जीव विज्ञान : हमारा पर्यावरण | Class 10Th Biology Chapter – 8 Notes | Model Question Paper | हमारा पर्यावरण Solutions

जीव विज्ञान : हमारा पर्यावरण | Class 10Th Biology Chapter – 8 Notes | Model Question Paper | हमारा पर्यावरण Solutions

हमारा पर्यावरण

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण
(MEMORABLE FACTS : AT A GLANCE)
> अजैव तथा जैव घटकों से बनी दुनिया को पर्यावरण कहा जाता है।
> पारिस्थितिक तंत्र में अजैव और जैव घटक होते हैं।
> पारिस्थितिक तंत्र के जैव घटक उत्पादक, उपभोक्ता तथा अफ्घटनकर्ता हैं।
> उत्पादक स्वपोषी होते हैं तथा प्रकाशसंश्लेषण से अपना भोजन बनाते हैं।
> पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों के बीच अन्योन्याश्रय संबंध रहता है।
> पारिस्थितिक तंत्र जीवमंडल का एक स्वसंपोषित संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई है।
> पारिस्थितिक तंत्र के अजैव घटक भौतिक वातावरण, पोषण तथा जलवायु हैं।
> उपभोक्ता परपोषी होते हैं तथा ये प्राथमिक स्तर, द्वितीयक स्तर और तृतीयक स्तर के होते हैं।
>  परिस्थितिक तंत्र के सभी जैव घटक शृंखलाबद्ध तरीके से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।
> अपघटनकर्ता सूक्ष्मजीव हैं, जो सूक्ष्मभोक्ता होते हैं।
> एक आहार श्रृंखला का प्रारंभ सदा उत्पादक से होता है।  इसके बाद उपभोक्ता के विभिन्न स्तर जुड़े रहते हैं।
> एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर पर जाने से कुछ ऊर्जा का ह्रास होता है जिसके फलस्वरूप आहार श्रृंखला में पोषी स्तरों की संख्या सीमित रहती है।
> आहार श्रृंखला के हर पोषी स्तर पर भोजन (ऊर्जा) का स्थानांतरण होता है।
> जैव अनिम्नीकरण पदार्थों की मात्रा का उत्तरोत्तर पोषी स्तर में वृद्धि को जैव आवर्धन कहते हैं।
> 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के दौरान यह सहमति बनी की CFC के उत्पादन को 1986 के स्तर पर ही सीमित रखा जाए।
> विभिन्न मानव गतिविधियों से पर्यावरण पर दबाव बढ़ता जाता है।
> वायुमंडल का ओजोन स्तर हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेता है।
>  अपशिष्टों एवं कचरों को जैव निम्नीकरणीय एवं जैव अनिम्नीकरणीय श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।
> ऐरोसॉल में प्रयुक्त CFC जैसे रसायनों से ओजोन स्तर का अवक्षय होता है
> मानव द्वारा निष्कासित विभिन्न प्रकार के कचरे का प्रबंधन एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है।
> अभ्यासार्थ प्रश्न
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. सही उत्तर को संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।
 1. किसी पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा को ग्रहण करने वाले होते हैं
(क) उत्पादक
(ख) उपभोक्ता
(ग) अपघटनकर्त्ता
(घ) सूक्ष्मजीव
उत्तर-(क)
2. निम्नलिखित में कौन उत्पादक है ?
(क) सर्प
(ख) मेढक
(ग) ग्रासहॉपर
(घ) घास
उत्तर – (घ)
3.  मैदानी पारिस्थितिक तंत्र में तृतीयक उपभोक्ता है
(क) हरा पौधा
(ख) मेढक
(ग) ग्रासहॉपर
(घ) सर्प
उत्तर – (घ)
4.  वन- पारिस्थितिक तंत्र में हिरण होते हैं
(क) उत्पादक
(ख) प्राथमिक उपभोक्ता
(ग) द्वितीयक उपभोक्ता
(घ) तृतीयक उपभोक्ता
उत्तर – (ख)
5.  निम्नलिखित में कौन एक आहार-शृंखला बनाते हैं ?
(क) घास, मछली तथा मेढक
(ख) शैवाल,घास तथा ग्रासहॉपर
(ग) घास, बकरी तथा मनुष्य
(घ) गेहूँ, आम तथा मनुष्य
उत्तर – (ग)
6. किसी पारिस्थितिक तंत्र के जैव घटक होते हैं
(क) प्रकाश एवं जल
(ख) पौधे एवं मृदा
(ग) हरे पौधे एवं जल
(घ) गेहूँ, पौधे, जानवर एवं सूक्ष्मजीव
उत्तर – (घ)
7.  पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है ?
(क) एकदिशीय
(ख) द्विदिशीय
(ग) बहुदिशीय
(घ) किसी भी दिशा
उत्तर – (क)
8.  एक आहार श्रृंखला में शाकाहारी से निर्माण होता है –
(क) प्रथम पोषी स्तर का
(ख) द्वितीय पोषी स्तर का
(ग) तृतीय पोषी स्तर को
(घ) चतुर्थ पोषी स्तर का
उत्तर – (ख)
9.  निम्नलिखित में कौन-सा समूह जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का है ?
(क) घास, गोबर पॉलिथीन
(ख) सब्जी, केक, प्लैस्टिक
(ग) फलों के छिलके, गोबर, पेपर
(घ) लकड़ी, दवा की खाली स्ट्रिप्स, चमड़ा
उत्तर – (ग)
10.  ओजोन परत का अवक्षय के लिए मुख्य रूप से कौन जिम्मेवार है ?
(क) CO2
(ख) SO2
(ग) CFC
(घ) NO2
उत्तर – (ग)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1.  जैव घटकों एवं  …….. घटकों से पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण होता है।
उत्तर – अजैव
2.  उत्पादकों को ………….. भी कहा जाता है।
उत्तर – स्वपोषी
3. प्राथमिक उपभोक्ता सामान्यतः ……………होते हैं।
उत्तर – शाकाहारी
4.  मृत उत्पादक एवं उपभोक्ताओं का ………… अपघटनकर्ता द्वारा होता है।
उत्तर – अपघटन
5. आहार श्रृंखला के विभिन्न स्तरों को …….कहते हैं।
उत्तर – पोषी स्तर
6. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह सदा एक ……….. में होता है ।
उत्तर –  दिशा
7.  DDT एक जैव ……… पदार्थ है।
 उत्तर – अनिम्नीकरणीय
8. ओजोन परत के अवक्षय से मनुष्य में त्वचीय ……खतरा बढ़ जाता है।
उत्तर- कैंसर
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 1. पर्यावरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – अजैव तथा जैव घटकों से बनी दुनिया को पर्यावरण कहा जाता है।
 2. पारिस्थितिक तंत्र क्या है ?
उत्तर – पारिस्थितिक तंत्र जीवमंडल का एक स्वसंपोषित संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई है।
3. पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं दो जैव घटकों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) अजैव तथा (ii) जैव।
4. पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं तीन अजैव घटकों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) भौतिक वातावरण, (ii) पोषण तथा (iii) जलवायु ।
 5.  कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र का कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर – (i) चारागाह, (ii) उद्यान ।
6. मैदानी पारिस्थितिक तंत्र के आहार श्रृंखला को नामों से दर्शाएँ।
उत्तर – घास बकरी बाघ ।
7.  उत्पादक किसे कहते हैं।
उत्तर – हरे पौधे जैसे शैवाल, घास, पेड़ इत्यादि ऐसे जीव हैं जिनमें प्रकाशसंश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता है। इस प्रकार के जीवों को उत्पादक कहते हैं।
8.  एक आहार श्रृंखला का प्रथम पोषी स्तर क्या है?
उत्तर – एक आहार श्रृंखला का प्रथम पोषी स्तर आहार श्रृंखला के उत्पादक (हरे पौधे) हैं।
9.  कोई दो जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) प्लास्टिक थैले एवं (ii) बोतलें, अपमार्जक
 10.  निम्नलिखित में से कौन-कौन जैव निम्नीकरणीय हैं ? कागज, DDT, गोबर, प्लैस्टिक की थैली, सब्जी के छिलके।
उत्तर – जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट- कागज, गोबर, सब्जी के छिलके।
11.  किस कारण से कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं तथा कुछ जैव अनिम्नीकरणीय ?
उत्तर – कुछ अपशिष्ट पदार्थों का निबटान आसानी से किया जा सकता है। किन्तु कुछ का जैव अपघटन आसानी से नहीं होता है। इन्हीं गुणों के कारण इसका वर्गीकरण किया गया है।
12. ओजोन स्तर का क्या महत्व है ?
उत्तर – ओजोन स्तर सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी पर के प्राणियों को बचाता है।
13.  CFC का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर – क्लोरो फ्लोरो कार्बन ।
14.  एक रासायनिक यौगिक का नाम लिखें जिससे ओजोन स्तर का अवक्षय होता है।
उत्तर – क्लोरो कार्बन या क्लोरो फ्लोरो कार्बन ।
15. पराबैंगनी विकिरणों से मनुष्य में कौन-सी बीमारी होती है ?
उत्तर – त्वचा कैंसर एवं मोतियाबिन्द ।
16. जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई क्या होती है ?
उत्तर – पारिस्थितिक तंत्र।
17.  समुद्र किस प्रकार का पारिस्थितिक तंत्र है ?
उत्तर – प्राकृतिक ।
18. अपने पोषण के लिए उत्पादकों पर पूर्णरूपेण निर्भर रहनेवाले जीवों को क्या कहते हैं ?
उत्तर – उपभोक्ता ।
19.  वैसे जीव, जो पौधे, जंतु दोनों खाते हैं, को क्या कहते हैं ?
उत्तर – सर्व भक्षी
20. जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीव को क्या कह सकते हैं ?
उत्तर – अपघटनकर्ता या अपमार्जक।
21.  एक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का कार्य कौन करता है ?
उत्तर – शैवाल।
22.  पृथ्वी तक पहुँचनेवाली सौर ऊर्जा का कितना भाग उत्पादक ग्रहण कर रासायनिक उर्जा में परिवर्तित करता है ?
उत्तर – 14
23. आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल उर्जा का कितना हिस्सा अगले पोषी स्तर में स्थानांतरित होता है ?
उत्तर – 10%
24.  जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा का पहले पोषी स्तर से दुसरे पोषी स्तर में क्रमश: होनेवाली वृद्धि को क्या कहते हैं ?
उत्तर – जैव आवर्धन।
25. रेडियोधर्मी पदार्थ किस प्रकार के अपशिष्ट है ?
उत्तर – अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट ।
26. अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाए तो किस प्रकार की आकृति बनती है ?
उत्तर – पिरामिड की।
27.  कागज और कपास से निर्मित कपड़े किस प्रकार के अपशिष्ट है ?
उत्तर – जैविक अपशिष्ट
28. धरती पर स्थित सभी जंतुओं को किस श्रेणी में रखा जाता है ?
उत्तर – पर्यावरण या वातावरण।
29.  तिलचट्टा एवं मनुष्य किस प्रकार का जीव है ?
उत्तर – सर्वभक्षी ।
30. आहार श्रृंखलाओं के जाल को क्या कहते हैं ?
उत्तर – आहार जाल।
31. अधिकतम उर्जा किस स्तर पर संचित रहती है ?
उत्तर – उत्पादक स्तर (हरे पौधे )
32. आहार श्रृंखला में मनुष्य का क्या स्थान है ?
उत्तर – प्राथमिक एवं द्वितीयक उपभोक्ता ।
33.  हमारे खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायनों का जमाव किस क्रिया द्वारा होता है ?
उत्तर – जैव आवर्धन द्वारा।
34.  किस क्षेत्र के ऊपर ओजोन स्तर में आई कमी को सामान्यतः ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है ? ।
उत्तर – अंटार्कटिका
35.  ऐरोसोल के उपयोग से वायुमंडल एवं जीव मंडल सम्मिलित रूप से किसका निर्माण करते हैं ?
उत्तर – ओजोन मंडल का।
36.  जलमंडल, स्थलमंडल, वायुमंडल एवं जीवमंडल सम्मिलित रूप से किसका निर्माण करते हैं ?
उत्तर – पर्यावरण ।
37.  उपभोक्ता को कितने श्रेणियों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर – तीन श्रेणियों में।
 38. वन पारिस्थितिक तंत्र में घास का पोषी स्तर क्या होता है ?
उत्तर – प्रथम उत्पादकता।
 39.  एक वन पारिस्थितिक तंत्र में चिड़ियों का क्या स्थान है ?
उत्तर – तृतीय पोषी स्तर।
 40.  एक मैदानी पारिस्थितिक तंत्र के आहार श्रृंखला में गिद्ध कहाँ आते हैं ?
उत्तर – चतुर्थ पोषी स्तर।
41. क्या उर्जा का स्थानांतरण उपभोक्ता से उत्पादक की ओर हो सकता है ?
उत्तर – नहीं।
 42.  CFC के टूटने से किस गैस की उत्पत्ति होती है जो ओजोन से प्रतिक्रिया करता है ?
उत्तर – आण्विक तथा परमाण्विक ऑक्सीजन में।
> लघु उत्तरी प्रश्न
1. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का क्या कार्य है ?
उत्तर – उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र का महत्त्वपूर्ण घटक है। हरे पौधे एकमात्र उत्पादक हैं। यह प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया के फलस्वरूप कार्बनिक यौगिक (कार्बोहाइड्रेट) का निर्माण करते हैं जो हरे पौधे में विभिन्न रूपों में ऊतकों में संचित रहता है। ये हरे पौधे पर ही पारिस्थितिक तंत्र के सारे सजीव निर्भर करते हैं अर्थात् यह सभी सजीवों को पोषण प्रदान करते हैं।
2. आहार श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – आहार श्रृंखला पारिस्थितिक तंत्र का महत्त्वपूर्ण तरीका है। इसमें ऊर्जा का श्रृंखलाबद्ध संचार होता है। एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवाह उसमें स्थित श्रृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है। जीवों की इस श्रृंखला को आहार श्रृंखला कहते हैं अर्थात् आहार श्रृंखला, शृंखलाबद्ध तरीके से एकपथीय दिशा में व्यवस्थित वैसे जीवों के समूह हैं जिसमें एक जीव, श्रृंखला में अपने से ठीक नीचे स्थित जीव को खाता है तथा स्वयं उसी श्रृंखला में अपने से ठीक ऊपर स्थित जीव द्वारा खाया जाता है।
उदाहरण :
 3. पोषी स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण देकर विभिन्न पोषी स्तर को बताएँ।
उत्तर – आहार श्रृंखला में कई पोपी स्तर होते हैं। प्रत्येक स्तर पर भोजन का स्थानान्तरण होता है। आहार श्रृंखला के इन्हीं स्तरों को पांपी स्तर कहते हैं।
 उच्च मांसाहारी जन्तु ( चतुर्थ पोषी स्तर)
मांसाहारी जन्तु ( तृतीय पोषी स्तर )
शाकाहारी जन्तु (द्वितीय पोषी स्तर )
उत्पादक (प्रथम पोषी स्तर)
4. आहार जाल का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर – पारिस्थितिक तंत्र में एक साथ कई आहार शृंखलाओं का निर्माण होता है। ये आहार शृंखला हमेशा सीधी नहीं होकर एक-दूसरे से आड़े-तिरछे जुड़कर एक जाल-सा बनाती आहार – श्रृंखलाओं के इस जाल को आहार जाल कहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि पारिस्थितिक तंत्र उपभोक्ता एक से अधिक स्रोत का उपयोग करते हैं।
चित्र: एक घास के मैदानवाले पारिस्थितिक तंत्र में स्थित आहार-जाल
5.  पारिस्थितिक तंत्र में अपघटनकर्त्ता को क्या भूमिका होती है ?
उत्तर – पारिस्थितिक संतुलन को कायम रखने में अपघटन की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह पौधे तथा जन्तुओं के मृत शरीर तथा अन्य वर्ज्य पदार्थों का जीवाणुओं और कवकों के द्वारा अपघटन के करता है। ये जीवाणु मृत जीवों के शरीर में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों में मुक्त कर देते हैं। जो विभिन्न गैसों के रूप में वायुमंडल में चले जाते हैं। अन्य ठोस एवं द्रव्य पदार्थ मिट्टी में मिल जाते हैं। इस प्रकार यह पारिस्थितिक संतुलन कायम करने का प्रयास करता है।
6.  उत्पादक और उपभोक्ता में क्या अंतर है ?
उत्तर  – उत्पादक और उपभोक्ता में निम्न अंतर है
उत्तर :
उत्पादक उपभोक्ता
(1) ऐसे जीव जो प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन बनाते हैं उन्हें उत्पादक कहते हैं। 

(2) हरे पौधे उत्पादक जीव कहलाते हैं।

(1) ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहते हैं। 

(2) सारे जंतु उपभोक्ता कहलाते हैं।

7.  पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शायें।
उत्तर –
8.  जैव आवर्धन किसे कहते हैं ?
उत्तर – बहुत से रासायनिक उत्पादकता बढ़ाने एवं इन्हें रोगों से बचाने के लिए किया जाता है। आहार श्रृंखला द्वारा ये रसायन विभिन्न पोषी स्तरों से अंततः मानव शरीर में प्रविष्ट हो जाता है। मिट्टी या जल से पौधों के शरीर में सर्वप्रथम इन हानिकारक रसायनों का प्रवेश होता है जो जन्तुओं से होता हुआ मनुष्य के शरीर में आता है; क्योंकि आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ जीव है। इस क्रिया के दौरान जैव अनिम्नीकरणीय (non-biodegradable) पदार्थों की मात्रा पहले पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में क्रमश: बढ़ती जाती है। इस क्रिया को जैव-आवर्धन (bio-magnification) कहते हैं। इसी क्रिया के चलते हमारे खाद्य पदार्थों (फल, सब्जी, माँस, मछली तथा खाद्यान्नों) में हानिकारक रसायन एकत्रित हो जाते हैं जिसे पानी से धोने या अन्य तरीकों से भी अलग नहीं किया जा सकता । इनके सेवन से मनुष्य में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पैदा होती हैं ।
9.  जैव अनिम्नीकरण अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुँचती है ?
उत्तर – जैव अनिम्नीकरण अपशिष्टों से पर्यावरण को निम्नलिखित हानि पहुँचती है ?
(i) जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण में लम्बे समय तक रहते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये पदार्थों के चक्रण में बाधा पहुँचाते हैं।
(ii) जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार होकर बाद में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिलकर पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं।
(iii) वे खाद्य शृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह-तरह की हानि पहुँचाते हैं।
(iv) ये जल प्रदूषण करते हैं जिससे जल पीने योग्य नहीं रहता।
(v) ये भूमि प्रदूषण करते हैं जिससे भूमि की सुन्दरता नष्ट होती है।
(vi) ये वायुमंडल को भी विषैला बनाते हैं।
10. कचरा प्रबंधन कैसे किया जाता है ?
उत्तर – विभिन्न स्थानों से प्राप्त कचरे को एक जगह एकत्र कर उसका वैज्ञानिक तरीके से
समुचित निपटारा करने को कचरा प्रबंधन कहते हैं। बड़े-बड़े शहरों में कचरे को एकत्र करने के लिए बड़ी बड़ी धानियाँ रखी जाती हैं। जैव निम्नीकरणीय एवं जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के लिए अलग-अलग धानियाँ रहती हैं। कचरे को अलग-अलग छाँटकर कुछ कचरे का पुनःचक्रण किया जाता है। जिस कचरे का पुनःचक्रण संभव नहीं है उसे शहर से बाहर गड्ढे में डालकर ढँक दिया जाता है। द्रव कचरे जैसे मल, जल एवं अन्य रसायन को पाइपों के द्वारा एक जगह एकत्रित कर समुचित निपटारा किया जाता है। इस तरह कचरे का प्रबंधन किया जाता है।
11. ओजोन क्या है ? इसके स्तर में अवक्षय होने से हमें क्या नुकसान हो सकता है ?
