राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा, 2005 पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

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प्रश्न – राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा, 2005 पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – जीवन की प्राथमिक अवस्था में बच्चे अपने चारों ओर की दुनिया में नयी-नयी चीजों को खोजने में तथा उनसे आनन्द प्राप्त करने में व्यस्त रहते हैं । इसलिए यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि –
  • बच्चों को क्या पढ़ाया जाए ?
  • किस तरीके से पढ़ाया जाए ?
ताकि बच्चे को अपने परिवेश के प्रति जिज्ञासा को पोषण मिले । उनको ऐसे अनुभव मिलें जो उसकी विवेक क्षमता को बढ़ाए एक-दूसरे के प्रति संवदेनशील बनायें ।
बाल केन्द्रित शैक्षिक संकल्पना को मूर्त रूप देने का सबसे सशक्त माध्यम हैं- पाठ्यचर्या । इसलिए पाठ्यचर्या में बच्चों के अनुभव, उसके स्तरों तथा उनकी सक्रिय सहभागिता को वरीयता दी जानी चाहिए। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा 2005 अस्तित्व में आई जिसमें पाठ्यचर्या निर्माण के मार्गदर्शक सिद्धान्तों का उल्लेख किया गया है—
  • ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ना ।
  • पढ़ाई को रटने की पद्धति से छुटकारा दिलाना ।
  • पाठ्यचर्या पाठ्य-पुस्तक केन्द्रित न होकर बच्चों के चहुँमुखी विकास की ओर उन्नत हो ।
  • परीक्षा को अपेक्षाकृत अधिक लचीला बनाना व कक्षा की गतिविधियों से जोड़ना ।
  • एक ऐसी पहचान का विकास करना जिसमें प्रजातांत्रिक राज व्यवस्था के अन्तर्गत राष्ट्रीय चिन्ताएँ समाहित हों।
NCF, 2005 में चार पाठ्यचर्या क्षेत्रों की तरफ ध्यान आकर्षित किया गया है—
1. काम
2. कला व पारम्परिक दस्तकारियाँ
3. स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा
4. शांति के लिए शिक्षा |

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