसका प्रतिरोध बढ़ेगा या घटेगा ?
उत्तर – बढ़ेगा।
13. ओम के नियम में विभवांतर का संबंध किससे स्थापित किया गया है ?
उत्तर – धारा से।
14. विद्युतधारा उच्च से निम्न या निम्न से उच्च विभव की ओर गमन करती है ?
उत्तर – उच्च विभव से निम्न विभव की ओर।
15. विभवांतर मापने वाले यंत्र का नाम लिखें।
उत्तर – वोल्टमीटर ।
16. विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक क्या है ?
उत्तर – किलोवाट घंटा ।
17. एक वाट आवर में कितना जूल होता है ?
उत्तर – 3.6 × 106 जूल।
18. तापदीप्त लैंप का टंगस्टन तन्तु किस ताप पर कार्य करता है ?
उत्तर – 2700°C.
19. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर – परिपथ का प्रतिरोध, विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर को निर्धारित करता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. विद्युत आवेश किसे कहते हैं ?
उत्तर – वह आन्तरिक कारक जो पदार्थों में आकर्षण का गुण उत्पन्न कर देता है। विद्युत आवेश कहलाता है। जब एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ से रगड़ा जाता है तो दोनों पदार्थों पर विद्युत आवंश उत्पन्न होते हैं।
आवेश दो प्रकार के होते हैं : –
(a) धन आवेश (b) ऋण आवेश ।
2. विद्युत आवेशों के गुणों को लिखें।
उत्तर – विद्युत आवेश के निम्नांकित गुण हैं –
(a) सजातीय आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
(b) विजातीय आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
3. कूलॉम का नियम लिखें।
उत्तर – दो आवेश के बीच लगने वाला बल उन आवेशों के परिमाण के गुणनफल के अनुत्क्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। माना q1 एवं q2 दो आवेश हैं तथा उनके बीच लगने वाला बल F तथा उनके बीच की दूरी r हो, तो
4. विभव एवं विभवान्तर में अन्तर बताएँ।
उत्तर – विभव इकाई धन्- आवेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य विभव कहलाता है। इसका S.I. मात्रक वोल्ट (V) है।
विभवान्तर— इकाई धन आवेश को विद्युत क्षेत्र में एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में जितना कार्य होता है उसे विभवांतर कहते हैं।
इसका भी S.I. मात्रक वोल्ट है।
5. ओम का नियम क्या है ?
उत्तर – इस नियम के अनुसार वायु में r दूरी पर रखे दो आवेशों q1 व q2 के बीच प्रतिकर्षण या आकर्षण का बल आवेशों के गुणनफल के समानुपाती (अनुक्रमानुपाती) तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के विलोमानुपाती (व्युत्क्रमानुपाती) होता है। अर्थात्
6. घर्षण द्वारा किसी वस्तु को कैसे आवेशित करते हैं ?
उत्तर – जब किन्हीं दो उदासीन वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो घर्षण के कारण कुछ इलेक्ट्रॉन एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर चले जाते हैं। जिस वस्तु पर इलेक्ट्रॉन जाते हैं वह ऋणावेशित तथा जिस वस्तु से इलेक्ट्रॉन जाते हैं वह धनावेशित हो जाती है। इसी प्रकार जब दो वस्तुओं को रगड़ते हैं तो एक वस्तु धनावेशित व दूसरी ऋणावेशित हो जाती है।
7. आवेश संरक्षण का नियम क्या है ?
उत्तर – आवेश संरक्षण के नियम के अनुसार किसी भी विविक्त निकाय (Isolated system) में कुल आवेश की मात्रा सदैव स्थिर रहती है अथवा संरक्षित होती है। अर्थात् आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही वह विनष्ट होता है।
8. आवेशित कणों का प्रवाह किस प्रकार संभव है ?
