वंशानुक्रम एवं वातावरण में संबंध की विवेचना करें तथा वंशानुक्रम के प्रभाव पर प्रकाश डालें।
शारीरिक आकृति पर वंशानुक्रम का प्रभाव (Effect of Heredity on Physiological Appearance)
शारीरिक आकृति पर कुछ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह वंशानुक्रम पर आधारित है। किंतु अन्य कुछ लोगों का मत है कि सबके बावजूद भोजन एवं वातावरण के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। गाल्टन ने वंशानुक्रम के प्रभाव के अध्ययन में 977 व्यक्तियों के परिवारों एवं निकट सम्बन्धियों का अध्ययन किया। इनमें सुप्रसिद्ध वैज्ञानिकों, वकीलों, साहित्यकारों, न्यायधीशों, कलाकारों के परिवार थे। इसके बाद उन्होंने दूसरे 977 साधरण परिवारों को चुना। अपने इस अध्ययन का उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि एवं अन्य मानसिक योग्यताएँ वंशानुक्रम से प्रभावित होती है। वैयक्तिक भिन्नताओं का कारण वंशानुक्रम ही है। गोडार्ड (Goddard) के एक अध्ययन में 1913 में एक सैनिक मार्टिन कालीकाक ने एक मंदबुद्धि, अपराधी, महिला से विवाह किया और देखा कि उसके 480 वंशजों में से अधिकांश मंदबुद्धि, अपराधी, वेश्याएँ, मिर्गी के रोगी हुए जबकि एक द महिला से शादी द्वारा उत्पन्न वंशज सामान्य कोटि के हुए। इस अध्ययन से गोडार्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि मंदबुद्धिता का घनिष्ट सम्बन्ध वंशानुक्रम से है तथा अपराधी-वृत्ति, वेश्या-वृत्ति एवं मिर्गी आदि का सम्बन्ध भी वंशानुक्रम से होता है। कालमैन और सैण्डलर (Kallman & Sandler, 1949) ने वंशानुक्रम के प्रभाव के अपने अध्ययनों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि समान जुड़वाँ बच्चों की त्वचा की सिकुड़नों, दाँतों और बालों में परिवर्तन, शारीरिक और मानसिक योग्यताओं में परिवर्तन विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक योग्यताओं के ह्रास में परिवर्तन एक समान होते हैं।
वंशानुक्रम का बौद्धिक क्षमता पर प्रभाव (Effect of Heredity on Intelligence) बौद्धिक क्षमता पर भी वंशानुक्रम के प्रभाव स्पष्ट दिखाई देते हैं थार्नडाइक (1905) ने 50 जुड़वाँ बच्चों का अध्ययन 6 मानसिक परीक्षणों के आधार पर किया। उन्होंने अपने इस अध्ययन में पाया कि सहोदरों (Siblings) की अपेक्षा जुड़वाँ बच्चों की मानसिक योग्यता में समानता दोगुनी होती हैं। विंगफील्ड (P.N. Wingfeld, 1928) ने परिवार के विभिन्न सदस्यों की बुद्धि का सहसंबन्धनात्मक अध्ययन कर निम्न प्रकार से सहसम्बन्ध गुणांक (correlation coefficients) प्राप्त हुए-समान जुड़वाँ बच्चे (indentical twins) 0.90, भ्राता जुड़वाँ बच्चे (freaternal twins) 6.70, सहोदर ( sibling) 0.50, माँ – बाप एवं बालक (parents and child) 0.31, चचेरे भाई-बहन (cousins) 0.27. असहम्बन्धी बालक (unrelated children) 0.01 के उपरोक्त सहसम्बन्ध गुणांक परिणामों के आधार पर विंगफील्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि वंशानुक्रम बौद्धिक क्षमता को महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करता है। मानसिक नुक्रम का व्यक्तित्व विकास पर भी महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन (Gottsman, 1963) में जो कि समान जुड़वाँ बच्चों के एक बड़ें प्रतिदर्श पर आधारित था, यह देखा गया कि मेन्सोटा मल्टीकेसिक परसनेल्टी इनवेन्ट्री (MMPI) के कई स्केल्स में समान जुड़वाँ बच्चों में समानता थी | Gotsman ने अपने अध्ययन में सामाजिक कारकों को नियंत्रित नहीं किया। भ्राता जुड़वाँ बच्चों की अपेक्षा समान जुड़वाँ बच्चों में समानता अधिक होती है। अतः समान जुड़वा बच्चों का सामाजिक वातावरण और व्यवहार समान होने से उनके व्यक्तित्व में समानता हो सकती है ।
व्यक्तित्व पर वंशानुक्रम का प्रभाव (Effect of Heredity on Personality)
यौन – विभेद के लिए वंशानुक्रम उत्तरदायी है, यह बात सर्वविदित एवं सर्वमान्य है । इसी आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि व्यक्तित्व भी वंशानुक्रम से प्रभावित होता है। लोगों का कथन है कि स्त्री या पुरुष का व्यक्तित्व उसके सेक्स के अंतर के कारण अलग परिलक्षित होता है। इसी कारण यह देखा जाता है कि संवेदनाएँ एवं धैर्य, प्यार की भावना महिलाओं में ज्यादा होती है। फलतः वे प्यार व दुलार करना ज्यादा जानती हैं। प्रायः यह धारणा प्रचलित है कि बच्चे को जन्म देना एवं उनकी देखभाल तथा घर के कार्य करने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। प्रत्येक लेखों एवं पुस्तकों में यह पढ़ने को मिलता है कि महिलाएँ एक लता के समान होती हैं जो पुरुष के सहारे आगे पढ़ती हैं। इसके विपरीत पुरुष कठोर, रुखे, जिद्दी, बुद्धिमान, स्वतंत्र एवं स्वयं पर निर्भर होते हैं। महिलाओं की रुचि कला एवं साहित्य में होती है जबकि पुरुषों का रुझान गणित, विज्ञान, युद्ध एवं अन्य कंठिन कार्यों में होता है।
किंतु यह तथ्य हमेशा सही नहीं माना जाता। इतिहास इस बात का गवाह है कि जरूरत पड़ने पर महिलाएँ हमेशा पीछे नहीं रहतीं। महारानी लक्ष्मी बाई, मैडम क्यूरी, जॉन आफ आर्क इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। विभिन्न संस्कृतियों में पुरुष एवं स्त्री के व्यक्तित्व विकास में सेक्स की कोई विशेष भूमिका नहीं होती। किन्तु शारीरिक स्वरूप, शक्ति, ऊँचाई एवं भार में स्त्री और पुरुष में भिन्नता होती है। स्त्री बच्ची को जन्म देती है। वह शारीरिक रूप से ही कोमल होती है। उसकी भूमिकाएँ पुरुषों की अपेक्षा अलग होती है। अतः उनका व्यक्तित्व निश्चित रूप से अलग होगा। किन्तु यह विभिन्नता विभिन्न संस्कृतियों में भिन्न-भिन्न होती है। अतः यह कहा जा सकता है कि व्यक्तित्व वंशानुक्रम एवं वातावरण दोनों से प्रभावित होता है । Landis and Landis ने कहा है, “Heredity explains man the animal, environment man the human being.”
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