उत्तर – ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना यह एक गैस है। जो वायुमंडल में 15 किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर ऊँचाई वाले क्षेत्र के बीच एक स्तर के रूप में पाया जाता है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकता है।
कुछ रसायन जैसे क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC), फ्लोरोकार्बन (FC) ओजोन से अभिक्रिया कर आण्विक (O2) एवं परमाण्विक (O) ऑक्सीजन के रूप में विखंडित कर ओजोन स्तर को अवक्षय कर रहे हैं। इसके अवक्षय होने से सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुँच जायेंगे। इससे सभी जीव-जन्तुओं को हानि पहुँच सकता है। अंटार्कटिका के ऊपर जान के स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र तक कहा जा रहा है। ऐसा होने से हिमालय बर्फ पिघल सकता है और समुद्र का जल स्तर अधिक ऊपर उठ जायेगा जिससे बड़े समुद्र के किनारे बसे शहर पानी से डूबा सकते हैं।
12. अगर किसी पोषी स्तर के सभी जीवों को नष्ट कर दिया जाए तो इसका पारिस्थितिक तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर – यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार शृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी। उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी कि वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है।
13. ऐरोसॉल रसायन के हानिकारक प्रभाव क्या हैं ?
उत्तर – कुछ कॉस्मेटिक पदार्थों, सुगंधियाँ, झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक आदि डिब्बों में बन्द आते हैं। ये फुहारे या झाग के रूप में बाहर निकलते हैं। इन्हें ऐरोसॉल कहा जाता है। इनके उपयोग से क्लोरोफ्लोरो कार्बन निकलता है। जो वायुमंडल के ओजोन स्तर को नष्ट करता है।
 14.  जैव अनिम्नीकरणीय एवं जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में क्या अंतर है ? उदाहरणसहित समझाएँ।
उत्तर- जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट प्रदूषण के ऐसे कारक जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात प्राकृतिक विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। विभिन्न प्रकार के रसायनों जैसे कीटनाशक एवं पीड़कनाशक, DDT, शीशा, आर्सेनिक, ऐलुमिनियम, कारक जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों के उदाहरण हैं।
> जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट – ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुनः उपयोग में आनेवाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जंतुओं के मल-मूत्र, वाहितमल, कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, कागज, कपास से निर्मित कपड़े, जंतुओं और पेड़-पौधों के मूल शरीर, साधारण घरेलू अपशिष्ट जैसे प्रदूषण के कारक ऐसे जैविक अपशिष्ट पदार्थों के उदाहरण हैं।
15.  निचले पोषी स्तर पर सामान्यतः ऊपरी पोषी स्तर की तुलना में जीवों की संख्या अधिक क्यों रहती है ?
उत्तर –  आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा के 10 प्रतिशत ऊर्जा का ही स्थानांतरण अगले पोषी स्तर को हो पाता है तथा शेष 90 प्रतिशत ऊर्जा का व्यवहार विभिन्न प्रकार से हो जाता है। इस तरह विभिन्न पोषी स्तरों पर उपलब्ध होनेवाली ऊर्जा में उत्तरोत्तर ह्रास या कमी होती जाती है। उदाहरण के लिए, मान लिया जाय कि अगर घास में 10,000 किलोकैलोरी ऊर्जा संचित है, तो मात्र 1000 किलो कैलोरी ऊर्जा ही ग्रासहॉपर को उपलब्ध होगी। इसी प्रकार मात्र 100 किलोकैलोरी ऊर्जा मेढक को तथा मात्र 10 किलोकैलोरी ऊर्जा सर्प को उपलब्ध होगी। इस प्रकार हम पाते हैं कि अधिकतम ऊर्जा, उत्पादक (हरे पौधे) स्तर पर संचित है तथा इस ऊर्जा में हर पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर कमी आती जाती है। अर्थात् शाकाहारी, तीसरे और चौथे पोषी स्तरों पर स्थित मांसाहारी की अपेक्षा ज्यादा ऊर्जा समृद्ध भोजन का उपयोग करते हैं।
> दीर्घ उत्तरीय प्रश्ना
1. पारिस्थितिक तंत्र की संरचना का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर – पारिस्थितिक तंत्र जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होता है। यह ऊर्जा के लिए पूर्ण रूप से सूर्य पर निर्भर रहता है। पारिस्थितिक तंत्र के मुख्य अवयव दो हैं— 1. अजैव अवयव तथा 2. जैव अवयवा
इन दोनों के सम्मिलित रूप से पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण होता है। मृदा, वायु, जल, प्रकाश, आदि अजैव घटक हैं। हरे पौधे, मनुष्य, अन्य सजीव आदि जैव घटक हैं। किसी क्षेत्र के अजैव जैव घटकों में लगातार पारस्परिक क्रिया होती रहती है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते ताप एवं हैं। अपने अस्तित्व के लिए दोनों एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
अगर हम किसी बगीचे का अवलोकन करने पर देखते हैं तो विभिन्न प्रकार के छोटे एवं बड़े पेड़-पौधे, आस-पास में विभिन्न प्रकार की तितलियों, कीड़े, पक्षी, मेढक आदि दिखाई देंगे। इन जीवों के बीच पारस्परिक क्रिया होती रहती है। जिससे इनकी वृद्धि, जनन एवं अन्य जैविक क्रियाएँ प्रभावित होती हैं। तालाब भी पारिस्थितिक तंत्र का एक अच्छा उदाहरण है।
2.  पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह किस प्रकार होता है ?
उत्तर – जीवमंडल में ऊर्जा का मूल स्रोत सौर ऊर्जा है। उत्पादक इसे प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान ग्रहण करते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा रासायनिक ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट के रूप में मुक्त होती है। जो पौधे में अनेक रूपों में संचित रहती है। जब हरे पौधे को शाकाहारी जन्तु खाते हैं। तब यह संचित ऊर्जा स्थानांतरित होकर इन जन्तुओं यानी प्राथमिक उपभोक्ता में है। इसके कुछ ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा के रूप में मुक्त हो जाती है। शेष संचित ऊर्जा उसके शरीर में संचित रहती है। जब द्वितीय उपभोक्ता उसे खाता है तो वह ऊर्जा उसमें स्थानांतरित हो जाता है। इस तरह द्वितीयक उपभोक्ता से ऊर्जा तृतीयक उपभोक्ता । इस प्रकार ऊर्जा का प्रवाह होता है।
ऊर्जा का प्रवाह सदा एक दिशा में ही होता है। आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा के 10 प्रतिशत ऊर्जा का ही स्थानान्तरण अगले पोषी स्तर को हो पाता है तथा शेष 90 प्रतिशत ऊर्जा का व्यवहार विभिन्न प्रकार से हो जाता है। इस प्रकार विभिन्न पोषी स्तरों पर उपलब्ध होने वाले ऊर्जा में उत्तरोत्तर कमी होती जाती है।
इस प्रकार हम पाते हैं कि अधिकतम ऊर्जा उत्पादक स्तर पर संचित है तथा इस ऊर्जा में हर पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर कमी आती है। इस तरह ऊर्जा का प्रवाह होता है।
3. पीड़कनाशी अगर अपघटित न हो तो आहार शृंखला में उसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर – आहार श्रृंखला का एक आयाम यह है कि हमारी जानकारी के बिना ही कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला से होते हुए हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं। हम जानते हैं कि जल प्रदूषण किस प्रकार होता है। इसका एक कारण है कि विभिन्न फसलों को रोग एवं है पीड़कों से बचाने के लिए पीड़कनाशक एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करना है। ये रसायन बहकर मिट्टियों में अथवा जल स्रोत में चले जाते हैं। मिट्टी से इन पदार्थों का पौधे द्वारा जल एवं खनिजों के साथ-साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से यह जलीय पौधों एवं जंतुओं में प्रवेश कर पाते हैं। यह केवल एक तरीका है जिससे यह आहार श्रृंखला में प्रवेश करते हैं। क्योंकि यह पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, यह प्रत्येक पोषी- स्तर पर उत्तरोत्तर संग्रहित होते जाते हैं। क्योंकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है, अतः हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं। इसे जैव आवर्धन कहते हैं। यही कारण है कि हमारे खाद्यान्न गेहूँ तथा चावल, सब्जियाँ, फल तथा मांस में पीड़क रसायन के अवशिष्ट विभिन्न मात्रा में उपस्थित होते हैं।
वास्तव में पीड़कनाशी का अपघटन आहार श्रृंखला में नहीं होता है। ये पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर जनक होते जाते हैं। जिसके कारण हमारे खाद्यान्न में ये उपस्थित रहते हैं। जिन्हें हम इसे धोकर या किसी अन्य प्रकार से अलग नहीं कर सकते हैं।
4.  किसी पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता के बारे में समझाएँ।
उत्तर – किसी पारिस्थितिक तंत्र के उपभोक्ताओं को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है
(i) प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers) — वनों में पाये जाने वाले सभी शाकाहारी
जन्तुओं को इसके अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है। ये शाकाहारी जन्तु हरे पेड़-पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। अतः इन्हें प्राथमिक उपभोक्ता कहते हैं।
उदाहरण – हिरण, बकरी, गाय, बन्दर, गिलहरी, टट्टू, हाथी ।
(ii) द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumers ) – इसके अन्तर्गत मांसाहारी जन्तुओं को सम्मिलित किया गया है क्योंकि ये प्राथमिक श्रेणी में उपभोक्ता तथा शाकाहारी जन्तुओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। चूँकि ये प्राथमिक श्रेणी के उपभोक्ता को खाकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। अतः उन्हें द्वितीयक श्रेणी का उपभोक्ता कहते हैं। उदाहरण—गिरगिट, लोमड़ी, साँप, छिपकली आदि।
(iii) तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumers) – सर्वोच्च मांसाहारी जन्तुओं को इसके अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है। ये जन्तु द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ताओं को खाकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं तथा इसके पश्चात इन्हें खाने वाले अन्य जन्तु नहीं होते हैं। इसलिए इन्हें सर्वाहारी भी कहा जाता है। उदाहरण – बाघ, चीता, शेर आदि ।
5.  ओजोन छिद्र से आप क्या समझते हैं ? यह कैसे उत्पन्न होता है ? इससे होनेवाली हानियों के बारे में लिखें।
उत्तर – वैज्ञानिकों के अध्ययन से यह पता चला है कि 1980 के बाद ओजोन स्तर में तीव्रता से गिरावट आई है। अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन के स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है।
विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत की क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरो कार्बन की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। 1998 तक क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने की बात कही गई । सन् 1992 में माँट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFC पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरो कार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है। ओजोन परत पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है ।
इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UHEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC ) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। इससे होने वाली निम्नलिखित हानियाँ हैं –
(1) इनका प्रभाव त्वचा पर पड़ता है जिससे त्वचा के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
(ii) पौधों में वृद्धि दर कम हो जाती है।
(iii) ये सूक्ष्म जीवों तथा अपघटकों को मारती हैं इससे पारितंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।
 (iv) ये पौधों में पिगमेंटों को नष्ट करती हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
> वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।
1.  निम्नलिखित में किसका उपचार ( पुनःचक्रण ) होता है ?
 (क) प्लास्टिक बाल्टी
 (ख) प्लास्टिक थैले
 (ग) प्लास्टिक मग
 (घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ)
2. किनका पुनःचक्रण होता है ?
 (क) काँच
 (ख) फैक्ट्री वर्ज्य पदार्थ
 (ग) पेट्रोलियम
 (घ) कोयला
उत्तर – (क)
3. वनों की अधिक कटाई का परिणाम होगा ?
(क) कम वर्षा
(ख) भूस्खलन
(ग) भूमि अपरदन तथा बाढ़
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख)
4.  प्रकृति में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है
(क) कोयला
(ख) सूर्य
(ग) पानी
(घ) वायु
उत्तर – (ख)
5.  पौधों पर अपने भोजन के लिए निर्भर जन्तुओं को
(क) मांसाहारी कहते हैं
(ख) शाकाहारी
(ग) सर्वाहारी कहते हैं
(घ) उत्पादक कहते हैं
 उत्तर – (घ)
6.  निम्नलिखित में से कौन स्थलीय पारितंत्र नहीं है
(क) जंगल
(ख) एक्वेरियम
(ग) घास के मैदान
(घ) मरुस्थल
उत्तर – (ख)
7.  CFC है
(क) क्लोरोफ्लोरो कार्बन
(ख)कार्बन फ्लोरीन कार्बन
(ग) कार्बनफ्लोरो कार्बन
(घ) कार्बन फ्लोरो क्लोरो
उत्तर – (क)
8.  मृत शरीर को पचाने वाले जीवों को –
(क) उत्पादक कहते हैं
(ख) अपघटक जीव कहते हैं
(ग) स्वपोषी कहते हैं
(घ) परभोक्ता कहते हैं
उत्तर – (ख)
9.  तापमान, वर्षा, पवन आदि पर्यावरण के
(क) जैविक कारक हैं
(ख) भौतिक कारक हैं
(ग) मृदीय कारक हैं
(घ) कारक नहीं हैं
उत्तर – (ख)
10.  ऐसे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा सरल अणुओं में तोड़े जा सकते हैं, कहलाते हैं
 (क) जैव निम्नीकरणीय
 (ख) अजैव निम्नीकरणीय
 (ग) निम्नीकरणीय
 (घ) इनमें से कोई नहीं
 उत्तर – (क)
11.  निम्न में से कौन आहार शृंखला का निर्माण करते हैं
(क) घास, गेहूँ, आम
(ख) घास, बकरी मानव
(ग) बकरी, गाय, हाथी
(घ) घास, मछली, बकरी
उत्तर – (ख)
12.  निम्नांकित में से कौन पर्यावरण मित्र व्यवहार कहलाते हैं ?
(क) कपड़े के थैले का उपयोग
(ख) बेमतलब पंखे न चलाना
(ग) स्कूटर पर विद्यालय न जाकर पैदल जाना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(घ)
13.  प्रथम पोषी स्तर से संबंधित कौन हैं ?
(क) स्वपोषी अथवा उत्पादक
(ख) उपभोक्ता
(ग) अपशिष्ट
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क)
14.  हरे पौधे अपने भोजन के लिए सौर ऊर्जा का कितने प्रतिशत भाग का उपयोग करते हैं?
(क) 4%
(ख) 2%
(ग) 3%
(घ) 1%
उत्तर – (घ)
15.  भोजन की कितने प्रतिशत मात्रा उपभोक्ता के अगले स्तर तक पहुँचाता है ?
(क) 20%
(ख) 10%
(ग) 40%
(घ) 30%
उत्तर – (ख)
16. ओजोन परत की क्षति का मुख्य कारण क्या है ?
(क) क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs )
(ख) कार्बन
(ग) कार्बन मोनोऑक्साइड
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क)
17. अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार क्यों दिया जाता है ?
(क) जीव-संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए
(ख) उत्पादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए
(ग) उपभोक्ता के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (क)
II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।
1. कणिकीय प्रदूषकों को से गुजारा होता है।
उत्तर – फैब्रिक फिल्ट
2. वायुमंडल के ऊपरी क्षेत्र में 15 कि.मी. से ………..  तक …………की एक सतह है।
उत्तर – 60 कि.मी., ओजोन
3.  मानव तथा उसके पर्यावरण में एक  …….संबंध है।
उत्तर – सह
4.  फसलों को फेर-बदल कर उगाने को अपरदन……….. होता है।
उत्तर – फसल चक्रण
5.  वन काटने से ……….अपरदन होता है।
उत्तर – मृदा
6. जल प्रदूषण का बिन्दु स्रोत ……… हैं।
उत्तर – शक्तिसंयंत्र
7.  प्रदूषक गैसीय अथवा ……….अवस्था में होते हैं।
उत्तर – कणिकीय
8. बाइसनोसिस एक  ………… रोग है।
 उत्तर – व्यावसायिक
9. …………ओजोन परत का ह्रास करते हैं।
उत्तर – क्लोरोफ्लोरोकार्बन
> अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1.  ऐसे पदार्थों को क्या कहते हैं जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं।
उत्तर – जैव निम्नीकरण।
2. किसी मानव-निर्मित पारितंत्र का नाम लिखें।
उत्तर – खेत, बगीचा
3. नीलहरित शैवाल किस पोषी स्तर से सम्बन्धित है ?
उत्तर – उत्पादक।
4. एक सर्वाहारी जीव का नाम लिखें।
उत्तर – कुत्ता।
5.  एक स्थलीय पारितंत्र में हरे पौधों की पत्तियों द्वारा प्राप्त होनेवाली सौर ऊर्जा का लगभग कितना प्रतिशत खाद्य ऊर्जा में रूपान्तरित होता है ?
उत्तर – 10%
6. पर्यावरण के मुख्य कारक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – (a) जैविक कारक, (b) अजैविक कारक।
7.  जैविक कारकों के दो उदाहरण दें। ।
उत्तर – पौधे तथा जन्तु ।
8.  किन्हीं दो अजैविक कारकों के नाम लिखें।
उत्तर – (a) प्रकाश, (b) मृदा।
9.  ऐसे दो पदार्थों के नाम लिखें जिनका अपघटन नहीं होता।
उत्तर – कोयला एवं प्लास्टिक।
10. अपशिष्ट पदार्थों का वर्गीकरण करें।
उत्तर – (a) जैव निम्नीकरणीय,
(b) जैव अनिम्नीकरणीय।
11. पारितंत्र के कितने अवयव हैं ?
उत्तर – (a) जैविक घटक,
(b) अजैविक घटक।
12. पारितंत्र के उदाहरण दें।
उत्तर – वन, तालाब, समुद्र आदि ।
 13. कौन-से जीव उत्पादक कहलाते हैं ?
उत्तर – हरे पौधे ।
14. तीन जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर – जंतुओं और पेड़-पौधों के मृत शरीर, कागज एवं कपास से निर्मित कपड़े।
15. अपशिष्ट किसे कहते हैं ?
उत्तर – दैनिक गतिविधियों से उत्पन्न अनावश्यक पदार्थों को अपशिष्ट कहा जाता है।
16. किसी मानव निर्मित पदार्थ का उदाहरण दें जिसका अपघटन नहीं हो सकता
 उत्तर – प्लास्टिक ।
17.  पारितंत्र का निर्माण कैसे होता
उत्तर – जीवमंडल के विभिन्न घटक तथा उसके बीच ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान, सभी एक साथ मिलकर पारितंत्र का निर्माण करते हैं।
18. अपमार्जक किसे कहते हैं ?
उत्तर – जीवाणु एवं कवक जैसे सूक्ष्मजीव, जो जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं, अपमर्जक (decomposer) कहलाते हैं
19. आहार श्रृंखला क्या है ?
उत्तर – विभिन्न जैविक स्तरों पर भाग लेनेवाले जीवों की श्रृंखला को आहार श्रृंखला कहते हैं ।
20.  पोषी स्तर किसे कहते हैं ?
उत्तर – आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण पोषी स्तर कहलाता है।
21. आहार-जाल क्या है ?
उत्तर – आहार शृंखलाओं के जाल को आहार-जाल कहते हैं ।
22. ऊर्जा का प्रवाह किस प्रकार का होता है ?
उत्तर –  एकदिशीय।
23. जल प्रदूषण के दो मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर – घरेलू अपमार्जक एवं वाहित मल तथा उद्योगों से निकलनेवाले वर्ज्य पदार्थ |
24. ओजोन हमारे लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – वायुमंडल के ऊपरी स्तर पर अवस्थित ओजोन परत सूर्य से आनेवाले पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी एवं इसके जीवों को सुरक्षा प्रदान करता है।
25.  ओजोन का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर – वायुमंडल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन अणुओं से ओजोन का निर्माण होता है।
26. ओजोन छिद्र किसे कहते हैं ?
उत्तर – अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन स्तर में आई कमी को ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है।
 27.  विभिन्न किन पदार्थों को अपशिष्ट पदार्थ होते हैं ?
उत्तर – विभिन्न वे पदार्थ जो हमारे लिए अनुपयोगी और व्यर्थ हो जाते हैं उन्हें अपशिष्ट पदार्थ कहते हैं।
28. हमारे द्वारा खाए गए भोजन का पाचन किनकी सहायता से होता है ?
उत्तर – विभिन्न एंजाइमों की सहायता से।
29.  किस मानव निर्मित पदार्थ का अपघटन जीवाणुओं और मृतजीवियों के द्वारा नहीं हो पाता ?
उत्तर – प्लास्टिक का
30. प्लास्टिक पर किन भौतिक प्रक्रमों का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर –  ऊष्मा और दांब का प्रभाव।
31. ‘जैव निम्नीकरणीय’ पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर – वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघंटित हो जाते हैं उन्हें ‘जैव निम्नीकरणीय’ कहते हैं।
32. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर – वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघटित नहीं हो पाते उन्हें अजैव निम्नीकरणीय कहते हैं।
33. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – प्लास्टिक एवं काँच।
34.  कोई दो उदाहरण दीजिए जो प्रकाश संश्लेषण को क्षमता रखते हैं।
उत्तर –  हरे पौधे और नीले हरित शैवाल ।
35. जीव-मण्डल किसे कहते हैं
उत्तर – पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्राकृतिक क्षेत्र तथा उसमें पाए जाने वाले सभी जीव-जंतु परस्पर मिलकर जीवमंडल कहलाते हैं।
36. जनसंख्या को परिभाषित करें।
उत्तर – किसी भी प्रजाति के एक स्थान पर पाए जाने वाले जीवों की कुल संख्या जनसंख्या कहलाती है।
37.  समाज का निर्माण कैसे होता है ?
किसी क्षेत्र में जीवों की कुल जनसंख्या सम्मिलित रूप में जैव समाज का निर्माण करती है।
 38. किसी पारिस्थितिक तंत्र के घटक लिखिए।
 उत्तर – जैव, अजैव तथा अपघटक किसी पारिस्थितिक तंत्र के घटक हैं।
39. जीव मंडल, जीव समुदाय, आबादी और पारिस्थितिक तंत्र को क्रमानुसार लिखें।
उत्तर –  आबादी < जीव समुदाय < पारिस्थितिक तंत्र < जीव-मंडल |
40.  सर्वभक्षी या सर्वाहारी किसे कहते हैं ?
उत्तर – वे जीव जो भोजन के लिए पौधे एवं जंतुओं दोनों का उपयोग करते हैं उन्हें सर्वभक्षी या सर्वाहारी कहते हैं जैसे—मानव!
41.  विश्व के किन्हीं दो पारिस्थितिक तंत्रों के नाम बताएँ।
उत्तर – वन तथा महासागर।
42.  घास –  कीट – मेडक –  पक्षी – मानव। इस आहार (i) सबसे अधिक ऊर्जा उपलब्ध होगी (ii) किसको सबसे कम ?
उत्तर –  कीट को सबसे अधिक तथा मानव को सबसे कम ऊर्जा उपलब्ध होगी।
43.  किसी जलीय आहार श्रृंखला का उदाहरण लिखिए।
उत्तर – काई या शैवाल छोटे जंतु → मछली → बड़ी मछली ।
44.  किसको अधिक ऊर्जा उपलब्ध होगी शाकाहारी को या मांसाहारी को ?
उत्तर – शाकाहारी को मांसाहारी की अपेक्षा अधिक ऊर्जा उपलब्ध होगी।
45. प्लवक (प्लैंक्टन) क्या होते हैं ?
उत्तर – प्लवक, अत्यधिक छोटे या सूक्ष्म जीव होते हैं, जो तालाब, नदी, समुद्र आदि की सतह पर स्वतंत्र रूप से तैरते रहते हैं।
46.  पादप प्लवक क्या होते हैं ?
उत्तर- पादप प्लवक बहुत छोटे जलीय पौधे होते हैं जो तालाब, झील, नदी या सागर में पानी की सतह पर स्वतंत्र रूप से तैरते रहते हैं।
 47.  प्राणी प्लवक क्या होते हैं ?
उत्तर – यह बहुत छोटे, सूक्ष्म जलीय जंतु होते हैं जो तालाब, झील, नदी या सागर में पानी की सतह पर स्वतंत्र रूप से तैरते रहते हैं।
48.  ऊर्जा को स्थानांतरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर – ऊर्जा अजैव पर्यावरण के माध्यम से जीवों में प्रवेश करती है तथा ऊष्मा के रूप में मुक्त होती है।
49. जीव-मंडल में ऊर्जा का स्थानांतरण किस सिद्धांत के अनुसार होता है ?
उत्तर – ऊष्मा गति के सिद्धांत के अनुसार।
50. जैव यौगिकीकरण क्या है ?
उत्तर – जीवाणुओं तथा शैवाल द्वारा किए गए नाइट्रोजन स्थिरीकरण को जैव यौगिकीकरण कहते हैं।
51. गिद्ध तथा चील किस प्रकार हमारे जैविक पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण घटक हैं ?
उत्तर – गिद्ध तथा चील मुर्दाखोर हैं क्योंकि वे मृत जीवों पर निर्वाह करते हैं और वे पोषकों के चक्रण में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
52.  द्वितीय पोषी स्तर के प्राणी कौन-से होते हैं ?
उत्तर – शाकाहारी अथवा प्राथमिक उपभोक्ता ।
53.  तृतीय पोषी स्तर के प्राणियों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – शेर एवं चीता।
54.  स्वपली सौर प्रकाश में निहित ऊर्जा को किस ऊर्जा में बदल देते हैं ?
उत्तर – रासायनिक ऊर्जा में।
55.  हरे पौधे अपने भोजन के लिए सौर ऊर्जा का कितने प्रतिशत भाग का उपयोग करते हैं?
उत्तर – 1%
56.  भोजन की कितने प्रतिशत मात्रा उपभोक्ता के अगले स्तर तक पहुँचाता है ?
उत्तर – 10%
57.  सामान्यतः आहार श्रृंखला में कितने चरण होते हैं ?
उत्तर – तीन या चार चरण ।
58. चौथे पोषी स्तर के बाद जीवन अत्यल्प क्यों हो जाता है ?
उत्तर – उपयोगी ऊर्जा की मात्रा की बहुत कमी हो जाने के कारण।
59. सामान्य रूप से सबसे अधिक जनसंख्या किस स्तर पर होती है ?
उत्तर – उत्पादक स्तर पर।
60. सबसे अधिक हानिकारक रसायन किस जीव में संचित होते हैं ?
उत्तर – मानव शरीर में।
61. मानव शरीर में सबसे अधिक हानिकारक रसायनों के इकट्ठा होने का कारण क्या है ?
उत्तर – जैव-आवर्धन
62. ओजोन की परत पृथ्वी की सुरक्षा किससे करती है ?
उत्तर – पराबैंगनी विकिरण से।
63. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने 1987 में क्या सर्वानुमति बनाई थी ?
उत्तर – CFC के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए।
64.  जैविक कारकों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – पौधे तथा जन्तु ।
65.  किन्हीं दो अजैविक कारकों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) प्रकाश, (ii) मृदा ।
66. ऐसे दो क्रियाकलापों का नाम लिखें जो अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं।
उत्तर – (i) भोजन बनाना, (ii) कक्षा का कमरा ।
 67.  जीवों की ऐसी श्रेणी को जो एक-दूसरे से भोजन ग्रहण करते हैं, क्या कहते हैं ?
उत्तर – खाद्य शृंखला।
68. एक खाद्य श्रृंखला का उदाहरण दें।
उत्तर – घास – हिरण – शेर।
69. ओजोन का सूत्र क्या है ?
उत्तर – 03
70. ओजोन परत के अवक्षय करने वाले यौगिकों का समूह क्या है ?
उत्तर – क्लोरोफ्लोरो कार्बन के यौगिक।
71. ऐसे दो उपकरण बताएँ जिनमें CFC उपयोग में आते हैं।
उत्तर – (a) रेफ्रिजरेटर में, (b) अग्निशमन यंत्रों में।
72. UNEP को विस्तार से लिखें।
उत्तर – United Nations Environment Programme.
> लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? तीन अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों के नाम लिखें जो मानव के लिए हानिकारक होते हैं।
उत्तर – पर्यावरण प्रदूषण – पर्यावरणीय स्रोतों में अवांछनीय पदार्थों की मिलावट जिससे प्राकृतिक गुणवत्ता नष्ट हो जाय, प्रदूषण कहलाता है।
> तीन अजैविक निम्नीकरणीय प्रदूषक –
(a) प्लास्टिक, (b) कीटनाशी रसायन, (c) पेट्रोलियम उत्पाद ।
2. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर – कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिन पर सूक्ष्म जीव अपना प्रभाव डालते हैं और उन्हें सरल पदार्थों में बदल देते हैं। सूक्ष्म जीवों का असर केवल कुछ पदार्थों पर ही होती है। अतः कुछ पदार्थ ही जैव निम्नीकरणीय होते हैं। कुछ पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिन पर सूक्ष्म जीवों का असर नहीं होता और वे सरल पदार्थों में नहीं टूटते हैं। ऐसे पदार्थों को अजैव निम्नीकरणीय कहते हैं।
3. ऐसे दो तरीके सुझाएँ जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर – (a) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होकर दुर्गन्ध फैलाते हैं। (b) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होकर बहुत-सी विषैली गैसें वातावरण में मिलाते हैं जिससे वायु प्रदूषण फैलता है।
4.  ऐसे दो तरीके बताएँ जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर – (a) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण में लम्बे समय तक रहते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये पदार्थों के चक्रण में बाधा पहुँचाते हैं।
(b) ऐसे बहुत से पदार्थ जल प्रदूषण व भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं।
5.  यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर – जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट लम्बे समय तक नहीं रहते हैं। अतः उनका हानिकारक प्रभाव वातावरण पर पड़ता तो है पर केवल कुछ समय के लिए ही रहता है। ये पदार्थ लाभदायक पदार्थों में तोड़े जा सकते हैं। अतः हमारे वातावरण पर इनका भी प्रभाव पड़ता है लेकिन केवल कुछ समय तक ही रहता है।
6. पारितंत्र क्या है ?
उत्तर – जीवमंडल की वह इकाई है जिसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटक पारस्परिक रूप से एवं अजैवीय घटकों से अन्तःक्रिया करते हुए गत्यात्मक एवं समन्वयात्मक जीवन व्यतीत करते हैं, पारितंत्र कहलाती है।
7. उत्पादक क्या है ?
उत्तर – उत्पादक वे जीव हैं जो भोजन का संश्लेषण स्वयं कर लेते हैं। जैसे सभी हरे पेड़ पौधे, शैवाल इत्यादि।
8. जैव निम्नीकरणीय एवं जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों को स्पष्ट करें।
उत्तर – (i) जैव निम्नीकरणीय प्रदूषक वे प्रदूषक हैं जो सूक्ष्मजीवों की क्रिया द्वारा अपघटित होकर खत्म हो जाते हैं। जैसे-घरेलू ईंधन, कड़ा-करकट, मल-मूत्र, फसल के बाकी बचे पदार्थ, कागज, लकड़ी तथा कपड़ा आदि।
(ii) जैव अनिम्नीकरणीय प्रदूषक वे प्रदूषक हैं जो सूक्ष्मजीवों की क्रिया द्वारा सरल तथा 6हानिरहि तत्वों में अपघटित नहीं होते उन्हें जैव अनिम्नीकरणीय प्रदूषक कहते हैं। जैसे—कीटनाशी, पीड़कनाशी, प्लास्टिक तथा रेडियोधर्मी अपशिष्ट पदार्थ।
9. जेविक घटकों को कैसे वर्गीकृत करेंगे ?
उत्तर – जैव समुदाय के घटकों को तीन प्रकार के जीवों में वर्गीकृत किया जाता है –
(i) उत्पादक जीव–इन्हें उत्पादक भी कहते हैं। ये अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। सभी हरे पौधे उत्पादक हैं। इन्हें स्वयंपोषी जीव भी कहते हैं।
(ii) उपभोक्ता जीव– इन्हें उपभोक्ता भी कहते हैं। ये जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहते हैं सभी जन्तु उपभोक्ता हैं। इन्हें परपोषी भी कहते हैं।
(iii) अपघटक जीव– इन्हें अपघटक कहते हैं। ये मृत जीवों तथा पौधों के अपशिष्टों का अपघटन करते हैं तथा अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
10.  जलीय जीवों के नाम उसी क्रम में लिखिए जिनमें एक-दूसरे जीव को खाता है तथा एक ऐसी श्रृंखला की स्थापना कीजिए जिसमें कम-से-कम तीन चरण हों।
उत्तर – शैवाल → डाएटम – मछली।
11. क्या आप किसी एक समूह को सबसे अधिक महत्त्व का मानते हैं? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर – प्रथम पोषी स्तर में पौधे आते हैं। ये स्वपोषी होते हैं। बिना पौधों के खाद्य श्रृंखला नहीं चल सकती। अतः पौधों को विशेष महत्त्व दिया जाता है।
 12.  किन उपायों द्वारा शरीर में इन पीड़कनाशियों की मात्रा कम की जा सकती है? चर्चा कीजिए।
उत्तर – 1. पीड़कनाशियों का उपयोग कम-से-कम तथा आवश्यक होने पर ही करना चाहिए।
 2. फल तथा सब्जियों को साफ पानी से अच्छी प्रकार साफ कर लेनी चाहिए।
3. पीड़कनाशियों को पीने के पानी में से दूर कर लेना चाहिए।
13. उपभोक्ता क्या है ?
उत्तर – जो जीव अपने भोजन के लिए उत्पादकों पर निर्भर होते हैं, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं। उपभोक्ता अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते। मानव सहित सभी जन्तु उपभोक्ता – मानव, शेर, गाय, भैंस इत्यादि । S उपभोक्ता है। सामान्य
14. अपघटक क्या है ?
उत्तर – वे जीव जो जटिल कार्बनिक अणुओं को जो वनस्पति या जन्तुओं के मृत अवशेषों में उपस्थित होते हैं, सरल पदार्थों में अपघटित कर देते हैं, अपघटक कहलाते हैं। कुछ जीवाणु तथा फफूँदी (कवक) अपघटक हैं।
15. आहार जाल किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी पारितंत्र की विभिन्न आहार शृंखलाओं का सम्मिलित रूप जिसने बहुत से पोषी स्तर परस्पर उभयनिष्ठ दशा में पाए जाते हों, आहार जाल कहलाता है।
16. पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर – अपमार्जकों को प्राकृतिक सफाई एजेन्ट करते हैं। अपमार्जकों का कार्य जैव निम्नीकरणीय पदार्थों पर होता है। ये उन पदार्थों को सरल पदार्थों में तोड़ते हैं। इस प्रकार अपमार्जक वातावरण में संतुलन बनाने का कार्य करते हैं तथा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
17.  ओजोन क्या है  तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर – ओजोन ऑक्सीजन का एक अपर रूप है। इसका एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका अणुसूत्र O3 है।
 यह ऑक्सीजन के तीन अणुओं की सूर्य के प्रकाश (UV rays) की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनती है।
ओजोन पृथ्वी की सतह पर एक आवरण बनाती है जो पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है। पराबैंगनी विकिरण हमारे लिए बहुत हानिकारक है। इस प्रकार यह पारितंत्र को नष्ट होने से बचाती है।
18. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न स्तरों के लिए अलग-अलग होगा ? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर – नहीं, सभी पोषी स्तरों के लिए प्रभाव अलग-अलग नहीं होते। यह सभी पर समान प्रभाव डालता है। किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है। इनकी हटाना पारितंत्र में विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालता है तथा असंतुलन पैदा करता है।
19. पर्यावरण क्या है ? इसके कौन-कौन-से घटक हैं ?
उत्तर – किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण कहा जाता है।
हम प्रतिदिन जिन जीवों, अर्थात सभी पादप, सभी जंतु एवं सभी मानव के साथ नित्य पारस्परिक क्रिया करते हैं वे सब मिलकर जैव पर्यावरण का निर्माण करते हैं। हमारा पर्यावरण भौतिक घटकों, जैसे वायु, जल, स्थल आदि का भी बना है। इसके अलावा पर्यावरण का एक और महत्त्वपूर्ण घटक मौसमीय भी है जिसमें वर्षा, ताप, आर्द्रता, प्रकाश आदि शामिल हैं।
20.  मानव क्रियाकलाप जितने अनियंत्रित होंगे पर्यावरण को उतनी ही क्षति होगी, क्यों ?
उत्तर – मनुष्य के विभिन्न क्रियाकलापों के कारण पर्यावरण बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो रहा है। उदाहरण के लिए, महानगरों में ट्रकों, बसों, कारों, स्कूटरों आदि से निकला विषैला धुआँ स्वच्छ वायु को अत्यधिक प्रदूषित करता है। इसी प्रकार नदियों में गंदे नालों के पानी, मलजल तथा औद्योगिक अपशिष्टों का बहाव स्वच्छ जल को अत्यधिक प्रदूषित करता है।
21. पारितंत्र या पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर – जीवमंडल के जीवों का एक-दूसरे से तथा अजैव भौतिक वातावरण से गहरा संबंध है। ये सभी घटक एक-दूसरे से संतुलन स्थापित कर जुड़े रहते हैं। किसी क्षेत्र के सभी जीव (पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव एवं मानव) तथा वातावरण के अजैव कारक संयुक्त रूप से पारितंत्र का निर्माण करते हैं। यह जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होती है। सकती है ?
22. पर्यावरण की सुरक्षा कैसे की जा है।
उत्तर – निम्नलिखित मुख्य बातों को ध्यान में रखकर तद्नुसार अमल करने से पर्यावरण की सुरक्षा संभव है।
(i) ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का उपयोग, जैसे वायु, सोलर और थर्मल ऊर्जा।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों का न्यायपूर्ण एवं सीमित दोहन ।
(iii) जंगलों की कटाई पर रोक और वनरोपण को बढ़ावा देकर।
(iv) हानिकारक रसायनों एवं उर्वरकों का सीमित उपयोग।
23.  कचरा प्रबंध क्या है ? इसके किन्हीं दो तरीकों के बारे में लिखें।
उत्तर – कचरे को एक जगह एकत्र कर उसका वैज्ञानिक तरीके से समुचित निपटारा करने को कचरा प्रबंधन कहते हैं। इसे एकत्र करने के लिए बड़ी-बड़ी धानियाँ भीड़-भाड़ वाले जगहों में रखी जाती हैं। जैव निम्नीकरणीय एवं जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के लिए अलग धानियाँ भी हो सकती हैं। कचरे को एकत्रित कर शहर के बहर ले जाकर या तो जला दिया जाता है या गड्ड़ों को भरने में उपयोग किया जाता है। विभिन्न प्रकार के औद्योगिक अपशिष्टों का निपटारा जीवाणुओं के द्वारा भी किया जा सकता है।
24. ओजोन परत के अपक्षय के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं ?