उत्तर – प्रत्येक चालक में असंख्य मुक्त इलेक्ट्रॉन विभिन्न दिशाओं में गति करते रहते हैं किन्तु यदि चालक को एक बैटरी या सेल से जोड़ दिया जाए तो इलेक्ट्रॉनों (आवेशित कणों) का प्रवाह एक निश्चित दिशा में होने लगता है।
9. विद्युत वाहक बल एवं विभवांतर में अन्तर लिखें।
उत्तर – विद्युत वाहक बल एवं विभवान्तर में अन्तर निम्न हैं।
विद्युत वाहक बल विभवांतर
(i) विद्युत वाहक बल विभवांतर से बड़ा होता है। (i) विभवांतर का मान विद्युत वाहक बल से कम होता है।
(ii) किसी सेल का विद्युत वाहक बल नियत होता है। (ii) सेल का विभवांतर परिवर्तनशील होता है।
(iii) यह किसी सेल की प्रेरक विद्युतीय ऊर्जा है। (iii) यह किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच का विद्युतीय कार्य होता है।
(iv) खुले परिपथ में सेल के सिरों के बीच के विभवों के अंतर को विद्युत वाहक बल कहते हैं। (iv) बंद परिपथ में सेल के दोनों सिरों के बीच के विभवों के अन्तर को विभवांतर कहते हैं।
10. परिपथ में ऐमीटर को श्रेणीक्रम एवं वोल्टमीटर को पावक्रम में क्यों जोड़ा जाता है ?
उत्तर – ऐमीटर को श्रेणीक्रम में इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि परिपथ की पूरी धारा इससे प्रवाहित हो। वोल्टमीटर को पार्श्वक्रम में इसलिए जोड़ा जाता है, क्योंकि परिपथ की धारा में अल्प अथवा नगण्य कमी उत्पन्न करता है।
11. प्रतिरोध क्या है ? किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर – प्रतिरोध पदार्थ का वह गुण है जो धारा के प्रवाह में रुकावट डालता है। इसका S.I. मात्रक ओम (Ω) है।
किसी चालक का प्रतिरोध निम्नांकित बातों पर निर्भर करता है –
(a) चालक की लम्बाई
(b) उसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
(c) उसके पदार्थ की प्रकृति पर
12. परिवर्ती प्रतिरोध किसे कहते हैं ?
उत्तर – स्रोत की वोल्टता में बिना कोई परिवर्तन किए परिपथ की विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जानेवाले अवयव को परिवर्ती प्रतिरोध कहते हैं।
13. प्रतिरोधकता क्या है ? इसका मात्रक क्या है ?
उत्तर – किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता उसके 1 मीटर भुजा की घन द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध होता है जबकि धारा सम्मुख फलकों के लम्बवत् प्रवाहित होती है। इसकी माप (ओम × मीटर) में की जाती है। यदि l लम्बाई के किसी तार का प्रतिरोध R और अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A हो तो
14. विद्युत चालक और विद्युतरोधी पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर – विद्युत चालक पदार्थ – जिन पदार्थों में विद्युत मुक्त रूप से प्रवाहित हो सकती है उन्हें विद्युत चालक कहते हैं। जैसे— ताँबा, चाँदी, ग्रेफाइट, लवणों का जलीय विलयन इत्यादि ।
विद्युतरोधी पदार्थ- जिन पदार्थों में विद्युत प्रवाह आसानी से नहीं होता है उन्हें विद्युतरोधी पदार्थ कहते हैं। जैसे— रबड़, काँच, प्लास्टिक, पोर्सिलेन इत्यादि ।
 15. अर्द्धचालक किसे कहते हैं ?
उत्तर – वैसे पदार्थ, जिसमें सामान्य ताप पर कुछ मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। कम विद्युत चालकता होने के कारण इस तरह के पदार्थों से होकर कुछ विद्युत प्रवाहित होती है। जैसे—सिलिकॉन, जर्मेनियम इत्यादि ।
16. अतिचालक किसे कहते हैं ?
उत्तर – वैसे पदार्थ जिनमें अति निम्न ताप पर बिना किसी प्रतिरोध के विद्युत का गमन होता है अतिचालक कहलाता है। जैसे- शीशा, जिंक इत्यादि ।
 17. विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – विद्युत प्रोत से विभिन्न घटकों से होकर विद्युत धारा के बहने के पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। इसके प्रमुख घटक हैं
(i) विद्युत स्रोत (बैटरी या सेल)
(ii) चालक
(iii) प्रतिरोध
(iv) स्विच (कुँजी) तथा
(v) दूसरे अनेक उपकरण जो इससे जुड़े होते हैं।
18. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर है और इसे ‘A’ अक्षर से दर्शाते हैं। जब किसी चालक में 1 सेकंड में 1 कूलॉम आवेश का प्रवाह होता है तो प्रयुक्त विद्युत धारा की मात्रा को 1 ऐम्पियर कहते हैं।
19. एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर –
20. मान लें किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर – हम जानते हैं कि V I
अतः विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में आधा कर देने से प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा भी आधी हो जाती है।
21. तापदीप्त लैंपों में तन्तु के रूप में एक मात्र ढंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर – तापदीप्त लैंपों में तन्तु के रूप में एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है क्योंकि टंगस्टन का प्रतिरोध एवं गलनांक दोनों उच्च होते हैं। उच्च प्रतिरोध के कारण यह तुरंत विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा से प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है तथा इसकी प्रतिरोधकता उच्च ताप के साथ परिवर्तित नहीं होती है।
22. घरों में प्रकाश करने के लिए श्रेणी संबद्ध व्यवस्था क्यों उपयुक्त नहीं होती ?
उत्तर – श्रेणीक्रम में जोड़ने से समतुल्य प्रतिरोध बहुत अधिक हो जाता है। फलस्वरूप परिपथ में बहने वाली धारा का मान घट जाता है। उसके अतिरिक्त परिपथ के किसी एक जगह भंग हो जाने से सम्पूर्ण परिपथ भंग हो जाती है।
23. विद्युत धारा के तापीय प्रभाव से क्या समझते हैं ?
उत्तर – जब किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो ऊष्मा उत्पन्न होती हैं और तार के ताप में वृद्धि हो जाती है इस घटना को विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं।
24. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर – विद्युतधारा द्वारा प्राप्त ऊर्जा की दर का निर्धारण एकांक समय में उपभुक्त विद्युत ऊर्जा से की जाती है।
25. विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ? इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर – विद्युत ऊर्जा जिस दर से क्षय अथवा व्यय होती है उसे विद्युत शक्ति कहते हैं।
इसका SI मात्रक वाट होता है। वाट = वोल्ट × ऐम्पियर
26. 1 kWh को जूल में व्यक्त करें।
उत्तर –
27. घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर – श्रेणीक्रम में समान विद्युत धारा, सभी उपकरणों में प्रवाहित होती है। श्रेणीक्रम से अधिक उपकरण लगाने से धीरे-धीरे धारा का मान घटता जाता है क्योंकि सभी प्रतिरोध श्रेणीक्रम में हैं और कुल प्रतिरोध बहुत अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक उपकरण के सिरों पर विभवांतर भिन्न होता है।
28. किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है ?
उत्तर – परिच्छेद के क्षेत्रफल के बढ़ने पर तार का प्रतिरोध घटता है तथा परिच्छेद के क्षेत्रफल के घटने पर तार का प्रतिरोध बढ़ता है फलतः मोटे तार का प्रतिरोध कम तथा पतले तार का प्रतिरोध अधिक होता है अर्थात् Rl/A
29. विद्युत संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर – कॉपर तथा ऐलुमिनियम विद्युत के अच्छे चालक हैं। कॉपर तथा ऐलुमिनियम की प्रतिरोधकता कम है। जब ताम्बे तथा ऐलुमिनियम तारों में विद्युतधारा प्रवाहित होती है तो ऊष्मा के रूप में विद्युत ऊर्जा का ह्रास बहुत कम होता है।
कॉपर हवा तथा जल से साधारण ताप पर बहुत कम क्रियाशील है। ऐलुमिनियम के त के ऊपर की ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत हवा तथा पानी से अभिक्रिया करने से रोकता है। फलतः कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तार अधिक दिनों तक कार्य कर सकते हैं।
30. क्या विद्युत धारा चालक की लम्बाई पर निर्भर करती है ?
उत्तर – हाँ, चालक में प्रवाहित विद्युत धारा चालक की लंबाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है। I ∝ 1/L क्योंकि लंबाई बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है व धारा की मात्रा कम हो जाती है।
31. क्या विद्युत धारा उपयोग किए जाने वाले तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है ?
उत्तर – हाँ विद्युत धारा चालक के तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के समानुपाती होती है।
IA
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम हो जाता है अतः धारा का मान बढ़ जाता है।
32. किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर – किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है
(i) तार की लंबाई- किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लंबाई के समानुपाती है।
RL
(ii) चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल – किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ 1/A
(iii) किसी चालक का प्रतिरोध उस चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
33. समान पदार्थ के दो तारों में एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो उनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है। क्यों ?
उत्तर – मोटे टे तार से विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी, क्योंकि मोटे चालक का प्रतिरोध पतले तार से कम होगा जब मोटे तार का प्रतिरोध कम होगा तो उसमें से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है :
34. मान लीजिए किसी विद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाला विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर – नियत ताप व प्रतिरोध पर :
V ∝ I
अतः यदि विभवांतर आधा कर दिया जाता है तो नियत प्रतिरोध धारा भी आधी रह जाएगी ।
35. क्या आप ऐमीटर के द्वारा विद्युत धारा के मान में कोई अंतर पाते हैं ?
उत्तर – ऐमीटर की स्थिति दो प्रतिरोधकों के बीच कहीं भी परिवर्तित करके प्रत्येक बार ऐमीटर का पाठ्यांक नोट करते हैं। हम देखते हैं कि प्रत्येक बार पाठ्यांक समान होता है।
यह स्पष्ट करता है कि यदि प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो विद्युत धारा के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात परिपथ में समान विद्युत धारा का प्रवाह होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. ओम के नियम की सहायता से किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर – किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ओम के नियम की सहायता से निम्नांकित रूप से निकाला जाता है-
माना कि R एक अज्ञात प्रतिरोध है। इसके समांतर क्रम में V एक वोल्टमीटर जोड़ दिया जाता है। अज्ञात प्रतिरोध के एक किनारे को एक ताँबे के तार के द्वारा रियोस्टेट के दूसरे किनारे को K कुंजी के एक किनारे से जोड़ दिया जाता है। कुंजी के दूसरे किनारे को B बैट्री के ऋण ध्रुव से जोड़ दिया जाता है। बैट्री के दूसरे किनारे को A एमीटर के धन किनारे से जोड़ दिया जाता है। एमीटर के ऋण किनारे को अज्ञात प्रतिरोध के किनारे से जोड़ दिया जाता है।
कुंजी को दबाने पर परिपथ में विद्युत प्रवाहित होने लगती है। धारा का मान ऐमीटर से ज्ञात कर लिया जाता है। फिर विभवान्तर का मान V वोल्टमीटर से ज्ञात कर लिया जाता है। R = V/I सूत्र  में V और I का मान ज्ञात किया जाता है। इसी प्रकार तीन पठन ज्ञात कर औसत प्रतिरोध का मान ज्ञात कर लिया जाता है।
2. विद्युतवाहक बल और विभवान्तर की परिभाषा लिखें।
उत्तर – विद्युतवाहक बल (Electromotive force or emf)- जब सेल के धनोद तथा ऋणोद को एक चालक तार से जोड़ा जाता है तब तार से आवेश प्रवाहित करने में विद्युत ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। विद्युत ऊर्जा की यह जरूरत सेल के अंदर रासायनिक अभिक्रिया द्वारा पूरी की जाती है। इस विद्युत ऊर्जा का वह मान जो एकांक धनावेश को सेलसहित परिपथ में एक बार घूमने में व्यय होती है, सेल का विद्युत वाहक बल कहलाता है।
अर्थात, विद्युतवाहक बल = एकांक धनावेश द्वारा बाह्य परिपथ में व्यय ऊर्जा + सेल में व्यय ऊर्जा
यदि q आवेश द्वारा एक चक्कर पूरा करने में W ऊर्जा का व्यय हो तो सेल का विद्युतवाहक बल
वास्तव में विद्युत सेल विद्युत ऊर्जा का स्रोत है न कि धारा आवेश अथवा विद्युत का।
विभवान्तर (Potential difference) – दो बिन्दुओं के बीच विभव के अन्तर को विभवान्तर कहते हैं। इसका मात्रक ‘वोल्ट’ है। विभव की परिभाषा से स्पष्ट है कि विभवान्तर एकांक धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किये गये कार्य के बराबर है।
3. एमीटर और वोल्टमीटर क्या है ? इन्हें किसी परिपथ में कैसे जोड़ते हैं ?
