अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें ।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
प्रश्न – अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें । 
(Discuss the factors affecting Learning.)

उत्तर – अधिगम एक व्यापक प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया की सफलता केवल प्रभावशाली शिक्षण पर ही नहीं वरन् अनेक सामूहिक कारकों पर निर्भर करती है। शिक्षार्थी, शिक्षक, पाठ्य-वस्तु, अधिगम व्यवस्था, वातावरण इत्यादि से सम्बन्धित अनेक कारक अधिगम की मात्रा, स्वरूप एवं गति के निर्धारक के रूप में उत्तरदायी होते हैं । ये कारक मुख्य रूप से पाँच होते हैं । इन कारकों का संक्षिप्त उल्लेख निम्नलिखित पंक्तियों में किया गया है—

अधिगम को प्रभावित करने वाले सामान्य कारक (General Factors Affecting Learning) — अधिगम का प्रभावित करने वाले कुछ सामान्य कारक भी हैं, जो इस प्रकार है—

  1. थकान (Fatigue)– सामान्यतः कार्य करने के दौरान जब कोई व्यक्ति यह महसूस करता है कि उसका शरीर कार्य करने में साथ नहीं दे रहा है तो हम इसे थकान कहते हैं इस थकान का कारण मांसपेशियों में तनाव को माना जाता है । मनोवैज्ञानिकों ने थकान के शारीरिक एवं मानसिक कारणों पर शोध किए हैं । मनोवैज्ञानिक फ्रीमैन के अनुसार – थकान वह अवस्था है जिसमें शारीरिक तन्त्र प्रतिक्रिया नहीं करता तथा मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है । स्टार्च (Starch) कहता है कि यदि किसी व्यक्ति की किसी कार्य में रुचि नहीं है तब भी वह शारीरिक स्थिति ठीक होने के बावजूद थकान महसूस करता है । इस प्रकार, थकान एक ऐसी मनोवैज्ञानिक अवस्था है जिसमें कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है या पूरी तरह समाप्त हो जाती है ।
  2. संघर्ष (Conflicts) — संघर्ष तनाव या द्वन्द्व का ही नाम है । जब दो विपरीत परिस्थितियाँ या उद्देश्य या विचार एक साथ किसी के मस्तिष्क में आते हैं और वह व्यक्ति इनमें से किसी एक को निश्चित नहीं कर पाता तो ऐसी स्थिति मानसिक संघर्ष की स्थिति कहलाती है। उदाहरण के तौर पर, एक विद्यार्थी परीक्षा में भी सबसे अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता है तथा दूसरी ओर खेलों में भी सर्वोत्तम, स्थान पाना चाहता है लेकिन दोनों में से किसी एक स्थिति का चयन नहीं कर पाता तो इस प्रकार की स्थिति संघर्ष कहलाती है । बाद में स्थिति सांवेगिक तनाव को जन्म देती है और तब तक बनी रहती है जब तक व्यक्ति किसी निर्णय पर नहीं पहुँच जाता है । इस प्रकार स्पष्ट है कि संघर्ष एक मानसिक कमी है जिसमें व्यक्ति यह निर्णय नहीं ले पाता कि उसे क्या करना चाहिए, क्या नहीं । इस प्रकार, संघर्ष या तनाव अधिगम में बाधक तत्त्व है।
  3. चिन्ता (Anxiety) — मनोवैज्ञानिक विचारधारा के अनुसार चिन्ता व्यक्ति की एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें वह एक अनजान अप्रत्याशित डर से परेशान हो जाता है । उदाहरण के तौर पर तूफान के आने पर इसका सामना करना एक चिन्ता का विषय अवश्य है लेकिन रास्ता तय करते समय बिना किसी आधार के तूफान के बारे में सोचना चिन्ता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं । स्पष्ट है कि जब कोई अधिगमकर्त्ता चिन्ताग्रस्त रहता है तो वह ऐसी स्थिति में अधिगम पर ध्यान नहीं दे सकता । देखने में आता है कि जब कोई विद्यार्थी किसी विषय या पाठ्य-वस्तु को बहुत कठिन मानता है तो यह निश्चित है कि वह उसे न तो ठीक से समझ ही पाएगा और न ही ठीक से सीख पाएगा तथा हर समय परेशान रहेगा तथा अपना ध्यान भी उस क्रिया या विषय-वस्तु पर ठीक से केन्द्रित नहीं कर पाएगा परिणामतः उसकी व्यर्थ की चिन्ता उसके अधिगम में एक बाधक तत्त्व बन जाती है । कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को व्यर्थ की चिन्ता से बचना चाहिए तथा उसके उपस्थिति होने पर उसका दृढ़ता से मुकाबला करना चाहिए ।