उत्तर – विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत की क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरोकार्बनों की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं।
25.  वायुमण्डल का निर्माण कैसे हुआ तथा इसमें परिवर्तन कैसे हुआ ?
उत्तर – प्रारंभिक काल में पृथ्वी का आकार काफी बड़ा था और वह काफी ठण्डी थी। तब पृथ्वी का कोई वायुमण्डल नहीं था। इसके बाद पृथ्वी ने सिकुड़ना शुरू किया जिस कारण यह छोटी तथा गर्म होती गयी। इस दौरान गैस विमोचित हुई तथा वायुमण्डल बना। वायुमण्डल में कई प्रकार की गैसें इकट्ठी हुईं। जब परपोषी से स्वपोषी का निर्माण हुआ तो ऑक्सीजन भी स्वतंत्र रूप से बना। वायुमण्डल के अन्य घटक ज्वालामुखी के फटने पर बनते गए।
26. वनवर्धन किसे कहते हैं ?
उत्तर – वनों के संरक्षण के लिए या पुनःचक्रण के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे उगाना अनवर्धन कहलाता है। जुलाई-अगस्त में वन महोत्सव मनाया जाता है। इस समय अधिक मात्रा में पौधे लगाए जाते हैं।
27.  वायुमण्डल का ओजोन स्तर किन कारणों से घट रहा है ?
उत्तर – ओजोन की सतह का लगातार अवक्षय ऐरोसॉल समूह के रसायनों द्वारा होता है। ऐरोसॉल रसायन प्रणोदक छिड़काव में प्रयुक्त होते हैं, जैसे फ्लोरोकार्बन तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन । ये रसायन वायुमण्डल के ऊपरी क्षेत्र में उपस्थित ओजोन के साथ अभिक्रिया करके उसका अवक्षय करते हैं जिससे ओजोन स्तर घटता जा रहा है।
जैसा कि हम जानते हैं कि ओजोन पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित करके हमें त्वचा कैंसर से बचाती है, इसलिए इसका अवक्षय रोकना विश्व के लिए आवश्यक है। इसी सन्दर्भ में ऐरोसॉल के ऐसे प्रतिस्थायी विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं जो ओजोन से अभिक्रिया न करते हो।
28.  निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए –
(क) स्थलमण्डल और वायुमंडल
(ख) पारिस्थितिक तन्त्र तथा जीवोम (या बायोम)।
(ग) मांसाहारी और सर्वभक्षी।
उत्तर – (क) स्थलमण्डल-पृथ्वी की सतह पर तथा सागर जल के अन्दर की मृदा एवं चट्टानों के भाग को स्थलमण्डल कहते हैं।
वायुमण्डल – पृथ्वी की सतह से ऊपर वायु पृथ्वी का गैसीय घटक है जिससे वायुमण्डल बनता है। वायुमण्डल, स्थलमण्डल तथा जलमण्डल को चारों ओर से घेरे रहता है। इसमें अनेक प्रकार की गैसें हैं जो गुरुत्वाकर्षण के कारण वायुमण्डल में टिकी हुई हैं। परन्तु होलियम और हाइड्रोजन हल्की होने के कारण इस प्रभाव से मुक्त हैं वायुमण्डल असीमित  है।
(ख) पारिस्थितिक तंत्र – जैव तथा अजैव घटकों के मध्य लगातार ऊर्जा और पदार्थों का आदान-प्रदान होता रहता है जिसे पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। जैसे—तालाब, जंगल, खेत तथा जल जीवशाला आदि विभिन्न जलीय एवं स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों को निरूपित करते हैं। पारिस्थितिक तंत्रों को मिलाने पर जीवोमों या बायोमों का निर्माण होता है। पारिस्थितिक तंत्र जीवमण्डल की एक इकाई है।
> जीवोम या बायोम – किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में समस्त पारिस्थितिक तंत्र एक साथ मिलकर बड़ी इकाई का निर्माण करते हैं जिसे जीवोम या बायोम कहते हैं। जैसे मरुस्थलीय बायोम, वन बायोम में कोई तालाब, झील, घास का मैदान या वन भी दिखाई दे सकते हैं। विश्व के सभी बायोमों को मिलाकर जीवमण्डल बनता है।
(ग) मांसाहारी – जो जन्तु अपना भोजन दूसरे जन्तुओं से प्राप्त करते हैं उन्हें मांसाहारी कहते हैं, जैसे—शेर, चीता, गिद्ध, साँप आदि ।
सर्वभक्षी – जो जन्तु अपना भोजन पौधों तथा जन्तुओं से प्राप्त करते हैं, उन्हें सर्वभक्षी कहते हैं। ये जन्तु मांसाहारी तथा शाकाहारी दोनों ही प्रकार के होते हैं। जैसे—मनुष्य, कुत्ता आदि।
29.  पारिस्थितिक संतुलन क्या ?
उत्तर – सभी जीव किसी-न-किसी रूप में अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। पौधों से लेकर जन्तु, मछली, पक्षी, सरीसृप, कीट आदि एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं। सभी जीवों का एक निश्चित संख्या में जीवित रहना भी आवश्यक है। सभी जीव एक-दूसरे की संख्या को नियंत्रित करते हैं। इस पूरी क्रिया का निष्कर्षण सम्पूर्ण प्राकृतिक संतुलन है। यह संतुलन पारिस्थितिक संतुलन कहलाता है।
 30.  जीवोम या वायोम का निर्माण कैसे होता है ? किसी एक बायोम का उदाहरण दीजिए
उत्तर – जैव और अजैव घटकों के बीच लगातार पारस्परिक क्रियाएँ होती रहती हैं जिसके परिणाम से ऊर्जा एवं पदार्थों का आदान-प्रदान चलता रहता है, जिसे हम पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। किसी भौगोलिक क्षेत्र में समस्त पारिस्थितिक तन्त्र एक साथ मिलकर एक और बड़ी इकाई का निर्माण करते हैं जिसे जीवोम या बायोग कहते हैं। सभी बायोमों को मिलाने पर जीवमण्डल बनता है। जनसंख्या, समाज (जैव) तथा भौतिक पर्यावरण (अजैव) सभी पारिस्थितिक तन्त्र के घटक हैं अर्थात् ये सभी बायोम के भी घटक हैं। उदाहरण – मरुस्थलीय बायोम या वन बायोम में कोई तालाब, झील, घास का मैदान या वन भी दिखाई दे सकते हैं।
31.  चित्र में A, B और C अलग- अलग प्रकार के पारितंत्रों को आहार श्रृंखलाएँ हैं। चित्र का भली भाँति अवलोकन करें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखें।
(क) A, B और C के पारितंत्रों के नाम लिखें ।
(ख) क्या इस चित्र में कुछ गलत है ? यदि हाँ तो क्या ?
उत्तर – (क) A = वन की आहार शृंखला
 B = घास के मैदान की आहार श्रृंखला
C = तालाब की आहार श्रृंखला
(ख) हाँ, चित्र के C भाग में तालाब की आहार श्रृंखला में बिच्छू को प्राथमिक उपभोक्ता दर्शाया गया है जो कि गलत है। बिच्छू एक मांसाहारी (विशेषतः कीटभक्षी) प्राणी है और यह अधिकतर स्थलीय आवासों में निवास करता है।
32.  दस प्रतिशत नियम क्या है ?
उत्तर – दस प्रतिशत नियम के अनुसार जीवाणु के किसी पोषण स्तर में जाने वाली ऊर्जा केवल दस प्रतिशत उच्चतर पोषण स्तर में आगे जाती है।
>  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. आहार-जाल क्या है? इसे उदाहरण से समझाएं।
उत्तर – आहार-जाल— पारिस्थितिक तंत्र में सामान्यतः एक साथ कई आहार शृंखलाएँ पाई जाती हैं। ये आहार श्रृंखलाएँ हमेशा सीधी न होकर एक-दूसरे से आड़े-तिरछे जुड़कर एक जाल-सा बनाती हैं। आहार शृंखलाओं के इस जाल को आहार-जाल (food-web) कहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि पारिस्थितिक तंत्र का एक उपभोक्ता एक से अधिक भोजन स्रोत का उपयोग करता है। जैसे, एक घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र में पाए जानेवाले जीवों की कड़ियाँ घास और अन्य पौधे, मेढक, कीट, सर्प, गिरगिट, बाज पक्षी तथा खरगोश हैं। बाज पक्षी घास खानेवाले कीटों को भी खा सकता है और साथ-साथ कीटों को खानेवाले मेढक या गिरगिट को भी खाता है। इसी प्रकार, पौधा खानेवाले खरगोश को सर्प और सर्प को बाज खाता है। इसका परिणाम यह होता है कि ऐसी सारी आहार श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जाल की तरह जुड़ी हुई रहती हैं। आपस में जुड़ी हुई ऐसी आहार श्रृंखलाएँ आहार-जाल का निर्माण करती हैं। लिए कई पथ होते हैं, परंतु
आहार श्रृंखला के विपरीत आहार-जाल में ऊर्जा के प्रवाह के ये सारे पथ एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। अगले चित्र में दर्शाए गए घास के मैदानवाले पारिस्थितिक तंत्र में निम्नलिखित पाँच आहार शृंखलाएँ हैं।
2. अपशिष्ट पदार्थों का चक्रण को उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर – अपशिष्ट पदार्थ दो प्रकार के होते हैं—(क) जैव निम्नीकरणीय एवं (ख) जैव अनिम्नीकरणीय।
(क) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ, अपघटकों की क्रिया से निराविषी पदार्थों में बदल जाते हैं। इन अकार्बनिक पदार्थों का उपयोग पुनः उत्पादकों द्वारा होता है, अर्थात इनका पुनःचक्रण होता है। उत्पादकों से ये विभिन्न उपभोक्ताओं में पहुँचकर पुनः वर्ज्य पदार्थों का रूप लेते हैं एवं जीवाणुओं और कवकों द्वारा अपघटित हो जाते हैं एवं घटकों का पुनः चक्रण हो जाता है, उदाहरण गोबर से गोबर गैस।
(ख) जैव अनिम्नीकरणीय वर्ज्य पदार्थों के अपघटन आसानी से नहीं होते हैं एवं एक ही रूप में रहते हैं, जैसे ऐलुमिनियम के डिब्बे, प्लैस्टिक, डी. डी. टी. आदि। ये सभी प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं। इनके अलावे रेडियोधर्मी जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ, जिससे उच्च ऊर्जावाले विकिरण निकलते हैं, मनुष्य में कैंसर रोग के कारण हैं।
3.  वायुमंडल में ओजोन स्तर से हमें क्या लाभ है ? यह किन कारणों से घटता जा रहा है ?
उत्तर – पृथ्वी के चारों ओर 15 km से 50km ऊँचाई वाले क्षेत्र के बीच ओजोन (O3) का एक विशेष स्तर कवच के रूप में पृथ्वी को घेरे रहता है। यह ओजोन स्तर एक प्रकार के बन्ने का कार्य करता है जो सूर्य से आनेवाले प्रकाश से हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों को अवशोषित कर लेता है। ये अल्ट्रावायलेट किरणों में उत्परिवर्तनीय क्षमता होती है तथा ये किरणें मनुष्यों में त्वचा कैंसर जैसी घातक बीमारियों को जन्म देती हैं।
सभ्यता के विकास के साथ मनुष्य ने अपने क्रियाकलाप से पर्यावरण में कुछ ऐसे पदार्थों
को मुक्त किया है जो ओजोन परत के लिए हानिकारक है और उसे क्षति पहुँचा रहे हैं। इन पदार्थों में ऐरोसॉल में प्रयुक्त क्लोरोफ्लोरोकार्बन एवं फ्लोरोकार्बन प्रमुख हैं। ये पदार्थ ओजोन परत से क्रिया करके उनमें छिद्र बना देते हैं जिनसे हानिकारक जीवधारियों को हानि पहुँचाते हैं।
4.  ओजोन का निर्माण एवं अवक्षय किस प्रकार होता है ? 
उत्तर – वायुमंडल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O) अणुओं से ओजोन का निर्माण होता है। उच्च ऊर्जावाले पराबैंगनी विकिरण ऑक्सीजन अणुओं को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन (O) परमाणु बनाते हैं। ऑक्सीजन के ये स्वतंत्र परमाणु संयुक्त. होकर ओजोन (O3,) बनाते हैं।
 कुछ रसायन, जैसे फ्लोरोकार्बन (FC) एवं क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), जो सुगंधियाँ, झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक आदि से उत्पन्न होती हैं, O, से अभिक्रिया कर इसका अवक्षय करता है। CFC का व्यापक उपयोग एयरकंडीशनों, रेफ्रीजरेटरों, शीतलकों, जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है।
चित्र: 3. ओजोन अवक्षय वाले हिस्से से पराबैंगनी विकिरण का वायुमंडल में प्रवेश ओजोन छिद्र का निर्माण
5.  जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैव आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर – विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनके हमारे शरीर में साद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है।
हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीड़कनाशक आदि रसायनों का छिड़काव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
मनुष्य सर्वभक्षी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार शृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
 उदाहरण- उत्तरी अमेरिका में मिशीगन झील के आसपास मच्छरों के मारने के लिए बहुत अधिक डी.डी.टी. का छिड़काव किया गया जिससे पेलिकन नामक पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई । पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि पानी में प्रति दस लाख कण में  डी.डी.टी. (1ppm = 1/1000000 ) है। डी.डी.टी. के उच्च स्तर के कारण पेलिकन पक्षियों के अंडों का आवरण पतला हो गया जिससे बच्चों के निकलने से पहले ही अंडे टूट जाते थे।
6. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर – विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत की क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरोकार्बनों की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओजोन परत पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है।
इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UHEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। माँट्रियल प्रोटोकोल में 1987 में सन् 1998 तक क्लोरोफ्लोरोकार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने की बात कही गई। सन् 1992 में माँट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFCg पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरोकार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है।
7.  निम्नलिखित का उपयुक्त उदाहरण सहित वर्णन करें
(अ) अम्ल वर्षा,
(ब) ओजोन का घटना,
(स) वैश्विक ऊष्मन पौधाघर प्रभाव।
उत्तर – (अ) अम्ल वर्षा (Acid rain) – अम्ल वर्षा घने कारखानों वाले शहरों में होती है। उद्योगों से हानिकारक विषैला धुआँ निकलकर वायुमंडल में चला जाता है। सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड मिलकर अम्लीय वर्षा बनाते हैं जिससे मार्बल के भवन प्रभावित होते हैं। उनका रंग फीका पड़ जाता है।
(ब) ओजोन का घटना (Depletion of ozone) — ओजोन परत के ह्रास द्वारा अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इस परत का क्षय ऐरोसाल्स, फ्लोरोकार्बन तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन के कारण होता है। ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकती है। ये किरणें स्वास्थ्य हेतु हानिकारक हैं।
(स) पौधाधर प्रभाव (Greenhouse effect) – वायुमंडल के ऊपरी भाग में उपस्थित ओजोन परत सूर्य-प्रकाश में से हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। परन्तु अवरक्त किरणों तथा दृश्य प्रकाश को पृथ्वी की ओर जाने देती हैं। सूर्य द्वारा उत्सर्जित किरणें छोटे तरंगदैर्घ्य की होती हैं जो वायुमंडल में उपस्थित कार्बनडाइऑक्साइड द्वारा अवशोषित नहीं की जा सकती हैं। इस प्रकार सूर्य के प्रकाश में उपस्थित छोटी तरंगदैर्घ्य वाली अवरक्त करणें पृथ्वी की सतह पर पहुँच जाती हैं। कुछ अवरक्त किरणें पृथ्वी की सतह तथा अन्य वस्तुओं द्वारा परावर्तित करके वायुमंडल को वापस भेज दी जाती है परन्तु पृथ्वी द्वारा परावर्तित की गई अपेक्षाकृत लम्बी तरंगदैर्घ्य की होती हैं। वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस का आवरण लम्बी तरंगदैर्घ्य वाली अवरक्त किरणों को प्रगृहीत (trap) करके रोके रखता है जिसके कारण पृथ्वी का वायुमंडल गर्म हो जाता है। कार्बनडाइऑक्साइड में फँसी हुई अवरक्त किरणों के कारण वायुमंडल ग्रीनहाऊस प्रभाव कहते हैं।
8. आहार पिरामिड से आप क्या समझते हैं ? चित्र सहित वर्णन करें। 
उत्तर – आहार पिरामिड द्वारा किसी भी पारितंत्र की आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषी स्तर पर जीवों की तुलनात्मक संख्या मात्रा एवं ऊर्जा का निरूपण होता है।
चित्र से स्पष्ट है कि आहार पिरामिड में संख्या के दृष्टिकोण से सर्वाधिक संख्या उत्पादकों की होगी उससे कम संख्या प्रथम उपभोक्ता (शाकाहारी) की तथा सबसे कम संख्या द्वितीय उपभोक्ता (मांसाहारी) की होगी। उसी प्रकार सबसे अधिक मात्रा उत्पादक की, उससे कम शाकाहारी की एवं सबसे कम मात्रा मांसाहारी की होगी। इसी तरह ऊर्जा उत्पादन के दृष्टिकोण से सबसे अधिक ऊर्जा उत्पादक को है, इसमें मात्र 10% ऊर्जा प्रथम उपभोक्ता को प्राप्त होता
है, एवं प्रथम उपभोक्ता का मात्र 10% ऊर्जा द्वितीय उपभोक्ता को प्राप्त होता है।
9.  वायुमंडल की परिभाषा दें। वायु प्रदूषण क्या है ? यह कैसे होता है ? 
उत्तर –  पृथ्वी के चारों ओर वायु एक अदृश्य आवरण बनाती है। यह पृथ्वी का वायुमण्डल के कहलाता है। वायुमण्डल पृथ्वी तल से 40 किमी ऊँचाई तक फैला हुआ है। समस्त वायु का 99% लगभग इस क्षेत्र में होता है। थोड़ी बहुत वायु तो 1000 किलोमीटर से अधिक ऊँचाई पर भी पाई गई है। वायु प्रदूषण वायु के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में अवांछित परिवर्तनों के कारण होता है।
> वायु प्रदूषण के स्रोत (Sources of air pollution) – ये दो प्रकार के होते हैं (i) प्राकृतिक, (ii) मानव निर्मित | प्रदूषक विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक कारण हैं— ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान उत्सर्जित लावा के साथ निर्मुक्त गैस तथा कणिकीय पदार्थ, आँधी तथा तेज हवाओं के दौरान जमीन से ऊपर उड़ती धूल, जंगलों में लगी आग तथा कोहरा परागकण आदि ।
वायु को प्रदूषित करने वाले कुछ कारक अग्रलिखित हैं — (i) जीवाश्मी ईंधनों के जलने से उत्पन्न गैसें CO2 तथा CO। (ii) स्वचालित वाहन तथा रेल इंजनों से निकलने वाला धुआँ तथा कुछ अन्य गैसें । (iii) सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, क्लोरीन गैसें । (iv) बैक्टीरिया तथा धूल के कण । (v) कणिकीय पदार्थ जैसे धूल के कंण, सूक्ष्म बूँदें, फ्लाई ऐश, कोहरा (fog) धूम्र (fumes) तथा एरोसॉल ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *