सांवेगिक बुद्धि को विकसित करने के उपाय पर प्रकाश डालें ।
प्रश्न – सांवेगिक बुद्धि को विकसित करने के उपाय पर प्रकाश डालें ।
(Throw light on the means for developing emotional intelligence.)
उत्तर – सांवेगिक बुद्धि को विकसित करने के मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं—
- तनाव शीघ्रता से कम करें (Rapidly Reduce Stress) — अधिक तनाव मस्तिष्क एवं शरीर दोनों पर ही बुरा प्रभाव डालता है। अतः किसी परिस्थिति पर निर्णय लेने से पूर्व उसे अच्छी तरह से समझना चाहिये । यह भी देखना चाहिये कि दूसरे क्या कह रहे हैं। हर समय दूसरों पर दोषारोपण या क्रोध नहीं करना चाहिये, पहले देख लें कि दूसरे की गलती है या नहीं। अपनी भावनाओं एवं आवश्यकताओं की ठीक से जानकारी होनी चाहिये तथा अपनी बात स्पष्ट रूप से दूसरों के सम्मुख रखने की क्षमता होनी चाहिये । शीघ्रता में शान्त होने की कला सीखिए तथा तनाव से युक्त रहने का प्रयास करना चाहिये तभी आप किसी भी तनावपूर्ण परिस्थिति में संतुलित केन्द्रित व नियन्त्रित रह पायेंगे तथा समस्याओं का चुनौतिपूर्ण ढंग से सामना कर पायेंगे।
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित तीन कदम उठाने चाहिए(1) तनाव को महसूस कीजिये (Realize when you are stressed)(2) तनाव की स्थिति में अपनी प्रतिक्रियाएँ परखिये (Identify your stress response)(3) तनाव दूर करने के तरीके अपनाइये जो आप पर लागू होते हों (Discover the stress-busting techniques that work for you)
- भावनात्मक चेतना (Emotional Awareness ) – अपने आप को तथा दूसरों को ठीक से समझने के लिये यह आवश्यक है कि आपमें अपनी भावनाओं में तालमेल बैठाने की योग्यता हो, अपनी भावनाओं की हर क्षण जानकारी हो । साथ ही, यह भी जानकारी होनी चाहिये कि आपकी भावनाएँ आपके विचारों तथा कार्यों को किस प्रकार प्रभावित करती है। कुछ लोग अपनी भावनाओं से बेखबर रहते हैं विशेषकर कठोर एवं दुःखदायी भावनाओं से; जैसे—क्रोध, दुख, डर एवं हर्ष आदि। यह बचपन के नकारात्मक अनुभवों का परिणाम हो सकता है जिसने आपको इस प्रकार की भावनाओं के द्वार बन्द रखना सिखाया हो । यद्यपि हम इन भावनाओं की अनदेखी कर सकते हैं पर हम उन्हें अपने से दूर नहीं कर सकते । वे जहाँ है, वहीं हैं भले ही हम उनके बारे में ध्यान रखें या न रखें। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि भावनात्मक चेतना के अभाव में हम अपनी प्रेरणाओं एवं आवश्यकताओं को पूर्ण तरह नहीं समझ सकते और न ही अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से दूसरों तक सम्प्रेषित कर सकते हैं ।
इसके अन्तर्गत निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक होता है(1) क्या आप अपनी भावनाओं के प्रवाह का अनुभव कर पाते हैं ?(Do you experience feeling that flow)(2) क्या आपकी भावनाओं से शारीरिक संवेदनाएँ जुड़ी होती हैं, जब आप इन भावनाओं को महसूस करते हैं ?(Are your emotions accompanied by physical sensations that you experience)(3) क्या आप पृथक-पृथक भावनाओं एवं संवेगों की अनुभूति करते हैं ?(Do you experience discrete feelings and emotions)(4) क्या आप तीव्र भावनाएँ अनुभव कर सकते हैं ?(Can you experience intense feelings).(5) क्या आप अपने मनोभावों की ओर ध्यान देते हैं ?(Do you pay attention to your emotions)
- अशाब्दिक सम्प्रेषण (Non-Verbal Communication)– एक अच्छे सम्प्रेषक (Communicator) को शाब्दिक कौशलों के अतिरिक्त अशाब्दिक कौशलों में भी पारंगत होना चाहिये । प्रायः यह अधिक महत्त्व नहीं रखता कि आप क्या बोलते हैं बल्कि यह अधिक महत्त्व रखता है कि आप कैसे बोलते हैं, अर्थात् आप बोलते समय कैसे खड़े होते हैं, कैसे बैठते हैं, कितना तेजी से बोलते हैं, कितना जोर से बोलते हैं, अपने हाथों को कैसे बाँधते हैं, अपनी आंखों से किस प्रकार सम्बन्ध साधते हैं आदि। दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिये तथा उनका विश्वास एवं मन जीतने के लिए यह आवश्यक है कि आप अपनी शारीरिक भाषा (Body Language) का कितना ध्यान रखते हैं तथा नियन्त्रण रखते हैं। आपको यह पढ़ने में भी महारथ हासिल करनी चाहिये कि दूसरे लोग जो सांकेतिक भाषा प्रयोग कर रहे हैं उसके प्रति आपकों कैसी प्रतिक्रिया करनी है। आपके अशाब्दिक संदेश एक ओर लोगों में रुचि, विश्वास, उत्तेजना तथा जुड़ाव की भावना भर सकते हैं तो दूसरी ओर ये ही संदेश डर, अविश्वास, अरुचि, संदेह उत्पन्न कर सकते हैं।
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिये(1) दूसरे व्यक्ति पर ध्यान केन्द्रित करें (Focus on the other person)(2) नेत्र – सम्पर्क बनायें (Make eye contact)(3) अशाब्दिक संकेतों की ओर ध्यान दें (Pay attention to non-verbal cues)
- हँसी-मजाक एवं चुनौतियों से खेलें (Use Humour and Play with Challenges) — हास्य-विनोद, हँसी-मजाक, खेल आदि ऐसे प्राकृतिक विषहारी (antidotes) हैं जो जीवन की विषम परिस्थितियों को भी सहज बना देते हैं। ये हमारे बोझ को कम कर देते हैं तथा चीजों के सही तरीके से रख-रखाव में सहायक होते हैं। जो लोग खुलकर दिल से हँसते हैं वे तनाव को आसानी से कम कर लेते हैं, मूड को बेहतर बना लेते हैं, तथा. अपने तान्त्रिक – तन्त्र को वापिस संतुलन में ले आते हैं। खेल मिश्रित वार्तालाप हमारे सांवेगिक वृद्धि के दायरे को विस्तृत बना देती है तथा निम्न प्रकार से आपकी मददगार साबित होती है-
(1) कठिनाइयों को काबू करने में सहायक (Take hardships in stride)(2) सम्बन्धों को सहज बनाने में सहायक (Smooth over differences)(3) स्फूर्ति एवं शक्ति प्रदान करने में सहायक (simultaneously relax and energize yourself)(4) सृजनशक्ति बनाने में सहायक (Become more creative)
- संघर्षों का सकारात्मक हल (Resolve Conflict Positively) – संघर्ष एवं असहमति (इत्तफाक) सम्बन्धों में अपरिहार्य है, अनिवार्य है। इन्हें पूरी तरह दूर नहीं किया जा सकता। कोई भी दो व्यक्ति हर समय एक जैसी आवश्यकताएँ, राय अथवा उम्मीदें नहीं रख सकते । इन संघर्षों को एक स्वस्थ तथा रचनात्मक तरीके से हल करके हम लोगों के बीच विश्वास को मजबूत बना सकते हैं। जब हमारे संघर्ष का स्वरूप डरावना या दण्डात्मक नहीं होता है तब यह संघर्ष हमारे सम्बन्धों में स्वतन्त्रता (खुलापन) सुजनात्मकता तथा सुरक्षा की भावना में बढ़ोतरी करता है। संघर्षों को धनात्मक तथा विश्वासनीय बनाने की योग्यता को पूर्व-वर्णित चार तरीकों ने भी सहमति प्रदान की है। यदि आप एक बार यह सीख जाते हैं कि तनावों से कैसे निपटा जाता है, सांवेगिक रूप से कैसे जागरूक रहा जाता है, अशाब्दिक सम्प्रेषण किस प्रकार किया जाता है, हँसी-मजाक एवं खेल का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है तो इसमें कोई सन्देह नहीं रह जाता है कि आप अपनी विपरीत भावनाओं पर विजय प्राप्त न कर सकें और समस्याओं को बिगड़ने से न रोक सकें।
इसके लिये हमें निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना होगा –(1) वर्तमान पर ध्यान दें (Stay focused in the present)(2) अपने तर्कों का ठीक से चयन करें (Chose your arguments)(3) क्षमाशील बनें (Forgive)(4) अनसुलझे संघर्षों को छोड़ दें (End conflicts that can’s be resolved )संक्षेप में, सांवेगिक बुद्धि में विकास के लिये हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए ?(1) यह देखिये कि लोगों के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं ?(Observe how you react to people)(2) जहाँ आप कार्य करते हैं वहाँ के परिवेश पर ध्यान दीजिये।(Look at your work environment)(3) स्व – मूल्यांकन कीजिये।(Do a self-evaluation)(4) देखिये कि तनावपूर्ण स्थितियों में आप कैसी प्रतिक्रिया करते हैं।(Examine how you react to stressful situations)(5) अपने कृत्यों का उत्तरदायित्व लें।(Take responsibility for your actions)(6) देंखे, आपके कृत्य दूसरों को कैसे प्रभावित करते हैं।(Examine how your actions will affect others)(7) भविष्य की चिन्ता न करें।(Forget future)
कार्यक्षेत्र में कार्य करते हुए सांवेगिक बुद्धि में विकास (Guidelines for promoting EQ the work place)— अपने कार्यक्षेत्र में कार्य करते हुए सांवेगिक बुद्धि में विकास के लिये केरी चेरनिस (Cary Charniss) तथा डेनियल गोलमैन (Daniel Goleman) ने निम्न दिशा-निर्देश तय किये हैं –
- संस्थान की आवश्यकताओं को जानिये (Assess the organization’s needs)
- व्यक्ति को जानिए (Assessing the individual )
- कार्यों का आवंटन सावधानी से कीजिए (Delivering assessments with care)
- सीखने की चाह सर्वोपरि (Maximising learning choice)
- भागीदारी में बढ़ोत्तरी (Encouraging participation)
- लक्ष्यों तथा व्यक्तिगत मूल्यों में मेल (Linkin goals and personal values)
- व्यक्तिगत उम्मीदों में तालमेल (Adjusting individual expectations)
- EQ में वृद्धि हेतु तत्परता एवं प्रेरणा का आकलन (Assessing readiness and motivation)
- नये रास्ते की तलाश (Planning the new way)
- EQ प्रशिक्षकों व अधिगमकत्ताओं के सम्बन्धों में प्रगाढ़ता (Foster relationships between EQ Trainers and Learners)
- स्वनिर्देशित परिवर्तन एवं अधिगम (Self-directed change and learning)
- लक्ष्य निर्धारण Setting goals)
- लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उनका सोपानों में विभाजन’ (Breaking goals down into achievable steps)
- अभ्यास हेतु अवसर (Providing opportunities for practice)
- पृष्ठपोषण प्रदान करना (Give feedback)
- प्रयोगात्मक विधियों का प्रयोग (Using experimental methods)
- सहयोग प्राप्ति (Build in support)
- मॉडल एवं उदाहरणों का प्रयोग (use models and examples)
- सूझ एवं आत्म-चेतना को प्रोत्साहन (Encourage insight and self-awareness)
- व्यवसाय में नये ज्ञान के प्रयोग को प्रोत्साहन (Encourage application of new learnig in jobs)
- High EQ = Low insecurity = More openness.
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here