  4. कुण्ठा (Frustration) — मानव व्यवहार दो प्रकार के प्रेरकों से प्रभावित होता हैआन्तरिक तथा बाह्य । वह अपना उद्देश्य इन प्रेरकों के आधार पर ही तय करता है । वह निश्चित करता है कि उसे जीवन में क्या प्राप्त करना है। अपना उद्देश्य निर्धारित करने के बाद वह इस उद्देश्य की प्राप्त करने का प्रयास करता है। ऐसा देखा गया है कि इस उद्देश्य की प्राप्ति में जब कुछ बाधाएँ सामने आ जाती हैं तथा बार-बार के प्रयास करने के बावजूद भी वह अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता तो वह एक ऐसी मानसिक स्थिति का शिकार हो जाता है जिसे मनोविज्ञान की भाषा में भग्नाशा या कुण्ठा कहते हैं । कुण्ठा की अवस्था में व्यक्ति तनाव में आ जाता है, अपना मानसिक संतुलन बिगाड़ लेता है तथा तनावग्रस्त हो जाता है । यह वह मानसिक अवस्था होती है जिसमें बालक निष्क्रिय हो जाता है तथा अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता और इस प्रकार अधिगम के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने लगता है । लेकिन कुछ बालक ऐसे भी होते हैं जो इन तत्त्वों को चुनौती मानकर उनका धैर्य से सामना कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं ।
  5. अहं ( Ego ) – सामान्य अर्थ में इस मनोवैज्ञानिक पद को आत्म चेतना के नाम से भी जाना जाता है । यह व्यक्ति की वह मानसिक अवस्था है जिसमें वह स्वयं को अपने में ही खोया महसूस करता है । हर समय वह स्वयं के बारे में ही सोचता रहता है तथा कुछ-कुछ इस बाहरी दुनिया से भी अलग-थलग रहने लगता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यक्ति का अहं उसे अपने कार्य से विमुक्त कर देता है । यही कारण है कि इस अहं के कारण ही छात्र का अपने कक्षा कार्य में मन नहीं लगता तथा यह अपना ध्यान अधिगम में केन्द्रित नहीं कर पाता । अब मात्र उसके अधिगम को ही प्रभावित नहीं करता है वरन् यह उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व में ही नकारात्मक प्रवृत्तियों को जन्म देकर उसे दोषपूर्ण बना देता है । जिन व्यक्तियों में अहं भावना अत्यधिक घर कर जाती है उन्हें समाज अच्छी निगाह से नहीं देखता क्योंकि ऐसे लोग सामाजिक हित के कार्यों में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते और यही कारण है कि लोग इन्हें अहंकारी करार देते हैं ।
  6. शिक्षण-अधिगम की अनुपयुक्त विधियाँ (Improper Methods of Teaching Learning)–अधिगम विधियाँ वे होती हैं जिनके माध्यम से अधिगमकर्ता सीखता है तथा शिक्षण-विधियाँ वे होती हैं जिनके माध्यम से अध्यापक सिखाता है या पढ़ाता है। दोनों विधियों की यह मान्यता है कि अधिगमकर्त्ता सक्रिय बना रहे। अब यदि अधिगमकर्त्ता की दृष्टि से ये शिक्षण-अधिगम विधियाँ उपयुक्त नहीं हैं तो वे सक्रिय नहीं रह सकेंगे तथा ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के अधिगम की कल्पना नहीं की जा सकती । हम जानते हैं कि छोटे बालक खेल क्रियाओं व कहानियों में रुचि लेते हैं इसीलिए उन्हें खेल-विधि तथा कहानी-कथन विधि से पढ़ाया जाना चाहिए । बाल्यावस्था में बच्चे सामूहिक क्रियाओं में रुचि लेते हैं, अतः इस अवस्था में बालकों को सामूहिक विधियों के माध्यम से पढ़ाया जाना चाहिए । किशोरावस्था में छात्र साथ एवं तार्किक क्रियाओं में रुचि लेते हैं, अतः इस अवस्था में शिक्षण के लिए इन्हीं विधियों को अपनाया जाना चाहिए । स्पष्ट है कि यदि अब उपरोक्त प्रक्रिया में फेरबदल किया जाता है तो छात्र पढ़ने में रुचि नहीं लेंगे और ऐसी स्थिति में ये विधियाँ अधिगम के मार्ग में बाधक सिद्ध होने के अतिरिक्त और कुछ सार्थक योगदान नहीं कर पाएगी ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *