सन्दर्भ इकाई की विवेचना करें ।

प्रश्न – सन्दर्भ इकाई की विवेचना करें । 
उत्तर – वर्तमान समय में नियोजित शिक्षण पर अधिक बल दिया जाता है। नियोजित अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में पाठ्यक्रम-संदर्शिकाओं के उपरान्त सन्दर्भ इकाइयों एवं शिक्षण इकाइयों के निर्माण की आवश्यकता अनुभव की जाती है । सन्दर्भ इकाई का निर्माण, शिक्षक द्वारा शिक्षण-इकाई के निर्माण के सहायतार्थ किया जाता है । अतः सन्दर्भ इकाई को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –
“सन्दर्भ इकाई उन सम्भावित समस्याओं, क्रियाओं तथा सामग्री का समूह होती है, जिनका प्रयोग विषयों के अनुरूप शिक्षण कार्य करने के लिए शिक्षण इकाइयों का निर्माण करने में शिक्षकों की सहायता के लिए किया जाता है। “
“सन्दर्भे इकाइयों का महत्त्व (Importance sof Reference Units) – सन्दर्भ इकाइयों को निर्मित करने के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं
(i) सन्दर्भ इकाइयाँ सम्बन्धित विषय के अध्ययन अध्यापन की आवश्यकता, महत्त्व, आधारभूत संप्रत्ययों, दृष्टिकोणों, समस्याओं एवं अपेक्षित उद्देश्यों को स्पष्ट करती हैं ।
(ii) शिक्षण-इकाइयों के निर्माण में ये निर्देशन प्रदान करती हैं ।
(iii) अपेक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ये उपयुक्त अधिगम- अनुभवों, क्रियाओं एवं शिक्षण सामग्री के बारे में उपयोगी सुझाव देती है।
(iv) इनसे शिक्षकों को उपयोगी सन्दर्भ सामग्री का ज्ञान प्राप्त होता है ।
(v) ये परिणामों के मूल्यांकन के लिए भी सुझाव देती हैं ।
(vi) शिक्षकों एवं शिक्षाविदों द्वारा शिक्षकों के लिए तैयार किये जाने के कारण तथा इनमें अधिक-से-अधिक अनुभूत सूचनात्मक ज्ञान एवं सामग्री का समावेश होने के परिणामस्वरूप ये शिक्षण-इकाइयों के लिए व्यावहारिक ज्ञान कोष का कार्य करती है ।
सन्दर्भ इकाई की संरचना एवं अन्तर्वस्तु (Structure and Content of References Unit)–सन्दर्भ इकाई के प्रमुख अंग इस प्रकार होते हैं
1. प्रकरण अथवा विषय क्षेत्र का महत्त्व (Importances of Topics or field of Subject)-इसके अन्तर्गत सम्बन्धित प्रकरण की एक संक्षिप्त भूमिका प्रस्तुत की जाती है, जिसके प्रमुख लक्ष्य होते हैं-
(i) शिक्षक को प्रकरण का पुर्नस्मरण कराना,
(ii) प्रकरण को कक्षा में आरम्भ करने के लिए आधार प्रदान करना तथा
(iii) अन्य व्यावसायिक कार्यकर्त्ताओं के लिए सूचनात्मक ज्ञान प्रदान करना ।
2. सम्भावित उद्देश्यों की सूची (Lists of Expected Aims) – इसमें उन उद्देश्यों की सूची प्रस्तुत की जाती है, जिनकी प्राप्ति की सम्भावना सम्बन्धित प्रकरण के अध्ययन से हो सकती है। इससे शिक्षकों को शिक्षण इकाइयों के उद्देश्यों का निर्धारण करने में बहुत सुविधा प्राप्त हो जाती है, क्योंकि वे इस विस्तृत सूची में से आवश्यकतानुसार उद्देश्यों का चयन कर लेते हैं ।
3. अन्तर्वस्तु की रूपरेखा (Outliness of the Content)-ज्ञान के व्यापक क्षेत्र तथा बढ़ते हुए भण्डार को ध्यान में रखते हुए उसमें से अध्ययन अध्यापन हेतु विभिन्न स्तरों पर उपयुक्त अन्तर्वस्तु का चयन करना आवश्यक होता है। यह कार्य पाठ्यक्रम संगठन तथा पाठ्यक्रम-संदर्शिकाओं के निर्माण के समय भी किया जाता है। किन्तु उन स्तरों पर इसका विस्तृत विवेचन सम्भव नहीं हो पाता है। सन्दर्भ- इकाई में समाहित की जाने वाली अन्तर्वस्तु का उल्लेख इस प्रकार किया जाता है कि शिक्षक स्पष्ट रूप से समझे सकें कि उन्हें कक्षा में क्या और कितना पढ़ाना है ?
4. प्रस्तावित क्रियाएँ (Proposed Activities) – शिक्षक को कक्षागत परिस्थितियों तथा कक्षा के बाहर अनेक क्रियाओं का आयोजन करना होता है। सन्दर्भ इकाइयों में शिक्षकों की सहायतार्थ सम्बन्धित प्रकरण के लिए उपयुक्त विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ प्रस्तावित की जाती हैं। शिक्षक अपनी आवश्यकता एवं सुविधानुसर उनमें से उपयुक्त क्रियाओं का चयन कर सकता है ।
5. सन्दर्भ पुस्तकों एवं अन्य सामग्री की सूची (Lists of References Books and other Materials)—प्रभावशाली शिक्षण हेतु शिक्षक निर्धारित पाठ्य पुस्तकों तक ही सीमित नहीं रह सकता है । ज्ञान को अधिकाधिक समृद्ध बनाने के लिए उसे अतिरिक्त साहित्य एवं सहायके सामग्री की आवश्यकता होती है । अतः इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सन्दर्भ इकाइयों में सम्बन्धित सन्दर्भ पुस्तकों एवं अन्य सहायक सामग्री की सूची सम्मिलित की जाती है 1
6. मूल्यांकन सम्बन्धी सुझाव ( Suggestions for Evaluation) – शिक्षक किसी प्रकरण के अध्ययन-अध्यापन की सफलता का मूल्यांकन कैसे करें ? किन विधियों-प्रविधियों को अपनाये ? किस पक्ष को कितना महत्त्व दें ? तथा मूल्यांकन में किन सावधानियों पर ध्यान दें ? आदि के बारे में सन्दर्भ इकाइयों में सुझाव दिये जाते हैं। इससे शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में बहुत सहायता मिलती है ।
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