शिक्षा से संबंधित बच्चों के अधिकार (1989) पर एक टिप्पणी लिखें ।

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प्रश्न – शिक्षा से संबंधित बच्चों के अधिकार (1989) पर एक टिप्पणी लिखें ।
(Write a short notes on the Children’s rights 1989 relating to education.)

उत्तर – बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता सबसे पहले 1924 में बाल अधिकारों के बारे में जिनेवा घोषणा और फिर 20 नवम्बर, 1959 को महासभा द्वारा पारित बाल अधिकारों की घोषणा में व्यक्त की गई इसे मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा (विशेषत: अनुच्छेद 23 तथा 24 में), अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार प्रसंविदा (विशेषतः अनुच्छेद 10 में) तथा बच्चों के कल्याण से जुड़ी विशिष्ट एजेंसियों और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सम्बद्ध विधानों और प्रपत्रों में मान्यता दी गई ।

20 नवम्बर, 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ‘बच्चों के अधिकारों’ का प्रस्ताव पारित किया । इस प्रस्ताव के अन्तर्गत 54 अनुच्छेद हैं । यहाँ पर केवल शिक्षा सम्बन्धी अधिकारों का उल्लेख किया गया है।

अनुच्छेद 29

(1) समझौते में शामिल देश इस बात पर सहमत हैं कि बच्चों की शिक्षा को निम्न दिशाओं में निर्देशित किया जाना चाहिए—

(क) बच्चे के व्यक्तित्व, प्रतिभाओं तथा मानसिक और शारीरिक योग्यताओं का पूर्ण विकास;
(ख) मानव अधिकारों, मूलभूत स्वतन्त्रताओं और संयुक्त राष्ट्र घोषणा-पत्र के सिद्धान्तों के प्रति सम्मान का विकास;
(ग) बच्चे के माता-पिता, उसकी सांस्कृतिक पहचान, भाषा, जीवन-मूल्यों, बच्चे के निवास तथा उद्गम वाले देश के राष्ट्रीय मूल्यों और बच्चे की अपनी सभ्यता के अलावा अन्य सभ्यताओं के प्रति सम्मान की भावना का विकास;
(घ) सभी देशों तथा जातीय, राष्ट्रीय और धार्मिक समूहों तथा देश आदिम निवासियों के बीच समझ-बूझ, शान्ति, सहिष्णुता, स्त्री-पुरुष समानता और मैत्री की भावना के साथ मुक्त समाज में जिम्मेदारी भरे जीवन के लिए बच्चे को तैयार करना;
(ङ) प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति सम्मान की भावना का विकास ।

(2) इस अनुच्छेद और अनुच्छेद 28 के किसी भी भाग को शैक्षिक संस्थान खोलने या इन्हें निर्देशित करने की व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में हस्तक्षेप करने के अर्थ में नहीं समझा जाएगा बशर्तें कि इन संस्थानों में इस अनुच्छेद के पैराग्राफ 1 के सिद्धान्तों का पालन किया जाए और इन संस्थानों में दी जा रही शिक्षा राज्य द्वरा निर्धारित न्यूनतम मानकों के अनुरूप हो ।

भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission in India)—राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का संविधान मानवाधिकार को सुरक्षा प्रदान करने के .लए मार्गदर्शन हेतु एक अत्यधिक दस्तावेज है ।

भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 1 नवम्बर, 1993 से कार्य करना आरम्भ कया । उस समय न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और आयोग में आठ अन्य सदस्य भी शामिल किए गए। अपनी पहली वार्षिक रिपोर्ट में आयोग 1 अपने यहाँ दर्ज कराए गए कुल 496 मामलों में से 23 मामलों का विवरण प्रस्तुत किया । इन मामलों में हिरासत में हुई मौत, राजनीतिक या अन्य कारणों से अपहरण व हत्या, झूठी मुठभेड़, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ या उत्पीड़न आदि के मामले शामिल थे।

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