उत्तर – एमीटर– एमीटर किसी विद्युत परिपथ से प्रवाहित धारा मापने का यंत्र है।
परिपथ में जुड़े उपकरणों के साथ एमीटर इस प्रकार जोड़ा जाता है कि परिपथ की पूरी धारा इससे प्रवाहित हो । यंत्र के इस प्रकार के संयोजन को श्रेणी संयोजन कहते हैं। एमीटर का प्रतिरोध अत्यन्त छोटा होता है, अतः एमीटर को परिपथ में जोड़ने पर भी परिपथ का परिणामी प्रतिरोध अपरिवर्तित रहता है जिसके कारण परिपथ में प्रवाहित धारा का मान वही रहता है जो परिपथ में एमीटर जोड़ने के पूर्व था।
वोल्टमीटर –  विद्युत परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच का विभवांतर जिस यंत्र से मापते हैं उसे वोल्टमीटर कहते हैं ।
वोल्टमीटर का प्रतिरोध अत्यधिक होना चाहिए तथा इसे सदैव परिपथ में जिन बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापना है उसके समांतर संयोजित करते हैं। ऐसा होने से वोल्टमीटर परिपथ की धारा नगण्य उत्पन्न करता है जिससे अभीष्ट बिन्दुओं के बीच विभवान्तर का माप सही होता है।
4. पार्श्वक्रम संयोजन को समझाएँ एवं समतुल्य प्रतिरोध के लिए सूत्र स्थापित करें।
उत्तर – पार्श्वक्रम संयोजन- जब सभी प्रतिरोध के एक छोर को एक साथ तथा दूसरे छोर को एक साथ जोड़ा जाता है तो इस प्रकार के संयोजन को पावक्रम संयोजन कहते हैं। माना परिपथ में तीन प्रतिरोधक R1, R2 एवं R3 को पार्श्वक्रम में जोड़ा गया है तथा इनके बीच धारा I1, I2 और I3 प्रवाहित होती है तो मुख्य परिपथ में कुल धारा  I = I1 + I2 +I3
5. किसी तार का प्रतिरोध R है। उसे काटकर समान लम्बाई के चार भाग बनाए गए हैं। (i) प्रत्येक भाग के प्रतिरोध की आरंभिक तार के प्रतिरोध की तुलना करें। (ii) यदि चारों भागों को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाय, तो इस संयोजन के प्रतिरोधों की आरम्भिक तार के प्रतिरोध से तुलना करें।
उत्तर – माना तार का प्रतिरोध = R
(i) चार समान भागों में प्रत्येक भाग का प्रतिरोध = R/4
अर्थात् आरंभिक प्रतिरोध का 1/4
6. विद्युत ऊर्जा का मान ज्ञात करने के लिए सूत्र की स्थापना करें।
उत्तर – विद्युत ऊर्जा का मान
हम जानते हैं कि—
∴ व्यय ऊर्जा का मान = विभवांतर × प्रवाहित आवेश
अर्थात्    W = Q × V
यहाँ       W = धारा द्वारा उत्पन्न ऊर्जा
    V = तार के दो बिंदुओं में विभवांतर
   Q = तार में प्रवाहित आवेश की मात्रा
स्पष्ट है कि विद्युत ऊर्जा का मान ज्ञात करने के लिए हमें (i) आवेश की मात्रा तथा (ii) विभवांतर ज्ञात होना चाहिए। परंतु व्यवहार में आवेश का मापना सुगम नहीं है। इसलिए विद्युत ऊर्जा की गणना के लिए अन्य सूत्र का उपयोग करते हैं।
हम जानते हैं कि विद्युत धारा
इस सूत्र में V को वोल्टमीटर और I को ऐम्पियर से जाना जा सकता है। यह ऊर्जा मापन का सही सूत्र है।

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